FUN-MAZA-MASTI
दोस्त की माँ, बुआ और बहन
यह कहानी मेरे दोस्त की माँ, बुआ और बहन को चोदने वाली है। ये बात आज से 9-10 वर्ष पहले की है जब मेरी उमर 20-21 साल की थी। उन दिनो मैं मुम्बई में रहता था। मेरे मकान के बगल में एक नया किरायेदार सुखबिन्दर रहने आया। वो किराये के मकान में अकेला रहता था। मेरी हम उमर का था इसलिये हम दोनो में गहरी दोस्ती होगयी। वो मुझ पर अधिक विश्वास रखता था क्योंकि मैं एक सरकारी कर्मचारी था और उससे ज्यादा पढा लिखा था। वो एक निजी फ़ेक्ट्री मे मशीन ऑपरेटर था। उसके परिवर में केवल 4 सदस्य थे। उसकी विधवा माँ 41 साल की, विधवा बुआ (यानी कि उसकी माँ की सगी ननद) 35 साल की और उसकी कुंवारी बहन 18-19 साल की थी। वे सब उसके गावँ मैं रहकर अपनी खेती बाड़ी करते थे।
दिवाली छुट्टियों में उसकी माँ और बहन मुम्बई में 1 महीने के लिये आये हुये थे। दिसम्बर में उसकी माँ और बहन वापस गावँ जाने की जिद करने लगे। लेकिन कम अत्यधिक होने के कारण सुखबिंदर को 2 महीने तक कोई भी छुट्टी नहीं मिल सकती थी। इसलिये वो परेशान रहने लगा। वो चाहता था कि किसी का गावँ तक साथ हो तो वो माँ और बहन को उसके साथ भेज सकता है। लेकिन किसी का भी साथ नहीं मिला।
सुखबिंदर को परेशान में देख कर मैंने पूछा, क्या बात है सुखबिन्दर, आज कल तुम ज्यादा परेशान रहते हो ”
सुखबिंदर: क्या करु यार, काम ज्यादा होने के कारण मेरा ऑफ़िस मुझे अगले 2 महीने तक छुट्टी नहीं मिल रही है और इधर माँ गावँ जाने की जिद कर रही है। मैं चाहता हूं कि अगर कोई गावँ तक किसी का साथ रहे तो माँ और बहन अच्छी तरह से गावँ पहुच जायेंगी और मुझे भी चिन्ता नहीं रहेगी। लेकिन गावँ तक का कोई भी साथ नहीं मिल रहा है ना ही मुझे छुट्टी मिल रही है इसलिये मैं काफ़ी परेशान हूं।
दिन: यार अगर तुम्हे ऐतराज ना हो तो मैं तुम्हारी परेशानी हल कर सकका हूं और मेरा भी फ़ायदा हो जायेगा।
सुखबिंदर :यार मैं तुम्हारा यह अहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूंगा अगर तुम मेरी परेशानी हल कर दो तो। लेकिन यार कैसे तुम मेरी परेशानी हल करोगे और कैसे तुम्हारा फ़ायदा होगा ”
यार सरकारी दफ़तर के अनुसार, मुझे साल में 1 महीने कि छुट्टी मिलती है। अगर मैं छुट्टी लेता हूं तो मुझे गावँ या कही भी जाने का आने जाने का किरया भी मिलता है और एक महीने की पगार भी मिलती है। अगर मैं छुट्टी ना लू तो 1 महीने कि छुट्टी समाप्त हो जाती है और कुछ नहीं मिलता है।
सुखबिंदर: यार तुम छुट्टी लेकर माँ और बहन को गावँ पहुचा दो इस बहाने तुम मेरा गावँ भी घूम आना।
अगले दिन से मैंने छुट्टी के लिये आवेदन पत्र दे दिया और मेरी छुट्टी मजूर हो गयी।
सुखबिंदर ने साधारण टिकट लेकर हम दोनो को रैलवे स्टेशन पहुचाने आया। हमने टीटी से विनती कर के किसी तरह 2 सीट ले ली। गाड़ी करीब रात 8:40 पर रवाना हुयी। रात करिब 10 बजे हमने खाना खया और गपशप करने लगे। बहन ने कहा भैया मुझे नींद आ रही है और वो उपर के बर्थ पर सो गयी। कुछ देर बाद माँं भी नीचे के बर्थ पर चद्दर औढ कर सो गयी और कहा कि तुम अगर सोना चाहते हो तो मेरे पैर के पास सिर रख कर सो जना।
मुझे भी थोड़ी देर बाद नीद आने लगी और मैं उनके पैर के पास सिर रख कर सो गया। सोने से पहले मैंने पेण्ट खोल कर शोर्ट पहन लिया। माँ अपने बायी तरफ़ करवट कर के सो गयी। कुछ देर बाद मुझे भी नींद आने लगि और मैं भी उनकी चद्दर ओढ कर सो गया। अचानक रात करीब 1:30 मेरी नींद खुली मैंने देखा कि माँ की साड़ी कमर के उपर थी और उनकी चूत घनी झांटो के बीच छुपी थी। उनका हाथ मेरे शोर्ट पर लण्ड के करीब था।
यह सब देख कर मेरा लण्ड शोर्ट के अन्दर फड़फड़ाने लगा। मैं कुछ भी समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूं। मैं उठकर पैशाब करने चला गया। जब वापस आया मैंने चद्दर उठा कर देखा तो अभी तक माँ उसी अवस्था मैं सोयी थी। मैं भी उनकी तरफ़ करवट कर के सो गया। लेकिन मुझे नीद नहीं आ रही थी।
बार बार मेरी आंखों के सामने उनकी चूत घूम रही थी। थोड़ी देर बाद एक स्टेशन आया। वहां 5 मिनट तक ट्रैन रुकी थी और मैं विचार कर रहा था कि क्या करू। जैसे ही गाड़ी चली मेरे भाग्य ने साथ दिया और हमारे डिब्बे की लाईट चली गयी। मैंने सोचा कि भगवान भी मेरा साथ दे रहा है। मैंने अपना लण्ड शोर्ट से निकल कर लण्ड के सुपाड़े की टोपी नीचे सरका कर सुपाड़े पर ढेर सरा थूक लगा कर सुपाड़े को चूत के मुख के पास रख कर सोने का नाटक करने लगा। गाड़ी के धक्के के कारण आधा सुपाड़ा उनकी चूत मैं चला गया लेकिन माँ कि तरफ़ से कोई भी हरकत ना हुयी। या तो वो गहरी नींद में थी या वो जानबूझ कर कोई हरकत नहीं कर रही थी। मैं समझ नहीं पाया। गाड़ी के धक्के से केवल सुपाड़े का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अन्दर बाहर हो रहा था।
एक बार तो मेरा दिल हुआ कि एक धक्का लगा कर पूरा का पूरा लण्ड चूत में डाल दूं। लेकिन संकोच ओर डर के कारण मेरी हिम्मत नहीं हुयी। गाड़ी के धक्के से केवल सुपाड़े का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अन्दर बाहर हो रहा था। इस तरह चोदते चोदते मेरे लण्ड ने ढेर सरा फ़व्वारा उनकी चूत और झांटो के उपर निकाल दिया। अब मैं अपना लण्ड शोर्ट में डाल कर सो गया।
करीब सवेरे 7 बजे माँ ने उठाया और कहा कि चाय पीलो और तैयार हो जाओ क्यूंकि 1 घन्टे में हमारा स्टेशन आने वाला है। मैं फ़्रेश हो कर तैयार हो गया। स्टेशन आने तक मां बहन और मैं इधर उधर कि बातें करने लगे। करीब 09:30 बजे हम सुखबिंदर के घर पहुचे। वहां पर सुखबिंदर की बुआ ने हमारा स्वागत किया और कहा नो धो कर नाश्ता कर लो।
हम नहा धोकर आंगन मैं बैठ कर नाश्ता करने लगे। करीब 11:00 बजे बुआ ने माँ से कहा “भाभी जी आप लोग थक गये होंगे, आप आराम कीजिये मैं खेत में जा रही हूं और मैं शाम को लौटूंगी। माँ ने कहा ठीक है और मुझ से बोली अगर तुम आराम करना चाहो तो आराम कर लो नहीं तो बुआ के साथ जा कर खेत देख लेना।
मैंने कहा कि मैं आराम नहीं करुगा कयूकि मेरी नीद पूरी हो गयी है, मैं बुआ जी के साथ खेत चला जाता हूं वहां पर मेरा समय पास भी हो जायेगा।
मैं और बुआ खेत कि और निकल पड़े। रास्ते में हम लोगो ने इधर उधर की काफ़ी बातें की। उनका खेत बहुत बड़ा था खेत की एक कोने मे एक छोटा सा मकान भी था। दोपहर होने के कारण आजू बाजू के खेत में कोई भी न था।
खेत पहुच कर बुआ जी काम में लग गयी और कहा कि तुम्हे अगर गरमी लग रही हो तो शर्ट निकाल लो उस मकान में लुंगी भी है चाहे तो लुंगी पहन लो और यहां आकर मेरी थोड़ी मदद कर दो। मैं मकान में जाकर शर्ट उतार दिया और लुंगी बनियान पहनकर बुआ जी के काम में मदद करने लगा। काम करते करते कभी कभी मेरा हाथ बुआ जी के चूतड़ पर भी टच होता था। कुछ देर बाद बुआ जी से मैंने पूछा, बुआ जी यहां कहीं पेशाब करने की जगह है ”
बुआ जी बोली कि मकान के पीछे झाड़ियों में जाकर कर लो। मैं जब पेशाब कर के वापस आया तो देखा बुआ जी अब भी काम कर रही थी। थोड़ी देर बाद बुआ जी बोली “आओ अब खाना खाते है और थोड़ी देर आराम कर के फ़िर काम में लग जाते है” अब हम खेत के कोने वाले मकान में आकर खाना खाने की तैयारी करने लगे। मैं और बुआ दोनो ने पहले हाथ पैर धोये फिर खाना खाने बैठ गये। बुआ जी मेरे सामने ही बैठ कर खाना खा रही थी।
खाना खाते समय मैंने देखा कि मेरे लुंगी जरा साईड में हट गयी थी जिस कारण मेरी चड्डी से आधा निकला हुआ लण्ड दिखायी दे रहा था। और बुआ जी कि नज़र बार बार मेरे लण्ड पर जा रही थी। लेकिन उन्होने कुछ नहीं कहा और बीच बीच मे उसकी नज़र मेरे लण्ड पर ही जा रही थी। खाना खाने के बाद बुआ जी बरतन धोने लगी जब वो झुक कर बरतन धो रही थी तो मुझे उनके बड़े बड़े बूबस साफ़ नज़र आ रहे थे। उन्होने केवल ब्लाऊज़ पहना हुवा था। बरतन धोने के बाद वो कामरे में आकर चटाई बिछा दी और बोली “चलो थोड़ी देर आराम करते है” मैं चटाई पर आकर लेट गया। बुआ बोली “बेटे आज तो बड़ी गर्मी है” कह कर उन्होने अपनी साड़ी खोल दी और केवल पेटीकोट और ब्लाऊज़ पहन कर मेरे बगल में आकर उस तरफ़ करवट कर के लेट गयी।
अचानक मेरी नज़र उनके पेटीकोट पर गयी। उनकी दाहिनी ओर की कामर पर जहां पेटीकोट का नाड़ा बंधा था वहा पर काफ़ी गेप था और गेप से मैंने उनकी कुछ कुछ झांटे दिखायी दे रही थी। अब मेरा लण्ड लुंगी के अन्दर हरकत करने लगा। थोड़ी देर बाद बुआ जी ने करवट बदली तो मैंने तुरंत आंखे बंद करके सोने का नाटक करने लगा।
थोड़ी देर बाद बुआ जी उठी और मकान के पीछे चल पड़ी। मैं उत्साह के कारण मकान की खिड़की पर गया। खिड़की बंद थी लेकिन उसमे एक सुराख था। मैं सुराख पर आंख लगाकर देखा तो मकान का पिछला भाग साफ़ दिखायी दे रहा था। बुआ वहां बैठ कर पेशाब करने लगी। सब करने के बाद बुआ जी थोड़ी देर अपनी चूत सहलाती रही फिर उठकर मका्न के अन्दर आने लगी। फ़िर मैं तुरंत ही अपनी स्थान पर आकर लेट गया।
बुआ जी जब वापस मकान में आयी तो मैं भी उठकर पिछली तरफ़ पेशाब करने चला गया। मैं जान बूझ कर खिड़की की तरफ़ लण्ड पकड़ कर पेशाब करने लगा। मैंने महसूस किया कि खिड़की थोड़ी खुली हुयी थी और बुआ जी की नज़र मेरे लण्ड पर थी। पेशाब करके जब वापस आया तो देखा बुआ जी चित लेटी हुयी थी। मेरे आने के बाद बुआ बोली बेटे आज मेरी कामर बहुत दुख रही है। क्या तुम मेरी कमर की मालिश कर सकते हो ”
मैंने कहा क्यों नहीं।
उसने कहा ठीक है सामने तेल की शीशी पड़ी है उसे लगा कर मेरी कामर की मालिश कर देना। और फिर वो पेट के बल लेट गयी। मैं तेल लगा कर उनकी कामर की मालिश करने लगा। वो बोली बेटे थोड़ा नीचे मालिश करो। मैंने कहा बुआ जी थोड़ा पेटीकोट का नाड़ा ढीला करोगी तो मालिश करने में आसानी होगी और पेटीकोट पर तेल भी नहीं लगेगा। बुआ जी ने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया। अब मैं उनकी कामर पर मालिश करने लगा। उन्होने और थोड़ा नीचे मालिश करने को कहा। मैं थोड़ा नीचे कि तरफ़ मालिश करने लगा।
थोड़ी देर मालिश करने के बाद वो बोली बस बेटे और नाड़ा बंद कर लेट गयी। मैं भी बगल में आकर लेट गया। अब मेरे दिलों और दिमाग ने कैसे चोदा जये यह विचार करने लगा। आधे घण्टे के बाद बुआ जी उठी और साड़ी पहन कर अपने काम में लग गयी।
शाम को करीब 6 बजे हम घर पहुचे। घर पहुचकर मैंने कहा माँ मैं बाजार जा रहा हूं। 1 घण्टे बाद आजाऊंगा यह कहकर मैं बाजार कि और निकल पड़ा। रास्ते में मैंने बीयर की दुकान से बीयर की बोतले ले आया। घर आकर हाथ पैर धो कर केवल लुंगी पहन कर दूसरे कमरे में जाकर बीयर पीने लगा। एक घण्टे में मैंने 4 बोतले बीयर पी ली थी और बीयर का नशा हावी होने लगा था।
इतने मे बुआ जी ने खाने के लिये आवाज लगयी। हम सब साथ बैठ कर खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद मैं सिगरेट की दुकान जाकर सिगरेट पीने लगा जब वापस आया तो आंगन मे सब बैठ कर बाते कर रहे थे। मैं भी उनकी बातों मे शामिल होगया और हंसी मजाक करने लगा।
बातों बातों में बुआ जी माँ से बोली “भाभी दीन बेटा अच्छी मालिश करता है आज खेत में काम करते करते अचनक मेरी कमर मे दर्द उठा तो इसने अच्छी मालिश की और कुछ ही देर में मुझे आराम आगया” मां हंस पड़ी और मेरी तरफ़ अजीभ नज़रो से देखने लगी। मैं कुछ नहीं कहा और सिर झुका लिया। करीब आधे घण्टे के बाद बहन और बुआ सोने चली गयी। मैं और मां इधर उधर की बाते करते रहे। करीब रात 11 बजे मां बोली बता आज तो मेरे पैर दुख रहे है। क्या तुम मालिश कर दोगे।
दीन :हा क्यूं नहीं। लेकिन आप केवल सूखी मालिश करवओगी या तेल लगाकर
मा: बेटा अगर तेल लगा कर करोगे तो आसानी होगी और आराम भी मिलेगा
दीन : ठीक है, लेकिन सरसो का तेल हो तो और भी अच्छा रहेगा और जल्दी आराम मिलेगा।
फिर माँ उठ कर अपने कमरे में गयी और मुझे भी अपने कमरे में बुला लिया। मैंने कहा आप चलिये मैं पेशाब करके आता हूं। मैं जब पेशाब करके उनके कमरे में गया तो देखा माँ अपनी साड़ी खोल रही थी। मुझे देख कर बोली बेटा तेल के दाग साड़ी पर ना लगे इसलिये साड़ी उतार रही हूं। वो अब केवल ब्लाऊज़ और पेटीकोट में थी और मैं बनियान और लुंगी में था। माँ ने तेल कि डिबिया मुझे देकर बिस्तर पर लेट गयी। मैं भी उनके पैर के पास बैठ कर उनके पैर से थोड़ा पेटीकोट उपर किया और तेल लगा कर मालिश करने लगा।
माँ बोली बेटा बड़ा आराम आ रहा है। जरा पिंडली मैं जोर लगा कर मालिश करो। मैंने ने फिर उनका दायां पैर अपने कनधे में रख कर पिंडली में मालिश करने लगा। उनका एक पैर मेरे कनधे पर था और दूसरा नीचे था जिस कारण मुझे उनकी झांटे और चूत के दरशन हो रहे थे क्योंकि माँ ने अन्दर पेण्टी नहीं पहनी थी। वैसे भी देहाती लोग ब्रा और पेण्टी नहीं पहनते है। उनकी चूत के दरशन पाते ही मेरा लण्ड हरकत करने लगा। माँ ने अपने पेटीकोट घुटनो के थोड़ा उपर कर के कहा जरा और उपर मालिश करो। मैं अब पिंडली के उपर मालिश करने लगा और उनका पेटीकोट घुटनो के थोड़ा उपर होने के कारण अब मुझे उनकी चूत साफ़ दिखायी दे रही थी इस कारण मेरा लण्ड फूल कर लोहे की तरह कड़ा और सख्त हो गया। और चड्डी फ़ाड़ कर निकलने को बेताब हो रहा था। मैं थोड़ा थोड़ा उपर मालिश करने लगा और मालिश करते करते मेरी उनगलीयां कभी कभी उनकी जांघो के पास चली जाती थी। जब भी मेरी उनगलीयां उनके जांघो को स्पर्श करती तो उनके मुख से हाआ हाअ की आवाज निकलती थी। मैंने उनकी और देखा तो माँ की आंखे बंद थी। और बार बार वो अपने होंठो पर अपनी जीभ फेर रही थी। मेंने सोचा कि मेरी उनगलीओ के स्पर्श से माँ को मजा आ रहा है । क्यों ना इस सुनेहरे मौके का फ़ायदा उठाया जाये।
मैंने माँ से कहा माँ मेरे हाथ तेल की चिकनहटा के कारण काफ़ी फिसल रहे है। यदि आप को अच्छा नहीं लगता है तो मालिश बंद कर दूं ”
माँ ने कहा कोई बात नहीं मुझे काफ़ी आराम और सुख मिल रहा है। फिर मैं अपने हथेली पर और तेल लगा कर उनके घुटनो के उपर मालिश करने लगा। मालिश करते करते अचनक मेरी उनगलियां उनके चूत के इलाके के पास छूने होने लगी। वो आंखे बंद करके केवल आहे भर रही थी्। मेरी उनगलीयां उनके पेटीकोट के अन्दर चूत तो छूने कि कोशिश कर रही थी। अचनक मेरी उंगली उनके चूत तो छू लिया, फिर मैं थोड़ा घबरा कर अपनी उनगली उनके चूत से हटा ली और उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिये उनके चेहरे की और देखा लेकिन माँ की आंखे बंद थी। वो कुछ नहीं बोल रही थी। मेरा लण्ड सख्त होकर चड्डी के बाहर निकलने को बेताब हो रहा था। मैंने माँ से कहा माँ मुझे पेशाब लगी है, मैं पेशाब करके आता हूं फ़िर मालिश करुगा। माँ बोली ठीक है बेटा, वाकई तु बहुत अच्छा मालिश करता है। मन करता है मैं रात भर तुझ से मालिश करवाऊ। मैं बोला कोई बात नहीं आप जब तक कहोगी मैं मालिश करुगायह कहा कर मैं पेशाब करने चला गया।
जब पेशाब करके वापस आरहा था तो बुआ जी के कमरे से मुझे कुछ कुछ आवाज सुनायी दी, उत्सुकता से मैंने खिड़की कि और देखा तो वोह थोड़ी खुली थी ।
मैंने खिड़की से देखा बुआ जी एक दम नंगी सोयी थी और अपने चूत मैं ककड़ी डाल कर ककड़ी को अन्दर बाहर कर रही थी और मुख से हा हाआ हाअ कि आवाज निकाल रही थी। यह सीन देख कर मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया। मैंने सोचा बुआ जी कि मालिश कल करुगा आज सुखबिंदर कि माँ की मालिश करता हूं क्योंकि तवा गरम है तो रोटी सेख लेनी चाहिये। मैं फिर माँ के कमरे में चला गया।
मुझे आया देख कर माँ ने कहा बेटा लाईट बुझा कर धीमी लाईट जला दो तकि मालिश करवाते करवाते अगर मुझे नींद आ गयी तो तुम भी मेरे बगल में सो जाना। मैंने तब लाईट बंद करके धीमी लाईट चालू कर दी जब वापास आया तो माँ पेट के बल लेटी थी और उनका पेटीकोट केवल उनकी भारी भारी गाण्ड के भी उपर था बाकी पैरो का हिस्सा नंगा था बिलकुल नंगा था।
अब मैं हथेली पर ढेर सारा तेल लगा कर उनके पैरो कि मालिश करने लगा। पहले पिंडली पर मालिश करता रहा फिर मैं धीरे धीरे घुटनो के उपर जांघो के पास चूतड़ों के नीचे मालिश करता रहा। पेटीकोट चूतड़ पर होने से मुझे उनकी झांटे और गाण्ड का छेद नज़र आ रहा था।
अब मैं हिम्मत कर के धीरे धीरे उनका पेटीकोट कमर तक उपर कर दिया। माँ कुछ नहीं बोली और उनकी आंखे बंद थी। मैंने सोचा शायद उनको नींद आ गयी होगी। अब उनकी गाण्ड और चूत के बाल मुझे साफ़ साफ़ नज़र आ रहे थे।
मैंने हिम्मत करके तेल से भरी हुयी उनगली उनकी गाण्ड के छेद के उपर लगाने लगा वो कुछ नहीं बोली। मेरी हिम्मत और बढ गयी। मेरा अंगूठा उनकी चूत की फ़ांको को छू रहा था और अंगूठे की बगल की उनगली उनकी गाण्ड के छेद को सहला रही थी। यह सब हरकत करते करते मेरा लण्ड टाईट हो गया और चूत में घुसने के लिया बेताब हो गया।
इतने में माँ ने कहा कि बेटा मेरी कमर पर भी मालिश कर दो तो मैं उठकर पहले चुपके से मेरी चड्डी उतार कर उनकी कमर पर मालिश करने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने माँ से कहा कि माँ तेल से आप का ब्लाऊज़ खराब हो जायेगा। क्या आप अपने ब्लाऊज़ को थोड़ा उपर उठा सकती हो ”
यह सुनकर माँ ने अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलते हुये ब्लाऊज़ को उपर उठा दिया।
मैं फिर मालिश करने लगा्। मालिश करते करते कभी कभी मेरी हाथेली साईड से उनके बूबस तो छू जाती थी। उनकी कोई भी प्रतिक्रिया ना देख कर मैंने उनसे कहा माँ अब आप सीधी सो जाईये। मैं अब आपकी स्पेशल तरिके से मालिश करना चाहता हूं। माँ करवट बादल कर सीधी हो गयी मैंने देख अब भी उनकी आंखे बंद थी और उनके ब्लाऊज़ के सारे बटन खुले थे और उनकी चूंची साफ़ झलक रही थी। उनकी चूंची काफ़ी बड़ी बड़ी थी और सांसो से साथ उठती बैठती उनकी मस्त रसीली चूंची साफ़ साफ़ दिख रही था।
मा ने अपनी सुरीली और नशीली धीमी आवाज मेरे कनो मे पड़ी, “बेटा अब तुम थक गये होंगे यहां आओ ना।” और मेरे पास ही लेट जाओ ना। पहले तो मैं हिचकिचाया क्यों कि मैं केवल लुंगी पहनी थी और लुंगी के अन्दर मेरा लण्ड चूत के लिये तड़प रहा था
वो मेरी परेशानी समझ गयी और बोली, “कोई बात नही, तुम अपनी बनियान उतार दो और रोज जैसे सोते हो वैसे ही मेरे पास सो जओ। शरमाओ मत। आओ ना।”
मुझे अपने कान पर यकीन नही हो रहा था। मैं बनियान उतार कर उनके पास लेट गया। जिस बदन को कभी से निहारता था आज मैं उसी के पास लेटा हुआ था। माँ का अधनंगा शरीर मेरे बिलकुल पास था। मैं ऐसे लेटा था कि उनकी चूंची बिलकुल नंगी दिखायी दे रही थी, क्या हसीन नजारा था।
तब माँ बोली, “इतने महीने से आज मालिश करवायी हूं इसलिये काफ़ी आराम मिला है। फिर उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर धीरे से खींच कर अपनी उभरी हुए चूंची पर रख दिया और मैं कुछ नहीं बोल पाया। लेकिन अपना हाथ उनके चूंची पर रखा रहने दिया। मुझे यहां कुछ खुजा रहा है, जरा सहलाओ ना।” मैने उनकी चूंची को सहलना शुरु किया। और कभी कभी जोर जोर से उनकी चूंची को रगड़ना शुरु कर दिया। मेरी हथेली की रगड़ पा कर माँ के निपल कड़े हो गये।
अचानक वो अपनी पीठ मेरी तरफ़ घूमा कर बोली, “बेटा मेरा ब्लाऊज़ खोल दो और ठीक से सहलाओ।” मैंने कांपते हुए हाथो से माँ का ब्लाऊज़ खोल दिया और उन्होने अपने बदन से उसे उतार कर नीचे डाल दिया। मेरे दोनो हाथों को अपने नंगी चूंचियों पर लेजा कर वो बोली, “थोड़ा कस कर दबाओ ना।”
मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया और जोश मे आकार उनकी रसीली चूंची से जम कर खेलने लगा। क्या बड़ी बड़ी चूंचियां थी। कड़ी कड़ी चूंची और लम्बे लम्बे निपल। पहली बार मैं किसी औरत कि चूंची को छू रहा था। माँ को भी मुझसे अपने चूंची कि मालिश करवाने मे मज़ा आ रहा था। मेरा लण्ड अब खड़ा होने लगा था और लुंगी से बाहर निकल आया। मेरा 9″ का लण्ड पूरे जोश मे आ गया था।
माँ कि चूंची मसलते मसलते हुए मैं उनके बदन के बिलकुल पास आ गया था और मेरा लण्ड उनकी जांघो मे रगड़ मारने लगा था। अब उन्होने कहा बेटा तुम्हारा लण्ड तो लोहे के समान होगया है और इसका स्पर्श से लगता है कि काफ़ी लम्बा और मोटा होगा। क्या मैं हाथ लगा कर देखूं” उन्होने पूछा और मेरे जवाब देने से पहले अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख कर उसको टटोलने लगी।
अपनी मुठ्ठी मेरे लण्ड पर कस के बंद कर ली और बोली, “बाप रे, ये तो बहुत कड़क है।” वो मेरी तरफ़ घूमी और अपना हाथ मे्री लुंगी मे घुसा कर मेरे फ़ड़फ़ड़ाते हुए लण्ड को पकड़ लिया। लण्ड को कस कर पकड़े हुए वो अपना हाथ लण्ड के जड़ तक ले गयी जिससे सुपाड़ा बाहर आ गया।
सुपाड़े की साईज और आकार देख कर वो बहुत हैरान हो गयी। “बेटा कहां छुपा रखा था ऐसा तो मेंने अपनी जिन्दगी मैं नहीं देखा है उन्होने पूछा।
मैंने कहा, “यहीं तो था तुम्हारे सामने लेकिन तुमने ध्यान ही नही दिया। यदि आप ट्रैन मैं गहरी नींद में नहीं होती तो शायद आप देख लेती क्योंकि ट्रैन में रात को मेरा सुपाड़ा आप कि चूत तो रगड़ रहा था। माँ बोली “मुझे क्या पता था कि तुम्हारा इतना बड़ा लौड़ा होगा ” ये मैं सोच भी नही सकती थी।” मुझे उनकी बिन्दास बोली पर आश्चर्य हुआ जब उन्होने “लौड़ा” कहा और साथ ही मे बड़ा मज़ा अया। वो मेरे लण्ड को अपने हाथ मे लेकर खींच रही थी और कस कर दबा रही थी। फिर माँ ने अपना पेटीकोट अपनी कमर के उपर उठा लिया और मेरे तने हुए लण्ड को अपनी जांघो के बीच ले कर रगड़ने लगी। वो मेरी तरफ़ करवट ले कर लेट गयी ताकी मेरे लण्ड को ठीक तरह से पकड़ सके। उनकी चूंची मेरे मुंह के बिलकुल पास थी और मैं उन्हे कस कस कर दबा रहा था। अचानक उन्होने अपनी एक चूंची मेरे मुंह मे ठेलते हुए कहा, “चूसो इनको मुंह मे लेकर।”
मैंने बायीं चूंची अपने मुंह मे भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा। थोड़ी देर के लिये मैंने उनकी चूंची को मुंह से निकला और बोला, “मैं तुम्हारा ब्लाऊज़ मे कसी चूंची को देखता था और हैरान होता था। इनको छूने कि बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हें मुंह मे लेकर चूसू और इनका रस पी लू। पर डरता था पता नही तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज़ ना हो जाओ। तुम नही जानती कि तुमने मुझे और मेरे लण्ड को कल रात से कितना परेशान किया है”
“अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो; मैं तो आज पूरी कि पूरी तुम्हारी हूं जैसा चाहे वैसा ही करो” माँ ने कहा।
फिर क्या था, माँ कि हरि झंडी पकड़ मैं टूट पड़ा माँ की चूंची पर।
मेरी जीभ उनके कड़े निपल को महसूस कर रही थी। मैंने अपनी जीभ माँ के उठे हुए कड़े निपल पर घूमाया। मैंने दोनो चूंचियो को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हे चूस रहा था। मैं ऐसे कस कर चूंचियो को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूंगा। माँ भी पूरा साथ दे रही थी। उनके मुह से “ओह! ओह! अह! सि सि, की आवाज निकल रही थी। मुझसे पूरी तरफ़ से सटे हुए वो मेरे लण्ड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़ रही थी। उन्होने अपनी बायी टांग को मेरे दायी टांग के उपर चढा दिया और मेरे लण्ड को को अपनी जांघो के बीच रख लिया। मुझे उनकी जांघो के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ। एह उनकी झांटो से भरी हुयी चूत थी।
मेरा लण्ड का सुपाड़ा उनकी झांटो मे घूम रहा था। मेरा सब्र का बांध टूट रहा था। मैं माँ से बोला, “भाभी मुझे कुछ हो रहा और मैं अपने आपे मे नही हूं, प्लीज मुझे बताओ मैं क्या करूं”
माँ बोली, “तुमने कभी किसी को चोदा है आज तक”” मैंने बोला, “नही।” कितने दुख कि बात है। कोई भी औरत इसे देख कर कैसे मना कर सकती हमैं चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुए चूंची मसलता रहा। उन्होने अपना मुंह मेरे मुंह से बिलकुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोली, “अपनी दोस्त की माँ को चोदोगे””
“क्कक क्यों नही” मैं बड़ी मुश्किल से कह पाया। मेरा गला सूख रहा था। वो बड़े मादक अन्दाज़ मे मुसकुरा दी और मेरे लण्ड को आजाद करते हुए बोली, “ठीक है, लगता है अपने अनाड़ी बेटे को मुझे ही सब कुछ सिखाना पड़ेगा। चलो अपनी लुंगी निकल कर पूरे नंगे हो जाओ।” मैंने अपनी लुंगी खोल कर साईड में फेक दिया। मैं अपने तने हुए हुए लण्ड को लेकर नंगा मां के सामने खड़ा था।
माँ अपने रसीली होठों को अपने दान्तों मे दबा कर देखती रही और अपने पेटीकोट का नाड़ा खींच कर ढीला कर दिया। “तुम भी इसे उतार कर नंगी हो जाओ” कहते हुए मैंने उनका पेटीकोट को खींचा। माँ ने अपने चूतड़ उपर कर दिया जिससे कि पेटीकोट उनकी टांगो उतर कर अलग हो गया। अब वो पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने चित पड़ी हुयी थी। उन्होने अपनी टांगो को फ़ैला दिया और मुझे रेशमी झांटो के जंगल के बीच छुपी हुयी उनकी रसीली गुलाबी चूत का नजारा देखने को मिला।
नाईट लेम्प की हलकी रोशनी मे चमकते हुए नगे जिसम को देखकर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लण्ड मारे खुशी के झूमने लगा। माँ ने अब मुझसे अपने उपर चढने को कहा। मैं तुरंत उनके उपर लेट गया और उनकी चूंची को दबाते हुए उनके रसीले होंठ चूसने लगा। माँ ने भी मुझे कस कर अपने अलींगन मे कस कर जकड़ लिया और चुम्मा का जवाब देते हुए मेरे मुंह मे अपनी जीभ डाल दी । हाय! क्या स्वादिष्ट और रसीली जीभ थी। मैं भी उनकी जीभ को जोर शोर से चूसने लगा। हमारा चुम्मा पहले प्यार के साथ पूरे जोश के साथ किया था। कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपके रहे, फिर मैं अपने होंठ उनकी नाज़ुक गालों पर रगड़ रगड़ कर चूमने लगा।
फिर माँ ने मेरी पीठ पर से हाथ उपर ला कर मेरा सर पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ़ कर दिया। मैं अपने होंठ उनके होंठो से उनकी ठोड़ी पर लाया और कंधो को चूमता हुआ चूंची पर पहुचा। मैं एक बार फिर से उनकी चूंची को मसलता हुआ और खेलता हुआ काटने और चूसने लगा।
उन्होने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हमरी टांगे एक-दूसरे से दूर हो गयी। अपने दायी हाथ से वो मेरा लण्ड पकड़ कर उसे मुठ्ठी मे बांध कर सहलाने लगी और अपने बायी हाथ से मेरा दाहीना हाथ पकड़ कर अपनी टांगो के बीच ले गयी। जैसे ही मेरा हाथ उनकी चूत पर पहुचा उन्होने अपनी चूत के दाने को उपर से रगड़ दिया।
समझदार को इशारा काफ़ी था। मैं उनके चूंची को चूसता हुआ उनकी चूत को रगड़ने लगा।
“बेटा अपनी उनगली अन्दर डालो ना”” कहते हुए माँ ने मेरा उनगली अपनी चूत के मुंह पर दबा दिया। मैंने अपनी उनगली उनकी चूत के दरार मे घुसा दिया और वो पूरी तरह अन्दर चली गयी। जैसे जैसे मैंने उनकी चूत के अन्दर उनगली अन्दर बाहर कर रहा था मेरा मज़ा बढता गया।
जैसे ही मेरा उनगली उनके चूत के दाने से टकरायी उन्होने जोर से सिसकारी ले कर अपनी जांघो को कस कर बंद कर लिया और चूतड़ उठा उठा कर मेरे हाथ को चोदने लगी।
कुछ देर बाद उनकी चूत से पानी बह रहा था। थोड़ी देर तक ऐसे ही मज़ा लेने के बाद मैंने अपनी उनगली उनकी चूत से बाहर निकल लिया और सीधा हो कर उनके उपर लेट गया। उन्होने अपनी टांगे फ़ैला दी और मेरे फ़ड़फ़ड़ाते हुए लण्ड को पकड़ कर सुपाड़ा चूत के मुहाने पर रख लिया। उनकी झांटो का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था, फिर माँ ने कहा “अब अपना लौड़ा मेरी बुर मे घुसाओ, प्यार से घुसेड़ना नही तो मुझे दर्द होगा, अह्हह्हह!” मैं नौसिखिया था इसिलिये शुरु शुरु मे मुझे अपना लण्ड उनकी टाईट चूत मे घुसाने मे काफ़ी परेशानी हुयी। मैं जब जोर लगा कर लण्ड अन्दर डालना चहा तो उन्हे दर्द भी हुआ। लेकिन पहले से उनगली से चुदवा कर उनकी चूत काफ़ी गीली हो गये थी।
फिर माँ ने अपने हाथ से लण्ड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थी और रास्ता मिलते ही मेरा एक ही धक्के मे सुपाड़ा अन्दर चला गया। इस्से पहले कि माँ सम्भभले , मैंने दूसारा धक्का लगया और पूरा का पूरा लण्ड मक्खन जैसी चूत की जन्नत मे दखिल हो गया। माँ चिल्लायी, “उईई ईईईइ ईईइ माआआ उहुहुह्हह्हह ओह बेटा, ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नही, हाय! बड़ा जालिम है तुम्हारा लण्ड। मार ही डाला मुझे तुमने।” मैंने सोचा लगता है माँ को काफ़ी दर्द हो रहा है।
पहली बार जो इतना मोटा और लम्बा लण्ड उनके बुर मे घुसा था। मैं अपना लण्ड उनकी चूत मे घुसा कर चुपचाप पड़ा था। माँ कि चूत फ़ड़ फ़ड़ फड़क रही थी और अन्दर ही अन्दर मेरे लौड़े को मसल रही थी, पकड़ रही थी। उनकी उठी उठी चूंचियां काफ़ी तेजी से उपर नीचे हो रही थी। मैंने हाथ बढा कर दोनो चूंची को पकड़ लिया और मुंह मे लेकर चूसने लगा। थोड़ी देर बाद माँ को कुछ राहत मिली और उन्होने कमर हिलानी शुरु कर दी और मुझसे बोली, “बेटा शुरु करो, चोदो मुझे। ले लो मज़ा जवानी का मेरे रज्जज्जा,” और अपनी गाण्ड हिला हिला कर चुदाने लगी।
मैं थोड़ा अनाड़ी था। समझ नहीं पाया कि कैसे शुरु करु। पहले अपनी कमर उपर किया तो लण्ड चूत से बाहर आ गया। फिर जब नीचे किया तो ठीक निशाने पर नही बैठा और मां कि चूत को रगड़ता हुआ नीचे फिसल कर गाण्ड मे जाकर फंस गया। मैंने दो तीन धक्के लगाये पर लण्ड चूत मे वापस जाने बदले फिसल कर गाण्ड मे चला जाता।
माँ से रहा नही गया और तिलमिला कर ताना देती हुई बोली, ” अनाड़ी से चुदवना चूत का सत्यानाश करवाना होता है, अरे मेरे भोले दीन बेटे जरा ठीक से निशाना लगा कर अन्दर डालो नही तो चूत के उपर लौड़ा रगड़ रगड़ कर झड़ जाऊगी और फिर मेरी गाण्ड बिना बात ही चुद जायेगी।”
मैं बोला, ” अपने इस अनाड़ी बेटे को कुछ तो सिखाओ, जिंदगी भर तुम्हे अपना गुरु मांनूगा और जब चाहोगी मेरे लण्ड कि दक्षिणा दूंगा।”
मा लम्बी सांस लेते हुए बोली, “हां बेटे, मुझे ही कुछ करना होगा नही तो मैं बिना चुदे ही चुद जाऊगी और मेरा हाथ अपनी चूंची पर से हटाया और मेरे लण्ड पर रखती हुई बोली, “इसे पकड़ कर मेरी चूत के मुंह पर रखो और लगाओ धक्का जोर से।” मैंने वैसे ही किया और मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर चला गया। फिर वो बोली, “अब लण्ड को बाहर निकलो, लेकिन पूरा नही। सुपाड़ा अन्दर ही रहने देना और फिर दोबारा पूरा लण्ड अन्दर पेल देना, बस इसी तरह से पेलते रहो।” मैंने वैसे ही करना शुरु किया और मेरा लण्ड धीरे धीरे उनकी चूत मे अन्दर- बाहर होने लगा। फिर माँ ने स्पीड बढा कर करने को कहा। मैंने अपनी स्पीड बढा दी और तेज़ी से लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। माँ को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शोट का जवाब देने लगी। लेकिन ज्यादा स्पीड होने से बार बार मेरा लण्ड बाहर निकल जाता। इससे चुदायी का सिलसिला टूट जाता।
आखिर माँ से रहा नही गया और करवट ले कर मुझे अपने उपर से उतार दिया और मुझको चित लेटा कर मेरे उपर चढ गयी।
अपनी जांघो को फ़ैला कर बगल कर के अपने गद्देदार चूतड़ रखकर बैठ गयी। उनकी चूत मेरे लण्ड पर थी और हाथ मेरी कमर को पकड़े हुए थी और बोली, “मैं दिखाती हूं कि कैसे चोदते है,” और मेरे उपर लेट कर धक्का लगया। मेरा लण्ड घप से चूत के अन्दर दाखिल हो गया। माँ ने अपनी रसीली चूंची मेरी चूंचियों पर रगड़ते हुए अपने गुलाबी होंठ मेरे होंठ पर रख दिया और मेरे मुंह मे जीभ डाल दिया। फिर उन्होने मज़े से कमर हिला हिला कर शोट लगाना शुरु किया। बड़े कस कस कर जोर से शोट लगा रही थी। चूत मेरे लण्ड को अपने मे समाये हुए तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी।
मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत में पहुच गया हूं। अब पोजिशन उलटी हो गयी थी। माँ तो मानो मरद थी जो कि अपनी माशूका को कस कस कर चोद रहा था। जैसे जैसे माँ की मस्ती बढ रही थी उनके शोट भी तेज़ होते जा रहे थे।
अब वो मेरे उपर मेरे कंधो को पकड़ कर घुटने के बल बैठ गयी और जोर जोर से कमर चूतड़ों को हिला कर लण्ड को तेज़ी से अन्दर-बाहर लेने लगी। उनका सारा बदन हिल रहा था और सांसे तेज़ तेज़ चल रही थी। माँ कि चूंचियां तेजी से उपर नीचे हो रही थी। मुझसे रहा नही गया और हाथ बढा कर दोनो चूंची को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा।
मा एक सधे हुए खिलाड़ी की तरह कमान अपने हाथों मे लिये हुए कस कस कर चोद रही थी। जैसे जैसे वो झड़ने के करीब आ रही थी उनकी रफ़तार बढती ही जा रही थी। कमरे मे फच फच कि आवाज गूंज रही थी। जब उनकी सांस फ़ूल गयी तो खुद नीचे आकार मुझे अपने उपर खींच लिया और टांगो को फ़ैला कर उपर उठा लिया और बोली, “मैं थक गयी मेरे रज्जज्जा, अब तुम मोरचा सम्भालो।”
मैं झट उनकी जांघो के बीच बैठ गया और निशना लगा कर झटके से लण्ड को चूत के अन्दर डाल दिया और उनके उपर लेट कर दनादन शोट लगाने लगा। माँ ने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकड़ लिया और जोर जोर से चूतड़ उठा उठा कर चुदायी मे साथ देने लगी। मैं भी अब उतना अनाड़ी नही रहा और उनकी चूंची को मसलते हुए दनादन शोट लगा रहा था। पूरा कमरा हमारी चुदायी कि आवाज से गूंज उठा था।
माँ अपनी कमर हिला कर चूतड़ उठा उठा कर चुदा रही थी और बोली जा रही थी, “अह्हह आअहह्हह उनह्ह्ह ऊओह्ह्ह ऊऊहह्हह हाआआन हाआऐ मीईरे रज्जज्जजा, माआआअर गयये रीईए, लल्लल्लल्ला चूऊओद रे चूऊओद। उईईई मीईईरीईइ माआअ, फाआआअत गाआआयीई रीईई आआआज तो मेरी चूत। मीईएरा तो दम निक्कक्ककल दिया तूऊउने तूऊ आआज। ब्राआअ जाआअलीएम हाआऐरे तूऊमहाआआरा लौरा, मैं भी बोल रहा था, “लीईए मेरीईइ रनीई, लीई लीईए मेरा लौरा अपनीईइ चूत मीईए। ब्राआअ तययया है तुनीई मुझीई। लीईए लीई, लीई मेरीईइ राआआआनि यह लण्ड अब्बब्बब तेराआ हीई है। अह्हह्ह! उहह्हह्ह क्या जन्नत का मज़ाआअ सिखयाआअ तुनीईए।
मैं तो तेरा आज से गुलाम हूऊऊ गयाआ मां।” माँ गनद उचल उचल कर मेरा लण्ड अपने चूत मे ले रही थी और मैं भी पूरे जोश के साथ उनकी चूंचियां को मसल मसल कर अपने गहरे दोस्त कि माँ की गहरी चुदायी कर रहा था।
मा मुझको ललकार कर कहा, लगाओ शोट मेरे राजा”, और मैं जवाब देता,
“यह ले मेरी रानी, ले ले अपनी चूत मे”।
“जरा और जोर से सटकाओ अपना लण्ड मेरी चूत मे मेरे राजा”,
“यह ले मेरी रानी, यह लण्ड तो तेरे भोसड़े के लिये ही है।”
“देखो रज्जज्जा मेरी चूत तो तेरे लण्ड की दीवानी हो गयी है, और जोर से और जोर से आआईईए मेरे रज्जजा। मैं गयीईईईईए रीई,” कहते हुए माँ ने मुझको कस कर अपनी बाहो मे जकड़ लिया और उनकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा छोड़ दिया। अब तक मेरा भी लण्ड पानी छोड़ने वाला था और मैं बोला, “मैं भी आयाआआ मेरी जाआअन,” और मेंने भी अपना लण्ड का पानी छोड़ दिया और मैं हांफ़ते हुए उनकी चूंची पर सिर रख कर कस के चिपक कर लेट गया। यह मेरी पहली चुदायी थी। इसलिये मुझे काफ़ी थकान महसूस हो रही थी। मैं माँ के सीने पर सर रख कर सो गया। वो भी एक हाथ से मेरे सिर को धीरे धीरे से सहलाते हुए दूसारे हाथ से मेरी पीठ सहला रही थी।
कुछ देर बाद होश अया तो मैंने उनके रसीले होठो के चुम्बन लेकर उन्हे जगाया। माँ ने करवट लेकर मुझे अपने उपर से हटाया और मुझे अपनी बाहों मे कस कर कान मे फुस-फुसा कर बोली, “बेटा तुमने और तुम्हारे मोटे लम्बे लण्ड ने तो कमाल कर दिया, क्या गजब की ताकत है तुम्हारे मोटे लण्ड मे।”
मैंने उत्तर दिया, “कमाल तो अपने कर दिया है , आज तक तो मुझे मालूम ही नही था कि अपने लण्ड को कैसे काम में लिया जाता है। यह तो अपकि मेहरबानी है जो कि आज मेरे लण्ड को आपकी चूत कि सेवा करने का मौका मिला।”
अब तक मेरा लण्ड उनकी चूत के बाहर झांटो के जंगल मे रगड़ मार रहा था। माँ ने अपनी मुलायम हाथेलियों मे मेरा लण्ड को पकड़ कर सहलाना शुरु किया। उनकी उनगली मेरे आण्ड से खेल रही थी। उनकी नाजुक उनगलियों के स्पर्श की पकड़ से मेरा लण्ड भी जाग गया और एक अंगड़ायी लेकर माँ कि चूत पर ठोकर मारने लगा। माँ ने कस कर मेरा लण्ड को कैद कर लिया और बोली, “बहुत जान तुम्हारे लण्ड मे, देखो फिर से साला कैसा फ़ड़क रहा है अब मैं इसको नहीं छोड़ने वाली।”
हम दोनो अगल बगल लेटे हुए थे। माँ ने मुझको चित लेटा दिया, और मेरी टांग पर अपनी टांग चढा चढा कर लण्ड को हाथ से उमेठने लगी। साथ ही साथ अपनी गाण्ड हिलाते हुए अपनी झांट और चूत मेरी जांघ पर रगड़ने लगी। उनकी चूत पिछली चुदायी से अभी तक गीली थी और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाये हुए था। अब मुझसे रहा नही गया और करवट लेकर भाभी कि तरफ़ मुंह करके लेट गया। उनकी चूंची को मुंह मे दबा कर चूसते हुए अपनी उनगली चूत मे घुसा कर सहलाने लगा। उन्होने एक सिसकारी लेकर मुझसे कस कर चिपट गयी और जोर जोर से कमर हिलाते हुए मेरी उनगली से चुदवाने लगी। अपने हाथ से मेरे लण्ड को कस कर जोर जोर से मुठ मार रही थी।
मेरा लण्ड पूरे जोश मे आकार लोहे कि तरह सख्त हो गया था। अब माँ को हद से ज्यादा बेताबी बढ गयी थी और खुद ही चित हो कर मुझे अपने उपर खींच लिया। मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखती हुई बोली, “आओ मेरे राजा, दूसरा राऊण्ड हो जाये।”मैंने झट कमर उठा कर धक्का दिया और मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया।
माँ चिल्ला उठी और बोली, “जीओ मेरे राजा, क्या शोट मरा। अब मेरे सिखाये हुए तरीके से शोट पर शोट मारो और फ़ाड़ दो मेरी चूत को।” माँ का अदेश पा-कर मैं दूंने जोश मे आ गया और उनकी चूंची को पकड़ कर हमच हमच कर माँ कि चूत मे लण्ड पेलने लगा। उनगली कि चुदायी से उनकी कि चूत गीली हो गयी थी और मेरा लण्ड सटासट अन्दर-बाहर हो रहा था। वो भी नीचे से कमर उठा उठा कर हर शोट का जवाब मेरा पूरा लौड़ा लेकर जोश के साथ दे रही थी।
मा ने दोनो हाथों से मेरी कमर को पकड़ रखा था और जोर जोर से अपनी चूत मे लण्ड घुसवा रही थी। वो मुझे बस इतना उठाती थी कि बस लण्ड का सुपाड़ा अन्दर रहता और फिर जोर नीचे की लगा कर धप से लण्ड चूत मे घुसवा लेती थी। पूरे कमरे मे हमारी सांस और घपा-घप, फच-फच की आवाज गूंज रही थी। जब हम दोनो की ताल से ताल मिल गयी तब माँ ने अपने हाथ नीचे लकर मेरे चूतड़ को पकड़ लिया और कस कस कर दबोच कर चुदाई का मज़ा लेने लगी।
कुछ देर बाद माँ ने कहा, “आओ एक नया आसन सिखाती हूं,” और मुझे अपने उपर से हटा कर किनारे कर दिया। मेरा लण्ड “पक” कि आवाज साथ बाहर निकल आया। मैं चित लेटा हुआ था और मेरा लण्ड पूरे जोश के साथ सीधा खड़ा था। माँ उठ कर घुटनो और हथेलीयों पर मेरे बगल मे बैठ गयी।
मैं लण्ड को हाथ मे पकड़ कर उनकी हरकत देखता रहा। माँ ने मेरा लण्ड पर से हाथ हटा कर मुझे खींचते हुए कहा, “ऐसे पड़े पड़े क्या देख रहे हो, चलो अब उठ कर पीछे से मेरी चूत मे अपना लण्ड को घुसाओ।” मैं भी उठ कर उनके पीछे आकर घुटने के बल बैठ गया और लण्ड को हाथ से पकड़ कर उनकी चूत पर रगड़ने लगा। क्या मस्त गोल गोल गद्दे दार गाण्ड थी। माँ ने जांघ को फैला कर अपने चूतड़ उपर को उठा दिये जिससे कि उनकी रसीली चूत साफ़ नज़र आने लगी। उनका इशारा समझ कर मैंने लण्ड का सुपाड़ा उनकी चूत पर रख कर धक्का दिया और मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया।
मा ने एक सिसकारी भर कर अपनी गाण्ड पीछे कर के मेरी जांघ से चिपका दी। मैं भी माँ कि पीठ से चिपक कर लेट गया और बगल से हाथ डाल कर उनकी दोनो चुची को पकड़ कर मसलने लगा। वो भी मस्ती मे धीरे धीरे चूतड़ को आगे-पीछे करके मज़े लेने लगी। उनके मुलायम चूतड़ मेरी मस्ती को दोगुना कर रही थी। मेरा लण्ड उनकी रसीली चूत मे आराम से आगे-पीछे हो रहा था।
कुछ देर तक चुदै का मज़ा लेने के बाद माँ बोली, “चलो रज्जजा अब लण्ड आगे उठा कर शोट लगओ, अब रहा नही जाता।” मैं उठा कर सीधा हो गया और माँ के चूतड़ को दोनो हाथो से कस कर पकड़ कर चूत मे हमला शुरु कर दिया। जैसा कि माँ ने सिखाया था मैं पूरा लण्ड धीरे से बाहर निकाल कर जोर से अन्दर कर देता। शुरु मे तो मैंने धीरे धीरे किया लेकिन जोश बढ गया और धक्को कि रफ़्तार भी बढती गयी। धक्का लगाते समय मैं माँ के चूतड़ को कस के अपनी और खींच लेता ताकि शोट करारा पड़े। माँ भी उसी रफ़्तार से अपने चूतड़ को आगे-पीछे कर रही थी। हम दोनो कि सांसे तेज हो गयी थी। मां की मस्ती पूरे परवान पर थी। नंगे जिस्म जब आपस मे टकराते तो घप-घप कि आवाज आती।
काफ़ी देर तक मैं उन्ही की कमर पकड़ कर धक्का लगाता रहा। जब हालात बेकाबू होने लगी तब माँ को फिर से चित लेटा कर उन पर सवार हो गया और चुदायी का दौर चालू रखा। हम दोनो ही पसीने से लथपथ हो गये थे पर कोई भी रुकने का नाम नही ले रहा था। तभी माँ ने मुझे कस कर जकड़ लिया और अपनी टांगे मेरे चूतड़ पर रख दिया और कस कर जोर जोर से कमर हिलते हुए चिपक कर झड़ गयी। उनके झड़ने के बाद मैं भी मां कि चूंची को मसलते हुए झड़ गया और हांफ़ते हुए उनके उपर लेट गया। हम दोनो कि सांसे जोर जोर से चल रही थी और हम दोनो काफ़ी देर तक एक-दूसरे से चिपक कर पड़े रहे। कुछ देर बाद मां बोली, “क्यों बता कैसी लगी हमारी चूत कि चुदायी”
मैं बोला, “हाय मेरा मन करता है कि जिंदगी भर इसी तरह से तुम्हारी चूत मे लण्ड डाले पड़ा रहूं।” माँ बोली “जब तक तुम यहां हो, यह चूत तुम्हारी है, जैसे मरज़ी हो मज़े लो, अब थोड़ी देर आराम करते है।” “नही मा, कम से कम, एक बार और हो जाये।
देखो मेरा लण्ड अभी भी बेकरार है।” माँ ने मेरे लण्ड को पकड़ कर कहा, “यह तो ऐसे रहेगा ही, चूत कि खुशबू जो मिल गयी है। पर देखो रात के तीन बज गये है, अगर सुबह समय से नही उठे तो तुम्हारी बुआ जी को शक जायेगा। अभी तो सारा दिन सामने है और आगे के इतने दिन हमारे पास है। जी भर कर मस्ती लेना। मेरा कहा मानोगे तो रोज नया स्वाद चखाऊंगी।” माँ का कहां मान कर मैंने भी जिद छोड़ दी और माँ भी करवट ले कर लेट गयी और मुझे अपने से सटा लिया। मैंने भी उनकी गाण्ड कि दरार मे लण्ड फंसा कर चूंचियो को दोनो हाथो मे पकड़ लिया और माँ के कंधे को चूमता हुआ लेट गया।
नींद कब आयी इसका पता ही नही चला।
सुबह जब अलार्म बजा तो मैंने समय देखा, सुबह के सात बज रहे थी। माँ ने मुझे मुसकुरा कर देखा और एक गरमा-गरम चुम्बन मेरे होठो पर जड़ दिया। मैंने भी माँ को जकड़ कर उनके चुम्बन का जोरदार का जवाब दिया। फिर माँ उठ कर अपने रोज के काम काज मे लग गयी। वो बहुत खुश थी।
मैं उठ कर नहा धोकर फ़्रेश होकर आंगन मैं बैठ कर नाशता करने लगा। तभी बुआ जी आगयी। और बोली बेटा खेत चलोगे ” मैंने कहा क्यों नहीं और रात वाला उनका ककड़ी से चोदने का सीन मेरे आंखो के सामने नाचने लगा। इतने मे सुमन (दोस्त की बहन) बोली मैं भी तुम्हारे साथ खेत मैं चलुंगी। और हम तीनो खेत कि और चल पड़े। रास्ते मैं जब हम एक खेत के पास से गुजर रहे थे तो देखा कि उस खेत मैं ककड़ियां उगी हुयी थी।
मैंने ककड़ियों को दिखाते हुए बुआ जी से कहा “बुआ जी देखो इस खेत वाले ने तो ककड़ियां उगायी है। और ककड़ियों मैं काफ़ी गुण होते है” बुआ जी लम्बी सांस भरती हुयी बोली “हा बेटा ककड़ियों से काफ़ी फ़ायदा होता है और कई कामो में इसका उपयोग किया जाता है, जैसे सलाद में, सबजियो में, कच्ची ककड़ी खाने के लिये भी इसका उपलोग किया जता है”
मैं बोला “हा बुआ जी, इसे कई तरह से उपयोग में लाया जाता है” इस तरह कि बाते करते करते हम लोग अपने खेत में पहुच गये। वहां जाकर मैं मकान मैं गया और लुंगी और बनियान पहन कर वापस बुआ जी के पास आगया। बुआ जी खेत मैं काम कर रही थी और सुमन (दोस्त कि बहन) उनके काम मैं मदद कर रही थी। मैंने देखा बुआ जी ने साड़ी घुटनो के उपर कर रखी थी और सुमन स्कर्ट और ब्लाऊज़ पहने हुवे थी। मैं भी लुंगी ऊंची करके (मदरासी स्टाईल में) उनके साथ काम में मदद करने लगा। जब सुमन झुककर काम करती तो मुझे उसकी चड्डी दिखायी देती थी।
हम लोग करीब 1 या 1:30 घण्टे काम करते रहे फिर मैं बुआ जी से कहा बुआ जी मैं थोड़ा आराम करना चाहता हूं तो बुआ बोली ठीक है और मैं खेत के मकान में आकार आराम करने लगा। कुछ देर बाद कमरे मैं सुमन आयी और कहने लगी, दीन भैया आप वहां बैठ जाये क्यों कि कमरे मैं झाड़ू मारनी है। और मैं कमरे के एक कोने मैं बैठ गया। और वो कमरे मैं झाड़ू मारने लगी।
झाड़ू मारते समय जब सुमन झुकी तो फिर मुझे उसकी चड्डी दिखायी देने लगी। और उसकी चुदायी के ख्यालओ मे खो गया। थोड़ी देर बाद फिर वो बोली “भैया जरा पैर हटा लो झाड़ू देनी है।” मैं चौंक कर हकीकत की दुनियां मे वापस आ गया। देखा सुमन कमर पर हाथ रखी मेरे पास खड़ी है। मैं खड़ा हो गया और वो फिर झुक कर झाड़ू लगाने लगी। मुझे फिर उसकी चड्डी दिखायी देने लगी। आज से पहले मैंने उस पर ध्यान नही दिया था।। पर आज की बात ही कुछ और थी। रात माँ से चुदायी कि ट्रैनिंग पकड़ एक ही रात मे मेरा नज़रिया बदल गया था। अब मैं हर औरत को चुदायी की नज़रिये से देखना चाहता था। जब वो झाड़ू लगा रही थी तो मैं उसके सामने आकर खड़ा हो गया अब मुझे उसके ब्लाऊज़ से उसकी चूंची साफ़ दिखायी दे रही थी। मेरा लण्ड फन-फना गया। रात वाली माँ जैसी चूंची मेरे दिमाग के सामने घूमने लग
तभी सुमन कि नज़र मुझ पर पड़ी। मुझे एकटक घूरता देख पकड़ लिया। उसने एक दबी से मुसकान दी और अपना ब्लाऊज़ ठीक कर अपनी चूंचियों को ब्लाऊज़ के अन्दर छुपा लिया। अब वो मेरी तरफ़ पीठ कर के झाड़ू लगा रही थी। उसके चूतड़ तो और भी मस्त थे।
मैं मन ही मन सोचने लगा कि इसकी गाण्ड मे लण्ड घुसा कर चूंची को मसलते हुए चोदने मे कितना मज़ा आयेगा। बेखयाली मे मेरा हाथ मेरे तन्नाये हुए लण्ड पर पहुच गया और मैं लुंगी के उपर से ही सुपाड़े को मसलने लगा। तभी सुमन अपना काम पूरा कर के पल्टी और मेरे हरकत देख कर मुंह पर हाथ रख कर हंसती हुई बाहर चली गयी।
थोड़ी देर बाद बुआ जी और सुमन हाथ पैर धोकर आये और मुझे कहा कि चलो दीन बेटे खाना खालो। अब हम तीनो खाना खाने बैठ गये। बुआ जी मेरे सामने बैठी थी और सुमन मेरे बायी साईड की ओर बैठी थी। सुमन पालथी मारके बैठी थी और बुआ जी पैर पसारे बैठी थी।
खाना खाते समय मैंने कहा बुआ जी आज खाना तो जायेकेदार बना है। बुआ जी ने कहा मैंने तुम्हारे लिये खास बनाया है। तुम यहां जितने दिन रहोगे गावँ का खाना खा खा कर और मोटे हो जाओगे। मैं हंस पढा और कहा अगर ज्यादा मोटा हो जाऊंगा तो मुशकिल हो जायेगी। बुआ जी और सुमन हंस पड़ी। थोड़ी देर बाद बुआ जी ने कहा सुमन तुम खाना खा कर खेत मैं खाद डाल आना। मैं थोड़ा आराम करुंगी।
हम सब ने खाना खाया। सुमन बरतन धो कर खेत मैं खाद डालने लगी। मैं और बुआ जी चटाई बिछा कर आराम करने लगे। मुझे नींद नहीं आ रही थी। आज मैं बुआ जी या सुमन को चोदने का विचार बना रहा था। विचार करते करते कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला।
जब मेरी नींद खुली तो शाम के करीब 5 बज रहे थे। मैंने देखा कि मेरा मोटा लण्ड तन कर कड़क हो कर खड़ा था और लुंगी से बाहर निकल कर मुझे सलामी दे रहा था। इतने में बुआ जी कमरे मैं आयी। मैंने झट से आंखे बंद कर लिया।
थोड़ी देर बाद थोड़ी आंख खोल कर देखा कि बुआ जी कि नज़र मेरे खड़े हुवे मोटे लण्ड पर टिकी थी। हैरत भरी निगाहो से मेर लम्बे और मोटे लण्ड को देख रही थी। कुछ देर बाद उन्होने आवाज दे कर कहा “दीन बेटा उठ जाओ अब घर चलना है”
मैंने कहा ठीक है और उठकर बैठ गया मेरा लण्ड अब भी लुंगी से बाहर था। बुआ जी मेरी और देखाते हुवे बोली “दीन बेटा क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा था क्या ” मैंने मुशकिल से कहा नहीं तो बुआ जी, क्यों क्या हुवा। वो बोली नीचे तो देखो क्या दिख रहा है। जब मैंने नीचे देखा तो मेरा लण्ड लुंगी से निकला हुआ था। मैं शरम से लाल हो कर अपना लण्ड चड्डी मैं छूपा लिया। ऐसा करते समय बुआ जी हंस रही थी।
हम करीब 6:30 बजे घर पहुचे। रास्ते भर कोई भी बात चित नहीं हुयी। घर आकर मैंने कहा कि मैं बाज़ार होके आता हूं और फिर बाज़ार जाकर 1 विस्की की बोतल ले आया। जब घर पहुचा तो रात के 9 बज रहे थे। मुझे आया देख कर बुआ जी ने आवाज दी बेटा आकार खाना खालो। मैं बोला बुआ जी अभी भूख नहीं है थोड़ी देर बाद खा लूंगा। फिर मैंने पूछा माँ और सुमन कहां है (क्योंकि माँ और सुमन ना तो रसोइ घर में थे नहीं आगन में थे) बुआ जी ने कहा कि हमारे रिस्तेदार के यहां आज रात भर भजन और कीरतन है इसलिये भाभी और सुमर रिस्तेदार के यहां गये है और सुबह 5-6 बजे लोटेगे। मैंने कहा “ठीक है बुआ जी, अगर आप बुरा ना मनो तो क्या मैं थोड़ी विस्की पी सकता हूं ”
भाभी बोली “ठीक है तुम आंगन में बैठो मैं वही खाना लेकर आती हूं। मैं आंगन में बैठ कर विस्की पीने लगा। करीब आधे घण्टे बाद बुआ जी खाना लेकर आयी तब तक मैं 3-4 पेग पी चुका था और मुझे थोड़ा विस्की का नशा होने लगा था। बुआ जी और मैं खाना खाने के बाद, बुआ जी के कमरे में आ गये। मैंने पेण्ट और शर्ट निकल कर लुंगी और बनियान पहन ली। बुआ जी भी साड़ी खोल कर केवल नाईटी पहनी हुयी थी।
जब बुआ जी खड़ी होकर पानी लाने गयी तो मुझे उनके पारदर्शी नाईटी से उनका नक्शा दिखायी दिया। उन्होने नाईटी के अन्दर ना तो ब्लाऊज़ पहना था ना हीं पेटीकोट पहना था इसलिये लाईट की रोशनी के कारण उनका जिस्म नाईटी से झलक रहा था। जब वो पानी लेकर वापस आयी। हम बैठ कर बाते करने लगे।
बुआ जी: दीन, क्या तुम शहर में कसरत करते हो ”
दीन: हा बुआ जी रोज सुबह उठकर कसरत करता हूं।
बुआ जी: इसलिये तुम्हारा एक एक अंग काफ़ी तगड़ा और तंदरुस्त है। क्या तुम अपने बदन पर तेल लगा कर मालिश करते हो खास तोर पर शरीर के निचले हिस्से पर ”
दीन: मैं हर रोज़ अपने बदन पर सरसो का तेल लगा कर खूब मालिश करता हूं।
बुआ जी: हा आज मैंने तुम्हारा शरीर के अलावा अन्दर का अंग भी दोपहर को देखा था वाकई काफ़ी मोटा लम्बा और तन्दरुस्त है। हर मरदोन का इस तरह का नहीं होता है।
बुआ जी कि बात सुन कर मैं शर्म के मारे लाल हो गया। पूरे मकान मैं हम दोनो अकेले थे। और इस तरह की बाते करते थे।
मैंने भी बुआ जी से कहा। बुआ जी आप भी बहुत सुन्दर हो और आपका बदन भी सुडौल है।
बुआ जी: दीन मुझे ताड़ के झाड़ पर मत चढाओ। तुमने तोह अभी मेरा बदन पूरा तरह देखा ही कहां है। मैंने बोला आप ने तो मुझे दिखाया ही नहीं और मेरे शरीर के निचले हिस्से का दरशन भी कर लिया। इतना सुनते ही वो झट बोली। मुझे कहां अच्छी तरह से तुम्हारा नीचे का दरशन हुवा। चलो एक शरत पर तुम्हे मेरे अन्दरूनी भाग दिखा दूंगी अगर तुम मुझे अपना नीचे का मस्त दिखाओगे तो ”
मैंने झट से लुंगी से लण्ड निकल कर उन्हे दिखा दिया। बुआ जी भी अपने वादे के अनुसार नाईटी उपर कर के अपनी चूत दिखा दी और मुसकराती बोली राजा बेटा खुश हो अब। हाय बड़ी जालीम चूत थी। चूत देखते ही मेरा लण्ड तन कर फड़फड़ाने लगा। कुछ देर तक मेरे लण्ड कि और देखने के बाद बुआ जी मेरे पास आयी और झट से मेरी लुंगी खोल दी। फिर खड़े होकर अपनी नाईटी भी उतार दी और नंगी हो गयी। फिर मुझे कुर्सी से उठ कर पलंग पर बैठने को कहा।
जब मैं पलंग पर बैठ कर बुआ जी कि मस्त रसिली चूंची को देख रहा था तो मरे मस्ती के मेरा लण्ड चूत की और मुंह उठाये उनकी चूत को सलामी दे रहा था। बुआ जी मेरी जांघो के बीच बैठ कर दोनो हाथो से मेरे लौड़े को सहलाने लगी। कुछ देर सहलाने के बाद अचानक बुआ ने अपना सर नीचे झुका लिया और अपने रसीले होठो से मेरे सुपाड़े को चूम कर उसको मुंह मे भर लिया। मैं एकदम चौंक गया। मैंने सपने मे भी नही सोचा था कि ऐसा होगा।
“बुआ जी एह क्या कर रही हो। मेरा लण्ड तुमने मुंह मे क्यों ले लिया है।”
“चूसने के लिये और किस लिये” तुम आराम से बैठे रहो और बस लण्ड चूसायी का मज़ा लो। एक बार चूसवा लोगे फिर बार-बार चूसने को कहोगे।” बुआ जी मेरे लण्ड को लोल्लीपोप कि तरह मुंह ले लेकर चूसने लगी। मैं बता नही सकता हूं कि लण्ड चूसवाने मे मुझे कितना मज़ा आ रहा था। बुआ जी के रसीले होंठ मेरे लण्ड को रगड़ रहे थे। फिर बुआ जी ने अपना होंठ गोल कर के मेरा पूरा लण्ड अपने मुंह मे ले लिया और मेरे आण्ड को हाथेली से सहलाते हुए सिर उपर नीचे करना शुरु कर दिया मानो वो मुंह से ही मेरा लण्ड को चोद रही हो।
धीरे-धीरे मैंने भी अपनी कमर हिला कर बुआ जी के मुंह को चोदना शुरु कर दिया। मैं तो मानो सातवे आसमान पर था। बेताबी तो सुबह से ही हो रही थी। थोड़ी ही देर मे लगा कि मेरा लण्ड अब पानी छोड़ देगा। मैं किसी तरह अपने उपर काबू कर के बोला, “भुवाजीईईई मेरा पानी छूटने वाला है।”
बुआ जी ने मेरे बातों का कुछ ध्यान नही दिया बल्कि अपने हाथों से मेरे चूतड़ को जकड़ कर और तेज़ी से सिर उपर-नीचे करना शुरु कर दिया। मैं भी उनके सिर को कस कर पकड़ कर और तेज़ी से लण्ड उनके मुंह मे पेलने लगा। कुछ ही देर बाद मेरे लण्ड ने पानी छोड़र दिया और बुआ जी ने गटगट करके पूरे पानी को पी गयी।
सुबह से काबू मे रखा हुआ मेरा पानी इतना तेज़ी से निकला कि उनके मुंह से बाहर निकल कर उनके ठोड़ी पर फैल गया। कुछ बूंदे तो टपक कर उनकी चूंची पर भी जा गिरी। झड़ने के बाद मेंने अपना लण्ड निकाल कर बुआ जी के गालों पर रगड़ दिया। क्या खुबसुरत नजारा था। मेरा वीर्य बुआ जी के मुंह गाल होंठ और रसीले चूंची पर चमक रहा था।
बुआ जी ने अपनी गुलाबी जीभ अपने होंठो पर फिरा कर वहां लगा वीर्य चाटा और फिर अपनी हथेली से अपनी चूंची को मसलते हुए पूछा, “क्यों दीन बेटा मज़ा आया लण्ड चुसवाने मे”
मैं बोला “बहुत मज़ा आया बुआ जी, तुमने तो एक दूसरी जन्नत कि सैर करवा दिया मेरी जान। आज तो मैं तुम्हारा सात जन्मों के लिये गुलाम हो गया। कहो क्या हुक्म है।” बुआ जी बोली”हुक्म क्या, बस अब तुम्हारी बारी है।”मैं कहा “क्या मतलब, मैं कुछ समझा नही”
बुआ जी बोली “मतलब यह कि अब तुम मेरी चूत चाटो।” यह कह कर बुआ जी खड़ी हो गयी और अपनी चूत मेरे चेहरे के पास ले आई। मेरे होंठ उनकी चूत के होंठो को छूने लगी। बुआ जी ने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी कमर आगे कि और अपनी चूत मेरे नाक पर रगड़ने लगी। मैंने भी उनकी चूतड़ को दोनो हाथों से पकड़ लिया और उनकी गाण्ड सहलते हुए उनकी रसीली चूत को चूमने लगा।
बुआ जी कि चूत कि प्यारी-प्यारी खुशबू मेरे दिमाग मे छाने लगी। मैं दीवानों कि तरह उनकी चूत और उसके चारों तरफ़ के इलाके को चूमने लगा। बीच-बीच मे मैं अपनी जीभ निकल कर उनकी रानो को भी चाट ले्ता। बुआ जी मस्ती से भर कर सिसकारी लेते हुए अपनी चूत को फ़ैलाते हुये बोली, “हाय राजा अह्हह्हह! जीभ से चाटो ना। अब और मत तड़पाओ राजा। मेरी बुर को चाटो। डाल दो अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर। अन्दर डाल कर जीभ से चोदो।”
अब तक उनकी नशीली चूत कि खुशबू ने मुझे बुरी तरह से पागल बना दिया था। मैंने उनकी चूत पर से मुंह उठाये बिना उन्हे खींच कर पलंग पर बैठा दिया और उनकी जांघो को फैला कर अपने दोनो कंधो पर रख लिया और फिर आगे बढ कर उनकी चूत के होंठो को अपनी जीभ से चाटना शुरु कर दिया।
बुआ जी मस्ती से बड़बड़ाने लगी और अपनी चूतड़ को और आगे खिसका कर अपनी चूत को मेरे मुंह से बिलकुल सटा दिया। अब बुआ जी के चूतड़ पलंग से बाहर हवा मे झूल रही थी और उनकी मखमली जांघो का पूरा दबाव मेरे कंधो पर था। मैंने अपनी जीभ पूरी कि पूरी उनकी चूत मे डाल दिया और चूत कि अन्दरुनी दीवालों को जीभ से सहलाने लगा। बुआ जी मस्ती से तिलमिला उठी और अपने चूतड़ उठा उठा कर अपनी चूत मेरी जीभ पर दबाने लगी।
“हाय! राजा, क्या मज़ा आ रहा है।
अब अपनी जीभ को अन्दर-बाहर करो नाआअ! चोदो राजाआअ चोदऊओ! अपनी जीभ से चोदो मुझे। हाय राजा तुम ही तो मेरे असली सै्यां हो। पहले क्यों नही मिले, अब सारी कसर निकालूंगी। हाय राजा चोदो मेरी चूत को अपनी जीभ से।”
मुझे भी पूरा जोश आ गया और बुआ जी कि चूत मे जल्दी जल्दी जीभ अन्दर-बाहर करते हुए उसे चोदने लगा। बुआ जी अभी भी जोर-जोर से कमर उठा कर मेरे मुंह को चोद रही थी। मुझे भी इस चुदायी का मज़ा आने लगा। मैंने अपनी जीभ कड़ी कर के सिर आगे पीछे कर के बुआ जी कि चूत को चोदने लगा।
उनका मज़ा दोगुना हो गया। अपने चूतड़ को जोर-जोर से उठती हुए बोली, “और जोर से बेटा और जोर से, हाय मेरे प्यारे राजा आज से मैं तेरी रण्डी बुआ हो गयी। जिंदगी भर के लिये चुदाऊंगी तुझसे। अह्हह! उईई माआ!” वो अब झड़ने वाली थी। वो जोर जोर से चिल्लते हुए अपनी चूत मेरे पूरे चेहरे पर रगड़ रही थी।
मैं भी पूरी तेज़ी से जीभ लप-लपा कर उनकी चूत पूरी तरह से चाट रहा था। और बीच बीच मैं अपनी जीभ को उनकी चूत मे पूरी तरह अन्दर डाल कर अन्दर बाहर करने लगा। जब मेरी जीभ बुआ जी कि भागनाशा से टकरायी तो बुआ जी का बांध टूट गया और मेरे चेहेरे को अपनी जांघो मे जाकर कर उन्होने अपनी चूत को मेरे मुंह से चिपका दिया। कुछ देर बाद उनका पानी बहने लगा और मैं उनकी चूत कि दोनो फ़ांको को अपनी मुंह मे दबा कर उनका अमृत-रस पीने लगा। मेरा लण्ड फिर से लोहे कि रोड की तरह सख्त हो गया था। मैं उठ कर खड़ा हो गया और अपने लण्ड को हाथ से सहलाते हुए बुआ जी को पलंग पर सीधा लेटा कर उनके उपर चढने लगा।
उन्होने मुझे रोकते हुए कहा, “ऐसे नही मेरे राजा, चूत का मज़ा तुम चूस चूस के ले चुके हो आज मैं तुम्हे दूसरे छेद का मज़ा दूंगी।
मैंने कहा बुआ जी मेरी समझ मे कुछ नही आया।
बुआ जी बोली, “आज तुम अपने मोटे तगड़े लम्बे लौड़े को मेरी गाण्ड मे डालो,” और उठ कर बैठ गयी। मेरे हाथ को हटा कर अपने दोनो हाथो से मेरा लण्ड पकड़ लिया और सहलाते हुए अपनी दोनो चूंचियो के बीच दबा-दबा कर लण्ड के सुपाड़े को चूमने लगी। उनकी चूंची कि गरमाहट पकड़ मेरा लौड़ा और भी जोश मे आकार जकड़ गया। मैं हैरान था। इतनी छोटी सी गाण्ड के छेद मे मेरा लण्ड कैसे जायेगा।
मैं बोला, “बुआ जी इतना मोटा लण्ड तुम्हारी गाण्ड मे कैसे जायेगा “”
बुआ बोली, “हां मेरे राजा, गाण्ड मे ही जायेगा, पीछे से चोदना इतना आसान नही है। तुम्हे पूरा जोर लगना होगा।” इतना कह कर बुआ जी ढेर सारा थूक मेरे लण्ड पर लगा दिया और पूरे लण्ड की मालिश करने लगी। “पर बुआ जी गाण्ड मे लण्ड घुसने के लिये ज्यादा जोर क्यों लगना पड़ेगा”” बुआ बोली वो इसलिये राजा कि जब औरत गरम होती है तो उसकी चूत पानी छोड़ती है, जिससे लौड़ा आने-जाने मे आसानी होती है। पर गाण्ड तो पानी नही छोड़ती इसीलिये घर्षण ज्यादा होता है और लण्ड को ज्यादा ताकत लगनी पड़ती है। गाण्ड मारने वाले को भी बहुत तकलीफ़ होती है। पर राजा मज़ा बहुत है मरवाने वाले को भी और मारने वाले को भी बहुत मजा आता है। इसीलिये गाण्ड मारने के पहले पूरी तैयारी करनी पड़ती है।”
मैंने कहा “क्या तैयारी करनी पड़ती है””
बुआ जी मुसकुरा कर पलंग से उतरी और अपने चूतड़ को लहराते हुए ड्रेसिन्ग टेबल से वेसलीन की शीशी उठा लायी।
ढक्कन खोल कर ढेर सारा वेसलीन अपने हाथों मे ले ली और मेरे लौड़े कि मालिश करने लगी। अब मेरा लौड़ा रोशनी मे चमकने लगा। फिर मुझे ड्ब्बी दे दी और बोली, “अब मैं झुकती हूं और तुम मेरे गाण्ड मे ठीक से वेसलीन लगा दो। और वो पलंग पर पेट के बल लेट गयी और अपने घुटनो के बल होकर अपने चूतड़ हवा मे उठा दिया। देखने लायक नजारा था।
भाभी के गोल मटोल चूतड़ मेरी आंखो के सामने लहरा रहे थी। मुझसे रहा नही गया और झुक कर चूतड़ को मुंह मे भर कर कस कर काट लिया। बुआ जी कि चीख निकल गयी। फिर मैंने ढेर सारा वेसलीन लेकर उनकी गाण्ड कि दरार मे लगा दिया। बुआ बोली, “आरी मेरे भोले सैयां, उपर से लगाने से नही होगा। उनगली से लेकर अन्दर भी लगाओ और अपनी उनगली पेल पेल कर पहले गाण्ड के छेद को ढीला करो।” मैंने अपनी बीच वाली उनगली पर वेसलीन लगा कर उनकी गाण्ड मे घुसाने कि कोशिश की। पहली बार जब नही घुसी तो दूसारे हाथ से छेद फैला कर दोब्रा कोशिश कि तो मेरा उनगली थोरी सी उनगली घुस गयी। मैंने थोड़ाबाहर निकल कर फिर झतका दे कर डाला तो घपक से पूरी उनगली धंस गयी। बुआ जी ने एकदम से अपने चूतड़ सिकोड़ लिया जिससे कि उनगली फिर बाहर निकल गयी।
बुआ बोली “इसी तरह उनगली अन्दर-बाहर करते रहो कुछ देर तक। मैं उनके कहे मुतबिक उनगली जल्दी से अन्दर-बाहर करने लगा। मुझे इसमे बड़ा मज़ा आ रहा था। वो भी कमर हिला-हिला कर मज़ा ले रही थी। कुछ देर बाद बुआ जी बोली, “चलो राजा आ जओ मोरचे पर और मारो गाण्ड अपनी बुआ की।” मैं उठ कर घुटने के बल बैठ गया और लण्ड को पकड़ कर बुआ कि गाण्ड के छेद पर रख दिया। बुआ जी ने थोड़ा पीछे होकर लण्ड को निशाने पर रखा। फिर मैंने उनकी चूतड़ को दोनो हाथो से पकड़ कर धक्का लगाया। बुआ जी कि गाण्ड का छेद बहुत टाईट था। मैं बोला, “बुआ जी मेरा लण्ड आप कि गाण्ड में नही घुस रहा है।” बुआ जी ने तब अपने दोनो हाथो अपने चूतड़ को खींच कर गाण्ड कि छेद को फ़ैला दिया और दोबारा जोर लगने को कहा। इस बार मैंने थोड़ा और जोर लगाया और मेरा सुपाड़ा उनकी गाण्ड कि छेद मे चला गया। बुआ जी की कसी गाण्ड ने मेरे सुपाड़े को जकड़ लिया। मुझे बड़ा मज़ा आया। मैंने दोबारा धक्का दिया तो उनकी गाण्ड को चीरता हुआ मेरा आधा लण्ड बुआ जी कि गाण्ड मे दाखिल हो गया।
बुआ जी जोर से चीख उठी, “उईइ मा, दुखता है मेरे राजा।”
पर मैंने उनकी चीख पर कोई ध्यान नही दिया और लण्ड थोड़ा पीछे खींच कर जोरदार शॉट लगाया। मेरा 9″ का लौड़ा उनकी गाण्ड को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर दाखिल हो गया। बुआ जी फिर चीख उठी। वो बार बार अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे लण्ड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी। मैंने आगे को झुक कर उनकी चूंची को पकड़ लिया और उन्हे सहलाने लगा। लण्ड अभी भी पूरा का पूरा उनकी गाण्ड के अन्दर था। कुछ देर बाद बुआ जी कि गाण्ड मे लण्ड डाले डाले उनकी चूंची को सहलाता रहा।
जब बुआ जी कुछ नोरमल हुए तो अपने चूतड़ हिला कर बोली, “चलो राजा अब ठीक है।” उनका सिगनल पा कर मैंने दोबारा सीधे होकर उनकी चूतड़ पकड़ कर धीरे-धीरे कमर हिला कर लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरु कर दिया। बुआ जी कि गाण्ड बहुत ही टाईट थी। इसे चोदने मे बड़ा मज़ा आ रहा था।
अब बुआ भी अपना दर्द भूल कर सिसकारी भरते हुए मज़ा लेने लगी। उन्होने अपनी एक उनगली अपनी चूत मे डाल कर कमर हिलाना शुरु कर दिया। बुआ जी कि मस्ती देख कर मैं भी जोश मे अ गया और धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार बढा दी। मेरा लण्ड अब पूरी तेज़ी से उनकी गाण्ड मे अन्दर-बाहर हो रहा था। बुआ जी भी पूरी तेज़ी से कमर आगे पीछे करके मेरे लण्ड का मज़ा ले रही थी। लण्ड ऐसे अन्दर-बाहर हो रहा था मानो ईंजिन का पिस्टन। पूरी कमरे मे चुदायी का थप थप कि आवाज गूंज रही थी। जब बुआ जी के थिरकते हुए चूतड़ से मेरी जांघे टकराती थी तो लगता कोई तबलची टेबल पर थाप दे रहा हो। बुआ जी पूरी जोश मे पूरी तेज़ी से चूत मे उनगली अन्दर-बाहर करती हुई सिसकारी भर रही थी। हम दोनो ही पसीने पसीने हो गयी थे पर कोई भी रुकने का नाम नही ले रहा था।
बुआ मुझे बार बार लल्कार रही थी, “चोद लो मेरे राजा चोद लो अपनी बुआ की गाण्ड। आज फ़ाड़ डालो इसे। शाबाश मेरे शेर, और जोर से रज्जजा और जोर से। फ़ाड़ डाली तुमने मेरी तो।”
मैं भी हमच हमच कर शॉट लगा रहा था। पूरा का पूरा लण्ड बाहर खींच कर झटके से अन्दर डालता तो उनकी चीख निकल जाती। मेरा लावा अब निकलने वाला था। उधर बुआ भी उनगली से चूत को चोद चोद कर अपनी मंज़िल के पास थी। तभी मैंने एक झटके से लण्ड निकला और उनकी चूत मे जड़ तक ठांस दिया। बुआ जी इसके लिये तैयार नही थी, इसीलिये उनकी उनगली भी चूत मे ही रहा गयी थी जिससे उनकी चूत टाईट लग रहा था। मैं बुआ जी के बदन को पूरी तरह अपनी बाहों मे समेट कर दनादन शॉट लगाने लगा। वो भी सम्भल कर जोर जोर से अह्हह उह्हह्ह करती हुई चूतड़ आगे-पीछे करके अपनी चूत मे मेरा लण्ड लेने लगी। हम दोनो कि सांस फ़ूल रही थी।
आखिर मेरा ज्वालामुखी फ़ूट पड़ा और मैं भाभी की पीठ से चिपक कर बुआ कि चूत मे झड़ गया। उनकी भी चूत झड़ने को थी और बुआ जी भी चीखती हुई झड़ गयी। हम दोनो उसी तरह से चिपके हुए पलंग पर लेट गये और थकान कि वजह से सो गये।
उस रात मैंने भाभी कि चूत कम से कम चार बार और चोदा।
सुबह करीब 10 बजे सुमन (दोस्त कि बहन) ने मुझे उठा कर चाय दी और कहा दीन भैया फ़्रेश हो कर नहा धो लो मैं नाश्ता बनाती हूं। घर में केवल उसे देख कर कहा माँ और बुआ जी कहां गये ” वो बोली वे तो कब के खेत चले गये है। यहां आवाज होगी इसलिये माँ रात की नीद खेत में ही पूरी करेगी और वे लोग शाम से पहले लोटने वाले नहीं है। और मैं फ़्रेश होकर नहा धो कर नाश्ता करने लगा। सुमन अपने काम में लग गयी। मैं कमरे में आकार किताब पढने लगा। मुझे कही बाहर जाना नहीं था इसलिये मैं केवल तौलिया और बनियान में था।
करीब एक घण्टे बाद सुमन अपना काम निबटा कर कमरे में बिस्तर ठीक कर आयी और मुझसे बोली भैया आप उधर कुरसी पर बैठ जाओ मुझे बिस्तर ठीक करना है। मैं उठ कर कुरसी पर बैठ गया वो बिस्तर ठीक करने लगी।
चादर पर पड़े मेरे लण्ड और बुआ जी कि चूत के पानी के धब्बे रात की कहानी सुना रहे थे। सुमन झुक कर निशान वाली जगह को सूंघ रही थी। मेरी तो उपर की सांस उपर और नीचे की सांस नीचे रह गयी। थोड़ी देर बाद सुमन उठ गयी और मेरी तरफ़ देखती हुइ अदा से मुसकुरा दी।
फिर इठलाते हुए मेरे पास आई और आंख मार कर बोली, “लगता है रात बुआ जी के साथ जम कर खेल खेला है।” मैं हिम्मत कर के बोला, “क्या मतलब”” वो मुझसे सटती हुइ बोली, “इतने भोले मत बनो। जान बूझकर अनजान बन रहे हो। क्या मैं अच्छी नहीं लगती तुम्हे”
मैंने कुछ नहीं कहा और केवल मुसकरा दिया और मैंने गौर से देखा उसको। मस्त लौण्डिया थी। सांवली से रंग, छरहरा बदन। उठी हुई मस्त चूंचियां। उसने अपना पल्लू सामने से लेकर कमर मे दबाया हुआ था, जिससे उसकी चूंची और उभर कर सामने आ गयी थी। वो बात करते करते मुझसे एक दम सट गयी और उसकी तनी तनी चूंची मेरी नंगी बाहों से छूने लगी।
यह सब देख कर मेरा लण्ड जोश मे फ़ड़फ़ड़ा उठा। मैंने सोचा कि इसे ज्यादा अच्छा मौका फिर नही मिलने वाला। साली खुद ही तो मेरे पास चुदवाने आई हुई है। मैंने हिम्मत कर के उसे कमर से पकड़ लिया और अपनी पास खींच कर अपने से चिपका लिया और बोला, “चल सुमन थोड़ा सा खेल तेरे साथ भी हो जाये, वो एकदम से घबरा गयी और अपने को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करने लगी। पर मैं उसे कस कर पकड़े हुए चूमने कि कोशिश करने लगा। वो मुझ से दूर हटने कि कोशिश करती जा रही थी पर वो बेबस थी। पर साथ में चिपकी भी जा रही थी। इसी दौरान मेरा तौलिया खुल गया और मेरा 9″ का फ़नफ़नता हुआ लौड़ा आजाद हो गया। मैंने कहा देखो मजे लेना है तो चलो बिस्तर पर और उसे अपने बाहों में उठा कर बिस्तर पर लेटा कर अपना लण्ड उसकी गाण्ड मे दबाते हुए मैंने अपनी एक टांग उसकी टांग पर चढा दिया और उसे दबोच लिया।
दोनो हाथो से चूंचियों को पकड़ कर मसलते हुए बोला, “नखरे क्यों दिखाती है” खुदा ने हुस्न दिया है क्या मार ही डालोगी, आरे हमे नही दोगी तो क्या आचार डालोगी, चल आजा और प्यार से अपनी मस्त जवानी का मज़ा लेते है।” कहते हुए उसके ब्लाऊज़ को खींच कर खोल दिया। फिर एक हाथ को नीचे ले जाकर उसके पेटीकोट के अन्दर घुसा दिया और उसकी चिकनी चिकनी जांघो को सहलाने लगा। धीरे धीरे हाथ उसकी चूत पर ले गया।
पर वो तो दोनो जांघो को कस कर दबाये हुए थी और साथ मे मस्ती से हाय हाय भी कर रही थी। मैं उसकी चूत को उपर से कस कस कर मसलने लगा और उनगली को किसी तरह चूत के अन्दर डाल दिया। उनगली अन्दर होते ही वो कस कर छटपटाते हुये और बाहर निकलने के लिये कमर हिलाने लगी। उससे उसकी चूत चुदने जैसी होने लगी। इससे उसका पेटीकोट उपर उठ गया।
मैंने कमर पीछे कर के अपने लण्ड को नंगे चूतड़ की दरार मे लगा दिया। क्या फ़ूले फ़ूले जवान चिकने चूतड़ थे। अपना दूसरा हाथ भी उसकी चूंची पर से हटा कर उसके चूतड़ को पकड़ लिया और अपना लण्ड से उसकी गाण्ड की दरार मे रख कर उसकी चूत को मैंने उनगली से चोदते हुए गाण्ड कि दरार मे लण्ड थोड़ा थोड़ा धंसा दिया था।
कुछ ही देर मे वो ढीली पड़ गयी और जांघो को ढीला कर के कमर हिला हिला कर आगे और पीछे कर के चुदायी का मज़ा लेने लगी। “क्यों रानी मज़ा आ रहा है”” मैंने धक्का लगते हुए पूछा।
“हां भैया, बहुत ही मज़ा आ रहा है।” उसने जांघे फ़ैला दी जिससे कि मेरी उनगली आसानी से अन्दर-बाहर होने लगी। उसके मुंह से मस्ती भरी उई उई निकलने लगा। फिर उसने अपना हाथ पीछे करके मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उसकी मोटाई को नाप कर बोली, “हाय जी इतना मोटा लण्ड। चलो मुझे सीधा होने दो, फिर चोद देना” कहते हुए वो चित लेट गयी।
अब हम दोनो अगल बगल लेटे हुए थे। मैंने अपनी टांग उसकी टांग पर चढा लिया और लण्ड को उसकी जांघ पर रगड़ते हुए चूंचियो को चूसने लगा। पत्थर जैसा सख्त थी उसकी चूंची। एक हाथ से उसकी चूंची मसल रहा था और दूसरे हाथ की उनगली से उसकी चूत को चोद रहा था। वो भी लगातर मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी जांघो पर घिस रही थी। जब हम दोनो पूरी जोश मे आ गये तब सुमन बोली, “अब मत तड़पाओ भैया, चोद ही डालो ना मुझे अब।” मैंने झटपट उसकी साड़ी और पेटीकोट को कमर से उपर उठा कर उसकी चूत को पूरा नंगा कर दिया।
वो बोली, “पहले मेरे सारे कपड़े तो उतारो तो ही तो चुदेगी मेरी चूत” मैं बोला, “नही तुझे अध नंगी देख कर जोश और डबल हो गया है, इसीलिये पहेली चुदायी तो कपड़ों के साथ ही होगी।” फिर मैंने उसकी टांगे अपनी कंधो पर रखी और उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के मुंह पर रख लिया और बोली, “आईईईई , शुरु हो जाओ ना भैया।”
मैंने कमर आगे कर के जोर दार धक्का दिया और मेरा आधा लण्ड दनदनता हुआ उसकी चूत मे धंस गया।
वो चिल्ला उठी। “आहिस्ते भैया आहिस्ते, अब दर्द हो रहा है और उसने अपनी चूत को सीकोड़ ली जिस से मेरा लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल आया। मैंने उसकी सख्त चूंची को पकड़ कर मसलते हुए फ़िर अपना लण्ड उसकी चूत पर रख कर एक और शॉट लगाया तो मेरा सुपाड़ा उसकी चूत मैं घुस गया कुछ देर तक मैंने कुछ हरकत नहीं कि और उसके होठों को अपने होठो में लेकर चूसने लगा। उसकी आंखो से अब भी आंसू निकल रहे थे। थोड़ी देर बाद वो थोड़ा शान्त हुयी और अब मैंने दूसरा शॉट लगाया तो मेरा बचा हुआ लौड़ा भी जड़ तक उसकी चूत मे धंस गया।
मरे दर्द के उसकी चीख निकल गयी और बोली, “बड़ा जालिम है तुम्हारा लौड़ा। किसी कुंवारी छोकरी को इस तरह से चोदोगे तो वो मर जायेगी। सम्भल कर चोदना।” मैं उसकी चूंचियों को पकड़ कर मसलते हुए धीरे-धीरे लण्ड चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। चूत तो इसकी भी टाईट थी।
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दोस्त की माँ, बुआ और बहन
यह कहानी मेरे दोस्त की माँ, बुआ और बहन को चोदने वाली है। ये बात आज से 9-10 वर्ष पहले की है जब मेरी उमर 20-21 साल की थी। उन दिनो मैं मुम्बई में रहता था। मेरे मकान के बगल में एक नया किरायेदार सुखबिन्दर रहने आया। वो किराये के मकान में अकेला रहता था। मेरी हम उमर का था इसलिये हम दोनो में गहरी दोस्ती होगयी। वो मुझ पर अधिक विश्वास रखता था क्योंकि मैं एक सरकारी कर्मचारी था और उससे ज्यादा पढा लिखा था। वो एक निजी फ़ेक्ट्री मे मशीन ऑपरेटर था। उसके परिवर में केवल 4 सदस्य थे। उसकी विधवा माँ 41 साल की, विधवा बुआ (यानी कि उसकी माँ की सगी ननद) 35 साल की और उसकी कुंवारी बहन 18-19 साल की थी। वे सब उसके गावँ मैं रहकर अपनी खेती बाड़ी करते थे।
दिवाली छुट्टियों में उसकी माँ और बहन मुम्बई में 1 महीने के लिये आये हुये थे। दिसम्बर में उसकी माँ और बहन वापस गावँ जाने की जिद करने लगे। लेकिन कम अत्यधिक होने के कारण सुखबिंदर को 2 महीने तक कोई भी छुट्टी नहीं मिल सकती थी। इसलिये वो परेशान रहने लगा। वो चाहता था कि किसी का गावँ तक साथ हो तो वो माँ और बहन को उसके साथ भेज सकता है। लेकिन किसी का भी साथ नहीं मिला।
सुखबिंदर को परेशान में देख कर मैंने पूछा, क्या बात है सुखबिन्दर, आज कल तुम ज्यादा परेशान रहते हो ”
सुखबिंदर: क्या करु यार, काम ज्यादा होने के कारण मेरा ऑफ़िस मुझे अगले 2 महीने तक छुट्टी नहीं मिल रही है और इधर माँ गावँ जाने की जिद कर रही है। मैं चाहता हूं कि अगर कोई गावँ तक किसी का साथ रहे तो माँ और बहन अच्छी तरह से गावँ पहुच जायेंगी और मुझे भी चिन्ता नहीं रहेगी। लेकिन गावँ तक का कोई भी साथ नहीं मिल रहा है ना ही मुझे छुट्टी मिल रही है इसलिये मैं काफ़ी परेशान हूं।
दिन: यार अगर तुम्हे ऐतराज ना हो तो मैं तुम्हारी परेशानी हल कर सकका हूं और मेरा भी फ़ायदा हो जायेगा।
सुखबिंदर :यार मैं तुम्हारा यह अहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूंगा अगर तुम मेरी परेशानी हल कर दो तो। लेकिन यार कैसे तुम मेरी परेशानी हल करोगे और कैसे तुम्हारा फ़ायदा होगा ”
यार सरकारी दफ़तर के अनुसार, मुझे साल में 1 महीने कि छुट्टी मिलती है। अगर मैं छुट्टी लेता हूं तो मुझे गावँ या कही भी जाने का आने जाने का किरया भी मिलता है और एक महीने की पगार भी मिलती है। अगर मैं छुट्टी ना लू तो 1 महीने कि छुट्टी समाप्त हो जाती है और कुछ नहीं मिलता है।
सुखबिंदर: यार तुम छुट्टी लेकर माँ और बहन को गावँ पहुचा दो इस बहाने तुम मेरा गावँ भी घूम आना।
अगले दिन से मैंने छुट्टी के लिये आवेदन पत्र दे दिया और मेरी छुट्टी मजूर हो गयी।
सुखबिंदर ने साधारण टिकट लेकर हम दोनो को रैलवे स्टेशन पहुचाने आया। हमने टीटी से विनती कर के किसी तरह 2 सीट ले ली। गाड़ी करीब रात 8:40 पर रवाना हुयी। रात करिब 10 बजे हमने खाना खया और गपशप करने लगे। बहन ने कहा भैया मुझे नींद आ रही है और वो उपर के बर्थ पर सो गयी। कुछ देर बाद माँं भी नीचे के बर्थ पर चद्दर औढ कर सो गयी और कहा कि तुम अगर सोना चाहते हो तो मेरे पैर के पास सिर रख कर सो जना।
मुझे भी थोड़ी देर बाद नीद आने लगी और मैं उनके पैर के पास सिर रख कर सो गया। सोने से पहले मैंने पेण्ट खोल कर शोर्ट पहन लिया। माँ अपने बायी तरफ़ करवट कर के सो गयी। कुछ देर बाद मुझे भी नींद आने लगि और मैं भी उनकी चद्दर ओढ कर सो गया। अचानक रात करीब 1:30 मेरी नींद खुली मैंने देखा कि माँ की साड़ी कमर के उपर थी और उनकी चूत घनी झांटो के बीच छुपी थी। उनका हाथ मेरे शोर्ट पर लण्ड के करीब था।
यह सब देख कर मेरा लण्ड शोर्ट के अन्दर फड़फड़ाने लगा। मैं कुछ भी समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूं। मैं उठकर पैशाब करने चला गया। जब वापस आया मैंने चद्दर उठा कर देखा तो अभी तक माँ उसी अवस्था मैं सोयी थी। मैं भी उनकी तरफ़ करवट कर के सो गया। लेकिन मुझे नीद नहीं आ रही थी।
बार बार मेरी आंखों के सामने उनकी चूत घूम रही थी। थोड़ी देर बाद एक स्टेशन आया। वहां 5 मिनट तक ट्रैन रुकी थी और मैं विचार कर रहा था कि क्या करू। जैसे ही गाड़ी चली मेरे भाग्य ने साथ दिया और हमारे डिब्बे की लाईट चली गयी। मैंने सोचा कि भगवान भी मेरा साथ दे रहा है। मैंने अपना लण्ड शोर्ट से निकल कर लण्ड के सुपाड़े की टोपी नीचे सरका कर सुपाड़े पर ढेर सरा थूक लगा कर सुपाड़े को चूत के मुख के पास रख कर सोने का नाटक करने लगा। गाड़ी के धक्के के कारण आधा सुपाड़ा उनकी चूत मैं चला गया लेकिन माँ कि तरफ़ से कोई भी हरकत ना हुयी। या तो वो गहरी नींद में थी या वो जानबूझ कर कोई हरकत नहीं कर रही थी। मैं समझ नहीं पाया। गाड़ी के धक्के से केवल सुपाड़े का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अन्दर बाहर हो रहा था।
एक बार तो मेरा दिल हुआ कि एक धक्का लगा कर पूरा का पूरा लण्ड चूत में डाल दूं। लेकिन संकोच ओर डर के कारण मेरी हिम्मत नहीं हुयी। गाड़ी के धक्के से केवल सुपाड़े का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अन्दर बाहर हो रहा था। इस तरह चोदते चोदते मेरे लण्ड ने ढेर सरा फ़व्वारा उनकी चूत और झांटो के उपर निकाल दिया। अब मैं अपना लण्ड शोर्ट में डाल कर सो गया।
करीब सवेरे 7 बजे माँ ने उठाया और कहा कि चाय पीलो और तैयार हो जाओ क्यूंकि 1 घन्टे में हमारा स्टेशन आने वाला है। मैं फ़्रेश हो कर तैयार हो गया। स्टेशन आने तक मां बहन और मैं इधर उधर कि बातें करने लगे। करीब 09:30 बजे हम सुखबिंदर के घर पहुचे। वहां पर सुखबिंदर की बुआ ने हमारा स्वागत किया और कहा नो धो कर नाश्ता कर लो।
हम नहा धोकर आंगन मैं बैठ कर नाश्ता करने लगे। करीब 11:00 बजे बुआ ने माँ से कहा “भाभी जी आप लोग थक गये होंगे, आप आराम कीजिये मैं खेत में जा रही हूं और मैं शाम को लौटूंगी। माँ ने कहा ठीक है और मुझ से बोली अगर तुम आराम करना चाहो तो आराम कर लो नहीं तो बुआ के साथ जा कर खेत देख लेना।
मैंने कहा कि मैं आराम नहीं करुगा कयूकि मेरी नीद पूरी हो गयी है, मैं बुआ जी के साथ खेत चला जाता हूं वहां पर मेरा समय पास भी हो जायेगा।
मैं और बुआ खेत कि और निकल पड़े। रास्ते में हम लोगो ने इधर उधर की काफ़ी बातें की। उनका खेत बहुत बड़ा था खेत की एक कोने मे एक छोटा सा मकान भी था। दोपहर होने के कारण आजू बाजू के खेत में कोई भी न था।
खेत पहुच कर बुआ जी काम में लग गयी और कहा कि तुम्हे अगर गरमी लग रही हो तो शर्ट निकाल लो उस मकान में लुंगी भी है चाहे तो लुंगी पहन लो और यहां आकर मेरी थोड़ी मदद कर दो। मैं मकान में जाकर शर्ट उतार दिया और लुंगी बनियान पहनकर बुआ जी के काम में मदद करने लगा। काम करते करते कभी कभी मेरा हाथ बुआ जी के चूतड़ पर भी टच होता था। कुछ देर बाद बुआ जी से मैंने पूछा, बुआ जी यहां कहीं पेशाब करने की जगह है ”
बुआ जी बोली कि मकान के पीछे झाड़ियों में जाकर कर लो। मैं जब पेशाब कर के वापस आया तो देखा बुआ जी अब भी काम कर रही थी। थोड़ी देर बाद बुआ जी बोली “आओ अब खाना खाते है और थोड़ी देर आराम कर के फ़िर काम में लग जाते है” अब हम खेत के कोने वाले मकान में आकर खाना खाने की तैयारी करने लगे। मैं और बुआ दोनो ने पहले हाथ पैर धोये फिर खाना खाने बैठ गये। बुआ जी मेरे सामने ही बैठ कर खाना खा रही थी।
खाना खाते समय मैंने देखा कि मेरे लुंगी जरा साईड में हट गयी थी जिस कारण मेरी चड्डी से आधा निकला हुआ लण्ड दिखायी दे रहा था। और बुआ जी कि नज़र बार बार मेरे लण्ड पर जा रही थी। लेकिन उन्होने कुछ नहीं कहा और बीच बीच मे उसकी नज़र मेरे लण्ड पर ही जा रही थी। खाना खाने के बाद बुआ जी बरतन धोने लगी जब वो झुक कर बरतन धो रही थी तो मुझे उनके बड़े बड़े बूबस साफ़ नज़र आ रहे थे। उन्होने केवल ब्लाऊज़ पहना हुवा था। बरतन धोने के बाद वो कामरे में आकर चटाई बिछा दी और बोली “चलो थोड़ी देर आराम करते है” मैं चटाई पर आकर लेट गया। बुआ बोली “बेटे आज तो बड़ी गर्मी है” कह कर उन्होने अपनी साड़ी खोल दी और केवल पेटीकोट और ब्लाऊज़ पहन कर मेरे बगल में आकर उस तरफ़ करवट कर के लेट गयी।
अचानक मेरी नज़र उनके पेटीकोट पर गयी। उनकी दाहिनी ओर की कामर पर जहां पेटीकोट का नाड़ा बंधा था वहा पर काफ़ी गेप था और गेप से मैंने उनकी कुछ कुछ झांटे दिखायी दे रही थी। अब मेरा लण्ड लुंगी के अन्दर हरकत करने लगा। थोड़ी देर बाद बुआ जी ने करवट बदली तो मैंने तुरंत आंखे बंद करके सोने का नाटक करने लगा।
थोड़ी देर बाद बुआ जी उठी और मकान के पीछे चल पड़ी। मैं उत्साह के कारण मकान की खिड़की पर गया। खिड़की बंद थी लेकिन उसमे एक सुराख था। मैं सुराख पर आंख लगाकर देखा तो मकान का पिछला भाग साफ़ दिखायी दे रहा था। बुआ वहां बैठ कर पेशाब करने लगी। सब करने के बाद बुआ जी थोड़ी देर अपनी चूत सहलाती रही फिर उठकर मका्न के अन्दर आने लगी। फ़िर मैं तुरंत ही अपनी स्थान पर आकर लेट गया।
बुआ जी जब वापस मकान में आयी तो मैं भी उठकर पिछली तरफ़ पेशाब करने चला गया। मैं जान बूझ कर खिड़की की तरफ़ लण्ड पकड़ कर पेशाब करने लगा। मैंने महसूस किया कि खिड़की थोड़ी खुली हुयी थी और बुआ जी की नज़र मेरे लण्ड पर थी। पेशाब करके जब वापस आया तो देखा बुआ जी चित लेटी हुयी थी। मेरे आने के बाद बुआ बोली बेटे आज मेरी कामर बहुत दुख रही है। क्या तुम मेरी कमर की मालिश कर सकते हो ”
मैंने कहा क्यों नहीं।
उसने कहा ठीक है सामने तेल की शीशी पड़ी है उसे लगा कर मेरी कामर की मालिश कर देना। और फिर वो पेट के बल लेट गयी। मैं तेल लगा कर उनकी कामर की मालिश करने लगा। वो बोली बेटे थोड़ा नीचे मालिश करो। मैंने कहा बुआ जी थोड़ा पेटीकोट का नाड़ा ढीला करोगी तो मालिश करने में आसानी होगी और पेटीकोट पर तेल भी नहीं लगेगा। बुआ जी ने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया। अब मैं उनकी कामर पर मालिश करने लगा। उन्होने और थोड़ा नीचे मालिश करने को कहा। मैं थोड़ा नीचे कि तरफ़ मालिश करने लगा।
थोड़ी देर मालिश करने के बाद वो बोली बस बेटे और नाड़ा बंद कर लेट गयी। मैं भी बगल में आकर लेट गया। अब मेरे दिलों और दिमाग ने कैसे चोदा जये यह विचार करने लगा। आधे घण्टे के बाद बुआ जी उठी और साड़ी पहन कर अपने काम में लग गयी।
शाम को करीब 6 बजे हम घर पहुचे। घर पहुचकर मैंने कहा माँ मैं बाजार जा रहा हूं। 1 घण्टे बाद आजाऊंगा यह कहकर मैं बाजार कि और निकल पड़ा। रास्ते में मैंने बीयर की दुकान से बीयर की बोतले ले आया। घर आकर हाथ पैर धो कर केवल लुंगी पहन कर दूसरे कमरे में जाकर बीयर पीने लगा। एक घण्टे में मैंने 4 बोतले बीयर पी ली थी और बीयर का नशा हावी होने लगा था।
इतने मे बुआ जी ने खाने के लिये आवाज लगयी। हम सब साथ बैठ कर खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद मैं सिगरेट की दुकान जाकर सिगरेट पीने लगा जब वापस आया तो आंगन मे सब बैठ कर बाते कर रहे थे। मैं भी उनकी बातों मे शामिल होगया और हंसी मजाक करने लगा।
बातों बातों में बुआ जी माँ से बोली “भाभी दीन बेटा अच्छी मालिश करता है आज खेत में काम करते करते अचनक मेरी कमर मे दर्द उठा तो इसने अच्छी मालिश की और कुछ ही देर में मुझे आराम आगया” मां हंस पड़ी और मेरी तरफ़ अजीभ नज़रो से देखने लगी। मैं कुछ नहीं कहा और सिर झुका लिया। करीब आधे घण्टे के बाद बहन और बुआ सोने चली गयी। मैं और मां इधर उधर की बाते करते रहे। करीब रात 11 बजे मां बोली बता आज तो मेरे पैर दुख रहे है। क्या तुम मालिश कर दोगे।
दीन :हा क्यूं नहीं। लेकिन आप केवल सूखी मालिश करवओगी या तेल लगाकर
मा: बेटा अगर तेल लगा कर करोगे तो आसानी होगी और आराम भी मिलेगा
दीन : ठीक है, लेकिन सरसो का तेल हो तो और भी अच्छा रहेगा और जल्दी आराम मिलेगा।
फिर माँ उठ कर अपने कमरे में गयी और मुझे भी अपने कमरे में बुला लिया। मैंने कहा आप चलिये मैं पेशाब करके आता हूं। मैं जब पेशाब करके उनके कमरे में गया तो देखा माँ अपनी साड़ी खोल रही थी। मुझे देख कर बोली बेटा तेल के दाग साड़ी पर ना लगे इसलिये साड़ी उतार रही हूं। वो अब केवल ब्लाऊज़ और पेटीकोट में थी और मैं बनियान और लुंगी में था। माँ ने तेल कि डिबिया मुझे देकर बिस्तर पर लेट गयी। मैं भी उनके पैर के पास बैठ कर उनके पैर से थोड़ा पेटीकोट उपर किया और तेल लगा कर मालिश करने लगा।
माँ बोली बेटा बड़ा आराम आ रहा है। जरा पिंडली मैं जोर लगा कर मालिश करो। मैंने ने फिर उनका दायां पैर अपने कनधे में रख कर पिंडली में मालिश करने लगा। उनका एक पैर मेरे कनधे पर था और दूसरा नीचे था जिस कारण मुझे उनकी झांटे और चूत के दरशन हो रहे थे क्योंकि माँ ने अन्दर पेण्टी नहीं पहनी थी। वैसे भी देहाती लोग ब्रा और पेण्टी नहीं पहनते है। उनकी चूत के दरशन पाते ही मेरा लण्ड हरकत करने लगा। माँ ने अपने पेटीकोट घुटनो के थोड़ा उपर कर के कहा जरा और उपर मालिश करो। मैं अब पिंडली के उपर मालिश करने लगा और उनका पेटीकोट घुटनो के थोड़ा उपर होने के कारण अब मुझे उनकी चूत साफ़ दिखायी दे रही थी इस कारण मेरा लण्ड फूल कर लोहे की तरह कड़ा और सख्त हो गया। और चड्डी फ़ाड़ कर निकलने को बेताब हो रहा था। मैं थोड़ा थोड़ा उपर मालिश करने लगा और मालिश करते करते मेरी उनगलीयां कभी कभी उनकी जांघो के पास चली जाती थी। जब भी मेरी उनगलीयां उनके जांघो को स्पर्श करती तो उनके मुख से हाआ हाअ की आवाज निकलती थी। मैंने उनकी और देखा तो माँ की आंखे बंद थी। और बार बार वो अपने होंठो पर अपनी जीभ फेर रही थी। मेंने सोचा कि मेरी उनगलीओ के स्पर्श से माँ को मजा आ रहा है । क्यों ना इस सुनेहरे मौके का फ़ायदा उठाया जाये।
मैंने माँ से कहा माँ मेरे हाथ तेल की चिकनहटा के कारण काफ़ी फिसल रहे है। यदि आप को अच्छा नहीं लगता है तो मालिश बंद कर दूं ”
माँ ने कहा कोई बात नहीं मुझे काफ़ी आराम और सुख मिल रहा है। फिर मैं अपने हथेली पर और तेल लगा कर उनके घुटनो के उपर मालिश करने लगा। मालिश करते करते अचनक मेरी उनगलियां उनके चूत के इलाके के पास छूने होने लगी। वो आंखे बंद करके केवल आहे भर रही थी्। मेरी उनगलीयां उनके पेटीकोट के अन्दर चूत तो छूने कि कोशिश कर रही थी। अचनक मेरी उंगली उनके चूत तो छू लिया, फिर मैं थोड़ा घबरा कर अपनी उनगली उनके चूत से हटा ली और उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिये उनके चेहरे की और देखा लेकिन माँ की आंखे बंद थी। वो कुछ नहीं बोल रही थी। मेरा लण्ड सख्त होकर चड्डी के बाहर निकलने को बेताब हो रहा था। मैंने माँ से कहा माँ मुझे पेशाब लगी है, मैं पेशाब करके आता हूं फ़िर मालिश करुगा। माँ बोली ठीक है बेटा, वाकई तु बहुत अच्छा मालिश करता है। मन करता है मैं रात भर तुझ से मालिश करवाऊ। मैं बोला कोई बात नहीं आप जब तक कहोगी मैं मालिश करुगायह कहा कर मैं पेशाब करने चला गया।
जब पेशाब करके वापस आरहा था तो बुआ जी के कमरे से मुझे कुछ कुछ आवाज सुनायी दी, उत्सुकता से मैंने खिड़की कि और देखा तो वोह थोड़ी खुली थी ।
मैंने खिड़की से देखा बुआ जी एक दम नंगी सोयी थी और अपने चूत मैं ककड़ी डाल कर ककड़ी को अन्दर बाहर कर रही थी और मुख से हा हाआ हाअ कि आवाज निकाल रही थी। यह सीन देख कर मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया। मैंने सोचा बुआ जी कि मालिश कल करुगा आज सुखबिंदर कि माँ की मालिश करता हूं क्योंकि तवा गरम है तो रोटी सेख लेनी चाहिये। मैं फिर माँ के कमरे में चला गया।
मुझे आया देख कर माँ ने कहा बेटा लाईट बुझा कर धीमी लाईट जला दो तकि मालिश करवाते करवाते अगर मुझे नींद आ गयी तो तुम भी मेरे बगल में सो जाना। मैंने तब लाईट बंद करके धीमी लाईट चालू कर दी जब वापास आया तो माँ पेट के बल लेटी थी और उनका पेटीकोट केवल उनकी भारी भारी गाण्ड के भी उपर था बाकी पैरो का हिस्सा नंगा था बिलकुल नंगा था।
अब मैं हथेली पर ढेर सारा तेल लगा कर उनके पैरो कि मालिश करने लगा। पहले पिंडली पर मालिश करता रहा फिर मैं धीरे धीरे घुटनो के उपर जांघो के पास चूतड़ों के नीचे मालिश करता रहा। पेटीकोट चूतड़ पर होने से मुझे उनकी झांटे और गाण्ड का छेद नज़र आ रहा था।
अब मैं हिम्मत कर के धीरे धीरे उनका पेटीकोट कमर तक उपर कर दिया। माँ कुछ नहीं बोली और उनकी आंखे बंद थी। मैंने सोचा शायद उनको नींद आ गयी होगी। अब उनकी गाण्ड और चूत के बाल मुझे साफ़ साफ़ नज़र आ रहे थे।
मैंने हिम्मत करके तेल से भरी हुयी उनगली उनकी गाण्ड के छेद के उपर लगाने लगा वो कुछ नहीं बोली। मेरी हिम्मत और बढ गयी। मेरा अंगूठा उनकी चूत की फ़ांको को छू रहा था और अंगूठे की बगल की उनगली उनकी गाण्ड के छेद को सहला रही थी। यह सब हरकत करते करते मेरा लण्ड टाईट हो गया और चूत में घुसने के लिया बेताब हो गया।
इतने में माँ ने कहा कि बेटा मेरी कमर पर भी मालिश कर दो तो मैं उठकर पहले चुपके से मेरी चड्डी उतार कर उनकी कमर पर मालिश करने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने माँ से कहा कि माँ तेल से आप का ब्लाऊज़ खराब हो जायेगा। क्या आप अपने ब्लाऊज़ को थोड़ा उपर उठा सकती हो ”
यह सुनकर माँ ने अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलते हुये ब्लाऊज़ को उपर उठा दिया।
मैं फिर मालिश करने लगा्। मालिश करते करते कभी कभी मेरी हाथेली साईड से उनके बूबस तो छू जाती थी। उनकी कोई भी प्रतिक्रिया ना देख कर मैंने उनसे कहा माँ अब आप सीधी सो जाईये। मैं अब आपकी स्पेशल तरिके से मालिश करना चाहता हूं। माँ करवट बादल कर सीधी हो गयी मैंने देख अब भी उनकी आंखे बंद थी और उनके ब्लाऊज़ के सारे बटन खुले थे और उनकी चूंची साफ़ झलक रही थी। उनकी चूंची काफ़ी बड़ी बड़ी थी और सांसो से साथ उठती बैठती उनकी मस्त रसीली चूंची साफ़ साफ़ दिख रही था।
मा ने अपनी सुरीली और नशीली धीमी आवाज मेरे कनो मे पड़ी, “बेटा अब तुम थक गये होंगे यहां आओ ना।” और मेरे पास ही लेट जाओ ना। पहले तो मैं हिचकिचाया क्यों कि मैं केवल लुंगी पहनी थी और लुंगी के अन्दर मेरा लण्ड चूत के लिये तड़प रहा था
वो मेरी परेशानी समझ गयी और बोली, “कोई बात नही, तुम अपनी बनियान उतार दो और रोज जैसे सोते हो वैसे ही मेरे पास सो जओ। शरमाओ मत। आओ ना।”
मुझे अपने कान पर यकीन नही हो रहा था। मैं बनियान उतार कर उनके पास लेट गया। जिस बदन को कभी से निहारता था आज मैं उसी के पास लेटा हुआ था। माँ का अधनंगा शरीर मेरे बिलकुल पास था। मैं ऐसे लेटा था कि उनकी चूंची बिलकुल नंगी दिखायी दे रही थी, क्या हसीन नजारा था।
तब माँ बोली, “इतने महीने से आज मालिश करवायी हूं इसलिये काफ़ी आराम मिला है। फिर उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर धीरे से खींच कर अपनी उभरी हुए चूंची पर रख दिया और मैं कुछ नहीं बोल पाया। लेकिन अपना हाथ उनके चूंची पर रखा रहने दिया। मुझे यहां कुछ खुजा रहा है, जरा सहलाओ ना।” मैने उनकी चूंची को सहलना शुरु किया। और कभी कभी जोर जोर से उनकी चूंची को रगड़ना शुरु कर दिया। मेरी हथेली की रगड़ पा कर माँ के निपल कड़े हो गये।
अचानक वो अपनी पीठ मेरी तरफ़ घूमा कर बोली, “बेटा मेरा ब्लाऊज़ खोल दो और ठीक से सहलाओ।” मैंने कांपते हुए हाथो से माँ का ब्लाऊज़ खोल दिया और उन्होने अपने बदन से उसे उतार कर नीचे डाल दिया। मेरे दोनो हाथों को अपने नंगी चूंचियों पर लेजा कर वो बोली, “थोड़ा कस कर दबाओ ना।”
मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया और जोश मे आकार उनकी रसीली चूंची से जम कर खेलने लगा। क्या बड़ी बड़ी चूंचियां थी। कड़ी कड़ी चूंची और लम्बे लम्बे निपल। पहली बार मैं किसी औरत कि चूंची को छू रहा था। माँ को भी मुझसे अपने चूंची कि मालिश करवाने मे मज़ा आ रहा था। मेरा लण्ड अब खड़ा होने लगा था और लुंगी से बाहर निकल आया। मेरा 9″ का लण्ड पूरे जोश मे आ गया था।
माँ कि चूंची मसलते मसलते हुए मैं उनके बदन के बिलकुल पास आ गया था और मेरा लण्ड उनकी जांघो मे रगड़ मारने लगा था। अब उन्होने कहा बेटा तुम्हारा लण्ड तो लोहे के समान होगया है और इसका स्पर्श से लगता है कि काफ़ी लम्बा और मोटा होगा। क्या मैं हाथ लगा कर देखूं” उन्होने पूछा और मेरे जवाब देने से पहले अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख कर उसको टटोलने लगी।
अपनी मुठ्ठी मेरे लण्ड पर कस के बंद कर ली और बोली, “बाप रे, ये तो बहुत कड़क है।” वो मेरी तरफ़ घूमी और अपना हाथ मे्री लुंगी मे घुसा कर मेरे फ़ड़फ़ड़ाते हुए लण्ड को पकड़ लिया। लण्ड को कस कर पकड़े हुए वो अपना हाथ लण्ड के जड़ तक ले गयी जिससे सुपाड़ा बाहर आ गया।
सुपाड़े की साईज और आकार देख कर वो बहुत हैरान हो गयी। “बेटा कहां छुपा रखा था ऐसा तो मेंने अपनी जिन्दगी मैं नहीं देखा है उन्होने पूछा।
मैंने कहा, “यहीं तो था तुम्हारे सामने लेकिन तुमने ध्यान ही नही दिया। यदि आप ट्रैन मैं गहरी नींद में नहीं होती तो शायद आप देख लेती क्योंकि ट्रैन में रात को मेरा सुपाड़ा आप कि चूत तो रगड़ रहा था। माँ बोली “मुझे क्या पता था कि तुम्हारा इतना बड़ा लौड़ा होगा ” ये मैं सोच भी नही सकती थी।” मुझे उनकी बिन्दास बोली पर आश्चर्य हुआ जब उन्होने “लौड़ा” कहा और साथ ही मे बड़ा मज़ा अया। वो मेरे लण्ड को अपने हाथ मे लेकर खींच रही थी और कस कर दबा रही थी। फिर माँ ने अपना पेटीकोट अपनी कमर के उपर उठा लिया और मेरे तने हुए लण्ड को अपनी जांघो के बीच ले कर रगड़ने लगी। वो मेरी तरफ़ करवट ले कर लेट गयी ताकी मेरे लण्ड को ठीक तरह से पकड़ सके। उनकी चूंची मेरे मुंह के बिलकुल पास थी और मैं उन्हे कस कस कर दबा रहा था। अचानक उन्होने अपनी एक चूंची मेरे मुंह मे ठेलते हुए कहा, “चूसो इनको मुंह मे लेकर।”
मैंने बायीं चूंची अपने मुंह मे भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा। थोड़ी देर के लिये मैंने उनकी चूंची को मुंह से निकला और बोला, “मैं तुम्हारा ब्लाऊज़ मे कसी चूंची को देखता था और हैरान होता था। इनको छूने कि बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हें मुंह मे लेकर चूसू और इनका रस पी लू। पर डरता था पता नही तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज़ ना हो जाओ। तुम नही जानती कि तुमने मुझे और मेरे लण्ड को कल रात से कितना परेशान किया है”
“अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो; मैं तो आज पूरी कि पूरी तुम्हारी हूं जैसा चाहे वैसा ही करो” माँ ने कहा।
फिर क्या था, माँ कि हरि झंडी पकड़ मैं टूट पड़ा माँ की चूंची पर।
मेरी जीभ उनके कड़े निपल को महसूस कर रही थी। मैंने अपनी जीभ माँ के उठे हुए कड़े निपल पर घूमाया। मैंने दोनो चूंचियो को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हे चूस रहा था। मैं ऐसे कस कर चूंचियो को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूंगा। माँ भी पूरा साथ दे रही थी। उनके मुह से “ओह! ओह! अह! सि सि, की आवाज निकल रही थी। मुझसे पूरी तरफ़ से सटे हुए वो मेरे लण्ड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़ रही थी। उन्होने अपनी बायी टांग को मेरे दायी टांग के उपर चढा दिया और मेरे लण्ड को को अपनी जांघो के बीच रख लिया। मुझे उनकी जांघो के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ। एह उनकी झांटो से भरी हुयी चूत थी।
मेरा लण्ड का सुपाड़ा उनकी झांटो मे घूम रहा था। मेरा सब्र का बांध टूट रहा था। मैं माँ से बोला, “भाभी मुझे कुछ हो रहा और मैं अपने आपे मे नही हूं, प्लीज मुझे बताओ मैं क्या करूं”
माँ बोली, “तुमने कभी किसी को चोदा है आज तक”” मैंने बोला, “नही।” कितने दुख कि बात है। कोई भी औरत इसे देख कर कैसे मना कर सकती हमैं चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुए चूंची मसलता रहा। उन्होने अपना मुंह मेरे मुंह से बिलकुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोली, “अपनी दोस्त की माँ को चोदोगे””
“क्कक क्यों नही” मैं बड़ी मुश्किल से कह पाया। मेरा गला सूख रहा था। वो बड़े मादक अन्दाज़ मे मुसकुरा दी और मेरे लण्ड को आजाद करते हुए बोली, “ठीक है, लगता है अपने अनाड़ी बेटे को मुझे ही सब कुछ सिखाना पड़ेगा। चलो अपनी लुंगी निकल कर पूरे नंगे हो जाओ।” मैंने अपनी लुंगी खोल कर साईड में फेक दिया। मैं अपने तने हुए हुए लण्ड को लेकर नंगा मां के सामने खड़ा था।
माँ अपने रसीली होठों को अपने दान्तों मे दबा कर देखती रही और अपने पेटीकोट का नाड़ा खींच कर ढीला कर दिया। “तुम भी इसे उतार कर नंगी हो जाओ” कहते हुए मैंने उनका पेटीकोट को खींचा। माँ ने अपने चूतड़ उपर कर दिया जिससे कि पेटीकोट उनकी टांगो उतर कर अलग हो गया। अब वो पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने चित पड़ी हुयी थी। उन्होने अपनी टांगो को फ़ैला दिया और मुझे रेशमी झांटो के जंगल के बीच छुपी हुयी उनकी रसीली गुलाबी चूत का नजारा देखने को मिला।
नाईट लेम्प की हलकी रोशनी मे चमकते हुए नगे जिसम को देखकर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लण्ड मारे खुशी के झूमने लगा। माँ ने अब मुझसे अपने उपर चढने को कहा। मैं तुरंत उनके उपर लेट गया और उनकी चूंची को दबाते हुए उनके रसीले होंठ चूसने लगा। माँ ने भी मुझे कस कर अपने अलींगन मे कस कर जकड़ लिया और चुम्मा का जवाब देते हुए मेरे मुंह मे अपनी जीभ डाल दी । हाय! क्या स्वादिष्ट और रसीली जीभ थी। मैं भी उनकी जीभ को जोर शोर से चूसने लगा। हमारा चुम्मा पहले प्यार के साथ पूरे जोश के साथ किया था। कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपके रहे, फिर मैं अपने होंठ उनकी नाज़ुक गालों पर रगड़ रगड़ कर चूमने लगा।
फिर माँ ने मेरी पीठ पर से हाथ उपर ला कर मेरा सर पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ़ कर दिया। मैं अपने होंठ उनके होंठो से उनकी ठोड़ी पर लाया और कंधो को चूमता हुआ चूंची पर पहुचा। मैं एक बार फिर से उनकी चूंची को मसलता हुआ और खेलता हुआ काटने और चूसने लगा।
उन्होने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हमरी टांगे एक-दूसरे से दूर हो गयी। अपने दायी हाथ से वो मेरा लण्ड पकड़ कर उसे मुठ्ठी मे बांध कर सहलाने लगी और अपने बायी हाथ से मेरा दाहीना हाथ पकड़ कर अपनी टांगो के बीच ले गयी। जैसे ही मेरा हाथ उनकी चूत पर पहुचा उन्होने अपनी चूत के दाने को उपर से रगड़ दिया।
समझदार को इशारा काफ़ी था। मैं उनके चूंची को चूसता हुआ उनकी चूत को रगड़ने लगा।
“बेटा अपनी उनगली अन्दर डालो ना”” कहते हुए माँ ने मेरा उनगली अपनी चूत के मुंह पर दबा दिया। मैंने अपनी उनगली उनकी चूत के दरार मे घुसा दिया और वो पूरी तरह अन्दर चली गयी। जैसे जैसे मैंने उनकी चूत के अन्दर उनगली अन्दर बाहर कर रहा था मेरा मज़ा बढता गया।
जैसे ही मेरा उनगली उनके चूत के दाने से टकरायी उन्होने जोर से सिसकारी ले कर अपनी जांघो को कस कर बंद कर लिया और चूतड़ उठा उठा कर मेरे हाथ को चोदने लगी।
कुछ देर बाद उनकी चूत से पानी बह रहा था। थोड़ी देर तक ऐसे ही मज़ा लेने के बाद मैंने अपनी उनगली उनकी चूत से बाहर निकल लिया और सीधा हो कर उनके उपर लेट गया। उन्होने अपनी टांगे फ़ैला दी और मेरे फ़ड़फ़ड़ाते हुए लण्ड को पकड़ कर सुपाड़ा चूत के मुहाने पर रख लिया। उनकी झांटो का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था, फिर माँ ने कहा “अब अपना लौड़ा मेरी बुर मे घुसाओ, प्यार से घुसेड़ना नही तो मुझे दर्द होगा, अह्हह्हह!” मैं नौसिखिया था इसिलिये शुरु शुरु मे मुझे अपना लण्ड उनकी टाईट चूत मे घुसाने मे काफ़ी परेशानी हुयी। मैं जब जोर लगा कर लण्ड अन्दर डालना चहा तो उन्हे दर्द भी हुआ। लेकिन पहले से उनगली से चुदवा कर उनकी चूत काफ़ी गीली हो गये थी।
फिर माँ ने अपने हाथ से लण्ड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थी और रास्ता मिलते ही मेरा एक ही धक्के मे सुपाड़ा अन्दर चला गया। इस्से पहले कि माँ सम्भभले , मैंने दूसारा धक्का लगया और पूरा का पूरा लण्ड मक्खन जैसी चूत की जन्नत मे दखिल हो गया। माँ चिल्लायी, “उईई ईईईइ ईईइ माआआ उहुहुह्हह्हह ओह बेटा, ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नही, हाय! बड़ा जालिम है तुम्हारा लण्ड। मार ही डाला मुझे तुमने।” मैंने सोचा लगता है माँ को काफ़ी दर्द हो रहा है।
पहली बार जो इतना मोटा और लम्बा लण्ड उनके बुर मे घुसा था। मैं अपना लण्ड उनकी चूत मे घुसा कर चुपचाप पड़ा था। माँ कि चूत फ़ड़ फ़ड़ फड़क रही थी और अन्दर ही अन्दर मेरे लौड़े को मसल रही थी, पकड़ रही थी। उनकी उठी उठी चूंचियां काफ़ी तेजी से उपर नीचे हो रही थी। मैंने हाथ बढा कर दोनो चूंची को पकड़ लिया और मुंह मे लेकर चूसने लगा। थोड़ी देर बाद माँ को कुछ राहत मिली और उन्होने कमर हिलानी शुरु कर दी और मुझसे बोली, “बेटा शुरु करो, चोदो मुझे। ले लो मज़ा जवानी का मेरे रज्जज्जा,” और अपनी गाण्ड हिला हिला कर चुदाने लगी।
मैं थोड़ा अनाड़ी था। समझ नहीं पाया कि कैसे शुरु करु। पहले अपनी कमर उपर किया तो लण्ड चूत से बाहर आ गया। फिर जब नीचे किया तो ठीक निशाने पर नही बैठा और मां कि चूत को रगड़ता हुआ नीचे फिसल कर गाण्ड मे जाकर फंस गया। मैंने दो तीन धक्के लगाये पर लण्ड चूत मे वापस जाने बदले फिसल कर गाण्ड मे चला जाता।
माँ से रहा नही गया और तिलमिला कर ताना देती हुई बोली, ” अनाड़ी से चुदवना चूत का सत्यानाश करवाना होता है, अरे मेरे भोले दीन बेटे जरा ठीक से निशाना लगा कर अन्दर डालो नही तो चूत के उपर लौड़ा रगड़ रगड़ कर झड़ जाऊगी और फिर मेरी गाण्ड बिना बात ही चुद जायेगी।”
मैं बोला, ” अपने इस अनाड़ी बेटे को कुछ तो सिखाओ, जिंदगी भर तुम्हे अपना गुरु मांनूगा और जब चाहोगी मेरे लण्ड कि दक्षिणा दूंगा।”
मा लम्बी सांस लेते हुए बोली, “हां बेटे, मुझे ही कुछ करना होगा नही तो मैं बिना चुदे ही चुद जाऊगी और मेरा हाथ अपनी चूंची पर से हटाया और मेरे लण्ड पर रखती हुई बोली, “इसे पकड़ कर मेरी चूत के मुंह पर रखो और लगाओ धक्का जोर से।” मैंने वैसे ही किया और मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर चला गया। फिर वो बोली, “अब लण्ड को बाहर निकलो, लेकिन पूरा नही। सुपाड़ा अन्दर ही रहने देना और फिर दोबारा पूरा लण्ड अन्दर पेल देना, बस इसी तरह से पेलते रहो।” मैंने वैसे ही करना शुरु किया और मेरा लण्ड धीरे धीरे उनकी चूत मे अन्दर- बाहर होने लगा। फिर माँ ने स्पीड बढा कर करने को कहा। मैंने अपनी स्पीड बढा दी और तेज़ी से लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। माँ को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शोट का जवाब देने लगी। लेकिन ज्यादा स्पीड होने से बार बार मेरा लण्ड बाहर निकल जाता। इससे चुदायी का सिलसिला टूट जाता।
आखिर माँ से रहा नही गया और करवट ले कर मुझे अपने उपर से उतार दिया और मुझको चित लेटा कर मेरे उपर चढ गयी।
अपनी जांघो को फ़ैला कर बगल कर के अपने गद्देदार चूतड़ रखकर बैठ गयी। उनकी चूत मेरे लण्ड पर थी और हाथ मेरी कमर को पकड़े हुए थी और बोली, “मैं दिखाती हूं कि कैसे चोदते है,” और मेरे उपर लेट कर धक्का लगया। मेरा लण्ड घप से चूत के अन्दर दाखिल हो गया। माँ ने अपनी रसीली चूंची मेरी चूंचियों पर रगड़ते हुए अपने गुलाबी होंठ मेरे होंठ पर रख दिया और मेरे मुंह मे जीभ डाल दिया। फिर उन्होने मज़े से कमर हिला हिला कर शोट लगाना शुरु किया। बड़े कस कस कर जोर से शोट लगा रही थी। चूत मेरे लण्ड को अपने मे समाये हुए तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी।
मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत में पहुच गया हूं। अब पोजिशन उलटी हो गयी थी। माँ तो मानो मरद थी जो कि अपनी माशूका को कस कस कर चोद रहा था। जैसे जैसे माँ की मस्ती बढ रही थी उनके शोट भी तेज़ होते जा रहे थे।
अब वो मेरे उपर मेरे कंधो को पकड़ कर घुटने के बल बैठ गयी और जोर जोर से कमर चूतड़ों को हिला कर लण्ड को तेज़ी से अन्दर-बाहर लेने लगी। उनका सारा बदन हिल रहा था और सांसे तेज़ तेज़ चल रही थी। माँ कि चूंचियां तेजी से उपर नीचे हो रही थी। मुझसे रहा नही गया और हाथ बढा कर दोनो चूंची को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा।
मा एक सधे हुए खिलाड़ी की तरह कमान अपने हाथों मे लिये हुए कस कस कर चोद रही थी। जैसे जैसे वो झड़ने के करीब आ रही थी उनकी रफ़तार बढती ही जा रही थी। कमरे मे फच फच कि आवाज गूंज रही थी। जब उनकी सांस फ़ूल गयी तो खुद नीचे आकार मुझे अपने उपर खींच लिया और टांगो को फ़ैला कर उपर उठा लिया और बोली, “मैं थक गयी मेरे रज्जज्जा, अब तुम मोरचा सम्भालो।”
मैं झट उनकी जांघो के बीच बैठ गया और निशना लगा कर झटके से लण्ड को चूत के अन्दर डाल दिया और उनके उपर लेट कर दनादन शोट लगाने लगा। माँ ने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकड़ लिया और जोर जोर से चूतड़ उठा उठा कर चुदायी मे साथ देने लगी। मैं भी अब उतना अनाड़ी नही रहा और उनकी चूंची को मसलते हुए दनादन शोट लगा रहा था। पूरा कमरा हमारी चुदायी कि आवाज से गूंज उठा था।
माँ अपनी कमर हिला कर चूतड़ उठा उठा कर चुदा रही थी और बोली जा रही थी, “अह्हह आअहह्हह उनह्ह्ह ऊओह्ह्ह ऊऊहह्हह हाआआन हाआऐ मीईरे रज्जज्जजा, माआआअर गयये रीईए, लल्लल्लल्ला चूऊओद रे चूऊओद। उईईई मीईईरीईइ माआअ, फाआआअत गाआआयीई रीईई आआआज तो मेरी चूत। मीईएरा तो दम निक्कक्ककल दिया तूऊउने तूऊ आआज। ब्राआअ जाआअलीएम हाआऐरे तूऊमहाआआरा लौरा, मैं भी बोल रहा था, “लीईए मेरीईइ रनीई, लीई लीईए मेरा लौरा अपनीईइ चूत मीईए। ब्राआअ तययया है तुनीई मुझीई। लीईए लीई, लीई मेरीईइ राआआआनि यह लण्ड अब्बब्बब तेराआ हीई है। अह्हह्ह! उहह्हह्ह क्या जन्नत का मज़ाआअ सिखयाआअ तुनीईए।
मैं तो तेरा आज से गुलाम हूऊऊ गयाआ मां।” माँ गनद उचल उचल कर मेरा लण्ड अपने चूत मे ले रही थी और मैं भी पूरे जोश के साथ उनकी चूंचियां को मसल मसल कर अपने गहरे दोस्त कि माँ की गहरी चुदायी कर रहा था।
मा मुझको ललकार कर कहा, लगाओ शोट मेरे राजा”, और मैं जवाब देता,
“यह ले मेरी रानी, ले ले अपनी चूत मे”।
“जरा और जोर से सटकाओ अपना लण्ड मेरी चूत मे मेरे राजा”,
“यह ले मेरी रानी, यह लण्ड तो तेरे भोसड़े के लिये ही है।”
“देखो रज्जज्जा मेरी चूत तो तेरे लण्ड की दीवानी हो गयी है, और जोर से और जोर से आआईईए मेरे रज्जजा। मैं गयीईईईईए रीई,” कहते हुए माँ ने मुझको कस कर अपनी बाहो मे जकड़ लिया और उनकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा छोड़ दिया। अब तक मेरा भी लण्ड पानी छोड़ने वाला था और मैं बोला, “मैं भी आयाआआ मेरी जाआअन,” और मेंने भी अपना लण्ड का पानी छोड़ दिया और मैं हांफ़ते हुए उनकी चूंची पर सिर रख कर कस के चिपक कर लेट गया। यह मेरी पहली चुदायी थी। इसलिये मुझे काफ़ी थकान महसूस हो रही थी। मैं माँ के सीने पर सर रख कर सो गया। वो भी एक हाथ से मेरे सिर को धीरे धीरे से सहलाते हुए दूसारे हाथ से मेरी पीठ सहला रही थी।
कुछ देर बाद होश अया तो मैंने उनके रसीले होठो के चुम्बन लेकर उन्हे जगाया। माँ ने करवट लेकर मुझे अपने उपर से हटाया और मुझे अपनी बाहों मे कस कर कान मे फुस-फुसा कर बोली, “बेटा तुमने और तुम्हारे मोटे लम्बे लण्ड ने तो कमाल कर दिया, क्या गजब की ताकत है तुम्हारे मोटे लण्ड मे।”
मैंने उत्तर दिया, “कमाल तो अपने कर दिया है , आज तक तो मुझे मालूम ही नही था कि अपने लण्ड को कैसे काम में लिया जाता है। यह तो अपकि मेहरबानी है जो कि आज मेरे लण्ड को आपकी चूत कि सेवा करने का मौका मिला।”
अब तक मेरा लण्ड उनकी चूत के बाहर झांटो के जंगल मे रगड़ मार रहा था। माँ ने अपनी मुलायम हाथेलियों मे मेरा लण्ड को पकड़ कर सहलाना शुरु किया। उनकी उनगली मेरे आण्ड से खेल रही थी। उनकी नाजुक उनगलियों के स्पर्श की पकड़ से मेरा लण्ड भी जाग गया और एक अंगड़ायी लेकर माँ कि चूत पर ठोकर मारने लगा। माँ ने कस कर मेरा लण्ड को कैद कर लिया और बोली, “बहुत जान तुम्हारे लण्ड मे, देखो फिर से साला कैसा फ़ड़क रहा है अब मैं इसको नहीं छोड़ने वाली।”
हम दोनो अगल बगल लेटे हुए थे। माँ ने मुझको चित लेटा दिया, और मेरी टांग पर अपनी टांग चढा चढा कर लण्ड को हाथ से उमेठने लगी। साथ ही साथ अपनी गाण्ड हिलाते हुए अपनी झांट और चूत मेरी जांघ पर रगड़ने लगी। उनकी चूत पिछली चुदायी से अभी तक गीली थी और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाये हुए था। अब मुझसे रहा नही गया और करवट लेकर भाभी कि तरफ़ मुंह करके लेट गया। उनकी चूंची को मुंह मे दबा कर चूसते हुए अपनी उनगली चूत मे घुसा कर सहलाने लगा। उन्होने एक सिसकारी लेकर मुझसे कस कर चिपट गयी और जोर जोर से कमर हिलाते हुए मेरी उनगली से चुदवाने लगी। अपने हाथ से मेरे लण्ड को कस कर जोर जोर से मुठ मार रही थी।
मेरा लण्ड पूरे जोश मे आकार लोहे कि तरह सख्त हो गया था। अब माँ को हद से ज्यादा बेताबी बढ गयी थी और खुद ही चित हो कर मुझे अपने उपर खींच लिया। मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखती हुई बोली, “आओ मेरे राजा, दूसरा राऊण्ड हो जाये।”मैंने झट कमर उठा कर धक्का दिया और मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया।
माँ चिल्ला उठी और बोली, “जीओ मेरे राजा, क्या शोट मरा। अब मेरे सिखाये हुए तरीके से शोट पर शोट मारो और फ़ाड़ दो मेरी चूत को।” माँ का अदेश पा-कर मैं दूंने जोश मे आ गया और उनकी चूंची को पकड़ कर हमच हमच कर माँ कि चूत मे लण्ड पेलने लगा। उनगली कि चुदायी से उनकी कि चूत गीली हो गयी थी और मेरा लण्ड सटासट अन्दर-बाहर हो रहा था। वो भी नीचे से कमर उठा उठा कर हर शोट का जवाब मेरा पूरा लौड़ा लेकर जोश के साथ दे रही थी।
मा ने दोनो हाथों से मेरी कमर को पकड़ रखा था और जोर जोर से अपनी चूत मे लण्ड घुसवा रही थी। वो मुझे बस इतना उठाती थी कि बस लण्ड का सुपाड़ा अन्दर रहता और फिर जोर नीचे की लगा कर धप से लण्ड चूत मे घुसवा लेती थी। पूरे कमरे मे हमारी सांस और घपा-घप, फच-फच की आवाज गूंज रही थी। जब हम दोनो की ताल से ताल मिल गयी तब माँ ने अपने हाथ नीचे लकर मेरे चूतड़ को पकड़ लिया और कस कस कर दबोच कर चुदाई का मज़ा लेने लगी।
कुछ देर बाद माँ ने कहा, “आओ एक नया आसन सिखाती हूं,” और मुझे अपने उपर से हटा कर किनारे कर दिया। मेरा लण्ड “पक” कि आवाज साथ बाहर निकल आया। मैं चित लेटा हुआ था और मेरा लण्ड पूरे जोश के साथ सीधा खड़ा था। माँ उठ कर घुटनो और हथेलीयों पर मेरे बगल मे बैठ गयी।
मैं लण्ड को हाथ मे पकड़ कर उनकी हरकत देखता रहा। माँ ने मेरा लण्ड पर से हाथ हटा कर मुझे खींचते हुए कहा, “ऐसे पड़े पड़े क्या देख रहे हो, चलो अब उठ कर पीछे से मेरी चूत मे अपना लण्ड को घुसाओ।” मैं भी उठ कर उनके पीछे आकर घुटने के बल बैठ गया और लण्ड को हाथ से पकड़ कर उनकी चूत पर रगड़ने लगा। क्या मस्त गोल गोल गद्दे दार गाण्ड थी। माँ ने जांघ को फैला कर अपने चूतड़ उपर को उठा दिये जिससे कि उनकी रसीली चूत साफ़ नज़र आने लगी। उनका इशारा समझ कर मैंने लण्ड का सुपाड़ा उनकी चूत पर रख कर धक्का दिया और मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया।
मा ने एक सिसकारी भर कर अपनी गाण्ड पीछे कर के मेरी जांघ से चिपका दी। मैं भी माँ कि पीठ से चिपक कर लेट गया और बगल से हाथ डाल कर उनकी दोनो चुची को पकड़ कर मसलने लगा। वो भी मस्ती मे धीरे धीरे चूतड़ को आगे-पीछे करके मज़े लेने लगी। उनके मुलायम चूतड़ मेरी मस्ती को दोगुना कर रही थी। मेरा लण्ड उनकी रसीली चूत मे आराम से आगे-पीछे हो रहा था।
कुछ देर तक चुदै का मज़ा लेने के बाद माँ बोली, “चलो रज्जजा अब लण्ड आगे उठा कर शोट लगओ, अब रहा नही जाता।” मैं उठा कर सीधा हो गया और माँ के चूतड़ को दोनो हाथो से कस कर पकड़ कर चूत मे हमला शुरु कर दिया। जैसा कि माँ ने सिखाया था मैं पूरा लण्ड धीरे से बाहर निकाल कर जोर से अन्दर कर देता। शुरु मे तो मैंने धीरे धीरे किया लेकिन जोश बढ गया और धक्को कि रफ़्तार भी बढती गयी। धक्का लगाते समय मैं माँ के चूतड़ को कस के अपनी और खींच लेता ताकि शोट करारा पड़े। माँ भी उसी रफ़्तार से अपने चूतड़ को आगे-पीछे कर रही थी। हम दोनो कि सांसे तेज हो गयी थी। मां की मस्ती पूरे परवान पर थी। नंगे जिस्म जब आपस मे टकराते तो घप-घप कि आवाज आती।
काफ़ी देर तक मैं उन्ही की कमर पकड़ कर धक्का लगाता रहा। जब हालात बेकाबू होने लगी तब माँ को फिर से चित लेटा कर उन पर सवार हो गया और चुदायी का दौर चालू रखा। हम दोनो ही पसीने से लथपथ हो गये थे पर कोई भी रुकने का नाम नही ले रहा था। तभी माँ ने मुझे कस कर जकड़ लिया और अपनी टांगे मेरे चूतड़ पर रख दिया और कस कर जोर जोर से कमर हिलते हुए चिपक कर झड़ गयी। उनके झड़ने के बाद मैं भी मां कि चूंची को मसलते हुए झड़ गया और हांफ़ते हुए उनके उपर लेट गया। हम दोनो कि सांसे जोर जोर से चल रही थी और हम दोनो काफ़ी देर तक एक-दूसरे से चिपक कर पड़े रहे। कुछ देर बाद मां बोली, “क्यों बता कैसी लगी हमारी चूत कि चुदायी”
मैं बोला, “हाय मेरा मन करता है कि जिंदगी भर इसी तरह से तुम्हारी चूत मे लण्ड डाले पड़ा रहूं।” माँ बोली “जब तक तुम यहां हो, यह चूत तुम्हारी है, जैसे मरज़ी हो मज़े लो, अब थोड़ी देर आराम करते है।” “नही मा, कम से कम, एक बार और हो जाये।
देखो मेरा लण्ड अभी भी बेकरार है।” माँ ने मेरे लण्ड को पकड़ कर कहा, “यह तो ऐसे रहेगा ही, चूत कि खुशबू जो मिल गयी है। पर देखो रात के तीन बज गये है, अगर सुबह समय से नही उठे तो तुम्हारी बुआ जी को शक जायेगा। अभी तो सारा दिन सामने है और आगे के इतने दिन हमारे पास है। जी भर कर मस्ती लेना। मेरा कहा मानोगे तो रोज नया स्वाद चखाऊंगी।” माँ का कहां मान कर मैंने भी जिद छोड़ दी और माँ भी करवट ले कर लेट गयी और मुझे अपने से सटा लिया। मैंने भी उनकी गाण्ड कि दरार मे लण्ड फंसा कर चूंचियो को दोनो हाथो मे पकड़ लिया और माँ के कंधे को चूमता हुआ लेट गया।
नींद कब आयी इसका पता ही नही चला।
सुबह जब अलार्म बजा तो मैंने समय देखा, सुबह के सात बज रहे थी। माँ ने मुझे मुसकुरा कर देखा और एक गरमा-गरम चुम्बन मेरे होठो पर जड़ दिया। मैंने भी माँ को जकड़ कर उनके चुम्बन का जोरदार का जवाब दिया। फिर माँ उठ कर अपने रोज के काम काज मे लग गयी। वो बहुत खुश थी।
मैं उठ कर नहा धोकर फ़्रेश होकर आंगन मैं बैठ कर नाशता करने लगा। तभी बुआ जी आगयी। और बोली बेटा खेत चलोगे ” मैंने कहा क्यों नहीं और रात वाला उनका ककड़ी से चोदने का सीन मेरे आंखो के सामने नाचने लगा। इतने मे सुमन (दोस्त की बहन) बोली मैं भी तुम्हारे साथ खेत मैं चलुंगी। और हम तीनो खेत कि और चल पड़े। रास्ते मैं जब हम एक खेत के पास से गुजर रहे थे तो देखा कि उस खेत मैं ककड़ियां उगी हुयी थी।
मैंने ककड़ियों को दिखाते हुए बुआ जी से कहा “बुआ जी देखो इस खेत वाले ने तो ककड़ियां उगायी है। और ककड़ियों मैं काफ़ी गुण होते है” बुआ जी लम्बी सांस भरती हुयी बोली “हा बेटा ककड़ियों से काफ़ी फ़ायदा होता है और कई कामो में इसका उपयोग किया जाता है, जैसे सलाद में, सबजियो में, कच्ची ककड़ी खाने के लिये भी इसका उपलोग किया जता है”
मैं बोला “हा बुआ जी, इसे कई तरह से उपयोग में लाया जाता है” इस तरह कि बाते करते करते हम लोग अपने खेत में पहुच गये। वहां जाकर मैं मकान मैं गया और लुंगी और बनियान पहन कर वापस बुआ जी के पास आगया। बुआ जी खेत मैं काम कर रही थी और सुमन (दोस्त कि बहन) उनके काम मैं मदद कर रही थी। मैंने देखा बुआ जी ने साड़ी घुटनो के उपर कर रखी थी और सुमन स्कर्ट और ब्लाऊज़ पहने हुवे थी। मैं भी लुंगी ऊंची करके (मदरासी स्टाईल में) उनके साथ काम में मदद करने लगा। जब सुमन झुककर काम करती तो मुझे उसकी चड्डी दिखायी देती थी।
हम लोग करीब 1 या 1:30 घण्टे काम करते रहे फिर मैं बुआ जी से कहा बुआ जी मैं थोड़ा आराम करना चाहता हूं तो बुआ बोली ठीक है और मैं खेत के मकान में आकार आराम करने लगा। कुछ देर बाद कमरे मैं सुमन आयी और कहने लगी, दीन भैया आप वहां बैठ जाये क्यों कि कमरे मैं झाड़ू मारनी है। और मैं कमरे के एक कोने मैं बैठ गया। और वो कमरे मैं झाड़ू मारने लगी।
झाड़ू मारते समय जब सुमन झुकी तो फिर मुझे उसकी चड्डी दिखायी देने लगी। और उसकी चुदायी के ख्यालओ मे खो गया। थोड़ी देर बाद फिर वो बोली “भैया जरा पैर हटा लो झाड़ू देनी है।” मैं चौंक कर हकीकत की दुनियां मे वापस आ गया। देखा सुमन कमर पर हाथ रखी मेरे पास खड़ी है। मैं खड़ा हो गया और वो फिर झुक कर झाड़ू लगाने लगी। मुझे फिर उसकी चड्डी दिखायी देने लगी। आज से पहले मैंने उस पर ध्यान नही दिया था।। पर आज की बात ही कुछ और थी। रात माँ से चुदायी कि ट्रैनिंग पकड़ एक ही रात मे मेरा नज़रिया बदल गया था। अब मैं हर औरत को चुदायी की नज़रिये से देखना चाहता था। जब वो झाड़ू लगा रही थी तो मैं उसके सामने आकर खड़ा हो गया अब मुझे उसके ब्लाऊज़ से उसकी चूंची साफ़ दिखायी दे रही थी। मेरा लण्ड फन-फना गया। रात वाली माँ जैसी चूंची मेरे दिमाग के सामने घूमने लग
तभी सुमन कि नज़र मुझ पर पड़ी। मुझे एकटक घूरता देख पकड़ लिया। उसने एक दबी से मुसकान दी और अपना ब्लाऊज़ ठीक कर अपनी चूंचियों को ब्लाऊज़ के अन्दर छुपा लिया। अब वो मेरी तरफ़ पीठ कर के झाड़ू लगा रही थी। उसके चूतड़ तो और भी मस्त थे।
मैं मन ही मन सोचने लगा कि इसकी गाण्ड मे लण्ड घुसा कर चूंची को मसलते हुए चोदने मे कितना मज़ा आयेगा। बेखयाली मे मेरा हाथ मेरे तन्नाये हुए लण्ड पर पहुच गया और मैं लुंगी के उपर से ही सुपाड़े को मसलने लगा। तभी सुमन अपना काम पूरा कर के पल्टी और मेरे हरकत देख कर मुंह पर हाथ रख कर हंसती हुई बाहर चली गयी।
थोड़ी देर बाद बुआ जी और सुमन हाथ पैर धोकर आये और मुझे कहा कि चलो दीन बेटे खाना खालो। अब हम तीनो खाना खाने बैठ गये। बुआ जी मेरे सामने बैठी थी और सुमन मेरे बायी साईड की ओर बैठी थी। सुमन पालथी मारके बैठी थी और बुआ जी पैर पसारे बैठी थी।
खाना खाते समय मैंने कहा बुआ जी आज खाना तो जायेकेदार बना है। बुआ जी ने कहा मैंने तुम्हारे लिये खास बनाया है। तुम यहां जितने दिन रहोगे गावँ का खाना खा खा कर और मोटे हो जाओगे। मैं हंस पढा और कहा अगर ज्यादा मोटा हो जाऊंगा तो मुशकिल हो जायेगी। बुआ जी और सुमन हंस पड़ी। थोड़ी देर बाद बुआ जी ने कहा सुमन तुम खाना खा कर खेत मैं खाद डाल आना। मैं थोड़ा आराम करुंगी।
हम सब ने खाना खाया। सुमन बरतन धो कर खेत मैं खाद डालने लगी। मैं और बुआ जी चटाई बिछा कर आराम करने लगे। मुझे नींद नहीं आ रही थी। आज मैं बुआ जी या सुमन को चोदने का विचार बना रहा था। विचार करते करते कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला।
जब मेरी नींद खुली तो शाम के करीब 5 बज रहे थे। मैंने देखा कि मेरा मोटा लण्ड तन कर कड़क हो कर खड़ा था और लुंगी से बाहर निकल कर मुझे सलामी दे रहा था। इतने में बुआ जी कमरे मैं आयी। मैंने झट से आंखे बंद कर लिया।
थोड़ी देर बाद थोड़ी आंख खोल कर देखा कि बुआ जी कि नज़र मेरे खड़े हुवे मोटे लण्ड पर टिकी थी। हैरत भरी निगाहो से मेर लम्बे और मोटे लण्ड को देख रही थी। कुछ देर बाद उन्होने आवाज दे कर कहा “दीन बेटा उठ जाओ अब घर चलना है”
मैंने कहा ठीक है और उठकर बैठ गया मेरा लण्ड अब भी लुंगी से बाहर था। बुआ जी मेरी और देखाते हुवे बोली “दीन बेटा क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा था क्या ” मैंने मुशकिल से कहा नहीं तो बुआ जी, क्यों क्या हुवा। वो बोली नीचे तो देखो क्या दिख रहा है। जब मैंने नीचे देखा तो मेरा लण्ड लुंगी से निकला हुआ था। मैं शरम से लाल हो कर अपना लण्ड चड्डी मैं छूपा लिया। ऐसा करते समय बुआ जी हंस रही थी।
हम करीब 6:30 बजे घर पहुचे। रास्ते भर कोई भी बात चित नहीं हुयी। घर आकर मैंने कहा कि मैं बाज़ार होके आता हूं और फिर बाज़ार जाकर 1 विस्की की बोतल ले आया। जब घर पहुचा तो रात के 9 बज रहे थे। मुझे आया देख कर बुआ जी ने आवाज दी बेटा आकार खाना खालो। मैं बोला बुआ जी अभी भूख नहीं है थोड़ी देर बाद खा लूंगा। फिर मैंने पूछा माँ और सुमन कहां है (क्योंकि माँ और सुमन ना तो रसोइ घर में थे नहीं आगन में थे) बुआ जी ने कहा कि हमारे रिस्तेदार के यहां आज रात भर भजन और कीरतन है इसलिये भाभी और सुमर रिस्तेदार के यहां गये है और सुबह 5-6 बजे लोटेगे। मैंने कहा “ठीक है बुआ जी, अगर आप बुरा ना मनो तो क्या मैं थोड़ी विस्की पी सकता हूं ”
भाभी बोली “ठीक है तुम आंगन में बैठो मैं वही खाना लेकर आती हूं। मैं आंगन में बैठ कर विस्की पीने लगा। करीब आधे घण्टे बाद बुआ जी खाना लेकर आयी तब तक मैं 3-4 पेग पी चुका था और मुझे थोड़ा विस्की का नशा होने लगा था। बुआ जी और मैं खाना खाने के बाद, बुआ जी के कमरे में आ गये। मैंने पेण्ट और शर्ट निकल कर लुंगी और बनियान पहन ली। बुआ जी भी साड़ी खोल कर केवल नाईटी पहनी हुयी थी।
जब बुआ जी खड़ी होकर पानी लाने गयी तो मुझे उनके पारदर्शी नाईटी से उनका नक्शा दिखायी दिया। उन्होने नाईटी के अन्दर ना तो ब्लाऊज़ पहना था ना हीं पेटीकोट पहना था इसलिये लाईट की रोशनी के कारण उनका जिस्म नाईटी से झलक रहा था। जब वो पानी लेकर वापस आयी। हम बैठ कर बाते करने लगे।
बुआ जी: दीन, क्या तुम शहर में कसरत करते हो ”
दीन: हा बुआ जी रोज सुबह उठकर कसरत करता हूं।
बुआ जी: इसलिये तुम्हारा एक एक अंग काफ़ी तगड़ा और तंदरुस्त है। क्या तुम अपने बदन पर तेल लगा कर मालिश करते हो खास तोर पर शरीर के निचले हिस्से पर ”
दीन: मैं हर रोज़ अपने बदन पर सरसो का तेल लगा कर खूब मालिश करता हूं।
बुआ जी: हा आज मैंने तुम्हारा शरीर के अलावा अन्दर का अंग भी दोपहर को देखा था वाकई काफ़ी मोटा लम्बा और तन्दरुस्त है। हर मरदोन का इस तरह का नहीं होता है।
बुआ जी कि बात सुन कर मैं शर्म के मारे लाल हो गया। पूरे मकान मैं हम दोनो अकेले थे। और इस तरह की बाते करते थे।
मैंने भी बुआ जी से कहा। बुआ जी आप भी बहुत सुन्दर हो और आपका बदन भी सुडौल है।
बुआ जी: दीन मुझे ताड़ के झाड़ पर मत चढाओ। तुमने तोह अभी मेरा बदन पूरा तरह देखा ही कहां है। मैंने बोला आप ने तो मुझे दिखाया ही नहीं और मेरे शरीर के निचले हिस्से का दरशन भी कर लिया। इतना सुनते ही वो झट बोली। मुझे कहां अच्छी तरह से तुम्हारा नीचे का दरशन हुवा। चलो एक शरत पर तुम्हे मेरे अन्दरूनी भाग दिखा दूंगी अगर तुम मुझे अपना नीचे का मस्त दिखाओगे तो ”
मैंने झट से लुंगी से लण्ड निकल कर उन्हे दिखा दिया। बुआ जी भी अपने वादे के अनुसार नाईटी उपर कर के अपनी चूत दिखा दी और मुसकराती बोली राजा बेटा खुश हो अब। हाय बड़ी जालीम चूत थी। चूत देखते ही मेरा लण्ड तन कर फड़फड़ाने लगा। कुछ देर तक मेरे लण्ड कि और देखने के बाद बुआ जी मेरे पास आयी और झट से मेरी लुंगी खोल दी। फिर खड़े होकर अपनी नाईटी भी उतार दी और नंगी हो गयी। फिर मुझे कुर्सी से उठ कर पलंग पर बैठने को कहा।
जब मैं पलंग पर बैठ कर बुआ जी कि मस्त रसिली चूंची को देख रहा था तो मरे मस्ती के मेरा लण्ड चूत की और मुंह उठाये उनकी चूत को सलामी दे रहा था। बुआ जी मेरी जांघो के बीच बैठ कर दोनो हाथो से मेरे लौड़े को सहलाने लगी। कुछ देर सहलाने के बाद अचानक बुआ ने अपना सर नीचे झुका लिया और अपने रसीले होठो से मेरे सुपाड़े को चूम कर उसको मुंह मे भर लिया। मैं एकदम चौंक गया। मैंने सपने मे भी नही सोचा था कि ऐसा होगा।
“बुआ जी एह क्या कर रही हो। मेरा लण्ड तुमने मुंह मे क्यों ले लिया है।”
“चूसने के लिये और किस लिये” तुम आराम से बैठे रहो और बस लण्ड चूसायी का मज़ा लो। एक बार चूसवा लोगे फिर बार-बार चूसने को कहोगे।” बुआ जी मेरे लण्ड को लोल्लीपोप कि तरह मुंह ले लेकर चूसने लगी। मैं बता नही सकता हूं कि लण्ड चूसवाने मे मुझे कितना मज़ा आ रहा था। बुआ जी के रसीले होंठ मेरे लण्ड को रगड़ रहे थे। फिर बुआ जी ने अपना होंठ गोल कर के मेरा पूरा लण्ड अपने मुंह मे ले लिया और मेरे आण्ड को हाथेली से सहलाते हुए सिर उपर नीचे करना शुरु कर दिया मानो वो मुंह से ही मेरा लण्ड को चोद रही हो।
धीरे-धीरे मैंने भी अपनी कमर हिला कर बुआ जी के मुंह को चोदना शुरु कर दिया। मैं तो मानो सातवे आसमान पर था। बेताबी तो सुबह से ही हो रही थी। थोड़ी ही देर मे लगा कि मेरा लण्ड अब पानी छोड़ देगा। मैं किसी तरह अपने उपर काबू कर के बोला, “भुवाजीईईई मेरा पानी छूटने वाला है।”
बुआ जी ने मेरे बातों का कुछ ध्यान नही दिया बल्कि अपने हाथों से मेरे चूतड़ को जकड़ कर और तेज़ी से सिर उपर-नीचे करना शुरु कर दिया। मैं भी उनके सिर को कस कर पकड़ कर और तेज़ी से लण्ड उनके मुंह मे पेलने लगा। कुछ ही देर बाद मेरे लण्ड ने पानी छोड़र दिया और बुआ जी ने गटगट करके पूरे पानी को पी गयी।
सुबह से काबू मे रखा हुआ मेरा पानी इतना तेज़ी से निकला कि उनके मुंह से बाहर निकल कर उनके ठोड़ी पर फैल गया। कुछ बूंदे तो टपक कर उनकी चूंची पर भी जा गिरी। झड़ने के बाद मेंने अपना लण्ड निकाल कर बुआ जी के गालों पर रगड़ दिया। क्या खुबसुरत नजारा था। मेरा वीर्य बुआ जी के मुंह गाल होंठ और रसीले चूंची पर चमक रहा था।
बुआ जी ने अपनी गुलाबी जीभ अपने होंठो पर फिरा कर वहां लगा वीर्य चाटा और फिर अपनी हथेली से अपनी चूंची को मसलते हुए पूछा, “क्यों दीन बेटा मज़ा आया लण्ड चुसवाने मे”
मैं बोला “बहुत मज़ा आया बुआ जी, तुमने तो एक दूसरी जन्नत कि सैर करवा दिया मेरी जान। आज तो मैं तुम्हारा सात जन्मों के लिये गुलाम हो गया। कहो क्या हुक्म है।” बुआ जी बोली”हुक्म क्या, बस अब तुम्हारी बारी है।”मैं कहा “क्या मतलब, मैं कुछ समझा नही”
बुआ जी बोली “मतलब यह कि अब तुम मेरी चूत चाटो।” यह कह कर बुआ जी खड़ी हो गयी और अपनी चूत मेरे चेहरे के पास ले आई। मेरे होंठ उनकी चूत के होंठो को छूने लगी। बुआ जी ने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी कमर आगे कि और अपनी चूत मेरे नाक पर रगड़ने लगी। मैंने भी उनकी चूतड़ को दोनो हाथों से पकड़ लिया और उनकी गाण्ड सहलते हुए उनकी रसीली चूत को चूमने लगा।
बुआ जी कि चूत कि प्यारी-प्यारी खुशबू मेरे दिमाग मे छाने लगी। मैं दीवानों कि तरह उनकी चूत और उसके चारों तरफ़ के इलाके को चूमने लगा। बीच-बीच मे मैं अपनी जीभ निकल कर उनकी रानो को भी चाट ले्ता। बुआ जी मस्ती से भर कर सिसकारी लेते हुए अपनी चूत को फ़ैलाते हुये बोली, “हाय राजा अह्हह्हह! जीभ से चाटो ना। अब और मत तड़पाओ राजा। मेरी बुर को चाटो। डाल दो अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर। अन्दर डाल कर जीभ से चोदो।”
अब तक उनकी नशीली चूत कि खुशबू ने मुझे बुरी तरह से पागल बना दिया था। मैंने उनकी चूत पर से मुंह उठाये बिना उन्हे खींच कर पलंग पर बैठा दिया और उनकी जांघो को फैला कर अपने दोनो कंधो पर रख लिया और फिर आगे बढ कर उनकी चूत के होंठो को अपनी जीभ से चाटना शुरु कर दिया।
बुआ जी मस्ती से बड़बड़ाने लगी और अपनी चूतड़ को और आगे खिसका कर अपनी चूत को मेरे मुंह से बिलकुल सटा दिया। अब बुआ जी के चूतड़ पलंग से बाहर हवा मे झूल रही थी और उनकी मखमली जांघो का पूरा दबाव मेरे कंधो पर था। मैंने अपनी जीभ पूरी कि पूरी उनकी चूत मे डाल दिया और चूत कि अन्दरुनी दीवालों को जीभ से सहलाने लगा। बुआ जी मस्ती से तिलमिला उठी और अपने चूतड़ उठा उठा कर अपनी चूत मेरी जीभ पर दबाने लगी।
“हाय! राजा, क्या मज़ा आ रहा है।
अब अपनी जीभ को अन्दर-बाहर करो नाआअ! चोदो राजाआअ चोदऊओ! अपनी जीभ से चोदो मुझे। हाय राजा तुम ही तो मेरे असली सै्यां हो। पहले क्यों नही मिले, अब सारी कसर निकालूंगी। हाय राजा चोदो मेरी चूत को अपनी जीभ से।”
मुझे भी पूरा जोश आ गया और बुआ जी कि चूत मे जल्दी जल्दी जीभ अन्दर-बाहर करते हुए उसे चोदने लगा। बुआ जी अभी भी जोर-जोर से कमर उठा कर मेरे मुंह को चोद रही थी। मुझे भी इस चुदायी का मज़ा आने लगा। मैंने अपनी जीभ कड़ी कर के सिर आगे पीछे कर के बुआ जी कि चूत को चोदने लगा।
उनका मज़ा दोगुना हो गया। अपने चूतड़ को जोर-जोर से उठती हुए बोली, “और जोर से बेटा और जोर से, हाय मेरे प्यारे राजा आज से मैं तेरी रण्डी बुआ हो गयी। जिंदगी भर के लिये चुदाऊंगी तुझसे। अह्हह! उईई माआ!” वो अब झड़ने वाली थी। वो जोर जोर से चिल्लते हुए अपनी चूत मेरे पूरे चेहरे पर रगड़ रही थी।
मैं भी पूरी तेज़ी से जीभ लप-लपा कर उनकी चूत पूरी तरह से चाट रहा था। और बीच बीच मैं अपनी जीभ को उनकी चूत मे पूरी तरह अन्दर डाल कर अन्दर बाहर करने लगा। जब मेरी जीभ बुआ जी कि भागनाशा से टकरायी तो बुआ जी का बांध टूट गया और मेरे चेहेरे को अपनी जांघो मे जाकर कर उन्होने अपनी चूत को मेरे मुंह से चिपका दिया। कुछ देर बाद उनका पानी बहने लगा और मैं उनकी चूत कि दोनो फ़ांको को अपनी मुंह मे दबा कर उनका अमृत-रस पीने लगा। मेरा लण्ड फिर से लोहे कि रोड की तरह सख्त हो गया था। मैं उठ कर खड़ा हो गया और अपने लण्ड को हाथ से सहलाते हुए बुआ जी को पलंग पर सीधा लेटा कर उनके उपर चढने लगा।
उन्होने मुझे रोकते हुए कहा, “ऐसे नही मेरे राजा, चूत का मज़ा तुम चूस चूस के ले चुके हो आज मैं तुम्हे दूसरे छेद का मज़ा दूंगी।
मैंने कहा बुआ जी मेरी समझ मे कुछ नही आया।
बुआ जी बोली, “आज तुम अपने मोटे तगड़े लम्बे लौड़े को मेरी गाण्ड मे डालो,” और उठ कर बैठ गयी। मेरे हाथ को हटा कर अपने दोनो हाथो से मेरा लण्ड पकड़ लिया और सहलाते हुए अपनी दोनो चूंचियो के बीच दबा-दबा कर लण्ड के सुपाड़े को चूमने लगी। उनकी चूंची कि गरमाहट पकड़ मेरा लौड़ा और भी जोश मे आकार जकड़ गया। मैं हैरान था। इतनी छोटी सी गाण्ड के छेद मे मेरा लण्ड कैसे जायेगा।
मैं बोला, “बुआ जी इतना मोटा लण्ड तुम्हारी गाण्ड मे कैसे जायेगा “”
बुआ बोली, “हां मेरे राजा, गाण्ड मे ही जायेगा, पीछे से चोदना इतना आसान नही है। तुम्हे पूरा जोर लगना होगा।” इतना कह कर बुआ जी ढेर सारा थूक मेरे लण्ड पर लगा दिया और पूरे लण्ड की मालिश करने लगी। “पर बुआ जी गाण्ड मे लण्ड घुसने के लिये ज्यादा जोर क्यों लगना पड़ेगा”” बुआ बोली वो इसलिये राजा कि जब औरत गरम होती है तो उसकी चूत पानी छोड़ती है, जिससे लौड़ा आने-जाने मे आसानी होती है। पर गाण्ड तो पानी नही छोड़ती इसीलिये घर्षण ज्यादा होता है और लण्ड को ज्यादा ताकत लगनी पड़ती है। गाण्ड मारने वाले को भी बहुत तकलीफ़ होती है। पर राजा मज़ा बहुत है मरवाने वाले को भी और मारने वाले को भी बहुत मजा आता है। इसीलिये गाण्ड मारने के पहले पूरी तैयारी करनी पड़ती है।”
मैंने कहा “क्या तैयारी करनी पड़ती है””
बुआ जी मुसकुरा कर पलंग से उतरी और अपने चूतड़ को लहराते हुए ड्रेसिन्ग टेबल से वेसलीन की शीशी उठा लायी।
ढक्कन खोल कर ढेर सारा वेसलीन अपने हाथों मे ले ली और मेरे लौड़े कि मालिश करने लगी। अब मेरा लौड़ा रोशनी मे चमकने लगा। फिर मुझे ड्ब्बी दे दी और बोली, “अब मैं झुकती हूं और तुम मेरे गाण्ड मे ठीक से वेसलीन लगा दो। और वो पलंग पर पेट के बल लेट गयी और अपने घुटनो के बल होकर अपने चूतड़ हवा मे उठा दिया। देखने लायक नजारा था।
भाभी के गोल मटोल चूतड़ मेरी आंखो के सामने लहरा रहे थी। मुझसे रहा नही गया और झुक कर चूतड़ को मुंह मे भर कर कस कर काट लिया। बुआ जी कि चीख निकल गयी। फिर मैंने ढेर सारा वेसलीन लेकर उनकी गाण्ड कि दरार मे लगा दिया। बुआ बोली, “आरी मेरे भोले सैयां, उपर से लगाने से नही होगा। उनगली से लेकर अन्दर भी लगाओ और अपनी उनगली पेल पेल कर पहले गाण्ड के छेद को ढीला करो।” मैंने अपनी बीच वाली उनगली पर वेसलीन लगा कर उनकी गाण्ड मे घुसाने कि कोशिश की। पहली बार जब नही घुसी तो दूसारे हाथ से छेद फैला कर दोब्रा कोशिश कि तो मेरा उनगली थोरी सी उनगली घुस गयी। मैंने थोड़ाबाहर निकल कर फिर झतका दे कर डाला तो घपक से पूरी उनगली धंस गयी। बुआ जी ने एकदम से अपने चूतड़ सिकोड़ लिया जिससे कि उनगली फिर बाहर निकल गयी।
बुआ बोली “इसी तरह उनगली अन्दर-बाहर करते रहो कुछ देर तक। मैं उनके कहे मुतबिक उनगली जल्दी से अन्दर-बाहर करने लगा। मुझे इसमे बड़ा मज़ा आ रहा था। वो भी कमर हिला-हिला कर मज़ा ले रही थी। कुछ देर बाद बुआ जी बोली, “चलो राजा आ जओ मोरचे पर और मारो गाण्ड अपनी बुआ की।” मैं उठ कर घुटने के बल बैठ गया और लण्ड को पकड़ कर बुआ कि गाण्ड के छेद पर रख दिया। बुआ जी ने थोड़ा पीछे होकर लण्ड को निशाने पर रखा। फिर मैंने उनकी चूतड़ को दोनो हाथो से पकड़ कर धक्का लगाया। बुआ जी कि गाण्ड का छेद बहुत टाईट था। मैं बोला, “बुआ जी मेरा लण्ड आप कि गाण्ड में नही घुस रहा है।” बुआ जी ने तब अपने दोनो हाथो अपने चूतड़ को खींच कर गाण्ड कि छेद को फ़ैला दिया और दोबारा जोर लगने को कहा। इस बार मैंने थोड़ा और जोर लगाया और मेरा सुपाड़ा उनकी गाण्ड कि छेद मे चला गया। बुआ जी की कसी गाण्ड ने मेरे सुपाड़े को जकड़ लिया। मुझे बड़ा मज़ा आया। मैंने दोबारा धक्का दिया तो उनकी गाण्ड को चीरता हुआ मेरा आधा लण्ड बुआ जी कि गाण्ड मे दाखिल हो गया।
बुआ जी जोर से चीख उठी, “उईइ मा, दुखता है मेरे राजा।”
पर मैंने उनकी चीख पर कोई ध्यान नही दिया और लण्ड थोड़ा पीछे खींच कर जोरदार शॉट लगाया। मेरा 9″ का लौड़ा उनकी गाण्ड को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर दाखिल हो गया। बुआ जी फिर चीख उठी। वो बार बार अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे लण्ड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी। मैंने आगे को झुक कर उनकी चूंची को पकड़ लिया और उन्हे सहलाने लगा। लण्ड अभी भी पूरा का पूरा उनकी गाण्ड के अन्दर था। कुछ देर बाद बुआ जी कि गाण्ड मे लण्ड डाले डाले उनकी चूंची को सहलाता रहा।
जब बुआ जी कुछ नोरमल हुए तो अपने चूतड़ हिला कर बोली, “चलो राजा अब ठीक है।” उनका सिगनल पा कर मैंने दोबारा सीधे होकर उनकी चूतड़ पकड़ कर धीरे-धीरे कमर हिला कर लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरु कर दिया। बुआ जी कि गाण्ड बहुत ही टाईट थी। इसे चोदने मे बड़ा मज़ा आ रहा था।
अब बुआ भी अपना दर्द भूल कर सिसकारी भरते हुए मज़ा लेने लगी। उन्होने अपनी एक उनगली अपनी चूत मे डाल कर कमर हिलाना शुरु कर दिया। बुआ जी कि मस्ती देख कर मैं भी जोश मे अ गया और धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार बढा दी। मेरा लण्ड अब पूरी तेज़ी से उनकी गाण्ड मे अन्दर-बाहर हो रहा था। बुआ जी भी पूरी तेज़ी से कमर आगे पीछे करके मेरे लण्ड का मज़ा ले रही थी। लण्ड ऐसे अन्दर-बाहर हो रहा था मानो ईंजिन का पिस्टन। पूरी कमरे मे चुदायी का थप थप कि आवाज गूंज रही थी। जब बुआ जी के थिरकते हुए चूतड़ से मेरी जांघे टकराती थी तो लगता कोई तबलची टेबल पर थाप दे रहा हो। बुआ जी पूरी जोश मे पूरी तेज़ी से चूत मे उनगली अन्दर-बाहर करती हुई सिसकारी भर रही थी। हम दोनो ही पसीने पसीने हो गयी थे पर कोई भी रुकने का नाम नही ले रहा था।
बुआ मुझे बार बार लल्कार रही थी, “चोद लो मेरे राजा चोद लो अपनी बुआ की गाण्ड। आज फ़ाड़ डालो इसे। शाबाश मेरे शेर, और जोर से रज्जजा और जोर से। फ़ाड़ डाली तुमने मेरी तो।”
मैं भी हमच हमच कर शॉट लगा रहा था। पूरा का पूरा लण्ड बाहर खींच कर झटके से अन्दर डालता तो उनकी चीख निकल जाती। मेरा लावा अब निकलने वाला था। उधर बुआ भी उनगली से चूत को चोद चोद कर अपनी मंज़िल के पास थी। तभी मैंने एक झटके से लण्ड निकला और उनकी चूत मे जड़ तक ठांस दिया। बुआ जी इसके लिये तैयार नही थी, इसीलिये उनकी उनगली भी चूत मे ही रहा गयी थी जिससे उनकी चूत टाईट लग रहा था। मैं बुआ जी के बदन को पूरी तरह अपनी बाहों मे समेट कर दनादन शॉट लगाने लगा। वो भी सम्भल कर जोर जोर से अह्हह उह्हह्ह करती हुई चूतड़ आगे-पीछे करके अपनी चूत मे मेरा लण्ड लेने लगी। हम दोनो कि सांस फ़ूल रही थी।
आखिर मेरा ज्वालामुखी फ़ूट पड़ा और मैं भाभी की पीठ से चिपक कर बुआ कि चूत मे झड़ गया। उनकी भी चूत झड़ने को थी और बुआ जी भी चीखती हुई झड़ गयी। हम दोनो उसी तरह से चिपके हुए पलंग पर लेट गये और थकान कि वजह से सो गये।
उस रात मैंने भाभी कि चूत कम से कम चार बार और चोदा।
सुबह करीब 10 बजे सुमन (दोस्त कि बहन) ने मुझे उठा कर चाय दी और कहा दीन भैया फ़्रेश हो कर नहा धो लो मैं नाश्ता बनाती हूं। घर में केवल उसे देख कर कहा माँ और बुआ जी कहां गये ” वो बोली वे तो कब के खेत चले गये है। यहां आवाज होगी इसलिये माँ रात की नीद खेत में ही पूरी करेगी और वे लोग शाम से पहले लोटने वाले नहीं है। और मैं फ़्रेश होकर नहा धो कर नाश्ता करने लगा। सुमन अपने काम में लग गयी। मैं कमरे में आकार किताब पढने लगा। मुझे कही बाहर जाना नहीं था इसलिये मैं केवल तौलिया और बनियान में था।
करीब एक घण्टे बाद सुमन अपना काम निबटा कर कमरे में बिस्तर ठीक कर आयी और मुझसे बोली भैया आप उधर कुरसी पर बैठ जाओ मुझे बिस्तर ठीक करना है। मैं उठ कर कुरसी पर बैठ गया वो बिस्तर ठीक करने लगी।
चादर पर पड़े मेरे लण्ड और बुआ जी कि चूत के पानी के धब्बे रात की कहानी सुना रहे थे। सुमन झुक कर निशान वाली जगह को सूंघ रही थी। मेरी तो उपर की सांस उपर और नीचे की सांस नीचे रह गयी। थोड़ी देर बाद सुमन उठ गयी और मेरी तरफ़ देखती हुइ अदा से मुसकुरा दी।
फिर इठलाते हुए मेरे पास आई और आंख मार कर बोली, “लगता है रात बुआ जी के साथ जम कर खेल खेला है।” मैं हिम्मत कर के बोला, “क्या मतलब”” वो मुझसे सटती हुइ बोली, “इतने भोले मत बनो। जान बूझकर अनजान बन रहे हो। क्या मैं अच्छी नहीं लगती तुम्हे”
मैंने कुछ नहीं कहा और केवल मुसकरा दिया और मैंने गौर से देखा उसको। मस्त लौण्डिया थी। सांवली से रंग, छरहरा बदन। उठी हुई मस्त चूंचियां। उसने अपना पल्लू सामने से लेकर कमर मे दबाया हुआ था, जिससे उसकी चूंची और उभर कर सामने आ गयी थी। वो बात करते करते मुझसे एक दम सट गयी और उसकी तनी तनी चूंची मेरी नंगी बाहों से छूने लगी।
यह सब देख कर मेरा लण्ड जोश मे फ़ड़फ़ड़ा उठा। मैंने सोचा कि इसे ज्यादा अच्छा मौका फिर नही मिलने वाला। साली खुद ही तो मेरे पास चुदवाने आई हुई है। मैंने हिम्मत कर के उसे कमर से पकड़ लिया और अपनी पास खींच कर अपने से चिपका लिया और बोला, “चल सुमन थोड़ा सा खेल तेरे साथ भी हो जाये, वो एकदम से घबरा गयी और अपने को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करने लगी। पर मैं उसे कस कर पकड़े हुए चूमने कि कोशिश करने लगा। वो मुझ से दूर हटने कि कोशिश करती जा रही थी पर वो बेबस थी। पर साथ में चिपकी भी जा रही थी। इसी दौरान मेरा तौलिया खुल गया और मेरा 9″ का फ़नफ़नता हुआ लौड़ा आजाद हो गया। मैंने कहा देखो मजे लेना है तो चलो बिस्तर पर और उसे अपने बाहों में उठा कर बिस्तर पर लेटा कर अपना लण्ड उसकी गाण्ड मे दबाते हुए मैंने अपनी एक टांग उसकी टांग पर चढा दिया और उसे दबोच लिया।
दोनो हाथो से चूंचियों को पकड़ कर मसलते हुए बोला, “नखरे क्यों दिखाती है” खुदा ने हुस्न दिया है क्या मार ही डालोगी, आरे हमे नही दोगी तो क्या आचार डालोगी, चल आजा और प्यार से अपनी मस्त जवानी का मज़ा लेते है।” कहते हुए उसके ब्लाऊज़ को खींच कर खोल दिया। फिर एक हाथ को नीचे ले जाकर उसके पेटीकोट के अन्दर घुसा दिया और उसकी चिकनी चिकनी जांघो को सहलाने लगा। धीरे धीरे हाथ उसकी चूत पर ले गया।
पर वो तो दोनो जांघो को कस कर दबाये हुए थी और साथ मे मस्ती से हाय हाय भी कर रही थी। मैं उसकी चूत को उपर से कस कस कर मसलने लगा और उनगली को किसी तरह चूत के अन्दर डाल दिया। उनगली अन्दर होते ही वो कस कर छटपटाते हुये और बाहर निकलने के लिये कमर हिलाने लगी। उससे उसकी चूत चुदने जैसी होने लगी। इससे उसका पेटीकोट उपर उठ गया।
मैंने कमर पीछे कर के अपने लण्ड को नंगे चूतड़ की दरार मे लगा दिया। क्या फ़ूले फ़ूले जवान चिकने चूतड़ थे। अपना दूसरा हाथ भी उसकी चूंची पर से हटा कर उसके चूतड़ को पकड़ लिया और अपना लण्ड से उसकी गाण्ड की दरार मे रख कर उसकी चूत को मैंने उनगली से चोदते हुए गाण्ड कि दरार मे लण्ड थोड़ा थोड़ा धंसा दिया था।
कुछ ही देर मे वो ढीली पड़ गयी और जांघो को ढीला कर के कमर हिला हिला कर आगे और पीछे कर के चुदायी का मज़ा लेने लगी। “क्यों रानी मज़ा आ रहा है”” मैंने धक्का लगते हुए पूछा।
“हां भैया, बहुत ही मज़ा आ रहा है।” उसने जांघे फ़ैला दी जिससे कि मेरी उनगली आसानी से अन्दर-बाहर होने लगी। उसके मुंह से मस्ती भरी उई उई निकलने लगा। फिर उसने अपना हाथ पीछे करके मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उसकी मोटाई को नाप कर बोली, “हाय जी इतना मोटा लण्ड। चलो मुझे सीधा होने दो, फिर चोद देना” कहते हुए वो चित लेट गयी।
अब हम दोनो अगल बगल लेटे हुए थे। मैंने अपनी टांग उसकी टांग पर चढा लिया और लण्ड को उसकी जांघ पर रगड़ते हुए चूंचियो को चूसने लगा। पत्थर जैसा सख्त थी उसकी चूंची। एक हाथ से उसकी चूंची मसल रहा था और दूसरे हाथ की उनगली से उसकी चूत को चोद रहा था। वो भी लगातर मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी जांघो पर घिस रही थी। जब हम दोनो पूरी जोश मे आ गये तब सुमन बोली, “अब मत तड़पाओ भैया, चोद ही डालो ना मुझे अब।” मैंने झटपट उसकी साड़ी और पेटीकोट को कमर से उपर उठा कर उसकी चूत को पूरा नंगा कर दिया।
वो बोली, “पहले मेरे सारे कपड़े तो उतारो तो ही तो चुदेगी मेरी चूत” मैं बोला, “नही तुझे अध नंगी देख कर जोश और डबल हो गया है, इसीलिये पहेली चुदायी तो कपड़ों के साथ ही होगी।” फिर मैंने उसकी टांगे अपनी कंधो पर रखी और उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के मुंह पर रख लिया और बोली, “आईईईई , शुरु हो जाओ ना भैया।”
मैंने कमर आगे कर के जोर दार धक्का दिया और मेरा आधा लण्ड दनदनता हुआ उसकी चूत मे धंस गया।
वो चिल्ला उठी। “आहिस्ते भैया आहिस्ते, अब दर्द हो रहा है और उसने अपनी चूत को सीकोड़ ली जिस से मेरा लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल आया। मैंने उसकी सख्त चूंची को पकड़ कर मसलते हुए फ़िर अपना लण्ड उसकी चूत पर रख कर एक और शॉट लगाया तो मेरा सुपाड़ा उसकी चूत मैं घुस गया कुछ देर तक मैंने कुछ हरकत नहीं कि और उसके होठों को अपने होठो में लेकर चूसने लगा। उसकी आंखो से अब भी आंसू निकल रहे थे। थोड़ी देर बाद वो थोड़ा शान्त हुयी और अब मैंने दूसरा शॉट लगाया तो मेरा बचा हुआ लौड़ा भी जड़ तक उसकी चूत मे धंस गया।
मरे दर्द के उसकी चीख निकल गयी और बोली, “बड़ा जालिम है तुम्हारा लौड़ा। किसी कुंवारी छोकरी को इस तरह से चोदोगे तो वो मर जायेगी। सम्भल कर चोदना।” मैं उसकी चूंचियों को पकड़ कर मसलते हुए धीरे-धीरे लण्ड चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। चूत तो इसकी भी टाईट थी।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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