Wednesday, July 11, 2018

FUN-MAZA-MASTI तुस्सी बड़े खराब हो--5

FUN-MAZA-MASTI

तुस्सी बड़े खराब हो--5

नए सदस्य ।

रूपिका लगभग 8 बजे घर पहुँची और सीधे अपने कमरे में चली गई । कुछ देर बाद उसके दरवाजे को किसी ने खटखटाया
रूपिका-कौन है ?
महिला की आवाज़-मालकिन हम हैं रश्मि रामलाल काका की नातिन वो गाँव गए हैं ना तो हमें बुलाया है काम करने के लिए ।
रूपिका ने दरवाजा खोला तो उसके सामने सलवार सूट पहने 18-19 साल की बेहद सुन्दर लड़की खड़ी थी । पहली नज़र में तो उसे लगा जैसे वो आलिया भट को देख रही हो पर लड़की उससे भी सुंदर दी ऊपर से अजंता की किसी मूर्ती से तराशा हुआ बदन । देखते रश्मि उसे अच्छी लगने लगी ।
रूपिका-रश्मी काका ने तुम्हें क्यों बुलाया अभी तो तुम्हारे पढ़ने की उम्र है ।
रश्मी-दीदी काम के तो माँ आई हैं मैंने तो अभी बारहवीं पास की है पढ़ने के लिए माँ के साथ आ गए । हमारे साथ हमारा भाई भी आया है उम्र तो मेरे जितनी ही है पर दिमाग बच्चों जैसा है बीमार है तो आप उसपर गुस्सा मत करना।
रूपिका-ठीक है । रूपिका ने सोचते हुए जवाब दिया वो सोच रही थी कि कितने खुले दिल की और भोली भाली लड़की है ।"इसकी पलविका से खूब जमेगी" उसने मन में सोचा ।
रूपिका और रश्मी जब नीचे पहुँचे तो एक 30-35 साल की भरे बदन की महिला विक्रांत के लिए खाना लगा रही थी । महिला काफी आकर्षक थी गोरा रंग कुछ-2 सोनाली बेंद्रे जैसे नैन नक्श ,काफी उभरी हुई छातियाँ और कुहले । रूपिका ने अंदाज़ा लगया की यही रश्मी की माँ होगी "उम्र तो कम से कम इसकी 45 की होगी पर अभी 30 की भी नहीं लगती" रूपिका ने मन में सोचा ।
रूपिका-गुड इवनिंग पापा ।
विक्रांत- गुड इवनिंग बेटा । तो तुम रश्मी से मिल चुकी हो हम्म ....बड़ी होनहार बच्ची है ट्वेल्थ में टॉप किया है अब इसके एडमिशन की ज़िमेदारी तुम्हारी है ।
रूपिका- जी पापा । मैं पलविका के कॉलेज में ही एडमिशन करवा दूँगी इसका उसी के साथ चली जाया करेगी ।
पलविका-(खुश होते हुए) बिल्कुल हम दोनों तो दोस्त भी बन गए हैं । हैं ना रश्मी ?
रश्मी- जी मालकिन ।
पलविका-(बुरा मानते हुए) अगर तुमने मुझे दोबारा मालकिन कहा न तो मैं कभी तुमसे बात नहीं करूंगी ।
रश्मी- जी दीदी।
रश्मी की माँ- मालिक छोटे मालिक नहीं आये अब तक ।
विक्रांत- रुक्मणी तुमने फिर से इनकी माँ की याद दिला दी । आज लग रहा है कि घर-2 है । और तुम राहुल की टेंशन मत लो जनाब 10-11 बजे से पहले नहीं आने वाले ।
रूक्मणी-मालिक फिर छोटे मालिक खाना कब खाते हैं?
रूपिका- खा के आएगा काकी उसकी चिंता मत करो । (फिर विक्रांत की और देखते हुए) पापा आपकी नई सक्रेटरी काफी स्मार्ट और इंटेलिजेंट है कितनी सैलरी फिक्स की आपने ?
विक्रांत- बेचारी mba है वो भी पंजाब यूनिवर्सिटी से तो 20000 रखी है , कुछ ज्यादा है पर क्या फर्क पड़ता है ।
रूपिका-पापा आप भी न क्या एक दो हज़ार के बारे में सोचते हो बढ़िया लड़की है इतनी सैलरी तो बनती ही है ।
विक्रांत ने जल्दी से खाना खत्म किया क्योंकि उसे अकीरा से बात करनी थी । वो उसकी तरफ चुम्बक की तरह खीचा चला जा रहा था । अकीरा के कई मैसेज आ चुके थे पर बच्चों के सामने वो रिप्लाई नहीं कर सकता था । इसिलए उसे अपने कमरे में आने की जल्दी थी । अपने कमरे में आते ही उसने टीवी ऑन कर न्यूज़ चैनल लगाया और अकीरा को मैसज किया
विक्रांत- हैल्लो
अकीरा-जनाब को टाइम मिल गया ?
विक्रांत- सॉरी पर तुम तो जानती हो मेरे बच्चे हैं वो भी तुम्हारी उम्र के उनके सामने कैसे....
अकीरा- मैंनें तो विक्रांत राठौर के बहादुरी के किस्से सुने थे वो विक्रम राठौर इतना डरपोक कैसे हो गया ।
विक्रांत- तुम कोई जासूस हो क्या ? सब जानती हो कुछ भी करती हो और आज लंच कैसे भिजवाया तुमने ?
अकीरा- जासूस नहीं हूं पर जानती सब हूँ ।
विक्रांत-कैसे ?
अकीरा-लम्बी कहानी है जब मिलोगे तब बताऊँगी ।
विक्रांत - मिलना तो न जाने कब होगा ।
अकीरा- तुम हुक्म करो तो मैं अभी चंडीगढ़ आ जाऊं ?
विक्रांत-हा..हा. हा। तुम भी न कुछ भी कहती हो । दिल्ली से चंडीगढ़ इस समय ? न मुमकिन
अकीरा- अगर आ गयी तो ?
विक्रांत - तुम जो भी कहोगी मैं करूँगा ।
अकीरा- पक्का ? खाओ मेरी कसम की जो भी मैं कहूँगी वो तुम करोगे ।
विक्रांत -(घड़ी पे टाइम देखते हुए ....9 बजे हैं) अगर तुम 12बजे से पहले आ गईं तो आज रात के लिए मैं तुम्हारा गुलाम । उसे लग रहा था कि कितना भी तेज क्यों न कार ड्राइव करे 300 किलोमीटर का सफर तय करने में 4-5 घंटे तो लगेगें ही ।
अकीरा - मुझे मंजूर है। तो टाइम नोट कर लो
विक्रांत-कर लिया । अब क्या कर रही हो ?
अकीरा-कपड़े उतार रही हूँ ?
विक्रांत- क्यों ? आना नहीं है क्या ?
अकीरा- बोड़ाम महाराज कपड़े उतारूँ गी नहीं तो चेंज कैसे करूँगी । अकीरा ने इस मैसेज के साथ अपनी फ़ोटो भी विक्रांत को भेज दी । पतले से गुलाबी रंग के गाउन में उसके बदन एक एक गुमाव और उभार दिख रहा था ऊपर से मासूमियत भरा उसका चेहरा देख विक्रांत फिर से उत्तेजित हो गया । अनजाने में उसका हाथ लन्ड पर चला गया और वो फूल स्पीड मुठ मारने लग पड़ा ।
अकीरा-(वो विक्रांत का मैसेज न आने पर समझ गयी थी कि जनाब कंहाँ बिजी हैं) जनाब हाथ से करने की क्या ज़रूरत है मैं आ तो रही हूँ ।
विक्रांत-(चोंक गया कि इस लड़की को कैसे सब पता चल जाता है ) तुम भगवान हो क्या ?
अकीरा- ऐसा ही समझ लो पर जो भी हूँ बरसों से तुम्हें प्यार करती हूँ ।
विक्रांत-बरसों से कैसे ? हमने तो कुछ हफ्ते पहले एक दूसरे से बात की थी न वो भी ऑनलाइन?
अकीरा- यह सब छोड़ो बोला न मिल के सब बताऊँगी और 11 बजे एयरपोर्ट लेने आ जाना मुझे । 10 मिनट में मेरी फ्लाइट है ।
विक्रांत- तुम...तुम सच में आ रही हो ? पागल हो क्या ...इतनी रात को ? मैंने तो मज़ाक किया था ।
अकीरा- कितनी बार कहूँ तुम्हारे प्यार में मैं सच में पागल हूँ । अब बोर्ड पे हूँ बाई ...लव यू ।
विक्रांत का तो सिर घूम गया एक बार तो उसे लगा कि उसे चक्कर आ रहा है । उसने पानी पिया और पिछले दिनों हुई सब चीज़ों को टटोलना शुरू किया । "मैंने इसे हैंगआउट नहीं किया ....इसने किया था....इसके पास मेरा ईमेल आईडी होना चाहिए.....पहला मैसेज आया था 25 जुलाई को .....25....25.....दिनेश दिल्ली गया था ....क्या काम था उसे......" विक्रांत खुद से ही सवाल कर रहा था और जवाब उसे मिलते जा रहे थे । "दिनेश....दिल्ली... केस....उसके बेटे का केस था ....पुलिस...हेडक्वार्टर.." जवाब उसे मिल चुका था कि अकीरा ने उसे कैसे ढूंढा पर यह थी कौन और उसे कैसे जानती थी ....सवाल पेचीदा था और टाइम कम उसने जल्दी से ब्लू जीन्स और सफेद शर्ट पहनी और घर से बाहर निकल गया उसने अपनी ऑडी A8 स्टार्ट की और एयरपोर्ट की तरफ ड्राइव करना शुरू किया अभी 1 घंटा था उसके पास उसने अपनी रफ्तार धीरे रखी क्योंकि वो एयरपोर्ट पहुंचने से पहले इस अकीरा नाम की पहेली को सुलझा लेना चाहता था ।
"अकीरा....पुलिस हेडक्वार्टर......फ्लाइट से आ रही है....अमीर है....रात को आ रही है कॉन्फिडेंट है....yes... पुलिस ऑफिसर" विक्रांत ने गाड़ी रोक दी और मोबाइल पे गूगल पे सर्च किया 'IPS akira' एक सेकंड के बाद सब कुछ वो समझ चुका था क्योंकि वकीपीडिया पे जानकारी थी
नेम -अकीरा रघुवंशी
ऐज-27
ओक्यूपेशन-आईपीएस
पेरेंट्स- जीवन एंड रूपाली रघुवंशी।
विक्रांत अचानक अपने अतीत में चला गया जीवन उसके ही साथ ऑर्मी में था । लगभग 8-9 साल पहले वो उनके घर गया था तब वो अकीरा से मिला अकीरा और वो घंटो बातें किया करते अकीरा ने अपने प्यार का इज़हार तब भी किया था और विक्रांत को भी वो अच्छी लगती थी पर दोस्त की बेटी फिर उम्र में इतना अंतर जैसी बातों ने उसे रोक लिया और चंडीगढ़ वापिस आ गया और कुछ ही महीनों बाद उसे खबर मिली कि जीवन का पूरा परिवार एक विमान दुर्घटना में मारा गया ।
विक्रांत अपनी यादों के घेरे से बाहर आया और एयरपोर्ट की तरफ चल पड़ा । वो जैसे ही एयरपोर्ट पहुंचा अकीरा का मैसेज आ गया कि वो गेट पे है,और उसका इंतजार कर रही है । विक्रांत का दिल ज़ोर-2 से धड़कने लगा था । उसने दूर से अकीरा को पहचान लिया अकीरा ने हल्के ग्रे रंग की स्किन टाइट जीन्स और फ्लोलर लूज़ टॉप पहनी हुई थी । जिसमें से उसके गोरे सुडोल कंधे साफ नजर आ रहे थे सब मर्द उसे ललचाई नज़रों से घूर रहे थे । विक्रांत यह सोचता हुआ आगे बढ़ रहा था कि गले मिलूँ , हेलो करूँ या सिर्फ हाई से कामचाला लूँ पर उसके कुछ करने से पहले ही अकीरा भाग के आई और उसके साथ लिपट गयी ।
अकीरा-(संभलते हुए) देखा मैंने अपना वादा पूरा कर लिया न ।
विक्रांत-ऑफिसर साहिबा आप कुछ भी कर सकती हैं अब बोलिये गुलाम के लिए क्या हुक्म है।
अकीरा(हैरान होते हुए)- तो तुमने दिनेश जी से बात की ?
विक्रांत -नहीं उसकी जरूरत नहीं पड़ी देश की सबसे छोटी और खूबसूरत ऑफीसर को कौन नहीं जानता ।
अकीरा-ह्म्म्म हैंडसम एंड इंटेलिजेंट मैन ।
विक्रांत - तो कंहाँ चलना है ?
अकीरा- ताज ...रूम बुक है ।
विक्रांत -घर नहीं चलना ?
अकीरा-जब ज्यादा दिनों के लिए आऊंगी तब चलूँगी ।
विक्रांत(अकीरा को उसकी कमर में हाथ डाल के अपनी तरफ खींच लेता है और उसकी आँखों में देखते हुए कहता है )- सुबह जाना है क्या ?
अकीरा- ह्म्म्म पर उसकी बात हम बाद में करेंगे ।
विक्रांत- तो अब क्या करें?
अकीरा-प्यार बस प्यार ।
विक्रांत- यहीं पे? चलो होटल चलें ।
कुछ समय के बाद दोनों होटल के एक आलीशान कमरे के बिस्तर पर लेटे हुए थे अकीरा विक्रांत से लिपटी हुई थी और उसके दिनभर की दास्तान सुन रही थी ।













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