Tuesday, July 29, 2014

FUN-MAZA-MASTI गुप्ता अंकल

FUN-MAZA-MASTI

 
 गुप्ता अंकल
 12वी कक्षा की बात हैं जब मुझे स्कुल में बहुत बोर लगता था. हम लोग अक्सर
क्लास बंक कर के फिल्म्स देखने चले जाते थे. तब मर्डर फिल्म आई थी और मैं अपने
दो दोस्त हारून और जिम्मी के साथ इमरान हाश्मी को किस करते देखने चला गया.
किसी ने यह फिल्म हॉट हैं ऐसा बताया था इसलिए हम तीनो सुबह के फर्स्ट शो में
ही घुस गए. मल्टीप्लेक्स बहुत बड़ा था और हम लोग मूवी शरु होने से पहले पुल
टेबल की गेम खेलने लगे. मैं टेबल पर झुक कर बोल को मारने ही वाला था की मैं
अपनी माँ को देखा. लाल रंग की साडी में वो सामने सोफे पर बैठी हुई थी. वो कोने
पे बैठी थी फिर भी मैं उसे पहचान गया. उसने मुझे नहीं देखा था लेकिन मैं उसे
देख सकता था. मैं हैरान हो गया की माँ को इतने सुबह वाले शो में आने की क्या
जरुरत
हैं. वो तो सुबह मेरे साथ निकली थी अपने ऑफिस जाने के लिए! फिर मैंने सोचा की
शायद डेड के साथ फिल्म का प्लान बन गया होंगा. मैं छिप रहा था कोने में ताकि
वो मुझे देख ना ले. लेकिन कुछ देर तक माँ वही बैठी रही और डेड का कोई पता नही
था.
तभी मैं पॉपकोर्न के काउंटर पर गुप्ता अंकल को देखा. गुप्ता अंकल मेरे डेड के
कलिग हैं और अक्सर हमारे घर आते रहते हैं. कभी कभी तो वो तब घर आते हैं जब डेड
ऑफिस में ही होते हैं. तो क्या माँ गुप्ता अंकल के साथ फिल्म देखने आई थी?
मेरा दिमाग चकराने लगा. हो सकता हैं डेड, मोम और गुप्ता अंकल साथ आयें हो. 5
मिनिट में ही हॉल का दरवाजा खुला और सब लोग अंदर घुसे. मैंने अपने मुहं के ऊपर
रुमाल बाँध लिया ताकि मैं पहचाना ना जा सकूँ. फिर मैं मोम और गुप्ता अंकल के
अंदर जाने का वेट करने लगा. उनके जाने के बाद मैंने अपने दोस्तों को कहा की
मेरे रिश्तेदार हैं यहाँ इसलिए मेरी बेग वो ले ले साथ मैं और मैं अलग बैठूँगा.
मेरे दोस्त मेरी मोम को नहीं पहचानते थे. उन्होंने मेरी बेग ले ली. मैं धीरे
से हॉल में घुसा और देखा की पीछे से तीसरी लाइन में दोनों बैठे थे. डेड अभी तक
नहीं आये थे और अब मुझे धीरे धीरे माँ के ऊपर शक होने लगा था. मेरे दोस्त कहीं
और बैठे थे और मैं चुपके से माँ से दो लाइन छोड़ के उनके पीछे बैठ गया. सुबह के
शो की वजह से पीछे की काफी लाइन खाली थी. माँ गुप्ता अंकल के पास ही बैठी थी.
कुछ भद्दे एड्स और गानों के बाद मूवी चालू हुआ. मेरी नजर मूवी पर नहीं बल्कि
माँ और अंकल पर ही थी. मैंने देखा की गुप्ता अंकल कभी माँ की जांघ सहलाते थे
तो कभी वो उसके बूब्स दबाते थे. मैं समझ गया की माँ का सेटिंग हैं अंकल से और
वो मजे ले रहे हैं.
हद तो तब हुई जब अंकल ने माँ को बिच में अपनी गोदी में झुकाया, अँधेरे की वजह
से देख नहीं पाया लेकिन शायद गुप्ता अंकल के लंड के ऊपर माँ बिच बिच में किस
कर रही थी. ब्लोजोब नहीं सिर्फ किसिंग….! मेरा खून खोलने लगा था लेकिन मैं कुछ
नहीं कर सकता था. मैंने सोचा की माँ अगर ऑफिस नहीं गयी हैं फिर वो अंकल को
लेकर घर ही जायेंगी. वैसे भी घर में दोपहर में लोक होता हैं जब तक मैं स्कुल
से ना आऊँ. मोम डेड दोनों अक्सर ऑफिस में ही होते हैं शाम तक. लेकिन मोम अभी
गुलछर्रे उड़ा रही थी गुप्ता अंकल के साथ. जब मल्लिका शेरावत और इमरान हाश्मी
की किस का सिन आया तब वो दोनों एक दुसरे को किस करते थे. अब मेरे से देखा नहीं
गया और मैंने अपने दोस्तों से बेग ली और कहा की मैं घर जा रहा हूँ.
पुरे रस्ते में मैं उन दोनों के बारे में ही सोच रहा था. मुझे लगा की अगर वो
मूवी के बाद घर आये तो माँ की चुदाई जरुर होंगी. यही सोच के मैंने फुल के गमले
के निचे से चाबी नहीं निकाली. मैं दिवार फांग के अंदर गया और किचन में होता
विंडो से अंदर सरक गया. माँ के बेडरूम के सामने वाले स्टोर रूम में छिप के बैठ
गया और राह देखने लगा की कब गुप्ता के स्कूटर की आवाज आती हैं. 20 मिनिट जितना
समय हुआ और स्कूटर की आवाज आ गई. पिक्चर खत्म होने में समय था लेकिन शायद वो
जल्दी ही आ गये थे. मैंनेस्टोर रूम के की होल पर आँख लगाईं और देखा की मोम
दरवाजा खोल के अंदर आई. माँ के पीछे ही हरामी गुप्ता अंकल भी घर में घुसा. माँ
ने पहले मेरे कमरे में झाँक के देखा और फिर वो अपने बेदरूम को खोलने लगी.
गुप्ता ने तब उसे पीछे से पकड के अपना लंड उसकी गांड पर ही लगा दिया. माँ
हंसने लगी और बोली, रुक तो जाओ थोडा अंदर तो हो लो पहले.
गुप्ता वहसी आवाज में बोला, अंदर ही तो होने की जल्दी हैं मेरी बुलबुल.
और फिर दोनों अंदर कमरे में गए. माँ ने दरवाजा बंध किया और मुझे कड़ी लगाने की
आवाज भी आई. मैं फट से स्टोर रूम से बहार निकला और दबते पाँव से माँ के बेडरूम
के की होल से अंदर झाँकने लगा. अंदर का द्रश्य बड़ा ही मादक था. माँ बिस्तर पर
लेटी हुई थी और उसके पेट के ऊपर गुप्ता अंकल किस कर रहे थे. माँ का पेट मल्लिक
शेरावत की तरह ही ऊपर निचे हो रहा था और साथ में गुप्ता अंकल अपनी पतलून खोल
रहे थे. उसने अपनी पतलून और अंडरवेर को खोला और अपना 8 इंच का लंड हवा में
हिलाने लगे. वो अब माँ की नाभि को चाट रहा था अपनी जबान से. माँ पलंग की चद्दर
को मरोड़ रही थी क्यूंकि उस से यह उत्तेजना सहन नहीं हो रही थी. गुप्ता अंकल ने
अब अपने शर्ट के बटन भी खोल दिए और वो पुरे नंगे हो गए. फिर उन्होंने माँ के
मुहं के पास अपना लांद रख दिया. माँ बेशर्म की तरह उसके लंड को किस करने लगी
जिस तरह वो सिनेमा होल में कर रही थी.
और फिर माँ ने मुहं खोल के उस काले लंड को मुहं में समा लिया. गुप्ता अंकल की
आँखे बंध हो गई और वो आह आह करने लगा. माँ अंकल के लंड को जोर जोर से चूसने
लगी और निचे के बाल्स को पकड के उन्हें मरोड़ने लगी. गुप्ता अंकल की आँखे खुली
अब और वो माँ की गांड पर हाथ फेरने लगा. माँ ने लंड चूसते हुए ही साडी खोली और
अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में थी. लंड को मुहं से निकाले बिना ही उसने ब्लाउज
के बटन भी खोले और पेटीकोट का नाड़ा भी. गुप्ता अंकल ने माँ की गांड से हाथ हटा
के अब उसके बूब्स को मसलना चालू किया. माँ को गुदगुदी हुई और उसने लंड को मुहं
से बहार कर दिया. अब वो अपनी पेंटी और ब्रा खोलने लगी. माँ की चूत मेरे सामने
थी जिसके ऊपर गुप्ता अंकल का हाथ था. गुप्ता अंकल ने अब धीरे से चूत को सहलाया
और फिर माँ को पलंग के ऊपर फेंक दिया. माँ ने अपनी टाँगे फैला दी और वो बोली,
“आओ मेरी चूत में अपनी जबान दे दो गोविंद.” (गुप्ता अंकल का नाम गोविंद हैं)
गुप्ता अंकल ने माँ की जांघे चाटनी चालु की और फिर वो धीरे धीरे करता हुआ चूत
की और बढ़ गया. उसके मुहं में माँ की चूत आई जिसे वो अब जबान से चाटने लगा. माँ
ने फिर से चद्दर को मरोड़ा और आह आह करने लगी. गुप्ता अंकल ने अब अपनी जबान चूत
में घुसा दी और माँ ने जोर से मोन कर दिया. माँ को ऐसे चूत चटवाने में बड़ा ही
मजा आ रहा था. और गुप्ता भी बड़े मजे से चूत के दाने को अपनी जबान से घिस रहा
था. किसी भी औरत को यह सब चीजों से बड़ा ही मजा आ जायेंगा. मेरी माँ की हालत भी
वैसी ही थी. गुप्ता उसकी चूत को कुत्ते की तरह पूरी 10 मिनिट चाटता रहा जब तक
माँ ने उसे अपनी चूत में लंड देने के लिए विनंती नहीं की.
“अब मत तडपाओ गोविंद मुझ से नहीं रहा जाता हैं. आह्ह्हह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह
आआआआअ दे दो अपना लंड मेरी योनी में मैं नहीं रह सकती हूँ उसके बिना अब, जल्दी
करो आह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह ऊऊईईईई…….!” माँ बोलने लगी.
गुप्ता अंकल ने खड़े हो के अपना लंड फिर से माँ के मुहं में दे दिया. माँ ने
लंड को चूस के उसे गिला किया और वो गुप्ता अंकल को बड़े प्यार से देखने लगी.
गुप्ता अंकल ने लंड माँ के मुहं से निकाला और उसकी टाँगे फैला दी. माँ ने अपनी
दो ऊँगली से चूत को फैला दिया. गुप्ता अंकल का मोटा लंड अब माँ की चूत पर था.
उन्होंने हल्का झटका दिया और माँ की सिसकी निकल पड़ी. वाऊ वाऊ करते हुई माँ
अपने कुल्हें हिलाने लगी और गुप्ता अंकल ने भी अपनी गांड हिलाना चालू कर दिया.
वो अपना पूरा लंड चूत में घुसेड के उसे बहार निकाल रहा था. माँ भी बेशर्मो की
तरह, आह और जोर से आह और जोर से करों ना गोविंद चिल्ला रही थी.
गुप्ता अंकल ने अब अपना मुहं माँ की निपल्स के ऊपर लगा दिया और वो अपनी गांड
को हिला हिला के चूत चोदने लगा. मैं पीछे से माँ की चूत ससे अंदर बहार होते
हुए लंड और गुप्ता अंकल के अंडकोष देख सकता था. गुप्ता अंकल किसी पोर्नस्टार
की तरह ही माँ की चूत ले रहे थे. करीब 10 मिनिट तक ऐसे ही माँ हिलती रही और
गुप्ता अंकल का सामान उसकी चूत लेता रहा.
उसके बाद गुप्ता अंकल ने लंड चूत से निकाला और माँ के मुहं में दे दिया. माँ
ने अपनी ही चूत की चिकनाहट चाट के साफ़ कर दी. गुप्ता अंकल के लंड को अब वो जोर
जोर से पकड के हिलाने लगी. गुप्ता अंकल ने माँ का मुहं दबा के उसमे लंड फिर से
डाल दिया. गुप्ता अंकल फिर से अपनी गांड हिला के माँ के मुहं को चोदने लगा.
तभी अंकल के बदन में एक झटका लगा और माँ के होंठो पर उनके लंड का रस निकलने
लगा. मेरी बेशर्म माँ गुप्ता अंकल का सारा रस पी गई. गुप्ता अंकल के लंड को
पूरा चाट कर साफ़ कर के माँ वही बेड में लेट गई. गुप्ता अंकल भी नंगे बेड में
so गए.
फिर माँ ने कहा, “तुमने शेखर के तबादले की बात की या नहीं? अगर उसे शक हो गया
तो फिर सब खेल बिगड़ जायेंगा!”
गुप्ता अंकल ने सिगरेट जलाई और उसे फूंकते हुए वो बोला, “बात हो गई हैं, 5
हजार घूस भी दे रखी हैं. जल्द ही उसके तबादले का ऑर्डर आ जायेंगा और फिर हम
बिना संकोच के चुदाई का मजा लेंगे…”
माँ ने यह सुनते ही खड़े हो के गुप्ता अंकल के होंठो पर किस कर ली. गुप्ता अंकल
उसने बूब्स दबाने लगा. मैं वही खड़ा देखता रहा और माँ की चूत में फिर से गुप्ता
अंकल लंड डालने की तयारी करने लगा. दूसरी बार चोदने के बाद माँ चाय बनाने के
लिए उठी और मैं फट से स्टोर रूम में भाग गया. चाय पीने के बाद तो गुप्ता अंकल
ने माँ को गांड मरवाने के लिए भी राजी कर लिया. मैं ज्यादा नहीं देख पाया और
वही स्टोर रूम में छिप गया. गुप्ता के जाने के बाद मैं बहार आया, जब माँ
बाथरूम में नहाने गई थी. उसने अपना बदन तो धो लिया लेकिन उसकी आत्मा की गंदगी
आज भी मेरी आँखों के सामने आ जाती हैं. मैं ही था जो डेड को कहता था की तबादले
के बाद मैं नए शहर नहीं जाऊँगा. लेकिन माँ को रंडी बनने से रोकने के लिए मैंने
डेड के तबादले के साथ घर मूव करने का भी सोच लिया वहीं के वहीँ…..!









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