FUN-MAZA-MASTI
कहानी के बैकग्राउंड में मेरी चाची द्वारा दिये गये सपोर्ट को पाकर के भौजी को चोदने की सेक्सी कहानी शामिल है। तो दोस्तों मैं आजाद आप सब के लिए इस कहानी का खुलासा करने तो जा रहा हूं पर इसे आप न तो अकेले में पढना, न हीं पढ के किसी से कह देना। दोनों ही स्थितियां खतरनाक हैं क्योंकि अगर आप अकेले में पढेंगे तो आप मूठ मारेंगे, और अगर किसी से कह देंगे तो मुझे बुर का अकाल पड़ जाएगा।
और इस प्रकार से यह कहानी मेरी अपनी चचेरी भाभी की है, जो अभी अभी ससुराल आई थी और बहुत ही सेक्सी है। उसकी जवानी, बखान करने के लिए सेक्सी शब्द नहीं मिल रहे हैं पर क्या सविता भाभी, कविता भाभी, कोई भी भाभी हो उसके आगे पानी भरे, उसकी मस्त मस्त जबरदस्त चूंचियों के आगे अप्सराएं लज्जित हो जाएं और मस्त गठीली मदमस्त गांड के आगे परियां। चाल पर मोर फिदा हों और मुस्कराहट पर चांद। जब वो बोले तो बजती है जैसे कोई शहनाई, और चलते हुए जब उसकी गांड चबाने लगती है साड़ी को तो लंड फड़ककर हाथ में चला आता है। जिस दिन से वो मेरे घर आई, मेरी तो निकल पड़ी, साला कालेज छूट गया, दोस्त छूट गया, काम रह गया तो बस उसको देख कर बाथरुम में घुस जाना, कहीं से भी अगर उसके पेट का गोरा, नाभि का गहरा हिस्सा दिख गया अगर तो फिर क्यामत आ जाए बिचारे लंड के मेरे।
खैर आपको एक राज की बात बतानी है, मेरी मल्लू आंटी से मेरी पुरानी सेटिंग है। उसको मैं अक्सर लपेटता ही रहता हूं। पर इस बार मेरी नजर उसकी बहू पर थी। मेरा चचेरा भाई सुनील जल्दी ही मुम्बई नौकरी पर निकल गया और पास रह गया केवल मैं।
इस प्रकार मैने बहू के आजाने के बाद चाची को चोदने में दिक्कत का सामना किया। चाची अब बहू के सामने मुझसे उस प्रकार से पेश न आतीं जिससे की पहले आती थीं। पहले तो मेरा लंड पकड़ के ऐंठ देती और कभी भी मेरी सवारी गांठने के चक्कर में पड़ जातीं। खैर जो भी हो, इस बार मैने उनको चूत को पूछा भी नहीं। रात को मैं छ्त पर सोया हुआ था तो मेरे पास आके बोलीं ‘ क्यूं छैला, अब मेरी चूत प्यारी नहीं रही। पहले तो मैने बल भर उसका साया उठा के धौंका और बोला कि रहने दे, ये तेरी आखिरी चुदाई।
वो पागल हो गयी, बोली कि क्या बोला आखिरी चुदाई काहे आजाद। कोई मिल गया क्या तुम्हें। मैने कहा, चाची, तेरी चटोरी चूत के दिन गये, अब भाभी की चूत चाहिए, ढीला है तेरा भोसड़ा और मैं अब तुझे नहीं चोदने वाला। चाची के तो होश उड़ गये। बोली – राजाब्बाबू, प्लीज मुझे मत छोड़ना और रही बात तो तेरी लाईन लगवाने वाली हूं मेरी बहू को भी लंड की कमी खल रही है, उसका पति तो पता नहीं कब आएगा, ऐसा सोचकर मैने उसे अब तुम्हारी सेवा देने की सोची है। ऐसा सुनते ही मेरी तो बांछे खिल गयीं।
मैने कहा मैं कुछ लाया हूं आपके लिए। लगाऊं क्या डीवीडी में। तो उसने कहा हां लगाईये, पर कुछ ऐसा वैसा ना लगा दीजिएगा, वर्ना मम्मी जी सुन लेंगी तो हम दोनों को बजा देंगी। मैं समझ गया रास्ता साफ था और मुझे चोदने के लिए हरी झंडी मिल सकती थी। मम्मी जी को तो मैं देख लूंगा। ऐसा सोच कर के मैने अपनी डीवीडी प्लेयर में डाली।
यह एक साउथ इंडियन बी ग्रेड मूवी थी जिसमें जबरदस्त एक्शन था, और फिर जो आप जानते हैं। केरला की मूविज में लंड और चूत के अलावा सभी कुछ दिखा दिया जाता है। थोड़ी ही देर बाद बेड सीन था। भाभी के चेहरे को लाल होता देख मेरा मन हरषा रहा था। जैसे ही पिक्चर में गबरू मर्द ने औरत के सीने को मलना शुरु किया, भाभी के हाथ खुद ब खुद अपने मस्त बड़े चूंचे पर चले गए। मैने देखा, न चाहते हुए भी वो सेक्सी आवाजें निकाल कर अपने स्तन को मलने लगीं। मेरा तो मूड बन गया उनकी यह सेक्सी अदा देख कर के।
मैं भी थोड़ा पीछे सरक के उनके पीछे बैठ गया, जिससे कि वो मुझे देख न सकें और अपना लंड निकाल कर रगड़ने लगा। एकदम से अकड़ा हुआ लन्ड भाभी की चूत के हसीन सपने देखने में मगन था। भाभी अपने चूंचो को रगड़ने के साथ ही अपनी साड़ी उपर करके अपने गोरे गोरे टांगों में हाथ डालकर अपने चूत को भी मसलने लगीं थीं। उनकी आंखों के डोरे लाल थे, चुदने की चाहत अपार थी, और मैने लंड को एकदम से तान लिया था। अब बारी थी तो एक मौके की और मैं देख रहा था कि भाभी खुद भी मेरे पहल का इंतजार कर रहीं थीं पर हम सब बातचीत में उतने खुले नहीं थे इसलिए मैं अभी उनसे चुदने के बारे में निवेदन नहीं कर पा रहा था, पर वो भूखी शेरनी बन चुकीं थीं।
तुरत वो अपनी गीली चूत को साड़ी में छिपाए पलटीं और मेरा बड़ा मोटा और खडा लंड देख कर अवाक रह गयीं। यह क्या, इतना बड़ा। आपके भैया सुनील का लंड तो इस मुकाबले कुछ भी नहीं है दैया रे दैया, कैसे करेंगे आप इतने बड़े लंड से काम देवर जी। वो तो एकदम खुल गयी, आश्चर्य हो रहा था मुझे। और फिर देखते ही देखते मेरे लंड के हसीन चूत चोदने के सपने, सच होने जा रहे थे
भाभी तो आलरेडी लोनली लोनली फील कर रही थी भैया के न होने से पर आज उसका दबा हुआ रुप सामने आ गया। वासना की पुजारन औरतें तो मौका मिलते ही लंड लपक लेती हैं और इसके बाद जब भी उनको कोई खतरा दिखता है पलट्ने में देर नहीं लगती। अगर इस कहानी में मुझे कोई खतरा हो सकता था तो वो थी भाभी की सास मतलब कि मेरी चाची जिसको कि मैं पहले से चोदता आ रहा था और आज तो उसने खुद ही मुझे प्रमोट किया था। वो चाहती थी कि मेरे लंड का स्वाद बदले और उसके बहु का अकेलापन दूर हो। वैसे भी सुनिल मुम्ब ई चला गया था और आज कल इतने लम्बे अंतराल तक कौन सी महिला लंड की जुदाई सहन करती है। तो भाभी की जवानी देख कर मैं ने अपना लंड पहले से ही पिंजा मतलब नुकिला कर रखा था और आज चाची के प्रायोजित कार्यक्रम में घुस कर मैने भाभी को चुदने के लिए रेडी कर लिया था। अब भाभी ने ब्लू फिलम देख कर के अपनी साड़ी उठा कर चूत मसलनी शुरु कर दी थी और साथ में मैं अपने लंड को सहला सहला कर के भाले की तरह नुकीला कर ही चुका था।
तो मौका था कि हम दोनों अब खेल शुरु करते। भाभी ने नजरें घुमाईं और मेरा लंड देख कर के एकदम दंग रह गयीं। मोटा तगड़ा सांड जैसा लंड। हाये राम इतना बड़ा, जरा देखूं तो देवर जी, आप तो चूत का भोसड़ा बनाने में दो मिनट भी नहीं लेंगे। ये गया और वो फाड़ दिया। हाये दैया, और उसने अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को थाम लिया। साढे आठ इंच का लंड, एक दम मुस्तैद तलवार की तरह खड़ा और जबरदस्त चुदाई की संभाब्वना से भरपूर।
भाभी की बांछें खिल गयी और उसने मेरे लंड को चूम लिया। सुपाड़े की चमड़ी ह्टा के लंड के छेद में जिसका मुह किसी व्हेल मछली की तरह खुला हुआ था, अपनी जीभ के नोक को घुसाने का असफल प्रयतन करने लगी। हाय, उसने तो मुझे दीवाना बनाने में कोई कसर न छोड़ी थी। मैने भाभी को पकड़ के चूम लिया। फिर से उसने अपना मुह नीचे करके मेरे लंड को चूमना शुरु कर दिया। वो दीवानी की तरह उसे सहला और चूम रही थी।
मैने अपना अंडकोष निकाल के उसके सामने रख दिया। ढाई सौ ग्राम का अंडकोष एकदम चौकस संतरे की तरह लग रहा था। वो ईशारा समझ गयी और उसे पकड़ कर के चूसने लगी, ठीक वैसे ही जैसे कि आम चूस रही हो।
अब मैने उसको नंगा करना शुरु किया। उसका पेटीकोट उलट दिया और ब्लाउज खोल दिया। गोरे गोरे चूंचे मेरे हाथों में आ गये थे, और उसको मजा आ रहा था, उसने मुझे किस करते हुए मेरे लंड को मसलना शुरु किया और फिर अपने चूत के पास ले गयी।
अब एक झटका और वो मछली की तरह छटपटाने लगी, गूं गूं करते हुए उसने अपने हाथ छुड़ाने की कोसिश की, लेकिन प्यार किया तो डरना क्या, रानी जब खुद चुदा रही हो तो मोटे लंड का उत्सव मनाओ ना। लंड जड़तक अंदर समा चुका था। अब वो हांफ रही थी। मैने धक्के तेज कर दिये थे, बेदर्दी से चोदते हुए। वह बुदबुदा रही थी, बदहवासी में। साले को चूत दी थी फाड़ने के लिए कि चोदने के लिए। किसी काम का ना छोड़ा मुझको, फाड़ के रख दी मेरी। बहनचोद किसी काम का आदमी नहीं है ये। अब मैं अपने पति को क्या दूंगी। फटा हुआ भोसड़ा
इस पर मैने कहा, अब तुम्हारा पति ज्यादा खुश रहेगा, तेरे साथ, जब उसे चोदने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी तो वो आराम से अपने छोटे ढीले ढाले नूने के साथ तुम्हें चोदेगा और जल्द ही झड़ के निढाल हो जाएगा
मैने उसे चोदना जारी रखा, धीरे धीरे उसने कमर रिदम में नचानी शुरु कर दी थी और अब उसको दर्द भी नहीं हो रहा था। क्रमश; चुदते हुए उसने अपनी गांड उपर नीचे करके लंड को अंदर लेने की व्यग्रता को प्रदर्शित करना जारी रखा और मैने बेदर्द झटके देने जारी रखे। लन्ड उसके छोटे छेद में फना होकर अपनी औकात पर आ गया था।
सच है लंड कैसा भी हो उसकी औकात छोटी से छोटी चूत उसे समझा ही देती है। अब बारी थी उसके स्तन पीने की। मैने चोदते हुए उसके दोनों चूंचे पकड़े और बारी बारी से उनका पान करना शुरु कर दिया। धकाधक और पकापक की आवाजों के साथ चूत के अंदर बोरिंग करता मेरा लंड अब उसकी सारी हवा निकाल चुका था। अब बारी थी, अंदर का पानी निचोड़ने की तो जल्द ही धक्के के साथ मैने फाइनल शाट्स दिये। अंदर की तरफ रस से भर चुकी चूत मेरे लंड के वापस खींचे जाने का इंतजार कर रही थी पर उसके लिए मुझे थोड़ा और समय चाहिए था। हसीन चूत को इमैजिन करते हुए मैं जल्द ही उसके भीतर झड़ गया और जैसे ही अपना लंड बाहर खींचा एक फव्वारा, जिसमें मेरा अपना वीर्य भी मिला हुआ था मेरे चेहरे को भिगोता चला गया।
भाभी की चूत को चोदने के बाद जैसे ही मैं अपना लंड पोंछ रहा था कि अंदर में, चाची चली आईं। ये सब मेरी और उनकी सोची समझी साजिश थी जिससे कि उनकी नयी नवेली बहू को रंडी बनाया जा सके। वो इस लिए ऐसा कर रही थी कि उनके सामने बहू की पोल खुल जाए और फिर अक्सर बाहर रहने वाले बेटे की अनुपस्थिति में बहु को ब्लैकमेल करके जिससे मन उससे पेलवाया जा सके। चाची की यह चाल मैं जानता था और अक्सर उनकी चूत का परमानेंट ग्राहक तो मैं था ही। अंदर आते ही उन्होंने बड़बड़ाना शुरु किया ‘ हाय दैया, अब क्या कहूं कैसी पतुरिया बहू आई है, देखो जरा इसके चाल ढाल दो दिन नही हुए कि चुदवाना शुरु कर दिया। रंडी की तरह से। देखो कैसे बुर उघाड़ के बैठी है। साली, शरम नहीं आ रही, अरे यार करना था तो बाहर का किया होता। अपने घर के लड़कों को बिगाड़ने की जरुरत क्या थी। ऐसा बोल कर चाची ने एक लात भाभी की खुली चूत पर मारी। भाभी वहीं दोहरी हो गयी। अब बारी थी मेरी।
दिखाने के लिए चाची ने मेरा बड़ा लंड पकड़ के ऐंठ दिया। मुछ कबरे, शरम नहीं आती मां के समान भाभी के साथ मुह काला करते हुए। चल तेरी मां से बोल के तेरे को अन्दर करवाती हुं पुलिस के हवाले। तुम दोनों को अंदर करवा दूंगी’
इतना सुनते ही भाभी ने अपनी दुकान ढंकी और फिर चट सासु मां के पैरों मे गिर कर के माफी मांगने लगी। उसे परे धकेल कर चाची बाहर निकलीं और उनके पीछे मैं। जल्द से मैं चाची के पीछे उनके कमरे में घुस गया। वहां जाकर अंदर से सिटकनी बंद की और बस उन्हें दबोच लिया। मस्त मल्लू चूंचे दबाते हुए उनके पेटीकोट में हाथ लगाकर के पिघलती हुई पसीजी बुर को पकड़ लिया और बोला – बहुत अच्छी एक्टिंग की मेरी जान। तुम तो कमाल हो आंटी।
इतना सुनते ही आंटी ने कहा ‘ तुम एकदम बिगड़े हुए छोकरे हो, मुझे पता है तुम उसकी टाईट बुर के चक्कर में मुझे नहीं पूछने वाले। सब देख रही थी मैं तुम दोनों की मस्ती को छुप छुप कर खिड़की के छेद से। तुम बहुत जल्दी मुझे भूल जाओगे, अगर मैंने सब कुछ काबू में नहीं किया तो। मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती।
मैने कहा, चाची, ऐसा थोड़े ही होगा तुम तो तुम हो। ओल्ड इज आल्वेज गोल्ड। और मैने उसकी बेलखौरी पकड़ कर के दबा दी। बेलकौड़ी बोले तो भगनाशा, जिसे आप चूत की घुंडी भी समझ सकते हैं। इसे दबाते ही चाची एकदम से बेचैन होकर लंड का पानी मांगने लगती है। मैं जानता था कि जब उसका दिमाग तेज चल रहा हो तो उसे क्या करना चाहिए।
अब चाची के ब्लाउज में हाथ लगा कर उसके बड़े बड़े इंडियन देसी चूंचे मसलते हुए बोला, ‘चाची इन चूंचों का कोइ जवाब नहीं, इन्हें दाब कर देखो, जितने स्वादिष्त हैं उतने ही सेक्सी भी। मन करता है आपको ही चोदता रहूं हमेशा, सच में आप ही मेरे सपनों की रानी हो।
भाई अब गुड़ खाए और गुलगुला से परहेज तो संभव नहीं है ना। अगर भाभी को चोदना था तो चाची को खुश रखना ही पड़ता। अब उसके चूंचे मसलते हुए मैने उसको चूमना शुरु कर दिया। बुड्ढी को जवान लंड मिलते ही मस्ती छाने लगी। वो सिसकारियां मारते हुए बोलने लगी चोद दो बेटा मुझे चोद दो अभी का अभी।
मैने अपने अंडों को चूसाने के लिए चाची को जमीन पर बिठा दिया। उसके मुह के सामने लंड लाकर मूठ मारने लगा और वो मेरे अंड्कोष को चूसने लगी। मुझे उत्तेजना हो रही थी। दो तीन मिनट के बाद मैने अपना लन्ड उसके मुह में ठूस दिया और उसकी चूत पहले से ही गीली हो रही थी। यह बात मैं जानता था। अब मैने अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए जो पेलाई करी कि उसकी प्यास बुझ गयी।
मैं उसे धकेल कर कुतिया स्टाइल में लाया और पीछे जाकर ढेर सारा थूक उसकी गांड और चूत में मल दिया। अब वो एकदम अपनी गांड किसी कुत्ते की तरह हिला हिलाकर मरवाने को आतुर हो रही थी।
उसकी गांड में उंगली को ठेलते हुए मैने अपना मोटा लंड जैसे उसकी चूत के दरावजे पर रखा, वो चिल्ल्लाई, चोद दो मुझे। कमान। मैने एक जोरदार धक्का दिया और चूत के कोरों को चौड़ा करता हुआ लंड चाची के अंदर नेस्तनाबूद होता चला गया।
धकपक पकापक और जोरदार तरीके से उसको चोदते हुए मैने झुककर उसके बड़े चूंचे पकड़ लिये। वो बोल रही थी, ‘तुम सिर्फ हमारे हो, बोलो हमारे हो ना।‘
मैने कहा हां चाची मैं सिर्फ तुम्हारा ही हूं, मुझे बस कभी कभी भाभी की चूत भी दिलाते रहियो। वो बोली, मुझे चोदोगे तो उसकी चूत भी मिलेगी, चोदने को। बस आज मैने चाची को वो जन्नत दिखाई कि वो सारे गम और तनाव भूल गयी। लंड को जरा तिरक्षा करके मैने चोदना शुरु किया तो चूत की दीवालों को छीलता हुआ मेरा लौड़ा, दनादन उसको नये नये मजे देता रहा। फिर इसी तरह एंगल बना बना कर चोदता रहा।
जब चुद चुद कर के उसकी चूत से पानी आने लगा, तो मैने झटके तेज कर दिये। दनादन पेलते हुए, मैने अपना लंड खींचा कि उसके छेद से हलाहल पानी गिरने लगा। मैने अब उसके चूत के पानी के रोक कर के उसकी गांड पर मला, और उंगली कर के अपना लंड गांड के छेद पर घुसाया और दबाकर फिर अंदर ठेलने लगा। लंड एकदम से सटा सट उसकी टाईट गांड में घुसने लगा। दना दन पेलते हुए जोरों से मैने उसकी गांड का बैंड बजाना शुरु कर दिया। उसकी तो हवा निकल गयी। पांच मिनट तक चोद कर मै अन्दर ही झड़ गया। आज चाची की चटोरी चूत तृप्त थी।
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भाभी और चाची
हेलो दोस्तों, चूत के दीवानों, चुदाई के आशिक पुरानों, मैं फिर आ गया हूं आपके लिए चटखारी लंड खड़ाकारी, चूत दमन कारी कहानियां लेकर। इस बार भाभी का भयावह, चाची का चटोरी, इसका मतलब तो समझ ही गये होंगे आप।कहानी के बैकग्राउंड में मेरी चाची द्वारा दिये गये सपोर्ट को पाकर के भौजी को चोदने की सेक्सी कहानी शामिल है। तो दोस्तों मैं आजाद आप सब के लिए इस कहानी का खुलासा करने तो जा रहा हूं पर इसे आप न तो अकेले में पढना, न हीं पढ के किसी से कह देना। दोनों ही स्थितियां खतरनाक हैं क्योंकि अगर आप अकेले में पढेंगे तो आप मूठ मारेंगे, और अगर किसी से कह देंगे तो मुझे बुर का अकाल पड़ जाएगा।
और इस प्रकार से यह कहानी मेरी अपनी चचेरी भाभी की है, जो अभी अभी ससुराल आई थी और बहुत ही सेक्सी है। उसकी जवानी, बखान करने के लिए सेक्सी शब्द नहीं मिल रहे हैं पर क्या सविता भाभी, कविता भाभी, कोई भी भाभी हो उसके आगे पानी भरे, उसकी मस्त मस्त जबरदस्त चूंचियों के आगे अप्सराएं लज्जित हो जाएं और मस्त गठीली मदमस्त गांड के आगे परियां। चाल पर मोर फिदा हों और मुस्कराहट पर चांद। जब वो बोले तो बजती है जैसे कोई शहनाई, और चलते हुए जब उसकी गांड चबाने लगती है साड़ी को तो लंड फड़ककर हाथ में चला आता है। जिस दिन से वो मेरे घर आई, मेरी तो निकल पड़ी, साला कालेज छूट गया, दोस्त छूट गया, काम रह गया तो बस उसको देख कर बाथरुम में घुस जाना, कहीं से भी अगर उसके पेट का गोरा, नाभि का गहरा हिस्सा दिख गया अगर तो फिर क्यामत आ जाए बिचारे लंड के मेरे।
खैर आपको एक राज की बात बतानी है, मेरी मल्लू आंटी से मेरी पुरानी सेटिंग है। उसको मैं अक्सर लपेटता ही रहता हूं। पर इस बार मेरी नजर उसकी बहू पर थी। मेरा चचेरा भाई सुनील जल्दी ही मुम्बई नौकरी पर निकल गया और पास रह गया केवल मैं।
इस प्रकार मैने बहू के आजाने के बाद चाची को चोदने में दिक्कत का सामना किया। चाची अब बहू के सामने मुझसे उस प्रकार से पेश न आतीं जिससे की पहले आती थीं। पहले तो मेरा लंड पकड़ के ऐंठ देती और कभी भी मेरी सवारी गांठने के चक्कर में पड़ जातीं। खैर जो भी हो, इस बार मैने उनको चूत को पूछा भी नहीं। रात को मैं छ्त पर सोया हुआ था तो मेरे पास आके बोलीं ‘ क्यूं छैला, अब मेरी चूत प्यारी नहीं रही। पहले तो मैने बल भर उसका साया उठा के धौंका और बोला कि रहने दे, ये तेरी आखिरी चुदाई।
वो पागल हो गयी, बोली कि क्या बोला आखिरी चुदाई काहे आजाद। कोई मिल गया क्या तुम्हें। मैने कहा, चाची, तेरी चटोरी चूत के दिन गये, अब भाभी की चूत चाहिए, ढीला है तेरा भोसड़ा और मैं अब तुझे नहीं चोदने वाला। चाची के तो होश उड़ गये। बोली – राजाब्बाबू, प्लीज मुझे मत छोड़ना और रही बात तो तेरी लाईन लगवाने वाली हूं मेरी बहू को भी लंड की कमी खल रही है, उसका पति तो पता नहीं कब आएगा, ऐसा सोचकर मैने उसे अब तुम्हारी सेवा देने की सोची है। ऐसा सुनते ही मेरी तो बांछे खिल गयीं।
अगले दिन मैं भाभी के कमरे में घुसा, वो अकेली उदास थी। टीवी पर कुछ देख रही थी, मैं अपने साथ ब्लू फिल्म की कुछ डीवीडी ले गया था। अंदर घुसा तो भाभी को मेक्सी पहने सेक्सी अंदाज में देखा। मेरा लंड खुश हो गया। मैं भी वहीं सट के बैठ गया और पूछा – क्या चल रहा है भाभी, क्या मस्त फील्म आ रही है क्या। वो बोली नहीं यार बोरिंग है, ना रोमांस, ना एक्शन, सड़ी हुई फिल्म।
मैने कहा मैं कुछ लाया हूं आपके लिए। लगाऊं क्या डीवीडी में। तो उसने कहा हां लगाईये, पर कुछ ऐसा वैसा ना लगा दीजिएगा, वर्ना मम्मी जी सुन लेंगी तो हम दोनों को बजा देंगी। मैं समझ गया रास्ता साफ था और मुझे चोदने के लिए हरी झंडी मिल सकती थी। मम्मी जी को तो मैं देख लूंगा। ऐसा सोच कर के मैने अपनी डीवीडी प्लेयर में डाली।
यह एक साउथ इंडियन बी ग्रेड मूवी थी जिसमें जबरदस्त एक्शन था, और फिर जो आप जानते हैं। केरला की मूविज में लंड और चूत के अलावा सभी कुछ दिखा दिया जाता है। थोड़ी ही देर बाद बेड सीन था। भाभी के चेहरे को लाल होता देख मेरा मन हरषा रहा था। जैसे ही पिक्चर में गबरू मर्द ने औरत के सीने को मलना शुरु किया, भाभी के हाथ खुद ब खुद अपने मस्त बड़े चूंचे पर चले गए। मैने देखा, न चाहते हुए भी वो सेक्सी आवाजें निकाल कर अपने स्तन को मलने लगीं। मेरा तो मूड बन गया उनकी यह सेक्सी अदा देख कर के।
मैं भी थोड़ा पीछे सरक के उनके पीछे बैठ गया, जिससे कि वो मुझे देख न सकें और अपना लंड निकाल कर रगड़ने लगा। एकदम से अकड़ा हुआ लन्ड भाभी की चूत के हसीन सपने देखने में मगन था। भाभी अपने चूंचो को रगड़ने के साथ ही अपनी साड़ी उपर करके अपने गोरे गोरे टांगों में हाथ डालकर अपने चूत को भी मसलने लगीं थीं। उनकी आंखों के डोरे लाल थे, चुदने की चाहत अपार थी, और मैने लंड को एकदम से तान लिया था। अब बारी थी तो एक मौके की और मैं देख रहा था कि भाभी खुद भी मेरे पहल का इंतजार कर रहीं थीं पर हम सब बातचीत में उतने खुले नहीं थे इसलिए मैं अभी उनसे चुदने के बारे में निवेदन नहीं कर पा रहा था, पर वो भूखी शेरनी बन चुकीं थीं।
तुरत वो अपनी गीली चूत को साड़ी में छिपाए पलटीं और मेरा बड़ा मोटा और खडा लंड देख कर अवाक रह गयीं। यह क्या, इतना बड़ा। आपके भैया सुनील का लंड तो इस मुकाबले कुछ भी नहीं है दैया रे दैया, कैसे करेंगे आप इतने बड़े लंड से काम देवर जी। वो तो एकदम खुल गयी, आश्चर्य हो रहा था मुझे। और फिर देखते ही देखते मेरे लंड के हसीन चूत चोदने के सपने, सच होने जा रहे थे
भाभी तो आलरेडी लोनली लोनली फील कर रही थी भैया के न होने से पर आज उसका दबा हुआ रुप सामने आ गया। वासना की पुजारन औरतें तो मौका मिलते ही लंड लपक लेती हैं और इसके बाद जब भी उनको कोई खतरा दिखता है पलट्ने में देर नहीं लगती। अगर इस कहानी में मुझे कोई खतरा हो सकता था तो वो थी भाभी की सास मतलब कि मेरी चाची जिसको कि मैं पहले से चोदता आ रहा था और आज तो उसने खुद ही मुझे प्रमोट किया था। वो चाहती थी कि मेरे लंड का स्वाद बदले और उसके बहु का अकेलापन दूर हो। वैसे भी सुनिल मुम्ब ई चला गया था और आज कल इतने लम्बे अंतराल तक कौन सी महिला लंड की जुदाई सहन करती है। तो भाभी की जवानी देख कर मैं ने अपना लंड पहले से ही पिंजा मतलब नुकिला कर रखा था और आज चाची के प्रायोजित कार्यक्रम में घुस कर मैने भाभी को चुदने के लिए रेडी कर लिया था। अब भाभी ने ब्लू फिलम देख कर के अपनी साड़ी उठा कर चूत मसलनी शुरु कर दी थी और साथ में मैं अपने लंड को सहला सहला कर के भाले की तरह नुकीला कर ही चुका था।
तो मौका था कि हम दोनों अब खेल शुरु करते। भाभी ने नजरें घुमाईं और मेरा लंड देख कर के एकदम दंग रह गयीं। मोटा तगड़ा सांड जैसा लंड। हाये राम इतना बड़ा, जरा देखूं तो देवर जी, आप तो चूत का भोसड़ा बनाने में दो मिनट भी नहीं लेंगे। ये गया और वो फाड़ दिया। हाये दैया, और उसने अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को थाम लिया। साढे आठ इंच का लंड, एक दम मुस्तैद तलवार की तरह खड़ा और जबरदस्त चुदाई की संभाब्वना से भरपूर।
भाभी की बांछें खिल गयी और उसने मेरे लंड को चूम लिया। सुपाड़े की चमड़ी ह्टा के लंड के छेद में जिसका मुह किसी व्हेल मछली की तरह खुला हुआ था, अपनी जीभ के नोक को घुसाने का असफल प्रयतन करने लगी। हाय, उसने तो मुझे दीवाना बनाने में कोई कसर न छोड़ी थी। मैने भाभी को पकड़ के चूम लिया। फिर से उसने अपना मुह नीचे करके मेरे लंड को चूमना शुरु कर दिया। वो दीवानी की तरह उसे सहला और चूम रही थी।
मैने अपना अंडकोष निकाल के उसके सामने रख दिया। ढाई सौ ग्राम का अंडकोष एकदम चौकस संतरे की तरह लग रहा था। वो ईशारा समझ गयी और उसे पकड़ कर के चूसने लगी, ठीक वैसे ही जैसे कि आम चूस रही हो।
अब मैने उसको नंगा करना शुरु किया। उसका पेटीकोट उलट दिया और ब्लाउज खोल दिया। गोरे गोरे चूंचे मेरे हाथों में आ गये थे, और उसको मजा आ रहा था, उसने मुझे किस करते हुए मेरे लंड को मसलना शुरु किया और फिर अपने चूत के पास ले गयी।
वो जल्दी से मेरे लंड को अपने अंदर लेना चाहती थी, उसने कहा कि जल्दी करो वरना कोई आ जाएगा। देवर जी। मैने अपना लंड उसके चूत पर टिकाया और फिर एक धक्का दिया। मेरा सुपाड़ा उसके चूत के कोरों को चीरने लगा। वो हलाल होते हुए बकरे की तरह कराहने लगी। उसकी चूत में चीरा जो लग रहा था। इतना मोटा लंड लेकर के वो जाती भी कहां, घुसेड़ते हुए मैने उसको मसलना जारी रखा। धीरे धीरे आधा लन्ड घुसेंड कर मैने उसके होटों को अपने होटों में कस लिया। अब मैं पूरा अंदर घुसेड़ने वाला था पर वो चिल्लाए न, इसलिए मैने उसको होठों से चुप कर दिया। उसकी फैलती आंखें बता रहीं थीं कि उसको मेरे लंड के पूरा अंदर जाने का आभास था। और मैने दबोच कर उसको चोदने से पहले अपने दोनों हाथों से उसके दोनों हाथ दबोच लिये।
अब एक झटका और वो मछली की तरह छटपटाने लगी, गूं गूं करते हुए उसने अपने हाथ छुड़ाने की कोसिश की, लेकिन प्यार किया तो डरना क्या, रानी जब खुद चुदा रही हो तो मोटे लंड का उत्सव मनाओ ना। लंड जड़तक अंदर समा चुका था। अब वो हांफ रही थी। मैने धक्के तेज कर दिये थे, बेदर्दी से चोदते हुए। वह बुदबुदा रही थी, बदहवासी में। साले को चूत दी थी फाड़ने के लिए कि चोदने के लिए। किसी काम का ना छोड़ा मुझको, फाड़ के रख दी मेरी। बहनचोद किसी काम का आदमी नहीं है ये। अब मैं अपने पति को क्या दूंगी। फटा हुआ भोसड़ा
इस पर मैने कहा, अब तुम्हारा पति ज्यादा खुश रहेगा, तेरे साथ, जब उसे चोदने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी तो वो आराम से अपने छोटे ढीले ढाले नूने के साथ तुम्हें चोदेगा और जल्द ही झड़ के निढाल हो जाएगा
मैने उसे चोदना जारी रखा, धीरे धीरे उसने कमर रिदम में नचानी शुरु कर दी थी और अब उसको दर्द भी नहीं हो रहा था। क्रमश; चुदते हुए उसने अपनी गांड उपर नीचे करके लंड को अंदर लेने की व्यग्रता को प्रदर्शित करना जारी रखा और मैने बेदर्द झटके देने जारी रखे। लन्ड उसके छोटे छेद में फना होकर अपनी औकात पर आ गया था।
सच है लंड कैसा भी हो उसकी औकात छोटी से छोटी चूत उसे समझा ही देती है। अब बारी थी उसके स्तन पीने की। मैने चोदते हुए उसके दोनों चूंचे पकड़े और बारी बारी से उनका पान करना शुरु कर दिया। धकाधक और पकापक की आवाजों के साथ चूत के अंदर बोरिंग करता मेरा लंड अब उसकी सारी हवा निकाल चुका था। अब बारी थी, अंदर का पानी निचोड़ने की तो जल्द ही धक्के के साथ मैने फाइनल शाट्स दिये। अंदर की तरफ रस से भर चुकी चूत मेरे लंड के वापस खींचे जाने का इंतजार कर रही थी पर उसके लिए मुझे थोड़ा और समय चाहिए था। हसीन चूत को इमैजिन करते हुए मैं जल्द ही उसके भीतर झड़ गया और जैसे ही अपना लंड बाहर खींचा एक फव्वारा, जिसमें मेरा अपना वीर्य भी मिला हुआ था मेरे चेहरे को भिगोता चला गया।
भाभी की चूत को चोदने के बाद जैसे ही मैं अपना लंड पोंछ रहा था कि अंदर में, चाची चली आईं। ये सब मेरी और उनकी सोची समझी साजिश थी जिससे कि उनकी नयी नवेली बहू को रंडी बनाया जा सके। वो इस लिए ऐसा कर रही थी कि उनके सामने बहू की पोल खुल जाए और फिर अक्सर बाहर रहने वाले बेटे की अनुपस्थिति में बहु को ब्लैकमेल करके जिससे मन उससे पेलवाया जा सके। चाची की यह चाल मैं जानता था और अक्सर उनकी चूत का परमानेंट ग्राहक तो मैं था ही। अंदर आते ही उन्होंने बड़बड़ाना शुरु किया ‘ हाय दैया, अब क्या कहूं कैसी पतुरिया बहू आई है, देखो जरा इसके चाल ढाल दो दिन नही हुए कि चुदवाना शुरु कर दिया। रंडी की तरह से। देखो कैसे बुर उघाड़ के बैठी है। साली, शरम नहीं आ रही, अरे यार करना था तो बाहर का किया होता। अपने घर के लड़कों को बिगाड़ने की जरुरत क्या थी। ऐसा बोल कर चाची ने एक लात भाभी की खुली चूत पर मारी। भाभी वहीं दोहरी हो गयी। अब बारी थी मेरी।
दिखाने के लिए चाची ने मेरा बड़ा लंड पकड़ के ऐंठ दिया। मुछ कबरे, शरम नहीं आती मां के समान भाभी के साथ मुह काला करते हुए। चल तेरी मां से बोल के तेरे को अन्दर करवाती हुं पुलिस के हवाले। तुम दोनों को अंदर करवा दूंगी’
इतना सुनते ही भाभी ने अपनी दुकान ढंकी और फिर चट सासु मां के पैरों मे गिर कर के माफी मांगने लगी। उसे परे धकेल कर चाची बाहर निकलीं और उनके पीछे मैं। जल्द से मैं चाची के पीछे उनके कमरे में घुस गया। वहां जाकर अंदर से सिटकनी बंद की और बस उन्हें दबोच लिया। मस्त मल्लू चूंचे दबाते हुए उनके पेटीकोट में हाथ लगाकर के पिघलती हुई पसीजी बुर को पकड़ लिया और बोला – बहुत अच्छी एक्टिंग की मेरी जान। तुम तो कमाल हो आंटी।
इतना सुनते ही आंटी ने कहा ‘ तुम एकदम बिगड़े हुए छोकरे हो, मुझे पता है तुम उसकी टाईट बुर के चक्कर में मुझे नहीं पूछने वाले। सब देख रही थी मैं तुम दोनों की मस्ती को छुप छुप कर खिड़की के छेद से। तुम बहुत जल्दी मुझे भूल जाओगे, अगर मैंने सब कुछ काबू में नहीं किया तो। मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती।
मैने कहा, चाची, ऐसा थोड़े ही होगा तुम तो तुम हो। ओल्ड इज आल्वेज गोल्ड। और मैने उसकी बेलखौरी पकड़ कर के दबा दी। बेलकौड़ी बोले तो भगनाशा, जिसे आप चूत की घुंडी भी समझ सकते हैं। इसे दबाते ही चाची एकदम से बेचैन होकर लंड का पानी मांगने लगती है। मैं जानता था कि जब उसका दिमाग तेज चल रहा हो तो उसे क्या करना चाहिए।
अब चाची के ब्लाउज में हाथ लगा कर उसके बड़े बड़े इंडियन देसी चूंचे मसलते हुए बोला, ‘चाची इन चूंचों का कोइ जवाब नहीं, इन्हें दाब कर देखो, जितने स्वादिष्त हैं उतने ही सेक्सी भी। मन करता है आपको ही चोदता रहूं हमेशा, सच में आप ही मेरे सपनों की रानी हो।
भाई अब गुड़ खाए और गुलगुला से परहेज तो संभव नहीं है ना। अगर भाभी को चोदना था तो चाची को खुश रखना ही पड़ता। अब उसके चूंचे मसलते हुए मैने उसको चूमना शुरु कर दिया। बुड्ढी को जवान लंड मिलते ही मस्ती छाने लगी। वो सिसकारियां मारते हुए बोलने लगी चोद दो बेटा मुझे चोद दो अभी का अभी।
अब मेरा लंड भी दुबारा टाइट होने लगा था। भाभी को चोदने के बाद ढीला पड़ा लंड अब दुबारा चाची की ओल्ड इज गोल्ड जवानी पर फिदा होने लगा था। मैने अपना पैंट नीचे सरका दिया। चाची का ब्लाउज खोल कर के जमीन पर फेंका और साड़ी खींच दी। अब उसका उपर का हिस्सा पूरा नंगा था। नीचे पेटीकोट पहन कर के वो खड़ी थी और मुझे ललचा रही थी।
मैने अपने अंडों को चूसाने के लिए चाची को जमीन पर बिठा दिया। उसके मुह के सामने लंड लाकर मूठ मारने लगा और वो मेरे अंड्कोष को चूसने लगी। मुझे उत्तेजना हो रही थी। दो तीन मिनट के बाद मैने अपना लन्ड उसके मुह में ठूस दिया और उसकी चूत पहले से ही गीली हो रही थी। यह बात मैं जानता था। अब मैने अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए जो पेलाई करी कि उसकी प्यास बुझ गयी।
मैं उसे धकेल कर कुतिया स्टाइल में लाया और पीछे जाकर ढेर सारा थूक उसकी गांड और चूत में मल दिया। अब वो एकदम अपनी गांड किसी कुत्ते की तरह हिला हिलाकर मरवाने को आतुर हो रही थी।
उसकी गांड में उंगली को ठेलते हुए मैने अपना मोटा लंड जैसे उसकी चूत के दरावजे पर रखा, वो चिल्ल्लाई, चोद दो मुझे। कमान। मैने एक जोरदार धक्का दिया और चूत के कोरों को चौड़ा करता हुआ लंड चाची के अंदर नेस्तनाबूद होता चला गया।
धकपक पकापक और जोरदार तरीके से उसको चोदते हुए मैने झुककर उसके बड़े चूंचे पकड़ लिये। वो बोल रही थी, ‘तुम सिर्फ हमारे हो, बोलो हमारे हो ना।‘
मैने कहा हां चाची मैं सिर्फ तुम्हारा ही हूं, मुझे बस कभी कभी भाभी की चूत भी दिलाते रहियो। वो बोली, मुझे चोदोगे तो उसकी चूत भी मिलेगी, चोदने को। बस आज मैने चाची को वो जन्नत दिखाई कि वो सारे गम और तनाव भूल गयी। लंड को जरा तिरक्षा करके मैने चोदना शुरु किया तो चूत की दीवालों को छीलता हुआ मेरा लौड़ा, दनादन उसको नये नये मजे देता रहा। फिर इसी तरह एंगल बना बना कर चोदता रहा।
जब चुद चुद कर के उसकी चूत से पानी आने लगा, तो मैने झटके तेज कर दिये। दनादन पेलते हुए, मैने अपना लंड खींचा कि उसके छेद से हलाहल पानी गिरने लगा। मैने अब उसके चूत के पानी के रोक कर के उसकी गांड पर मला, और उंगली कर के अपना लंड गांड के छेद पर घुसाया और दबाकर फिर अंदर ठेलने लगा। लंड एकदम से सटा सट उसकी टाईट गांड में घुसने लगा। दना दन पेलते हुए जोरों से मैने उसकी गांड का बैंड बजाना शुरु कर दिया। उसकी तो हवा निकल गयी। पांच मिनट तक चोद कर मै अन्दर ही झड़ गया। आज चाची की चटोरी चूत तृप्त थी।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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