FUN-MAZA-MASTI
रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-2
ओह हा अह आह आहा हां आहा आहा अह अहा ह बहुत मजा आ रहा है रंडी ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
*********
कांता :- हा आहा आहा आहा अहाहा आहा आहा आहा आह अह सुमित्रा चुच रही हूँ रांड और फिर कांता एक हाथ से सुमित्रा के ब्लाउज को खोलने लगती है
और ब्लाउज को खोल कर उसके चूचो को ब्रा से भर निकल कर पुरे जोर से मुह में ले कर चूसने लगती है मुह्ह्ह्ह्ह्ह हा आह ह मुहाआआआआआआ लपर लपर लपर लपर लपर लपर लपर लपर कर के निप्पल को चूस चूस कर लाल कर देती है
सुमित्रा :- आउच जरा आरहा से कुतिया बहुत दर्द कर रहे है इतने दिन से इन को किसी ने दबाया नहीं और न ही किसी ने इन को चुस है प्यार से चूस कांता हां आहा आह ह उयीईईईईईईईईई माआआआआआआअ उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ उसके चूचो को बहार निकल लेती है और वो चुटी में पकड के कांता के निप्पल को घुंडी बना कर पूरी जोर से मरोड़ देती है
कांता :-आउच उस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आआआआआआआआआआअ जरा आराम से सुमित्रा मेरे निप्पल को अपने नाख़ून से कुरेद बहुत मजा आएगा मेरे को ओह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ऊऊऊऊऊऊ माआआआआआआआआआआ और फिर अपनी जिह्वा को सुमित्रा के निप्पल के चारो और बने हुए काले घेरे में से गोल गोल घुमा कर उन को चुस्ती है लपर लपर लपर लपर लपर
अब दोनों की हवश अपने पुरे जोश में जग जाती है और वो सब कुछ भूल कर अपनी ही दुनिया में खोयी होती है उन को ये नहीं मालूम होता है की कोई और भी यह पर है जो इन दोनों को देख रहा होता है
और वो होता है सुनील जो कॉलेज से आज जल्दी आ जाता है और जैसे ही वो अंदर गहने को होता है तभी उस के कानो में सिसकारी की आवाज़ आती है और उसको सुन कर वो अंदर न जा कर बालकोनी वाली खिड़की से अंदर क्या हो रहा है वो देखने की जिज्ञासा जग जाती है और अंदर अपनी माँ को और उसको दोस्त को ये सब करते हुए चोक जाता है और कुछ देर वह रुक कर वो सब देखता है और तब उस से रहा नहीं जाता है तो वो एक दम से दरवाज़े पर आ कर डोर बैल बजता है जिस को सुन कर सुमित्रा और कांता एक दम से एक दूसरी से दूर हगो जाती है और अपने कपडे ठीक करने लगती है और जल्दी से कपडे ठीक कर के सुमित्रा दरवाज़े को खोलती है और सामने अपने बेटे को इतना जल्दी से घर आया देख कर उस से पूछती है बीटा आज इतना जल्दी घर कैसे
सुनील :- माँ हमारे एग्जाम होने वाले है तो इस लिए जल्दी से छुट्टी हो गयी ! और ये बोलते हुए अंदर आ कर कांता को देखता कांता की आखे अभी भी वासना में डूबी हुयी थी और कांता सुनील को देख कर अपने होथोपर से जिह्वा फेरती है
सुनील कांता को देखता है और मुस्करा के बोलता है
सुनील :- आंटी जी नमस्ते
कांता :- नमस्ते बेटा कैसे हो
सुनील :- अच्छा हूँ तुम कैसी हो ?
कांता :- मैं भी ठीक हूँ बेटा और बता आज कल क्या चल रहा है ?
सुनील :- कांता के चूचो को देखते हुए कुछ नहीं आंटी जी बस स्कूल से घर और घर से स्कूल एक आधी बार डैड के पास हॉस्पिटल में चला जाता हूँ
कांता :- और तुम्हारी पढाई कैसी चल रही है ?
सुनील :- वो भी ठीक चल रही है
तभी सुमित्रा बहार से अंदर आती है बेटा तुम हाथ मुह धोलो तब तक मैं तुम्हारे लिए खाना बनती हूँ बहुत भूख लगी होगी न सुबह भी बिना खाए ही चला गया था
सुनील अपनी माँ की मोटी गांड को देखते हुए बोलता है ठीक है माँ सुनील ने आज से पहले कभी भी अपनी माँ को इस नजर से नहीं देखा था जिस नजर से आज देख रहा था
कांता सुनील की नजर को देख कर समझ जाती है की सुनील अपनी माँ को चोदना चाहता है और फिर मन ही मन मुस्करती है और कुछ देर बाद वो सुनील से बोलती है
कांता :- बेटा सुनील तुम मेरी कुछ सहायता कर दोगे ?
सुनील :- कांता की बात सुन कर सोच में पड़ जाता है की आंटी को उससे क्या सहायता चाहिए मैं आप की क्या सहायता कर सकता हूँ आंटी जी
कांता :- बेटा क्या है की मेरी बेटी के अभी एग्जाम होने वाले है लेकिन वो गणित में कुछ कमजोर है तो मैं सोचती हूँ की तुम उसकी गणित में कुछ सहायता कर दो जिससे वो इस वर्ष पास हो जाये नहीं तो मेरे को दर लगता है की कही वो इस वर्ष भी फेल न हो जाये
सुनील :- माँ की लोडी मैं तो समझ रहा था की न जाने क्या काम करने को बोलेगी लेकिन इस साली ने तो मेरे को अपनी बेटी के गणित में फसा दिया है चलो इस बहाने तो इस साली के हर रोज दर्शन हो जायेगे और फिर ठीक है आंटी जी मैं पढ़ा दुगा
कांता :- सुनील की बात सुनकर बहुत खुश होती है ठीक है बेटा तो कल से आ जाना तुम मेरे घर पर
सुनील :- लेकिन आंटी मैं कल शाम को ५ के बाद ही आ सकता हूँ
कांता :- हा बेटा तुम को जब भी टाइम मिले तभी चले आना
और तभी सुमित्रा खाना बना कर बहार लेकर आती है
सुमित्रा :- सुनील बेटा हाथ मुह धोलिया है या नहीं ?
सुनील :- अपनी माँ को देखता है जो इस वक़्त पसीने से पूरी गीली हो गयी थी जिससे उसके निप्पल ब्लाउज में से साफ दिखाई दे रहे थे जिन को देख कर सुनील की सासे तेज हो जाती है हा माँ धोलिये है
सुमित्रा :- चल बेटा खाना खा ले और टेबल पर खाना लगा देती है
सुनील :- खाना खाने टेबल पर बेथ जाता है लेकिन उसकी नजरे अपनी माँ की चुचियो की बिच की खायी पर टिकी होती है जो पसीने से एक दम सोने की तरह से चमक रही होती है
कांता ये सब देख रही होती है और ये सब देख कर सुनील के हाथो से उसकी माँ को चुदवाने का प्लान बनती है लेकिन उसके लिए पहले सुनील को उसके जाल में फ़साना जरुरी था
कांता :- सुमित्रा को बोलती है सुमित्रा अब मेरे को चलना है क्यों की बहुत देर हो गयी है घर जाते- जाते अँधेरा हो जायेगा
सुमित्रा :- आरे कांता अब कोई जाने का टाइम है तुम सुबह चली जाना वेसे भी अब बहुत लेट हो गयी हो
कांता :- नहीं यार जाना जरुरी है बेटी घर पर अकेली है और आज तो काम वाली बाई भी नहीं आने वाली
सुमित्रा :- कुछ देर सोचने के बाद बोलती है ठीक है अगर तुम नहीं मानती हो तो सुनील को अपने हाथ लेकर जाना
कांता :- कांता के मन की मुराद पूरी हो गयी थी वो जानती थी की अगर उसको इस टाइम जाने के लिए बोलेगी तो सुमित्रा उसको अकेली नहीं जाने देगी और सुनिल को साथ लेकर जाने को बोलेगी और फिर कांता ठीक है लेकिन मैं चली जाती तुम इतना कष्ट क्यों करती हो
सुमित्रा :- मेरे को कुछ नहीं सुनना है बस मैंने बोल दिया जो बोल दिया और फिर सुनील को बोलती है बेटा सुनील तुम आंटी जी के साथ उन के घर चले जाओ और अपनी बुक को साथ लेकर जाना क्यों की अब जाने के बाद तुम वही से स्कूल चले जाना क्यों की अब वापिस आने का टाइम नहीं रहेगा
सुनील :- लेकिन माँ तुम घर पर अकेली रह जाओगी ?
सुमित्रा :- नहीं बेटा रात को संगीता घर आ जाएगी और तुम्हारे पिता के पास तुम्हारा मामा रह जायेगा
सुनील :- क्या माँ मामा जी आये हुए है ?
सुमित्रा :- हा बेटा वो आज यही पर ठहरेगे !
सुनील :- ठीक है माँ और फिर वो अपने रूम में जा कर अपनी बुक को लेकर आता है और कांता के साथ चल पड़ता है
कांता का घर वह से करीब १८ कि . मी कि दुरी पर है और उस दुरी को भी कवर करने में करीब बस का पूरा १:३० मिनट का टाइम लगता है क्योकि शहर में बहुत भीड़ होती है जिस से बस बहुत ही आराम आराम से चलती है और फिर कांता और सुनील बस स्टैंड पर पहुचते है
कांता :- बेटा लगता है कि ये आखरी वाली बस मिलेगी हमको
सुनील :- हा आंटी लेकिन इस में तो बहुत भीड़ होगी और उसके बाद तो सुबह ५ बजे कि ही बस है ?
कांता :- हा बेटा
और तभी बस आ जाती है और बस पूरी एक दम से भीड़ से खाचा - खच भरी होती है और सुनील बस को देख कर आंटी इस में तो कही भी पैर रखने कि जंगह नहीं है ?
कांता :- लेकिन बेटा घर तो जाना ही है चलो चढ़ जाओ और फिर कांता बड़ी मुश्किल से बस में चढ़ जाती है और सुनील भी उसके पीछे चढ़ जाता है और फिर दोनों भीड़ को चीरते हुए बस के बिच में जा कर खड़े हो जाते है ! बस में भीड़ ज्यदा होने के कर्ण सुनील का बदन कांता के बदन से टच होता है जिस से सुनील का लंड कांता कि गांड कि बार बार रगद खा कर सकत होने लगता है और कांता भी सुनील के लंड के कड्पन को महसूस करती है लेकिन कुछ नहीं बोलती
अब सुनील कांता को कुछ बोलता ना पाकर अपने हाथ को निचे करता है और आराम आराम से हिलाता हुए अपने हाथ को आराम से कांता कि मोटी गांड पर लगता है
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रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-2
ओह हा अह आह आहा हां आहा आहा अह अहा ह बहुत मजा आ रहा है रंडी ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
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कांता :- हा आहा आहा आहा अहाहा आहा आहा आहा आह अह सुमित्रा चुच रही हूँ रांड और फिर कांता एक हाथ से सुमित्रा के ब्लाउज को खोलने लगती है
और ब्लाउज को खोल कर उसके चूचो को ब्रा से भर निकल कर पुरे जोर से मुह में ले कर चूसने लगती है मुह्ह्ह्ह्ह्ह हा आह ह मुहाआआआआआआ लपर लपर लपर लपर लपर लपर लपर लपर कर के निप्पल को चूस चूस कर लाल कर देती है
सुमित्रा :- आउच जरा आरहा से कुतिया बहुत दर्द कर रहे है इतने दिन से इन को किसी ने दबाया नहीं और न ही किसी ने इन को चुस है प्यार से चूस कांता हां आहा आह ह उयीईईईईईईईईई माआआआआआआअ उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ उसके चूचो को बहार निकल लेती है और वो चुटी में पकड के कांता के निप्पल को घुंडी बना कर पूरी जोर से मरोड़ देती है
कांता :-आउच उस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आआआआआआआआआआअ जरा आराम से सुमित्रा मेरे निप्पल को अपने नाख़ून से कुरेद बहुत मजा आएगा मेरे को ओह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ऊऊऊऊऊऊ माआआआआआआआआआआ और फिर अपनी जिह्वा को सुमित्रा के निप्पल के चारो और बने हुए काले घेरे में से गोल गोल घुमा कर उन को चुस्ती है लपर लपर लपर लपर लपर
अब दोनों की हवश अपने पुरे जोश में जग जाती है और वो सब कुछ भूल कर अपनी ही दुनिया में खोयी होती है उन को ये नहीं मालूम होता है की कोई और भी यह पर है जो इन दोनों को देख रहा होता है
और वो होता है सुनील जो कॉलेज से आज जल्दी आ जाता है और जैसे ही वो अंदर गहने को होता है तभी उस के कानो में सिसकारी की आवाज़ आती है और उसको सुन कर वो अंदर न जा कर बालकोनी वाली खिड़की से अंदर क्या हो रहा है वो देखने की जिज्ञासा जग जाती है और अंदर अपनी माँ को और उसको दोस्त को ये सब करते हुए चोक जाता है और कुछ देर वह रुक कर वो सब देखता है और तब उस से रहा नहीं जाता है तो वो एक दम से दरवाज़े पर आ कर डोर बैल बजता है जिस को सुन कर सुमित्रा और कांता एक दम से एक दूसरी से दूर हगो जाती है और अपने कपडे ठीक करने लगती है और जल्दी से कपडे ठीक कर के सुमित्रा दरवाज़े को खोलती है और सामने अपने बेटे को इतना जल्दी से घर आया देख कर उस से पूछती है बीटा आज इतना जल्दी घर कैसे
सुनील :- माँ हमारे एग्जाम होने वाले है तो इस लिए जल्दी से छुट्टी हो गयी ! और ये बोलते हुए अंदर आ कर कांता को देखता कांता की आखे अभी भी वासना में डूबी हुयी थी और कांता सुनील को देख कर अपने होथोपर से जिह्वा फेरती है
सुनील कांता को देखता है और मुस्करा के बोलता है
सुनील :- आंटी जी नमस्ते
कांता :- नमस्ते बेटा कैसे हो
सुनील :- अच्छा हूँ तुम कैसी हो ?
कांता :- मैं भी ठीक हूँ बेटा और बता आज कल क्या चल रहा है ?
सुनील :- कांता के चूचो को देखते हुए कुछ नहीं आंटी जी बस स्कूल से घर और घर से स्कूल एक आधी बार डैड के पास हॉस्पिटल में चला जाता हूँ
कांता :- और तुम्हारी पढाई कैसी चल रही है ?
सुनील :- वो भी ठीक चल रही है
तभी सुमित्रा बहार से अंदर आती है बेटा तुम हाथ मुह धोलो तब तक मैं तुम्हारे लिए खाना बनती हूँ बहुत भूख लगी होगी न सुबह भी बिना खाए ही चला गया था
सुनील अपनी माँ की मोटी गांड को देखते हुए बोलता है ठीक है माँ सुनील ने आज से पहले कभी भी अपनी माँ को इस नजर से नहीं देखा था जिस नजर से आज देख रहा था
कांता सुनील की नजर को देख कर समझ जाती है की सुनील अपनी माँ को चोदना चाहता है और फिर मन ही मन मुस्करती है और कुछ देर बाद वो सुनील से बोलती है
कांता :- बेटा सुनील तुम मेरी कुछ सहायता कर दोगे ?
सुनील :- कांता की बात सुन कर सोच में पड़ जाता है की आंटी को उससे क्या सहायता चाहिए मैं आप की क्या सहायता कर सकता हूँ आंटी जी
कांता :- बेटा क्या है की मेरी बेटी के अभी एग्जाम होने वाले है लेकिन वो गणित में कुछ कमजोर है तो मैं सोचती हूँ की तुम उसकी गणित में कुछ सहायता कर दो जिससे वो इस वर्ष पास हो जाये नहीं तो मेरे को दर लगता है की कही वो इस वर्ष भी फेल न हो जाये
सुनील :- माँ की लोडी मैं तो समझ रहा था की न जाने क्या काम करने को बोलेगी लेकिन इस साली ने तो मेरे को अपनी बेटी के गणित में फसा दिया है चलो इस बहाने तो इस साली के हर रोज दर्शन हो जायेगे और फिर ठीक है आंटी जी मैं पढ़ा दुगा
कांता :- सुनील की बात सुनकर बहुत खुश होती है ठीक है बेटा तो कल से आ जाना तुम मेरे घर पर
सुनील :- लेकिन आंटी मैं कल शाम को ५ के बाद ही आ सकता हूँ
कांता :- हा बेटा तुम को जब भी टाइम मिले तभी चले आना
और तभी सुमित्रा खाना बना कर बहार लेकर आती है
सुमित्रा :- सुनील बेटा हाथ मुह धोलिया है या नहीं ?
सुनील :- अपनी माँ को देखता है जो इस वक़्त पसीने से पूरी गीली हो गयी थी जिससे उसके निप्पल ब्लाउज में से साफ दिखाई दे रहे थे जिन को देख कर सुनील की सासे तेज हो जाती है हा माँ धोलिये है
सुमित्रा :- चल बेटा खाना खा ले और टेबल पर खाना लगा देती है
सुनील :- खाना खाने टेबल पर बेथ जाता है लेकिन उसकी नजरे अपनी माँ की चुचियो की बिच की खायी पर टिकी होती है जो पसीने से एक दम सोने की तरह से चमक रही होती है
कांता ये सब देख रही होती है और ये सब देख कर सुनील के हाथो से उसकी माँ को चुदवाने का प्लान बनती है लेकिन उसके लिए पहले सुनील को उसके जाल में फ़साना जरुरी था
कांता :- सुमित्रा को बोलती है सुमित्रा अब मेरे को चलना है क्यों की बहुत देर हो गयी है घर जाते- जाते अँधेरा हो जायेगा
सुमित्रा :- आरे कांता अब कोई जाने का टाइम है तुम सुबह चली जाना वेसे भी अब बहुत लेट हो गयी हो
कांता :- नहीं यार जाना जरुरी है बेटी घर पर अकेली है और आज तो काम वाली बाई भी नहीं आने वाली
सुमित्रा :- कुछ देर सोचने के बाद बोलती है ठीक है अगर तुम नहीं मानती हो तो सुनील को अपने हाथ लेकर जाना
कांता :- कांता के मन की मुराद पूरी हो गयी थी वो जानती थी की अगर उसको इस टाइम जाने के लिए बोलेगी तो सुमित्रा उसको अकेली नहीं जाने देगी और सुनिल को साथ लेकर जाने को बोलेगी और फिर कांता ठीक है लेकिन मैं चली जाती तुम इतना कष्ट क्यों करती हो
सुमित्रा :- मेरे को कुछ नहीं सुनना है बस मैंने बोल दिया जो बोल दिया और फिर सुनील को बोलती है बेटा सुनील तुम आंटी जी के साथ उन के घर चले जाओ और अपनी बुक को साथ लेकर जाना क्यों की अब जाने के बाद तुम वही से स्कूल चले जाना क्यों की अब वापिस आने का टाइम नहीं रहेगा
सुनील :- लेकिन माँ तुम घर पर अकेली रह जाओगी ?
सुमित्रा :- नहीं बेटा रात को संगीता घर आ जाएगी और तुम्हारे पिता के पास तुम्हारा मामा रह जायेगा
सुनील :- क्या माँ मामा जी आये हुए है ?
सुमित्रा :- हा बेटा वो आज यही पर ठहरेगे !
सुनील :- ठीक है माँ और फिर वो अपने रूम में जा कर अपनी बुक को लेकर आता है और कांता के साथ चल पड़ता है
कांता का घर वह से करीब १८ कि . मी कि दुरी पर है और उस दुरी को भी कवर करने में करीब बस का पूरा १:३० मिनट का टाइम लगता है क्योकि शहर में बहुत भीड़ होती है जिस से बस बहुत ही आराम आराम से चलती है और फिर कांता और सुनील बस स्टैंड पर पहुचते है
कांता :- बेटा लगता है कि ये आखरी वाली बस मिलेगी हमको
सुनील :- हा आंटी लेकिन इस में तो बहुत भीड़ होगी और उसके बाद तो सुबह ५ बजे कि ही बस है ?
कांता :- हा बेटा
और तभी बस आ जाती है और बस पूरी एक दम से भीड़ से खाचा - खच भरी होती है और सुनील बस को देख कर आंटी इस में तो कही भी पैर रखने कि जंगह नहीं है ?
कांता :- लेकिन बेटा घर तो जाना ही है चलो चढ़ जाओ और फिर कांता बड़ी मुश्किल से बस में चढ़ जाती है और सुनील भी उसके पीछे चढ़ जाता है और फिर दोनों भीड़ को चीरते हुए बस के बिच में जा कर खड़े हो जाते है ! बस में भीड़ ज्यदा होने के कर्ण सुनील का बदन कांता के बदन से टच होता है जिस से सुनील का लंड कांता कि गांड कि बार बार रगद खा कर सकत होने लगता है और कांता भी सुनील के लंड के कड्पन को महसूस करती है लेकिन कुछ नहीं बोलती
अब सुनील कांता को कुछ बोलता ना पाकर अपने हाथ को निचे करता है और आराम आराम से हिलाता हुए अपने हाथ को आराम से कांता कि मोटी गांड पर लगता है
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