FUN-MAZA-MASTI
सच कहूँ मुझे अभी भी थोडा डर लग रहा था की कही रफीक चिल्ला ना दे. मैंने अपनी सभी हिम्मत को इकठ्ठा किया और हाथ को आगे किया. मैने लंड को अपने हाथ से सहलाया तो वो अंगडाई लेने लगा और धीरे धीरे खडा और कडक होने लगा. मुझे बहुत अच्छा लगा उसका यह रूप देखके. मैं धीरे धीरे से उसके लंड को दबाने लगी और उसके निचे लगी घंटी को भी हाथ से मसलने लगी. मैं जानती थी की रफीक के लंड के ऊपर स्पर्श होने से वो कुछ देर में उठ जायेंगा. लेकिन जब कुछ देर तक वो हिला भी नहीं तो मैँ समझ गई कि यह सोने का बहाना कर रहा था.
फिर तो क्या था मैँ खुद उसके ऊपर चड गई और उसके लंड को अपनी चूत पर रखकर चूत को लंड पर दबाव डाल कर लंड को रगड़ने लगी. रफीक अभी भी नहीं हिला. मैंने अब धीरे से अपनी नाईटी को ऊपर किया और अंदर मैं पेंटी नहीं पहनी थी इसलिए सीधे ही मेरी गरम चूत का दरवाजा था वहाँ पे. रफीक की पेंट की क्लिप खोल के मैंने अब उसकी पतलून निचे खिंची. वो साला हरामी अब भी सोने का नाटक कर रहा था. मैं समझ गई की उसे भी शकीला भाभी की चूत लेनी हैं.
मैं धीरे से लंड के ऊपर जम्प लगा के कहा, “कुछ नहीं आज शकीला भाभी तुझे चोदने का मजा दे रही हैं.”
रफीक ने यह सुन के अपने होंठो से हंसी निकाली और उसके हाथ मेरे बूब्स और गांड पे फिरने लगे. उसने मेरी गांड को पकड कर धक्के मारने शुरु कर दिये नीचे से और मुझे जो अनोखा स्वाद दिया चुदाई का जो मैँने आज तक सपने मेँ भी नहीँ सोचा था क्योंकि मेरी चूत को आज तक इतना तगडा लंड आज तक नहीँ नसीब हुआ था जो मेरी चूत को रगड कर उसकी खुजली मिटा सके और मेरी प्यास को बुझा सके. रफीक अपने लंड को पूरा चूत के अंदर घोंपता था और फिर पूरा निकाल के दुसरे झटके के लिए तैयार करता था. मैं भी उसे सिने से लगा के चोदने का पूरा मजा दे रही थी. मेरे बूब्स उसकी छाती से लग रहे थे और हम दोनों को अब थोडा थोडा पसीना भी हो रहा था.
उसके लंड अन्दर बाहर करने से मेरी चूत के अन्दर जो अब्रसोँ से रस का फव्वारा बन्द था वो खुल गया और मेरी चूत ने रस की धारा को बहाना शुरु कर दिया और फिर तो जैसे मेरे चूत से रस की जैसे बाढ आ गई हो. उसने दो ऊंगली इस बीच मेरी गांड मेँ डाल दिया और ऊंगली को नचाने लगा और लंड से चूत मेँ फिरनी घुमाने लगा और दूसरे हाथ से मेरी चूची को दबाने लगा. उसकी इस अनोखी चुदाई पर मैँ पागल हुई जा रही थी वाह क्या चोदू देवर मिला था मुझे आज. कसम से बहुत ही लाजवाब चुद्दकड मर्द था रफीक और यह मेरी गारंटी है कि इसके लंड से चुदने वाली कोई भी लडकी फिर किसी और लंड की ओर देखेगी भी नहीँ चुदवाना तो फिर भी बहुत दूर की बात है.थोडी देर मेँ मैँ और रफीक एक दूसरे से कस कर चिपक गये और दोनोँ ने एक साथ पानी छोड दिया. मेरी चूत को कई दिन के बाद मज़ा मिला था. रफीक ने मुझे कस कर चूमा और कहा कि शकीला भाभी, आज से मैँ आपका देवर नहीँ पति हूँ. सच मेँ अब मुझे मेरे पति की याद कम सताने लगी है उस चुदाई के बाद से. रफीक भी जब टाइम मिले अपनी इस शकीला भाभी की चूत को अपने लंड से तृप्त कर देता हैं
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शकीला की खुजली
मेरा नाम शकीला है. मैँ एक 35 साल की औरत हूँ और अकेले ही रहती हूँ. मेरे पति दुबई मेँ हैँ. मैं बदन से काफी सेक्सी और भरी हुई हूँ. मुझे किसी ना किसी बहाने लंड लेना पसंद हैं. पति की गैरमौजूदगी मेँ मुझे सेक्स के लिये बहुत तरसना पडता है. और आप समझ सकते हो की ऐसे में मेरी क्या हालत होती होंगी.एक दिन जब सेक्स मेरे सिर पर चढ गया तो मैँने सोच लिया कि मैँ अब किसी के साथ भी सेक्स करूंगी. मैं अपनी गरम चूत को सहला के पहले तो उसे मनाने की फिराक में थी. क्यूंकि इतनी जल्दी लंड का इंतजाम कैसे हो सकता था. तभी मेरी नज़र मेरे देवर रफीक पर पडी. उसकी उम्र करीब 20 साल की है और वो हट्टा कट्टा मर्द है. मुझे डर था कि कहीँ वो सबको जा कर मेरे बारे मेँ बता ना दे. इसलिये मैँने एक प्लान बनाया. मैने रात को उसके दूध में नीद की गोलिया मिला दी वो रात को दूध पी कर सो गया. रात को चूत की खुजली मिटाने मैँ पहुंच गई उसके रूम मेँ और देखा कि वो खर्राटे ले कर सो रहा है. मैँने उसके लंड को उसके कपडे से बाहर निकाला और देखा तो मैँ सम्मोहित ही हो गई, क्या बनावट थी उसके लंड की वाह, एकदम से बमपिलाट लंड था वो. उसका सुपाडा भी काफी चौड़ा था और लंड की लम्बाई कम से कम 6 इंच थी बिना उत्तेजित हुए. मैंने सोचा की अगर आज रफीक से चुदने को मिल जाएँ तो कुछ दिन के लिए चूत की खुजली नहीं आएँगी शकीला.
सच कहूँ मुझे अभी भी थोडा डर लग रहा था की कही रफीक चिल्ला ना दे. मैंने अपनी सभी हिम्मत को इकठ्ठा किया और हाथ को आगे किया. मैने लंड को अपने हाथ से सहलाया तो वो अंगडाई लेने लगा और धीरे धीरे खडा और कडक होने लगा. मुझे बहुत अच्छा लगा उसका यह रूप देखके. मैं धीरे धीरे से उसके लंड को दबाने लगी और उसके निचे लगी घंटी को भी हाथ से मसलने लगी. मैं जानती थी की रफीक के लंड के ऊपर स्पर्श होने से वो कुछ देर में उठ जायेंगा. लेकिन जब कुछ देर तक वो हिला भी नहीं तो मैँ समझ गई कि यह सोने का बहाना कर रहा था.
फिर तो क्या था मैँ खुद उसके ऊपर चड गई और उसके लंड को अपनी चूत पर रखकर चूत को लंड पर दबाव डाल कर लंड को रगड़ने लगी. रफीक अभी भी नहीं हिला. मैंने अब धीरे से अपनी नाईटी को ऊपर किया और अंदर मैं पेंटी नहीं पहनी थी इसलिए सीधे ही मेरी गरम चूत का दरवाजा था वहाँ पे. रफीक की पेंट की क्लिप खोल के मैंने अब उसकी पतलून निचे खिंची. वो साला हरामी अब भी सोने का नाटक कर रहा था. मैं समझ गई की उसे भी शकीला भाभी की चूत लेनी हैं.
मैंने उसकी चड्डी निकाली और उसके लंड को खुली हवा में निकाल के थोडा हिला दिया. उसका लंड अब पूरा के पूरा तन चूका था और उसका आकर कोई जंगली गिरगिट के जैसा हो गया था. मैंने दो ऊँगली में थोडा ठुक ले के अपनी चूत को गिला किया ताकि चूत के अंदर लंड आराम से घुस सकें. अब मैंने उसके लंड के ऊपर आसन बनाते हुए उसके लंड को अपनी चूत के छेद के ऊपर रख दिया. उसके लंड को अब मैं अपनी चूत मेँ निगलने लगी. रफीक ने तभी अपनी आँखे खोली और बोला, “अरे शकीला भाभी आप. क्या कर रही हो?”
मैं धीरे से लंड के ऊपर जम्प लगा के कहा, “कुछ नहीं आज शकीला भाभी तुझे चोदने का मजा दे रही हैं.”
रफीक ने यह सुन के अपने होंठो से हंसी निकाली और उसके हाथ मेरे बूब्स और गांड पे फिरने लगे. उसने मेरी गांड को पकड कर धक्के मारने शुरु कर दिये नीचे से और मुझे जो अनोखा स्वाद दिया चुदाई का जो मैँने आज तक सपने मेँ भी नहीँ सोचा था क्योंकि मेरी चूत को आज तक इतना तगडा लंड आज तक नहीँ नसीब हुआ था जो मेरी चूत को रगड कर उसकी खुजली मिटा सके और मेरी प्यास को बुझा सके. रफीक अपने लंड को पूरा चूत के अंदर घोंपता था और फिर पूरा निकाल के दुसरे झटके के लिए तैयार करता था. मैं भी उसे सिने से लगा के चोदने का पूरा मजा दे रही थी. मेरे बूब्स उसकी छाती से लग रहे थे और हम दोनों को अब थोडा थोडा पसीना भी हो रहा था.
उसके लंड अन्दर बाहर करने से मेरी चूत के अन्दर जो अब्रसोँ से रस का फव्वारा बन्द था वो खुल गया और मेरी चूत ने रस की धारा को बहाना शुरु कर दिया और फिर तो जैसे मेरे चूत से रस की जैसे बाढ आ गई हो. उसने दो ऊंगली इस बीच मेरी गांड मेँ डाल दिया और ऊंगली को नचाने लगा और लंड से चूत मेँ फिरनी घुमाने लगा और दूसरे हाथ से मेरी चूची को दबाने लगा. उसकी इस अनोखी चुदाई पर मैँ पागल हुई जा रही थी वाह क्या चोदू देवर मिला था मुझे आज. कसम से बहुत ही लाजवाब चुद्दकड मर्द था रफीक और यह मेरी गारंटी है कि इसके लंड से चुदने वाली कोई भी लडकी फिर किसी और लंड की ओर देखेगी भी नहीँ चुदवाना तो फिर भी बहुत दूर की बात है.थोडी देर मेँ मैँ और रफीक एक दूसरे से कस कर चिपक गये और दोनोँ ने एक साथ पानी छोड दिया. मेरी चूत को कई दिन के बाद मज़ा मिला था. रफीक ने मुझे कस कर चूमा और कहा कि शकीला भाभी, आज से मैँ आपका देवर नहीँ पति हूँ. सच मेँ अब मुझे मेरे पति की याद कम सताने लगी है उस चुदाई के बाद से. रफीक भी जब टाइम मिले अपनी इस शकीला भाभी की चूत को अपने लंड से तृप्त कर देता हैं
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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