FUN-MAZA-MASTI
रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-3
अपने हाथ को आराम से कांता कि मोटी गांड पर लगता है
अब आगे :-
**********
सुनील का हाथ मानता की गंद पर लगते है वो एक दम से चौक जाती है !
कांता जैसा चाहती थी वैसा ही हो रहा था लेकिन भीड़ से बाहरी हुए बस में सुनील उसके साथ ऐसा करेगा उस को इस की उमीद नहीं थी
कांता:- सुनील को देखती है सुनील क्या कर रहा है ?
सुनील:- आंटी कुछ नहीं
कांता :- बेटा तुम्हारा हाथ मुझको परेशान कर रहा है
सुनील :- माफ़ करना आंटी बस में भीड़ बहुत है और पीछे से धका आ रहा है तो उस से बचने के लिए तुम्हारा सहारा लेना पड़ता है
कांता :- मुस्कराते हुए ओके बेटा
सुनील :- क्या आंटी आप को कुछ परेशानी ज्यदा हो रही है क्या ?
कांता :- नहीं बेटा बस ऐसे ही बोल रही थी
सुनील :- कांता से थोडा हट के खड़ा हो जाता है और तभी एक आदमी और आता है जो सुनील को धका मरता हुए आगे बड़ा रहा होता है और जिस से सुनील कांता से आगे आ जाता है और अब दोनों के मुह एक दुसरे के सामने होते है और दोनों के सीने एक दुसरे से बिलकुल चिपक जाते है और दोनों एक दुसरे की सासों को अपने अपने चहरे पर महसूस करते है !
सुनील :- क्या मस्त चुचे है साली की एक दम से रुई की तरह से मुलायम दिल तो कर रहा है की अभी की अभी इन को अपने दोनों हाथो के पंजे में दबा कर पूरी कास कास के मसल दू और फिर भीड़ के कारण कांता अपने बदन का और दबाव सुनील पर डालती है और उसके चुचे सुनील के सिने में एक दम से गद जाते है और अब सुनील पीछे की तरफ गिरने लगता है और वो अपना हाथ बड़ा कर कांता के पीछे वाली सिट का डंडा पकड़ लेता है और इस से कांता सुनील के सीने से ऐसे लग जाती है जैसे सुनील ने उसको अपनी बहाव में ले रखा हो और बार बार बस के ब्रेक्क लगने से सुनील का लंड कांता की चूत की रगड़ खा कर पूरा सकत हो जाता है और वो भी उसकी सलवार के ऊपर से ही कांता की चूत को रगड़ने लगता है
कांता सुनील के लंड की रगड़ से गर्म होने लगती है और प्यासी नजरो से सुनील को देखने लगती है और सुनील भी कांता को देखते हुए अपने दुसरे हाथ को निचे कर के कांता के नाजुक और चिकने पेट पर अपना हाथ रख देता है
कांता :- सुनील का हाथ अपने पेट पर महसूस करती है और अपने होठो को दातो से चबाते हुए उसके मुह से सिसकारी निकलती है उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ उस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
सुनील कांता की सिसकारी सुन कर अपने हाथ को उसके पेट पर से घुमाते हुए अपनी ऊँगली को कांता की सलवार के बंधन में अपनी ऊँगली डाल कर अपने नाख़ून से उसके बंधन बड़े प्यार से खुजलाता है !
कांता सुनील की उंगलियों के जादू से गर्म होने लगती है और अपने बदन को पूरा दिल छोड़ कर उसके ऊपर गिर जाती है और अपने एक हाथ को निचे कर के सुनील के मोटे लम्बे लंड को पकड लेती है और अपने हाथ को उस पर से फेरती है और अपनी आखे बंद कर के जोर जोर से सास लेने लगती है जिस से कांता की गर्म सासे सुनील के चहरे पर लग कर सुनील को भी गर्म करने लगती है
सुनील अब अपने हाथ को और अंदर तक तक घुसो देता है और कांता की चूत को अपने मजबूत हाथ में पकड के कस से दबोच कर उसको मसलता है और कांता की चूत की किनारिय एक दुसरे से रगड़ खाने लगती है जिस से कांता पूरी कप उठती है और अब उसके चुचे भी उसकी सासों के साथ ऊपर निचे होने लगते है
कांता अपनी आखे बंद कर के बस सुनील की उंगलिया का मजा लेने लगती है !
सुनील :- अपने हाथ से चूत को मसलते हुए अपनी ऊँगली को थोडा सा फेलता है और अपनी ऊँगली के नाख़ून से कान्त की चूत के पिंक दाने को हिलाने लगता है
कांता :- सुनील की उंगलियों के जादू में इतना खो जाता है की वो अपनी टांगो को खोल कर सुनील की ऊँगली को पूरा रास्ता देदेती है और अब अपने एक हाथ को सुनील के गले में डाल कर अपने चूचो को जोर जोर से सुनील के साइन में रगड़ने लगती है और एक हाथ से सुनील की चैन खोल कर अपने हाथ उसकी पेंट में डाल देती है और उसके लंड को मसलने लगती है
सुनील अपनी उंगलियों से दाने को जोर जोर से रगड़ता है और फिर उंगलियों को थोडा सा घुमा कर मोड़ लेता है और उसकी चूत की मखमली दीवार को रगड़ने लगता है
अब दोनों इतने गर्म हो जाते है की उनको ये भी नहीं मालूम होता है की वो इस टाइम किसी खा है और फिर तभी बस चालक एक दम से बस के ब्रेक दबाता है और वो दोनों एक दुसरे पर गिर जाते है जैसे ही गिरते है तो वो अपनी निंद्रा से जागते है तभी उन को मालूम होता है की वो कहा पर है और क्या कर रहे थे फिर एक दुसरे को देख कर मुस्कराते है और एक दुसरे से थोडा दूर हो कर खड़े हो जाते है लेकिन उन की नज़ारे एक दुसरे को बड़ी प्यासी निगाहों से देखते है और कुछ देर बाद उन का स्टॉप आ जाता है!
कांता :- सुनील बेटा स्टॉप अ गया है चलो अब उतरना है
सुनील :- कांता को देखते है लेकिन कुछ बोले बिना ही आगे बाद जाता है फिर उतर कर वो घर की तरफ चल पड़ते है घर जाने के बाद
कांता :- सुनील बेटा तुम जा कर हाथ मुह धो लो मैं तब तक तुम्हारे लिए कुछ खाने पिने का इंतजाम करती हूँ बोलो बेटा क्या खाओगे ?
सुनील :- आंटी चाय ही पिला दो खाना तो घर से कहा कर आया हूँ ये सब बोले हुए वो कांता के मोटे चूचो को बड़ा घुर के देखते हुए बोलता है !
कांता :- सुनील की निगाहों को देखते हुए बोलती है बेटा दूध वाली चाहिए या बिना दूध वाली ?
सुनील :- अपने होठो पर जिव्हा फेरते हुए आंटी अछे दूध वाली मिल जाती तो सारी थकान उतर जाती !
कांता :- बेटा अच्छे दूध वाली को तो अभी टाइम लगेगा अभी तुम ठेली के दूध वाली ही पी कर काम चलालो
सुनील :- ठीक है आंटी जैसी तुम्हारी मर्जी
कांता :- अपनी मोटी गांड को मटकाती हुयी रसोई में चली जाती है और सुनील कांता की मोटी गांड को जाते हुए देखता है और अपने लंड को रगड़ने लगता है !
और तभी कांता की काम करने वाली बाई आ जाती है और उस के साथ कांता की बेटी जो देखने में अपनी माँ से भी जायदा सेक्सी और सुंदर थी अभी से उसके चुचे अपनी माँ के चुचे से बड़े थे ऐसा लगता था जैसे अब से पहले ही उसने अपने चूचो को मसलवा कर इतने मोटे बना लिए हो
सुनील कांता की बेटी को देखता है तो देखता ही रह जाता है और वो अपनी पतली कमर और मोटे चूचो को हिलाते हुए सुनील की तरफ देख कर मुस्कराती है और फिर अपने रूम में चली जाती है !
तभी कांता चाय बना कर ले आती है ! और अपनी काम वाली बाई को देखती है !
कांता :- लाली आ गयी ?(काम वाली बाई का नाम लाली है)
लाली :- हा मेम साहब
कांता :- अच्छा संगीता कहा है ? (संगीता कांता की बेटी का नाम )
लाली :- मेम साहब बिटिया तो अभी अपने रूम में गयी है !
कांता :- संगीता अपनी बेटी को आवाज़ लगाती है !
संगीता :- अपनी माँ की आवाज़ सुन कर निचे आती है
हा मम्मी जी बोल रही थी ?
कांता :- हा बेटी इनसे मिल ये तुम्हारी सुमित्रा आंटी का बेटा है सुनील
संगीता : - हाय सुनील
सुनील:- हाय
संगीता:- कैसे हो सुनील
सुनील :- संगीता के चहरे को देखता हुए मैं ठीक हु तुम बताओ कैसी हो ?
संगीता :- अछि हु और फिर ये बोल कर अपनी मम्मी के पास ही बैठ जाती है और नज़ारे झुक के सुनील को देखती है
कांता :- लाली को आवाज़ लगाती है
लाली :- हा मैम साहब
कांता :- लाली सुनील का बीएड तुम गेस्ट रूम में लगा दो आज सुनील यही पर रुकेगा
लाली :- जी मैम साहब और फिर लाली गेस्ट रूम को ठीक करने चली जाती है और सोनाली अपने रूम में
सुनील कांता के पास आता है और उसको अपनी बहाव में बहार लेता है
कांता :- क्या कर रहा है सुनील जरा सब्र कर अभी कोई देख लेगा यह पर
सुनील:- कांता के होठो को चूसते हुए आंटी अब और नहीं रुक जाता है और अपने होठो के बिच कांता के होठो को बिच लेता है
कांता :- अपने आप को पूरा जोर लगा के सुनील से छुद्वाती है और भाग कर दूर कड़ी हो कर हसने लगती है बेटा अभी थोडा सब्र कर सब्र का फल मीठा होता है
सुनील :- आंटी जी कोई बात नहीं अब कुछ ही देर की बात है फिर देखता हु कितना मीठा फल है
कांता :- चल ठीक है देख लेना मैं देखती हूँ कितना फल खाने की ताकत है तेरे में
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रसीली चुदाई जवानी की दीवानी की-3
अपने हाथ को आराम से कांता कि मोटी गांड पर लगता है
अब आगे :-
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सुनील का हाथ मानता की गंद पर लगते है वो एक दम से चौक जाती है !
कांता जैसा चाहती थी वैसा ही हो रहा था लेकिन भीड़ से बाहरी हुए बस में सुनील उसके साथ ऐसा करेगा उस को इस की उमीद नहीं थी
कांता:- सुनील को देखती है सुनील क्या कर रहा है ?
सुनील:- आंटी कुछ नहीं
कांता :- बेटा तुम्हारा हाथ मुझको परेशान कर रहा है
सुनील :- माफ़ करना आंटी बस में भीड़ बहुत है और पीछे से धका आ रहा है तो उस से बचने के लिए तुम्हारा सहारा लेना पड़ता है
कांता :- मुस्कराते हुए ओके बेटा
सुनील :- क्या आंटी आप को कुछ परेशानी ज्यदा हो रही है क्या ?
कांता :- नहीं बेटा बस ऐसे ही बोल रही थी
सुनील :- कांता से थोडा हट के खड़ा हो जाता है और तभी एक आदमी और आता है जो सुनील को धका मरता हुए आगे बड़ा रहा होता है और जिस से सुनील कांता से आगे आ जाता है और अब दोनों के मुह एक दुसरे के सामने होते है और दोनों के सीने एक दुसरे से बिलकुल चिपक जाते है और दोनों एक दुसरे की सासों को अपने अपने चहरे पर महसूस करते है !
सुनील :- क्या मस्त चुचे है साली की एक दम से रुई की तरह से मुलायम दिल तो कर रहा है की अभी की अभी इन को अपने दोनों हाथो के पंजे में दबा कर पूरी कास कास के मसल दू और फिर भीड़ के कारण कांता अपने बदन का और दबाव सुनील पर डालती है और उसके चुचे सुनील के सिने में एक दम से गद जाते है और अब सुनील पीछे की तरफ गिरने लगता है और वो अपना हाथ बड़ा कर कांता के पीछे वाली सिट का डंडा पकड़ लेता है और इस से कांता सुनील के सीने से ऐसे लग जाती है जैसे सुनील ने उसको अपनी बहाव में ले रखा हो और बार बार बस के ब्रेक्क लगने से सुनील का लंड कांता की चूत की रगड़ खा कर पूरा सकत हो जाता है और वो भी उसकी सलवार के ऊपर से ही कांता की चूत को रगड़ने लगता है
कांता सुनील के लंड की रगड़ से गर्म होने लगती है और प्यासी नजरो से सुनील को देखने लगती है और सुनील भी कांता को देखते हुए अपने दुसरे हाथ को निचे कर के कांता के नाजुक और चिकने पेट पर अपना हाथ रख देता है
कांता :- सुनील का हाथ अपने पेट पर महसूस करती है और अपने होठो को दातो से चबाते हुए उसके मुह से सिसकारी निकलती है उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ उस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
सुनील कांता की सिसकारी सुन कर अपने हाथ को उसके पेट पर से घुमाते हुए अपनी ऊँगली को कांता की सलवार के बंधन में अपनी ऊँगली डाल कर अपने नाख़ून से उसके बंधन बड़े प्यार से खुजलाता है !
कांता सुनील की उंगलियों के जादू से गर्म होने लगती है और अपने बदन को पूरा दिल छोड़ कर उसके ऊपर गिर जाती है और अपने एक हाथ को निचे कर के सुनील के मोटे लम्बे लंड को पकड लेती है और अपने हाथ को उस पर से फेरती है और अपनी आखे बंद कर के जोर जोर से सास लेने लगती है जिस से कांता की गर्म सासे सुनील के चहरे पर लग कर सुनील को भी गर्म करने लगती है
सुनील अब अपने हाथ को और अंदर तक तक घुसो देता है और कांता की चूत को अपने मजबूत हाथ में पकड के कस से दबोच कर उसको मसलता है और कांता की चूत की किनारिय एक दुसरे से रगड़ खाने लगती है जिस से कांता पूरी कप उठती है और अब उसके चुचे भी उसकी सासों के साथ ऊपर निचे होने लगते है
कांता अपनी आखे बंद कर के बस सुनील की उंगलिया का मजा लेने लगती है !
सुनील :- अपने हाथ से चूत को मसलते हुए अपनी ऊँगली को थोडा सा फेलता है और अपनी ऊँगली के नाख़ून से कान्त की चूत के पिंक दाने को हिलाने लगता है
कांता :- सुनील की उंगलियों के जादू में इतना खो जाता है की वो अपनी टांगो को खोल कर सुनील की ऊँगली को पूरा रास्ता देदेती है और अब अपने एक हाथ को सुनील के गले में डाल कर अपने चूचो को जोर जोर से सुनील के साइन में रगड़ने लगती है और एक हाथ से सुनील की चैन खोल कर अपने हाथ उसकी पेंट में डाल देती है और उसके लंड को मसलने लगती है
सुनील अपनी उंगलियों से दाने को जोर जोर से रगड़ता है और फिर उंगलियों को थोडा सा घुमा कर मोड़ लेता है और उसकी चूत की मखमली दीवार को रगड़ने लगता है
अब दोनों इतने गर्म हो जाते है की उनको ये भी नहीं मालूम होता है की वो इस टाइम किसी खा है और फिर तभी बस चालक एक दम से बस के ब्रेक दबाता है और वो दोनों एक दुसरे पर गिर जाते है जैसे ही गिरते है तो वो अपनी निंद्रा से जागते है तभी उन को मालूम होता है की वो कहा पर है और क्या कर रहे थे फिर एक दुसरे को देख कर मुस्कराते है और एक दुसरे से थोडा दूर हो कर खड़े हो जाते है लेकिन उन की नज़ारे एक दुसरे को बड़ी प्यासी निगाहों से देखते है और कुछ देर बाद उन का स्टॉप आ जाता है!
कांता :- सुनील बेटा स्टॉप अ गया है चलो अब उतरना है
सुनील :- कांता को देखते है लेकिन कुछ बोले बिना ही आगे बाद जाता है फिर उतर कर वो घर की तरफ चल पड़ते है घर जाने के बाद
कांता :- सुनील बेटा तुम जा कर हाथ मुह धो लो मैं तब तक तुम्हारे लिए कुछ खाने पिने का इंतजाम करती हूँ बोलो बेटा क्या खाओगे ?
सुनील :- आंटी चाय ही पिला दो खाना तो घर से कहा कर आया हूँ ये सब बोले हुए वो कांता के मोटे चूचो को बड़ा घुर के देखते हुए बोलता है !
कांता :- सुनील की निगाहों को देखते हुए बोलती है बेटा दूध वाली चाहिए या बिना दूध वाली ?
सुनील :- अपने होठो पर जिव्हा फेरते हुए आंटी अछे दूध वाली मिल जाती तो सारी थकान उतर जाती !
कांता :- बेटा अच्छे दूध वाली को तो अभी टाइम लगेगा अभी तुम ठेली के दूध वाली ही पी कर काम चलालो
सुनील :- ठीक है आंटी जैसी तुम्हारी मर्जी
कांता :- अपनी मोटी गांड को मटकाती हुयी रसोई में चली जाती है और सुनील कांता की मोटी गांड को जाते हुए देखता है और अपने लंड को रगड़ने लगता है !
और तभी कांता की काम करने वाली बाई आ जाती है और उस के साथ कांता की बेटी जो देखने में अपनी माँ से भी जायदा सेक्सी और सुंदर थी अभी से उसके चुचे अपनी माँ के चुचे से बड़े थे ऐसा लगता था जैसे अब से पहले ही उसने अपने चूचो को मसलवा कर इतने मोटे बना लिए हो
सुनील कांता की बेटी को देखता है तो देखता ही रह जाता है और वो अपनी पतली कमर और मोटे चूचो को हिलाते हुए सुनील की तरफ देख कर मुस्कराती है और फिर अपने रूम में चली जाती है !
तभी कांता चाय बना कर ले आती है ! और अपनी काम वाली बाई को देखती है !
कांता :- लाली आ गयी ?(काम वाली बाई का नाम लाली है)
लाली :- हा मेम साहब
कांता :- अच्छा संगीता कहा है ? (संगीता कांता की बेटी का नाम )
लाली :- मेम साहब बिटिया तो अभी अपने रूम में गयी है !
कांता :- संगीता अपनी बेटी को आवाज़ लगाती है !
संगीता :- अपनी माँ की आवाज़ सुन कर निचे आती है
हा मम्मी जी बोल रही थी ?
कांता :- हा बेटी इनसे मिल ये तुम्हारी सुमित्रा आंटी का बेटा है सुनील
संगीता : - हाय सुनील
सुनील:- हाय
संगीता:- कैसे हो सुनील
सुनील :- संगीता के चहरे को देखता हुए मैं ठीक हु तुम बताओ कैसी हो ?
संगीता :- अछि हु और फिर ये बोल कर अपनी मम्मी के पास ही बैठ जाती है और नज़ारे झुक के सुनील को देखती है
कांता :- लाली को आवाज़ लगाती है
लाली :- हा मैम साहब
कांता :- लाली सुनील का बीएड तुम गेस्ट रूम में लगा दो आज सुनील यही पर रुकेगा
लाली :- जी मैम साहब और फिर लाली गेस्ट रूम को ठीक करने चली जाती है और सोनाली अपने रूम में
सुनील कांता के पास आता है और उसको अपनी बहाव में बहार लेता है
कांता :- क्या कर रहा है सुनील जरा सब्र कर अभी कोई देख लेगा यह पर
सुनील:- कांता के होठो को चूसते हुए आंटी अब और नहीं रुक जाता है और अपने होठो के बिच कांता के होठो को बिच लेता है
कांता :- अपने आप को पूरा जोर लगा के सुनील से छुद्वाती है और भाग कर दूर कड़ी हो कर हसने लगती है बेटा अभी थोडा सब्र कर सब्र का फल मीठा होता है
सुनील :- आंटी जी कोई बात नहीं अब कुछ ही देर की बात है फिर देखता हु कितना मीठा फल है
कांता :- चल ठीक है देख लेना मैं देखती हूँ कितना फल खाने की ताकत है तेरे में
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