प्रेषिका : सुरभि तिवारी
घंटी बजी, दरवाजा खोला तो दूध वाला था।
दूध लिया, बाहर देखा तो सुशील मेरी तरफ़ ही देख रहा था, मैंने उसको कहा-
सुशील, चाय पीनी हो तो आ जाओ !
वो आ गया, उसने सारी औपचारिकताएँ की- नमस्ते भाभी ! भैया क्या सो रहे हैं?
मैंने कहा- नहीं, मुंबई गए हैं 10 दिनों के लिए !
इतना सुनते ही सुशील की तो बांछें खिल गई, उसने मुझे गोद में उठा लिया और
कहने लगा- मतलब दस दिन के लिए आप मेरी बीवी हो !
और मुझे अपना लंड पकड़ा दिया। मैं भी कहाँ देर करने वाली थी, जल्दी से
उसका लंड हाथ में लेकर हिलाने लगी।
मैंने कहा- चाय पी लेते हैं, फिर करेंगे। कौन सी जल्दी है यार ! सुशील अब
दस दिन तक यही तो करना है, चलो सुनील को भी कह देते हैं।
सुशील ने मना कर दिया- नहीं भाभी, सुनील भाई को ना बुलाओ, मैं रवि को
बुला लेता हूँ, मजा आ जाएगा।
मैंने पहले ना-नुकर की, फिर मान गई, मुझे भी तो नया लिंग देखना था, पर
मैंने कहा- यार सुशील, तुम चाहे तो रवि को बुला लो पर सुनील को भी बुला
लेते हैं ना ! क्या दिक्कत है तुमको? अगर वो भी रहेगा तो मजा ज्यादा आएगा
! दो से तीन भले !
सुशील मान गया, बोला- चलो बुला लेंगे पर पहले रवि को आ जाने दो। आज हम
दोनों के साथ करना, कल तीनों मिल कर करेंगे।
मैं भी मान गई- ठीक है, जैसा तुम ठीक समझो।वो मुझे चूमने लगा जैसे कोई
प्रेमी अपनी प्रेमिका से बरसों बाद मिला हो।
मैंने कहा- इतनी क्या जल्दी है, चाय बनाते हैं, पीते हैं, फिर करेंगे !
मैंने चाय बनाई, हम बैठ कर बात करने लगे, चाय पीने लगे, वो मेरे कबूतर
दबा रहा था, धीरे धीरे वो मुझे गर्म कर रहा था और साथ साथ अपने कपड़े भी
उतार रहा था।
थोड़ी देर में ही हम दोनों नंगे हो गए। उसने मेरी फ़ुद्दी में अपनी जीभ डाल दी।
थोड़ी देर बाद मैंने कहा- मुझे भी तो अपने लौड़े का स्वाद चखाओ !
और हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए, मैं उसका लिंग मुँह में लेकर काफी
अच्छे से चूस रही थी और वो मेरी चूत को खूब मजा दे रहा था। उसका लिंग
मेरे गले तक आ रहा था जो मुझे काफी अच्छा महसूस करा रहा था।
दस मिनट तक ऐसे ही करने के बाद सुशील उठा और मेरे उरोज दबाता हुआ मेरी
योनि में अपना लंड डालने लगा और एक ही झटके में उसने पूरा लंड अंदर उतार
दिया।
मैं जोर से चिल्ला उठी- अआह आह धीरे सुशील ! मारोगे क्या?
उसने मेरे होंट अपने होंटों में भर लिए और मुझे जोर जोर से चोदने लगा। आज
उसका जोश काफी हद तक था, उसके झटके मुझे पागल कर रहे थे, मैं हर झटके से
कराह उठती।
खैर मुझे काफी मजा आ रहा था, वो मेरे वक्ष बहुत जोर जोर से मसल रहा था,
बार बार अपना पूरा लण्ड बाहर निकालता और मुझे ऊपर से नीचे तक चूमता था और
फिर जोर से डालता था।
मैं झड़ रही थी उसको कस कर पकड़ कर- बस सुशील, अब और नहीं ! आज तो तुम क्या
कर रहे हो ! ऐसा तो कोई मंजा हुआ खिलाड़ी भी नहीं कर सकता है !
मैं तीन बार झड़ चुकी थी।
सुशील बोला- भाभी, मैं अब झड़ने वाला हूँ !
और इतना कहते ही मेरे मुँह के पास आ गया, अपना लिंग मेरे मुँह में डाल
दिया और जोर जोर से आगे पीछे करने लगा, मुझे पूरा हिला कर रख दिया, कोई 5
मिनट तक मुझे ऐसे ही करता रहा और जोर से पिचकारी छोड़ी और आह उह्ह करता
हुआ झड़ने लगा। आज उसके लण्ड से इतना पानी निकला था कि मेरा पूरा मुँह भर
गया। मैं सारा का सारा वीर्य धीरे धीरे करके अपने अन्दर उतारने लगी और
फिर उसका लिंग मुँह में लेकर साफ करने के बहाने बची हुए 2-4 बूंद भी पी
गई।
उसका लिंग जब तक छोटा नहीं हो गया, मैं उसको चूसती रही फिर हमने खूब देर
तक मुँह में मुँह डाल कर प्यार किया।
मैंने कहा- सुशील आज तो तुमने जादू कर दिया, कल तुम्हारे भैया ने भी बहुत
देर तक किया पर ऐसा मजा नहीं आया। आज क्या हुआ था तुमको?
सुशील- भाभी मुझे तीन दिन हो गए थे, रोज तुम्हारे सपने देखता था। मुझे
आपसे बहुत प्यार हो गया है, मैं आपके बिना नहीं रह सकता हूँ। आँखें बंद
करते ही आपके चुच्चे नजर आते हैं आपकी यह चूत नजर आती है, क्या मस्त चूत
है आपकी, कोई भी पागल हो जाये ! मैंने रवि को बताया तो वो बोला कि एक बार
बस एक बार अगर भाभी को मजा नहीं आया तो कभी भी नाम नहीं लूँगा उनका ! आज
रात को बुला लूँ ना उसको?
मैंने कहा- हाँ बुला लेना ! मुझे तुम्हारी ख़ुशी देखनी है, अगर तुम ऐसे
खुश हो अपनी भाभी को और एक दोस्त से चुदवा कर, तो ठीक है, मैं तुम्हारी
ख़ुशी के लिए उसके साथ भी करने के लिए तैयार हूँ।
फिर सुशील चला गया यह कह कर कि शाम को मिलते हैं भाभी !
रवि के साथ मुझे भी जिज्ञासा थी कि कैसा होगा रवि का लिंग? वो कैसे
करेगा? जैसा सुशील ने बताया था कि उसका लिंग उससे भी बड़ा है तो मुझे काफी
उत्तेजना हो रही थी, मैं शाम होने का इन्तजार करने लगी !
सोचते हुए कब आँख लग गई मुझे पता ही नहीं लगा !
मेरी नींद करीब शाम सात बजे खुली, मैंने उठ कर देखा, तो बाहर अँधेरा हो
चुका था, मैं सुशील और रवि का इन्तजार कर रही थी। काफी वक्त गुजर गया,
मैं ऐसे ही टीवी देखने लग गई !
करीब 8 बजे सुशील का फोन आया- भाभी, मै सॉरी कहता हूँ, अचानक पापा-मम्मी
के साथ गाँव में शादी में आना पड़ा, मैं आपसे कहने भी आया था, मैंने
डोर-बेल बजाई पर लाइट नहीं थी तो मैंने कई आवाज लगाई। शायद आप नींद में
थी तो.... आपको पता नहीं लगा होगा।
मैं- ऐसा कैसे कर सकते हो तुम सुशील? मैं तुम्हारे इन्तजार में आधी हो
रही हूँ और तुम मजे से शादी में चले गए?
सुशील- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है, मैं आपसे माफ़ी मांगता हूँ, बस दो
दिन की बात है, फिर भी हमारे पास 8 दिन रहेंगे सुहागरात मनाने को।
मैंने कहा- चलो ठीक है, आते ही मिलना !
और मैंने फोन रख दिया। मैं काफी उदास हो गई, मुझे तो दो जवान लंड के सपने
आ रहे थे, वो चकनाचूर हो गए थे।
खैर मैंने अपने मन पर काबू किया और सुनील को फोन लगाया, मैंने उससे
गरमजोशी से कहा- सुनील भैया, खुश खबरी ! विनोद बाहर गए हैं।
सुनील- अरे वाह क्या बात है ! मजा आ गया, कितनी देर बाद मिलने का है?
मैंने कहा- तुम्हारा घर है, मैं तुम्हारी हूँ, जब मन हो, आ जाओ ! मैं
तुम्हारे इन्तजार में हूँ, कब आ रहे हो?
सुनील- बस आधे घंटे में हाजिर होता हूँ, और हाँ, खाना मत बनाना, मैं साथ
लेता आऊँगा।
सुनील आ गया, आते ही मैंने गले से लगाया, उसने मुझे चूमा और बोला- भाभी,
खाना ठंडा हो जायेगा, पहले खा लेते हैं।
मैंने हाँ में सर हिलाया और रसोई में से बर्तन ले आई। सुनील ने मेरी मदद
की खाना लगाते हुए !
सुनील ने पूछा- सुशील कब आएगा? मैं उसका भी खाना लाया हूँ।
मैंने कहा- नहीं, वो बाहर गया है अपने पापा के साथ, दो दिन हम ही रहेंगे।
सुनील- चलो कोई बात नहीं, मुझे ही डबल ड्यूटी करनी है मेमसाब !
मैंने कहा- हाँ, और इतने दिनों की भी कसर पूरी करनी है। वैसे सुशील आज
सुबह अपनी ड्यूटी कर गया हैl
सुनील- क्या मतलब? क्या विनोद सुबह ही चला गया था?
मैंने कहा- हाँ, वो तो मुझे सोया छोड़ गए थे। सुशील को मैंने चाय के लिए
बुलाया तो वो चाय भी पी गया और मुझे भी रगड़ गया।
नाराज होते हुए सुनील- तो मुझे क्यों नहीं बुलाया?
मैंने कहा- चिंता न करो, विनोद 10 दिन में आयेंगे, 10 दिन मैं तुम्हारी
बीवी हूँ, जैसे चाहो करो, मजे करो ! नाराज न होइये जनाब !
हमने खाना ख़त्म किया और खाने के बाद, सेक्स मूवी सुनील लेकर आया था, वो
लगा दी। हम देखने लगे और वो मेरे कबूतर दबाने लगा, उसमें क्या मस्त सीन आ
रहा था, एक लड़का तीन लड़कियाँ, एक लड़की उसका लण्ड चूस रही थी और एक लड़की
के वो दबा रहा था और तीसरी लड़की ने अपनी चूत उस लड़के के मुँह में दे रखी
थी। काफी मजेदार सीन था। सुनील बोला- काश, ऐसा हो जाये तो मजा आ जाये
!"क्या कहते हो? ऐसा तीन लड़कियों के साथ सेक्स करोगे?"
सुनील ने कहा- हां !
मैंने कहा- ठीक है, तुम्हारी यह इच्छा मैं पूरी करूँगी, तीन तो नहीं पर
दो के साथ तो करवा सकती हूँ ! एक तो मैं और एक मेरी सहेली है सुनीता,
काफी सुंदर है, गोरी है, उसके चूचे अगर तुम देख लोगे तो पागल हो जाओगे,
क्या फिगर है उसका।
सुनील- अच्छा, सच सच बताओ कि क्या तुम ऐसा करोगी? अगर ऐसा किया न भाभी,
तो मैं हमेशा के लिए आपका गुलाम हो जाऊँगा, आपके हर आदेश की पालना होगी।
मैंने कहा- सच सुनील ! 3-4 दिन में ही मैं ऐसा कर दूंगी, वो इसलिए कि
उसको भी सेक्स की जरुरत है, उसका पति के किसी और से सम्बन्ध हैं तो वो
उसके साथ बहुत कम सेक्स करता है और करता भी है तो उसको पूरा मजा नहीं
देता है।
सुनील- तुमने तो कहा भाभी सुनीता खूबसूरत है? फिर भी उसका पति उसके साथ
सेक्स क्यों नहीं करता है?
मैंने कहा- सुनील भैया, खूबसूरती के मायने सभी जगह अलग अलग होते हैं उसके
पति की नजर में वो नहीं है खूबसूरत।
इसी तरह हम बात करते रहे, मूवी देखते रहे, वो अब तक मुझे पूरा नंगा कर
चुका था और खुद भी पूरा नंगा हो चुका था।
मैंने आज ही शेव की थी तो मेरी चूत चिकनी हो रही थी, वो देख कर खुश हुआ,
बोला- भाभी, क्या बात है? चिकनी की है आज तो आपने !
मैंने उसका लिंग मुँह में ले लिया, वो मेरी चूत सहलाता हुआ मुँह से जादू
बिखेरने लगा और हम 69 हो गए। में उसका लिंग जोर जोर से चूस रही थी, वो भी
दीवाने की तरह मेरी चूत को जुबान से रगड़ रहा था। बस ऐसा लग रहा था कि हम
पहली बार मिले हों, खूब जोश से सेक्स का मजा ले रहे थे।
अचानक मेरे फोन की घंटी बजी।
"अरे ! विनोद का फोन !"
मै- हेलो विनोद ! पहुँच गए?
विनोद- हाँ, अभी पहुँचा ही हूँ ! कैसी हो?
मैं- ठीक हूँ।
विनोद- तुम्हारी आवाज इतनी भारी कैसे हो रही है? क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं सेक्स मूवी देख रही थी तो बस.. सेक्स का मन... आह !
विनोद- यार मत तड़पाओ खुद को ! सुनील को बुला लो, मजे करो।
मैंने कहा- हाँ, अब यही रह गया है !
और अचानक मैं झड़ने को हुई, मेरे मुँह से आह निकल गई।
और मेरा पानी निकल गया।
और विनोद ने कहा- क्या हुआ जान...?
मैंने कहा- चलो सो जाते हैं, कल बात करेंगे।
और फोन रख दिया।
सुनील से मैंने कहा- विनोद कह रहा था कि मैं तुम्हारे साथ सेक्स कर लूँ,
अब उसको कैसे बताऊँ कि मैं तुम्हारे ही साथ हूँ।
अब सुनील ने अपना लंड डाल मेरी गीली चूत में घुसा दिया और जोर जोर से
झटके देने लगा।
और मैं आह उह्ह करती रह गई- सुनील, मजा आ रहा है, और जोर से करो ! और जोर से !
उसने तूफान सी तेजी ला दी चुदाई में और हम दोनों खूब जोर जोर से आह उह कर
रहे थे। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।
सुनील झड़ने के कगार पर आया तो मैंने कहा- मेरे मुँह में आ जाओ !
और उसने मेरे मुँह में भी वो ही तूफानी चुदाई चालू कर दी। थोड़ी देर में
वो झड़ गया, मैं उसका रस पी गई, उसकी आखिरी बूंद भी निचोड़ना चाह रही थी,
खूब देर तक उसके लंड को मुँह में लेकर चूसती रही।
वैसे मैं आपको एक बात बता दूँ कि कुछ समय से मैं वीर्य के स्वाद की
दीवानी हो गई थी।
जब मैंने टाइम देखने के लिए फोन उठाया तो पता चला कि मेरा फोन तो चालू ही
रह गया था और शायद विनोद ने बात सुन ली है।
मैं डर गई, मैंने सुनील को बताया और अपना फोन बंद कर दिया।
मैंने कहा- अब क्या होगा होगा सुनील?
सुनील- कुछ नहीं उसी ने तो इजाजत दी है ना तुमको ! कह देना आज ही बुलाया था !
और मेरा दोस्त है वो, जब मेरी शादी होगी तो मेरी बीवी के साथ कर लेगा।
फिर हम ऐसे ही बात करते हुए सो गए। रात को बीच में एक बार और किया, सुबह
देर तक सोते रहे।
उठते ही सुनील ने कहा- अपनी सहेली सुनीता से बात करना, आज मजा करेंगे यार !
कहानी जारी रहेगी।
आपके मेल के इन्तजार में !
--
Raj Sharma
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