Sunday, January 20, 2013

उस रात के बाद

उस रात के बाद
प्रेषक : राजवीर

कैसे हो आप लोग...

आशा है कि आपको मेरी भेजी हुई कहानियाँ पसंद आई होंगी, मुझे काफ़ी सारे
मेल भी आये जिसके लिए मैं आपको धन्यवाद कहता हूँ।

यह कहानी है मेरे मामा के लड़के की बीवी यानि मेरी भाभी की !

मैं कुछ दिनों के लिए अपने मामा के यहाँ गया हुआ था, वहाँ मेरे मामा,
मामी, उनका बेटा रोहित और उसकी बीवी अंजलि हैं, उनकी शादी 6 महीने पहले
ही हुई थी। भाभी की उम्र यही कोई 22-23 होगी, कसा हुआ बदन, गोरा रंग !

इस बार से पहले मैं 12 साल की उम्र में गया था तो अब मैं किसी आसपास वाले
को पहचान नहीं पा रहा था।

सभी मेरा बहुत ख्याल रख रहे थे। मामा का बेटा फ़ौज में है, उस समय भी वो
घर पर नहीं था, एक महीने बाद आने वाला था। मामा भी सरकारी नौकरी वाले थे
तो वो भी उसमें व्यस्त रहते थे और खाली होते तो खेतों के काम में लग
जाते। मामी थोड़ी बीमार सी रहती थी, उनका समय आस-पड़ोस के घरों में बातचीत
करके या मंदिरों में बीतता था।

मामा ने मुझे कहा- बेटा, तेरे भैया एक महीने बाद आयेंगे, तब तक यहीं रुक
जा तू ! बहू का भी मन लगा रहेगा।

मामी ने भी कहा और भाभी का भी यही कहना था तो मैं रुक गया।

अब मेरा ज्यादा वक्त भाभी के साथ ही गुजरता। दो दिन हो गए थे मुझे। मैं
अपने फ़ोन में नंगी फिल्में रखता हूँ, एक दिन भाभी मेरा फ़ोन देख रही थी
तो शायद उसने वो भी देख ली थी, शाम को मेरे से पूछ बैठी- देवर जी, आप
बड़े हो गए हो ! किसी लड़की से दोस्ती की है या नहीं...?

मैंने कहा- की तो है..

तब उन्होंने पूछा- ..सिर्फ दोस्ती की है या कुछ और भी किया है?

मैंने कहा- नहीं भाभी, सिर्फ दोस्ती है और कुछ नहीं !

भाभी ने कहा- तो क्या फ़ोन में जो रखा है उन्हें देख कर क्या करते हो?

मैं समझ गया कि भाभी ने वो फ़िल्में देख ली हैं।

मैंने झट से कहा- वो तो बस ऐसे ही पड़ी हैं, देखने का वक्त ही कहाँ मिलता है !

भाभी ने कहा- दूसरो को दिखाने के लिए रखी हैं !

और हंस दी।

मैं भी हंस दिया। फिर भाभी ने कहा- वैसे काफी अच्छी फ़िल्में हैं, मैंने
सभी देख ली थी।

मैंने भाभी से कहा- भाभी, लेकिन वो तो 126 फ़िल्में थी, आपने एक दिन में
कैसे देख ली सब?

भाभी ने कहा- बस देख ली और सब्र कर लिया।

मैंने कहा- कैसा सब्र?

तब भाभी ने कहा- अब चुप रहो ! बहुत बदमाशी कर ली !

सब सोने चल दिए।

बारिश होने लगी थी, मामा और मामी बाहर के कमरे में सो गए और मुझे भाभी के
कमरे में एक और बिस्तर लगा कर दे दिया क्योंकि उनका कमरा काफी बड़ा है।

भाभी ने कहा- सो गए क्या देवर जी?

मैंने कहा- नहीं, जाग रहा हूँ।

भाभी ने कहा- एक बात पूछूँ?

मैंने कहा- पूछो !

भाभी- सच में आपने कछु नहीं किया किसी के साथ?

मै- सच बताऊँ भाभी ! बुरा तो नहीं मानोगी?

भाभी- नहीं।

मैं- किया तो है कई बार अलग अलग लड़कियों के साथ लेकिन पहल उनकी रही थी।

भाभी- क्यों, तुम्हें क्या डर लगता है पहल करने में?

मैं- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, बस सोचता हूँ कि पता नहीं वो मेरे बारे
में क्या सोचेंगी?

और फिर हम सो गए।

मुझे भाभी की बातो से नींद नहीं आ रही थी और भाभी सो रही थी। तभी मेरा
ध्यान गया भाभी के ऊपर ! वो नींद में थी और मैक्सी पहन रखी थी जो जाँघों
तक सरकी हुई थी और गहरी सांस लेने के कारण उसकी चूचियाँ उठ-गिर रही थी।
यह सब देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा तो मै लंड हिलाने लगा।

तभी मैंने देखा कि भाभी की ब्रा सामने लटक रही है। मैं वो लेकर मुठ मारने
लगा। दस मिनट कोशिश के बाद मैंने जल्दी जल्दी में अपना सारा वीर्य भाभी
की ब्रा में ही डाल दिया और ब्रा वही लटका कर शांत होकर सो गया।

भाभी सुबह उठ कर नहा आई थी, अभी गीले बाल और खुशबूदार बदन अलग ही महक रहा था।

भाभी ने मेरे से कहा- देवर जी, बड़े लेट उठे हो? लगता है रात को देर से
सोये हो ! बड़ी मेहनत की है।

मैंने कहा- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं, बस नींद नहीं आ रही थी रात को।

तब भाभी ने कहा- नींद तुम्हे नहीं आ रही थी, मेहनत भी तुमने की और कपड़े
मेरे ख़राब कर दिए।

मुझे लगा भाभी कि पता लग गया है तो मैंने कहा- वो तो भाभी बस हो गया ! सॉरी !

भाभी ने कहा- हाँ मेरे कपड़े तुम्हारे पास अपने आप चल कर आ गए? अपने आप
उनमें दाग लग गया?

मैंने कहा- सॉरी भाभी, आपको बुरा लगा क्या?

तो भाभी ने कहा- नहीं, कोई बात नहीं, जवानी में ऐसा हो जाता है।

मैंने कहा- थैंक्यू भाभी ! एक बात कहूँ?

भाभी ने बोला- कहो !

मैं- आप बहुत खूबसूरत हैं।

भाभी- क्या? कहाँ से खूबसूरत हूँ? मुझे तो नहीं लगता !

मैं- पूरे ऊपर से नीचे तक अच्छी हो आप ! आपके गाल, आपके बाल, आपके होंठ,
आपके हाथ, आपके पैर, और...

भाभी- और क्या...? पूरा बोलो !

मैं- बुरा मत मानना भाभी... पहले ही कह देता हूँ।

भाभी- ठीक है।

मैं- आपकी जाँघें और कल रात मुझे दिख गई थी, बहुत अच्छी लगी और इससे आगे
कुछ देखा नहीं, तो बता कैसे सकता हूँ।

भाभी- दिखने में बहुत भोले लगते हो लेकिन बहुत बदमाशी करते हो !

पूरा दिन बीत गया। उस दिन वहाँ किसी के घर में शादी थी तो वहाँ खाट की
जरुरत थी इसलिए हमारे यहाँ से भी ले गए, अब सिर्फ हमारे यहाँ दो खाट और
एक भाभी वाला पलंग था।

मामा और मामी खाट पर सो गए भाभी ने मुझसे कहा- आज रात आप मेरे साथ ही सो
जाओ लेकिन मेहनत मत करना !

मैं हंस दिया। सब सो गए। पिछली रात की तरह भाभी का फिर से वही हाल था
लेकिन मेरा नहीं ! कल तो दूर से देखा था और आज इतने पास से ! मेरा लंड
फिर से खड़ा होने लगा। तभी भाभी घूमी और उनका हाथ मेरे लंड पर आ गिरा। एक
तो मेरा लंड खड़ा था और साथ में भाभी का हाथ ! मजा भी आया और डर भी लग रहा
था।

कुछ देर तक मैं ऐसे ही रहा, फिर मैंने भाभी का हाथ दबाया अपने लंड पर !
क्या मजा आ रहा था।

फिर भाभी का हाथ पकड़ कर लंड को सहलाने लगा, उस पर भी भाभी की तरफ से कोई
हरकत नहीं हुई। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।

मैंने भाभी का हाथ उठाया और अपने निक्कर के अंदर दे दिया। अब भाभी का हाथ
मेरे नंगे लंड पर था, मुझ से रहा न गया और अपनी निक्कर और कच्छा भी उतार
दिया। अब मैं भाभी का हाथ पकड़ कर अपना लंड हिला रहा था।

फिर भाभी की मैक्सी जो जाँघों तक उठी हुई थी, उसे देखने लगा कि कुछ दिखता
है या नहीं।

मैंने देखा कि भाभी के कच्छी नहीं पहनी थी उसकी चूत दिख रही थी, पर
अँधेरे में साफ़ नजर नहीं आ रही थी। धीरे धीरे मैं भाभी की जाँघों को छू
रहा था, चूम रहा था। फिर मैं ऊपर आया और भाभी की चूची का जायजा लेने लगा,
देखने में बड़े थे और छूने से पता चला कि वाकई में बड़े थे।

कुछ देर मैं उन्हें दबाता रहा और मैक्सी के ऊपर से ही चूचियाँ चूसने लगा,
किस करने लगा और भी बहुत कुछ !

साथ में अपना लंड भी हिला रहा था।

20-25 मिनट एक बाद मेरा वीर्य गिरने लगा, वो भी भाभी के कपड़ों पर ! अब
मैं शांत हो गया था, मैंने कपड़े पहने और सो गया।

मैं उठा तो भाभी नहा कर आई और कहने लगी- देवर जी, आपने तो कल मेरे कपड़ों
के साथ मेरे हाथ भी गंदे कर दिए, आपने क्या सोंचा हाथ में से उसकी खुशबू
नहीं आएगी?

कैसे भी रात हो गई, मैं कमरे में सोने गया। भाभी भी थोड़ी देर बाद आई, वो
भी मेरे बगल में सोने लगी, अभी हम जाग ही रहे थे। भाभी बोली- देवर जी, आज
भी मेरे कपडे गंदे करने हैं क्या?

मैं कुछ नहीं बोला, बस थोड़ा हंस दिया। फ़िर मैं बोला- भाभी, मैं कुछ करता
थोड़े हूँ...वो तो बस हो जाता है।

तो भाभी बोली- अच्छा चलो, आज मेरे सामने करके दिखाओ।

मै बोला- भाभी आपके सामने मुझे शर्म आती है।

"अच्छा... पूरे दिन मेरे बदन को घूरते रहते हो तब नहीं आती शर्म..?" भाभी बोली।

मैं बोला- पर भाभी... आपके सामने ! आप क्या सोचेंगी...?

भाभी बोली- ..चलो अब करो नहीं तो तुम्हारी यह हरकत माँ जी को बता दूंगी।

मैंने भी डर के मारे कहा- ठीक है करता हूँ।

मैंने अपनी निक्कर उतार दीऔर बनियान भी, अब मैं सिर्फ कच्छे में था।

भाभी उठी और टीवी चालू कर दिया और उसमें एक सीडी लगा दी। जिसमें एक कम
उम्र के लड़का-लड़की थे, दोनों एक दूसरे को पहले चूमते है।, फिर धीरे धीरे
दोनों चालू हो गए। मेरा लंड खड़ा हो गया, भाभी भी गर्म हो गई और अपनी
मैक्सी उतार दी। ब्रा नहीं पहनी थी सिर्फ कच्छी पहनी हुई थी, दोनों
चूचियाँ बाहर आ गई और क़यामत मचाने लगी।

भाभी उठ कर मेरे पास आई और कहने लगी- अब कच्छा भी उतार दो और चालू हो जाओ।

मैंने वैसा ही किया, मैं लंड को हिलाने लगा। तभी भाभी उठी और क्रीम लाकर
मेरे लंड पर मलने लगी और लंड को हिलाने लगी।

क्रीम को मेरे को देते हुए कहा- लो इसे मेरी चूचियों पर मल दो।

मैं वैसा करने लगा और फिर दबाने लगा। भाभी मेरे लंड को चूसने लगी थी और
क्रीम को गांड पर लगाने लगी, कभी गांड में उंगली डाल देती।

इतना मजा आया की बिना बताए पानी छोड़ दिया।

भाभी इसके लिए तैयार थी और सारा पानी पी गई। अब भाभी ने अपनी पैंटी भी
उतार दी और लेट गई और कहा- चलो अब इनकी भी मालिश कर दो !

मैंने क्रीम ली और गांड-चूत पर लगाने लगा। बीच बीच में उंगली भी अन्दर डाल देता।

भाभी आँखें बंद करके लेटी हुई थी। मैंने भी मौका देख कर चूची चूसनी चालू
कर दी, कभी दाईं तो कभी बाईं। फिर चूत चाटने लगा और चूत और गांड में
उंगली भी करने लगा। अब भाभी से रहा नहीं जा रहा था, कहने लगी- अब बस आगे
बढ़ो !

मैंने कहा- भाभी, पहले मेरे हथियार को तो मजबूत बना दो !

और भाभी मेरे लंड को चूसने लगी। कुछ ही देर में मेरा लंड 6 इंच का हो
गया। मैं ऊपर आ गया और भाभी की चूत पर लंड रखा और धक्का दिया। एक ही
धक्के में आधा और दूसरे धक्के में पूरा अंदर चला गया। फिर धक्के पे
धक्का... और कहानी ख़त्म !

मैंने कहा- सॉरी भाभी, वो बस हो गया।

भाभी ने कहा- वाह रोज़ हो जाता है, लगता है आपका कुछ करना पड़ेगा।

मैं डर गया कहीं भाभी किसी से बोल न दे।

उस रात के बाद भाभी मेरे से आँख नहीं मिला पा रही थी, मैं भी कुछ नहीं
बोला और फिर अपने घर आ गया, फिर मैं वहाँ नहीं गया।

कैसी लगी आपको मेरी यह कहानी?


--
Raj Sharma

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