Wednesday, July 11, 2018

FUN-MAZA-MASTI तुस्सी बड़े खराब हो--1

FUN-MAZA-MASTI

तुस्सी बड़े खराब हो--1


विक्रांत कि नज़र न चाहते हुए भी फिर उसी लड़की पर चली गयी 'साले की नज़र है या एक्सरे' विक्रांत ने खुद से कहा ।
विक्रांत- क्या प्रोफेसर साहब कुछ तो शर्म कीजिये ।
दिनेश -यार राठौर मर्द खुद को कंट्रोल कर सकता है पर बीवी और लन्ड को नही । यार कुछ भी कह पर सामान है कड़क ।
विक्रांत- पर भाई अब तो उम्र हो चुकी है इस उम्र में मुझे तुझे कौन पूछता है ऊपर से बच्चों की टेंशन ।
दिनेश- यार गोयल कह रहा था कि यह उसकी किरायदार है नाम है ईशा,अभी पढ़ रही है और नोकरी चाहिए इसे । तुझे भी तो पर्सनल सेक्रेटरी चाहिए रख ले । दिनेश ने विक्रांत कि बात को अनसुना करते हुए कहा ।
विक्रांत- यार मुझे सेक्रेटरी रखनी है कंपनी लुटानी नहीं है । इसको देखकर लगता नहीं कि मेरे बजट की है ।
दिनेश- यार तू भी न रहेगा कंजूस का कंजूस ही । भेज दूंगा सैलरी डिस्कस कर लेना । और फिर ऐसी सेक्रेटरी हो तो आधे काम आसान हो जाते हैं।
विक्रांत की नज़र अचानक फिर से ईशा की तरफ चली गयी जो इस समय झुककर अपने पांव पकड़ रही थी उसकी मटकों सी गोल-2 बड़ी और भरी-2 गाँड़ देख कर विक्रांत के पूरे बदन में झुरझरी सी दौड़ गयी । उसके लन्ड ने एक अँगड़ाई ली और तन कर तंबू बन गया । उसने एक झटके से नज़र हटा ली और उठकर जाने लगा ।
विक्रांत-चल यार चलता हूँ । काफी टाइम हो गया है और तू ये लौंडो वाली हरकतें बंद कर दे ।
दिनेश- यार तू भी न । तेरी यही बातें मुझे पसंद नहीं है । चल जा पर इसे तो मैं भेजूंगा ज़रूर । लगता है तूने उस साइट पर कहानियां पढ़ी नहीं । वरना इतनी ठंडी बातें न करता ।
विक्रांत- यार कुछ भी हो इस उम्र में भी हिलाने को मजबूर कर देती है ऊपर से किसी महिला लेखिका से बात करने का मौका अलग से ।
दिनेश ने महिला शब्द सुनते ही विक्रांत को पकड़ के दोबारा अपने पास बिठा लिया और आंख मारते हुए बोला " यार बड़ा हरामी है अकेले-2 मज़ा ले रहा है ... बता तो किससे बात हो रही है ?"
विक्रांत - कुछ खास नहीं कोई लड़की है उषा उससे थोड़ी सी बात होती है।
दिनेश- फोटो तो दिखा ।
विक्रांत ने अपने फ़ोन पे एक लड़की की तस्वीर दिनेश को दिखा दी । यही कोई 20-21 की उम्र मासूम सा चेहरा , तराशे हुए होंठ और ऊपर वाला होंठ हल्का सा ऊपर की और उठा हुआ । सुडौल बदन संतरो के आकार के स्तन पतली कमर । फ़ोटो देखते ही दिनेश के मुँह में पानी आ गया ।
दिनेश- यार क्या लौंडिया हाथ आई एक दम चुदासी है । ऐसा फूल जिसे जितना मसलो उतना और निखर जाए । पर देखी-2 लगती है । हां याद आया देखने में बिल्कुल शहनाज़ पद्मशी लगती । इस हीरोइन पर तो कई बार हिलाया है मैंने
विक्रांत -यार अभी बच्ची है । शोक-2 में कहानी लिख दी इसने ।
दिनेश- पर है मस्त माल । इसका बॉयफ्रेंड तो ज़रूर होगा रख के चुदाई करता होगा इसकी । और होंठ तो देख खुदा ने इन्हें बस लन्ड चूसने के लिए ही बनाया है । दिनेश ने अपने लन्ड को खुजाते हुए कहा ।
विक्रांत-कुछ भी बोलता है यार तू तो । तुझे तो औरत में चुदाई के इलावा कुछ सूझता ही नहीं । अभी अभी कॉलेज जाना शुरू किया है तो दूसरों की देखा देखी इसे भी शौक लग गया और क्या इसका मतलब यह तो नहीं कि यह रंडी हो गई ।
दिनेश जो विक्रांत के ज़रिए ईशा की चूत को चोदना चाहता था थोड़ा संभल गया उसे लगा कि बंदा बुरा मान गया । इसिलए बात संभालने के लिए बोला " यार तू भी न मैं तो बस सुंदर चीज़ को सुंदर कह रहा था और क्या तू तो बुरा मान गया "
विक्रांत - नहीं यार मैं तो बस कह रहा था कि हमारी उम्र नहीं है यह सब करने की ।
दिनेश- हाँ वो तो है पर तु ही बोल उम्र हो गयी है पर हमारे अंदर के मर्द तो अभी ज़िंदा है । बस बोल के देख के जी भर लेते हैं ।
विक्रांत- सही कह रहा है दिनेश । कभी कभी तो जी करता कि ऐसी ज़िन्दगी भी क्या ज़िन्दगी ? सेक्स किये सालों हो गए । बस बच्चों के लिए जिये जाओ ।
दिनेश - चल छोड़ यार ये बता इस पटाखे के और भी फ़ोटो हैं तेरे पास?
विक्रांत - एक दो और हैं । देख ले । उसने दिनेश को मोबाइल देते हुए कहा ।
दिनेश ने फ़ोन ले लिया और उषा की एक तस्वीर पे जाके रुक गया जिसमें उसने गुलाबी रंग की टाइट टॉप और शॉर्ट पहनी हुई थी और मन ही मन उसने उषा का सारा बदन नाप लिया था ।
" प्रोफेसर जी क्या सोचने लग पड़े ?..फ़ोटो में ही चोद दोगे क्या " विक्रांत ने दिनेश को फ़ोटो को घूरते देख मज़ाक किया ।
"कसम से बड़े दिनों बाद ऐसी चीज़ देखी है । इसकी टाँगे देख कितनी गोरी और चिकनी हैं गुलाबी रंग की चूत होगी इसकी और कसम कामदेव की 2इंच से छोटी ही होगी इसकी फुद्दी जिसका भी लन्ड जाएगा उसे जन्नत मिल जाएगी । और इसके मम्में तो संतरों की तरह गोल गोल होंगे एक दम टाइट"
विक्रांत दिनेश की बातें सुन के हैरान भी हो रहा था और गर्म भी बरसों से तड़पा हुआ लन्ड इस समय फटने वाला हो रखा था । आज तक उसने खुद पे कंट्रोल रखा था पर अब उसका सब्र जवाब देता जा रहा था । विक्रांत ने टाइम देखा तो आठ बज चुके थे और दस बजे उसे ऑफिस पहुंचना था ।
विक्रांत- चल भाई चलते हैं मुझे ऑफिस जाना है ।
दिनेश-ठीक है जा पर ईशा को भेज दूँ न ?
विक्रांत - भेज देना यार । 


विक्रांत घर आया तो बच्चे ब्रेकफास्ट कर रहे थे और उसका बूढा नोकर रामलाल रूपिका को मिल्कशेक दे रहा था । तीनों बच्चों ने उसे गुड मॉर्निंग कहा । वो तीनो हैरान थे कि पापा आज लेट कैसे हो गए ।
रूपिका- पापा आज आप लेट हो गए । हमें टेंशन होने लगी थी ।
पलविका-पापा मैंने रामु काका को बोला था कि पापा का वेट कर लेते हैं पर काका ने मेरी बात नहीं मानी ।
राहुल- हाँ हाँ ज्यादा मख्खन मत मार इतनी ही फिक्र थी तो खाना नहीं खाती । पापा इसे बस यही आता है मख्खन मरना ।
पलविका- पापा देखो न राहुल हमेंशा मुझे तंग करता है । पापा हम वेट करते हैं आप फ़्रेश होके आ जाओ ।
विक्रांत खामोश खड़ा अपने बच्चों की नोक झोंक देख रहा था । और अचानक उसे ख्याल आया कि उसकी बेटियाँ अब बड़ी हो चुकी है और आज न कल उन्हें शादी करके जाना होगा यह सोचते हुए उसकी आँखों में आँसू आ गए । पर किसी तरह उसने खुद को संभाला और राहुल को हल्की सी डाँट लगाई।
रूपिका- क्या दोनों बच्चों की तरह लड़ते रहते हो ? यु आर ग्रोन उप नाउ ।
विक्रांत-रूपिका रहने दो बेटा कोई तो न समझ भी होना चाहिए न घर में ।
रूपिका- पापा आप की वजह से ही इन दोनों को कोई मैनर्स नहीं है । कैसे लड़ पड़े थे चड्डा अंकल की पार्टी में ।
राहुल - बस दीदी तुम तो रहने ही दो तुम इंसान नहीं बस पैसा छापने की मशीन हो ...कोई फीलिंग्स ही नहीं है तुममें ।
पलविका- सही कहा । दीदी का दिल तो किसी बूढ़ी औरत का दिल है नो बचपना ।
रूपिका को पलविका की बात चुभ गयी अगर रूपिका का घमंड आड़े न आता तो वो रो देती । पर उसने अपनी भावनाओं पर काबू रख लिया और विक्रांत को गुड बाई कह के निकल गयी ।
विक्रांत डाईनिंग टेबल पर ही बैठ गया । वो जनता था कि रूपिका के ऐसे चले जाने से पलविका के बच्चों से मासूम दिल को ठेस लगी होगी इसिलए उसने बात टालने के लिए रूपिका से पूछा " पल्लू तुम्हारी मिनी कूपर तो ठीक चल रही है ना ?"
पलविका -पापा ज्यादा स्मार्ट मत बनो ....देखो न दी मेरी वजह से चली गयी ।
राहुल- अच्छा हुआ चली गई नकचढ़ी कहीं की ।
विक्रांत- पल्लू वो तुम्हारी वजह से नहीं बल्कि इस गधे राहुल की वजह से गयी है । विक्रांत ने राहुल को आँख मारते हुए कहा ।
राहुल- हाँ हाँ पल्लू-बल्लू ऐसा ही है ।
पलविका- देखो न पापा ये मुझे चिड़ा रहा है । पलविका ने मासूमियत से कहा ।
सारे नाश्ते के दौरान ऐसी ही नोक-झोंक चलती रही । नाश्ता खत्म करके दोनों बच्चे जब अपने-2 कॉलेज चले गए तो रामलाल विक्रांत के पास आया ....
रामलाल - मालिक आपसे एक बात कहनी थी
विक्रांत- बोलो क्या बात है ?।
रामलाल- मालिक मेरे छोटे भाई की बेटी की शादी अगले हफ्ते तो 15 की छुट्टी चाहिए थी ।
विक्रांत- रामलाल तुम तो जानते हो तुम्हारे बिना इस घर को संभालने वाला और कोई है नही और बेटियां जवान हैं और किसी पर मुझे भरोसा नही होता ।
रामलाल- मालिक मैंने अपनी बड़ी बेटी को बुला लिया है । बेचारी को उसके पति ने छोड़ दिया है अब इस उम्र में बेचारी कंहाँ जाएगी । और यहां शहर आएगी तो शायद मेरी नातिन पढ़ लिख जाए । इसी साल उसने बारवीं क्लास पास की 80प्रतिशत अंकों से । मालिक बस एक मौका दे दो मेरी बेटी मुझसे भी ज्यादा ख्याल रखेगी इस घर का और बच्चों का ।
विक्रांत - तुमने तो मुझे मुश्किल में डाल दिया है । पर तुम तो बता रहे थे कि तुम्हारी बेटी का बेटा कुछ मंद बुद्धि है अब ये बेटी कंहाँ से आ गयी ?।
रामलाल- मालिक दोनों बच्चे जुड़वां है । मालिक बस एक मौका दे दो ।
विक्रांत - कब आ रही है तुम्हारी बेटी
रामलाल -मालिक वो तो कल ही आगयी थी ।
विक्रांत- ठीक है , शाम का खाना उसी से बनवाना अगर बच्चों को खाना पसंद आ गया तो मुझे कोई दिक्कत नही है । और आने नाती-नातिन को भी बुला लेना बच्चे एक दूसरे से मिल लें यही अच्छा होगा और उनको किराए पे रहने की ज़रूरत नहीं है । पीछे जो दो कमरे नए बनवाये हैं वंहा उनका सामान रखवा देना ।
रामलाल की आंखों में आंसू आ गए । वो विक्रांत के पाँव पे गिर गया । विक्रांत ने उसे संभाला और चाय का ऑर्डर दे कर अपने रूम की तरफ चल पड़ा । विक्रांत ने कमरे में आके अपना वाट्सएप ऑन किया तो उषा के तीन -चार मैसेज आये हुए थे ।
"गुड मॉर्निंग " विक्रांत ने लिखकर जवाब दिया ।
"विकी कंहाँ थे तुम " दूसरी तरफ से रिप्लाई आया ।
विक्रांत-" बिजी था "
उषा - रिप्लाई तो कर सकते थे ।
विक्रांत- सॉरी यार मैं सच में बिजी था ।
उषा - क्या कर रहे थे जो एक रिप्लाई भी नही कर सके ।
विक्रांत जो उषा के लिए विकी था कैसे बताता की वो उसके उम्र के अपने बच्चों का झगड़ा निपटा रहा था । विक्रांत के पास उषा के इस सवाल का कोई जवाब नहीं था । पर इससे पहले की वो कोई रिप्लाई करता उषा ने अपनी एक फ़ोटो उसे सेंड की इतनी हॉट फोटो उसने आज तक नहीं देखी थी । सिलीवलेस टाइट टॉप और नीचे छोटी सी निक्कर । 'कितने बड़े -बड़े हैं इसके मम्में और इसके निप्पल तो कम से कम एक इंच के होंगे ' विक्रांत के मन में अचानक तस्वीर घूम गयी कि वो इन खूबसूरत स्तंनो से खेल रहा है । उसने अपना लोअर नीचे कर दिया और अपने तने हुए मूसल लन्ड को आज़ाद कर दिया अब खुद को रोक पाना उसके लिए मुश्किल हो पा रहा था । पर वो नही चाहता था कि अपनी बेटी की उम्र की लड़की पर मुठ मारे पर उसके मन के इस विरोध को अगली फ़ोटो ने तोड़ दिया जिसमें उषा थी तो इन्ही कपड़ों में पर पूरी तरह भीगी हुई उसके गोल-2 वॉलीवाल के आकार के मम्में और स्ट्राबेरी के आकार के निप्पल साफ नजर आ रहे थे विक्रांत कुछ और सोच नहीं पाया उसका हाथ अपने आप लन्ड पर चला गया और वो पूरी रफ्तार से मुठ मारने लग पड़ा कितने सालों बाद वो मुठ मार रहा था बाप बनने के बाद तो जैसे वो भूल ही गया था कि वो भी एक मर्द है । 7-8 मिनट में ही उसके लन्ड ने माल उगल दिया । ठंडा होने पर उसने फ़ोन उठाया तो उषा के कई मैसेज आये हुए थे "मिस्टर किधर.....कंहाँ चले गए .....शैगिंग?"
"हम्म्म्म तुमने मजबूर कर दिया था " उसने अपने मन की बात कह दी ।
" यु थिंक मैं हॉट हूँ?" उषा का रिप्लाई आया ।
"इसमें सोचना क्या है तुम तो पत्थर को भी पिघला दो " विक्रांत ने रिप्लाई किया ।
"हा.. हा......अच्छा यह बताओ तुम्हारी उम्र क्या है विक्की?"
"क्यों?"
"बस ऐसे ही पता तो चले कि कौन है जिसे मैं हॉट लगती हूँ"
विक्रांत सोच में पड़ गया ...पर फिर उसे एक आईडिया आया उसने अपनी एक फोटो सेंड कर दी और उषा से पूछा "तुम ही बताओ क्या उम्र होगी मेरी ?"
"ओह वाओ यु हैव ग्रेट बॉडी.....35? " उषा का रिप्लाई आया ।
" नहीं थोड़ी सी ज्यादा है " विक्रांत ने रिप्लाई किया ।
"40?"
" थोड़ी और"
"45?"
"नहीं ....55 रिटार्यड आर्मी ऑफिसर"
"ओह गॉड "
"क्या हुआ?"
"तुम 55 के तो नहीं लगते ...मैरिड?"
" हाँ तीन बच्चे हैं ,वाइफ की डेथ को 10 साल हो गए "
"ओह गॉड....मैं तो कुछ और ही सोची थी"
"बुरा लग रहा है?"
"नहीं बुरा नहीं लग रहा ...बस अजीब लग रहा है "
"अजीब क्यों?" विक्रांत ने सवाल किया ।
"बस ऐसे ही ....पता नहीं।" उषा ने काफी लेट रिप्लाई किया ।
"हम्म बुढ्ढों से कौन बात करेगा "
" प्लीज डोंट टॉक लाइक डिस...."
"फिर बताओ क्यों तुम्हें अजीब लग रहा है "
"रहने दो तुम विश्वास नहीं करोगे?"
" प्रॉमिस मैं विश्वास करूँगा "
" विकी न जाने क्यों तुमसे बात करके मुझे हमेशा लगता था कि मैं एक अलग समय के इंसान से बात कर रही हूँ.... और तुम्हारी बातें मुझे बहुत अच्छी लगती हैं जिसके कारण मैं तुमसे......" उषा ने बात बीच में ही छोड़ दी ।
"मैं तुमसे क्या ?" विक्रांत को लगा कि जैसे वो कहना चाहती हो मैं तुमसे प्यार करती हूँ । काफी देर कोई मेसज नहीं आया ।
" मैं तुमसे कहना चाहती थी कि मेरा नाम उषा नही है ।....मेरा सही नाम है अकीरा "
" ओह ...मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा था उषा तुम पर बिल्कुल नहीं जजता"
"क्यों तुम्हारा नाम विकी हो सकता है तो मेरा उषा क्यों नहीं"
"क्योंकि मेरा नाम विकी नही विक्रांत है...विक्रांत राठौर
" बड़े खराब हो राठौड़ जी...."
"अकीरा प्लीज जी मत बोलो "
"अब तो जी बोलना पड़ेगा न मैं 21 की आप 55 " अकीरा ने विक्रांत को छेड़ते हुए कहा ।
"गुड बाई , मुझे आफिस जाना है " विक्रांत ने बुरा मानते हुए कहा ।
" हा हा हा....तुम तो नाराज़ हो गए ...मैं तो मज़ाक कर रही थी । मुझे भी तुम कहना ही अच्छा लगता है आखिर हम दोस्त हैं ? हैं ना?"
" हां दोस्त तो हैं ...अब मुझे आफिस के लिए सच में देर हो रही है ...आफिस पहुँच के रिप्लाई करूँगा "
"ओके ...पर रिप्लाई करना मत भूलना मैं इंतज़ार कर रही हूँ।"










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