Thursday, July 5, 2018

FUN-MAZA-MASTI राजकुमारी बिनल--2

FUN-MAZA-MASTI

राजकुमारी बिनल--2

दूसरे दिन पूरे दिन हमने फोन पे नार्मल बात ही कि रात को डिनर के बाद बिनल का msg आया “ whats about story”? मेने रिप्लाई दिया “ oh I think you are very excited about that story hmmm”

इतने में उसका कॉल ही आ गया उसने कहा “ स्टोरी के लिए अक्सइड तो हु ही ना आज आफिस में जब समीर मेरे सामने आया तो मुजे आपकी कहानी याद आ गयी और मैने उसके चहरे में वो राजा का चेहरा देखा जिसके बारे में तुमने कहानी में वर्णन किया था। आई हॉप तुम्हे बुरा नही लगा हो मुजे जो हुआ वो मेने आपको बता दिया।”

मेने उसे जवाब देते हुए कहा “ इसमें बुरा क्यों लगेगा डार्लिंग ये सिर्फ एक कहानी ही तो है।” चलो तुम्हे अगर परेशानी होती है तो हम आगे नही बढ़ेंगे।”

“नही……….नही…...” बिनल ने उत्साह से कहा “मुझे सुनना है चलो में अपने कमरे में जाती हु और इयरफोन से बात करती हूं आप भी कमरा बंध करके बात करना कही आपके दोस्त सुन न ले।”

मेने कहा “आज अच्छा चांस है मेरे रूममैट्स मूवी देखने गए है।”

(सब सच मे मूवी देखने गए थे मुझे भी दोस्तो ने बहुत बुलाया लेकिन में नही गया क्योंकि मेरे लिए मूवी से ज्यादा बीनल की कहानी की ज्यादा एहमियत थी।)

बिनल ने अपने कमरे में जाकर इयरफोन लगाके मुझे कहा “ चलो अब शरू करो में सुन ने के लिए तैयार हूं।”

“मेने कहा अच्छा तो हम कह तक आये थे?” मेने बिनल से सवाल किया।

बिनल ने कहा “ वो राजा समीर मुजे तुम्हारे सामनेसे ले जाता है और तुम देखते रह जाते हो।”

मेने अहसास किया कि बिनल को पूरी कहानी बहुत ही अछी तरह से याद है और उसने इस कहानी में इंटरेस्ट भी है।


मेने कहानी को आगे बढ़ते हुए कहा “ दूसरे दिन सुबह राज्य में ऐलान होता है, में कारवास में भी उस ऐलान को सुन सकता था।”

एक सिपाही : सुनो …..सुनो….. सुनो आज हमारे महराजा समीरसिह का इस नए राज्य में राज्याभिषेक होगा और नई रानी बिनलदेवी का स्वयंवर आज हमारे महाराज समीर सिंह से होगा।” पूरे राज्य में मिठाईया बांटी जाएगी और सभी प्रजा को आमंत्रित किया जाता है।

फिर मुजे महल के ऊपर के भाग में ले जाया गया जहाँ से महल का पूरा नजारा दिखता था।

बिनल ने कहा… फिर?

मुजे लगा कि राजा समीरके कहने पर ही मुजे ये सब दिखाने के लिए ही यह पर लाया गया है।

फिर तुम्हे यानी कि रानी बिनलदेवी को सज ने सवार ने स्नानगृह में ले जाया गया। पूरा होज दूध से भरा था तुम्हारे एक एक वस्त्र दासीओ ने एक एक कर के निकले तुम कुछ भी बोल नही रही थी बस अपनी पलको को झुकाये हुए वो जो भी कर रही थी वो करने दे रही थी। फिर एक दासी ने हल्दी का उबटन तुम्हारे गोरे गालो पे लगाया , तुम्हारी आँखों मे आंसू आ रहे थे। फिर दासी ने तुम्हारे स्तन पे चंदन का लेप लगाया , इतनी में एक दासी बोली “ राजकुंमारी कितनी सुंदर है राजा की दूसरी रानीओ से तो बहुत ही सुंदर,” उसने तुमसे कहा “ रानीजी आपके स्तन तो बहुत ही मुलायम और गोल है बिल्कुल सेब के जैसे, राजा आपके ये सौन्दर्य को देख के अपने आपको रोक नही पाएंगे।” ये बाते सुनकर दूसरी दासिया भी हसने लगी। तुम्हे बहुत ही प्यार से उन्हों ने नहलाया तुम्हारे सभी अंगों को दूध से धीरे धीरे धोया। तुम्हारे स्तनों पे , कमर पे ,गालो पे दूध की बूंदे चमक रही ही। फिर उन्हों ने तुम्हे शाही वस्त्रो को पहनना शुरू किया। सोने से मढ़ा उपवस्त्र और खास बनवाये गए सोने के गहनों में तुम बहुत ही खूबसूरत स्वर्ग की अप्सरा जैसी लग रही थी।



फिर तुम्हे दरबार मे जहा शादी के लिए तैयार किया था वह ले जाया गया। राजा समीर तुम्हे देख के मंत्र मुग्ध हो गया। तुम बहुत ही सुन्दर्यवान लग रही थी पूरा राज्य तुम्हे देखता रह गया। वरमाला लायी गयी तुम राजा समीर के सामने खड़ी थी तुम दोनों के हाथों में वरमाला थी, राजा समीर तुमसे लंबा और बहुत ही सशक्त लग रहा था। उन्हों ने तुमन्हे वरमाला पहनायी और तुम ने भी अपनी।पलको को झुक कर ही राजा को वरमाला पहनायी। पूरा माहौल ढोल नगारो की आवाज से गूंज उठी, में ये सब देख रहा था। स्वयंवर समाप्त हुआ।

“फिर क्या हुआ” बिनल ने मुजे उत्सुकता भरे स्वर में पूछा।

फिर तुम्हे राजा के शयनकक्ष में ले जाया गया।, वह पूरा शयनकक्ष सजाया गया था। तुम्हे शाही शैय्या पर बिठाकर वो दासिया वहासे शरमाते हुए भागी चली गई। पूरा शाही बिस्तर फूलो से भरा था , बिस्तर के पास एक बड़ा शीशा रखा था तुम घूंघट में बैठी उस शीशे में पूरी दिख रही थी। शयनखंड बहुत ही बड़ा था पर्दो और मदिरा के मेज और बहुत सारी कलाकृतियों से भरा, और एक बड़ा सा झुला भी था।

इतने में पहरेदार की आवाज आई “ महाराजा समीरसिह पधार रहे है…...।।

तुम जरा घबरा गई और अपने हाथों को अपने मुडे हुऐ पैरों के घुटनो पे जोड़ के रख दिया , इतने में महाराजा समीर आये और उनके कदमो की आवाज तुम्हारे कानो में गूंज रही थी। महाराजा समीर ने तुम्हारे पास आकर तुम्हारे नजदीक बैठ गए, और कुछ बोले बिना तुम्हारा घूंघट उठा ने जा रहे थे उतने में ही तुमने उनका हाथ अपने हाथों से रोक लिया, तुम्हारी गोरी कलाई की चूडिओ की खनखनाहट से पूरा कक्ष गूंज उठा। तुम फिर से वही स्थिति में बैठ गयी।

महाराजा समीर ने तुम्हारे पास से उठते हुए और मदिरा के मेज की तरफ जाते हुए कहा “ लगता है आप अभी भी शर्मा रही है?” उनकी आवाज में जरा भी द्रढता नही थी तुमने उनके साथ जो प्रतिक्रिया की उन सब का उन्हें जैसे जरा भी बुरा नही लगा था, वो अपने आप एक मदिरा का जाम बनाने लगे। और तुमसे कहा “ शर्माना तो वाजिब है लेकिन आप आज से हमारी रानी है और हमारी पत्नी भी , और आज तुम भी जानती हो हमारी सुहागरात है।”

तुमने उनकी बात का कोई उत्तर न देते हुए मौन ही धारण कर रखा था।

महराज समीर अभी मदिरा पीते पीते फिर से तुम्हारे साथ बात करने लगे। “ तुम्हे जो भी चीज की आवश्यकता है सब तुम्हारी पलक झबकते हाजिर हो जाएगी और तुम्हे मेरे होते हुए यहाँ पर कोई भी तकलीफ नही होगी।” “ में सिर्फ तुम्हारा प्यार पाना चाहता हु।” महाराजा ने तुम्हारी और मूड के कहा।

“मुजे किसी भी चीज़ और तुम्हारे प्यार की कोई आवश्यकता नही है” तुमने अपने दृढ़ स्वर में कहा ।

महाराजा ने हंसते हुए कहा “ ओह्ह तो आप अभी भी मुझसे खफा है।

अब महाराजा ने दो जाम खत्म कर दिए थे। वो तुम्हारे नजदीक आ कर बैठ गए। और अपने दोनों हाथों से तुम्हारा घूंघट उठाने की चेष्ठा की। लेकिन फिर से तुमने उन्हें रोक लिया लेकिन महराजा ने इस बार बड़ी सख्ती से तुम्हारे हाथों का विरोध करते हुए घूंघट उठाने में सफलता प्राप्त की।

तुम थोड़ी गुस्से में थी, महाराजा ने तुम्हारे खुबसूरत चेहरे को देखते कहा “ लगता है आज तो चाँद जमी पर आ गया है और वो भी मेरे लिए।” लग रहा था कि उनपे मदिरा का असर हावी हो रहा था।

बिनल ने बीच मे ठोकते हुए कहा “ समीर हकीकत में ड्रिंक भी करता है वो लोग आफिस टाइम के बाद आफिस में ही ड्रिंक्स मंगवाते है।

मैंने कहानी को आगे बढ़ना चालु रखा।

तुम बड़ी जोरो से सांसे ले रही थी तुम्हारी गहरी साँसों से तुम्हारे स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे। महाराजा ने अपनी एक उँगली को तुम्हारी नाभि में डाला इतने में ही तुम, अहह करके आगे की और झुक गई, आगे जरा झुकने सी तुम्हारे स्तन का बीच का भाग (cleavages) दिख रहा था , महाराजा वह देख रहे थे।


फिर वो तुम्हारे गालो पे अपना हाथ फिरने लगे ,उनका हाथ तलवारो और ढालो से खेलते खेलते जैसे मजबूत और सख्त हो गए थे, तुम्हारे गुलाबी और नरम गालो को शायद वो चुभ रहे थे। फिर उन्हों ने तुम्हारी कमर पे हाथ फिरना शुरू किया लेकिन तुम जरा मचलती हुई कुछ न बोले बिना ऐसे ही बैठी रही, तुम्हारी गोरी कमर को वो देख रहे थे, फिर उन्हों ने तुम्हारी गरदन को चूमना शुरू किया , तुम अपनी आंखें खोलकर ऊपर जो शयनखंड में झूलता हुआ झूमर था उसपे टिका दी, महाराजा समीर तुम्हरी गरदन से नीचे तुम्हारे उपवस्त्रो से बहार आये हुए अर्ध नग्न स्तनों के ऊपर के भाग को चुमने लगे।

तुम्हारी सांसे बढ़ रही थी तुम अभी भी ऊपर ही देख रही थी दोनो हाथो को अपने शरीर को आधार देते हुए तुमने पीछे की बिस्तर पे जड़ दिए थे और बिस्तरपे पड़े फूलो को तुम अपने नाजुक हाथों से कुचल रही थी, महाराजा कभी तुम्हारी कमर पर तो कभी तुम्हारी पीठ पर अपनी उंगलियों को फिर रहे थें।
फिर अचानक उन्होंने तुम्हारी नाभि में उंगली डाल दी, और एक गहरी सांसों से तुम ने अपना सिर झुका दिया और तुम्हारी मुह से “अहह” की आवाज निकल गई। तुम्हारे नीचे झुकते ही उन्होंने तुम्हारी गर्दन की पीछे हाथ फिरना शुरू किया , तुमने मुड़े हुए पैरो के घुटनो पे अपने दोनों हाथ रख के अपना सर घुटनो पे रख दिया ।


महाराजा समीर अब तुम्हारी गोरी पीठ पर कभी होंठो से तो कभी हाथों से छू रहे थे। एक ही डोर से बंधे उपवस्त्र में तुम्हारी गोरी पीठ पूरी खुली हुई लग रही थी, महाराजा तुम्हारे कंधो से नीचे तक तुम्हे चुम रहे थे, तुम्हारी वो नंगी कमर का वो मोड़ जैसे तुम झुककर बैठी इतना आकर्षक और अद्धभुत लग रहा था। तुम अभी भी खामोश अपनी जगह पर जैसे एक मूरत की तरह बैठी थी।

(बिनल ने कहा “फिर क्या हुआ”)

फिर महराजा समीर घुटनो के बल तुम्हारे पीछे बैठ गए और तुम्हारी नाजुक कमर को दोनो तरफ पकड़के तुम्हे गरदन पे, गालों पे, चूमने लगे और चूमते चूमते उन्हों ने तुम्हारे उपवस्त्रं की डोर को अपने दांतों से खींच कर खोल दिया , अब तुम्हारी गोरी पीठ पूरी खुल्ली हो चुकी थी। उपवस्त्रं के खुल जाने से तुम्हारे ,स्तन थोड़े नीचे की और से खुल गए थे ,महाराजा तुम्हारी कमर को दोनो तरफ से पकड़कर अपनी तरफ खीचते हुए जोर देकर तुम्हे चुम रहे थे तुम्हारे स्तन हिल रहे थे। तुम गहरी सांस लेके अपनी गर्दन को कभी कभी दाये कभी बाए मोड़ रही थी।

महाराजा समीर के हाथ धीरे धीरे तुम्हारे स्तन की और बढ़ रहे थे, फिर धीरे से उन्हों ने अपने हाथों को तुम्हारे स्तनों के नीचे के भाग पे रखा , उन्हों ने दोनों हथेलियों से तुम्हारे दोनो स्तनों को सहारा देते हुए पीछे की और से पकड़ लिया।

महराज समीर ने कहा “ रानी बिनल आपके स्तन तो बहुत ही मुलायम और मखमली लग रहे है।” मैंने आज तक ऐसे नरम और गोलाकार स्तन को कभी महसूस नही किया।” वो धीरे धीरे ऊपर अपने हाथों को ले जाते हुए तुम्हारे स्तनों की स्तनाग्र(निप्पल) पे हाथ फिरने लगे, उनकी उंगलियों की बड़ी बड़ी अंगूठिया तुम्हारे स्तनाग्र में चुभ रही थी, उनकी छुअन से तुम्हारे दबे हुए स्तनाग्र खिल गए थे, और महाराजा दो उंगलियों के बीच उन्हें दबा रहे थे।

फिर उन्हों ने तुम्हारे उपवस्त्रो को निकालना शुरू किया, तुम्हारे लंबे घने बालो को पीठसे हटाते हुए तुम्हारे एक कंधो की और किया और तुम्हरे उपवस्त्रो को तम्हारे बदन से अलग करने लगे।

( कहानी को आगे बढ़ते बढ़ते मेरा लिंग चट्टान की तरह खड़ा हो गया था और में एक हाथ से लिंग को धीरे धीरे हिला रहा था,बिनल भी बहुत ध्यान से सुन रही थी और सिर्फ “ फिर “ “ ह्म्म्म” इतना ही बोल रही थी , शायद उसकी योनि भी गीली हो रही थी। )










राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator