प्रेषक : रजत अरोड़ा
वो लोग अपनी मस्ती करते रहे। कभी वो लड़के दीदी के दुद्धू दबाते-सहलाते
कभी चूसने लगते, ऐसे ही दीदी बारी बारी से उनके लण्ड कभी सहलाती और कभी
चूसने लगती।
फ़िर मैंने देखा कि उन सभी के लण्ड से सफ़ेद सा पानी निकला जो दीदी पी गई।
फ़िर दीदी ने अपने दुद्धू शर्ट में डाले और उन लड़कों ने अपने लण्ड पैंट के
अंदर किये और फ़िर दीदी और मैं घर वापिस आ गये।
रास्ते में दीदी ने मुझे फ़िर से मम्मी को ये बातें ना बताने की कसम याद दिलाई।
घर पहुँचने के बाद दीदी भी खुश थी और मैं भी। दीदी क्युँ खुश थी आप समझ
सकते हो, मैं इसलिये खुश था कि वीडियो गेम खेलने को मिली, ढेर सारे
चोकलेट खाने को मिले ऊपर से 50 रूपए मिले अलग से।
मेरी उस समय की सोच के अनुसार ये सब मेरे लिये बहुत ही अच्छा था।
फ़िर क्या ! लैला दीदी रोज मम्मी से कभी सहेली के घर तो कभी काम से
मार्किट जाने का बोलती और मुझे साथ लेकर उस लड़के के घर पहुँच जाती। वहाँ
मेरे लिये ढेरों चोकलेट होते, नई-नई वीडियो गेम्स होती और पचास रुपए जाते
ही मिल जाते। मैं पैसे अपनी ज़ेब में रख लेता और चोकलेट खाते हुये वीडियो
गेम का मज़ा लेता रहता और उधर दूसरे कमरे में वो लड़के मेरी दीदी के साथ
मस्ती करते। कभी कभी जब मैं वीडियो गेम खेलते-खेलते बोर हो जाता तो मैं
भी उस कमरे में चला जाता और कोने में रखे स्टूल पर बैठ कर उनकी मस्ती
देखता। पहले पहल जो मस्ती वो मेरी दीदी के साथ कपड़े पहने हुये करते थे
धीरे-धीरे अपने और मेरी दीदी के कपड़े उतार के नंगे बदन करने लगे।
फ़िर एक दिन मम्मी ने बताया कि दिल्ली वाली बुआ जी की बेटी की मंगनी है और
मंगनी से अगले दिन रात को उनके घर जागरण है, सो हम सब आज ही रात को ट्रेन
से दिल्ली जा रहे हैं।
यह सुन के रिमझिम तो बहुत खुश हुई पर ना तो मुझे अच्छा लगा ना ही लैला
दीदी को, क्युँकि दीदी को अपनी मस्ती की चिंता थी और मुझे अपनी मस्ती और
पैसों की।
थोड़ी देर बाद दीदी मम्मी से बोली- मम्मी, आप जाओ मैं नहीं जा सकती। मेरे
पेपर सिर पर हैं, मुझे अपनी पढ़ाई का नुकसान नहीं करना।
मम्मी-पापा ने दीदी को बहुत कोशिश की मनाने की पर दीदी ज़िद पर अड़ी हुई थी
कि शादी में चली जाउँगी, मंगनी पर नहीं जाना तो नहीं जाना।
आखिरकार यह फ़ैसला हुआ कि लैला दीदी और मैं यहीं रहेंगे और मम्मी पापा और
रिमझिम दिल्ली जायेंगे।
पापा-मम्मी और रिम्स (रिमझिम को हम प्यार से रिम्स बुलाते हैं) शाम को
कार से दिल्ली चले गये। उनके जाने के बाद लैला दीदी मुझ से बोली- रज्जू
हम रोज अपने नये दोस्तों के घर जाते हैं, मम्मी-पापा के होते तो ये
नामुमकिन है पर आज जब घर पर हम अकेले हैं तो आज तो हम उनको अपने घर बुला
सकते हैं, हैं न?
मैंने कहा- दीदी अगर किसी ने देख लिया और मम्मी-पापा को बता दिया तो?
दीदी बोली- रज्जू बात तो तेरी ठीक है पर हम एक काम करते हैं, हम उनको रात
को को ग्यारह बजे के बाद आने को बोलते हैं जब गली में सब सो जायेंगे और
उनको हम सुबह पाँच बजे जाने को कह देंगे।
मैंने कहा- दीदी फ़िर भी अगर मम्मी को पता चल गया तो आपकी पिटाई तो होगी
ही आप मेरे को भी पिटवाओगी।
तो दीदी बोली- रज्जू तू तो ऐसे ही घबरा जाता है, दिसम्बर के महीने में
रात को ग्यारह बजे के बाद कौन होगा गली में देखने वाला? और सुबह 5 बजे तो
इतनी धुंध होती है कि एक हाथ को दूसरा हाथ दिखाई ना दे। और आज पता है वो
तेरे लिये इम्पोरटेड चोकलेट लायेंगे जो तूने पहले कभी नहीं खाये होंगे,
ऊपर से आज पता है तेरे को 50 नहीं 100 रुपए मिलेंगे।
यह सुनते ही मैंने कहा- ठीक है दीदी, बुला लो।
दीदी ने कहा- तू साईकिल से जा और भाग कर उनको बोल आ कि दीदी ने कहा है आज
हम अकेले हैं घर पर, आज आप हमारे घर आना रात को ग्यारह बजे के बाद।
मैं जाकर उनको बोल आया और यह भी कहा कि दीदी ने बोला है मेरे लिये
इम्पोर्टेड चोकलेट लेकर आयें।
रात को 10:55 पर दीदी ने मुझे घर से बाहर भेज दिया ताकि जब वो आयें तो न
तो डोरबेल बजानी पड़े और ना ही दरवाज़ा खोलना पड़े। मैं दरवाज़ा खुला छोड़ के
गली में खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद मुझे वो लड़के आते दिखे और मैं अपने घर
के दरवाज़े पर आ गया। जैसे ही वो घर में दाखिल हुये मैंने तपाक से गेट
बन्द किया और हम सब अंदर आ गये।
अंदर आते ही उन्होंने मुझे इम्पोर्टेड चोकलेट का डिब्बा दिया और मुझसे
इधर उधर की बातें करने लगे।
इतने में दीदी भी वहाँ आ गई ताकि मुझे लगे कि वो सिर्फ़ दीदी के ही नहीं
मेरे भी दोस्त हैं।
उन्होंने मुझसे कहा- हम तेरे दोस्त हैं इसलिये आज के बाद तू किसी से डरना
मत, अगर कोई तेरे को तंग करे तो हमको बता देना फ़िर देखना कैसे उसकी पिटाई
होती है।
यह सुन कर मुझे अच्छा लगने लगा। फ़िर थोड़ी देर बातें करने के बाद दीदी
मुझसे बोली- तू यहाँ पर सो जा, हम मम्मी के कमरे में जा रहे हैं, थोड़ी
देर टीवी देखेंगे और बातें करेंगे, फ़िर ये लोग मम्मी के कमरे में सो
जायेंगे और मैं सोने के लिये तेरे पास आ जाऊँगी।
मैंने कहा- ठीक है दीदी, पर अगर मुझे अकेले डर लगा तो?
दीदी ने कहा- डर कैसे लगेगा? मैं हूँ ना ! मैं सुलाती हूँ तुझे।
दीदी ने उनको कहा- तुम लोग मम्मी के कमरे में जाकर टीवी देखो, मैं रज्जू
को सुला कर आती हूँ।
और फ़िर दीदी मुझे सुलाने लगी। मैं आँखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगा
पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। थोड़ी देर दीदी मुझे थपकियाँ देती रही जब उसे
लगा कि मैं सो गया हूँ तो दीदी उठी और मम्मी के कमरे में चली गई। पर मैं
अभी सोया नहीं था।
कुछ देर मैं वैसे ही लेटे लेटे सोने की कोशिश करता रहा पर मुझे नींद नहीं
आई। अंत में थक-हार कर मैं उठ कर बैठ गया, मैंने सोचा छ्त पर जाकर ठंड
में थोड़े चक्कर लगाता हूँ शायद ऐसा करने से नींद आ जाये।
मैं अपने कमरे से निकला और सीढ़ियों की तरफ़ गया। सीढ़ियाँ चढ़ कर जब मैं छत
पर गया तो वहाँ बहुत अंधेरा था और धुंध भी बहुत थी। मुझे डर लगने लगा और
मैं नीचे आ गया। अब डर के मारे मेरा अपने कमरे में जाने को भी दिल नहीं
कर रहा था।
मैंने सोचा कि दीदी के पास जाता हूँ, और मैंने मम्मी के कमरे का दरवाज़ा
खटखटाया तो दरवाज़ा खुल गया। मैंने देखा दीदी और वो लड़के दो लड़के बैड की
साईड पर बैठे हुये थे, मेरी दीदी बैड पर घोड़ी बनी हुई थी, एक लड़के ने
अपना लण्ड पीछे से दीदी के अंदर डाला हुआ था और वो हिल-हिल के अपना लण्ड
दीदी के अंदर-बाहर कर रहा था और एक लड़का दीदी के सामने खड़ा था और दीदी
उसका लण्ड चूस रही थी और जोर जोर से चीख रही थी।
मुझे देख कर दीदी और वो दोनो लड़के घबरा गये।
मैंने पूछा- यह क्या कर रहे हो आप?
तो उनके कुछ बोलने से पहले दीदी बोली- रज्जू, ये मेरी मदद कर रहे हैं।
मैंने पूछा- कैसी मदद?दीदी बोली- रज्जू हम न, पिल्लो फ़ाईट कर रहे थे, तो
मैं फ़ाईट करते-करते बैड से गिर गई और बैड का किनारा मेरे चूतड़ों पर जोर
से लग गया और मेरे चूतड़ों के अंदर दर्द होने लगा और ये देख खून भी निकला
है। और रज्जू जैसे कभी तेरे गले में दर्द होता है तो पापा उंगली डाल के
दबाते हैं ना तो वैसे ही पहले तो ये लोग मेरे चूतड़ों में उंगली डाल कर
दबाते रहे पर चूतड़ अंदर से काफ़ी गहरे हैं ना तो इसलिये ये अपनी लम्बी
नुन्नी डाल के दबा रहे हैं।
तो मैंने पूछा- दीदी दर्द तुम्हारे चूतड़ों में हुआ है तो ये तुम्हारे
मुंह में नुन्नी क्युँ डाल रहा है?
तो दीदी बोली- तू भी पगल है रज्जू, मेरे चूतड़ों में नुन्नी डाल कर दबाने
से इसकी नुन्नी दर्द करने लगी थी इसलिये मैंने कहा कि तुम लोग बारी-बारी
से मेरे चूतड़ों में नुन्नी डालो और जब नुन्नी दर्द करने लगेगी तो मैं
मुंह में डाल कर नुन्नी के दर्द ठीक कर दूँगी। अब तू ही बता दोस्त दूसरे
दोस्त की मदद नहीं करते?
मैंने कहा- दीदी, ऐसी बात है तो ठीक है।
फ़िर मैंने कहा- दीदी, मुझे नींद नहीं आ रही और मुझे उस कमरे में अकेले डर लगता है।
तो उन्होंने कहा- यार रज्जू डर लगता है तो यहीं बैठ जा।
और फ़िर मैं भी वहीं बैठ गया। वो लोग बारी-बारी से दीदी की चुदाई करते
रहे, कभी लैला दीदी घोड़ी बन कर, कभी खड़े होकर पीछे से, कभी सीधी लेट कर,
कभी उलटी लेट कर तो कभी उन लड़कों के ऊपर बैठ के उनके लन्ड अपने अंदर लेती
रही।
जब चोदने वाला लड़का अपना लन्ड बाहर निकाल लेता तो दीदी उसका लन्ड मुंह
में लेकर चूसने लगती और फ़िर लन्ड से निकले पानी को पी जाती।
मुझे याद है कि मैं दो घंटे तो अपनी बहन का गैंगबैंग होते देखता रहा और
फ़िर पता नहीं कब लैला दीदी की चुदाई देखते-देखते मैं सो गया।
ज़ब मैं सुबह जगा तो उस कमरे में कोई नहीं था। मेरे तकिये के पास 100 रुपए
रखे हुये थे। मैं समझ गया कि ये मेरे लिये हैं।
मैं उठ कर बाहर आया तो देखा दीदी और वो चारों लड़के नंगे ही हमारे कमरे
में बैड पे सो रहे थे।
मैंने दीदी को जगाया। हमने चाय पी, खाना खाया और नहा-धो के तैयार हो गये।
मैंने दीदी से पूछा- दीदी इतना टाईम हो गया, अब ये यहाँ से जायेंगे तो
गली में सब को पता चल जायेगा।
तो दीदी बोली- रज्जू मम्मी-पापा और रिम्स तो अभी दो दिन बाद आयेंगे तो हम
भी दो दिन स्कूल से छुट्टी मारते हैं और इनको भी यहीं रहने देते हैं।
दीदी ने कहा- रज्जू, वो मुझे बोल रहे थे कि रज्जू बहुत अच्छा लड़का है और
वो तुझे 200 रु और देंगे सो तेरी तो चांदी है रज्जू।
मैं यह सुनकर बहुत खुश हुआ। फ़िर अगले दो दिन उन लोगों ने मेरी लैला दीदी
की पता नहीं कितनी बार चुदाई की। कभी मेरे सामने तो कभी अकेले में।
तीसरे दिन रात को मम्मी का फोन आया कि वो दिल्ली से चल चुके हैं और सुबह
8 बजे तक घर वापिस पहुँच जायेंगे। फ़िर उस रात वो लड़के दीदी को चोदने के
बाद रात को अपने घर चले गये। मैं तो रात को सो गया था।
सुबह दीदी ने मम्मी-पापा के आने से पहले ही मुझे जगा दिया और स्कूल भेज
दिया। जब मैं स्कूल से वापिस आया तो मम्मी और रिम्स से मिल के बहुत खुश
हुआ।
पापा तो जौब पर गये हुये थे तो दीदी ने मौका मिलते ही मुझे 200 रुपए दिये
और मेरे गाल पर प्यारा भैया बोल कर चुम्मा लिया।
तो दोस्तो, इस तरह मेरी मम्मी के लाख ध्यान रखने के बावजूद भी दीदी ने
आखिरकार मेरी मदद से अपनी फ़ुद्दी फ़ड़वा ही ली। उस समय तो मुझे नहीं पता था
कि वो मेरी दीदी की फ़ुद्दी लेते हैं पर थोड़ा बड़ा होने पर जब मुझे पता चला
कि ये कोई दोस्त-वोस्त नहीं बल्कि मेरी दीदी के ठोकू हैं और मैं गिफ़्ट,
पैसे और चोकलेट के बदले मेरी दीदी को ठोकने में उनकी मदद करके अन्जाने
में अपनी ही दीदी का दलाल बन चुका हूँ।
तब तक अपनी दीदी की चुदाई देखने का चस्का लग चुका था मुझे।
दोस्तो यह तो शुरुआत थी वो भी सिर्फ़ लैला दीदी की चुदाई की।
अभी तो बहुत कुछ है बताने को लैला दीदी के बारे में ही। फ़िर रिम्स के
किस्से भी हैं, बताउँगा पर आपकी प्रतिक्रिया देखने के बाद। आप लोग मुझे
rajat_desire@yahoo.com पर ईमेल कर सकते हैं।
खासकर मुझे शमीम बानो दीदी, नेहा दीदी और प्रेम गुरू भाई साहब की मेल का
इन्तज़ार रहेगा।
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Raj Sharma
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