Wednesday, January 9, 2013

भाभी की चूत में

भाभी की चूत में

प्रेषक : अरमान

हिंदी सेक्सी कहानियाँ के सभी पढ़ने वालों को मेरा तहे दिल से नमस्कार !

मेरा नाम अरमान है और मैं जयपुर का रहने वाला हूँ, उम्र 23 साल है, रंग
गोरा और लम्बाई 5'4" इंच है और मेरा लंड 7" लम्बा 3" मोटा एकदम लोहे की
तरह कड़क !

मैं हिंदी सेक्सी कहानियाँ का बहुत बड़ा फैन हूँ इस में आई हर कहानी मैं
नियमित रूप से पढ़ता हूँ।

दोस्तो, यह मेरे जिंदगी की सच्ची घटना है साथ ही यह हिंदी सेक्सी
कहानियाँ पर मेरी पहली कहानी है।

यह बात उन दिनों की है जब मैं बी. टेक कर रहा था, मैं शुरु से ही सेक्स
का भूखा हूँ, जब भी कोई सुन्दर लड़की या सुन्दर भाभी को देखता था तो मन
करता था कि इसे पकड़ कर चोद डालूँ !

हमेशा से मैं किसी लड़की या भाभी की तलाश में रहता था जो मेरे साथ सेक्स
करे लेकिन कोई मिलती नहीं थी।

जब मैं बी. टेक कर रहा था तो एक किराये का कमरा ले रखा था उस मकान में
दूसरा कोई किरायेदार नहीं था।

उसमें सिर्फ मकान मालिक, उसकी बीवी, एक बेटी जो 16 साल की थी और उसका एक
लड़का जिसकी शादी दो साल पहले हो चुकी थी। लड़की का नाम प्रिया था और भाभी
भी कमाल की माल थी।

दो साल शादी को हो चुके थे मगर कोई बच्चा नहीं था। मैं तो प्रिया से
ज्यादा भाभी पर लाइन मारने लगा। कयूंकि भाभी की गाण्ड, कमर और दो चूचियाँ
गजब की क़यामत ढा रहे थे।

वह साड़ी में तो और सुंदर लगती थी, मैं तो कई बार भाभी को देख कर ही मुठ
मार चुका था।

अब मैं आहिस्ता-आहिस्ता भाभी से दोस्ती बढ़ाने लगा था।

भैया सुबह 9 बजे काम पर जाते थे और रात 8-9 बजे तक आते थे। वह अपनी
कम्पनी की मार्केटिंग का काम करते थे।उनके जाने के बाद जब मौका मिलता हम
दोनों कभी कभी बात कर लेते थे।

एक दिन की बात है कि मैं देर रात तक अपने लैपटॉप पर कुछ नेट पर काम कर ने
की वजह से जगा ही रह गया। तभी मैं उठा और बाथरूम के लिए।

कमरे से निकला, मैं जब बाथरूम के दरवाजे के पास गया तो देखा कि कोई अंदर
है और दरवाजा थोड़ा खुला हुआ था। तभी मैंने देखा कि भाभी एक लम्बा बैंगन
को अपनी चूत में अंदर-बाहर कर रही थी, अपनी चूची को खूब दबा रही थी और
हल्की हल्की सिसकारी ले रही थी।

मैंने नजर दौड़ाई तो देखा कि घर के सारे लोग सो गए थे। अब तो मैं छुप कर
भाभी की बैंगन-चुदाई देखने लगा मगर भाभी अपनी चुदाई में मदहोश थी, उनको
जरा भी पता नहीं चला कि कोई देख रहा है।

कुछ देर बाद जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने दरवाजा खोल दिया, तब भाभी
मुझे देख कर एकदम डर गई, मैं कुछ देर तक उनको देखता रहा, फिर अपने कमरे
में आ गया अपना लंड को हिलाने लगा।

तभी भाभी मेरे कमरे में आई और बोली- तुम जो भी देख कर आए हो, किसी को मत
बताना ! और इस के बदले में तुम जो कहोगे मैं मानूँगी।

फिर वह मेरे पास आकर मुझसे लिपट गई और मेरे होंट को चूसने लगी, फिर बोली-
कोई जग गया तो मुसीबत हो जाएगी, हम फिर कभी करेंगे !

और चली गई।

उसके जाने के बाद उस रात में मैंने 3 बार मुठ मारी थी भाभी के नाम की !

"कहते हैं न कि भगवान सबको सब कुछ नहीं देता है !"

उसी तरह भाभी ने मुझे दूसरे दिन पूछने पर बताया- आपके भैया मुझे खुश नहीं
कर पाते हैं, इसलिए मैं बैंगन या केले से अपनी चूत की प्यास बुझाती हूँ।
भगवान ने मुझे सब कुछ दिया नाम, पैसा, दौलत लेकिन अच्छा पति नहीं ! मुझे
बहुत तमन्ना है कि मुझे भी एक बच्चा होता !

और वह रोने लगी।

तो मैंने कहा- भाभी, आप फिकर मत करो, मैं आपका साथ दूँगा, मैं आपके जिस्म
की प्यास बुझाऊँगा और औलाद की चाहत पूरी करूँगा। लेकिन इसके लिए मौका
मिलेगा कब?

भाभी बोली- आपके भैया और पापा-मम्मी को दो दिन बाद एक रिश्तेदार के घर
शादी में तीन दिन के लिए जाना है और घर पर मैं और प्रिया रहेंगे। जब
प्रिया कॉलेज चली जाएगी तब हम दोनों अपना खेल खेलेंगे।

मैंने कहा- ठीक है भाभी, ऐसा ही करेंगे।

मैं दो दिन बीतने का इन्तजार करने लगा।

फिर दो दिन बीतने के बाद ठीक वैसा ही हुआ, भैया और उनके पापा मम्मी दिन
के 9 बजे घर से चले गए और उनके जाने के बाद प्रिया भी अपने कॉलेज चली गई।

मैं तो मन ही मन खूब खुश था कि आज भाभी की जम कर चुदाई करूँगा और अपनी
लंड की प्यास पहली बार बुझाऊँगा।

यह सब सोच कर मेरा तो बुरा हाल हो रहा था।

तभी भाभी मेरे कमरे में आई और बोली- सारे लोग चले गए, तुम मेरे कमरे में आ सकते हो।

तभी मैंने उठ कर भाभी को गले से लगा लिया और फिर उनके होंठ चूसने लगा,
भाभी भी खूब साथ दे रही थी मेरा, कम से कम 5 मिनट तक यह चलता रहा, फिर
भाभी अपने कमरे में चली गई।

तब मैं भी अपने सारे कपड़े उतर कर एकदम बिल्कुल नंगा उनके कमरे में चला
गया और बोला- भाभी, यह जिस्म आपके लिए है।

भाभी मेरा लंड देख कर दंग रह गई- अरे इतना बड़ा और मोटा?

और आकर मेरे लंड से खेलने लगी, लंड को तो खूब गप गप मुंह में लिए जा रही थी।

तभी मैं भाभी के कपड़े उतारने लगा और कुछ ही पल में बिल्कुल नंगी कर दिया।
मैं पहली बार किसी लड़की या औरत को नंगा देख रहा था।

मैं भाभी के प्यारे-प्यारे दोनों संतरे मसलने लगा और निप्पल चूसने लगा।

एक बार मैं फिर बता दूँ कि भाभी बहुत ही सुन्दर थी और मानो वह हुस्न की परी हो।

मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटा दिया और चूत चाटने लगा 69 की अवस्था में और
वो मेरे लंड को खूब चूसे जा रही थी, मैं अपने लंड को उनके मुँह में खूब
पेले जा रहा था और साथ ही उसके चूत में अपनी जुबान पेले जा रहा था।

इस बीच भाभी एक बार झड़ गई।मैं भाभी से बोला- क्या मैं आपकी मालिश कर दूँ?

तो बोली- ठीक है, पहले बाथरूम से मूत कर आती हूँ, फिर क्रीम से मसाज कर देना।

मैंने कहा- ठीक है !

और बाथरूम मैं भी साथ चला गया, मैंने कहा- भाभी, आप खड़ी होकर मूतो ! मैं
देखना चाहता हूँ।

और मैं भाभी की चूत के लबों को दोनों तरफ से फैला दिया और सारा मूत गिरने
लगा। यह देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था और अपने हाथों से मूत के साथ-साथ
चूत भी मसल रहा था।

फिर मैंने कहा- भाभी, मुझे भी मूतना है !तभी भाभी मेरा लंड पकड़ कर अपने
मुँह में लेकर बोली- आज तुम्हारा मूत पीना है मुझे।

और सारा का सारा मूत गटक गई।

फिर हम दोनों कमरे में आ गए।

फिर मैंने भाभी की मालिश करनी चालू की, पहले तो उनकी चूचियों को खूब
मसला, फिर उनके सारे जिस्म की मालिशकरने लगा तो वह तड़पने लगी और सिसकारी
भरने लगी।

और मैं फिर उनकी चूत की भी खूब अच्छी तरह दोनों हाथों से मालिश करने लगा
तो वो ओह आह...उहं... करने लगी और बोलने लगी- अब बस कर, अब बर्दाश्त नहीं
होता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल और मेरी चूत को पेल-पेल कर
फाड़ डाल ! जल्दी कर !

मैंने वैसा ही किया, भाभी दोनों पैरों फैलाया और उनकी चूत में अपना लंड
घुसेड़ दिया।भाभी एकदम सिकुड़ गई, मानो कि मेरा पूरा शरीर उनकी चूत के
अंदर घुस गया हो।

वह कराहने लगी और बोली- रुको !

फिर हम कम से कम दो मिनट तक रुके रहे, जब लगा कि दर्द कुछ कम हुआ तो
आहिस्ता-आहिस्ता अपने लंड को अंदर-बाहर करने लगा और भाभी भी अब खूब मजे
ले लेकर चुदने लगी।

मैं भी पहली बार चोद रहा था, अपने लंड की प्यास बुझा रहा था, मुझे बहुत
मजा आ रहा था।

भाभी बोले जा रही थी- चोदो मुझे ! और जोर जोर से चोदो ! फाड़ दो मेरी चूत
को ! तुम्हारे भैया तो फाड़ नहीं सके, तुम फाड़ दो मेरे राजा !

इस बीच भाभी दो बार झड़ चुकी थी और उनकी बुर एकदम लाल हो चुका थी।

और मैं भी तेजी से चोदे जा रहा था, तभी भाभी और मैं एक बार फिर झड़ गए और
एक दूसरे से लिपटे रहे।

फिर 20 मिनट के बाद भाभी उठ कर मेरा लंड चूसने लगी, इस तरह दूसरा दौर
चला। इस बार तो मैंने भाभी को कमरे से लेकर पूरे घर में दौड़ा-दौड़ा कर
चोदा और हम दोनों खूब चुदाई करते रहे।

घर में कोई जगह नहीं बची थी जहाँ हम दोनों ने तरह-तरह के आसनों में चुदाई
न की हो, पूरा घर फच-फच की आवाज से गूंज रहा था और मैं लगातार चोदे जा
रहा था।

पता नहीं भाभी क्या क्या बड़बड़ा रही थी, मैं लगातार धक्के पे धक्के पेले
जा रहा था और भाभी आह्ह उह औछ्ह् करते हुए झड़ गई, उनकी चूत से पानी
निकलने लगा, फिर मैं और स्पीड से चोदने लगा।

मैं पाँच मिनट के बाद भाभी की चूत में ही झड़ गया, मैंने अपना सारा रस
भाभी की चूत में ही डाल दिया।

करीब दस मिनट तक मैं उन्ही के ऊपर लेटा रहा फिर हम दोनों जाकर एक साथ
स्नान करने लगे तो फिर से मेरा लंड खड़ा होने लगा।

तो भाभी बोली- अब कल करेंगे, प्रिया के आने का वक्त हो गया है।

हम दोनों ने नहाने के बाद खाना खाया और अपने अपने कमरे में चले गए।

मेरी यह सच्ची कहानी आपको कैसी लगी, आप मुझे मेल जरूर करना !

आपका अरमान !

--
Raj Sharma

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator