Sunday, July 27, 2014

FUN-MAZA-MASTI सीता --एक गाँव की लड़की--20

FUN-MAZA-MASTI

 सीता --एक गाँव की लड़की--20
घर से बाहर आज पहली बार किसी अन्जाने का लंड चूसने से मेरे शरीर में एक अलग ही उमंग थी...खुद पर एक वेश्या जैसी सलूक से मैं इस नई मोहजाल में लगभग फंस चुकी थी...काफी आनंदचित्त मुद्रा में बाहर निकल सोचने लगी कि अब घर कैसे जाऊँ...

अगर सच की वेश्या रहती तो इस लंड चुसाई के भी पैसे ले लेती..पर अगर चुप नहीं रहती तो शायद वो बिना चोदे छोड़ता भी नहीं..अच्छी भी लगी थी हमें उसकी भद्दी गाली सुनते...एक अलग ही नशा चढ़ जाती सेक्स की...

वो सब तो ठीक है पर अब घर कैसे जाऊं..क्या करूं...चलो वापस उस मोटे से ही मांगती हूँ..दो- चार और गाली ही देगा ना..सुन लूँगी..नहीं दिया तो लंड चुसाई के एवज में ही मांग लूँगी...तब तो देगा ना...

भला किसी की कमाई कैसे मार सकता है...मैं यही सोच जैसे ही पीछे मुड़ी कि विमला गेट से बाहर निकल मेरे निकट आ धमकी....

मैं कुछ कहती इससे पहले ही उसने मेरे हाथों में एक पाँच सौ नोट थमाते हुए बोली,"नई लगती है इस धंधे में वरना इस तरह पैसे के लिए बाहर रूक कर इंतजार नहीं करती.."

मैं उसकी बात सुनते ही मंद मुस्कान अपने होंठों पर बिखेर हां में सिर हिला दी...मुझे मुस्काते देख उसने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों में लेती हुई धीमे स्वर में बोली...

"देख, तू इधर आ जाया कर रोज...मैं तेरे वास्ते ग्राहक फिट कर के रखूंगी...मैंने और भी कई लड़कियो को यहां से काम दिलवाती हूं..तुझे भी दिलवा दूँगी...समझी ना...कल से आ जाना.."विमला एकसुर में ही बोले जा रही थी..

"और हां कल सुबह ही आना यहीं..फिर तुम्हें सब चीज समझा दूंगी...ठीक है ना...ऐसे सड़क पर ग्राहक नहीं मिलने वाली...सीधी घर चली जा.."विमला मुझे अपनी टिप्स देती हुई विदा कर दी...

मैं मन ही मन हँसती हां में सिर हिलाई...तभी सामने आती ऑटो को रोकती मैं उसमेम बैठ गई...कोई आधे घंटे बाद मैं अपनी गली के मेन रोड पर खड़ी थी...

मैं अभी कुछ ही दूर बढ़ी थी कि पीछे से एक ऑटो आ रूकी...मैं नजर घुमाई तो ऑटोवाले को देखते ही मैं मुस्कुराते हुए ऑटो में घुस गई...

आज ये कुछ अलग जैसी ऑटो चला रहा था...एकदम धीमी धीमी...मानो किसी की मैय्यत में जा रहा हो...फिर मैं सोचने लगी कि ऐसा क्यों?

अचानक से मेरी नजर मिरर पर गई जिसमें अधढ़ँकी चुची बाहर निकलने को आतुर हो रही थी..दो बटन तो थे ही नहीं, तीसरी भी आधी टूट गई थी...अगर ठीक से सीधी होती तो वो भी टूट जाती...

वो मिरर में ही आँखें गड़ाए हुए था तो ऑटो खाक चलाता..मैं पल्लू से पूरी ढ़ँकने की सोची पर इरादे बदल दिए..फिर आगे की तरफ हल्की झुकती उससे बोली,"ऐ..कुछ देर आगे भी देख लो...कहीं ऐसा ना हो कि पीछे देखने के कारण आगे किसी से भिड़ जाओ..."

मेरी बात सुनते ही वो सकपका सा गया..फिर गौर किया तो पाया मैं उसकी इस हरकत से नाराज तनिक नहीं हूँ..वो अपने चेहरे पर हँसी लाते हुए पीछे मेरी तरफ पलटा...

"मेम साब,, आप इस वक्त इतनी कातिल लग रही हो कि मैं अपना ड्राइवरी करना भूल गया...कसम से किसी फिल्मी हिरोइन से कम नहीं लग रही हो." वो अपने दां दिखाते हुए तारीफ करने लगा...

मैं उसकी बात सुन हँसती हुई बोली,"अच्छा -2 ठीक है...फिलहाल तो हमें जल्दी से घर पहुँचा दो वरना ये बंद कर ली तो देखने से रहे.."

"नहीं नहीं मेमसाब...मैं अभी पहुँचाए दिए देता हूँ...पता नहीं फिर कभी दर्शन नसीब में है भी या नहीं." वो आगे मुड़ते ऑटो थोड़ी तेजी से चलाते हुए बोला..मैं अपनी बाहर आती चुची को थोड़ी और साड़ी से बाहर लाती हुई बोली..

"जैसे आज हो गए वैसे ही फिर कभी हो जाएंगे. बस थोड़े सब्र की जरूरत है .....वैसे तुम्हारा नाम नहीं पता मुझे...क्या नाम है?"

"केतन नाम है मेमसाब..मेमसाब आप से एक रिक्वेस्ट करूँ..प्लीज मना मत करना...मैं आपका कितना बड़ा दिवाना हूँ आपको यकीन नहीं होगा.."अपना नाम बताने के साथ गुजारिश भी करने लगा पर पता नहीं किसलिए...

मैं हाँ कहती हुई हँसते हुए पूछी कि कैसी रिक्वेस्ट है?अचानक से उसने ऑटो रोक दिया और पीछे पलटते हुए बोला,"मेम साब..मुझे गलत मत समझना...पर क्या करूं...बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हूँ.."

मैं सोच में पड़ गई कि आखिर बात क्या है जो इसने ऑटो रोक दिया..और जहाँ पर रूकी थी वहाँ एक बड़ी गोदाम थी, जबकि दूसरी तरफ एक बड़ी सी बिल्डिंग बन रही थी..मतलब एक छोटी सी विरान जगह थी...

मैंने फिर से पूछी,"अब बोलोगे भी या बस ऐसे ही घुमाते रहोगे..?" डर तो अब होने वाली थी नहीं जो डरती...और खास कर उससे जिसे मैं खुद देखने की आजादी दे रही हूँ..

"मेमसाब, बस एक बार ये निप्पल दिखा दो..प्लीज मना मत करना..मैं सिर्फ देखूंगा.."उसने अपनी आँखें मेरी चुची की ओर करते हुए तेजी से बोल पड़ा..

मैं तो जानती थी कि कुछ इस तरह की ही बात होगी पर इस तरह यहां सड़को पर ऐसी रिक्वेस्ट की उम्मीद नहीं थी..मैं मना तो नहीं की कि नहीं दिखाऊंगी...वैसे भी कुछ देर पहले बस में मसलवा आई थी...

"पागल हो...यहां बीच सड़क पर वो भी इस खुली ऑटो में.." मैं राजी तो थी दिखाने की पर यहां मेरी गली की खुली सड़को पर...वो भी दिन में...साफ मना कर दी..

"प्लीज मेमसाब, अभी कुछ देर तक कोई नहीं यहां तक आने वाला है..जल्दी से दिखा दो..ताकि हमें कुछ शांति मिल जाएगी.."केतन गिड़गिड़ाते हुए सड़कों पक दिखाने लगा कि देखो, इस वक्त कोई नहीं आ रहा है...

मैं उसकी बेसब्री देख हंस पड़ी..फिर सड़को पर देखने लगी कि अगर सच में कोई नहीं है तो दिखा दूँगी...वरना बेचारा रात में सो भी नहीं पाएगा..सच में दूर तक कोई नहीं था...

मैं वापस उसकी तरफ सीधी हुई और बोली,"ओके पर सिर्फ एक का...और जल्दी से देखना होगा...अगर नहीं देख पाए तो दुबारा मत कहना क्योंकि मैं दुबारा नहीं दिखाऊंगी.."

मेरी बात सुनते ही वो चहकते हुए सीधे मेरी चुची पर नजर गड़ा दिया और हाँ-2 कह दिया कि मुझे मंजूर है एक का देखना और वो भी एक बार...इस दृश्य के एक पल भी खो ना दे कहीं..इस डर से उसने पलक भी झपकना बंद कर दिया और बगुले की तरह ध्यान लगा दिया....

मैं मुस्काती हुई साड़ी को ऑटो की सीट पर बगल में उतार कर रख दी..केतन की साँसें तो मेरी साड़ी के उतरने के साथ-2 उतरने लगी थी..उसकी आँखों के आगे डेढ़ बटन की ब्लॉउज में बड़ी सी चुची उभर आई...

मैंने उसे बोनस देने के इरादे से चुची को बाहर ना निकाल ब्लॉउज के बचे दो बटन ही खोलनी शुरू कर दी..अब तो उसकी साँसें थम सी गई और उसके मुँह खुल गए...

जैसे ही मेरी दोनों बटन खुली, उसके खुले मुँह से लार टपक कर नीचे गिर गई...मेरी तो हँसी निकल पड़ी...पर वो तो दूसरी दुनिया की सैर कर रहा था...एक बार मैंने फिर से तसल्ली के लिए सड़को पर नजर डाली तो दूर दो छोटे-2 बच्चे आते हुए दिखे...

ज्यादा टेंशन वाली बात नहीं थी..मैं उसकी तरफ देखते हुए ब्लॉउज के दोनों तरफ पकड़ अपनी बांहे फैला दी...इसके साथ दी मेरी लाल हुई चुची पर गहरी भूरी रंग की निप्पल केतन के आँखों के सामने छलक गई....

वो साँस रोक बड़ी बड़ी आँखें किए इस पल का आनंद लेने लगा..तभी मैंने ब्लॉउज को वापस बंद कर लिया..उसका चेहरा लटक सा गया किसी मुरझे हुए लंड की तरह...

पर वो कर भी क्या सकता था..वो मुँह बिचकाते हुए मेरी तरफ देखा...पर कुछ बोला नहीं...मैं जल्दी से बटन लगाई और साड़ी ठीक कर ली...

वापस उस आते हुए बच्चे की तरफ नजर दौड़ाई तो वो कहीं नजर नहीं आया..शायद उधर ही उसका घर होगा..

"मेमसाब, एक बार ऊपर से छूने दो ना...देखा दिखते वक्त सिर्फ देखा ही.."केतन अपनी दूसरी मांग करते हुए अपनी इमानदारी का सबूत याद दिलाने लगा...

"बिल्कुल नहीं...अगली बार अगर मौका मिला तो छू लेना...पर इस तरह सड़क पर नहीं"मैं मुस्कुराती हुई साफ मना करती हुई न्यौता भी दे डाली..

वो इतने में ही खुश होता हुआ सीधा हुआ और ऑटो स्टॉर्ट कर दिया..मैं भी मुस्काती हुई एक नजर मिरर पर डाली तो इस बार मैं कुछ तिरछी लग रही थी...

मैंने खुद को सीधी करती हुई अपनी चुची को मिरर के ठीक सामने कर दी...जिसे देख केतन पीछे मुड़ कर मुस्कुरा दिया जिससे मैं भी मुस्कुरा दी...

"मेमसाब, आज हमारी गली में एक बारात आने वाली है..अगर आपको शादी देखना पसंद है तो शाम 8 बजे तक आ जाना...और शायद मौका भी मिल जाएगा छूने का.."केतन बात को कहते हुए हँस पड़ा..

"नहीं..मुझे कोई निमंत्रण भी नहीं है और किसी को जानती तक नहीं हूं तो कैसे आ सकती.." मैं अंदर से जाना चाहती थी इस मौके के लिए पर पहले जो समस्या थी उसे सामने रख दी...

"अरे मेमसाब..जिनकी बेटी की शादी हो रही है वो कोई बड़ी हस्ती नहीं है..वैसा तो बड़े हस्तियों में ही होता है कि बिना कॉर्ड दिखाए
आप शादी में नहीं जा सकती...इसे बस एक गाँव की शादी समझ आ जाना..आगे मैं हूँ ना, आपकी सेवा के लिए.."केतन एक ही सुर में समस्या का निदान कर डाला...

तब तक मैं अपने घर तक पहुँच गई..मैं ऑटो से उतरती हुई हँसती हुई बोली,"ओके ओके...सब तो ठीक है पर मैं नहीं आने वाली क्योंकि मेरे साहब कभी अनुमति नहीं देंगे.." और मैं उसके जाने का इंतजार करने लगी खड़ी होकर..

वो बोला कुछ नहीं पर मंद मंद मुस्काता हुआ अपनी जीभ से गाल को ऊंची करते हुए देख रहा था..पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा था..फिर वो अपनी बांईं आंख दबाते हुए हँसता हुआ आगे बढ़ गया...

मैं भी हँसती हुई अपने रूम की तरफ चल दी और सीढ़ी चढ़ने लगी...पता नहीं आज पूजा कितनी गुस्सा करेगी मुझपर...एक तो बता कर नहीं गई थी...ऊपर से फोन भी नहीं ले गई थी...

गेट अंदर से लॉक थी..पूजा द्वारा पड़ने वाली गाली को ख्याल करते हुए बेल बजाई...दो-तीन बार बजाने के बावजूद भी पूजा नहीं आई...

काफी गुस्से में है शायद...तभी खटाक की आवाज से गेट खुली..सामने पूजा थी..उसकी हालत देख मैं सोचने पर मजबूर हो गई...मेरी हालत तो बस और पब्लिक बाथरूम में ऐसी हुई पर इसकी हालत घर में ही किसी रंडी से भी बदतर लग रही थी..

बदन पर सिर्फ तौलिया लपेटी थी..बाल अस्त व्यस्त..चेहरे पर दातं के कई निशान..मुख पर असीम सुख..उसके हालात बता रही थी कि इसकी दमदार चुदाई हुई है अभी-अभी...वो मुझे देखते ही मुस्कुराती हुई अंदर आने की जगह दे दी...

मेरी हैरान नजर उससे पूछ रही थी कि अंदर कौन है जिसने तेरी ये हालत की है..बंटी की चुदाई तो देखी थी उस दिन पर तुम्हारी ऐसी हालत नहीं हुई थी...

पर वो बिना कुछ बोले मेरे बेडरूम की तरफ इशारा कर दी...शाली अपने यार से चुदवाती है वो भी मेरे बेडरूम में...रूक पहले देखती हूँ कहाँ का साँड़ है जिसने तबीयत से तेरी खबर ली है, फिर तुझे बताती हूँ...

मैं तेजी से अपने बेडरूम की तरफ बढ़ गई..


मैं टिमटिमाती हुई जैसे ही बेडरूम में घुसी, मेरे चेहरे की सारी रंगत ही उड़ गई...मुझे तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रही थी..

सामने बेड पर भैया सिर्फ तौलिया लपेटे बैठे सिगरेट के कश लगा रहे थे..(वैधानिक चेतावनी: धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है..) मुझे देखते ही बेड से उतर गए...

और मुस्कुराते हुए मेरे पास आए..फिर एक लंबी कश लेते हुए मेरी आँखों में देखते हुए सारा धुआँ मेरे चेहरे पर छोड़ दिए..मैं धुएँ को बर्दाश्त नहीं कर पाई और मुँह दूसरी तरफ कर खाँसने लगी...

भैया : "क्या हुआ डार्लिंग, ऐसे क्या घूर रही हो..."

भैया के इस तरह के बर्ताव को बिल्कुल भी अंदर नहीं कर पा रही थी..कितने सलीके से पेश आने भैया को पता नहीं क्या हो गया...और आते ही पूजा के साथ....

मैं एकटक उन्हें निहारे ही जा रही थी...आखिर ये सब कैसे?भैया मेरी हालत को पढ़ते हुए कुछ बोलने से पहले अपनी सिगरेट बुझाई और बाहर कचरे के डिब्बे में फेंकने रूम से निकल गए...

मैं बुत बनी वहीं पर खड़ी थी..तभी पूजा अंदर आई मेरे पास आते हुए बोली,"अब समझी कि मेरी ऐसी हालत करने वाला कौन था..भाभी प्लीज बुरा मत मानना..कॉलेज से आई तो आप नहीं थी तो सोची कहीं गई होगी...सो मैं सारे कपड़े खोल कर नंगी आपका इंतजार कर रही थी कि आप जैसे ही आओगे एक राउण्ड कर लूँगी.."

तब तक भैया अंदर आ गए थे..आते ही वो पूजा के बगल में खड़े हो पूजा की बात सुनते हुए मुस्कुरा रहे थे...

"कुछ ही देर बाद आपके भैया बेल बजाई तो मैं समझी आप ही हो तो नंगी ही गेट खोली और बिना कुछ देखे लिपट गई..मुझे 1000 वोल्ट के झटके पड़े पर तब तक देर हो चुकी थी और ये मुझे स्मूच करते हुए आहहह सीता करने लगे...ये भी नहीं देखे कि मैं सीता नहीं, पूजा हूँ..जब किस रूकी तो इनका चेहरा देखने लायक था..गलती तो कर दिए थे आपका नाम लेकर..फिर क्या..आपकी सारी कहानी इन्हें शेयर करनी पड़ी और मुझसे भी आपकी पूरी कहानी उगलवा लिए...बस आज की मस्ती बची है आपकी कहनी..वो आप कह दो कि कहां से ब्लॉउज फड़वा के आ गई.."

मैं तो हैरान,परेशान दोनों को बारी-2 घूरे ही जा रही थी..ऊपर से पूजा के कमेंट..गाली से भी कहीं ज्यादा चुभ गई..तभी भैया मुझे अपने सीने से चिपकाते हुए बोले..

भैया : "देखो सीता,, जो हुआ अच्छा ही हुआ..प्लीज, गुस्सा मत करना... ये सब अचानक हो गया..और रही बात तुम्हारी मस्ती की तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है इन सब से..पर हाँ आगे से ऐसे बाहर किसी से भी कपड़े मत फड़वाना वर्ना जीना मुश्किल हो जाएगा..किसी सुरक्षित जगह और जिम्मेदार मर्द के साथ जो मन हो करना...समझी.."

भैया की बातें सुनते ही मेरी आँखें छलक पड़ी..सॉरी कहते हुए मैं रोने लगी...जिसे देख भैया हंसते हुए मुझे और कस के भींच लिए..पूजा भी हँसते हुए नम आँखों से मेरी बगल से चिपक गई...

कुछ देर बाद जब मेरी रोनी बंद हुई तो भैया मेरे होंठ पर किस करते हुए बोले,"अब जाओ...पहले फ्रेश हो के आ जाओ, फिर बात करते हैं और वो भी..."

भैया की वो भी सुनते ही मेरी मुस्कान शर्म के साथ बाहर आ गई..और मैं भैया से अलग हो बाथरूम में घुस गई...पीछे पूजा भैया से चिपकते हुए बोली,"भाभी, तब तक मैं एक राउण्ड कर लेती हूँ इनसे...पता नहीं बाद में इन्हें आप छोड़ोगे भी नहीं..."

"हाँ कर ले...वो तो आधी रात के बाद मालूम पड़ेगी कि कितना मजा आता है..."मैं कहते हुए बाथरूम में घुस गई..पीछे पूजा चौंकती हुई "आधी रात के बाद" को समझने की कोशिश करने लगी...

बाथरूम में मैं सभी कपड़े खोल नहाने लगी मल मल के...आज भैया के लिए साफ कर रबी थी रगड़ रगड़ के...कुछ ही पल में मुझे पूजा और भैया की सेक्सी आवाजें सुनाई पड़ने लगी...

मैं मुस्कुराते हुए खुद से बोली,"चुदवा ले रंडी..जब आधी रात को चूत में दर्द शुरू होगी ना देहाती लंड की, तब मालूम पड़ेगा..फिर आगे से चुदने के ख्याल से तू डर नहीं जाएगी तो मेरा नाम बदल देना..."

फिर मैं स्नान कर बाहर निकली और बेडरूम में आ गई...पूजा चुदाई का काम पूरा कर बेड पर नंगी ही पड़ी हुई थी..मैं पूजा को देख मुस्कुराते हुए भैया की तरफ मुड़ी तो भैया मेरी तरफ ही देख मुस्कुरा रहे थे...

फिर मैं अपने कपड़े एक-2 कर पहनने लगी..और इस दौरान हल्की फुल्की घर की बातें भैया से पूछे जा रही थी..कपड़े पहनने के बाद मैं पूजा को उठाती हुई बोली,"कॉफी लाती हूँ पूजा, तब तक कपड़े पहन के फ्रेश हो लो..फिर थोड़ी देर छत पर चलेंगे.."

कहते हुए मैं किचन की तरफ चल दी..पूजा कुनमुनाती हुई उठ के बैठ गई..कॉफी लेकर अंदर आई तो पूजा फ्रेश हो बैठी भैया से बातें कर रही थी..मैं मुस्काते हुए कॉफी बढ़ा दी दोनों को...

और खुद भी वहीं बैठ कॉफी पीने लगी..फिर हम तीनों बाहर निकल छत की तरफ बढ़ गए...




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