प्रेषिका : निहारिका
दोस्तो, मेरा नाम निहारिका है, यह मेरी पहली कहानी है, आशा करती हूँ आप
सभी को पसंद आएगी।
बारहवीं कक्षा पास करते ही मुझे बैंक में क्लर्क की नौकरी मिल गई लेकिन
मुझे अपने घर से दूर पोस्टिंग मिली, इतनी कम उम्र में घर से दूर रहना
आसान नहीं था पर घर के हालात ऐसे थे कि मुझे और मम्मी-पापा को यह समझौता
करना पड़ा। मैंने किराये पर एक मकान लिया जिसमें बस एक कमरा था।
मम्मी-पापा तीसरे चौथे महीने मिलने आते थे, शुरू शुरू में बहुत दिक्कत
होती थी पर धीरे धीरे आदत पड़ गई। वैसे मेरे मकान मालिक भी अच्छे लोग थे
तो थोरि आसानी से जिन्दगी कटने लगी पर अकेलापन बहुत लगता था। तब मैंने
अकेलापन दूर करने के लिए एक कुत्ता पाल लिया और ऐसे ही तीन साल निकल गए।
अब अकेले रहने का डर आत्मविश्वास में बदल गया था और मेरी जवानी भी परवान
चढ़ने लगी थी आस पास के लड़कों का दिल मेरे जिस्म को देख कर डोल जाता था पर
मैं इस सबसे दूर ही रहती थी।
एक दिन जब ऑफिस से घर वापस आई तो देखा टॉमी कि अपनी टांगों के बीच कुछ
चाट रहा है, देखने से अजीब सी गुदगुदी होने लगी मन में।
एक रविवार ऐसे ही जब मैं टॉमी को देख कर आनन्द ले रही थी तो उस समय मेरे
मकान मालिक का लड़का छत पर पढ़ रहा था शायद मेरी मस्ती भरी सिसकारियों की
आवाज़ उस तक पहुँच गई और उसने चुपके से खिड़की का पट खोल के अंदर झाँका।
खिड़की खुलते ही मेरी नज़र उस पर पड़ी और मेरा दिमाग एकदम से काम करना बंद
हो गया, मेरी कुछ समझ नहीं आया कि अब मैं क्या करूँ, बस मैंने खिड़की बंद
कर दी।
कुछ ही पल बाद इन्द्रजीत (मकान मालिक का लड़का) ने मेरे कमरे के दरवाज़े पर दस्तक दी।
मैंने पूछा- क्या बात है?
तो उसने कहा- दरवाज़ा खोलो !
मैंने दरवाज़ा खोल दिया और तभी मेरी नज़र उनके पजामे पर गई, वो बिलकुल
टेन्ट बना हुआ था। इन्द्रजीत एम सी ए के फायनल इयर में पढ़ रहे हैं और कद
में मुझसे 6 इंच लम्बे होने के साथ साथ मजबूत शरीर वाले भी हैं।
इससे पहले मैं कुछ समझ पाती इन्द्रजीत ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया
और बोले- मैडम, कुत्तों को क्या घूर रही हो, हमारे लौड़ों में क्या कांटे
लगे हैं, कब से गली के सारे लड़के लाइन लगा के खड़े हैं और आप किसी को भाव
तक नहीं देतीं।
मैं झिझकते हुए बोली- दरवाज़ा तो बंद कर लो।
इन्द्रजीत बोले- घबराओ मत मैडम, मम्मी पापा बाज़ार गए हैं, दो घंटे से
पहले नहीं आने वाले।
मैं बोली- पर यह ठीक नहीं है इन्द्र मुझे छोड़ दो।
इन्द्रजीत बोले: मैडम, आज हमें भी सेवा का मौका दो।
मैं बस शरमा के रह गई और कुछ न कह सकी।
इन्द्रजीत ने धीरे धीरे मेरे गालों को चूमना शुरू किया फिर मेरे होंठो पर
अपने होंठ रख दिए।
मैंने शरमा कर खुद को छुड़ाने की कोशिश की और भाग कर कमरे की दीवार से सट
कर खड़ी हो गई।अपने सारे कपड़े मैंने पहले ही उतार रखे थे इसलिए मेरे बदन
का पूरा नज़ारा इन्द्र के सामने था।
उन्होंने भी अपनी टी-शर्ट और पजामा उतार दिया उनका लंड अन्डरवीयर को फाड़
कर बाहर आने को तैयार था।
इन्द्रजीत ने आगे बढ़कर मेरी कमर को दोनों हाथो से पकड़ा और मेरे होंठों को
चूमना शुरू किया।
इस बार मैंने भी अपने दाहिने हाथ की उंगलियाँ उनके बालो में उलझा दी और
बायें हाथ से उनकी पीठ सहलाते हुए होंठों को चूसने लगी।
इन्द्रजीत का एक हाथ आहिस्ता से बढ़कर मेरे गोल गोल मम्मों पर आ गया मेरे
बदन में सिहरन सी दौड़ गई पहली बार किसी ने मेरे मम्मों को छुआ था मेरे
मुँह से कसक भरी आह निकलने लगी।
मेरी हालत देखकर इन्द्रजीत का जूनून और बढ़ने लगा और उन्होंने मेरे दोनों
उरोज़ों को जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया।
मैं बोली- आह इन्द्र..आह..जी..आ..त... धीरे से दबाओ अह उफ़ अह...
वो बोले- जानू, बड़े दिन से कोशिश कर रहा था, आज हाथ में आई हो आज तो
पूरा रगड़ के ही छोडूँगा।
मैंने इन्द्रजीत से खुद को छुड़ाने की नाकाम कोशिश की पर उनकी मजबूत पकड़
से मैं टस से मस भी न हो सकी।
इन्द्रजीत ने मेरी गर्दन को चूमा फिर मेरे दोनों स्तनों को एक एक करके
चूसने लगे और उनके हाथ मेरी चिकनी गांड पर घुमने लगे।
मैं लगातार आहें भर रही थी, सारे जिस्म में गर्मी भर गई थी, मेरी चूत में
से पानी गिर रहा था और मुँह से सेक्सी आवाज़ें निकल रही थी- आह उह आ आ आअ
ह इन्द्रजीत आराम से करो आह आह
इन्द्रजीत किसी बच्चे की तरह मेरा निप्पल चूस रहे थे। फिर वो धीरे से सरक
कर मेरी कमर और फिर मेरी चूत को चूमने लगे, चाटने लगे यहाँ तक कि
उन्होंने मेरी चूत को मुँह में भरकर काट भी लिया। मैं तो जैसे स्वर्ग में
पहुँच गई, सारे बदन में झनझनाहट सी होने लगी।
तभी इन्द्रजीत ने मुझे छोड़ दिया।
मैंने कुछ कहा नहीं पर मेरी आँखों में साफ़ दिख रहा था कि जालिम ऐसे प्यासी मत छोड़।
इन्द्रजीत ने टॉमी का पट्टा पकड़ा और उसे कमरे से बाहर धकेल दिया उसके बाद
दरवाज़ा बंद कर लिया।
फिर मुझे उठा कर बेड पर पटक दिया और मेरे ऊपर लेट गए और मेरे बदन के हर
हिस्से पर अपने होंठों की मोहर लगानी शुरू कर दी मेरे तन बदन में सेक्स
की आग जल उठी और मैं मचल मचल के उनका साथ देने लगी कभी उनको चूमती तो कभी
उनका चेहरा अपने वक्ष में दबाकर चूसने का इशारा करती।
इन्द्रजीत बोले- यार, तुम तो गजब का माल हो, मज़ा आ गया।
मैंने शरमा कर अपना चेहरा अपने हाथों से छुपा लिया।
इन्द्रजीत ने अपने कच्छा उतारा और अपने लम्बा काला तना हुआ लंड मेरे मुह
में डाल दिया मैं भी उसे लॉली पॉप की तरह चूसने लगी
बीच बीच में वो अपने लंड को धक्का लगा देते थे जिससे वो मेरे गले के अंदर
तक चला जाता था।
ऐसे ही चूमा चाटी करते 20 मिनट बीत गए।
अब इन्द्रजीत ने मेरी टांगों को चौड़ा किया और अपने लम्बा लंड मेरी चूत के
मुँह पर रखा, एक अनजाना सा डर मेरे मन में भर गया था मैंने अपनी आँखें
बंद कर ली और बस एक पल की देर के बाद इन्द्रजीत ने एक जोरदार धक्का मारा।
उनका दमदार लंड सनसनाता हुआ आधे से ज्यादा मेरी चूत में घुस गया दर्द से
मेरी चीख निकली और आँखों से आंसू और मैं तड़पते हुए बोली- आह आह आआअ
इन्द्र निकाल लो इसे ! अह उई माँ ! मैं मर जाऊँगी.. प्लीज़ निकाल लो बाहर
! आआह !
इन्द्रजीत ने मेरी बात मान कर अपना लंड बाहर खींचना शुरू किया मुझे थोड़ी
राहत मिली पर यह मेरी ग़लतफहमी थी, इन्द्रजीत ने इस बार अपनी पूरी शक्ति
लगाकर धक्का मारा और इस बार मेरी चूत सच में फट गई, खून की पतली धार बह
निकली और उनका लंड पूरा का पूरा जड़ तक मेरी चूत में समा गया।
मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था पर मेरे होंठ उनके होंठों से बंद थे
और मेरे हाथों को उन्होंने कलाई से पकड़ कर जकड़ रखा था। मैं बस छटपटा कर
रह गई और सोचने लगी कि आज तो यह बंदा मुझे मार ही डालेगा।
उसके बाद 5 मिनट तक इन्द्रजीत ने कुछ नहीं किया बस ऐसे ही मुझे दबोचे हुए
पड़े रहे। कुछ देर में दर्द भी कम हो गया। अब इन्द्रजीत ने धीरे धीरे
धक्के लगाने शुरू किये दर्द के साथ ही मज़ा भी आने लगा।
इन्द्रजीत बोले- अब कैसा लग रहा है?
मैं कुछ नहीं बोली, बस आहें भरती रही। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ
पर पढ़ रहे हैं।
फिर उन्होंने धक्कों की रफ़्तार बढ़नी शुरू की, मुझे भी अब ज्यादा मज़ा आने
लगा था, मैंने कमर उचका उचका कर उनका साथ देना शुरू कर दिया। लगभग आधे
घंटे तक वो मेरी चूत में अपनी मर्दानगी पेलते रहे, मैं इस दौरान दो बार
झड़ चुकी थी पर प्यास अब भी नहीं बुझी थी, मैं बोल रही थी- और जोर से
चोदो मेरे राजा ! आज इस कली को फूल बना दो ! रगड़ डालो मेरी चूत को !
गुलाम बना दो अपने लंड का।
मेरी ऐसी बातों को सुनकर उनका जोश और बढ़ जाता था और उनके धक्कों की ताकत
भी बढ़ जाती थी, वो बोल रहे थे- रानी मज़ा आ गया, तेरी चूत मार के ऐसा लग
रहा है जैसे गांजे का नशा है तेरे बदन में।
ऐसे ही न जाने कितनी देर तक हम एक दूसरे की बाहों में मचलते रहे, फिर
उन्होंने अपना गर्म माल मेरी चूत में फव्वारे के साथ छोड़ दिया, मैं भी
पूरी तरह निहाल हो चुकी थी..
इसी तरह हमारी चुदाई जब मौका मिलता, तब चलने लगी और ऐसा करते करते दो
महीने गुजर गए।
उस दिन मेरा जन्मदिन था, मैं ऑफिस से वापस आई तो टॉमी घर पर नहीं था
आवाज़ लगाने पर भी जब वो नहीं आया तो मेरे मन में शक घर करने लगा। मुझे
लगा कि यह जरुर इन्द्रजीत की ही हरकत है।
तभी इन्द्रजीत कमरे में आ गए और दरवाज़ा बंद कर लिया।
मैंने गुस्से से पूछा- टॉमी कहाँ है?
वो बोले- वहीं जहाँ उसे होना चाहिए।
मैंने कहा- मतलब?
वो बोले- सरकारी पशु घर में बहुत सारी कुत्तियों के पास छोड़कर आया हूँ उसे।
मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था, मैं बोली- आपने ऐसा क्यों किया?
वो बोले- वही बताने तो आया हूँ !
मैंने कहा- तो बताओ !?
वो बोले- आँखें बंद करो पहले।
मैंने न चाहते हुए भी आँखें बंद की, जब आँखे खोली तो देखा उन्होंने अपने
खड़े लंड पर चार सोने के कंगन टांग रखे थे।
वो बोले- निहारिका, अगर इन्हें मेरे लंड से सीधा अपने हाथ में पहन कर
दिखा दोगी तो मैं तुम्हें हमेशा के लिए अपनी बना लूँगा !
मैंने पूछा- मतलब??
वो बोले- तुमसे शादी कर लूँगा पगली।
मैं शरमा गई पर दिल ही दिल में बड़ी खुश भी हुई क्यूंकि इन्द्रजीत का
शानदार लंड सदा के लिए मेरा होने वाला था।
बस फिर क्या था मैंने अपनी नाज़ुक उंगलियों से उनके लंड का सिरा पकड़ा और
दूसरे हाथ से कंगनों को सरका कर बड़े आराम से पहन लिया।
इन्द्रजीत मेरे होंठ चूम कर बोले- आज तुम्हारा जन्मदिन है, तुम्हारे
मम्मी पापा आये हुए हैं और नीचे मेरे मम्मी-पापा से बात कर रहे हैं ,
जल्दी ही हमारी शादी हो जाएगी।
मैं शरमा कर उनकी बाहों में सिमट गई और बोली- इससे अच्छा जन्मदिन का
तोहफा और कुछ नहीं हो सकता था मेरे लिए !
मैंने धीरे से कंगन खनकाए और मुस्कुरा कर नीचे भाग गई।
अब जल्दी ही हमारी शादी होने वाली है, सुहागरात को क्या हुआ, आप सब को
जल्दी ही बताऊँगी।
वैसे मैंने इन्द्रजीत को वादा किया है कि सुहागरात को मैं उन्हें अपनी
गांड मारने का मौका दूँगी उन्हें और मुझे उस पल का बेसब्री से इंतज़ार है
मैं अभी अपने मम्मी-पापा के घर पर हूँ इसलिए आजकल चुदाई बिल्कुल बंद है
बस फ़ोन पर गर्म बातें हो जाती हैं।
आप सभी को मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताएँ।
--
Raj Sharma
No comments:
Post a Comment