प्रेषिका : निशा
"डार्लिंग ! आज तो बहुत सेक्सी दिख रही हो ! किस पर कयामत गिराने का
इरादा है?" गिरीश ने अपनी पत्नी को देखकर हंसते हुए कहा जिसे वो अपने बॉस
की पार्टी में अपनी कार में ले जा रहा था।
"धत्त ! आप भी ना !" यामिनी ने शरमा कर अपने पति से कहा।
आज गिरीश के बॉस सूरज वर्मा की पार्टी थी जो उसने अपने इकलौते बेटे कुणाल
के लिए दी थी क्योंकि वो अगले दिन बिजनेस के सिलसिले में कुछ समय के लिए
विदेश जाने वाला था...
गिरीश ने अपनी कार को एक आलीशान बंगल के सामने रोक दिया जहाँ पर पहले से
बहुत गाड़ियाँ खड़ी थी और वो पूरा बंगला रोशनी से चमक रहा था।
गिरीश कार को पार्क करने के बाद यामिनी के साथ बंगले में दाखिल हो गया
जहाँ पर उसने पहले सूरज वर्मा और फिर कुणाल से यामिनी का परिचय कराया।
"हेलो यामिनी जी !" कुणाल ने अपना हाथ आगे यामिनी की तरफ बढ़ाते हुए कहा।
यामिनी का सर तो कुणाल को देखते ही चक्कर खाने लगा था, उसने कुणाल से हाथ
मिलाया... और फिर कुणाल और गिरीश से नज़रें चुराकर दूसरी तरफ आ गई।
यामिनी के दिमाग़ में पुरानी यादें घूमने लगी उसने जब कॉलेज में प्रवेश
लिया था तो कुणाल भी वहीं पढ़ता था, वो बहुत ही शरीफ और बुद्धिमान लड़का
था...
यामिनी को देखते ही वो उसके प्यार में डूब गया, यामिनी को भी कुणाल पसंद
था, उन दोनों के बीच बहुत जल्द ही दोस्ती हो गई... और वो दोस्ती कब प्यार
में तबदील हुई, दोनों को पता ही नहीं चला।
अचानक यामिनी की माँ की मौत हो गई और उसके पिता ने अपनी पत्नी के मौत के
बाद अपना तबादला कहीं और करा लिया जहाँ पर बहुत जल्द ही उसने यामिनी की
शादी गिरीश के साथ तय हो गई।
यामिनी को कुणाल से मिलने या बताने का कोई मौका ही नहीं मिला... और उसने
फिर से कुणाल से मिलने की कोई कोशिश भी नहीं की। किस्मत का खेल समझकर वो
गिरीश के साथ खुश रहने लगी, मगर आज 4 सालों बाद उसकी मुलाक़ात फिर से
कुणाल से हुई थी।
"यामिनी जी, क्या मैं आपके साथ डान्स कर सकता हूँ?" अचानक कुणाल ने
यामिनी के पास आते हुए कहा।
"व्हाय नोट सर !" तभी गिरीश भी कहीं से उधर आ गया... और यामिनी के हाथ को
पकड़ कर कुणाल के हाथ में थमा दिया।
कुणाल ने ड्रिंक की हुई थी क्योंकि वो चलते हुए लड़खड़ा रहे थे।
"यामिनी, कहाँ गायब हो गई थी तुम? मैं आज तक तुम्हें नहीं भुला पाया हूँ
!" कुणाल ने डान्स करते हुए यामिनी की आँखों में देखते हुए कहा।
"कुणाल, प्लीज़ मुझे भूल जाओ ! मैं अब एक शादीशुदा औरत हूँ !" यामिनी ने
कुणाल को समझाते हुए कहा।
"हाँ, मैं जानता हूँ कि तुम्हारी शादी हो चुकी है।" कुणाल ने यामिनी की
बात सुनकर जज़्बाती होकर उसकी कमर को पकड़ कर अपने से सटाते हुए कहा।
"कुणाल क्या कर रहे हो?" यामिनी ने कुणाल को देखते हुए कहा, कुणाल के हाथ
को अपनी कमर पर महसूस कर के न चाहते हुए भी यामिनी को अपने जिस्म में कुछ
अजीब किस्म के आनन्द का अहसास हो रहा था।
"यामिनी, मैं तुम्हें करीब से महसूस कर रहा हूँ !" कुणाल ने यामिनी से
डान्स करते हुए अपना चेहरा उसके चहरे के बिल्कुल करीब करते हुए कहा, इतना
करीब कि उसकी गर्म साँसें यामिनी को अपने होंठों पर महसूस होने लगी।
"कुणाल, प्लीज़ मुझे छोड़ दो !" यामिनी ने कहा कुणाल को देखते हुए कहा।
उसका सारा बदन उत्तेजना के मारे काँप रहा था।
"ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी !" कुणाल ने यामिनी से दूर हटते हुए कहा।
और गिरीश के साथ जाकर बातें करने लगा।
पार्टी रात के एक बजे तक चली, सभी लोग अब धीरे धीरे जाने लगे।
जब यामिनी गिरीश के पास पुहँची तो वो नशे में सोफे पर गिरे हुए थे,
यामिनी के उठाने पर भी वो नहीं उठे। यामिनी बहुत परेशान हो गई क्योंकि
ड्राइविंग तो वो जानती नहीं थी।
"क्या हुआ यामिनी?" कुणाल ने यामिनी को परेशान देखकर उसके पास आते हुए कहा।
"कुणाल, ये तो बेहोश हो गये हैं... और मुझे ड्राइविंग नहीं आती !" यामिनी
ने कुणाल को देखते हुए कहा।
"कोई बात नहीं मैं गिरीश और आपको अपनी कार पर घर छोड़ आता हूँ !" कुणाल
ने यामिनी को देखते हुए कहा।
कुणाल की बात मानने के सिवा यामिनी के पास कोई चारा नहीं था।
कुणाल ने अपनी गाड़ी निकाली और अपने नौकरों की मदद से गिरीश को कार में
पीछे लिटा दिया, यामिनी भी कुणाल के साथ आगे कार में बैठ गई।
सारे रास्ते यामिनी ने कुणाल से कोई बात नहीं की।
घर पहुँच कर कुणाल ने यामिनी के साथ मिलकर गिरीश को बेडरूम में ले जा कर
लेटा दिया और वो खुद भी वहीं बैठ कर हाँफने लगा, वो बहुत थक चुका था।
"यह लीजिए, पानी पी लीजिए !" यामिनी ने कुणाल को पानी का गिलास देते हुए कहा।
"थैंक्स !" कुणाल ने लिलास लेकर यामिनी को घूरते हुए कहा।
यामिनी ने जब गौर किया तो उसे पता चला कि कुणाल उसकी चूचियों को घूर रहा
है, नीचे झुकने की वजह से उसका पल्लू उसके सीने से नीचे गिर गया था जिस
वजह से यामिनी की चूचियों के उभार ब्रा के उपर से ही आधे नंगे होकर कुणाल
की आँखों के सामने आ गये थे।
यामिनी ने सीधा होकर अपने पल्लू को वापस अपने सीने पर रख लिया। कुणाल ने
पानी पीने के बाद गिलास वहीं रखा और उठकर खड़ा हो गया।
"यामिनी, मैं जा रहा हूँ !" कुणाल ने यामिनी के हाथ को पकड़ते हुए कहा।
"ठीक है !" यामिनी ने कुणाल के हाथों से अपने हाथ पकड़ने पर हैरान होते हुए कहा।
जाने क्यों कुणाल का हाथ लगते ही यामिनी के जिस्म में कुछ अजीब किस्म की
सिहरन हो रही थी। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।
"यामिनी, मैं अब कभी भी तुमसे नहीं मिलूँगा ! क्या तुम मेरी एक ख्वाहिश
पूरी कर सकती हो?" कुणाल ने यामिनी के हाथ को सहलाते हुए कहा।
"क्या कुणाल?" यामिनी ने कुणाल की आँखों में देखते हुए कहा।
"यामिनी, मैं बस एक बार तुम्हें अपनी बाहों में भरना चाहता हूँ !" कुणाल
ने भी यामिनी की आँखों में देखते हुए कहा।
"कुणाल, तुम यह क्या कह रहे हो? मैं एक शादीशुदा औरत हूँ... और मैं क़िसी
भी कीमत पर अपने पति को धोखा नहीं दे सकती।" यामिनी ने कुणाल की बात
सुनकर चौंकते हुए कहा।
"यामिनी, मैं जानता हूँ कि मैं ग़लत कह रहा हूँ, मगर मैंने भी तुमसे
सच्चा प्यार किया था, इसीलिए मैं तुम्हें आखरी बार गले लगाना चाहता हूँ
!" कुणाल ने अपने एक हाथ से यामिनी की नंगी कमर को पकड़ कर अपने से सटाते
हुए कहा।
"आ आहह कुणाल ! यह ठीक नहीं है।" यामिनी ने कुणाल के हाथ को अपनी नंगी
कमर पर महसूस करते ही सिसकारते हुए कहा।
"मैं जानता हूँ, लेकिन मैं मजबूर हूँ !" कुणाल ने अपना मुँह यामिनी के
चहरे के करीब करते हुए कहा।
यामिनी की साड़ी का पल्लू फिर से नीचे गिर गया... और उसकी बड़ी बड़ी
चूचियाँ उसकी साँसों के साथ ऊपर-नीचे होने लगी। कुणालकी गर्म साँसें अब
उसे अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी।
कुणाल अपने होंठ धीरे धीरे यामिनी के गुलाबी लबों के करीब ले जाने लगा।
यामिनी का पूरा बदन काँपने लगा... और उसके होंठ भी कुणाल के होंटों को
अपने इतना नज़दीक देखकर फड़क रहे थे...
कुणाल ने अपने होंटों को यामिनी के तपते होंठों पर रख दिया, कुणाल के
होंठ अपने होंटों पर पाते ही यामिनी की आँखें अपने आप बंद हो गई... और
उसके हाथ कुणाल के पीठ पर चले गये।
कुणाल भी यामिनी के होंटों को बड़े प्यार से चूसता हुआ उसके बालों को
सहलाने लगा। यामिनी को एक नशा सा चढ़ गया था, वो खुद नहीं समझ पा रही थी
कि उसे क्या हो गया है। कुणाल के होंटों के स्पर्श से ही उस पर बस मदहोशी
छा गई थी...
कुणाल दो मिनट तक ऐसे ही यामिनी के होंटो को चाटता और चूसता रहा...
जब दोनों की सांसें फूलने लगी तो कुणाल ने यामिनी के गुलाबी लबों से अपने
होंटों को अलग किया।
यामिनी कुणाल के अलग होते ही ज़ोर से हाँफने लगी उसकी साड़ी का पल्लू नीचे
होने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ भी ऊपर नीचे होने लगी...
कुणाल ने यामिनी की साड़ी को पकड़ा... और उसे उसके जिस्म से अलग करने लगा।
"कुणाल, बस बहुत हो चुका ! मैं बहक गई थी ! छोड़ो मुझे !" यामिनी ने
कुणाल को रोकते हुए कहा।
कहानी जारी रहेगी।
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Raj Sharma
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