Tuesday, January 29, 2013

सेक्सी कहानियाँ मैं, लीना और चाचा-चाची--4

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

मैं, लीना और चाचा-चाची--4

gataank se aage............
मैं उठा और थोड़ी देर चाचाजी की ओर पीठ करके खड़ा रहा कि उनको मेरे गोरे
कसे चूतड़ ठीक से दिखें. कनखियों से पीछे देखा तो चाचाजी मेरे चूतड़ों पर
नजर गड़ाकर देख रहे थे.

मैं फ़िर लीना के पास बैठ गया और हम दोनों मिलकर चाचाजी के लंड से खेलने लगे.

"बहुत बड़ा है लीना, नौ दस इंच का होगा, तेरी चूत को तो चीर दिया होगा कल
इसने" मैंने लीना से कहा.

"हां राजा, जान निकाल दी पर तेरी कसम क्या लुत्फ़ आ रहा था इससे चुदने
में" लीना बोली.

"ये सुपाड़ा तो देख, टमाटर है टमाटर"

"तो चूस लो ना, कल से तो रिरिया रहे हो" लीना बोली. मैंने झट मुंह खोल के
सुपाड़ा मुंह में भर लिया और चूसने लगा.

"आह .... चूस मेरे बेटे .... मस्त चूसता है तू" चाचाजी मेरा सिर पकड़कर बोले.

"छोड़ो जी अब, अब मैं चूसूंगी" लीना बोली.

"अरी ठहर, जरा ठीक से पूरा चखने तो दे, देख कैसा मस्त डंडा है, एकदम
गन्ना है गन्ना" कहकर मैंने चाचाजी का लंड उनके पेट से सटाया और उसका
निचला भाग चाटने लगा. चाचाजी की सांस जोर से चलने लगी. "क्या जादू है
अनिल तेरी जीभ में ... बहू .... तेरा ये घरवाला भी बड़ा रसिया लगता है
.... आह ... और चाट बेटे ... ऊपर वहां थोड़ा और .... हां .... बस इधर ही
..... आह .... साला मस्त लौंडा है, लंड चूसने की कला जानता है ... पहले
पता होता तो इसको कब का चोद दिया होता मैंने" चाचाजी मस्त हो कर ऊपर नीचे
होने लगे.

लीना ने लंड मुझसे छीन कर अपने हाथ में लिया और बाजू से चाटने लगी. फ़िर
पूरा मुंह में ले लिया और मुंह ऊपर नीचे करके लंड चूसने लगी.

"ओह ... ओह ... क्या चूसती है ये हरामजादी रंडी .... अरे तेरी चाची को भी
सीखने में महना लग गया था, दम घुट कर गों गों करने लगती थी ... आह ..."

लीना ने लंड मुंह से निकाला तो मैंने उसे मुंह में ले लिया. फ़िर मुंह खोल
कर पूरा लंड निगलने की कोशिश करने लगा.

"ये आप का भतीजा भी कम नहीं है चाचाजी, देखिये कैसे लंड निगलने की कोशिश
कर रहा है. अनिल मेरे सैंया, इतना बड़ा लंड चूसना तेरे बस की बात नहीं है"
लीना ने ताना मारा.

चाचाजी कमर उचका रहे थे, मेरे मुंह में लंड पेलने की कोशिश कर रहे थे
"अरे चूसने दे बहू, बहुत अच्छा चूसता है ये छोकरा ... सीख जायेगा जल्दी
.... क्या साले बदमाश हरामी हो तुम दोनों ... आज तुम दोनों को चोद दूंगा
... साले हरामियो ... बिस्तर पर पास पास लिटा कर आज दोनों को चोदूंगा"

"हां चाचाजी, चोद देना आज फ़िर से ... मेरी तो चूत फ़िर कुलबुला रही है ...
पहले आप के गन्ने का रस पियेंगे ....फ़िर चुदवायेंगे" लीना बोली और मुझ से
लंड छीन कर चूसने लगी.

हमने बारी बारी चाचाजी का लंड चूसा और उनको बहुत देर तरसाया. लीना इसमें
माहिर थी, मैं भी सीख रहा था, चाचाजी झड़ने को आते तो हम रुक जाते थे.

"साले मादरचोद भोसड़ीवाले .... चूसो ना ....अबे हरामियो .... जान बूझ कर
तड़पा रहे हो अपने चाचा को .... आज गाढ़ी मलाई चखाऊंगा तुम दोनों को ....
ये जो माल है वो सबके .... नसीब में नहीं .... है ... अनिल मेरी जान ....
चूस ले ना बेटे ... तू ही चूस ले .... तेरी ये रंडी बीवी तो साली हरामन
है .... आह .... ओह"

लीना ने मेरे कान में धीरे से कहा "झड़ा दूं या रुक जाऊं? बहुत मस्त खड़ा
है, घोड़े के लंड जैसा, अब मरवा लो, बहुत मजा आयेगा"

मैंने मना कर दिया "मर जाऊंगा, एक बार झड़ जाने दो चाचाजी को, फ़िर सह
लूंगा" धीरे से बोला.

"अब चूस डालो मेरे बच्चो ... बहू .... अब नहीं चूसा तो पटक के तेरी गांड
मार लूंगा मां कसम" चाचाजी मचल कर बोले. लीना ने इशारा किया और मैंने
चाचाजी का लंड जितना हो सकता था उतना मुंह में भर लिया. फ़िर जीभ उनके
सुपाड़े पर रगड़ रगड़कर चूसने लगा

लीना बोली "मेरी गांड मारेंगे? राह देखिये चाचाजी, मैं क्यों गांड
मरवाऊं? नहीं बाबा, मैं तो बस चुदवाऊंगी. गांड का बहुत शौक है चाचाजी?"

चाचाजी मेरे सिर को पकड़कर ऊपर नीचे होने लगे "हां ... मजा आता है ...
गांड जिस ताकत से ... लंड को पकड़ती है .... मजा आ जाता है .... तेरी चाची
की बहुत मारी है मैंने ... अब साली ढीली हो गयी है ... मां कसम कोई नयी
कुंवारी गांड मिल जाये तो .... आह .... आह .. चूस अनिल ... ऐसे ही चूस
मेरे राजा"

"तो अनिल की मार लो चाचाजी, मेरे से कम नहीं है, एकदम गोरी गोरी और कसी
हुई है, मजा आयेगा आप को, सोचो अगर आप अपने भतीजे पर चढ़ कर उसकी मार रहे
हो तो कैसा लगेगा" लीना ने उनको उकसाया.

"हां ... अनिल की भी लाजवाब है .... अभी देखी तो सोचा कि क्या गोरी गोरी
गांड है इस लड़के की ..... साला गांडू लौंडा .... पहले पता चलता तो ....
बचपन में ही चोद डालता साले को .... मेरे यहां आकर रहता था छुट्टियों में
.... आह ... ओह ... ओह ... ओह ..." करके कसमसा कर चाचाजी झड़ गये. उनके घी
जैसे वीर्य से मेरा मुंह भर गया. मैं चख चख कर खाने लगा और साथ ही उनका
सुपाड़ा जीभ से रगड़ता रहा.

"बस बेटे .... बस ... अब मत कर .. अरे कैसा तो भी होता है ... बहू ...
बहू देख ना इसको ... जीभ रगड़ रहा है नालायक ...अरे सहन नहीं होता मेरे
बेटे .... छोड़ ना ...." चाचाजी अपने लंड को मेरे मुंह से निकालने कोई
कोशिश करने लगे, उनके झड़े लंड को मेरी जीभ की मालिश सहन नहीं हो रही थी.

"चूसने दो चाचाजी, कब से बेचारा आस लगाये था, अभी मस्ती में है, अभी मत
टोको, मचल जायेगा तो काट खायेगा ... एक बार ऐसे ही मेरी बुर चूसते हुए
मेरे दाने को रगड़ रहा था ... मैंने मना किया तो चूत को ही काट लिया, दो
दिन दर्द रहा" लीना उनको डराते हुए बोली. असल में बात झूटी थी, मैं ऐसा
कभी नहीं करता लीना के साथ!

पर चाचाजी पर उसका असर हुआ, वे चुपचाप 'सी' 'सी' करते हुए बैठ गये, मैंने
मन भर के उनका वीर्य पिया और बूंद बूंद निचोड़ ली.

"वाह ... भतीजे के लाड़ दुलार चल रहे हैं, उसे मलाई खिलायी जा रही है, चलो
अच्छा हुआ, मैं भी कहूं कि ये कहां का न्याय है कि बहू पे इतनी मुहब्बत
जता रहे हो और बेचारे भतीजे को सूखा सूखा छोड़ दिया कल रात" चाची की आवाज
आयी. वे नहा कर सीधे हमारे कमरे में चली आयी थीं.

चाची भी लीना की तरह ही अधनंगी आयी थीं. एक ब्रा और पैंटी पहन ली थी. पर
क्या ब्रा था, एकदम तंग और कसी हुई. उनके नारियल जैसे बड़े बड़े मम्मे ब्रा
के कपों में समा नहीं रहे थे, जब कि ब्रा काफ़ी बड़े साइज़ की थी. पैंटी बस
उनकी बुर की लकीर को और दोनों चूतड़ों के बीच की खायी को ढके थी, उनके बड़े
बड़े पहाड़ जैसे चूतड़ों का बाकी भाग साफ़ दिख रहा था. और क्या बदन था चाची
का, चिकना, मखमले, मांसल, कुंदन जैसा दमकता हुआ.

"आज बहुत दिनों में ऐसी सजी हो भाग्यवान, क्या बात है? ये ब्रा और पैंटी
नयी लगती हैं, पहले कभी देखे नहीं" चाचाजी बोले.

"अब तुम को तो फ़रक पड़ता नहीं, तुम तो सीधे चढ़ जाते हो, पर मैंने सोचा कि
बच्चों को जरा ठीक से अपना जोबन दिखाऊं, नहीं तो वे समझते होंगे कि ये
कहां की मुटल्ली सिठानी है. कल रात को अनिल भी मुझे पूरा देखने की जिद कर
रहा था, मैंने कहा अब दिन में ही दिखाऊंगी ठीक से. पिछले महने खरीदे थे
मैंने ये कपड़े, कैसी लगती हूं मैं अनिल बेटे? तुझे चाची को देखना था ना?
ले अपनी आंखें ठंडी कर ले" चाची बोलीं

"चाची .... आप तो .... अब क्या कहूं ...." मैं बोला और उनसे लिपट गया.

"हां चाची, बहुत मस्त दिख रही हैं आप, मैं तो कब से कह रही हूं अनिल से
कि असली माल चाहते हो तो चाची के पास जाओ" लीना चाची के पास आकर बोली.

मैं चाची के बदन का जो हिस्सा सामने आये, वो चूमने लगा. ब्रा में भरे
उनके मम्मे दबाये और उनके बड़े बड़े चूतड़ों को दबाने लगा.

लीना ने चाची की दोनों चूचियों को हथेली में लेकर उठाया जैसे वजन नाप रही
हो. "चाची, ये तो दो दो किलो के पपीते जैसे लगते हैं, क्या नाप है आप का?
इतनी बड़ी ब्रा मिलती हैं मार्केट में?

"ये बयालीस साइज़ की हैं बेटी, कप डी डी. एक दुकान में दिख गयी थीं तो उठा
लायी. तेरा तो अड़तीस नाप होगा, है ना, मस्त कसी चूंचियां है तेरी. आखिर
गरम जवानी है"

"चाची, असल में छत्तीस हैं, टाइट है इसलिये आप को लग रहा होगा. आप ही खुद
देख लो" लीना ने उठाकर चाची का हाथ अपनी ब्रा पर रख लिया. चाची दबाने
लगीं, फ़िर लीना को चूमने लगीं. "बड़ी प्यारी है तू लीना, इसीलिये तो तेरे
चाचाजी दो दिनों से अजीब सी हरकत कर रहे हैं. आ इधर आ, मेरे पास बैठ,
तुझे ठीक से देखूं तो" कहकर चाची लीना को लेकर पलं पर बैठ गयीं, लीना को
गोद में बिठा लिया. फ़िर दोनों में मस्ती की चूमाचाटी होने लगी. कभी चाची
लीना की चूंचियां दबाती कभी पैंटी में हाथ डालकर बुर को खोदतीं. लीना तो
बस उनके मम्मों पर टूट पड़ी थी, ब्रा के ऊपर से ही चाची के निपल चूस रही
थी.

मैं तना लंड लेकर उनके पास बैठा था. मन हो रहा था कि लीना को बाजू में
करके चाची पर चढ़ जाऊं. चाची मेरी हालत जान कर मुझे और तरसाने पर जुट
गयीं. नीचे लेटकर उन्होंने अपनी टांगें फ़ैला दीं और बोली "लीना बिटिया,
देख कैसी हालत हो गयी है तुझे देख के, कल तेरे मर्द ने मुझे बहुत सुख
दिया पर तू कोई कम नहीं है" और उन्होंने पैंटी की पट्टी बुर पर से
खिसकाकर उंगली से अपनी चूत खोली और लीना को दिखायी.

"ह ऽ य चाची, कितनी प्यारी है और कितनी बड़ी .... बहुत मीठी दिख रही है
चाची ... तभी कल अनिल कह रहा था कि रात भर चासनी पी कर आया है"

"तो तू भी पी ले, तेरा भी हक है, आ जा बेटी ... ये ले" कहकर चाची ने
पैंटी उतार दी. लीनाने मुंह डाल दिया और चूसने लगी.

'आह ... अरे अनिल ... मेरी कब से तमन्ना थी .... जब से बहू को देख है
लगता था कि कब इसे अंग से लगाऊं ... तू यहां आ ना, इनको देख ... ले मैं
ब्रा उतार देती हूं"

चाची ने ब्रा उतारी तो उनके नारियल जैसे मम्मे लटकने लगे. खजूर से निपल
थे और आजू बाजू के भूरे गोले चाय की तश्तरी जैसे बड़े थे. मैंने मुंह में
ले लिया और चूंची दबा दबा कर चूसने लगा.

चाचाजी लंड मुठ्ठी में लेकर ऊपर नीचे कर रहे थे, अब वो फिर से खड़ा होने
लगा था. वो सरक कर लीना के पास आये और उसकी पैंटी खिसकाने की कोशिश करने
लगे. लीना ने उनका हाथ झटक दिया.

"बड़ी हरामन है, साली गांड देखने भी नहीं देती, मारने क्या देगी" पैंटी के
ऊपर से ही लीना के चूतड़ दबा कर चाचाजी बोले.

लीना चाची की बुर से मुंह उठा कर बोली "चाचाजी मेरी गांड तो आप को नहीं
मिलेगी, कम से कम आज तो नहीं, आप तो चाची की रोज मारते होंगे ना, फिर
क्यों मस्ती चढ़ रही है आप को"

"अरे बेटी, मेरी तो मार मार के चौड़ी कर दी है इन्होंने, अब कोई जवान कोरी
गांड चाहिये इनको" चाची लीना के सिर को जांघीं में दबा कर हचकती हुई
बोलीं.

"नहीं चाची, आप की गांड सच में मस्त है, स्पंज के पहाड़ हैं पहाड़. कल रात
बहुत मजा आया था मारने में, जरा दिखाइये ना ठीक से"

चाची ने लीना से कहा "बेटी उठ जरा, इस लड़के के मन की भी कर दूं" उन्होंने
लीना को नीचे सुलाया और उसके ऊपर उलटी लेट गयीं. लीना के मुंह में अपनी
चूत दी और चूतड़ हिला कर बोलीं "ले, देख ले, मुंह मारना है तो वो भी कर
ले"

चाची के दो चूतड़ याने बड़े बड़े रसीले तरबूज थे. मैं उनको चाटने और चूमने
लगा. फ़िर गांड खोल कर उनका छेद चाटने लगा, जीभ भी अंदर डाली.

लीना नीचे से बोली "चाचाजी, आज आप को न चाची की गांड मिलेगी न मेरी, आप
तो और कोई ढूंढ लो."

चाची झल्ला कर अपने पति से बोलीं "अजीब आदमी हो, वो अनिल की गांड नहीं
दिख रही है? अरे इतनी गोरी गोरी और चिकनी तो औरतों की भी नहीं होती.
तुमको तो गांड चाहिये ना, फ़िर ये तो है तुम्हारे सामने."

चाचाजी मेरे चूतड़ों पर हाथ फ़िराने लगे. "हां भाग्यवान, मैंने देखा, बड़ी
मस्त है, मैं तो कल से देख रहा हूं, बहू भी अभी थोड़ी देर पहले बोल रही थी
कि मार लो, मैंने सोचा साली चुदैल मजाक कर रही है"

"तो ले लो ना, अनिल मना थोड़े करेगा अपने चाचाजी को, आखिर बचपन में गोदी
में खिलाया है उसको, और तुम्हारा लंड नहीं चूसा उसने अभी, तुम्हारा लंड
भा गया है उसको"
चाचाजी झुक कर मेरे चूतड चूमने लगे. कभी चाटते, कभी नाक लगाकर सूंघते.
फ़िर अपने लंड को मेरे चूतड़ों पर रगड़ने लगे. "आह ... बड़ी मस्त है रे अनिल
... मेरा लौड़ा देख ... साला एक मिनिट में कैसे तन गया फ़िर से .... बेटे
.... मारने देगा?"

मैं कुछ बोलता इसके पहले लीना बोल पड़ी "मार लो ना चाचाजी, आप के हक की
है, सगे भतीजे की, आप को नहीं देगा तो किसको देगा? ... वैसे सब को नहीं
देता मेरा सैंया, बड़ी संभाल कर रखता है चाचाजी"

चाचाजी ने मुंह में उंगली ले कर गीली की और मेरी गांड में उंगली करने
लगे. मैंने गांड सिकोड़ ली. "वाह ... बड़ी मस्त टाइट गांड है अनिल तेरी ...
मार लूं क्या बेटे .... अब नहीं रहा जाता रे .... बहू नहीं मारने दे रही
है ... तू ही मरवा ले... अरे क्या छेद है तेरा .... मुलायम और गुलाबी"
कहकर फिर मेरे छेद को चूसने लगे, उनकी जीभ अब अंदर जाने को बेताब थी.

"अरे क्यों बार बार पूछ रहे हो, उसने मना किया एक बार भी? मार लो ना,
नहीं मरवायेगा तो मैं देख लूंगी उसको" चाची बोलीं.

चाचाजी तैश में आकर मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी गांड में लंड डालने की कोशिश
करने लगे. उनका बड़ा सुपाड़ा मेरे गुदा के छेद को खोलने की कोशिश कर रहा
था. मुझे दर्द हुआ तो मैं 'सी' 'सी' करने लगा.

"अरे कैसे बेरहम हो जी, कुछ लगा तो लो, ये क्या चूत है जो ऐसे ही डाल
दोगे? तुम्हारे भतीजे की कोरी गांड है" चाची बोलीं.

चाचाजी जा कर तेल की शीशी ले आये. लीना बोली "चाचाजी, तेल से काम नहीं
चलेगा, आप का बहुत बड़ा है, मेरी मानो तो जाकर फ़्रिज में से मख्खन का
डिब्बा ले आओ, मस्त सटकेगा आप का लंड"

चाचाजी उठकर चल दिये. लीना बोली "वो ऊपर रखा है, स्टील का डिब्बा है, घर
का मख्खन है" चाचाजी झट से उठ कर चल दिये.

मैं बोला "लीना, डर लगता है, चाचाजी फ़ाड़ न दें मेरी"

चाची ने मेरा लंड टटोला और हंसने लगीं. "तेरे को डर लगता है तो ये कैसे
मस्त उचक रहा है? अब नखरा मत कर, सच तेरे चाचाजी का लंड कमाल की चीज है,
जो एक बार लेता है, फ़िदा हो जाता है"

चाचाजी वापस आये और मेरी गांड में मख्खन चुपड़ने लगे. "अरे ये क्या जरा सा
चुपड रहे हो, दो चार लौंदे भर दो, जरा अंदर तक जाये तब तो काम होगा,
तुम्हारा इतना लंबा है, गहरा जायेगा अनिल की गांड में, बिना मख्खन के
मारोगे तो फ़ट जायेगी बेचारे की" चाची बोलीं.

चाचाजी ने तीन चार लौंदे भर दिये मेरी गांड में. लीना चाची के नीचे से
निकल आयी. "अरे बेटी, और चूस ना मेरी बुर, अभी तो पानी निकलना शुरू हुआ
है, बहुत पिलाना है तुझे अभी"

"चाची, बस अभी चूसती हूं, पहले जरा देखूं तो कि अनिल कैसे लेता है. मैं
तो ताली बजा कर हंसूंगी जब ये चिल्लायेगा. इसके दोस्त जब मुझे चोदते हैं
तो ये मजे लेता है, आज मैं लूंगी"

"अरी रानी, पर तुझे तो मजा आता है उनसे चुदने में" मैंने कहा तो लीना
बोली "और तुमको नहीं आ रहा है, बन रहे हो पर मन में लड्डू फ़ूट रहे हैं"
kramashah...............















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