FUN-MAZA-MASTI
तुस्सी बड़े खराब हो--2
प्रोफेसर दिनेश का एक ही बेटा है रोहन , उम्र 32 साल देखने में लम्बा चौड़ा और पुलिस इंस्पेक्टर है पर चुदाई करने में बिल्कुल जीरो पर यह बात दिनेश के लिए बदनामी की जगह एक चूत का जुगाड़ कर गयी । दिनेश की शादी लगभग दो साल पहले हुई आरुषि दिनेश के दोस्त की बेटी थी 25 कि हो चुकी थी देखने में गोरी चिट्टी 5फुट 7 इंच की बदन अजंता की मूर्तियों जैसा तराशा हुआ गोल चेहरा कुछ कुछ काजल अग्रवाल जैसा ।ऊपर से कॉलेज में प्रोफेसर तो दोनों दोस्तों ने अपने बच्चों की शादी करवा दी ।
पर शादी के कुछ दिन बाद ही दिनेश को लगने लगा कि आरुषि और रोहन के बीच में सब कुछ ठीक नहीं है । पति जवान हो अमीर हो और पत्नी हूरों जैसी इसके बाद भी अगर शादी के कुछ दिन बाद ही दोनों उखड़े-2 रहने लगें तो समझ जाना चाहिए मामला गड़बड़ है । दिनेश एक तो ठरकी ऊपर से औरतों को समझने वाला था वो झट से ताड़ गया कि उसका बेटा ही नपुंसक है । पर इससे नाराज या परेशान होने के बजाए उसकी आँखे खुशी से चमक उठी ।आखिर उसे एक कुंवारी चूत मिल सकती थी ।
दिनेश अपना जाल बिछाना शुरू किया । पुलिस में होने के कारण रोहन अक्सर घर से बाहर रहता इसी का फायदा उठा कर उसने आरुषि पर नज़र रखनी शुरू कर दी । वो उसे नहाते हुए कीहोल से देखता और आरुषि की भरी हुई गाँड़ और कसे हुए बड़े-बड़े मंम्मों पर खूब मुठ मरता । पर आरुषि ऐसा कोई काम नहीं कर रही थी जिससे लगे कि वो भी चुदाई के लिए तैयार है या तड़प रही है । दिनेश की वासना दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी पर रिश्ते दारी का मामला होने के कारण वो पहल करने से डर रहा था । पर जल्दी ही वो दिन आ गया जब उसे आरुषि की चूत पेलने का मौका मिला ।
रविवार का दिन था पर रोहन कि ड्यूटी थी थाने में , वो सोमवार शाम से पहले नहीं आने वाला था दिनेश सोच रहा था आज रात को आराम से ओबी बहू को देखेगा की वो उंगली करती है या नही । दिनेश को भी 11 बजे ओल्ड क्लब की मीटिंग में जाना था । यह बात उसने सुबह खाने वक़्त ही आरुषि को बता दी थी ताकि वो दिन का खाना उसके लिए न बनाए ।
दिनेश 11 बजे घर से निकल गया उसे मीटिंग के लिए मोहाली जाना था । पर आधे रास्ते में उसे याद आया कि वो अपना पर्स घर ही भूल आया है । उसने कार घुमाई और घर पहुंच गया । दिन के 12 बज रहे थे वो जल्दी में वो घंटी बजाना भूल गया और गेट खोल के अंदर घुस गया पर घर के अंदर आते ही उसका माथा ठनका "बहनचोद घर का मेन गेट खोल के ये आरुषि कर क्या रही है ?" उसने खुद से कहा । उसे लगा कि पक्का इसने अपने किसी यार को बुला लिया होगा और मज़े कर रही होगी यह सोच कर वो रोमांचित हो गया । वो दबे पांव बहु के कमरे के बाहर पहुंचा उसकी किस्मत अच्छी थी दरवाजा खुला हुआ था । वो दबे अपनी बहू के कमरे की बढ़ने लगा । दरवाजा खुला था और अंदर से आरुषि की हल्की-2 सिसकियों की आवाज़ आ रही थी । उसने छुपके अंदर झाँका तो आरुषि बिल्कुल नंगी अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी और चूत में उंगली कर रही थी ।
दिनेश तो नज़ारा देखते ही पागल हो उठा उसका मन कर रहा था कि अभी अंदर चला जाये और अपनी बहू को चोद दे पर वो जनता था कि आरुषि को फसाना इतना आसान नहीं है । इसिलए उसने फटाफट अपना मोबाइल निकाला और आरुषि की वीडियो बना ली । और अपने कमरे में आके उसने कपड़े उतारे एक पतली सी लुंग्गी पहनी और बिस्तर पर लेट गया ताकि आरुषि को कोई शक न हो । एक दो घंटे बाद जब आरुषि को पता चला कि उसका ससुर घर पे ही है तो वो कुछ डर गई कि कहीं उसके ससुर ने उसे वो करते हुए देख न लिया हो । पर अपने ससुर को गहरी नींद में सोता हुआ देख के उसने चैन की सांस ली । वो पलटने ही वाली थी कि अपने ससुर की लुंग्गी में से लटकते लन्ड को देख कर कर वो सन रह गयी सोई हुई हालत में भी लन्ड बेहद लम्बा और मोटा था 'कम से कम 4इंच लम्बा तो होगा ' आरुषि ने मन में सोचा । इतने दिनों के बाद वो असली लन्ड देख रही थी उसका तो मन हुआ कि अभी इस लन्ड को मुंह में लेले और चूस-2 के खड़ा कर दे ।वो कोई 2 मिनट अपने ससुर के लन्ड को घूरती रही । दिनेश का निशाना सही जगह लगा था वो सोने का नाटक करते हुए अपनी बहू की सारी हरकतों को देख रहा था वो अभी आरुषि को पकड़ के चोद सकता था पर वो आरुषि के साथ थोड़ा और खेलना चाहता था । इसलिए सोने का नाटक करता रहा । आरुषि के चले जाने के कोई 10मिनट बाद उसने आरुषि को आवाज़ लगाई
आरुषि के चले जाने के कोई 10मिनट बाद उसने आरुषि को आवाज़ लगाई
" बहु ...बहु..."
"पापा आई " आरुषि ने जवाब दिया और अपने ससुर के रूम की तरफ चल पड़ी । उसने इस समय हल्के नीले रंग की साड़ी पहन रखी थी।
आरुषि (कमरे में दाखिल होते हुए )-जी पापा ....आप जाग गए ? आरुषि की नज़र सीधी दिनेश की लुंग्गी की तरफ गयी जिसमें वो अभी भी साफ साफ अपने ससुर के लन्ड को देख सकती थी ।
दिनेश- हाँ बहु ..ज़रा तेल गरम करके देदे आज टांग में मोच आ गयी थी बहुत दर्द हो रहा है ।मालिश करके देखता हूँ शायद कोई फर्क पड़े ।
आरुषि- पापा तेल से क्या फर्क पड़ेगा मैं मूव लगा देती हूँ मेरे पास पड़ी है ।
आरुषि अपने कमरे से मूव की ट्यूब ले आयी । दिनेश अपने बिस्तर पर लेट गया ।
आरुषि- पापा कंहाँ दर्द हो रहा है ?
दिनेश- घुटने के थोड़ा ऊपर ।
आरुषि(घुटने के ऊपर छूते हुए)- यहाँ पे ?
दिनेश- नही बहू थोड़ा और ऊपर । दिनेश थोड़ा ऊपर थोड़ा ऊपर करते हुए आरुषि के हाथ को टांग के बिल्कुल ऊपरी हिस्से तक ले आया । आरुषि की नज़रें फिर अपने ससुर के लन्ड पर चली गईं जो इस समय सोते हुए अजगर की भाँति लग रहा था । उसने झट से मुँह घुमा लिया और धीरे-2 टाँग पर मूव लगाने लग पड़ी ।
आरुषि के कोमल हाथों का स्पर्श पाते ही दिनेश काम अग्नि में जलने लग पड़ा और उसके सोये हुए अजगर ने एक अँगड़ाई ली और एक झटके में ही लोहे के सख्त डण्डे जैसा होगा । आरुषि ने मुँह दूसरी तरफ घुमा रखा था और धीरे-2 अपने कोमल नाज़ुक हाथों से उसकी मालिश कर रही थी । दिनेश को तो लग रहा था कि वो ऐसे झड़ जाएगा उसने आँखें बंद कर ली और सोने का नाटक करने लग पड़ा । कुछ देर बाद आरुषि को लगा कि शायद ससुर जी की दूसरी टांग भी दर्द कर रही होगी , पर वो शर्मा रही थी इसलिए उसने पूछना ही ठीक समझा 'पापा दूसरी पे भी मूव लगा दूँ?' पर दिनेश पूरा हरामी था उसने कोई जवाब नहीं दिया और सोने का नाटक करता रहा । जब दो तीन बार पूछने पर भी कोई जवाब न मिला तो आरुषि ने सोचा कि बूढा सो गया होगा पर उसे क्या पता था कि वो इस चालाक ठरकी बूढ़े के जाल में फंसती जा रही है । वो अपने ससुर की तरफ जैसे ही घूमी तो उसकी नजर सीधी बूढ़े के लंम्बे मोटे लन्ड पर पड़ी जो छत की तरफ 90 के कोण पर तना हुआ था । आरुषि की चीख निकलते निकलते रह गयी । उसने झट से मुँह घुमा लिया पर उसके अंदर की औरत उसे लन्ड को दोबारा देखने के मजबूर कर रही थी । 'पापा तो सो रहें हैं एक बार देख लेती हूँ कितना मस्त लन्ड है ' उसने खुद से कहा और इस बार हिम्मत करके वो मंत्रमुग्द हो कर अपने ससुर के लन्ड को देखने लगी ।
'भूरे-गुलाबी रंग का सूपड़ा और उसके पीछे 20 रुपये वाली कोक की बोतल जितना मोटा और 7-7.5 इंच लम्बा लन्ड ....हाय राम कितना मस्त लन्ड है ' ये सब सोचते-2 कब उसका हाथ साड़ी के अंदर चला गया और कब वो अपनी चूत में उंगली करने लग पड़ी उसे पता ही नहीं चला।
दिनेश ये सब चुपके से देख रहा था पर वो कोई हरकत करने से पहले आरुषि को ऐसी हालात में देखना चाहता था जहाँ वो इंकार न कर पाए । और जैसे ही उसे महसूस हुआ कि आरुषि के बदन में हल्की की अकड़न आने लगी है वो उस पर भूखे शेर की तरह झपट पड़ा और इससे पहले की आरुषि कुछ समझ पाती वो फर्श पड़ी थी उसकी साड़ी खुल चुकी थी ,उसका पेटीकोट दूर एक कोने में पड़ा था और उसके तन पर केवल ब्लाउज़ था वो भी ऐसा की उसके भरपूर मोटे स्तंनो को छुपा नहीं पा रहा था और उसका बूढा ससुर उसकि टाँगों के बीच घुटनों के बल बैठा उसकी चूत पर अपना लन्ड सेट कर रहा था ।
"पापा प्लीज़ ऐसा मत करो " वो फुसफुसाई
"क्या न करूँ?" दिनेश उसके साथ खेल रहा था वो उससे गन्दी बातें बुलवाना चाहता था क्योंकि एक औरत सिर्फ उससे ही खुलती है जिसका लन्ड उसकी फुद्दी को खोलता है ।
"यही जो ...आप कर रहे हो" पर अब तक तो दिनेश ने अपना सूपड़ा उसकी चूत के दाने पर रगडना शुरू कर दिया था ।जिसके कारण वो और गर्म होती जा रही थी और उसकी सिसकियाँ निकलनी शुरू हो चुकी थी..."आह....उम्म....नन नहीं अहह"
"क्या न करूँ?" दिनेश ने आरुषि की आंखों में आँखें डाल के पूछा ।
"आह... आह... मत रगड़ो...मैं आपकी बहू हूँ" वो बड़ी मुश्किल से खुद को रोक पा रही थी ।
"क्या न रागडुं?...बहु पहलियाँ मत बुझाओ साफ साफ बोलो कहीं देर न हो जाये " उसने आरुषि की चूत को लन्ड से थपथपाते हुए पूछा ।
"पापा लिंग को मत रगड़ो"
"ये लिंग क्या होता है ?" दिनेश ने उसकि चूत पर गीला पन महसूस करते हुए पूछा ।
"लन्ड...." पर अब तक देर हो चुकी थी दिनेश उसे यहाँ तक ले आया था कि अब और विरोध उसके बस का नहीं था ...."डाल दे....बूढ़े....हरामी ...आह जल्दी कर तेरे बेटे से तो कुछ होता नहीं तू ही कुछ दम दिखा"
आरुषि के यह कहने की देर थी और अगले ही पल दिनेश ने एक ज़ोरदार झटका मारा और उसका मूसल लन्ड आरुषि की कुंवारी और गीली चूत में घुसता चला गया और आधे से ज्यादा अंदर चला गया ।
"आह..... मर गयी ....साले ठरकी बूढ़े कैसा लन्ड है तेरा फाड़ दी मेरी ..." आरुषि चिल्ला पड़ी । घर पर कोई नहीं था इसिलए दिनेश ने उसका मुँह बंद करने की कोशिश नहीं कि । बल्कि वो इस कच्ची कली से और खेलना चाहता था ....
"अब तुझे लन्ड पसंद नहीं आया तो निकाल लेता हूँ " दिनेश अपना खून से सना लन्ड उसकी कसी हुई चूत से बाहर खींच लिया । "अरे तू तो कुंवारी निकली ...छक्का साला मेरा बेटा जो ऐसी चूत का उद्घाटन न कर पाया " ..
पर इस समय आरुषि कुछ सुन नहीं पा रही थी उसे लन्ड चाहिए था जो उसकी चूत की आग को बुझा सकता " छक्के के बाप डाल भी दे अब या तेरे से भी नहीं होगा ?" वो चिल्ला उठी
आरुषि की ये बात सुन के न जाने दिनेश पर क्या भूत सवार हुआ कि उसने खींच के दो चार थपड आरुषि के जड़ दिए और उसका ब्लाउज़ फाड़ के उसकी चुच्ची को मुँह में भर लिया और अपने लन्ड को अभी-2 कली से फूल बनी चूत पर सेट करके ऐसा तगड़ा झटका मारा की इसका लन्ड जाके आरुषि के गर्भशय टकराया ।
"आह मार दिया रे....फाड़ दी मेरी....आह....निकाल बेटीचोद बूढ़े अपना लन्ड मेरी चूत से बाहर ..." आरुषि दर्द से तड़पते हुए बेतहाशा गालियां बके जा रही थी । पर बूढ़े को उस पर कोई तरस नहीं आया और वो उसे फुल स्पीड चोदने लगा । उसके जानदार और तेज़ धक्कों की आवाज़ पूरे घर में गूँज रही थी । बेचारी आरुषि अब पूरी छिनाल बन चुकी थी वो जानती आज के बाद ये बूढा उसे कई बार चोदने वाला था । वो थक कर चूर थी और कई बार झड़ने के बाद उसकी सारी शक्ति निचुड़ चुकी थी ।पर वो संतुष्ट थी इतना मज़ा उसे पहले कभी नहीं आया था ।
आरुषि-पापा आप ने तो जान ही निकाल दी ।
दिनेश-बहु जान नहीं निकाली आज तुझे लड़की से औरत बनाया है । अभी तुझे असली चुदाई का मज़ा दिया कंहाँ है ?
आरुषि-क्या यह नकली चुदाई थी? असली में तो मर जाऊंगी मैं ।
दिनेश- यह तो बस नमूना था अब से तेरा असली पति मैं ही हूँ । देख अपने पापा के इस बूढ़े लन्ड को अभी भी जान बाकी है इसमें और तू जवान होकर भी डर रही है ।
आरुषि- ऐसा मूसल लन्ड देखकर कौन नहीं डरेगी ?
दिनेश - बहु अब क्या मूसल लन्ड जवानी में देखती तू ...
आरुषि-इससे भी बड़ा था क्या ?
दिनेश-और नहीं तो क्या अब तो बेचारा ढंग से खड़ा भी नहीं होता । जा मेरी अलमारी में एक लोहे का कड़ा(रिंग) होगा उसे ले आ तुझे कुछ दिखता हूँ।
आरुषि कपड़े पहनने लगती है पर दिनेश उसे रोक देता है यह कहते हुए कि रात हो रही है अब साड़ी क्या पहननी मैक्सी पहन लेना आरामदायक रहेगी । आरुषि नंगी ही जाके अलमारी से लोहे का कड़ा ले आती है ।
आरुषि- अब इससे मेरी मुँह दिखाई करेंगे पापा ?
दिनेश-इससे तेरी मुँह दिखाई नहीं लन्ड दिखाई करूँगा तू बस आँखें बंद कर और जबतक मैं ना कहूँ खोलना मत ।
आरुषि -अब इसे लन्ड पर पहनेंगे ?
दिनेश-सही समझी बहु , इस उम्र में नसें ढीली पड़ जाती है जिसके कारण ब्लड फ्लो लन्ड तक नहीं पहुंचता और वो पूरा खड़ा नहीं हो पाता और यह रिंग ब्लड फ्लो को लन्ड में रोक लेगी जिससे बेहतर इरेक्शन मिलेगा । दिनेश जो कहा वो सही था पर इस रिंग के साथ एक रहस्य भी जुड़ा था जिसे दिनेश ने छुपा लिया ।
आरुषि ने जब आंखें खोली तो दिनेश के लन्ड को देखकर थोड़ा घबरा गई उसके ससुर का लन्ड और ज्यादा मोटा और कम से कम 2-3 इंच लम्बा लग रहा था नसें उभरी हुईं थीं और लन्ड किसी डंडे की तरह तना हुआ था 120 डिग्री के कौन पर । "हाय राम इतना बड़ा इसका तो टोपा ही क्रिकेट बाल जितना है"
दिनेश-बहु तो हैरान न हो अब यह ही तुझे जन्नत का मज़ा देगा ।
आरुषि(बेचारी लन्ड को देख घबरा गई पहले दिनेश उसकी बुरी गत बना चुका था सोचने लगी अब तो मर जाऊंगी कोई बहाना बनाना होगा ) - पापा रोहन रात का खाना लेने के लिए किसी को भेजते होंगे पहले मैं खाना बना लूँ फिर आपको जो करना होगा कर लेना ।
दिनेश(वो जानता था कि चाहे उसकी बहु बहाना बना रही है पर बोल सच्ची बात रही है 7 बजे थाने से कोई न कोई ज़रूर आएगा ) ठीक है बहु पर याद रहे साड़ी मत पहनना मैक्सी ही पहन लेना ।
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तुस्सी बड़े खराब हो--2
प्रोफेसर दिनेश का एक ही बेटा है रोहन , उम्र 32 साल देखने में लम्बा चौड़ा और पुलिस इंस्पेक्टर है पर चुदाई करने में बिल्कुल जीरो पर यह बात दिनेश के लिए बदनामी की जगह एक चूत का जुगाड़ कर गयी । दिनेश की शादी लगभग दो साल पहले हुई आरुषि दिनेश के दोस्त की बेटी थी 25 कि हो चुकी थी देखने में गोरी चिट्टी 5फुट 7 इंच की बदन अजंता की मूर्तियों जैसा तराशा हुआ गोल चेहरा कुछ कुछ काजल अग्रवाल जैसा ।ऊपर से कॉलेज में प्रोफेसर तो दोनों दोस्तों ने अपने बच्चों की शादी करवा दी ।
पर शादी के कुछ दिन बाद ही दिनेश को लगने लगा कि आरुषि और रोहन के बीच में सब कुछ ठीक नहीं है । पति जवान हो अमीर हो और पत्नी हूरों जैसी इसके बाद भी अगर शादी के कुछ दिन बाद ही दोनों उखड़े-2 रहने लगें तो समझ जाना चाहिए मामला गड़बड़ है । दिनेश एक तो ठरकी ऊपर से औरतों को समझने वाला था वो झट से ताड़ गया कि उसका बेटा ही नपुंसक है । पर इससे नाराज या परेशान होने के बजाए उसकी आँखे खुशी से चमक उठी ।आखिर उसे एक कुंवारी चूत मिल सकती थी ।
दिनेश अपना जाल बिछाना शुरू किया । पुलिस में होने के कारण रोहन अक्सर घर से बाहर रहता इसी का फायदा उठा कर उसने आरुषि पर नज़र रखनी शुरू कर दी । वो उसे नहाते हुए कीहोल से देखता और आरुषि की भरी हुई गाँड़ और कसे हुए बड़े-बड़े मंम्मों पर खूब मुठ मरता । पर आरुषि ऐसा कोई काम नहीं कर रही थी जिससे लगे कि वो भी चुदाई के लिए तैयार है या तड़प रही है । दिनेश की वासना दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी पर रिश्ते दारी का मामला होने के कारण वो पहल करने से डर रहा था । पर जल्दी ही वो दिन आ गया जब उसे आरुषि की चूत पेलने का मौका मिला ।
रविवार का दिन था पर रोहन कि ड्यूटी थी थाने में , वो सोमवार शाम से पहले नहीं आने वाला था दिनेश सोच रहा था आज रात को आराम से ओबी बहू को देखेगा की वो उंगली करती है या नही । दिनेश को भी 11 बजे ओल्ड क्लब की मीटिंग में जाना था । यह बात उसने सुबह खाने वक़्त ही आरुषि को बता दी थी ताकि वो दिन का खाना उसके लिए न बनाए ।
दिनेश 11 बजे घर से निकल गया उसे मीटिंग के लिए मोहाली जाना था । पर आधे रास्ते में उसे याद आया कि वो अपना पर्स घर ही भूल आया है । उसने कार घुमाई और घर पहुंच गया । दिन के 12 बज रहे थे वो जल्दी में वो घंटी बजाना भूल गया और गेट खोल के अंदर घुस गया पर घर के अंदर आते ही उसका माथा ठनका "बहनचोद घर का मेन गेट खोल के ये आरुषि कर क्या रही है ?" उसने खुद से कहा । उसे लगा कि पक्का इसने अपने किसी यार को बुला लिया होगा और मज़े कर रही होगी यह सोच कर वो रोमांचित हो गया । वो दबे पांव बहु के कमरे के बाहर पहुंचा उसकी किस्मत अच्छी थी दरवाजा खुला हुआ था । वो दबे अपनी बहू के कमरे की बढ़ने लगा । दरवाजा खुला था और अंदर से आरुषि की हल्की-2 सिसकियों की आवाज़ आ रही थी । उसने छुपके अंदर झाँका तो आरुषि बिल्कुल नंगी अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी और चूत में उंगली कर रही थी ।
दिनेश तो नज़ारा देखते ही पागल हो उठा उसका मन कर रहा था कि अभी अंदर चला जाये और अपनी बहू को चोद दे पर वो जनता था कि आरुषि को फसाना इतना आसान नहीं है । इसिलए उसने फटाफट अपना मोबाइल निकाला और आरुषि की वीडियो बना ली । और अपने कमरे में आके उसने कपड़े उतारे एक पतली सी लुंग्गी पहनी और बिस्तर पर लेट गया ताकि आरुषि को कोई शक न हो । एक दो घंटे बाद जब आरुषि को पता चला कि उसका ससुर घर पे ही है तो वो कुछ डर गई कि कहीं उसके ससुर ने उसे वो करते हुए देख न लिया हो । पर अपने ससुर को गहरी नींद में सोता हुआ देख के उसने चैन की सांस ली । वो पलटने ही वाली थी कि अपने ससुर की लुंग्गी में से लटकते लन्ड को देख कर कर वो सन रह गयी सोई हुई हालत में भी लन्ड बेहद लम्बा और मोटा था 'कम से कम 4इंच लम्बा तो होगा ' आरुषि ने मन में सोचा । इतने दिनों के बाद वो असली लन्ड देख रही थी उसका तो मन हुआ कि अभी इस लन्ड को मुंह में लेले और चूस-2 के खड़ा कर दे ।वो कोई 2 मिनट अपने ससुर के लन्ड को घूरती रही । दिनेश का निशाना सही जगह लगा था वो सोने का नाटक करते हुए अपनी बहू की सारी हरकतों को देख रहा था वो अभी आरुषि को पकड़ के चोद सकता था पर वो आरुषि के साथ थोड़ा और खेलना चाहता था । इसलिए सोने का नाटक करता रहा । आरुषि के चले जाने के कोई 10मिनट बाद उसने आरुषि को आवाज़ लगाई
आरुषि के चले जाने के कोई 10मिनट बाद उसने आरुषि को आवाज़ लगाई
" बहु ...बहु..."
"पापा आई " आरुषि ने जवाब दिया और अपने ससुर के रूम की तरफ चल पड़ी । उसने इस समय हल्के नीले रंग की साड़ी पहन रखी थी।
आरुषि (कमरे में दाखिल होते हुए )-जी पापा ....आप जाग गए ? आरुषि की नज़र सीधी दिनेश की लुंग्गी की तरफ गयी जिसमें वो अभी भी साफ साफ अपने ससुर के लन्ड को देख सकती थी ।
दिनेश- हाँ बहु ..ज़रा तेल गरम करके देदे आज टांग में मोच आ गयी थी बहुत दर्द हो रहा है ।मालिश करके देखता हूँ शायद कोई फर्क पड़े ।
आरुषि- पापा तेल से क्या फर्क पड़ेगा मैं मूव लगा देती हूँ मेरे पास पड़ी है ।
आरुषि अपने कमरे से मूव की ट्यूब ले आयी । दिनेश अपने बिस्तर पर लेट गया ।
आरुषि- पापा कंहाँ दर्द हो रहा है ?
दिनेश- घुटने के थोड़ा ऊपर ।
आरुषि(घुटने के ऊपर छूते हुए)- यहाँ पे ?
दिनेश- नही बहू थोड़ा और ऊपर । दिनेश थोड़ा ऊपर थोड़ा ऊपर करते हुए आरुषि के हाथ को टांग के बिल्कुल ऊपरी हिस्से तक ले आया । आरुषि की नज़रें फिर अपने ससुर के लन्ड पर चली गईं जो इस समय सोते हुए अजगर की भाँति लग रहा था । उसने झट से मुँह घुमा लिया और धीरे-2 टाँग पर मूव लगाने लग पड़ी ।
आरुषि के कोमल हाथों का स्पर्श पाते ही दिनेश काम अग्नि में जलने लग पड़ा और उसके सोये हुए अजगर ने एक अँगड़ाई ली और एक झटके में ही लोहे के सख्त डण्डे जैसा होगा । आरुषि ने मुँह दूसरी तरफ घुमा रखा था और धीरे-2 अपने कोमल नाज़ुक हाथों से उसकी मालिश कर रही थी । दिनेश को तो लग रहा था कि वो ऐसे झड़ जाएगा उसने आँखें बंद कर ली और सोने का नाटक करने लग पड़ा । कुछ देर बाद आरुषि को लगा कि शायद ससुर जी की दूसरी टांग भी दर्द कर रही होगी , पर वो शर्मा रही थी इसलिए उसने पूछना ही ठीक समझा 'पापा दूसरी पे भी मूव लगा दूँ?' पर दिनेश पूरा हरामी था उसने कोई जवाब नहीं दिया और सोने का नाटक करता रहा । जब दो तीन बार पूछने पर भी कोई जवाब न मिला तो आरुषि ने सोचा कि बूढा सो गया होगा पर उसे क्या पता था कि वो इस चालाक ठरकी बूढ़े के जाल में फंसती जा रही है । वो अपने ससुर की तरफ जैसे ही घूमी तो उसकी नजर सीधी बूढ़े के लंम्बे मोटे लन्ड पर पड़ी जो छत की तरफ 90 के कोण पर तना हुआ था । आरुषि की चीख निकलते निकलते रह गयी । उसने झट से मुँह घुमा लिया पर उसके अंदर की औरत उसे लन्ड को दोबारा देखने के मजबूर कर रही थी । 'पापा तो सो रहें हैं एक बार देख लेती हूँ कितना मस्त लन्ड है ' उसने खुद से कहा और इस बार हिम्मत करके वो मंत्रमुग्द हो कर अपने ससुर के लन्ड को देखने लगी ।
'भूरे-गुलाबी रंग का सूपड़ा और उसके पीछे 20 रुपये वाली कोक की बोतल जितना मोटा और 7-7.5 इंच लम्बा लन्ड ....हाय राम कितना मस्त लन्ड है ' ये सब सोचते-2 कब उसका हाथ साड़ी के अंदर चला गया और कब वो अपनी चूत में उंगली करने लग पड़ी उसे पता ही नहीं चला।
दिनेश ये सब चुपके से देख रहा था पर वो कोई हरकत करने से पहले आरुषि को ऐसी हालात में देखना चाहता था जहाँ वो इंकार न कर पाए । और जैसे ही उसे महसूस हुआ कि आरुषि के बदन में हल्की की अकड़न आने लगी है वो उस पर भूखे शेर की तरह झपट पड़ा और इससे पहले की आरुषि कुछ समझ पाती वो फर्श पड़ी थी उसकी साड़ी खुल चुकी थी ,उसका पेटीकोट दूर एक कोने में पड़ा था और उसके तन पर केवल ब्लाउज़ था वो भी ऐसा की उसके भरपूर मोटे स्तंनो को छुपा नहीं पा रहा था और उसका बूढा ससुर उसकि टाँगों के बीच घुटनों के बल बैठा उसकी चूत पर अपना लन्ड सेट कर रहा था ।
"पापा प्लीज़ ऐसा मत करो " वो फुसफुसाई
"क्या न करूँ?" दिनेश उसके साथ खेल रहा था वो उससे गन्दी बातें बुलवाना चाहता था क्योंकि एक औरत सिर्फ उससे ही खुलती है जिसका लन्ड उसकी फुद्दी को खोलता है ।
"यही जो ...आप कर रहे हो" पर अब तक तो दिनेश ने अपना सूपड़ा उसकी चूत के दाने पर रगडना शुरू कर दिया था ।जिसके कारण वो और गर्म होती जा रही थी और उसकी सिसकियाँ निकलनी शुरू हो चुकी थी..."आह....उम्म....नन नहीं अहह"
"क्या न करूँ?" दिनेश ने आरुषि की आंखों में आँखें डाल के पूछा ।
"आह... आह... मत रगड़ो...मैं आपकी बहू हूँ" वो बड़ी मुश्किल से खुद को रोक पा रही थी ।
"क्या न रागडुं?...बहु पहलियाँ मत बुझाओ साफ साफ बोलो कहीं देर न हो जाये " उसने आरुषि की चूत को लन्ड से थपथपाते हुए पूछा ।
"पापा लिंग को मत रगड़ो"
"ये लिंग क्या होता है ?" दिनेश ने उसकि चूत पर गीला पन महसूस करते हुए पूछा ।
"लन्ड...." पर अब तक देर हो चुकी थी दिनेश उसे यहाँ तक ले आया था कि अब और विरोध उसके बस का नहीं था ...."डाल दे....बूढ़े....हरामी ...आह जल्दी कर तेरे बेटे से तो कुछ होता नहीं तू ही कुछ दम दिखा"
आरुषि के यह कहने की देर थी और अगले ही पल दिनेश ने एक ज़ोरदार झटका मारा और उसका मूसल लन्ड आरुषि की कुंवारी और गीली चूत में घुसता चला गया और आधे से ज्यादा अंदर चला गया ।
"आह..... मर गयी ....साले ठरकी बूढ़े कैसा लन्ड है तेरा फाड़ दी मेरी ..." आरुषि चिल्ला पड़ी । घर पर कोई नहीं था इसिलए दिनेश ने उसका मुँह बंद करने की कोशिश नहीं कि । बल्कि वो इस कच्ची कली से और खेलना चाहता था ....
"अब तुझे लन्ड पसंद नहीं आया तो निकाल लेता हूँ " दिनेश अपना खून से सना लन्ड उसकी कसी हुई चूत से बाहर खींच लिया । "अरे तू तो कुंवारी निकली ...छक्का साला मेरा बेटा जो ऐसी चूत का उद्घाटन न कर पाया " ..
पर इस समय आरुषि कुछ सुन नहीं पा रही थी उसे लन्ड चाहिए था जो उसकी चूत की आग को बुझा सकता " छक्के के बाप डाल भी दे अब या तेरे से भी नहीं होगा ?" वो चिल्ला उठी
आरुषि की ये बात सुन के न जाने दिनेश पर क्या भूत सवार हुआ कि उसने खींच के दो चार थपड आरुषि के जड़ दिए और उसका ब्लाउज़ फाड़ के उसकी चुच्ची को मुँह में भर लिया और अपने लन्ड को अभी-2 कली से फूल बनी चूत पर सेट करके ऐसा तगड़ा झटका मारा की इसका लन्ड जाके आरुषि के गर्भशय टकराया ।
"आह मार दिया रे....फाड़ दी मेरी....आह....निकाल बेटीचोद बूढ़े अपना लन्ड मेरी चूत से बाहर ..." आरुषि दर्द से तड़पते हुए बेतहाशा गालियां बके जा रही थी । पर बूढ़े को उस पर कोई तरस नहीं आया और वो उसे फुल स्पीड चोदने लगा । उसके जानदार और तेज़ धक्कों की आवाज़ पूरे घर में गूँज रही थी । बेचारी आरुषि अब पूरी छिनाल बन चुकी थी वो जानती आज के बाद ये बूढा उसे कई बार चोदने वाला था । वो थक कर चूर थी और कई बार झड़ने के बाद उसकी सारी शक्ति निचुड़ चुकी थी ।पर वो संतुष्ट थी इतना मज़ा उसे पहले कभी नहीं आया था ।
आरुषि-पापा आप ने तो जान ही निकाल दी ।
दिनेश-बहु जान नहीं निकाली आज तुझे लड़की से औरत बनाया है । अभी तुझे असली चुदाई का मज़ा दिया कंहाँ है ?
आरुषि-क्या यह नकली चुदाई थी? असली में तो मर जाऊंगी मैं ।
दिनेश- यह तो बस नमूना था अब से तेरा असली पति मैं ही हूँ । देख अपने पापा के इस बूढ़े लन्ड को अभी भी जान बाकी है इसमें और तू जवान होकर भी डर रही है ।
आरुषि- ऐसा मूसल लन्ड देखकर कौन नहीं डरेगी ?
दिनेश - बहु अब क्या मूसल लन्ड जवानी में देखती तू ...
आरुषि-इससे भी बड़ा था क्या ?
दिनेश-और नहीं तो क्या अब तो बेचारा ढंग से खड़ा भी नहीं होता । जा मेरी अलमारी में एक लोहे का कड़ा(रिंग) होगा उसे ले आ तुझे कुछ दिखता हूँ।
आरुषि कपड़े पहनने लगती है पर दिनेश उसे रोक देता है यह कहते हुए कि रात हो रही है अब साड़ी क्या पहननी मैक्सी पहन लेना आरामदायक रहेगी । आरुषि नंगी ही जाके अलमारी से लोहे का कड़ा ले आती है ।
आरुषि- अब इससे मेरी मुँह दिखाई करेंगे पापा ?
दिनेश-इससे तेरी मुँह दिखाई नहीं लन्ड दिखाई करूँगा तू बस आँखें बंद कर और जबतक मैं ना कहूँ खोलना मत ।
आरुषि -अब इसे लन्ड पर पहनेंगे ?
दिनेश-सही समझी बहु , इस उम्र में नसें ढीली पड़ जाती है जिसके कारण ब्लड फ्लो लन्ड तक नहीं पहुंचता और वो पूरा खड़ा नहीं हो पाता और यह रिंग ब्लड फ्लो को लन्ड में रोक लेगी जिससे बेहतर इरेक्शन मिलेगा । दिनेश जो कहा वो सही था पर इस रिंग के साथ एक रहस्य भी जुड़ा था जिसे दिनेश ने छुपा लिया ।
आरुषि ने जब आंखें खोली तो दिनेश के लन्ड को देखकर थोड़ा घबरा गई उसके ससुर का लन्ड और ज्यादा मोटा और कम से कम 2-3 इंच लम्बा लग रहा था नसें उभरी हुईं थीं और लन्ड किसी डंडे की तरह तना हुआ था 120 डिग्री के कौन पर । "हाय राम इतना बड़ा इसका तो टोपा ही क्रिकेट बाल जितना है"
दिनेश-बहु तो हैरान न हो अब यह ही तुझे जन्नत का मज़ा देगा ।
आरुषि(बेचारी लन्ड को देख घबरा गई पहले दिनेश उसकी बुरी गत बना चुका था सोचने लगी अब तो मर जाऊंगी कोई बहाना बनाना होगा ) - पापा रोहन रात का खाना लेने के लिए किसी को भेजते होंगे पहले मैं खाना बना लूँ फिर आपको जो करना होगा कर लेना ।
दिनेश(वो जानता था कि चाहे उसकी बहु बहाना बना रही है पर बोल सच्ची बात रही है 7 बजे थाने से कोई न कोई ज़रूर आएगा ) ठीक है बहु पर याद रहे साड़ी मत पहनना मैक्सी ही पहन लेना ।
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