FUN-MAZA-MASTI
फागुन के दिन चार--132
११. ०७ - अरब सागर,
अरब सागर गाढ़ी नीली स्याही के संगमरमर के रंग का लग रहा था। चुपचाप , शांत , गंभीर। थोड़ी देर पहले की मची उथल पुथल अब पूरी तरह शांत हो गयी थी। बीच बीच में कहीं कहीं डॉट्स की तरह शिप्स नजर आ रही थीं। आसमान शांत था। हलके हलके बादल कभी चांदनी को छिटका देते , कभी छिपा देते।
चार सी किंग हेलीकाप्टर ( एच सी 4 /वेस्टलैंड कमांडो ) अपनी पूरी स्पीड से उड़ रहे थे। उनकी अधिकतम गति करीब २०० किलोमीटर। शिप की लोकेशन तक पहुंचने में उन्हें करीब १५ -१८ मिनट इस गति से लगने वाले थे। आपरेशन के लिए कुल बीस मिनट की विंडो थी। और इसमें एक एक मिनट का समय सिंक्रोनाइज्ड होना जरुरी था।
हेलीकाप्टर में चार कमांडो बैटल फैटिग में थे। उनके चेहरे पर कैमोफ्लाज पेंट पुता हुआ था। नाइट विजन ग्लासेज , खुखरी , फ्लेयर्स , ग्रेनेड , स्पेशल एक्सप्लोसिव्स , पिस्टल और भी भी बहुत कुछ उनके ड्रेस का पार्ट था। चार में से तीन मार्कोस ( इण्डियन मरीन कमांडो ) के पार्ट थे।
चौथी रीत थी।
उन्हें रिहर्सल का बहुत समय नहीं मिला था। इसलिए चॉपर में चारों की निगाहें शिप के प्लान पे गड़ी थीं।
कील के चार वीक स्पॉट उन चारों ने आपस में बाँट लिए थे। शिप में घुसने के बाद बहुत समय नहीं था उनके पास। कुल १० से १२ मिनट में काम खत्म होना था। कुछ लोग इस ख्याल के थे की लिम्पेट माइंस का इस्तेमाल किया जाय , जो चुम्बक के प्रभाव से जा के चिपक जायेगी। और शिप एक्सप्लोड कर जायेगा। लेकिन उससे एल पी जी भी एक्सप्लोड कर सकता था।
एक बार फिर उन्होंने एक दूसरे से हाथ मिलाया , प्लान की कापी वाटरप्रूफ जैकेट में रखी और तैयार हो गए।
उनकी निगाहें समुद्र में गडी थी।
११. २२ अरब सागर में
नीचे कोस्ट गार्ड का शिप था , समर , जहाँ के हेलीकाप्टर हैंडल किया जा सकता था।
लेकिन उनका हेलीकाप्टर जिसे स्टील्थ हेलीकॉपटर के रूप में डेवलप किया गया था , उस शिप के ठीक ऊपर स्थिर हो गया और , बारी बारी से चारो कमांडो शिप पर उत्तार गए।
पहले दो मार्कोस कमांडो , फिर रीत और फिर ग्रुप का कप्तान।
कोस्टगार्ड का शिप , टेरर शिप से १. ४ किलोमीटर पर था , जिससे रात के अँधेरे में ये आपरेशन कहीं दिखाई न दे।
रीत के साथी जिस हेलीकाप्टर से उतरे थे , वो अब कोस्ट गार्ड के शिप के ठीक ऊपर चल रहा था।
और समर कोस्ट गार्ड शिप तेजी से लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था।
रीत ने नेवल कमांड कंट्रोल से बात की अपनी पोजीशन बताई।
मार्कोस के कमांडो लीडर ने , समर के कैप्टेन के साथ शिप की पोजीशन , इ टी ए ( एक्सपेक्टेड टाइम आफ अराइवल ) और काल साइन , टेरर शिप की पिछले आधे घंटे में टेरर शिप के कम्युनिकेशन और मूवमेंट पोजीशन चेक की।
तब तक काफी का गर्म गरम मग आ गया था और चारों सिप लेने लगे।
कोस्ट गार्ड शिप , समर तेजी से अपने लक्ष्य की और बढ़ा जा रहा था।
अरब सागर , काली स्याही सा लग रहा था। चारों और अँधेरे की स्याह चादर में कोस्ट गार्ड का शिप , गुमसुम बढ़ता जा रहा था।
टेरर शिप भी पूरी तरह अंधरे में था , नेवीगेशनल लाइफ भी उसने आफ कर रखी थी और पूरी तरह रेडियो साइलेंस मेंटेन कर रक्खा था।
रीत , हाई नाइट विजन बाइनक्युलर्स से शिप की पोजीशन , जहाँ उन्हें लैंड करना था और ऑपरेशन करना था देख रही थी।
अब टेरर शिप खाली ५०० मीटर रह गया था। और समय आ गया था , उनके इस शिप को छोड़ने का।
दो इन्फलेटबल बोट शिप केकिनारे से लोवर कर दी गयी थी और दो दो कमांडो , एक एक बोट में बैठ गए थे।
अब टेरर शिप सिर्फ ३०० मीटर दूर रह गया था।
11. २९ रात , अरब सागर में
इन्फ्लेटेबल बोट्स की मोटर आन कर दी गयीं , और दोनों बोट समुद्र का सीना चीरते , तेजी से टेरर शिप की ओर बढ़ी जा रही थीं।
सिर्फ ५ मिनट का टाइम था , वहां पहुचने में , लेकिन मार्कोस के लीडर की आँखे बजाय टारगेट के आसमान पे लगी हुयी थीं।
यह एक कॉम्बेट रबर रेडिंग क्राफ्ट था , जिसका इस्तेमाल नेवी सील करते हैं।
और यह पूरी तरह काही रंग में रंगी थी। जिससे समुद्र से अलग न लगे।
रीत और मार्कोस के सभी लोगों को ये साफ मालूम था की , भले ही कैमोफ्लाज पेंट लगा रखा हो , लाइट्स बंद कर रखी हों , और टेरर शिप्स ने भी नेवीगेशनल लाइट्स बंद कर रखी हों , जैसे ये लोग नाइट विजन गूगल्स , थर्मल विजन और स्पेशल बाइनोक्यूलर का इस्तेमाल कर रहे हैं , वैसे ही वो भी नाइट विजन का इस्तेमाल कर रहे होंगे।
रीत और उसके साथी बोट में नीचे चिपके हुए थे।
बिना किसी डाइवर्जन के टेरर शिप में घुसना मुश्किल था।
और अब उनका टारगेट सिर्फ ५० मीटर दूर था।
लेकिन तभी रीत ने देखा डाइवर्जन अटैक शुरू हो गया था।
उनके पास सिर्फ पन्दरह मिनट की विंडो थी , रात ११. ३२ से ११. ४७ तक और ११. ५५ के पहले उन्हें सेफ पहुँच जाना था।
शेड्यूल से वो अभी २० सेकेण्ड पीछे चल रहे थे।
रात ११. ३० अरब सागर - 'टेरर ' /एल पीजी शिप के स्टर्न के ऊपर की ओर।
दोनों सी किंग हेलीकाप्टर जो उनके साथ चले थे , अब टेरर शिप के स्टर्न के ऊपर पहुँच चक्कर काट रहे थे और उन्होंने अपनी ऊंचाई कम करनी शुरू कर दी।
वो शिप से पचास मीटर ऊपर रहे होंगे , की शिप से टक टक टक टक , ऐंटी एयर क्राफट गन की आवाजें शुरू हो गयी थीं।
अब कोई शक नहीं था की वो एनमी शिप था।
लेकिन वो हेलीकाप्टर और उस के चालक इस सिच्युएशन के लिए तैयार थे , उन्होंने पहले तो डक किया लेकिन फिर अचानक ऊपर उड़ गए और दोनों अलग अलग दिशाओं में दायें बाएं ऊपर उड़ चले।
ऐंटी एयर क्राफ्ट गन , लाइट गन्स की गोलियां अब भी उनका पीछा कर रही थीं।
रीत और उनके साथी मार्कोस , अब एक दम शिप के पास पहुँच गए थे और शिप में चढ़ने के लिए रोप लैडर का इस्तेमाल शुरू करने वाले थे।
शिप के सारे लोगों का ध्यान उन दोनों हेलीकाप्टर पर था।
और उसी बीच , एक और हेलीकाप्टर ठीक शिप के बीच इतना नीचे आ गया , की लगा वो शिप परलैण्ड कर रहा है।
उसके पंखों की हवा से शिप की छोटी मोटी चीजे उड़ने लगी थीं।
और जब तक शिप की ऐंटी एयर क्राफ्ट गन अपना निशाना बदलते , हेलीकाप्टर की गन चालू हो गयीं थीं।
लेकिन वो गोलियों के जगह बाम्ब्स थ्रो कर रही थी ,
स्मोक बॉम्ब।
और उसी के साथ रीत की टीम शिप के वाल पे चढ़ चुकी थी। सब से आगे मार्कोस का लीडर था , जिसने नेवी सील्स के साथ एक साल ट्रेनिंग की थी , कई ऐक्चुअल एंटी टेरर आपस में भाग लिया था।
उस ने गैस मास्क लगा लिया और उस के साथ बाकी लोगों ने भी।
सबसे पहले उसने शिप के फ्लोर पर दो स्मोक बॉम्ब लुढ़का दिए और फिर पूरी ताकत से टियर गैस के कैनिस्टर फेंके।
जब तक स्मोक बाम्ब्स का धुँआ छा जाता , वो चारों शिप के अंदर थे।
उधर हेलीकाप्टर के होल्ड से अब पैराट्रूपर शिप पर उत्तर रहे थे।
एक दो, चार छ
और तब दायें बाएं वाले हेलीकाप्टर भी आ गए और उन से भी शिप के दोनों साइड पर पैराट्रूपर उत्तर रहे थे।
शिप के अंदर के लोग सब उन के मुकाबले को आगये।
लेकिन तब तक तीनो हेलीकाप्टर से स्मोक बाम्ब्स तेजी से फेंके गए और शिप पे धुँआ , कुहासा छा गया।
वो पैराट्रूपर सारे डमी थे।
नॉर्मण्डी लैंडिंग में ब्रिटेन ने एक सीक्रेट आपरेशन लांच किया था , आपरेशन टाइटैनिक , जिसमे ये डमी पैराट्रूपर इस्तेमाल हुए थे और उन्हें रूपर्ट कहा गया था।
ये भी बिलकुल उसी तरह थे लेकिन थोड़े एडवांस।
एल पी जी चलते असली गोली तो चला नहीं सकते थे , इसलिए उनमें गोली की आवाज रिकार्ड थी और नकली पिस्तौल फ्लैश करती थी।
कोई उन्हें छूने की या पकड़नेकी कोशिश करता था तो टेजर नीडल्स निकलती थीं , जिनमे ४४० वोल्ट का झटका होता था। और शिप के फ्लोर सेलड़ते ही स्टन ग्रेनेदस निकलते।
उसका असर ये हुआ की ढेर सारे लोग काम केकाबिल नहीं रहे और रीत की टीम को काम करने का मौका मिल गया।
शिप पर बहुत कन्फ्यूजन था।
पहले स्मोक बाम्ब्स , और फिर ये डमी पैराट्रूपर्स। लग रहा था चारों ओर गोलियां चल रही है और जो उनके पास आता वो शाक का शिकार हो रहा था।
और गोलियों का उनपर असर हो नहीं रहा था।
होता भी कैसे। वो तो डमी थे। हाँ , डी आर डी ओ ने उनमे रोबोटिक्स का इतना अच्छा इस्तेमाल किया था की चलने फिरने में , वो एक पैरा की तरह लगते थे। यहाँ तक की कुछ पैरा में तो उन्होंने गालियां तक रिकार्ड कर रखी थीं , वो भी एक से एक बनारसी , शुद्ध। लेकिन सबसे इम्पॉर्टेंट बात थी उनके आँखे चारों और थी और वो कैमरे रिकार्ड कर लाइव फीड , ऊपर हेलीकाप्टर तक भेज रहे थे , जहाँ से वो कोस्टगार्ड शिप में जा रहा था। और उसे मार्कोस टीम के कैप्टेन के पास भी एनालाइज कर के भेजा जा रहा था।
रीत की टीम काम पे लग गयी थी।
उनके पास बस पन्दरह मिनट का टाइम था , लेकिन उन्हें ११ से १२ मिनट के बीच में शिप एवैकयूएट कर देना था।
पहला शिकार रीत के ही हाथ लगा।
कमांडो टीम कैप्टेन ने आगे बढ़ के एक दरवाजा था उसे सिक्योर कर दिया। चारो प्वाइंट उसके इसी और थे। और उसके बाद शिप के कम्युनिकेशन और पावर केबल स्नैप कर दिए।
टीम का रियर एंड भी मार्कोस का एक कमांडो सिक्योर कर रहा था।
लेकिन हमला बीच में हुआ।
रीत और उसका साथी जगह लोकेट कर रहे थे , तभी एक केबिन खुला और बिजली की तेजी से किसी ने रीत पर हमला किया।
हर कमांडो के चार आँखे चार कान होते हैं , लेकिन रीत के दस थे।
वो फुर्ती से पीछे हटी ,उसका घुटना अटैकर के पेट में और हाथ से कराते का चाप , गरदन पे।
और जब तक वो सम्हलता , रीत ने उसके माथे के पास एक नस दबा दी , जिससे उसके ब्रेन पे सीधे असर पड़ा और वो आधे घंटे से ज्यादा के लिए बेहोश हो गया।
लेकिन ये शुरुआत थी।
उसके बाद दो ने और हमला किया , एक साथ।
उन दोनों केहाथ में चाक़ू था।
और वो दोनों जुडो के एक्सपर्ट थे।
चाकू का पहला हमला गर्दन पर हुआ। रीत झुक गयी।
हमला बेकार होगया ,लेकिन उसकी कैप गिर गयी और उसके लम्बे बाल नीचे तक फैल गए।
" अरे ये तो लौंडिया है "
बस यही गलती हो गयी।
शब्द भेदी बाण कीतरह , रीत की शब्द भेदी देह थी।
बात पूरी नहीं हुयी और रीत की कोहनी और पैर दोनों एक साथ चले।
एक ही काफी था। उसके प्राण पखेरू उड़ाने के लिए।
लेकिन पहले वाले ने फिर वार करने की कोशिश की , और अब हवा में एक खुखरी चमकी। मार्कोस कमांडो का स्पेशल हथियार।
ये रीत का साथी कमांडो था और अब वो भी हमलावर ढेर होगया।
दोनों ने आँखों ही आँखों में हाई फाइव किया और साथ साथ काँधे के जोर से केबिन का दरवाजा तोडा , जिसमे से ये तीनो निकले थे।
वह कंट्रोल रूम था।
वहां सी सी टी वी की फीड आ रही थी। और सारे कैमरे , नाइट विजन वाले थे। यही नहीं जगह जगह मोशन सेंसर लगे थे। जिससे स्मोक के बावजूद वोलोग देख लिए गए थे।
उस आदमी ने तुरंत पिस्टल निकाल ली।
लेकिन सामना रीत से था।
रीत ने दीवाल पर लगा फायर एक्स्टिंविशर उठा लिया और उसका नोजल सीधा उसके ऊपर। जब तक वो सम्हलता , उस अग्नि शामक यंत्र की पाइप उसके गले में फँस चुकी थी , फांसी के फंदे की तरह। सेकेंडो में वो अपने साथियों के पास पहुँच गया।
तब तक उसके साथी ने कंट्रोल के सारे आप्रेटस तोड़ दिए और अपने बाकी साथियों को कैमरे और सेंसर की जानकारी दे दी।
दो सावधानी बरतनी थी , मारपीट में। एक तो आवाज नहीं होनी चाहिए और दूसरे गोली नहीं चलनी चाहिए। अगर गोली शिप के किसी दीवाल या फर्नीचर से रियोकेट हो के गैस के होल्ड में लगती तो एक्स्प्लोसन हो सकता था।
इसलिए न तो खुद गोली चलाना था और न और ही दुश्मन को गोली चलाने देना था।
हाथ , पैर , और ज्यादा से ज्यादा खुखरी।
रीत ने उस जगह ढूंढ लिया था जहाँ उसे एक्सप्लोसिव फिट करना था। कील , कंट्रोल रूम के ठीक नीचे से हो के गुजरती थी।
चार जगहों पर कील के पास , जहाँ स्ट्रक्चरल डिफेक्ट थे , ये लगाए जाने थे और चार जगहों पर हल के पास।
हर कमांडो को दो दो एक्सप्लोसिव लगाने थे।
और यह काम अगले ७ मिनट में पूरा होना था।
तभी दो गड़बड़ियां हुईं।
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फागुन के दिन चार--132
११. ०७ - अरब सागर,
अरब सागर गाढ़ी नीली स्याही के संगमरमर के रंग का लग रहा था। चुपचाप , शांत , गंभीर। थोड़ी देर पहले की मची उथल पुथल अब पूरी तरह शांत हो गयी थी। बीच बीच में कहीं कहीं डॉट्स की तरह शिप्स नजर आ रही थीं। आसमान शांत था। हलके हलके बादल कभी चांदनी को छिटका देते , कभी छिपा देते।
चार सी किंग हेलीकाप्टर ( एच सी 4 /वेस्टलैंड कमांडो ) अपनी पूरी स्पीड से उड़ रहे थे। उनकी अधिकतम गति करीब २०० किलोमीटर। शिप की लोकेशन तक पहुंचने में उन्हें करीब १५ -१८ मिनट इस गति से लगने वाले थे। आपरेशन के लिए कुल बीस मिनट की विंडो थी। और इसमें एक एक मिनट का समय सिंक्रोनाइज्ड होना जरुरी था।
हेलीकाप्टर में चार कमांडो बैटल फैटिग में थे। उनके चेहरे पर कैमोफ्लाज पेंट पुता हुआ था। नाइट विजन ग्लासेज , खुखरी , फ्लेयर्स , ग्रेनेड , स्पेशल एक्सप्लोसिव्स , पिस्टल और भी भी बहुत कुछ उनके ड्रेस का पार्ट था। चार में से तीन मार्कोस ( इण्डियन मरीन कमांडो ) के पार्ट थे।
चौथी रीत थी।
उन्हें रिहर्सल का बहुत समय नहीं मिला था। इसलिए चॉपर में चारों की निगाहें शिप के प्लान पे गड़ी थीं।
कील के चार वीक स्पॉट उन चारों ने आपस में बाँट लिए थे। शिप में घुसने के बाद बहुत समय नहीं था उनके पास। कुल १० से १२ मिनट में काम खत्म होना था। कुछ लोग इस ख्याल के थे की लिम्पेट माइंस का इस्तेमाल किया जाय , जो चुम्बक के प्रभाव से जा के चिपक जायेगी। और शिप एक्सप्लोड कर जायेगा। लेकिन उससे एल पी जी भी एक्सप्लोड कर सकता था।
एक बार फिर उन्होंने एक दूसरे से हाथ मिलाया , प्लान की कापी वाटरप्रूफ जैकेट में रखी और तैयार हो गए।
उनकी निगाहें समुद्र में गडी थी।
११. २२ अरब सागर में
नीचे कोस्ट गार्ड का शिप था , समर , जहाँ के हेलीकाप्टर हैंडल किया जा सकता था।
लेकिन उनका हेलीकाप्टर जिसे स्टील्थ हेलीकॉपटर के रूप में डेवलप किया गया था , उस शिप के ठीक ऊपर स्थिर हो गया और , बारी बारी से चारो कमांडो शिप पर उत्तार गए।
पहले दो मार्कोस कमांडो , फिर रीत और फिर ग्रुप का कप्तान।
कोस्टगार्ड का शिप , टेरर शिप से १. ४ किलोमीटर पर था , जिससे रात के अँधेरे में ये आपरेशन कहीं दिखाई न दे।
रीत के साथी जिस हेलीकाप्टर से उतरे थे , वो अब कोस्ट गार्ड के शिप के ठीक ऊपर चल रहा था।
और समर कोस्ट गार्ड शिप तेजी से लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था।
रीत ने नेवल कमांड कंट्रोल से बात की अपनी पोजीशन बताई।
मार्कोस के कमांडो लीडर ने , समर के कैप्टेन के साथ शिप की पोजीशन , इ टी ए ( एक्सपेक्टेड टाइम आफ अराइवल ) और काल साइन , टेरर शिप की पिछले आधे घंटे में टेरर शिप के कम्युनिकेशन और मूवमेंट पोजीशन चेक की।
तब तक काफी का गर्म गरम मग आ गया था और चारों सिप लेने लगे।
कोस्ट गार्ड शिप , समर तेजी से अपने लक्ष्य की और बढ़ा जा रहा था।
अरब सागर , काली स्याही सा लग रहा था। चारों और अँधेरे की स्याह चादर में कोस्ट गार्ड का शिप , गुमसुम बढ़ता जा रहा था।
टेरर शिप भी पूरी तरह अंधरे में था , नेवीगेशनल लाइफ भी उसने आफ कर रखी थी और पूरी तरह रेडियो साइलेंस मेंटेन कर रक्खा था।
रीत , हाई नाइट विजन बाइनक्युलर्स से शिप की पोजीशन , जहाँ उन्हें लैंड करना था और ऑपरेशन करना था देख रही थी।
अब टेरर शिप खाली ५०० मीटर रह गया था। और समय आ गया था , उनके इस शिप को छोड़ने का।
दो इन्फलेटबल बोट शिप केकिनारे से लोवर कर दी गयी थी और दो दो कमांडो , एक एक बोट में बैठ गए थे।
अब टेरर शिप सिर्फ ३०० मीटर दूर रह गया था।
11. २९ रात , अरब सागर में
इन्फ्लेटेबल बोट्स की मोटर आन कर दी गयीं , और दोनों बोट समुद्र का सीना चीरते , तेजी से टेरर शिप की ओर बढ़ी जा रही थीं।
सिर्फ ५ मिनट का टाइम था , वहां पहुचने में , लेकिन मार्कोस के लीडर की आँखे बजाय टारगेट के आसमान पे लगी हुयी थीं।
यह एक कॉम्बेट रबर रेडिंग क्राफ्ट था , जिसका इस्तेमाल नेवी सील करते हैं।
और यह पूरी तरह काही रंग में रंगी थी। जिससे समुद्र से अलग न लगे।
रीत और मार्कोस के सभी लोगों को ये साफ मालूम था की , भले ही कैमोफ्लाज पेंट लगा रखा हो , लाइट्स बंद कर रखी हों , और टेरर शिप्स ने भी नेवीगेशनल लाइट्स बंद कर रखी हों , जैसे ये लोग नाइट विजन गूगल्स , थर्मल विजन और स्पेशल बाइनोक्यूलर का इस्तेमाल कर रहे हैं , वैसे ही वो भी नाइट विजन का इस्तेमाल कर रहे होंगे।
रीत और उसके साथी बोट में नीचे चिपके हुए थे।
बिना किसी डाइवर्जन के टेरर शिप में घुसना मुश्किल था।
और अब उनका टारगेट सिर्फ ५० मीटर दूर था।
लेकिन तभी रीत ने देखा डाइवर्जन अटैक शुरू हो गया था।
उनके पास सिर्फ पन्दरह मिनट की विंडो थी , रात ११. ३२ से ११. ४७ तक और ११. ५५ के पहले उन्हें सेफ पहुँच जाना था।
शेड्यूल से वो अभी २० सेकेण्ड पीछे चल रहे थे।
रात ११. ३० अरब सागर - 'टेरर ' /एल पीजी शिप के स्टर्न के ऊपर की ओर।
दोनों सी किंग हेलीकाप्टर जो उनके साथ चले थे , अब टेरर शिप के स्टर्न के ऊपर पहुँच चक्कर काट रहे थे और उन्होंने अपनी ऊंचाई कम करनी शुरू कर दी।
वो शिप से पचास मीटर ऊपर रहे होंगे , की शिप से टक टक टक टक , ऐंटी एयर क्राफट गन की आवाजें शुरू हो गयी थीं।
अब कोई शक नहीं था की वो एनमी शिप था।
लेकिन वो हेलीकाप्टर और उस के चालक इस सिच्युएशन के लिए तैयार थे , उन्होंने पहले तो डक किया लेकिन फिर अचानक ऊपर उड़ गए और दोनों अलग अलग दिशाओं में दायें बाएं ऊपर उड़ चले।
ऐंटी एयर क्राफ्ट गन , लाइट गन्स की गोलियां अब भी उनका पीछा कर रही थीं।
रीत और उनके साथी मार्कोस , अब एक दम शिप के पास पहुँच गए थे और शिप में चढ़ने के लिए रोप लैडर का इस्तेमाल शुरू करने वाले थे।
शिप के सारे लोगों का ध्यान उन दोनों हेलीकाप्टर पर था।
और उसी बीच , एक और हेलीकाप्टर ठीक शिप के बीच इतना नीचे आ गया , की लगा वो शिप परलैण्ड कर रहा है।
उसके पंखों की हवा से शिप की छोटी मोटी चीजे उड़ने लगी थीं।
और जब तक शिप की ऐंटी एयर क्राफ्ट गन अपना निशाना बदलते , हेलीकाप्टर की गन चालू हो गयीं थीं।
लेकिन वो गोलियों के जगह बाम्ब्स थ्रो कर रही थी ,
स्मोक बॉम्ब।
और उसी के साथ रीत की टीम शिप के वाल पे चढ़ चुकी थी। सब से आगे मार्कोस का लीडर था , जिसने नेवी सील्स के साथ एक साल ट्रेनिंग की थी , कई ऐक्चुअल एंटी टेरर आपस में भाग लिया था।
उस ने गैस मास्क लगा लिया और उस के साथ बाकी लोगों ने भी।
सबसे पहले उसने शिप के फ्लोर पर दो स्मोक बॉम्ब लुढ़का दिए और फिर पूरी ताकत से टियर गैस के कैनिस्टर फेंके।
जब तक स्मोक बाम्ब्स का धुँआ छा जाता , वो चारों शिप के अंदर थे।
उधर हेलीकाप्टर के होल्ड से अब पैराट्रूपर शिप पर उत्तर रहे थे।
एक दो, चार छ
और तब दायें बाएं वाले हेलीकाप्टर भी आ गए और उन से भी शिप के दोनों साइड पर पैराट्रूपर उत्तर रहे थे।
शिप के अंदर के लोग सब उन के मुकाबले को आगये।
लेकिन तब तक तीनो हेलीकाप्टर से स्मोक बाम्ब्स तेजी से फेंके गए और शिप पे धुँआ , कुहासा छा गया।
वो पैराट्रूपर सारे डमी थे।
नॉर्मण्डी लैंडिंग में ब्रिटेन ने एक सीक्रेट आपरेशन लांच किया था , आपरेशन टाइटैनिक , जिसमे ये डमी पैराट्रूपर इस्तेमाल हुए थे और उन्हें रूपर्ट कहा गया था।
ये भी बिलकुल उसी तरह थे लेकिन थोड़े एडवांस।
एल पी जी चलते असली गोली तो चला नहीं सकते थे , इसलिए उनमें गोली की आवाज रिकार्ड थी और नकली पिस्तौल फ्लैश करती थी।
कोई उन्हें छूने की या पकड़नेकी कोशिश करता था तो टेजर नीडल्स निकलती थीं , जिनमे ४४० वोल्ट का झटका होता था। और शिप के फ्लोर सेलड़ते ही स्टन ग्रेनेदस निकलते।
उसका असर ये हुआ की ढेर सारे लोग काम केकाबिल नहीं रहे और रीत की टीम को काम करने का मौका मिल गया।
शिप पर बहुत कन्फ्यूजन था।
पहले स्मोक बाम्ब्स , और फिर ये डमी पैराट्रूपर्स। लग रहा था चारों ओर गोलियां चल रही है और जो उनके पास आता वो शाक का शिकार हो रहा था।
और गोलियों का उनपर असर हो नहीं रहा था।
होता भी कैसे। वो तो डमी थे। हाँ , डी आर डी ओ ने उनमे रोबोटिक्स का इतना अच्छा इस्तेमाल किया था की चलने फिरने में , वो एक पैरा की तरह लगते थे। यहाँ तक की कुछ पैरा में तो उन्होंने गालियां तक रिकार्ड कर रखी थीं , वो भी एक से एक बनारसी , शुद्ध। लेकिन सबसे इम्पॉर्टेंट बात थी उनके आँखे चारों और थी और वो कैमरे रिकार्ड कर लाइव फीड , ऊपर हेलीकाप्टर तक भेज रहे थे , जहाँ से वो कोस्टगार्ड शिप में जा रहा था। और उसे मार्कोस टीम के कैप्टेन के पास भी एनालाइज कर के भेजा जा रहा था।
रीत की टीम काम पे लग गयी थी।
उनके पास बस पन्दरह मिनट का टाइम था , लेकिन उन्हें ११ से १२ मिनट के बीच में शिप एवैकयूएट कर देना था।
पहला शिकार रीत के ही हाथ लगा।
कमांडो टीम कैप्टेन ने आगे बढ़ के एक दरवाजा था उसे सिक्योर कर दिया। चारो प्वाइंट उसके इसी और थे। और उसके बाद शिप के कम्युनिकेशन और पावर केबल स्नैप कर दिए।
टीम का रियर एंड भी मार्कोस का एक कमांडो सिक्योर कर रहा था।
लेकिन हमला बीच में हुआ।
रीत और उसका साथी जगह लोकेट कर रहे थे , तभी एक केबिन खुला और बिजली की तेजी से किसी ने रीत पर हमला किया।
हर कमांडो के चार आँखे चार कान होते हैं , लेकिन रीत के दस थे।
वो फुर्ती से पीछे हटी ,उसका घुटना अटैकर के पेट में और हाथ से कराते का चाप , गरदन पे।
और जब तक वो सम्हलता , रीत ने उसके माथे के पास एक नस दबा दी , जिससे उसके ब्रेन पे सीधे असर पड़ा और वो आधे घंटे से ज्यादा के लिए बेहोश हो गया।
लेकिन ये शुरुआत थी।
उसके बाद दो ने और हमला किया , एक साथ।
उन दोनों केहाथ में चाक़ू था।
और वो दोनों जुडो के एक्सपर्ट थे।
चाकू का पहला हमला गर्दन पर हुआ। रीत झुक गयी।
हमला बेकार होगया ,लेकिन उसकी कैप गिर गयी और उसके लम्बे बाल नीचे तक फैल गए।
" अरे ये तो लौंडिया है "
बस यही गलती हो गयी।
शब्द भेदी बाण कीतरह , रीत की शब्द भेदी देह थी।
बात पूरी नहीं हुयी और रीत की कोहनी और पैर दोनों एक साथ चले।
एक ही काफी था। उसके प्राण पखेरू उड़ाने के लिए।
लेकिन पहले वाले ने फिर वार करने की कोशिश की , और अब हवा में एक खुखरी चमकी। मार्कोस कमांडो का स्पेशल हथियार।
ये रीत का साथी कमांडो था और अब वो भी हमलावर ढेर होगया।
दोनों ने आँखों ही आँखों में हाई फाइव किया और साथ साथ काँधे के जोर से केबिन का दरवाजा तोडा , जिसमे से ये तीनो निकले थे।
वह कंट्रोल रूम था।
वहां सी सी टी वी की फीड आ रही थी। और सारे कैमरे , नाइट विजन वाले थे। यही नहीं जगह जगह मोशन सेंसर लगे थे। जिससे स्मोक के बावजूद वोलोग देख लिए गए थे।
उस आदमी ने तुरंत पिस्टल निकाल ली।
लेकिन सामना रीत से था।
रीत ने दीवाल पर लगा फायर एक्स्टिंविशर उठा लिया और उसका नोजल सीधा उसके ऊपर। जब तक वो सम्हलता , उस अग्नि शामक यंत्र की पाइप उसके गले में फँस चुकी थी , फांसी के फंदे की तरह। सेकेंडो में वो अपने साथियों के पास पहुँच गया।
तब तक उसके साथी ने कंट्रोल के सारे आप्रेटस तोड़ दिए और अपने बाकी साथियों को कैमरे और सेंसर की जानकारी दे दी।
दो सावधानी बरतनी थी , मारपीट में। एक तो आवाज नहीं होनी चाहिए और दूसरे गोली नहीं चलनी चाहिए। अगर गोली शिप के किसी दीवाल या फर्नीचर से रियोकेट हो के गैस के होल्ड में लगती तो एक्स्प्लोसन हो सकता था।
इसलिए न तो खुद गोली चलाना था और न और ही दुश्मन को गोली चलाने देना था।
हाथ , पैर , और ज्यादा से ज्यादा खुखरी।
रीत ने उस जगह ढूंढ लिया था जहाँ उसे एक्सप्लोसिव फिट करना था। कील , कंट्रोल रूम के ठीक नीचे से हो के गुजरती थी।
चार जगहों पर कील के पास , जहाँ स्ट्रक्चरल डिफेक्ट थे , ये लगाए जाने थे और चार जगहों पर हल के पास।
हर कमांडो को दो दो एक्सप्लोसिव लगाने थे।
और यह काम अगले ७ मिनट में पूरा होना था।
तभी दो गड़बड़ियां हुईं।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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