Wednesday, July 11, 2018

FUN-MAZA-MASTI तुस्सी बड़े खराब हो--4

FUN-MAZA-MASTI

तुस्सी बड़े खराब हो--4



विक्रांत को आफिस आए हुए तीन घंटे हो चुके और वो कई इंटरव्यू ले चुका था पर अभी तक एक भी ढंग की उम्मीदवार नहीं आई थी । उसने अपने लिए कॉफी मंगवाई और 10 मिनट के लिए किसी को भी अंदर न भेजने के कहा । कॉफी पीते हुए वो सोचने लगा की यह दिनेश ही उस लड़की को भेज देता । उसने दिनेश को फ़ोन करने के लिए मोबाइल उठाया तो अकीरा का मैसेज आया हुआ था-:
"ऑफिस पहुँच गए ?"
विक्रांत-"हाँ"
अकीरा-"क्या कर रहे हो?" .
विक्रांत-"टेकिंग इंटरव्यू फ़ॉर पर्सनल सेक्रेटरी"
अकीरा-"ओह तभी रिप्लाई करने में इतना टाइम लगा दिया "
विक्रांत-"ऐसी बात नहीं है कोई भी अच्छा कैंडिडेट आया ही नहीं थक गया हूँ "
अकीरा-"तो यह बात है ...अच्छा यह बताओ लंच किया या नहीं ?"
विक्रांत-नहीं समय ही नहीं मिला ,फिर आज मेरा बावर्ची भी छुट्टी पे चला गया तो लंचबॉक्स भी मैं ला नही सका
अकीरा-तो मैं भिझवा दूँ?
विक्रांत-दिल्ली से भिझवाओगी? हा.. हा... हा।
अकीरा - तुम बस अपने आफिस का एड्रेस सेंड करो। 10 मिनट में खाना तुम्हारे टेबल पे होगा ।
विक्रांत ने ऑफिस का एड्रेस अकीरा को भेज दिया । और बेलबॉय से अगले उम्मीदवार को भेजने के लिये कहा । तीन चार लड़कियां आई पर कोई भी विक्रांत को जची नहीं पर तभी उसने ईशा को अंदर आते देखा लाल रंग के स्कर्ट और सफेद शर्ट में वो एयर होस्टेस जैसी लग रही थी ऊपर से बला की खूबसूरत।
ईशा- May I come in sir ? ईशा ने अपने बालों की एक लट को सँवारते हुए पूछा ।
विक्रांत- yes plz , kindly have seat .
ईशा-good morning sir .
विक्रांत- Mba हो फिर इस जॉब के लिए क्यों अप्लाई किया ? मेरा मतलब है तुम्हें इससे बेहतर जॉब मिल सकती है।
ईशा-सर फैमिली प्रॉब्लम के कारण मैं पिछले एक साल से जॉब नहीं कर पाई और अब मुझे अपनी प्रोफाइल की जॉब मिल नहीं रही । और फिर जॉब तो जॉब है कुछ भी हो सकती है ।
विक्रांत- मुझे तुम्हारी सही और सच्ची बात अच्छी लगी । अब ये बताओ सैलरी क्या लोगी ।
ईशा- जो भी आप अपनी हार्डवर्किंग सेक्रेटरी को देते ।
विक्रांत- ओह । विक्रांत ने एक सफेद पन्ना लिया और उस पर 20000 लिख दिया और पन्ना ईशा को देते हुए कहा इतनी सैलरी ठीक रहेगी ।
ईशा -बिल्कुल सर । thankyou very much . कब से जॉइन करना है मुझे ?
इससे पहले की विक्रांत ईशा को कोई जवाब देता उसका 'पीए' अंदर आया और उसने विक्रांत से कहा कि किसी ने उसके लंच भिजवाया है ।
पीए-सर लंच ले आऊं ?
विक्रांत-हाँ ।पेमेन्ट कर देना ।
पीए-सर किसी अकीरा चौहान ने पेमेंट कर दी है ।
विक्रांत-'कमाल है ये लड़की भी'। उसने खुद से कहा ।
ईशा- क्या मैं जाऊं सर ?
विक्रांत- नहीं तुम्हें अभी से जॉइन करना है और पहला काम है लंच में मुझे कंपनी देना अगर तुम्हें कोई एतराज न हो तो ।
ईशा- oh not at all sir , it's a great honor for me to have lunch with you ( बिल्कुल नहीं कोई प्रॉब्लम नहीं है बल्कि आपके साथ लंच करना मेरे लिए सम्मान की बात है )
तो दोस्तों इस तरह विक्रांत को अपनी नई सक्रेटरी मिल गयी । पर यह अकीरा कौन है और विक्रांत के पीछे क्यों पड़ी हुई है इसका जवाब विक्रांत के अतीत में है । जो धीरे-2 हमारे सामने आएगा ।


 रूपिका का रहस्य

 शाम हो चुकी थी और सब घर जा चुके थे पर रूपिका अपने ऑफिस में बैठी कुछ सोच रही थी उसके मन में एक काम को लेके एक उलझन थी जिसके कारण वो थोड़ी परेशान थी ।"क्या आज यह सब करना ठीक होगा?" उसके एक मन ने सवाल किया ।
"ठीक गलत कुछ नहीं होता जो कुछ होता है वो है जरूरत" दूसरे मन ने जवाब दिया ।
"यह ठीक नहीं है किसी की मर्ज़ी के खिलाफ ऐसा करना ठीक नहीं" पहले मन ने जवाब दिया ।
"यह सब छोड़ रूपिका मर्द को बस चूत से मतलब होता है उसकी मर्जी कुछ नहीं होती मर्द लन्ड से सोचता है दिमाग से नहीं तुझे लन्ड की जरूरत है और उस दो कौड़ी के ड्राइवर को तुझ से बेहतर चूत नही मिलेगी" उसके दूसरे मन ने जवाब दिया ।
उसके अच्छे मन की आवाज़ को उसके अतृप्त औरत के मन ने दबा दिया । और रूपिका ने झट से फ़ोन उठा लिया और अपने ड्राइवर को फ़ोन लगाया
रूपिका-महेश जल्दी आफिस के नीचे आ जाओ मैं ऑफिस से निकल रही हूं ।
महेश-जी मैडम ।
रूपिका जल्दी से बाथरूम गयी और कपड़े बदल लिए ,उसने जीन्स और शर्ट उतार के एक गहरे गले वाली वन पीस ड्रेस पहन ली जिसमें से उसके सुडोल स्तन काफी साफ नजर आ रहे थे । रूपिका को नए मर्दों की सनक थी जिसके साथ एक बार चुदाई कर लेती उसे दुबारा न देखती और इसके लिए वो चुनती अपने ड्राइवर को । कई ड्राइवर उसकी इस सनक का शिकार हो चुके थे और महेश पन्द्रहवां था ।
वो जब नीचे पहुँची तो महेश कार के पास खड़ा था ,महेश 22-23 साल का मँझोले कद का लड़का था अपनी मालकिन के ऐसे रूप को देखकर वो थोड़ा असहज हो गया । उसने रूपिका के लिए दरवाजा खोला । रूपिका जानभुझकर इसतरह से कार में बैठी की महेश की आँखें उसके मंम्मों पर गढ़ गयी । पर लड़के ने जल्दी ही खुद को संभाल लिया और ड्राइवर सीट पर आ गया ।
महेश-मैडम घर चलना है ?
रूपिका- नहीं पहले मुझे अपने जीरकपुर वाले फार्महाउस जाना है कुछ पेपर्स लेने हैं ।
महेश ने "जी" कहा और कार चलाने लगा ।
रूपिका- महेश कोई गर्लफ्रैंड है तुम्हारी?
महेश-नहीं मैडम हम जैसे गरीब को कौन प्यार करता है ।
रूपिका- आजकल प्यार के लिए बल्कि किसी और चीज़ के लिए गर्लफ्रैंड बनाई जाती है ।
महेश-जी वो तो है।
रूपिका - तो कितनी बार मज़ा ले चुके हो ?
महेश- जी मैडम क्या ? मुझे समझ नहीं आई आपकी बात ।
रूपिका - बड़े भोले हो , मैं पूछ रही थी कितनी बार सेक्स कर चुके हो?
रूपिका की ऐसी बात सुनके महेश तो जैसे सुन ही हो गया । उससे कोई जवाब देते न बना ।
रूपिका- शर्माओ नहीं बोलो भी या अभी तक हाथ से काम चलाते हो ?
महेश- ह...हा... हाथ से ही करते हैं । मैडम फार्महाउस आ गया ।
रूपिका - गाड़ी गेराज में लगा दो , मुझे कुछ सामान भी लेना है इसलिए गाड़ी गेराज में पार्क करके अंदर आ जाना ।
महेश जब बंगले में दाखिल हुआ तो रूपिका एक कमरे में एक फ़ाइल खोले बैठी थी । उसके सामने टेबल पे जॉनी वॉकर की ग्रीन लेबल दारू की बोतल खुली पड़ी थी और दो गिलास थे ।
रूपिका-आओ बैठो महेश मुझे यह रिपोर्ट पढ़नी है थोड़ा टाइम लगेगा । महेश ने चुपचाप टेबल के पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गया । रूपिका ने अपने लिए एक पैग बनाया और पीने लगी पर गिलास को अपने होंठों के पास ले जाकर रुक गयी एक नज़र महेश को देखा और बोली
रूपिका- तुम पीते हो?
महेश-पार्टी वैगरह हो तो पी लेता हूँ ।
रूपिका-आज अपनी मालकिन के साथ पियोगे ? रूपिका ने पूछा , पर इससे पहले महेश जवाब देता उसने एक बड़ा सा पेग बनाके महेश को थमा दिया ।
महेश-मैडम आपके साथ कैसे ....महेश ने गिलास पकड़ते हुए कहा ।
रूपिका-पार्टी में पीते हो आज सोच लो तुम्हारी मालकिन पार्टी दे रही है।
दोनों के गिलास टकराये और रूपिका एक ही गूट में सारा पेग पी गयी । उसे देख महेश ने भी गिलास खत्म कर दिया ...रूपिका ने दूसरा पेग बनाया फिर तीसरा ...महेश पर शराब अपना असर करने लगी थी पर रूपिका बिल्कुल होश में थी उसने तीसरे पेग में वायग्रा की तीन गोलियां चुपके से मिला दी और खुद पेग पीने का बस दिखावा करती रही । कुछ देर बाद मेहश पांच पेग पी चुका था और रूपिका का तीसरा भी अभी खाली नहीं हुआ था ।
रूपिका - काफी हैंडसम हो तुम
महेश- थैंक्यू मैडम । आप भी काफी सुंदर हैं ।
रूपिका- अच्छा ...कितनी सुंदर हुँ मैं?
महेश-आप तो परी हैं जिसके सपने देखते हैं हम ।
रूपिका- कभी सपने में इस परी की चुदाई भी करते हो ?
महेश-मैडम ज़ोर आपके नाम की मुठ मरता हूँ।
रूपिका- झूठ मत बोलो ?
महेश-कसम से मैडम जब भी देखता हूँ आपको लन्ड डंडा बन जाता है मन तो करता है कार में ही चोद दूँ आपको ।
रूपिका-बड़े बदमाश हो । अच्छा ये बताओ मुझे देखके तुम्हारा खड़ा क्यों होता है ।
महेश-मैडम आपको देखते ही छक्के का भी खड़ा हो जाये मैं तो मर्द हूँ ।
रूपिका -चोदना चाहते हो ?
महेश-मैडम आपसे प्यार हो गया है ...माँ कसम आपसी लड़की नहीं देखी एक दम बिंदास ।
रूपिका को इस जवाब कि उम्मीद नहीं थी । महेश की हालत देखकर उसे पता चल चुका था कि पहली बार इसने इतनी पी है और नशे में धुत है । पर उसे खेलने में मज़ा आ रहा था इसलिए उसने और मज़ा लेने की सोची ।
रूपिका-प्यार और मुझसे पता है तुमसे पहले कई मर्दों के साथ सो चुकि हूँ मैं मुझे मर्द प्यार नहीं करते बस चोदते हैं।
महेश-पता है मैडम आफिस में कई लोग आपको ऐसा बोलते हैं यह देखो चोट ये उस कमीने मैनेजर की ठुकाई करते हुए लगी थी कह रहा था.....महेश कहते कहते रुक गया ।
रूपिका-क्या कह रहा था ?
महेश-छोड़ो मैडम क्यों परेशान होती हो
रूपिका-बताओ भी...
महेश-कह रहा था कि मैडम रंडी है हर 15 दिन पे ड्राइव चेंज करती है और उनसे मरवाती है ...कुत्ते के लगाए मैंने दो चार
रूपिका ने उसकी बात सुनी उसका हाथ देखा वो सच में काफी सूजा हुआ था । रूपिका ने मेहश का चेहरा देखा तो वो आंसुओं से भीगा हुआ था । रूपिका को मैनेजर की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था पर इस ड्राइवर ने उसके अंदर की अच्छाई को जगा दिया था ।उसने अपने गुलाब से होंठ महेश के अंगारों से जलते होंठों पर रख दिए और दोनों के होंठ एक हो गए । अपने घमंड के बावजूद न जाने क्यों उसने महेश को उसके घर पहुँचा दिया । वो काफी देर अकेले ही कार चलाती रही एक अजीब सी खुशी थी उसके मन में जिसका कारण वो खुद भी नहीं जानती थी पर इतना जरूर जानती थी कि महेश हो सकता है कि उसके जिस्म की भूख को मिटा न पाए पर अब रूपिका अपना बदन और किसी मर्द को सौंप नहीं पाएगी ।











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