FUN-MAZA-MASTI
भाभी ने कराई मेरी चुदाई--5
मन ही मन, मैं अपने भाई के लण्ड की कल्पना कर रही थी!! !!
उस दिन मेरी समझ में आया की साली, “चूत की आग और लण्ड की भूख”, हर रिश्ते से बड़ी होती है।
मेरी सेक्स स्टोरी पर “रिश्तों में चुदाई” या “भाई बहन चुदाई” की केटेगरी में ज़्यादातर कहानियाँ, सच ही होगीं।
चूत को चुदवाने से मतलब है और लण्ड को चोदने से!! !!
खैर, सब नहा धो के फ्रेश हुए।
फिर, हम सब ने लंच किया और सब रूम में आ गये, लेटने के लिए और तुरंत सब की ही, आँख लग गई।
हम सब एक एक कर के, लगभग 7 बजे शाम में उठे।
सब नंगे ही थे..
उठते ही, अकरम का लण्ड टाइट हो गया था।
मैं लेटी ही थी और वो मेरे ऊपर आ के मुझे चूमने लगा।
मैंने उसे रोका और बोली – ज़रा तो, सब्र कर ना…
कैसे करूँ जान, तेरे साथ देने से कितना मज़ा आ रहा है… तू सोच भी नहीं सकती… – वो बोला..
अगर साथ नहीं दूँगी तो कौन सा तुम लोग मुझ पर रहम कर दोगे… तुम भी मज़े लो और मुझे भी लेने दो… पर अभी नहीं… मुझे बहुत कमज़ोरी आ रही है… तुम लोगों का तो एक बार निकला है, मेरा तो पता नहीं, कितनी बार निकला होगा… रात में करना, खाना खाने के बाद… अभी हट…
वो भी मान गया और हट गया।
फिर हम सब बिस्तर से उठे और सब मिल कर, डिन्नर बनाने लगे।
सब मिल खाना बना रहे थे, मैंने नाइटी पहन ली थी और बाकी सब ने भी लोवर और शॉर्ट्स पहन लिए थे।
मुझे लगा, एक चूत का छेद कितने हरामी मर्दों को अपने काबू में रख सकता है!! !!
अगर मैंने भागने की, बचने की कोशिश की होती तो तीनों ने पटक-पटक कर मुझे ज़बरदस्ती चोदा होता.. चूत तो खैर, फट ही गई होती.. ना जाने कहाँ कहाँ, चोट अलग लगी होती..
अब देखो, मेरी चूत तीनों को कैसे नचा रही है.. भोसड़ी के, खाना तक बना रहे हैं, मेरे साथ..
खैर खाना बनाते बनाते, 9:30 हो गया था।
फिर, हम सब ने डिन्नर किया।
कुछ देर के बाद, अकरम दरवाज़ा खोल के बाहर गया।
बाहर, एकदम घना अंधेरा था।
वो वहीं से चिल्लाया – राज, विक्की…
राज भी चिल्लाया – क्या हुआ, मादार चोद…
अकरम बोला – चल भाई, डॉली को बाहर चोदते हैं…
ये सुनके, मैं भी चिल्लाई – पागल हो गया है, क्या… ?? बाहर, कोई देखेगा नहीं… ??
उसने बोला – यहाँ कोई नहीं आता, रे… देख, कितना अंधेरा है…
फिर, विक्की और राज भी बोले – अच्छा आइडिया है…
अकरम ने बाहर ही अपना जीन्स खोल दिया और राज और विक्की भी तुरंत नंगे हो गये।
मैंने बाहर आ के देखा तो सच में बहुत अंधेरा था।
फिर अकरम ने मुझे नाइटी उतारने को कहा।
मैंने उतार दी और नंगी घर से बाहर आ गई।
हम चारों नंगे बाहर थे।
मैं बाहर सुनसान अंधेरे में, बिल्कुल नंगी खड़ी थी।
विक्की और अकरम, मेरे एक एक साइड में आ गये और दोनों मेरे एक एक चुचे को हाथ में ले के दबाने लगे।
राज भी सामने खड़ा था।
वो मेरी चूत पर हल्के हल्के, हाथ घुमा रहा था।
फिर राज ने मेरे हाथ में 3 कंडोम दिए, जो उसके हाथ में थे और मुझे तीनों के लण्ड पर पहनने को कहा।
मैंने तीनों के लण्ड पर, कंडोम पहनाए।
अब अकरम और विक्की मेरे एक एक साइड में आ के मेरे एक एक निपल्स चूसने लगे।
अकरम पीछे से, मेरी गाण्ड भी सहला रहा था।
दोनों ने मेरा एक एक पैर, अपने हाथ में फँसा के मुझे उठाया।
मैं अपने दोनों हाथ, सपोर्ट के लिए उन दोनों के कंधे पर रखी हुई थी।
मैं सिर्फ़ उन दोनों के सपोर्ट पर थी..
उन्होंने, मेरे पैर फोल्ड किए हुए थे।
मेरे घुटने मेरे चुचों को टच हो रहे थे।
फिर राज आगे आया और अपना लण्ड, मेरी चूत पर रगड़ने लगा।
फिर कुछ देर में उसने लण्ड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे कमर से पकड़ के चोदने लगा।
वो धीरे धीरे, मुझे चोद रहा था।
फिर उसने मुझे उसी पोज़िशन में बहुत देर तक चोदा।
उसका होने के बाद, अकरम आया और अब अकरम की जगह, राज ने ले ली।
उसने मुझे बहुत देर तक चोदा।
राज और विक्की भी जल्दी करने के लिए कह रहे थे क्यों के मुझे उठाते हुए उनका भी हाथ दर्द करने लगा था।
फिर विक्की के टाइम, सबने थोड़ा ब्रेक लिया।
विक्की ने भी मुझे इसी तरह चोदा..
काफ़ी रात हो गई थी और सबको नींद भी आ रही थी।
खुलंखुल्ला चुदाई करने के बाद, हम सब सोने चले गये।
आज राज की तरफ से कोई सॉफ्ट ड्रिंक नहीं मिली, मुझे पीने के लिए।
27 फरबरी, 2010…
अगले दिन, सब लेट उठे और सब नंगे ही थे।
सब नहा धोके, फ्रेश हुए।
आधा दिन ऐसे ही, सुस्ती में निकल गया।
लंच के बाद, विक्की और अकरम मुझे चोदने आए पर मैंने मना कर दिया और कहा की रात में करना।
वो लोग भी मान गये।
रात में डिन्नर के वक़्त, बातों ही बातों में मैंने उनसे कहा – मेरे वीडियोस का क्या करने वाले हो, तुम लोग… ??
तो विक्की ने कहा – तुझे तेरे भाई के सामने चोदने के लिए, उसे उपयोग करेंगे…
अब तो मुझे तुम लोग, अपनी रखेल बना चुके हो… मुझे मेरे भाई के सामने चोदने का आइडिया, ड्रॉप नहीं कर सकते… ?? – मैंने उनसे रिक्वेस्ट करते हुए कहा।
फिर जब वो लोग नहीं माने तो मैंने उनसे कहा – मेरे वीडियोस मिटा दो… मैं खुद जय को मना लूँगी…
इस पर विक्की ने कहा – मैं बाकी सब वीडियोस डेस्ट्राय कर देता हूँ, सिर्फ़ कल वाला रखूँगा… जब तू तेरे भाई के सामने हमें चोदने देगी, उसके बाद वो वाली सीडी भी तोड़ दूँगा…
मैंने कहा – ठीक है…
फिर विक्की ने एक के सिवा, बाकी सारे सीडीज़ तोड़ दिए।
उस रात भी तीनों ने मुझे अलग अलग पोज़िशन में चोदा।
28 फरबरी, 2010…
आज मेरी ट्रिप वापस आने वाली थी।
मैंने अपना समान अच्छी तरह पैक किया।
सब ने मेरी हेल्प भी की और आज मेरी चुदाई नहीं हुई।
जाते जाते, मैंने कुछ कंडोम अपने साथ रख लिए।
शाम में मैं, अपने घर वापस गई।
मैं घर आ गई और सामान्य व्यव्हार कर रही थी।
मैंने मम्मी को ट्रिप की कुछ झूठी कहानियाँ सुनाईं।
जय भी खुश दिख रहा था।
उस दिन रात में, मैंने जल्दी खाना खा लिया और सबसे कह दिया के बहुत थक गई हूँ और सोने चली गई।
रूम में मैंने देखा की कंप्यूटर टेबल के नीचे, बहुत सी ब्लू फिल्म्स की सीडीज़ रखीं हैं।
मैं समझ गई के जय ने इन दिनों, बहुत ब्लू फिल्म्स देखी हैं।
मैंने उन सीडीज़ को ऐसे ही रहने दिया।
बिस्तर पर जा कर लेट गई और सोचने लगी के जय को अपनी तरफ आकर्षित, कैसे करूँ।
उसकी सारी गतिविधियों के बारे में तो मैं जानती थी पर ये नहीं जानती थी के वो मेरे बारे में क्या सोचता है।
मैं उसे अपनी चुदाई की कहानी कैसे सुना सकती हूँ…?? और उसके सामने 3 लड़कों से कैसे चुदवा सकती हूँ… ??
मैं यही काफ़ी देर तक सोचती रही।
फिर, मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया।
मैंने अपने सब कपड़े उतारे और सिर्फ़ कुर्ता और सलवार पहन लिया और सलवार में बहुत गहरी गाँठ बाँध ली।
कुर्ता हल्का पारदर्शी था, जिससे मेरे बूब्स की झलक दिख रही थी।
फिर, मैं जय के आने का इंतेज़ार करने लगी।
करीब 11 बजे, मैंने सीढ़ियो पर जय के कदमो की आहट सुनी।
मैं दरवाज़े के पास आई और उसे अपने कमरे में बुलाया।
मुझे लगा तू सो गई होगी… – जय ने आते ही, कहा।
मैंने जवाब दिया – सोने ही जा रही थी, पर एक प्राब्लम हो गई है… थोड़ी हेल्प कर दे ना…
मैंने देखा के उसकी नज़र मेरे सीने पर जा रही है बार बार।
हाँ बोल ना क्या… – उसने अंदर आते हुए, कहा।
मैं कमरे के अंदर आई और बोली – मेरी सलवार टाइट हो गई है… खुल नहीं रही है… तू खोल देगा, प्लीज़… ??
एक मिनट के लिए तो वो शॉक सा हो गया।
फिर धीरे से बोला – ठीक है… और वो बिस्तर पर बैठ गया और मैं उसके सामने खड़ी हो गई।
मैंने अपना कुर्ता ऊपर उठा लिया, जिससे वो मेरा पेट और कमर देख सकता था।
मैं अब उसे नोटीस करने लगी।
उसके हाथ, हल्के हल्के काँप रहे थे और जीन्स में भी टेंट सा बन गया था।
अब वो मेरी सलवार की गाँठ खोलने लगा पर मैंने गाँठ को बहुत टाइट बाँधी थी।
जय खोल नहीं पा रहा था।
उसने कहा – चाकू से काट दें…
पर मैंने कहा – यार, फिर इसका नाडा मार्केट से लाना पड़ेगा और तब तक मैं ये पहन नहीं सकती ना… और ट्रिप के सारे कपड़े तो अभी धुलने हैं और पुराने कपड़े भी इधर उधर हो चुके हैं… तू प्लीज़ खोल ना… – मैंने बहाना बनाया।
5 मिनिट हो चुके थे।
जय कोशिश कर रहा था।
फिर मैंने, उससे कहा – दाँत से ट्राइ कर ना… तो वो दाँत से खोलने की कोशिश करने लगा।
अब उसने दोनों हाथ, मेरी कमर पर रख दिए थे।
मैंने अपना कुर्ता हाथ से पकड़ रखा था।
मैंने उससे कहा – जल्दी कर ना, मेरा हाथ दुखने लगा है…
उसने कहा – जल्दी है तो काटना पड़ेगा…
मैंने उसे थोड़ी देर और ट्राइ करने को कहा।
वो दाँत से ही खोल रहा था।
फिर अचानक, थोड़ी सी गाँठ खुली।
मैं भी तैयार हो गई।
मैंने अपना हाथ कुर्ते से हटा के साइड से सलवार में डाल लिया।
जैसे ही मुझे गाँठ ढीली लगी, मैंने अपने कमर से सलवार को ढीला कर दिया और सलवार ज़मीन पर गिर गई।
मेरी चूत मेरे भाई के सामने थी…
बिल्कुल नंगी… …
वो कुछ देर तक देखता रहा।
मैं भी ऐसे ही खड़ी रही, बिना शरमाये और बिना कुछ बोले।
फिर जय ने अपनी नज़र हटा ली और शरमा सा गया।
उसने मुझसे सॉरी कहा और जाने लगा।
मैंने भी उसे नहीं रोका और वो चला गया पर मैं उसकी नियत समझ गई थी।
अगले दिन, रात में मैंने अपने कपड़े उतार दिए और ब्रा पैंटी में बिस्तर पर लेट गई और एक चादर ले ली और अपने ऊपर पूरी तरह से डाल ली।
मैं अपनी आँखे बंद कर के, बहुत देर तक लेटी रही।
मेरे रूम का दरवाज़ा तो खुला ही रहता था।
करीब 11 बजे, जय मेरे रूम में आया और मुझे आवाज़ दी पर मैंने कोई रिप्लाइ नहीं दिया।
वो समझा के मैं सो रही हूँ।
फिर वो कंप्यूटर पर बैठा और कुछ करने लगा।
उसकी पीठ, मेरी तरफ थी।
मैं हल्की आँखों से उसे देख रही थी।
फिर मैंने सोचा के मौका अच्छा है, जय को अपनी तरफ आकर्षित करने का।
मैंने अपना एक पैर चादर से बाहर निकाल लिया और फोल्ड करके घुटना ऊपर उठा दिया।
कुछ देर बाद, जय ने अपना सिर पीछे किया।
वो कुछ देर तक मेरे गोरे चिकने पैर को देखता रहा।
फिर वो उठा और उसने चादर मेरे पैर पर वापस डाल दिया।
फिर वो कुर्सी पर बैठ गया और कंप्यूटर पर कुछ करने लगा।
पर अब वो, बार बार पलट रहा था।
मैं हल्की आँखों से उसे देख रही थी।
कुछ देर बाद, मैं करवट ले कर दूसरी तरफ हुई जिससे मेरी पूरी पीठ चादर से बाहर हो गई पर अब मैं जय को देख नहीं कर पा रही थी।
मैं चुप चाप लेटी रही।
जय ने भी समझा की मैं सो रही हूँ।
कुछ देर बाद, मैंने अपने पैरों पर हाथ का टच महसूस किया।
जय शायद अब कंट्रोल नहीं कर पा रहा था।
वो मेरे पैरों को सहलाता रहा और कभी कभी मेरी गाण्ड पर भी हाथ घुमा रहा था।
फिर वो मेरी पीठ और कमर सहलाने लगा।
मैं चुप चाप लेटे लेटे मज़े ले रही थी।
कुछ देर बाद, सहलाना बंद हो गया।
मैं ऐसे ही लेटी रही और जय के फिर से छूने का इंतेज़ार करने लगी।
पर काफ़ी देर तक, उसने मुझे नहीं छुआ तो मैं नींद की हालात में ही पलटी और सीधी हो गई।
अब मैंने चादर भी पूरी ले ली थी।
जय कंप्यूटर पर बैठ के कुछ कर रहा था।
उसका एक हाथ उसके लण्ड पर था और वो मुझे बार बार मुझे देख रहा था।
मैंने मौका पा कर, अपनी पैंटी चादर में ही निकाल दी।
कुछ ही देर में, मैंने फिर से करवट बदल ली।
अब चादर, मेरे जाँघ तक थी।
जाँघ से नीचे, मेरे पैर खुले थे।
कुछ देर बाद फिर मैंने जय के हाथ का टच महसूस किया, अपने पैरों पर।
वो मेरी जाँघ पर धीरे धीरे, हाथ घुमा रहा था।
धीरे धीरे, वो अपना हाथ ऊपर सरकाने लगा।
फिर उसका हाथ, मेरी नंगी गाण्ड तक पहुँच गया।
उसका हाथ कुछ देर तक मेरी गाण्ड पर ही रहा।
डॉली… डॉली… – उसने मुझे धीरे से आवाज़ दी पर मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया।
वो समझ चुका था के मैं जाग रही हूँ।
अब उसकी हिम्मत जैसे, एकदम खुल गई और उसने मेरे बदन पर से चादर हटा दिया।
मैं वैसे ही, करवट पर लेटी रही।
फिर उसने मेरी ब्रा का हुक खोला और मुझे सीधा किया।
उसने मेरे होंठ अपने मुंह में ले लिए और चूसने लगा।
उसकी इस हरकत से तो जैसे मैं पागल सी हो गई।
मैंने अपना हाथ, उसके कंधे में डाल दिए और अपनी तरफ दबाने लगी।
अब जय में पूरी तरह से काम भावना आ चुकी थी और अब वो किसी पागल कुत्ते की तरह मुझे चाट रहा था।
अब मैंने भी अपनी आँखें खोल दी और जय को पूरा सपोर्ट देने लगी।
मैं उसका लण्ड पकड़ के अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
मेरे बाजू के टेबल पर ही मैंने अपना पर्स रखा था।
मैंने हाथ बढ़ा के उसमें में से कंडोम निकाला और जय को दे दिया।
जय ने बिना कुछ पूछे मुझसे वो कंडोम ले लिया और अपने लण्ड पर लगा लिया।
फिर, उसने मेरी चूत में अपना लण्ड डाला और ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदने लगा।
करीब 5 मिनट के बाद वो झड़ा और फिर हम दोनों अलग हुए।
मुझसे अलग होते ही उसने पूछा – तू वर्जिन (कुँवारी) नहीं थी… ??
मैंने कहा – नहीं…
किसने ली है, तेरी… – उसने फिर पूछा।
उसके बाद, मैंने जय को सारा किस्सा कह सुनाया।
जय बहुत गुस्सा होने लगा।
उससे ये बात, बर्दाश्त नहीं हो रही थी के 3 लड़कों ने मुझे ज़बरदस्ती चोदा।
फिर मैंने उससे कहा – अभी थोड़ी देर पहले तू भी तो मुझे कितने मज़े से चोद रहा था… मैं तो तेरी सग़ी बहन हूँ… फिर अब, ये ढकोसला क्यूँ…
ये सुन के वो शांत हुआ।
फिर उसने मुझसे कहा – अगर तू मुझे ये सब पहले बता देती तो वो लोग तेरे साथ ज़बरदस्ती कुछ नहीं कर पाते…
वो कैसे… ?? उनके पास मेरी नंगी वीडियो क्लिप्स थीं… – मैंने कहा।
तो वो उठ के अपने कमरे में गया और एक सीडी ला कर कंप्यूटर में प्ले किया।
उसमें उसके और शब्दिता की रेकॉर्डिंग थी।
अब मैं उन्हें तेरे साथ कुछ भी नहीं करने दूँगा… अगर उनके पास हमारी कमज़ोरी है तो हमारे पास भी उनकी कमज़ोरी है… मैं उनसे सीडी के बदले सीडी का सौदा करूँगा… – जय बोले जा रहा था पर मेरे दिमाग़ में कुछ और चल रहा था।
मैंने जय से कहा – सौदा करने के बजाए, कोम्प्रोमाईज़ कर लें तो… ??
जय – मतलब… ??
मैं – इस सीडी के ज़रिए शब्दिता को भी शामिल कर लेते है। फिर हम दो लड़कियाँ और तुम 4 लड़के हो जाओगे… मज़े करेंगे… तू भी शब्दिता को पटक पटक कर चोदना…
जय (चौंकते हुए) – तू तो रांड़ बनती जा रही है…
मैं – 6 दिन से लगातार चुद रही हूँ… अब मैं चुदाई के बिना नहीं रह सकती…
जय (कुछ देर सोचने के बाद) – ठीक है… तू जैसा कहती है, वैसा ही करेंगे…
फिर, मैंने जय को कस के हग किया।
उसका लण्ड, फिर से खड़ा हो गया।
मैं हटी और उससे पूछी – एक बात बता, तूने शब्दिता की गाण्ड ली थी… ??
नहीं… – उसने कहा।
मैं – मेरी गाण्ड मारेगा..
जय – चल घूम जा..
फिर जय ने मेरी गाण्ड मारी और भाई बहन नंगे एक दूसरे की गांद में सो गये..
आधी रंडी मैं बन चुकी थी और पूरी का सफ़र, शुरू हो गया था।
… …
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
भाभी ने कराई मेरी चुदाई--5
मन ही मन, मैं अपने भाई के लण्ड की कल्पना कर रही थी!! !!
उस दिन मेरी समझ में आया की साली, “चूत की आग और लण्ड की भूख”, हर रिश्ते से बड़ी होती है।
मेरी सेक्स स्टोरी पर “रिश्तों में चुदाई” या “भाई बहन चुदाई” की केटेगरी में ज़्यादातर कहानियाँ, सच ही होगीं।
चूत को चुदवाने से मतलब है और लण्ड को चोदने से!! !!
खैर, सब नहा धो के फ्रेश हुए।
फिर, हम सब ने लंच किया और सब रूम में आ गये, लेटने के लिए और तुरंत सब की ही, आँख लग गई।
हम सब एक एक कर के, लगभग 7 बजे शाम में उठे।
सब नंगे ही थे..
उठते ही, अकरम का लण्ड टाइट हो गया था।
मैं लेटी ही थी और वो मेरे ऊपर आ के मुझे चूमने लगा।
मैंने उसे रोका और बोली – ज़रा तो, सब्र कर ना…
कैसे करूँ जान, तेरे साथ देने से कितना मज़ा आ रहा है… तू सोच भी नहीं सकती… – वो बोला..
अगर साथ नहीं दूँगी तो कौन सा तुम लोग मुझ पर रहम कर दोगे… तुम भी मज़े लो और मुझे भी लेने दो… पर अभी नहीं… मुझे बहुत कमज़ोरी आ रही है… तुम लोगों का तो एक बार निकला है, मेरा तो पता नहीं, कितनी बार निकला होगा… रात में करना, खाना खाने के बाद… अभी हट…
वो भी मान गया और हट गया।
फिर हम सब बिस्तर से उठे और सब मिल कर, डिन्नर बनाने लगे।
सब मिल खाना बना रहे थे, मैंने नाइटी पहन ली थी और बाकी सब ने भी लोवर और शॉर्ट्स पहन लिए थे।
मुझे लगा, एक चूत का छेद कितने हरामी मर्दों को अपने काबू में रख सकता है!! !!
अगर मैंने भागने की, बचने की कोशिश की होती तो तीनों ने पटक-पटक कर मुझे ज़बरदस्ती चोदा होता.. चूत तो खैर, फट ही गई होती.. ना जाने कहाँ कहाँ, चोट अलग लगी होती..
अब देखो, मेरी चूत तीनों को कैसे नचा रही है.. भोसड़ी के, खाना तक बना रहे हैं, मेरे साथ..
खैर खाना बनाते बनाते, 9:30 हो गया था।
फिर, हम सब ने डिन्नर किया।
कुछ देर के बाद, अकरम दरवाज़ा खोल के बाहर गया।
बाहर, एकदम घना अंधेरा था।
वो वहीं से चिल्लाया – राज, विक्की…
राज भी चिल्लाया – क्या हुआ, मादार चोद…
अकरम बोला – चल भाई, डॉली को बाहर चोदते हैं…
ये सुनके, मैं भी चिल्लाई – पागल हो गया है, क्या… ?? बाहर, कोई देखेगा नहीं… ??
उसने बोला – यहाँ कोई नहीं आता, रे… देख, कितना अंधेरा है…
फिर, विक्की और राज भी बोले – अच्छा आइडिया है…
अकरम ने बाहर ही अपना जीन्स खोल दिया और राज और विक्की भी तुरंत नंगे हो गये।
मैंने बाहर आ के देखा तो सच में बहुत अंधेरा था।
फिर अकरम ने मुझे नाइटी उतारने को कहा।
मैंने उतार दी और नंगी घर से बाहर आ गई।
हम चारों नंगे बाहर थे।
मैं बाहर सुनसान अंधेरे में, बिल्कुल नंगी खड़ी थी।
विक्की और अकरम, मेरे एक एक साइड में आ गये और दोनों मेरे एक एक चुचे को हाथ में ले के दबाने लगे।
राज भी सामने खड़ा था।
वो मेरी चूत पर हल्के हल्के, हाथ घुमा रहा था।
फिर राज ने मेरे हाथ में 3 कंडोम दिए, जो उसके हाथ में थे और मुझे तीनों के लण्ड पर पहनने को कहा।
मैंने तीनों के लण्ड पर, कंडोम पहनाए।
अब अकरम और विक्की मेरे एक एक साइड में आ के मेरे एक एक निपल्स चूसने लगे।
अकरम पीछे से, मेरी गाण्ड भी सहला रहा था।
दोनों ने मेरा एक एक पैर, अपने हाथ में फँसा के मुझे उठाया।
मैं अपने दोनों हाथ, सपोर्ट के लिए उन दोनों के कंधे पर रखी हुई थी।
मैं सिर्फ़ उन दोनों के सपोर्ट पर थी..
उन्होंने, मेरे पैर फोल्ड किए हुए थे।
मेरे घुटने मेरे चुचों को टच हो रहे थे।
फिर राज आगे आया और अपना लण्ड, मेरी चूत पर रगड़ने लगा।
फिर कुछ देर में उसने लण्ड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे कमर से पकड़ के चोदने लगा।
वो धीरे धीरे, मुझे चोद रहा था।
फिर उसने मुझे उसी पोज़िशन में बहुत देर तक चोदा।
उसका होने के बाद, अकरम आया और अब अकरम की जगह, राज ने ले ली।
उसने मुझे बहुत देर तक चोदा।
राज और विक्की भी जल्दी करने के लिए कह रहे थे क्यों के मुझे उठाते हुए उनका भी हाथ दर्द करने लगा था।
फिर विक्की के टाइम, सबने थोड़ा ब्रेक लिया।
विक्की ने भी मुझे इसी तरह चोदा..
काफ़ी रात हो गई थी और सबको नींद भी आ रही थी।
खुलंखुल्ला चुदाई करने के बाद, हम सब सोने चले गये।
आज राज की तरफ से कोई सॉफ्ट ड्रिंक नहीं मिली, मुझे पीने के लिए।
27 फरबरी, 2010…
अगले दिन, सब लेट उठे और सब नंगे ही थे।
सब नहा धोके, फ्रेश हुए।
आधा दिन ऐसे ही, सुस्ती में निकल गया।
लंच के बाद, विक्की और अकरम मुझे चोदने आए पर मैंने मना कर दिया और कहा की रात में करना।
वो लोग भी मान गये।
रात में डिन्नर के वक़्त, बातों ही बातों में मैंने उनसे कहा – मेरे वीडियोस का क्या करने वाले हो, तुम लोग… ??
तो विक्की ने कहा – तुझे तेरे भाई के सामने चोदने के लिए, उसे उपयोग करेंगे…
अब तो मुझे तुम लोग, अपनी रखेल बना चुके हो… मुझे मेरे भाई के सामने चोदने का आइडिया, ड्रॉप नहीं कर सकते… ?? – मैंने उनसे रिक्वेस्ट करते हुए कहा।
फिर जब वो लोग नहीं माने तो मैंने उनसे कहा – मेरे वीडियोस मिटा दो… मैं खुद जय को मना लूँगी…
इस पर विक्की ने कहा – मैं बाकी सब वीडियोस डेस्ट्राय कर देता हूँ, सिर्फ़ कल वाला रखूँगा… जब तू तेरे भाई के सामने हमें चोदने देगी, उसके बाद वो वाली सीडी भी तोड़ दूँगा…
मैंने कहा – ठीक है…
फिर विक्की ने एक के सिवा, बाकी सारे सीडीज़ तोड़ दिए।
उस रात भी तीनों ने मुझे अलग अलग पोज़िशन में चोदा।
28 फरबरी, 2010…
आज मेरी ट्रिप वापस आने वाली थी।
मैंने अपना समान अच्छी तरह पैक किया।
सब ने मेरी हेल्प भी की और आज मेरी चुदाई नहीं हुई।
जाते जाते, मैंने कुछ कंडोम अपने साथ रख लिए।
शाम में मैं, अपने घर वापस गई।
मैं घर आ गई और सामान्य व्यव्हार कर रही थी।
मैंने मम्मी को ट्रिप की कुछ झूठी कहानियाँ सुनाईं।
जय भी खुश दिख रहा था।
उस दिन रात में, मैंने जल्दी खाना खा लिया और सबसे कह दिया के बहुत थक गई हूँ और सोने चली गई।
रूम में मैंने देखा की कंप्यूटर टेबल के नीचे, बहुत सी ब्लू फिल्म्स की सीडीज़ रखीं हैं।
मैं समझ गई के जय ने इन दिनों, बहुत ब्लू फिल्म्स देखी हैं।
मैंने उन सीडीज़ को ऐसे ही रहने दिया।
बिस्तर पर जा कर लेट गई और सोचने लगी के जय को अपनी तरफ आकर्षित, कैसे करूँ।
उसकी सारी गतिविधियों के बारे में तो मैं जानती थी पर ये नहीं जानती थी के वो मेरे बारे में क्या सोचता है।
मैं उसे अपनी चुदाई की कहानी कैसे सुना सकती हूँ…?? और उसके सामने 3 लड़कों से कैसे चुदवा सकती हूँ… ??
मैं यही काफ़ी देर तक सोचती रही।
फिर, मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया।
मैंने अपने सब कपड़े उतारे और सिर्फ़ कुर्ता और सलवार पहन लिया और सलवार में बहुत गहरी गाँठ बाँध ली।
कुर्ता हल्का पारदर्शी था, जिससे मेरे बूब्स की झलक दिख रही थी।
फिर, मैं जय के आने का इंतेज़ार करने लगी।
करीब 11 बजे, मैंने सीढ़ियो पर जय के कदमो की आहट सुनी।
मैं दरवाज़े के पास आई और उसे अपने कमरे में बुलाया।
मुझे लगा तू सो गई होगी… – जय ने आते ही, कहा।
मैंने जवाब दिया – सोने ही जा रही थी, पर एक प्राब्लम हो गई है… थोड़ी हेल्प कर दे ना…
मैंने देखा के उसकी नज़र मेरे सीने पर जा रही है बार बार।
हाँ बोल ना क्या… – उसने अंदर आते हुए, कहा।
मैं कमरे के अंदर आई और बोली – मेरी सलवार टाइट हो गई है… खुल नहीं रही है… तू खोल देगा, प्लीज़… ??
एक मिनट के लिए तो वो शॉक सा हो गया।
फिर धीरे से बोला – ठीक है… और वो बिस्तर पर बैठ गया और मैं उसके सामने खड़ी हो गई।
मैंने अपना कुर्ता ऊपर उठा लिया, जिससे वो मेरा पेट और कमर देख सकता था।
मैं अब उसे नोटीस करने लगी।
उसके हाथ, हल्के हल्के काँप रहे थे और जीन्स में भी टेंट सा बन गया था।
अब वो मेरी सलवार की गाँठ खोलने लगा पर मैंने गाँठ को बहुत टाइट बाँधी थी।
जय खोल नहीं पा रहा था।
उसने कहा – चाकू से काट दें…
पर मैंने कहा – यार, फिर इसका नाडा मार्केट से लाना पड़ेगा और तब तक मैं ये पहन नहीं सकती ना… और ट्रिप के सारे कपड़े तो अभी धुलने हैं और पुराने कपड़े भी इधर उधर हो चुके हैं… तू प्लीज़ खोल ना… – मैंने बहाना बनाया।
5 मिनिट हो चुके थे।
जय कोशिश कर रहा था।
फिर मैंने, उससे कहा – दाँत से ट्राइ कर ना… तो वो दाँत से खोलने की कोशिश करने लगा।
अब उसने दोनों हाथ, मेरी कमर पर रख दिए थे।
मैंने अपना कुर्ता हाथ से पकड़ रखा था।
मैंने उससे कहा – जल्दी कर ना, मेरा हाथ दुखने लगा है…
उसने कहा – जल्दी है तो काटना पड़ेगा…
मैंने उसे थोड़ी देर और ट्राइ करने को कहा।
वो दाँत से ही खोल रहा था।
फिर अचानक, थोड़ी सी गाँठ खुली।
मैं भी तैयार हो गई।
मैंने अपना हाथ कुर्ते से हटा के साइड से सलवार में डाल लिया।
जैसे ही मुझे गाँठ ढीली लगी, मैंने अपने कमर से सलवार को ढीला कर दिया और सलवार ज़मीन पर गिर गई।
मेरी चूत मेरे भाई के सामने थी…
बिल्कुल नंगी… …
वो कुछ देर तक देखता रहा।
मैं भी ऐसे ही खड़ी रही, बिना शरमाये और बिना कुछ बोले।
फिर जय ने अपनी नज़र हटा ली और शरमा सा गया।
उसने मुझसे सॉरी कहा और जाने लगा।
मैंने भी उसे नहीं रोका और वो चला गया पर मैं उसकी नियत समझ गई थी।
अगले दिन, रात में मैंने अपने कपड़े उतार दिए और ब्रा पैंटी में बिस्तर पर लेट गई और एक चादर ले ली और अपने ऊपर पूरी तरह से डाल ली।
मैं अपनी आँखे बंद कर के, बहुत देर तक लेटी रही।
मेरे रूम का दरवाज़ा तो खुला ही रहता था।
करीब 11 बजे, जय मेरे रूम में आया और मुझे आवाज़ दी पर मैंने कोई रिप्लाइ नहीं दिया।
वो समझा के मैं सो रही हूँ।
फिर वो कंप्यूटर पर बैठा और कुछ करने लगा।
उसकी पीठ, मेरी तरफ थी।
मैं हल्की आँखों से उसे देख रही थी।
फिर मैंने सोचा के मौका अच्छा है, जय को अपनी तरफ आकर्षित करने का।
मैंने अपना एक पैर चादर से बाहर निकाल लिया और फोल्ड करके घुटना ऊपर उठा दिया।
कुछ देर बाद, जय ने अपना सिर पीछे किया।
वो कुछ देर तक मेरे गोरे चिकने पैर को देखता रहा।
फिर वो उठा और उसने चादर मेरे पैर पर वापस डाल दिया।
फिर वो कुर्सी पर बैठ गया और कंप्यूटर पर कुछ करने लगा।
पर अब वो, बार बार पलट रहा था।
मैं हल्की आँखों से उसे देख रही थी।
कुछ देर बाद, मैं करवट ले कर दूसरी तरफ हुई जिससे मेरी पूरी पीठ चादर से बाहर हो गई पर अब मैं जय को देख नहीं कर पा रही थी।
मैं चुप चाप लेटी रही।
जय ने भी समझा की मैं सो रही हूँ।
कुछ देर बाद, मैंने अपने पैरों पर हाथ का टच महसूस किया।
जय शायद अब कंट्रोल नहीं कर पा रहा था।
वो मेरे पैरों को सहलाता रहा और कभी कभी मेरी गाण्ड पर भी हाथ घुमा रहा था।
फिर वो मेरी पीठ और कमर सहलाने लगा।
मैं चुप चाप लेटे लेटे मज़े ले रही थी।
कुछ देर बाद, सहलाना बंद हो गया।
मैं ऐसे ही लेटी रही और जय के फिर से छूने का इंतेज़ार करने लगी।
पर काफ़ी देर तक, उसने मुझे नहीं छुआ तो मैं नींद की हालात में ही पलटी और सीधी हो गई।
अब मैंने चादर भी पूरी ले ली थी।
जय कंप्यूटर पर बैठ के कुछ कर रहा था।
उसका एक हाथ उसके लण्ड पर था और वो मुझे बार बार मुझे देख रहा था।
मैंने मौका पा कर, अपनी पैंटी चादर में ही निकाल दी।
कुछ ही देर में, मैंने फिर से करवट बदल ली।
अब चादर, मेरे जाँघ तक थी।
जाँघ से नीचे, मेरे पैर खुले थे।
कुछ देर बाद फिर मैंने जय के हाथ का टच महसूस किया, अपने पैरों पर।
वो मेरी जाँघ पर धीरे धीरे, हाथ घुमा रहा था।
धीरे धीरे, वो अपना हाथ ऊपर सरकाने लगा।
फिर उसका हाथ, मेरी नंगी गाण्ड तक पहुँच गया।
उसका हाथ कुछ देर तक मेरी गाण्ड पर ही रहा।
डॉली… डॉली… – उसने मुझे धीरे से आवाज़ दी पर मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया।
वो समझ चुका था के मैं जाग रही हूँ।
अब उसकी हिम्मत जैसे, एकदम खुल गई और उसने मेरे बदन पर से चादर हटा दिया।
मैं वैसे ही, करवट पर लेटी रही।
फिर उसने मेरी ब्रा का हुक खोला और मुझे सीधा किया।
उसने मेरे होंठ अपने मुंह में ले लिए और चूसने लगा।
उसकी इस हरकत से तो जैसे मैं पागल सी हो गई।
मैंने अपना हाथ, उसके कंधे में डाल दिए और अपनी तरफ दबाने लगी।
अब जय में पूरी तरह से काम भावना आ चुकी थी और अब वो किसी पागल कुत्ते की तरह मुझे चाट रहा था।
अब मैंने भी अपनी आँखें खोल दी और जय को पूरा सपोर्ट देने लगी।
मैं उसका लण्ड पकड़ के अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
मेरे बाजू के टेबल पर ही मैंने अपना पर्स रखा था।
मैंने हाथ बढ़ा के उसमें में से कंडोम निकाला और जय को दे दिया।
जय ने बिना कुछ पूछे मुझसे वो कंडोम ले लिया और अपने लण्ड पर लगा लिया।
फिर, उसने मेरी चूत में अपना लण्ड डाला और ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदने लगा।
करीब 5 मिनट के बाद वो झड़ा और फिर हम दोनों अलग हुए।
मुझसे अलग होते ही उसने पूछा – तू वर्जिन (कुँवारी) नहीं थी… ??
मैंने कहा – नहीं…
किसने ली है, तेरी… – उसने फिर पूछा।
उसके बाद, मैंने जय को सारा किस्सा कह सुनाया।
जय बहुत गुस्सा होने लगा।
उससे ये बात, बर्दाश्त नहीं हो रही थी के 3 लड़कों ने मुझे ज़बरदस्ती चोदा।
फिर मैंने उससे कहा – अभी थोड़ी देर पहले तू भी तो मुझे कितने मज़े से चोद रहा था… मैं तो तेरी सग़ी बहन हूँ… फिर अब, ये ढकोसला क्यूँ…
ये सुन के वो शांत हुआ।
फिर उसने मुझसे कहा – अगर तू मुझे ये सब पहले बता देती तो वो लोग तेरे साथ ज़बरदस्ती कुछ नहीं कर पाते…
वो कैसे… ?? उनके पास मेरी नंगी वीडियो क्लिप्स थीं… – मैंने कहा।
तो वो उठ के अपने कमरे में गया और एक सीडी ला कर कंप्यूटर में प्ले किया।
उसमें उसके और शब्दिता की रेकॉर्डिंग थी।
अब मैं उन्हें तेरे साथ कुछ भी नहीं करने दूँगा… अगर उनके पास हमारी कमज़ोरी है तो हमारे पास भी उनकी कमज़ोरी है… मैं उनसे सीडी के बदले सीडी का सौदा करूँगा… – जय बोले जा रहा था पर मेरे दिमाग़ में कुछ और चल रहा था।
मैंने जय से कहा – सौदा करने के बजाए, कोम्प्रोमाईज़ कर लें तो… ??
जय – मतलब… ??
मैं – इस सीडी के ज़रिए शब्दिता को भी शामिल कर लेते है। फिर हम दो लड़कियाँ और तुम 4 लड़के हो जाओगे… मज़े करेंगे… तू भी शब्दिता को पटक पटक कर चोदना…
जय (चौंकते हुए) – तू तो रांड़ बनती जा रही है…
मैं – 6 दिन से लगातार चुद रही हूँ… अब मैं चुदाई के बिना नहीं रह सकती…
जय (कुछ देर सोचने के बाद) – ठीक है… तू जैसा कहती है, वैसा ही करेंगे…
फिर, मैंने जय को कस के हग किया।
उसका लण्ड, फिर से खड़ा हो गया।
मैं हटी और उससे पूछी – एक बात बता, तूने शब्दिता की गाण्ड ली थी… ??
नहीं… – उसने कहा।
मैं – मेरी गाण्ड मारेगा..
जय – चल घूम जा..
फिर जय ने मेरी गाण्ड मारी और भाई बहन नंगे एक दूसरे की गांद में सो गये..
आधी रंडी मैं बन चुकी थी और पूरी का सफ़र, शुरू हो गया था।
… …
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