Tuesday, January 29, 2013

तन मन धन सब तुम्हारा है-2

तन मन धन सब तुम्हारा है-2

गतान्क से आगे..................
अगले दिन उसने एक बार फिर से भीड़ से भारी बस का चुनाव किया शहर जाने के
लिए जिसमे आस पास के ज़्यादातर लोग शहर जाते थे ओर किसी तरह वो बस मे
अंदर घुसने मे कामयाब हो गई. उसे पता था की सामने से तो कोई च्छेड़ने की
हिम्मत करेगा नही. सब उसके पीछे से ही हाथ लगाएँगे तो उन्हे पूरा मौका
देने के लिए वो एक सीट पर बैठी लड़की के पास उसकी तरफ मूह करके खड़ी हो
गई जिससे उसकी गांद पीछे वालों के लिए एकदम खुल्ला नज़ारा पेशकर रही थी
बस मे आस पास खड़े मनचलों का दिल उसकी गांद पर हाथ फिराने को मचलने लगा.
एक दो ने उसकी गांद पर हाथ फिराया भी मगर इस तरह जैसे ग़लती से हाथ लग
गया हो. उसने किसी तरह की प्रतिकारिया नही दी. पिच्छले दिनो उसने एक
लड़के को गांद पर हाथ फिराने के लिए डाँट दिया था तो कई दीनो तक किसी
लड़के ने उसकी गांद पर हाथ नही फिराया. वो तरसती ही रह गई. अब कुच्छ दिनो
से लड़कों की फिर से हिम्मत हुई थी वो उन्हे दुबारा डाँट कर नुकसान नही
उठना चाहती थी. उस लड़के ने फिर से अपना हाथ उसकी गांद पर फिराया जैसे
तसल्ली कर लेना चाहता हो की वो दाँटेगी या नही. जब उसने देखा की राशि ने
उसे मूड कर भी नही देखा है तो उसकी हिम्मत बढ़ी ओर उसने अब अपना हाथ उसकी
गांद पर स्थाई रूप से रख दिया था पर साथ ही वो उससे सॅट कर खड़ा हो गया
था जिससे किसी को ये पता ना चले की वो उसकी गांद पर हाथ फिरा रहा है. ओर
अगर राशि भी उसे कुच्छ कहना चाहे तो वो भीड़ का बहाना कर सके. कुच्छ देर
तक ऐसे ही नितंबों पर हाथ फिरने के बाद उसने अपने हाथो को उसकी अस्स
क्रॅक मे फिराना सुरू कर दिया था राशि को उससे इतनी हिम्मत की उम्मीद नही
थी. अब उसकी साँस बहुत गहरी हो चली थी उसे लड़के का हाथ ऐसे प्रतीत हो
रहा था जैसे उसकी नंगी गांद की दरार मे हो. वो गहरी गहरी साँस लेने लगी.
फिर लड़के ने हिम्मत करके उसकी दरार मे उंगली डाल दी ओर सीधा उसकी गांद
पर उंगली का दबाव दिया. उसे मज़ा तो बहुत आया पर साथ ही उसके मूह से
आवाज़ निकल गई 'आओउ' अब ज़्यादातर यात्रियों का ध्यान उसकी तरफ हो गया था
तो उसे अब कुच्छ ना कुच्छ करना ही था अपना बचाव करने के लिए तो उसने झट
से पीछे घूमते हुए उस लड़के के गालपर एक चांटा रसीद कर दिया. ओर उसे
गालियाँ निकलते हुए कहने लगी क्या तुम्हारे घर मे माँ बहने नही है जो इस
तरह की हरकत करते हो.
वो लड़का भौंचक्का रहा गया की कहाँ तो वो मज़े ले रही थी ओर कहाँ उसके
गाल पर एक छाँटा रसीद कर दिया.
इतने मे एक अंकल ने कहा ऐसे बदमाशों के कारण हमारी बहू बेटियों का बाहर
निकलना मुश्किल होता जा रहा है. मारो साले को ओर बस की भीड़ ने उसे मारना
सुरू कर दिया. राशि चुप चाप उसको पीटते हुए देखती रही. वो इस पचदे मे
पड़ना नही चाहती थी. वैसे भी उसे तो अब शहर मे रहना था जहाँ उसके लिए लंड
लगभग तय्यार था उसे तो कुच्छ हवा देने की ही आवास्यकता थी.
कुच्छ ही देर मे वो बस स्टॉप पर उतेरी ओर कॉलेज की तरफ चल दी. कॉलेज
पहुँच कर उसकी नज़रें जय को ही तलाश कर रही थी

कॉलेज मे बहुत देर तक इधर उधर टहलने के बाद आख़िर उसने सोचा की जय को कॉल
ही कर लेना चाहिए वो सोच रही थी की वो कॉल करेगी तो जे पता नही क्या
सोचेगा. पर अब जब वो मिल ही नही रहा था तो उसे कॉल करना ही पड़ेगा. कॉल
लगाने पर जे का मोबाइल पर रिंग जा रही थी पर वो फोन पिक नही कर रहा था.
पतगा नही क्या बात है फोन क्यू नही उठा रहा है. क्या करू क्या ना करू. ये
सोचते सोचते उसने सोचा की चल क्लास ही ले लू. वो क्लास की तरफ चल पड़ी.
पर फिर उसे फिर से एहसास हुआ की उसकी पॅंटी तो सुबह से ही गीली हो रही है
जबसे था उसने सोचा था की वो जय से मिलेगी ओर उसे पटाएगी जिससे वो कुछ आगे
बढ़े ओर कुछ करे ओर उसकी चूत की खुजली का इलाज हो सके फिर वो बस की घटना
जिसमे उस लड़के ने उसकी गांद के छेद पर उंगली लगा कर उसे ओर हॉर्नी बना
दिया था. उसने सोचा क्या करू इसे कैसे शांत करू. चूत को शांत करने का कोई
ज़रिया नज़र ना आता देख उसने सोचा की ओर कुछ नही तो लोगों को उसकी चूत के
दर्शन ही करवा दे जिससे हो सकता है उसकी चूत कुछ शांत होई जाए. ये सोचते
ही उसकी चूत ओर पानी छोड़ने लगी. वो ये सोचने लगी की क्या किया जा सकता
है. इतने मु उसे विचार आया की चूत दिखाने का सबसे सूटबल आइडिया पेशाब
करना हो सकता है. तो उसने कॅंटीन के पास ही अपनी सलवार का नाडा खोला ओर
सलवार के साथ पॅंटी को नीचे खींचते हुए नीचे बैठ गई. कॅंटीन मे इस समय
बहुत भीड़ थी ओर जयदातर लोग उसे ही देख रहे थे. उसे क्या उसकी चूत को देख
रहे थे. जो पीछे की तरफ थे उनको उसकी मस्तानी गांद के दोनो ग्लोबे
बहतेरीन तरीके से दिखाई दे रहे थे. उसने आप को नंगा तो कर दिया लोगों के
बीच मे पर अब उसे बहुत ज़्यादा शर्म आने लगी थी. इस क्राण उसने अपना मूह
एकदम नीचे झुका लिया. अब वो बीच मे उठ भी तो नही सकती थी वरना उसकी पॅंटी
ओर सलवार उसके मूत से भर जाती. पूरी तरह से मूतने मे उसे कोई २ मिनिट लग
गये थे क्यूंकी बहुत देर से उसने मूता जो नही था इस कारण उसका ब्लॅडडर
पूरा भरा हुआ था. मूतने के बाद वो झट से खड़ी हो गई. तब तक वहाँ पर अच्छी
ख़ासी भीड़ लग चुकी थी. उसने झट से अपनी सलवार का नाडा बंद किया ओर वो
फटाफट वहाँ से भाग कर क्लास की तरफ चल दी.
क्लास मे अंदर घुसते ही उसे फिज़िक्स के प्रोफेसर नज़र आए.
मे ई कम इन सर.
येस कम इन. क्लास मे टाइम से आया करो.
सॉरी सिर, बस लेट हो गई थी. उसने बहाना बनाया. क्लास मे बैठने के बाद
उसने विचार किया की आज तो उससे बहुत बड़ी ग़लती हो गई उसे इस तरह से
कॉलेज कॅंपस सभी लड़कों के सामने अपनी चूत की नुमाइश नही करनी चाईए थे.
वो तो उसका मूह धूप की वजह से स्कार्फ से ढाका हुआ था वरना सभी लड़के उसे
पहचान लेते ओर सुका कॉलेज मे निकलना मुश्किल हो जाता. आगे से उसने ऐसा ना
करने की कसम खाई. वो क्लास मे आ तो गई थी पर दिल अभी भी बाहर जे को ही
तलाश कर रहा था. अगर उसे जय मिल जाता तो वो क्लास मे झाँकति भी नही. मान
मसोस कर वो क्लास मे बैठी रही. ओर हर दो मिनिट मे वो जे का नंबर ट्राइ कर
रही थी. पर आज पता नही क्या हो गया था वो फोन ही नही उठा रहा था. इसी तरह
क्लास ख़त्म हो गई. क्लास की घंटी बजने पर प्रोफेसर क्लास से चला गया ओर
उसी समय जय ने फोन पिक किया.
क्या है ये जय. वो जय पर भड़क गई."मैं कब्से तुम्हारा नंबर मिला रही हू
पर एक तुम हो की फोन उठा ही नही रहे हो
अरे यार क्लास मे था ओर फोन वाइब्रट पर था. तुम्हारी घंटी का पता नही चला
अब पीरियड ख़त्म हुआ तो देखा. मैं तुम्हे फोन मिलने ही वाला था की
तुम्हारा फोन फिर से आ गया. हन बताओ क्या बात है कैसे फोन कर रही थी.
कहाँ हो तुम इस समय.

मैं तो क्लास के बाहर ही हू. हॉल २१ पर.
ओक मैं अभी आती हू वहाँ
अरे यार यहाँ आ कर क्या करोगी. ऐसा करते है की कॅंटीन मे मिलते है.
"कॅंटीन. ना बाबा ना वहाँ नही वहाँ पर तो बहुत भीड़ होती है लड़के हर
वक़्त लड़कियों को घूरते रहते है." उसकी कॅंटीन के नाम से ही गांद फट रही
थी. की लड़के उसे पहचान लेंगे क्यूंकी चाहे उसका चहरा उस समय स्कार्फ से
ढाका हुआ हो पर ड्रेस को तो सब पहचान ही रहे होंगे. ओर लड़के तो अब वहाँ
से हिलेंगे भी नही की क्या पता कब कोई ओर लड़की वहाँ पर आ कर मूतने के
बहाने अपनी चूत दिखाने लगे. तो कॅंटीन जाना तो बहुत रिस्की था.
तुम ऐसा करो बाहर गाते पर मिलो आज पढ़ने का मूड नही है. कही बाहर चलते है.
ओक आ जाओ. मैं गेट पर पहुँचता हू. जाई की तो जैसे लॉटरी लग गई थी की आज
एक लड़की उसके साथ बाहर घूमने जाना चाह रही थी. वो फटाफट बाहर की तरफ भगा
क्यूंकी राशि की क्लास तो गेट के पास ही थी पर उसका द्देपरटमेंट कोल्लेग
के लास्ट मे था उसे टाइम लगने वाला था. किसी तरह मरते पड़ते वो मैं गाते
तक पहुँचा ओर राशि के साथ साथ गाते पर पहुच गया. राशि ने उसकी तरफ देख कर
मुश्कुराया. वो भी मुश्कुराया.
हाए
हाए. कैसी हो.
बढ़िया हू.
बोलो कहाँ चलॉगी.
तुमने अपनी फ्रेंड से बात की थी क्या.
अरे यार कल रात ही तो तुमसे बात हुई थी सुबह कॉलेज आ गया था तो बात कब
करता आज कर लूँगा.
जे तुम मेरे रहने का इंतज़ाम कर दोगे ना. उसने सशंकित सी आवाज़ मे उससे पूछा.
अरे यार करवा दूँगा. वो मेरी कोई बात नही टालती है. तुम एक बार तोड़ा
रूको तो तुम तो घोड़े पर सवार हो कर आती हो.
"जय मैं गाओं से उप डाउन नही कर सकती." टाइन मे जे ने एक ऑटो वाले को
रुकने का इशारा किया. दोनो ऑटो मे बैठ गये.
यार दो चार दिन तो उप डाउन कर ही सकती हो.
तुम्हे पता है मेरे साथ बस मे क्या क्या होता है. क्या क्या झेलती हू
मैं. वो जय को रिझाने की गरज से उसे खुल कर बताना चाहती थी जिससे वो उसकी
तरफ खींच सके. उसे क्या पता था की कल की कॉल के बाद ही जय तो उसके नाम की
दो बार मूठ मार चुका था. पर अंजान बनते हुए उसने पूछा "क्यू, क्या हुआ.
मुझे बताओ अगर कोई परेशानी है तो.
आज सुबह एक लड़का बस मे भीड़ का फ़ायडा उठता हुआ मेरे पीछे आ कर खड़ा हो गया.
तो?
तो, क्या. उसने अपना मेरे चूतदों के बीचे मे लगाने की कोशिश की जब कामयाब
नही हुआ तो उसने मेरे चूतदों पर हाथ फिराया ओर फिर बीच की दरार मे हाथ
फियरने लगा. मैं उस समय बहुत ज़्यादा दर गई थी इस कारण मैं उसका विरोध भी
नहिकार पाई. उसका हौसला बढ़ गया ओर उसने मेरे पीछे के छेद मे कपड़ों के
उपर से ही उंगली डालने की कोशिशी की.
जय की तो हालत ही खराब हो गई थी. उसने एक्सपेक्ट ही नही किया था की राशि
उसे ये घटना बताएगी ओर वो भी इतने खुले शब्दों मे. उसका लॅंड तो एकदम से
तन कर खड़ा हो गया था ओर अब उसके लिए पॅंट मे मुश्किलें खड़ी कर रहा था.
वो लंड को अड्जस्ट करना चाहता था पर राशि के सामने कैसे करे. वही राशि ने
उसकी पॅंट मे लंड के कारण बने उभर को देख लिया था ओर वो उसकी हालत को समझ
रही थी इस कारण उसे अड्जस्टमेंट का मौका देने के की गरज से उसने बाहर
देखने का नाटक किया जबकि उसकी तिरछी नज़र से उसे लंड को अड्जस्ट करते हुए
देख रही थी.
मेरे पीछे उसके हाथ लगने के कारण छिल भी गया है. ओर ये कह कर वो रोने का
नाटक करने लगि.ओर जे के कंधे पर अपना सिर रख दिया. तुम जल्द से जल्द मेरे
लिए मकान का इंतज़ाम करो ना.
अरे अभी वही तो जा रहे है.
कुच्छ ही देर मे एक मकान के सामने उसने ऑटो को रुकने का इशारा किया. ऑटो
वेल को किराया चकने के बाद जैसे ही वो घर की तरफ मुड़े तो उन्होने देखा
की मकान के तो ताला लगा हुआ है.


कुछ ही देर मे एक मकान के सामने उसने ऑटो को रुकने का इशारा किया. ऑटो
वाले को किराया चुकाने के बाद जैसे ही वो घर की तरफ मुड़े तो उन्होने
देखा की मकान के तो ताला लगा हुआ है.

घर पर ताला देख कर राशि की तो जैसे मैय्या ही चुद गई. इतनी मुश्किल से तो
उसे जय मिला था उसने सोचा था की वो कम से कम उसे घर तो दिला देगा चुद तो
वो जाएगी ही. पर जब मकान दिलाने की बारी आई तो उस पर भी ताला. ना जाने
कहा चली गई है इसकी दोस्त. पता नही कहाँ चुदति फिर रही होगी. यहाँ मेरी
चूत का तो उसे ख़याल ही नही है. दूसरी तरफ जय ने अपनी जेब मे हाथ डाला ओर
उसमे से झट से एक चाबी निकली ओर घर के ताले पर लगा दी ओर ताला बिना किसी
हिल हुज्जत के खुल गया.
"अबे तेरी इसके पास तो चाबी है घर की, आज तो ऐश हो गई. घर की चाबी है तब
तो बहुत सी संभावनाए हो सकती है. चल राशि जल्दी कर अंदर चल" राशि ये
सोचते हुए उसके पीछे अंदर भागी. अंदर जा कर उसने देखा की मकान बहुत ही
करीने से सज़ा रखा था. बढ़िया इंटीरियर था उस मकान का. या राशि ने गाव के
सिंपल मकान देखे थे तो उसे ये कुछ ज़्यादा पसंद आ रहा था. उसने पहले भाग
भाग कर पूरा मकान देखा ओर फिर से ड्रॉयिंग रूम मे आ गई. "जे मकान तो
सुन्दर है"
"पता है" जय केवल इतना कह सका.
क्या तुम्हारी दोस्त मुझे इस मकान मे रखेगी.
उसे रखना पड़ेगा. तुम्हे मैं जो लाया हू.
क्या?
कुछ नही.
पता नही तुम कभी कभी बड़ी अजीब सी बातें करते हो.
अब यहाँ रहोगी तो मुझसे मिलना तो होगा ही तो तुम सब समझ जाओगे.
बाथरूम कहाँ है.
सामने बाए तरफ.
राशि बाथरूम देखने चली गई. ओर जे उसे सारे मकान को खुश हो कर देखते हुए देखता रहा.
एक मिनिट मे ही राशि वापस आ गई. " अरे यार बाथरूम तो बहुत ही खूबसूरत है."
"है तो"
यार बाथरूम देख कर मेरी तो नहाने की इच्छा होने लगी है. राशि ने उसे कुछ
जलवा दिखाने की सोची.
"तो नहा लो". जे ने भी सोचा कुछ मौका मिल सकता है चुदे ना चुदे पर इसके
नाज़ुक अंगों के दर्शन तो हो ही जाएँगे ही.
पर मेरे पास टॉवेल तो है नही. मैं नाहोँगी कैसे
अरे यार तुम नहाओ तो सही. टवल मैं ला कर देता हू ना.
ओके ला दो.
तुम जाओ नहाओ मैं ले कर आता हू
नही तुम ले कर आ जाओ मैं उसके बाद नहा लूँगी.
अरे जाओ ना यार मुझे पता है क्या टॉवेल कहाँ रखा है, इतनी देर मे तुम नहा
तो लोगि. नही तो तुम खड़ी इंतजार करती रहोगी ओर मैं टॉवेल ढूंढता रहूँगा
ओके. पर जल्दी करना
तू जा तो सही यार.
राशि दिल मे तो यही चाहती थी की वो उसे एक बार नंगा देख ले फिर उसके बाद
वो रुकना भी चाहेगा तो भी खुद को रोक नही पाएगा. वो चीज़ ही ऐसी थी.
ये सोचती हुई राशि बाथरूम मे घुस गई. ओर जय टॉवेल ढूँढने का बहाना करने
लगा. बाथरूम मे घुस कर राशि ने अपने आप को कपड़ों की गिरफ़्त से आज़ाद कर
दिया ओर ब्रा पॅंटी मे आ गई. ओर अपने आप कीओ सामने लगे आदमकद आईने मे
देखने लगी. ऐसा करते हुए उसका खुदका दिल खुद पर आ गया. ओर वो अब अपने आप
को ब्रा उतारने से रोक नही पाई. ओर उसके हाथ खूदबा खुद पीछे पीठ की तरफ
चले गये ओर उसके दोनो पन्छि आज़ाद हो गये. उसकी चूंचियाँ इतनी बड़ी थी की
उन्हे वो बड़ी मुश्किल से ३६डी साइज़ की ब्रा मे क़ैद रख पाती थी.
चूंचियों के आज़ाद होते ही वो उच्छलने लगी ओर उसने दोनो को पकड़ लिया ओर
उन्हे खुद ही मसालने लगी, सुबह बस के इन्सिडेंट के बाद उसे बहुत सेक्स
चढ़ा हुआ था इस कारण वो अपनी चूंचियों से खेलने लगी थी. कुच्छ देर बाद
उसे जय का ख़याल आया ओर उसने जय को आवाज़ दी की क्या हुआ तोवेल नही मिला
क्या.
जय सायद बाहर ही खड़ा था वो झट से वहाँ आ गया.. राशि ने जान बुझ कर
बाथरूम का दरवाजा बंद नही किया था. अगर बंद कर देती तो फिर जे अंदर कैसे
आता ओर वो चुदति कैसे. जय ने जब दरवाजा आधा खोल लिया ओर लगभग अंदर आ चुका
तब जा कर राशि ने उसके अंदर आने का विरोध किया जिससे वो अंदर भी आ जाए ओर
ये भी ना सोचे की वो उससे चूड़ने को मरी जा रही है. ओर दूसरी तरफ जय ने
तय कर लिया था की वो किसी ना किसी तरह से रूम मे अंदर घुस जाएगा जिससे
उसको छोड़ने के चान्स बन सके
"उसके अंदर आते ही राशि बोली अरे अरे क्या करते हो अंदर कहाँ आ रही हो
देखते नही मैं अंदर नंगी हू."
कहाँ होई नंगी तुमने तो चड्डी पहन रखी है?
धत्त. बेशर्म कही के चलो बाहर जाओ. उसने जे को बाहर जाने को कहा पर ना तो
उसने अपनी बड़ी बड़ी चूंचियों को छुपाने की कोशिश की ना ही उसने उसे बाहर
निकालने की कोशिश की.
"अरे यार जाता हू पर वो तुम कह रही थी ना की एक लड़के ने तुम्हे पीछे
उंगली लगा दी थी जिससे तुम्हारे पीछे छिल गया था. दिखाओ तो सही कहाँ
लगाया था कही ज़्यादा तो नही लगा." अब जे उसके इकलौते बचे कपड़े को भी
उसके बदन से आज़ाद कर देना चाहता था. इस कारण उसने उसे वो घाव दिखाने की
पेशकस रखी जो की लगा ही नही था ओर जिसके बारे मे उसे भी पूरा अंदाज़ा था
की कोई घाव होगा ही नही.
"चुप करो तुम ओर बाहर जाओ. ये कोई दिखाने की जगह है. तुम्हे शर्म नही आती
एक नंगी खड़ी लड़की के बाथरूम मे घुस आए हो." वो बार बार उसे अपने नंगे
होने की बात पर ज़ोर दे रही थी. जिससे वो उसके बदन पर पूरी तरह नज़र डाले
ओर उसे वही लिटा कर उसकी चूत के पानी का कोई इलाज अकरे. पर उपरी मान से
बाहर जाने को कह रही थी.
अरे यार तुम्हारी मर्ज़ी पर मैं ये कह रहा था की अगर घाव गहरा हुआ तो
तुम्हे तकलीफ़ होगी तुम ये घाव डॉक्टर को दिखा पाओगे क्या. अभी तुमने
कपड़े तो निकल ही रखे है तो तुम्हे नंगा होना ही नही पड़ेगा ओर अब तुम
मेरे सामने नंगी तो हो ही गई हो तो दिखा दो घाव.
ना.
आर दिखा दे समझा कर यार
एक शर्त पर दिखौँगी.
बोल क्या शर्त है.
तू केवल घाव ही देखेगा ओर कही नज़र नही डालेगा.
ओर क्या देखना है मुझे.
मैं कह रही हू कही नही देखेगा. प्रॉमिस कर. दिल ही दिल मे राशि सोच रही
थी की एक बार चड्डी उतरने दे फिर तुझे पता भी नही चलेगा की तू खुद कौन है
ओर क्या देख रहा है. मेरी मस्त गांद ने तुझे पागल ना कर दिया ना तो
देखना.

बहुत देर तक नखरे करने के बाद राशि ने सोचा की अगर अब उसने नही दिखाई तो
अब ये चला जाएगा ओर फिर उसकी चुद्ने की इच्छा अधूरी ही रह जाएगी तो वो
उसे अपनी गांद दिखाने को राज़ी हो गई. उसने अपनी चड्डी पीछे की तरफ से
थोड़ी सी नीचे सरका दी. लो देख लो. जय की तो जैसे साँसे ही रुक गई थी. वो
राशि के दोनो मस्त गोलैईयों को देख जा रहा था बल्कि राशि ने चड्डी सिर्फ़
पीछे से थोड़ी सी नीचे की थी जिससे जय उसकी गांद का छेद ना देख पाए ओर
थोडा ओर तरसे. जाई पहले तो उसकी गोलैईयों को देख कर ही रस पान करता रहा
फिर उसने ओर देखने की इच्छा के चलते उसे कहा की कहाँ लगी है यहाँ तो
कुच्छ नज़र ही नही आ रहा है.
नही नज़र आ रहा है तो नही लगी होगी अब तुम जाओ.
पर यार तुम तो कह रही थी की बहुत ज़ोर से लगी थी फिर नज़र क्यू नही आ रही
है. ज़रूर अंदर लगी है. तुम ज़रा चड्डी थोड़ी ओर हटाओ.
ओर नही हटेगी चड्डी अगर देखनी हो तो देख लो इतने मे से ही.
ओक मैं कोशिश करता हू. बेचारा क्या करता अगर उसे नाराज़ कर दे तो चूत से
हाथ धो बैठेगा. ये सोच कर उसने एक आइडिया उसे किया. उसने उसे कहा अच्छा
ठीक है तुम तोड़ा सा आगे तो झुक जाओ जिससे मैं रोशनी मे देख साकु. इस बार
राशि आगे को झुक गई. ओर राशि के झुकते ही जय ने उसके दोनो नितंबों को
पकड़ लिया राशि यही चाहती थी पर थोडा कुन्मुनाई ओ थोडा कसमसाई. ओर बोली
क्या करते हो. ऐसे मत करो नही तो मैं नही देखने दूँगी.
अरे यार तेरी चड्डी को हाथ लगाया है क्या मैने जितनी तूने सरकई थी उतनी
ही तो है. ये हटे हुए उसने उसकी गांद की दरार मे अपना हाथ फिरना शुरू कर
दिया. अभी तक उसे गांद का च्छेद नज़र नही आ रहा था फिर भी वो उसकी गांद
सहला रहा था.
क्या करते हो छ्चोड़ो ना.
अरे कुच्छ नही बस देख रहा हू कहा लगी है. यहाँ तो कुच्छ नज़र नही आ रहा
है सयद तुम्हारी गांद के छेद पर लगी हो. वहाँ बहुत जोखिम होता है. घाव हो
जाता है ओर आदमी बैठ भी नही पाता है.
ज़रा चड्डी नीचे तो कर. ज़रा चेक कर लू.
पर तुम इधर उधर नज़र नही दौदाओगे. उसने जैसे रटा रटाया सवाल फिर दोहरा दिया.
अरे नही यार मैं तो तुझे ठीक करना चाहता हू. एक बार देखने दे.
ठीक है तो करदो नीचे पर ज़रा सी करना. राशि चाहती थी की वो खुद उसकी
चड्डी को नीचे कर दे वरना अगर उसे करना पड़ेगा तो शरमाते हुए वो थोड़ी सी
ही चड्डी को नीचे कर पाएगी.
क्रमशः....................

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raj sharma

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