Thursday, January 31, 2013

"माँ,मुझे शर्म आएगी."

"माँ,मुझे शर्म आएगी."

दोस्तों मैं उस वक़्त की कहानी से अपने ब्लॉग की शुरुआत कर रही हूँ जब
सर्वप्रथम चुदाई से मैं परिचित हुई थी.मेरे घर में मेरी माँ,मुझसे दो साल
छोटी एक बहन और मैं हूँ. मेरे पिताजी की मृत्यु लगभग १५ वर्ष पूर्व हो
गयी थी.पिताजी की मृत्यु हो जाने की वजह से घर चलाने के मामले में यही
फर्क आया कि माँ को पेंसन मिलने लगी जिससे किसी तरह खर्च चल जाता
था.पिताजी कि मृत्यु के दो साल बाद की बात है मैं और मेरी बहन एक ही
चारपाई पर सोये थे. उसी कमरे में माँ भी सोती थी लेकिन अलग बिस्तर पर.रात
में करीब १२ बजे मेरी नींद अचानक खुल गयी मैंने कमरे में कुछ हलचल महसूस
क़ी.हालांकि कमरे में अँधेरा था लेकिन मैं उसी अँधेरे में देखने क़ी
कोशिश कर रही थी. मुझे समझ में आया कि माँ के बिस्तर पर माँ के अलावा कोई
और भी है.कौन हो सकता है? मेरे मन में विचार आने लगा.मैं बिना आवाज़ किये
उठकर बैठ गयी और उत्सुकता से देखने लगी.उसके बाद जो मुझे दिखाई दिया उसको
देखकर मै चकित हो गयी.मुझे माँ की गांड और चियरी हुई चुत में कुछ घुसता
और निकलता हुआ दिखा.मैं उस वक़्त बहुत छोटी थी मुझे इतना ही मालुम था कि
लड़कियों की मूतने वाली छेद में लड़के अपना मूतने वाला डंडा डालते हैं तो
बहुत अच्छा लगता है.आज मैं उस दृश्य को अपनी आँखों से साक्षात देख रही थी
तो उत्तेजना स्वाभाविक बात थी. मेरी छोटी बहन मेरे साथ सोई थी मैंने उसे
डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा और खुद बा खुद मेरी अंगुलियाँ मेरी गीली हो
चुकी चुत में सरकने लगीं.उधर जितनी तेज़ी से माँ की चुत में लंड जा रहा था
उतनी ही तेज़ी से मेरी अंगुलियाँ भी मेरी चुत को चोद रही थीं. कुछ देर बाद
मुझे चरम आनंद की प्राप्ति हुई और मुझे नींद आ गयी.

अगले कुछ दिनों तक एकाध बार छोड़ कर मैं हर रात को माँ की चुदाई का
इंतज़ार करने लगी और चुदाई की स्वक्रिया संपन्न करने लगी.अब अँगुलियों से
मेरा मन भर गया था मेरी चुत को अब लंड की सख्त आवश्यकता महसूस होने
लगी.लेकिन कोई चारा नज़र नहीं आ रहा था.
संयोग से एक रात को माँ को चुदवाते हुए देखकर मैं अपनी चुत में
अंगुली कर रही थी कि मेरे मुंह से सीत्कार निकल गया जिसको माँ ने सुन
लिया.मैं जान नहीं पाई कि क्या हुआ लेकिन अगले दिन माँ का व्यवहार कुछ
बदला बदला सा था.मुझसे रहा नहीं गया मैंने माँ से पूछा,"क्या बात है माँ
आज बहुत उदास ho ?"माँ ने कहा,"नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है." कुछ देर
के बाद माँ ने मुझे अकेले में बुलाया और बोलीं,"कल रात......" इतना
सुनते ही मेरे कान खड़े ho गए.मेरा चेहरा उतर गया .तब माँ ने कहा,"देखो
बेटी मेरी उम्र इस वक़्त ४० साल है और तुम जानती ho कि तुम्हारे
पिताजी को मरे हुए दो साल से ऊपर ho गया..." और माँ का गला भर आया,आँखों
से आंसू छलक पड़े.मैंने माँ को दिलासा दिया और कहा कोई बात नहीं है
माँ.मेरी इस बात से उनका दिल कुछ हल्का हुआ औरवो बोलीं,"बेटी तुम नाराज़
नहीं ho मुझसे."
मैंने कहा,"नहीं माँ इसमें नाराज़ होने वाली कौन सी बात है.ऐसा तो सबके
साथ होता होगा.?"
माँ के चहरे पर कुछ मुस्कान आई.मैं उस वक़्त कुछ और नहीं बोली.उस दिन
के बाद मैं तीन रातों तक माँ के चुदाने का इंतज़ार करती रही लेकिन उनकी
चुदाई नहीं हुई.अब मैं माँ की हमराज़ ho ही गयी थी.मैंने माँ से
पूछा,"क्यों माँ, आजकल अंकल रात को नहीं आ रहे हैं, क्यों ?"
माँ ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा,"तुमको क्या मतलब है इससे? "
मैं भी अब जवान ho रही थी और कई दिनों तक चुदाई का लाइव सीन देख चुकी
थी.मेरी चुत को लंड की ज़रूरत सताने लगी थी ऊपर से माँ की हमराज़ भी ho गई
थी जिसका नतीजा ये हुआ कि मैंने बे अदबी के साथ माँ से कह दिया,"माँ मुझे
भी वही चाहिए जो तुम रोजाना रात को अपनी चुत में डलवाती ho" माँ तो
बिलकुल सन्न रह गईं.उन्हें मुझसे ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी.
माँ मजबूर ho गयी थी.उसने कहा,"तुम्हारे चुत में भी लंड पेलवा दूंगी
लेकिन ध्यान रहे तुम्हारी छोटी बहन को ये सब बातें मालूम नहीं होनी
चाहिए." मैंने ख़ुशी से उछलते हुए कहा,ओ के माँ ! तुम कितनी अच्छी ho."


दोस्तों! जब मेरी मम्मी ने मुझसे कहा की वे मेरी चुत में लंड पेलवा
देंगी तो मैं बहुत खुश हुई. मैं इस बात पर बहुत आह्लादित हुई कि मैंने
मम्मी को मजबूर कर दिया था.उसी दिन जब मैं नहाने जा रही थी तो मम्मी
बाथरूम में आ गयीं और दरवाजा बंद कर लिया और बोली,"अपने कपड़े उतारो."
मैंने मम्मी से कहा ,"माँ,मुझे शर्म आएगी."
मम्मी ने मुझे डांटते हुए कहा,"छिनाल कहीं की,चुत और लंड का खेल देखकर
पेलवाने की तुम्हारी हवस जाग उठी लेकिन यह नहीं जानती हो कि मर्द को
क्या पसंद आता है.? मर्द को चिकनी चुत चाहिए. देखूं तुम्हारी झाटें साफ़
हैं कि नहीं?"
इसी के साथ मम्मी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी तरह नंगी हो
गईं. उनकी चुत के बाल एकदम साफ़ थे. क्या शानदार चुत थी मम्मी की! मुझे
यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं इसी चुत के रस्ते बाहर निकली हूँ.मैं भी
नंगी हो गयी . माँ ने मेरी चुत को सहलाया और बोली,"आज तुम्हारे अंकल
इसमें अपना लंड पेलकर बहुत खुश होंगे.एक बात बता दूं. उन्होंने मुझसे एक
बार कहा था कि नेहा (मेरी मम्मी का नाम नेहा है),एकाध नए माल का इंतज़ाम
करो , पैसों की फिक्र मत करना.माँ ने मुझे रगड़ रगड़ कर अच्छी तरह नहलाया
.मेरी चुत के बाल साफ़ किये और तब बोलीं,"अब तुम्हारी चुत लंड लेने के
लिए एकदम तैयार है."
शाम को अंकल आये तो मैं उनको निहारती रह गयी. क्या बलिष्ठ गठा हुआ बदन
पाया था अंकल ने ! हम लोग खाना खाकर सोने की तैयारी करने लगे. मेरी छोटी
बहन जल्दी सो गई. उसके बाद हम तीन लोग एक ही बिस्तर पर आ गए.माँ ने
कहा,"क्यों जी,आप बहुत दिनों से किसी नए माल के बारे में कह रहे थे. आज
मैं अपनी बिटिया को आपके हवाले कर रही हूँ लेकिन दो बातों का ध्यान
रखियेगा.पहली बात ये कि बेचारी की चुत एकदम कोरी है बहुत आराम से
पेलियेगा.दूसरी बात ये कि हम दोनों माँ बेटी को कोई अच्छा ईनाम
दीजियेगा."
अंकल बोले,"नेहा, तुम भी तो साथ ही हो जब मैं पेलूँगा तो तुम रहोगी ही.
रही ईनाम की बात तो तुम्ही बता दो क्या ईनाम चाहिए?"
माँ ने कहा,"मुझे एक हार चाहिए."
मैं बोली," मुझे अभी कुछ नहीं चाहिए.बाद में बताउंगी."
इस दौरान मम्मी ने मेरे कपड़े उतार दिए थे.मेरी बुर को सहलाकर अंकल को
दिखाकर बोली,"देखो जी कितनी चिकनी चुत है मेरी रानी बिटिया की! "
मैंने अंकल के पैजामे का नाड़ा खोलते हुए कहा,"आपका लंड भी कोई कम नहीं
है इस उम्र में भी."
माँ ने भी अपने सारे कपडे उतार दिए.अब हम तीनों मादरजाद नंगे थे. अंकल
मेरे होटों को चूसते हुए एक हाथ से मेरी चुत को सहला रहे थे ,तथा दूसरे
हाथ से मम्मी की गांड सहला रहे थे.मैं तो गरम होने लगी.लेकिन मम्मी अभी
गरम नहीं हुई थी.मम्मी ने मुझसे पूछा,"क्यों बेटी,लंड चूसोगी?" मैंने
कहा,"आप लोग जैसा आदेश करें.मैं तो अनाड़ी हूँ.मुझे आप लोगों के मार्ग
निर्देशन में ही पेलवाना है." मम्मी बोली,"तब ठीक है,मैं जैसा कहती हूँ
वैसा करो.हम तीनो ऐसी पोजीशन में हो गए कि मैं उनका लंड चूस रही थी,मम्मी
मेरी चुत चाट रही थी और अंकल मम्मी की चुत चाट रहे थे.अर्थात तीनो लोगों
ने एक सर्किल बना रखा था.मैं तो मम्मी द्वारा चुत की चटाई से ही एक बार
झड़ गई.थोड़ी देर बाद मैंने मम्मी से कहा,"माँ,मेरी बुर में जल्दी लंड
डलवा दो नहीं तो मैं पागल हो जाउंगी." माँ ने कहा,"अच्छा,अपनी टांगें
फैलाकर पीठ के बल लेट जाओ. मैं वैसलीन की शीशी लाती हूँ." मम्मी ने मेरी
चुत के अन्दर वैसलीन लगा दिया और अंकल से बोली,"मेरी रानी बिटिया की
कुंवारी चुत में लंड का प्रथम प्रवेश करवाइए." और मम्मी ने अंकल के
सुपाड़े पर भी वैसलीन लगा दिया. अंकल ने मेरी टांगों को फैलाकर लंड को
मेरी प्यासी चुत के मुहाने पर रखा और मेरी मम्मी ने अंकल के पीछे से मेरी
चुत को फैला रखा था.अंकल ने धक्का लगाया लेकिन निशाना चूक गया.मेरी चुत
तड़प रही थी कि जल्दी से उसमें लंड घुसे. मैं लगभग रोते हुए
बोली,"माँ!पेलवा दो न, क्यों देरी हो रही है?" माँ ने कहा,"इस बार घुस
जायेगा बेटी,घबराओ मत,मैं भी तो लगी हूँ इसी कोशिश में.पेलिए जी मेरी
बेटी को,बेचारी तड़प रही है."और जब इस बार अंकल ने अपना सुपाड़ा घुसा
दिया तो मुझे लगा कि मेरी जान निकल जाएगी,लेकिन मैंने अपने दांत बैठा लिए
थे.मम्मी मेरी चुत को पीछे से सहला रही थी ताकि दर्द न हो. अंकल ने थोडा
और घुसाया तो मुझे लगा कि अब पूरा हो गया.लेकिन जब मैंने अंकल से कहा कि
अब धक्का लगाइए तो उनके बोलने से पहले मम्मी ने बाहर निकले हुए लंड को
नापकर कहा ,"बस बेटी ४ इंच लंड अभी बाहर है ३ इंच तो तुमने निगल लिया
है." यह सुनकर मेरी तो हालत खराब हो गयी.खैर अंकल ने थोडा और जोर लगाया
तो दो बार में पूरा लंड जड़ तक घुस गया. अंकल ने स्पीड तेज़ की तो धीरे
धीरे मुझे मज़ा आने लगा.मैं आह्ह्ह्ह ऊह..ह ह ह ह ह पेल दो राजा फाड़ दो
मेरी बुर को ......उफ़.थोड़ी देर के बाद फच फच की आवाज़ आने लगी.मुझे
बहुत अच्छा लग रहा था. अंकल ने मेरी चूचियों के निप्पल को दबा दबा कर लाल
कर दिया था.उधर मम्मी मेरी चुत को सहला रही थी.बीच बीच में वह मेरी चुत
और उसमें फंसे हुए लंड को चाटने भी लगती थी.कुछ देर के बाद मुझे ऐसा लगा
कि मैं आसमान में उड़ रही हूँ.मैंने अंकल को खूब जोर से भींच लिया और
अपनी गांड इस क़दर उचकाने लगी कि लंड खूब गहराई तक जाय.अब मेरा काम तमाम
होने वाला था.मैं बडबडाने लगी,"अह ..मेरे राजा उन्ह...आह औच..ओह.मैं आ
गयी आह.ह ह हह ओह..ओहोहोह .....अहः अह अह अह अह ..आह आह आह ऊह ओह्ह
........और मेरी चुत ने पानी छोड़ दिया. लेकिन अंकल रुकने का नाम नहीं ले
रहे थे.मम्मी ने मुझसे पूछा,"क्यों बेटी मज़ा आया? कहो तो मैं भी चोदवा
लूं.तुम्हे चुदवाते देखकर मेरी बुर भी पनिया गयी है.अंकल ने अपना ७ इंच
का लपलपाता हुआ लंड बहार निकाल लिया.मम्मी को इतना जोश चढ़ चुका था कि
अंकल ज्यों ही पीठ के बल लेटे मम्मी उनके खड़े लंड को अपनी चुत में फंसा
दिया और धक्का मारने लगी.मैं मम्मी के पीछे जाकर उनकी चियरी हुई चुत
में अंकल के फंसे हुए लंड को देखने लगी.क्या गज़ब
का नजारा था.मैं बुर लंड के संधिस्थल को चाटने लगी.मेरी बुर फिर से
पनियाने लगी थी. मम्मी ने उछल उछल कर खूब चुदवाया.अब मम्मी पीठ के बल
लेट गयीं और अंकल ने सामने से अपना लंड घुसा दिया और जोर जोर से चोदने
लगे.थोड़ी देर बाद उनका पानी निकल गया.उस रात को अंकल ने हम माँ बेटी को
तीन बार चोदा. रात के दो बजे हमलोग सो गए.

आपके लिए कसी हुई चुत के साथ

उम्म्म्मम्मु
आह ......

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raj sharma

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