FUN-MAZA-MASTI
मेरा नाम राजू है मैं मुंबई का रहने वाला हूँ । दोस्तो आज में अपनी एक सच्ची कहानी आप लोगो को बताने जा रहा हूँ। जब में 20 साल का था। मेरे परिवार में सिर्फ चार लोग थे मै मेरी बड़ी बहन ओर मम्मी पापा। बड़ी बहन जो मुझ से 5 साल बड़ी थी। एक साल पहले उस की शादी हो गई।
ओर शादी के 5 महीने बाद दीदी की अपने पति से अनबन हो गई इस लिए वो रूठ कर वापस हमारे घर आ गयी। मेरी दीदी दिखने में बहुत ही खूबसूरत थी। उसका बदन 34-30-36 था। जो भी उसे देख लेता था वो उसे एक बार पलट कर ज़रूर देखता था। उसका रंग एकदम सफेद था ओर उसकी हाइट 5.4 फिट थी। वो बिल्कुल मेडम जैसी दिखती थी। उसका कोमल बदन शादी के बाद ओर निखर गया था। उनकी मदमस्त जवानी देख कर ना जाने कितने लंड मुठ मारा करते थे।
एक दिन उन्होंने मम्मी को बताया की वो 5 महीने की गर्भवती है। उनकी गर्भवती होने की बात सुनकर मम्मी पापा बहुत परेशान रहने लगे। ओर दीदी भी हमेशा खामोश रहने लगी।शादीशुदा दीदी का दूध
मेरा नाम राजू है मैं मुंबई का रहने वाला हूँ । दोस्तो आज में अपनी एक सच्ची कहानी आप लोगो को बताने जा रहा हूँ। जब में 20 साल का था। मेरे परिवार में सिर्फ चार लोग थे मै मेरी बड़ी बहन ओर मम्मी पापा। बड़ी बहन जो मुझ से 5 साल बड़ी थी। एक साल पहले उस की शादी हो गई।
ओर शादी के 5 महीने बाद दीदी की अपने पति से अनबन हो गई इस लिए वो रूठ कर वापस हमारे घर आ गयी। मेरी दीदी दिखने में बहुत ही खूबसूरत थी। उसका बदन 34-30-36 था। जो भी उसे देख लेता था वो उसे एक बार पलट कर ज़रूर देखता था। उसका रंग एकदम सफेद था ओर उसकी हाइट 5.4 फिट थी। वो बिल्कुल मेडम जैसी दिखती थी। उसका कोमल बदन शादी के बाद ओर निखर गया था। उनकी मदमस्त जवानी देख कर ना जाने कितने लंड मुठ मारा करते थे।
में उनको चुप देख कर उनके साथ अच्छा व्यहवार करता था। करीब पाँच महीने बाद दीदी ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया। हम लोग इस बात से बहुत खुश थे। करीब दो महीने बाद चार बजे दरवाजे की घंटी बजी उस दिन घर मे मम्मी ओर दीदी दोनों ही अकेले थे। पापा ऑफीस गये थे ओर में भी घर पर नही था। दीदी ने दरवाजा खोला तो देखा सामने जीजाजी खड़े थे। जीजाजी बहुत गुस्से मे थे। वो अपने कुछ दोस्तो के साथ आए थे ओर ज़बरदस्ती बेबी को दीदी से ले कर जाने लगे दीदी ने काफ़ी शोर किया लेकिन वो ज़बरदस्ती बेबी को अपने साथ ले कर अपनी कार मे बैठ कर चले गये।
मम्मी ने पापा को फ़ोन कर दिया। एक घंटे बाद पापा आ गये। हम लोगो ने जीजा जी से बात करने की कोशिश की लेकिन वो हम लोगो का फोने नही उठा रहे थे। मम्मी पापा दीदी के ससुराल बेंगलोर जाने का प्रोग्राम बनाने लगे। में भी उन लोगो के साथ जाना चाह रहा था। लेकिन मम्मी पापा ने मुझे मना कर दिया। और मम्मी पापा दीदी के ससुराल चले गये। हमारे घर में तीन कमरे है। एक मम्मी पापा का दूसरा मेरा ओर एक मेरी दीदी का था।
शाम को जब टीवी देख रही थी तो पता चला की हमारे शहर मे दंगे शुरु हो गये हैं। हम ओर भी परेशन होने लगे। दीदी बोली राजू मेरे रूम मे आ जाओ इधर ही सो जाना। मैने कहा ठीक है ओर में दीदी के कमरे में ही सोने आ गया। हम पहले ही परेशन थे उपर से दंगो की बाते सुन कर ओर टेंशन हो गयी।
रात के करीब बारह बजे होंगे की दीदी की उहह उफ़फ्फ़ की आवाज़ सुन कर मेरी आँख खुल गयी। लाइट पहले से ही चालू थी। मैने करवट बदल कर देखा तो दीदी के चेहरा से साफ ज़ाहिर हो रहा था की दीदी किसी तकलीफ़ में है। मैने पूछा दीदी क्या बात है?
दीदी बोली बस तुम सो जाओ कोई बात नही। मेरी आँख खुल चुकी थी। मैने ज़िद की तो दीदी ने मुझ से एक पेपर ओर एक पेन लाने को कहा। में जल्दी से ले आया दीदी ने इंग्लीश मे कुछ लिखा जो मे नही पड़ सका। दीदी मुझसे बोली मार्केट जाओ ओर मेडिकल स्टोर से ये ले आओ। मैने कहा ठीक है ओर मैं चला गया। जब मैं मार्केट के लिए निकला तो देखा दंगे के कारण मार्केट बंद हो चुका था। ओर वहाँ पर सभी तरफ पुलिस ही पुलिस थी। उन्होने मुझे घर वापस भेज दिया। घर पहुच कर मैने सारी बात दीदी को बताई तो वो बोली कोई बात नही। सब ठीक हो जाएगा अब तुम सो जाओ।
रात के करीब चार बजे दीदी ने मुझे जगाया ओर बोली राजू मेरी मदद करो। मेरी बात ध्यान से सुनो। मेरी बेबी को तुम्हारे जीजा जी ले गये हैं। वो मेरा दूध पीती थी। लेकिन उसके ना रहने से मेरे दूध ज़्यादा हो गया है। उसने अपने एक बूब्स की तरफ इशारा किया। मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था। दीदी बोली अगर मेडिकल स्टोर से वो मिल्क सकर मिल जाता तो मैं तुमसे यह सब नही कहती। मेरे मन में बहुत सारे लड्डू फुट रहे थे। दिल मे घंटिया बज रही थी। लेकिन में मासूम बना रहा ओर बोला जैसे बच्चे दूध पीते हैं वैसे क्या? दीदी बोली हाँ वैसे ही। मैं पागल हो रहा था मैने मन ही मन अपने जीजा जी को धन्यावाद किया जिसे में थोड़ी देर पहले तक गालियाँ दे रहा था।
दीदी बेड पर जैसे अपने बच्चे को दूध पिलाती है। उसी पोज़िशन मे बैठ गयी। दीदी एक काली साडी पहने हुए थी जिसमे वो बहुत ही सेक्सी दिख रही थी। मैं उसके सामने बैठ गया फिर दीदी ने अपनी साडी को अपने ब्लाउज से नीचे गिराया। मेरी पैंट भी अब टाइट हो चुकी थी। मैं क्या बताऊ दोस्तो में तो जैसे कोई सपना देख रहा था। मैने आज अपनी दीदी को चोदने का पूरा मूड बना लिया था।
दीदी का ब्लाउज सामने से गीला था। जिससे उसके निप्पल को मैं साफ महसूस कर पा रहा था। साड़ी अलग करने के बाद दीदी ने अपने ब्लाउज को उतारा। दोस्तो आप तो समझ ही रहे होंगे की मेरी नज़रे कहाँ पर ठहरी थी। ये तो मुझे आपको बताने की ज़रूरत नही होंगी। उसके बाद दीदी ने अपनी ब्रा को पीछे से खोल दिया दोस्तो मैं ठंडी साँसे लेता हुआ पागल हुआ जा रहा था। ओर उसके बूब्स को अपने हाथो से दबाने के लिए मचल रहा था। दीदी ने अपनी ब्रा खोल कर मुझे लेट जाने का इशारा किया। मैं तो जैसे इस इशारे का ही इंतजार कर रहा था।
समय ना खराब करते हुए में जल्दी से लेट गया। दीदी ने अपने ब्रा को अपने दूध से हटाया ओर मैने उनके बड़े बड़े बूब्स के दर्शन किये। में अपने आप को बड़ा खुशकिस्मत समझ रहा था। ओर अपने प्यारे जीजा जी ओर भगवान को धन्यवाद कह कर रहा था। उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े थे ओर बहुत ही अच्छे सुडोल आकार मे थे। गोरे गोरे बूब्स देख कर मेरे तो होश ही उड़ गये थे।
मैने दीदी की गोद मे अपना सिर रख दिया। दीदी ने अपनी ब्रा थोड़ी उपर की ओर एक बड़ा बूब्स निकाला ओर मुझे पीने को कहा जब मैने अपने होंठ बूब्स के पास किए तो मुझे दूध की स्मेल आई ओर जब निप्पल को अपने होंठो से छुआ तो बहुत ही मज़ा ही आ गया। जब मैने चूसना शुरू किया तो मुझे एक अजीब सा अहसास हुआ। मुझे दूध बड़ा ही स्वादिष्ट लग रहा था। मेरी सगी बहन मुझे दूध पिला रही थी। मैने तेज़ी से दूध पीना शुरू कर दिया। करीब 6 या 7 मिनिट बाद जब मैने एक बूब्स खाली कर लिया तो दीदी ने अपना दूसरा बूब्स भी मेरे होंठो के सामने कर दिया।
अब तक दीदी ने अपनी ब्रा को पूरी तरह से उतार दिया था। ओर वो ऊपर से बिल्कुल नंगी हो गयी थी। मेरा लंड एकदम टाइट हो गया था ओर अंडरवेर से बाहर आने लगा था। मेरे दिल की धडकन तेज़ हो गयी ओर मुझे पसीना आने लगा। दीदी के नरम नरम दूसरे बूब्स को अब मैने अपने मुहं मे भर लिया था। मैं उसके बूब्स को बड़े प्यार से सहलाता भी जा रहा था जिसके कारण दीदी भी कामुक हो रही थी। उसने भी अपने हाथ अब मेरी शर्ट के अंदर डाल दिए थे ओर अपने हाथो को उपर नीचे कर रही थी। अब हम दोनो एकदम पुरे खुल चुके थे। भाई बहिन वाली कोई फीलिंग अब हमारे अंदर नही थी। मैं भी बड़े मज़े से उसके बूब्स को सहला रहा था। उसकी निप्पल को किस करता तो वो ठंडी ठंडी साँसे भर रही थी। उसे ये सब बहुत अछा लग रहा था। अब मेरा एक हाथ उसके बूब्स पर था ओर उसने भी मुझे बहुत अच्छे से पकड़ रखा था। मेरी आह निकल गयी। दीदी ने आँखें खोल दी ओर मुझसे पूछा क्या हुआ। पसीना क्यों आ गया?
मैने कहा की दीदी गर्मी की वजह से मुझे पसीना आ गया था। और फिर दीदी ने अपनी साड़ी उपर की ओर बोला की राजू तुम थक गये होना। लेकिन एक बात याद रखना तुमने मेरी मदद की और मे तुम्हारी बहन हूँ। ओर तुम मेरे प्यारे छोटे भाई हो ये बात किसी को ना बताना प्लीज़। मैने दीदी को कहा की में आपकी मदद कर के खुश हूँ ये मेरा फ़र्ज़ है।
सुबह उठ कर हम लोगो ने साथ में बैठकर नाश्ता किया फिर दीदी नहाने चली गयी में अभी भी रात के ख़यालो में ही खोया हुआ था..
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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