Wednesday, September 2, 2015

FUN-MAZA-MASTI एक था राजा, एक थी नौकरानी --2

FUN-MAZA-MASTI

एक था राजा, एक थी नौकरानी --2




वो फिर से करहाने लगी और राजा से दया की भीख माँगने लगी.. मगर, राजा तो बिल्कुल बहक चुका था और दासी का मुंह अपने लंड के सामने लाकर बोला चूस इसे… !!
दासी ने अपने दोनों हाथ जोड़ कर, राजा से मना किया तब राजा गुस्से में आकर अपने लंड को दासी के होठों से रगड़ने लगा.. मगर, दासी ने अपने मुंह ना खोला..
फिर, राजा ने उसके मुंह को अपने हाथ से दबाया और दर्द से छटपटाती दासी ने मुंह तुरंत खोल दिया और जैसे ही उसने मुंह खोला, राजा ने लंड उसके मुंह के अंदर डाल दिया और फिर राजा उसके सिर को लंड की और धकेलेने लगे और जैसे चूत को चोदते हैं, वैसे उसके मुंह को चोदने लगे..
राजा का बड़ा लंड, दासी के पूरे मुंह में आ गया था और उसे साँस लेने में भी तकलीफ़ हो रही थी।
दूसरी तरफ, राजा अपने हाथों से बेदर्दी से उसकी चूचियाँ मसले जा रहा था.. उसको दर्द सहन नहीं हो रहा था और उसकी आँखों से आँसू बाहर आ गये.. मगर, राजा यह सब कहाँ देख पा रहा था..
फिर, राजा भी अपने बिस्तर पर बैठ गया और दासी का सिर अपनी गोदी में रख उसके मुंह को चोदता रहा और अपनी उंगलियाँ उसकी कुँवारी चूत में डाल दी, जिससे वो तिलमिला उठी..
वो चीखना तो चाहती थी, मगर आवाज़ कहाँ से बाहर आती। उसके मुंह के अंदर तो लंड था और वो मुंह से लंड निकालना भी चाहती थी.. मगर, राजा के हाथ उसके सिर को पीछे से दबाए रहते.. जिससे, वो लंड को मुंह से निकल ना पाती..
वो बुरी तरह, दर्द के कारण तड़प रही थी।
अब वो समझ चूकि थी की आज उसकी इज़्ज़त नहीं बचने वाली और अगर वो ज़यादा प्रयास करेगी तो दर्द और होगा.. इसलिए, उसने अपने बदन को राजा के समर्पित कर दिया और अब जैसा राजा चाहता, वो करता..
उसने दासी के मुंह को लगातार, जब तक चोदा जब तक वो पूरी तरह झड़ नहीं गया.. यहाँ तक की अपना वीर्य भी, उसने दासी के मुंह में ही निकाला और एक बूँद भी बाहर नहीं गिरने दिया और फिर जैसे ही उसने अपना लंड बाहर निकाला तो दासी को उबकाई सी आई..
राजा मुस्कुराते हुए बोला क्यों, स्वाद अच्छा नहीं था… !! और फिर हंसते हुए उसने दासी के होठों का चूँबन ले लिया और बोला आ तुझे दवाई दे दूं… !! जिससे, तेरा दर्द भी कम हो जाएगा और बाद में चुदने में भी मज़ा आएगा… !! और यह कह उसने पास में रखी शराब उठाई और उससे चाँदी के दो गिलासों में पलट दिया और खुद तो एक बार में गाता गत पी गया.. मगर, दासी ने पीने से मना कर दिया तो उसने उसे ज़बरदस्ती पिला दिया और फिर उसने दासी को अपने लंड की मालिश का इशारा किया और फिर दासी बिना प्रतिकार कर, उसके लंड की मालिश करने लगी और राजा उसके चूची चूसने लगा और थोड़ी ही देर में, राजा का लंड फिर खड़ा हो गया और फिर उसने दासी को बगल से पकड़ बिस्तर पर, बिल्कुल सीधा लिटा दिया..
 
दासी की आँखों में डर था की इतना बड़ा लंड उसकी चूत का क्या हाल करेगा और राजा से प्यार की उम्मीद तो बेकार थी।
राजा ने अपने लंड का सुपाड़ा, दासी की चूत के दरवाज़े पर टीका दिया और उसे उसकी चूत पर मलने लगा।
दासी के दिल की धड़कन, बहुत तेज हो गई और फिर राजा ने अपनी मुंह से थूक निकाल कर दासी की चूत पर मला और फिर हल्का सा झटका दिया.. जिससे, लंड थोड़ा अंदर गया.. मगर, दासी की कुँवारी चूत यह झटका भी संभाल ना पाई और खून उसकी चूत से बाहर आ गया और उसे लगा की वो मर जाएगी..
दर्द इतना था की वो लगभग बेहोशी की हालत में थी.. मगर, शायद राजा उतना बुरा ना था जितना, उसने उस रात किया था, इसलिए, उसने दासी को संभाला और हल्के हल्के चूँबन से उसे होसला दिया..
फिर, उसने धीरे धीरे दूसरा झटका दिया और दासी उस दर्द को बर्दाशत ना कर सकी और बेसूध होकर बिस्तर पर गिर गई।
राजा ने, फिर उसे संभाला और कभी उसके सिर पर हाथ फेरा तो कभी उसके होंठ चूमे और फिर उसने तीसरा और आखरी धक्का लगाया.. जिससे, दासी की चूत बिलकुल खुल गई और वो दर्द से चिल्ला उठी..
उसकी आवाज़ इतनी तेज थी की महल में रह रहे, सभी मंत्रियो तक वो आवाज़ पहुँची।
कई लोग, राजा के कक्ष तक आए देखने की क्या हुआ.. मगर, अंगरक्षकों ने उन्हें अंदर जाने से मना कर, किसी तरह बात संभाली..
इधर, दासी दर्द से व्याकुल हो उठी थी.. मगर, राजा कहाँ मानने वाला था और काफ़ी देर तक उसने अपने लंड को साधे रखा और हिला तक नहीं..
दासी तो चाहती थी की राजा लंड बाहर निकाल ले.. मगर, वो जानती थी की उसका चाहना, यहाँ कुछ कीमत नहीं रखता.. इसलिए, वो दर्द से करहती हुई लेटी रही..
बस, अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को चौड़ा करने की कोशिश करती रही की थोड़ा दर्द कम हो।
राजा ने जब देखा की दासी थोड़ी शांत हुई है तो उसने अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया।
दासी दर्द से बेहाल, करहाती रही।
उसकी सिसकारियाँ, अब सुनने वाला कोई नहीं था और उसकी इज़्ज़त लूट चुकी थी..
उसकी आँखों से आँसू, बाहर लगातार आ रहे थे..
जो चूत, उसने अपने जीवनसाथी के लिए बचाई थी.. वो, अब राजा की हवस का शिकार हो चूकि थी.. मगर, राजा को इस बात से कोई मतलब ना था और वो तो नशे में चूर, उसे चोदने में लगा था..
उसने कुछ देर तक तो, अपने लंड को प्यार से धीरे धीरे अंदर बाहर किया.. मगर, फिर जब उसने देखा की दासी का करहाना बहुत कम हो गया तो अपने लंड को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा.. जिससे, दासी फिर से करहाने लगी..
राजा भी जोश में, आवाज़ें निकालने लगा.. मगर, दोनों की आवाज़ ऐसी थी जैसे कोई शेर किसी बकरी के मेमने को चोद रहा है..
थोड़ी देर तक तो दासी सहन कर पाई, फिर बेचारी बेहोश हो गई..
राजा उसे चोदता रहा, जब तक वो पूरी तरह झड़ ना गया और उसके बाद वो भी ढीला पड़ कर, उसके बगल में ही बेहोश हो कर गिर गया।
 
सुबह जब राजा की आँख खुली, तब उसने देखा की उसके बिस्तर पर खून था और फिर उसकी नज़र दासी पर पड़ी.. जो, अपने नंगे बदन को छुपाए रोए जा रही थी..
तब राजा को अपनी ग़लती का एहसास हुआ.. मगर, अब कोई कुछ नहीं कर सकता था..
अब राजा को यह भी डर लगने लगा की अगर, दासी ने यह बात बाहर बता दी तो जो मंत्री उसके विरोध में है, उनको राजा की सता छीनने का बहाना मिल जाएगा.. इसलिए, राजा ने दासी को समझाया की जो हो गया सो हो गया.. मगर, राजा की शादी उसकी वक्षकुमारी से हो जाए तो वो दासी को पूरी इज़्ज़त से अपने राज्य में शरण देगा और उसका पूरा ख़याल रखेगा और अगर उसके चोदने के कारण दासी को शिशु होता है तो उसका ध्यान भी राजा ही रखेगा..
दासी फिर भी रोती रही और बोली नहीं महाराज, मुझे न्याय चाहिए… !! आप ऐसे ही, अपने पाप से बच नहीं सकते… !!
राजा, यह सुन भड़क गया और बोला देख दासी, अगर तूने यह बात बाहर किसी को बताई तो मैं यह शपथ लेता हूँ की उसका नुकसान तुझे अकेले को नहीं, तेरे पूरे परिवार और राज्य को उठना पड़ेगा… !!
दासी डर गई और फिर राजा ने उसे एक बार और प्यार से समझाया की अगर वो राजा की बात मन ले तो वो उसका भविष्य सुधार देगा और उसे कई तरह के प्रलोभन, राजा ने दिए।
दासी को भी लालच आ गया और फिर, राजा ने कहा मगर, यह सब जब ही हो सकता है, जब तू मेरी शादी वक्षकुमारी से करा दे… !!
दासी ने राजा की और देखा और बोली मेरे साथ जो हुआ है, उसकी वजह वक्षकुमारी ही है… !! क्यूंकी, अगर वो मुझे यहाँ ना भेजती तो आप मुझे उन्हें समझकर, मेरा बलात्कार नहीं करते… !! इसलिए, महाराज मैं इसका का बदला तो उनसे लूँगी और उन्हें आपकी रानी बना के अपनी प्रतिज्ञा पूरी करूँगी… !!
फिर राजा मुस्कुराया और बोला वैसे, वो प्यार किससे करती है… !! ??
दासी ने राजा की और देखा, मुस्कुराई और बोली किसी से नहीं… !! और यह कह उसने राजा को पूरा सच सुना दिया की राजकुमारी ने क्यों मना किया।
राजा यह सुन और क्रोध में आ गया की राजकुमारी ने उसका रिश्ता इसलिए ठुकराया क्यूंकी वो देखने में उसे सुंदर ना लगा और राजा ने भी एक प्रतिज्ञा ली और बोला मैं प्रतिज्ञा लेता हूँ की मैं वक्षकुमारी को जब तक अपना लंड ना चुसवाऊँ, तब तक मैं अपना लंड नहीं धोऊंगा… !! और फिर उसने दासी की और देखा तो दासी उसके लंड की और देख मुस्कुरा रही थी..
उसने दासी से पूछा दासी, और तुम्हें मैं रंग रूप में कैसा लगा… !! ??
दासी मुस्कुराई और बोली महाराज, मुझे तो आप बहुत सुंदर लगे थे… !! मगर, हम तो ग़रीब लोग हैं… !! हर बड़ा इंसान, हमें सुंदर ही दिखता है… !!
 
राजा मुस्कुराया और बोला हम तुम्हारी बातों से खुश हुए… !! इसलिए, अब हम तुम्हें हम अपने हाथ से स्नान कराएँगे और कई आभूषण और कपड़े भेट देंगे और फिर तुम्हें विदा करेंगे… !!
और फिर राजा ने अपने अंगरक्षकों को आवाज़ दी और बोला की दसियों को भेजो… !!
कुछ ही देर में, दासी कक्ष के अंदर आयीं।
वो राजा और दासी को नंगा देख, चौक गईं.. मगर, फिर उसने अपने आप को संभाला और बोली महाराज, क्या आज्ञा है… !!
राजा बोला सुनो, दासी हमारे स्नान के लिए गरम पानी का प्रबंध करो और सब दसियों से कहो की स्नान कक्ष में नग्न अवस्था में, हमारे और अब से तुम्हारी प्रमुख दासी की सेवा में उपस्थित (मौजूद) रहें… !!
दासी ने सिर हिलाया और बोला जो आज्ञा, महाराज… !! और वो कक्ष से बाहर चली गईं और कुछ देर में वापिस आईं और बोलीं महाराज, सब तैयार है… !! आप स्नान के लिए, आ सकते हैं… !!
 
राजा ने दासी की और देखा और बोला अब हम तुम्हें शाही स्नान का मज़ा दिलाते हैं… !! और फिर राजा ने दासी को गोद में उठाया और स्नान कक्ष की तरफ चल दिया और उसने अपने आगे चल रही दासी से बोला अक्षरा, तुम वस्त्र नहीं उतरोगी… !!
तब आगे चल रही दासी, बोली महाराज, मैं अपने वस्त्र स्नान कक्ष में पहुचने पर, उतार दूँगी… !!
फिर राजा मुस्कुराया और ललचाई आँखों से आगे चल रही दासी के, चुत्तड़ देखने लगा..
वहाँ जाकर दासी ने देखा की राजा की सारी दासियाँ नंगी खड़ी हैं और फिर राजा ने दासी को गोदी से उतारा और बोला देखो, यह हमारे विवाह के बाद, तुम सब की प्रमुख होंगी… !! इसलिए, अब से तुम्हें इनकी हर आज्ञा का पालन करना है… !! और फिर उसने अपनी प्रमुख दासी को बुलाया और बोला अक्षरा, अब आप भी अपने वस्त्र उतार सकती हैं… !!
यह कहते ही, उस दासी ने अपने सारे वस्त्र उतार दिए और नंगी खड़ी हो गई और राजा ने अपनी दासियों को इशारा कर कहा की तुम इनको ठीक से स्नान करवाओ और इनकी चूत भी गरम पानी से धोकर, इनकी चूत की सूजन का भी इलाज़ करो और राजा ने फिर अक्षरा का हाथ पकड़ा और बोला आप मेरे साथ आएँ… !! और वो अपने चुत्तड़ मटकाते हुए, राजा के साथ चली गई..
 
फिर सारी दासियाँ, वक्षकुमारी की दासी को गरम पानी से स्नान कराने लगीं और एक दासी उसकी चूत और जांघों पर जो खून जमा था, उसे साफ़ करने लगी।
राजकुमारी की दासी, सिसकारियाँ लेने लगी..
कभी कोई दासी उसकी चूत साफ़ करते करते, उसकी चूत में उंगली डाल देती तो कभी उसकी गाण्ड को सहलाती और कोई उसके चूचे धोते धोते, उसकी चूची हल्की सी मसल देती।
वो, एक दम रानी जैसे जीवन का आनंद ले रही थी जो उसने सपने में भी ना सोचा था और उसको रात का अनुभव बिलकुल याद ना रहा..
बस, वो मदहोश अपनी जवानी का आनंद ले रही थी।
वहाँ राजा, अपनी दासी अक्षरा से अपने लंड की मालिश करा रहा था.. उसका लंड, काला ज़रूरी था.. मगर, एक मूसल जैसा मोटा और बड़ा था..
राजा की दासी, राजा के लंड को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर मालिश कर रही थी.. जिससे, उसका लंड एक दम तन गया था..













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