Friday, January 4, 2013

जंगली मुठभेड़

जंगली मुठभेड़

प्रेषक : टॉम हुक

दोस्तो, मैं फिर से हाज़िर हूँ अपनी एक और आपबीती लेकर। ये सब मेरे साथ
करीब 4 महीने पहले हुआ था जो मैं आप सभी के साथ साझा करना चाहता हूँ।

यह घटना तब शुरू हुई जब मैं अपनी नौकरी बदलने के प्रयास में लगा हुआ था।

मैं दिल्ली में था और एक किराए पर फ्लैट लिया हुआ था। मैं अपने पेशे में
अच्छा कर रहा था, लेकिन पैसे थोड़े कम मिलते थे जिनमें अपने खर्चे पूरे
करना एक कठिन काम था, इसलिए मैंने एक योजना बनाई अपनी नौकरी बदलने की
जिससे मैं अच्छा कम सकूँ और आसानी से जीवन निर्वाह कर सकूँ।

मैं एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सॉफ्टवेयर पेशेवर काम कर रहा हूँ और अभी
बहुत ही अच्छी कमाई कर रहा हूँ लेकिन पहले ऐसा नहीं था, मैं एक मध्यम
वर्ग के आदमी की तरह ही अर्जित कर पाता था।

मैंने अपनी नौकरी बदलने का फैसला किया और इसके लिए अध्ययन शुरू कर दिया
और इसके लिए मैं घर पर अधिक रहता था और ऑफिस में कम।

उसका नाम दीपा था, उसका फ्लैट मेरे फ्लैट के बगल में था और कुछ क्षेत्र
जैसे कि बरामदा, शौचालय आदि हमारे बीच में साझा था।

वह अपने एक 3 साल के बच्चे और पति के साथ रहती थी। उसका पति एक व्यापारी
था और वह आम तौर पर सुबह 9.00 के आसपास घर से जाता था। दीपा भी एक स्कूल
में काम कर रही थी, लेकिन वह दोपहर 2 बजे तक वापस आ जाती थी।

वह बहुत सेक्सी थी या कह लीजिये कि वह मुझे बहुत ही सेक्सी लगती थी। उसके
स्तन काफी बड़े थे करीब 38 के आसपास के। वो कहते हैं ना आजकल कि बड़े अच्छे
लगते हैं, 5.4" की लम्बाई, अच्छा खासा गोरा रंग और काफी आकर्षक पंजाबी
महिला।

उस पर शुरू से ही क्रश था मेरा लेकिन मेरी कभी हिम्मत नहीं हुई कि मैं
उससे कह दूँ कि वह मुझे काफी पसंद है।

यह बात तब शुरू हुई जब मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर रहा था। तब
मैं ज़्यादातर समय घर पर ही रहता था। मन मैं एक डर था फिर भी मैंने चांस
लेने का फैसला किया क्योंकि मैं जानता था कि शायद मेरी नई नौकरी मुझे
इससे दूर ले जाए।

मैंने दीपा से बात शुरू करने के लिए एक तरकीब सोची और बाजार चला गया और
वहाँ से लिपस्टिक तथा ब्रांडेड कंपनियों के कुछ अच्छा सौंदर्य प्रसाधन का
सामान खरीदा।

एक दिन जब वह स्कूल से वापस घर आई और अपने बच्चे की सुलाने के बाद बरामदे
में आई तो मैं वहाँ गया और मैंने उससे बात की।

मैं- दीपा जी, आज मैं अट्टा मार्केट गया था और वहाँ कुछ विज्ञापन अभियान
के लिए कुछ कंपनियों ने ये कुछ उत्पादों का निःशुल्क वितरण किया था। मैं
इन उत्पादों का किसी भी तरीके से उपयोग नही कर सकता, तो आप इनका उपयोग
करें।

दीपा- अरे नहीं, मैं क्या करूँगी इनका? आप अपनी किसी भाभी या बहन को दे देना।

मैं- अरे, अभी मेरा घर नहीं होगा तो आप इनको ले सकती हैं।

दीपा- नहीं, मैं यह नहीं ले सकती।

मैं- ओह, मुझे लगता है, आपको बुरा लगा।

दीपा- नहीं, ऐसी बात नहीं है। लेकिन आप को मालूम है ना, अगर इनको पता चला
तो ये नाराज़ होंगे।

मैं- आप भाई साहब को मत बताना और इसमें बताने जैसी कोई बात भी नहीं है।

तो वह सहमत हो गई और मुझे कहा कि वो ये चीजें फ्रिज में रख देगी।

मैंने कहा- ठीक है !

और वहाँ से लौट आया। मैं अपनी पहली तरकीब में सफल रहा था।

अगले दिन, जब वह स्कूल से वापस आई तो जैसा कि मैं समझ गया कि उसका बच्चा सो गया है।

मैं फिर से वहाँ गया और उससे पूछा- सारे सौंदर्य प्रसाधन अच्छे थे या फिर
अगर वह उनके साथ किसी भी तरह की परेशानी है तो बता दीजिये।

उसने कहा- सारे प्रोडक्ट अच्छे हैं।

और फिर मैंने उससे उसके काम के बारे में बात करना शुरू किया तो पता चला
कि उसकी मासिक तनख्वाह केवल 2000 रूपये महीना थी और उसके पति की कमाई भी
कोई खास अच्छी नहीं थी और उसका पति उसकी कमाई से पैसे ले लेता था रात में
पीने के लिए।

वह अन्य सभ्य तरीके से अधिक धन कमाने को इच्छुक थी।

मैंने उसकी मदद करने का वादा किया और उसको एक सुझाव दिया एक बीमा एजेंट
बनने का। इस सुझाव से वह खुशी से सहमत थी और मैंने उससे वादा भी किया था
कि अगर वह एलआईसी एजेंट बन जाती है तो मैं उसे उसकी पोलिसी को बेचने में
उसकी मदद करूँगा।

मैं खुश था कि मेरी तरकीबें सफल हो रही थी पर उसकी मदद के चक्कर में मैं
उसे खोना नहीं चाहता था।

बात करते हुए मैंने उससे पूछा- क्या मैं मुख्य द्वार बंद कर दूँ, क्योंकि
अगर कोई आ गया और उसने हमको ऐसे बाते करते हुए देख लिया तो तो हो सकता है
कि वह इसको किसी गलत रूप में ले ले।

मुझे लगा कि वो मेरी इस बात पर शायद कुछ अजीब सी प्रतिक्रिया देगी पर
उसने इसके विपरीत कहा- हाँ, सही है !

और वह खुद दरवाजा बंद करने के लिए चली गई।

उसका बच्चा सो गया था और मैं सोच रहा था कि कैसे कुछ करने की बात पर आऊँ।

अचानक उसने मुझे वह वांछित मौका दे दिया।

उसने पूछा- आप क्यों मेरी इतनी मदद कर रहे हो?

एक पल के लिए मैं असहाय सा महसूस करने लगा कि एकदम से मेरे ज़हन में एक कहानी आई।

मैंने कहा- दीपा जी, मेरी एक प्रेमिका थी और उसके चेहरे और आपके चेहरे
में काफी समानताए हैं। वो काफी कुछ तुम्हारी तरह दिखती थी पर एक साल पहले
एक कार दुर्घटना में उसका निधन हो गया।

वह यह सुनने के बाद एक मिनट के लिए वह सदमे में आ गई थी। लेकिन उसकी
सहानभूति मेरे साथ थी।

आगे मैंने दीपा से कहा- क्या तुम मेरे ऊपर एक एहसान कर सकती हो?

तो इस पर उसने कहा- अगर मैं कर सकती हूँगी तो ज़रूर करूँगी।

मैंने उससे कहा- दीपा, हम कुछ समय एक साथ गुज़ार सकते हैं?

उसने कहा- हाँ, क्यों नहीं, बल्कि हम पहले से ही समय साथ गुजार रहे हैं।

मैंने मुस्कुरा कर कहा- हाँ, तुम सही कह रही हो।

और यह भी कहा- तुम बहुत प्यारी हो।

इसी बातचीत में मैं थोड़ा उसके करीब आ गया था। अब मैं उसके शरीर की खुशबू
को महसूस कर रहा था।

लग रहा था कि इन 5 दिनों में हम दोनों काफी करीब आ गये थे और वो मेरे साथ
काफी सहज महसूस करती थी।

मेरे मन में आया कि मैं एक अंतिम कदम उठा लूँ।

इसके लिए मैंने एक बहुत अच्छा सा गले का हार खरीदा। वो कृत्रिम हार था
करीब 800 रुपये का। मैं 2.00 बजे वापस आया और जब उसने मुझे देखा वह
मुस्कुराई।

2.50 पर उसका बच्चा सो गया। मैं उसके पास गया। वह उस वक़्त गाउन में थी।

मैंने उससे कहा- दीपा प्लीज मुझे माफ़ कर देना, मैंने तुम्हारे लिए एक
नेकलेस खरीदा है। आज मेरे प्यार का जन्मदिन है और वो अब इस दुनिया में
नहीं है लेकिन तुम एकदम उसके जैसी लगती हो इसीलिए मैंने सोचा कि तुम्हें
उसका उपहार दे दूँ।

वह दुविधा में आ गई थी लेकिन अंत में वह लेने पर सहमत हो गई, उसको वो
नेकलेस पसंद भी आया।

मैंने उसे अपने कमरे में आकर चाय पीने के लिए कहा तो वो हल्के प्रतिरोध
के बाद, अंत में आने के लिए सहमत हो गई।

मैं अपने कमरे में पहले चला गया। जब वो आई तो मैंने मैंने दरवाज़ा हल्का
सा बंद कर दिया और उससे पूछा कि क्या उसका बच्चा सो गया है?

उसने जवाब दिया- नो प्रौब्लम, हम चौकस रहेंगे। अगर बच्चा रोयेगा तो हम तक
उसकी आवाज़ आ जाएगी।

फिर हम दोनों सोफे पर बैठ गये। मैं उसकी बगल में बैठ गया।

मैंने दीपा से पूछा- अगर कोई आपत्ति न हो तो क्या तुम नेकलेस अपने गले
में डाल सकती हो?

वह तैयार हो गई।

मैंने उसे नेकलेस दिया और रसोई में चाय बनाने के लिए चला गया और उससे कहा
कि वो नेकलेस को पहन ले।

दीपा खुद को आईने में देख रही थी और बोली- वाह, यह वास्तव में अच्छा लग रहा है।

मैं तुरंत उसके पास गया और पीछे से उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी
बाहों में भर लिया।

वह एकदम से आश्चर्य में थी, थोड़ा प्रतिरोध किया लेकिन अंत में हथियार डाल दिए।

यह मेरे लिए अपने श्रम के फल के स्वाद का मौका था, मैंने तुरंत उसे सोफे
पर लिया और कहा- दीपा, जबसे तुमको देखा है, मुझे मेरे प्यार की काफी याद
आती है। तुम प्लीज, मेरी दोस्त बनी रहना।

मैंने उसे चूमना शुरू किया तो वह कामुक सिसकारियाँ लेने लगी और बोली-
प्लीज ऐसे मत करो, मैं शादीशुदा हूँ।

मैंने कहा- नहीं, मैं नहीं रह पाऊँगा।

वो बोली- मैं तुम्हें ऐसा नहीं समझती थी, प्लीज मुझे छोड़ दो।

अब मैंने उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया। मेरे हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे
थे। मैंने उसे अपनी बाहों में लिया और उसे सोफे पर नीचे लिटा दिया।

उसने कहा- नहीं प्लीज, यह सही नहीं है।

मैंने कहा- नहीं, मैं सिर्फ इतना जानता हूँ कि मैं तुम्हें बहुत प्यार
करता हूँ मेरी जान।

फिर मैंने उसके स्तनों को अपने हाथों में भर लिया और उन्हें हल्के से
दबाने लगा। मैं बहुत उत्तेजित हो गया था।

जिसको मैं अपनी कल्पनाओं में देखा करता था, वो मेरे नीचे थी और मैं उसके
स्तनों को दबा रहा था।

फिर मैं उसके उरोज़ों को जोर जोर से दबाने लगा। अब वह भी उत्तेजित होने
लगी थी। मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे प्रगाढ़ चुम्बन करने
लगा।

मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में अन्दर तक डाल दी और मुँह के अंदर अपनी जीभ
को घुमाने लगा।

इस सबसे अब वह भी बहुत गर्म होने लगी और बोली- आह्हह, आ जाओ अब। आह आ आह्ह..

अब मैं उसकी कमर और जांघ पर अपने हाथ गया और उसकी जांघ को सहलाने लगा।
फिर मैंने उसे अपने गले से लगा लिया और अब वो पूरी तरह से मेरी बाहों में
थी और मेरे लिए थी।

मैंने उसके शरीर से उसका गाउन अलग कर दिया।

उफ्फ्फ्फ्फ़ ! क्या नज़ारा था। उफ्फ ! क्या मम्मे थे उसके। ब्रा के लिए भी
उन बड़े बड़े और रसदार चूचों को अपनी पकड़ में रख पाना मुश्किल हो रहा था।

उसके चूचे मेरे हाथो में नही समां पा रहे थे और मैने उसकी ब्रा खींच कर फाड़ दी।

वो बोली- हाय ! मेरे ऊपर आ जाओ। चढ़ जाओ मुझ पर। ले लो ना मेरी।

अब उसका ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से नग्न था और वह बहुत सेक्सी लग रही थी।
मैं उसे चाट रहा था और उसके स्तन चूस रहा था। उसके निप्पल भूरे रंग के
थे, नोक एकदम तनी हुई सी। मैं उस पर अपनी जीभ फिरा रहा था और उनको थोड़ा
आहिस्ता से काट भी लेता था बीच बीच में।

वो भी चूचे चुसाई का आनन्द ले रही थी और जोर अपने चूचे चुसवाते हुए हाय
हाय उफ्फ्फ उफफ्फ सीईईइ म्मम स्स्स उफ्फ्फ जैसी कामुक आवाज़ें निकाल रही
थी।

"उफ्फ्फफ्फ्फ़ मेरे राजे, तुम बड़े वो हो। चूसो इनको और ज़ोर से दबा कर कर
चूसो मेरे राजे।"

मैं लगातार उसके मम्मों को चूस रहा था और अपने हाथ से उसकी चूत को सहला
रहा था। उसकी चूत गीली हो गई थी।

लगभग आधे घंटे उसके चूचों को चूसने और काटने और मसलने के बाद मैंने उसकी
सलवार को नीचे सरका दिया। वो लाल रंग की पैंटी में थी। यह वही पैंटी थी
जिसे मैं काफी बार अपनी छत पर सूखते हुए देख चुका था।

अब मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया और उसे अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया।

वह चिल्लाई- नहीं ऐसा मत करो, प्लीज मुझे पागल मत करो, मैं पागल हो
जाऊँगी ! हाय ! आआ उफ्फ्फ़ सीईई म्मम्म ऊऊफ़।

मैंने जवाब दिया- आज तो मैं तुझे खा ही जाऊँगा। यह कहानी आप हिंदी सेक्सी
कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं।

वो बोली- तो फिर खा ही जाओ आज मुझे। चाटो मेरी चूत को।

मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और उसको चाटने लगा अपनी जीभ को अंदर
डाल डाल कर। उसकी चूत एकदम चिकनी थी। एक भी बाल नहीं था, मुझे बिना बालों
वाली चूत को चूसने में बड़ा मज़ा आता है।

फिर उसने अपना हाथ मेरे चड्डी में डाल कर मेरे 7" के लंड को पकड़ किया और
जोर जोर से आगे पीछे करने लगी।

मैं उसके ऊपर आ गया और हम 69 की स्थिति में आ गये। मेरा लंड उसके चेहरे
पर था और उसने एकदम से मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

मैं उसकी चूत चाट रहा था और वो मेरा लंड चूस रही थी। हम दोनों की कामुक
सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूज रही थी।

काफी देर चूसने के बाद जब मुझे लगा कि मैं झड जाऊँगा तो मैंने अपना लण्ड
उसके मुँह से निकाल लिया और हम सोफे पर बैठ गये।

अभी तक हम दोनों के अंदर आग जैसी लगी हुई थी। उसके मेरा लंड पकड़ लिया और
अपनी टांगें फैला दी और मुझे इशारे से अपने ऊपर बुलाने लगी। उसकी आँखों
में भूख सी थी जैसे मुझे चोदने के लिए बोल रही हो। मैं फिर से उसके ऊपर
चढ़ गया और उसके पैर फैला दिए, अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखा और उसकी
चूत ने मेरा लंड अपने अन्दर ले लिया।

वो बोली- आःह्ह आराम से राजे उफ्फ़, आराम से चोदो मुझे।

मैं पूरी तरह से उत्तेजित था लेकिन मुझे पता था कि उसको लम्बे समय तक
कैसे चोदना है। मैंने धक्के लगाने शुरू किए और वो भी मेरे धक्कों का जवाब
नीचे से धक्के लगा कर दे रही थी।

वो पूरी तरह से मेरा साथ दे रही थी और बोल रही थी- सीईई उईईई माँ हाय
उफ्फ म्म्म चोदो मुझे राजे। फाड़ दो मेरी। तुमने तो मेरी ले ही ली राजे।
मैं पहले से ही जानती थी कि तुम मुझे चोदना ही चाहते हो।

अब मैं जोर जोर से धक्के लगा कर उसे चोद रहा था। पूरा कमरा फच फच फाच फच
फच फच की आवाजों से भरा हुआ था।

फिर मैंने उसकी एक टाँग को अपने कंधे पर रख लिया और उससे जोर जोर से
चोदना शुरू कर दिया।

उसने मुझे कस के पकड़ लिया और हांफते हुए बोलने लगी- बस राजे..अब मैं आ
रही हूँ। बस बस..

मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार तेज़ कर दी और अपने
चरम बिंदु पर पहुँच गया, उसके ऊपर लेट गया और अपना माल उसकी चूत में ही
गिरा दिया।

इस सबके बाद हम एक दूसरे की बाहों में थे और एक दूसरे को प्रगाढ़ चुंबन करने लगे।

इस तरह की जंगली मुठभेड़ के बाद वो बहुत खुश थी। फिर मैंने एक बहुत अच्छी
चाय बनाई और हम नग्न अवस्था में ही वो चाय पी।

फिर उसने मुझसे वादा किया कि जब भी मुझे उसकी ज़रूरत होगी वो मेरे कमरे
में आ जाएगी लेकिन इस सबके बदले में मुझे उसे 5000 रुपये महीना देने
होंगे जिससे उसकी ज़रूरतें पूरी हो सके। इस पर मैंने अपनी सहमति व्यक्त की
क्योंकि यह मेरे लिए बहुत बड़ी रकम नहीं थी और वो मेरे कमरे से चली गई।

इसके बाद हमने मेरे फ्लैट के लगभग हर हिस्से में चुदाई की और न जाने
कितनी बार की। अब मैंने वो फ्लैट छोड़ दिया है क्योंकि वो मेरी नई नौकरी
की जगह से काफी ज्यादा दूर है, पर हम आज भी एक दूसरे से मिलते हैं और
हमारी जंगली मुठभेड़ होती रहती है।

आपका टॉम


--
Raj Sharma

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