FUN-MAZA-MASTI
पराया पिया प्यारा लगे--5
मैं अपनी कमर को आगे पीछे हिला हिला कर, उसे चोदने में सहयोग कर रही थी।
इधर, उस का लण्ड बड़ी तेज गति से मेरी चूत में अंदर बाहर होने लगा था।
अब मैं भी नीरू की तरह ही उत्तेजना के मारे, चिल्ला चिल्ला कर उस के लण्ड से अपनी चूत चुदवा रही थी।
वो दाना दान, मेरी फुददी चोदे जा रहा था।
मैं कमर हिला हिला कर, उस से चुदवाये जा रही थी।
लगभग 15-20 मिनट तक मेरी चूत को चोदने के बाद, उसने अपना लण्ड चूत से खींच कर एका एक मेरी गाण्ड में पेल दिया।
अरे, बाप रे बाप!!
मैं चिल्ला पड़ी – अन्ह ह ह ह ह ह..! आआआ आ आ आ आ आ आआ..! बहन के लौड़े..! उन्म मम्म म म म म ह ह ह ह ह..! तेरी माँ का भोसड़ा, गांडू..! फूह स स स स स s s s s s..! साले, तेरी बहन का लण्ड..! निकाल भडुए, बाहर..! इस्शह..! उफ्फ ह ह ह ह ह..! तेरी माँ चुद जाये, बीच बाजार हरामी..! इयाः यामाह..! आ आ आ आ आ..! तेरी गाण्ड पर सूअर मुते, भोसड़ी वाले..! आह s s s s s s s s s s..! माँ के चूत, तेरी बहन चोद द द द द द द..! तेरे खानदान की सारी औरतें चुदेंगी, कोठे पर..! मादर चोद द द द द द द s s s s s s s s s s..!
पर, इसके बाबजूद उसने मेरी गाण्ड में 4-5 धक्के लगाकर, अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में ठूंस दिया।
दर्द के मारे, मेरी गाण्ड की हालत पस्त हो चुकी थी.. लेकिन, वो मान ने वाला कहाँ था..
मेरे दर्द और मेरी गाण्ड की हालत की परवाह किए बिना, लगातार अपने लण्ड को गाण्ड में पेलता गया।
अब मेरी गाण्ड का दर्द, धीरे धीरे कम होने लगा था और मेरी गाण्ड में घुसता निकलता, उसका लण्ड धीरे धीरे मज़ा देने लगा था।
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वो गाण्ड में लण्ड को पेलने की गति तेज करने लगा।
अब उसका लण्ड गाण्ड में सटा सटा, अंदर बाहर होने लगा था।
जब उसका लण्ड गाण्ड में घुसता तो मेरी चूत भी फैल जाती और उसके लण्ड के गाण्ड से बाहर निकलते ही, मेरी चूत भी सिकुड जाती थी।
मुझे अब अपनी गाण्ड में उसका लण्ड लेने में, बहुत मज़ा आ रहा था।
मैं वैसे पहले भी कई बार अपनी गाण्ड मरवा चुकी थी.. लेकिन, गाण्ड मरवाने में मुझे आज तक, ऐसा मज़ा नहीं आया था..
गाण्ड मरवाने में, आज मुझे जो आनंद मिल रहा था उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती।
इधर, नीरू खिसकते हुए मेरे नीचे आ गई और मेरी गाण्ड में पड़ते लण्ड के हर धक्के के असर से हिलती हुई मेरी चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, जिस से मेरा आनंद और भी बढ़ गया।
वो लड़की, अब भी नीरू के चूत को चाटे जा रही थी और नीरू अपने पैर सटका सटका कर उस से अपनी चूत चटवाए जा रही थी।
नीरू, मेरी एक चूची को मुँह में लेकर चूसते हुए मेरी दूसरी चूची की घुंडी को अपनी उंगलियों में लेकर मसलते जा रही थी।
इस तरह, तुम्हारी बीवी से अपना चूची चूसवाते और मसलवाते हुए, उस का लण्ड अपनी गाण्ड में लेने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
मेरा मन कर रहा था की गाण्ड में घुसते लण्ड की तरह ही, एक और मोटा सा लण्ड कोई नीचे से मेरी चूत में पेल देता।
मैं अपना हाथ नीचे लेजा कर, अपनी चूत को मलने लगी थी।
वो लड़की, शायद मेरे मन की बात ताड़ गई थी।
वो उठकर, वहीं पड़े टेबल के ड्रॉयर से दो मोटे नकली लण्ड निकाल लाई।
एक लण्ड, करीब 12 इंच लंबा था और दूसरे का साइज़ 14 इंच के आस पास था।
छोटा वाला लण्ड, नीरू ने ले लिया और उसे मेरी चूत में पेलने लगी।
दो तीन धक्कों में ही, उसने पूरा लण्ड मेरी चूत में पेल दिया।
अब एक तगड़ा लण्ड, मेरी गाण्ड में अंदर बाहर हो रहा था और उस से भी बड़ा एक लण्ड, मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था।
मैंने नीरू से वो छोटा वाला लण्ड निकाल कर, बड़ा लण्ड मेरी चूत में पेलने को कहा।
उसने तुरंत मेरी चूत में उस लण्ड को निकाल कर, उस लड़की को थामते हुए उसके हाथ से लंबा वाला लण्ड लेकर, मेरी चूत में पेल दिया।
वो लड़की, मेरी चूत से निकाल कर दिए लण्ड को नीरू के चूत में पेलने लगी।
अब मेरी चूत में 14 इंच लंबा और गाण्ड में 10 इंच लंबा लण्ड, साथ साथ अंदर बाहर होने लगे थे।
मैं तो अपने दोनों छेदों में घुसते निकलते लंड के मज़े को पकड़, स्वर्ग का सफ़र करने लगी थी।
यूँ ही तेरी बीवी, मेरी चूत में और वो जालिम मर्द मेरी गाण्ड में, अपना लण्ड पेलते रहे।
मैं गाण्ड हिला हिला कर, अपनी गाण्ड और चूत में एक साथ लण्ड लेती रही।
उधर, वो लड़की नीरू के चूत में 12 इंच लंबा आर्टिफिशियल लण्ड पेलकर हिलाते जा रही थी।
मैं चरम बिंदु के करीब पहुँच चुकी थी की तभी उस ने अपने लण्ड का पानी मेरी गाण्ड में उडेल दिया।
मेरी चूत भी ठीक उसी वक़्त, अपना पानी छोड़ने लगी।
वो अपना लण्ड कच कचाकर मेरी गाण्ड में और नीरू आर्टिफिशियल लण्ड को मेरी चूत में ठेले हुए थी।
मैंने अपनी चूत और गाण्ड दोनों बड़ी ज़ोर से सिकोडे हुए, अपने दोनों छेदों में एक एक लण्ड को संभाली हुई थी।
हमारी पहले दौर की चुदाई ख़तम होते ही, बाहर से दरवाजा नॉक हुआ..! ..!
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उस लड़की ने कौन है पूछते हुए, दरवाजा खोल दिया।
रूम में एक साथ, 10 लड़के दाखिल हुए।
हमें पहले से ही नंगा देख कर, वो जल्दी जल्दी अपने कपड़े खोलने लगे और कुछ ही देर में, वो सब भी नंगे हो गये।
उन में से हर एक का लण्ड खड़ा हुआ था।
उन में से किसी का भी लण्ड 7-8 इंच से कम का नहीं था।
वो दो ग्रूप में बँट कर, हम दोनों की तरफ बढ़ने लगे।
मेरे पास आकर, एक ने मेरी एक चूची को तथा दूसरे ने मेरी दूसरी चूची को अपने हाथों में ले लिया और मसलने लगे।
एक ने मेरी चूत में तथा एक ने मेरी गाण्ड में, उंगली पेल दी और अंदर बाहर करने लगे, पाँचवे लड़के ने अपना लण्ड मेरे मुँह में पेल दिया, जिसे मैंने फ़ौरन चूसना शुरू कर दिया।
ठीक इसी तरह, नीरू के गाण्ड तथा चूत में दो लड़के अपनी उंगली पेलने लगे तथा दो लड़के उसकी एक एक चूची अपने मुँह में लेकर चूसने लगे और पाँचवे ने अपना लण्ड उसके मुँह पे सटा दिया, जिसे वो चूसने लगी थी।
नीरू, उन दोनों लड़कों का लण्ड अपने दोनों हाथों में लेकर सहला रही थी जो उसकी चूचियों को चूस रहे थे।
मेरे और नीरू की गाण्ड और चूत में जो लड़के अपनी उंगलियाँ अंदर बाहर पेल रहे थे, उनका लण्ड हमारी कमर के पास हिचकोले मार रहे थे।
हम दोनों के साथ, एक बार में पाँच पाँच लड़के भिड़े हुए थे।
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वो पहले वाला मर्द जो अभी कुछ ही देर पहले तेरी बीवी को और फिर मुझे चोद चुका था वो अब उस लड़की को अपनी गोद में लेकर, सोफे पे बैठा हमारा खेल देखता हुआ, उसकी छोटी छोटी चूचियों से खेल रहा था।
वो लड़की, उसकी गोद में बैठी अपने चुत्तड़ उस के लण्ड पे रगड़ रही थी।
उस का लण्ड, उसके चुत्तड़ को स्प्रिंग की तरह ऊपर उठा रहा था।
दस पंद्रह मिनट तक, हमारे साथ ऐसे ही खेलते खेलते वो लड़के काफ़ी गरम हो गये।
हम दोनों का बदन तो पहले से ही गरम था ही ऊपर से दस दस लड़कों के तनतनाए हुए लण्ड देख कर और अपने बदन पे उनके द्वारा की गई छेड़खानी के कारण, हमारी चूत में खुजली होने लगी थी।
उन में से मेरी चूंचियों से खेलते लड़कों में से एक ने नीचे चित लेटते हुए, मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अपना लण्ड मेरी चूत पे रखते हुए मुझे ऊपर से धक्का मारने को बोला।
जब मैंने ऊपर से धक्का मारा तो उसने नीचे से अपना चुत्तड़ उछाल कर, अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में पेल दिया।
मेरी दूसरी चूची से खेलता लड़का, मेरे पीछे आकर उसने मेरी गाण्ड में अपना लण्ड पेल दिया।
मेरी गाण्ड में उंगली करते लड़के ने, अपना लण्ड मेरे मुँह में रख दिया जिसे मैं चाटने लगी।
बाकी दोनों लड़कों का लण्ड, मैं अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी।
उसी तरह, एक लड़के के ऊपर चढ़ कर नीरू ने उसका लण्ड अपनी चूत में ले लिया और ठीक मेरी ही तरह एक लड़के ने अपना लण्ड उस की गाण्ड में और दूसरे ने अपना लण्ड उस के मुँह में पेल दिया था।
वो भी एक एक लड़के का लण्ड, अपने हाथों में लेकर सहला रही थी।
हम दोनों की चूत, गाण्ड और मुँह में एक एक लण्ड एक साथ अंदर बाहर हो रहे थे और हम अपने हाथों में एक एक लण्ड पकड़े, कभी उन्हें सहलाने लगती थीं तो कभी सिर्फ़ ज़ोर से पकड़ कर अपनी चूत गाण्ड और मुँह में लण्ड पेलने का मज़ा लेने लगती थीं।
हमारी चूत और गाण्ड में उनके लंड के धक्के की स्पीड, हर पल बढ़ती ही जा रही थी।
चूत और गाण्ड में जिस रफ़्तार से लण्ड घुस और निकल रहे थे, उस से भी तेज गति से हमारे मुँह में लण्ड का धक्का पड़ रहा था।
आनंद के मारे, हम पागल हुए जा रही थीं।
ऐसी जानदार चुदाई का खेल, हम दोनों में से किसी ने भी आज से पहले नहीं खेला था।
दस पाँच मिनट की शानदार चुदाई के बाद, उन लड़कों ने अपना पोज़िशन चेंज किया।
मेरी गाण्ड में जो अब तक अपना लण्ड पेल रहा था, वो अब अपना लण्ड मेरे मुँह में पेलने लगा।
जिन दो लड़कों का लण्ड, मैं अपने हाथों से सहला रही थी उन में से एक ने अपना लण्ड मेरी चूत में और दूसरे ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में पेल, धक्का मारने लगा।
नीरू की चूत चोदते लड़के ने, अपना लण्ड अब उस के मुँह में पेल दिया और जिन दो लड़कों का लण्ड वो हाथों से सहला रही थी, उन में से एक ने अपना लण्ड उसकी चूत में और दूसरे ने अपना मोटा लण्ड उसकी गाण्ड में पेल कर, घचा घच चोदना शुरू कर दिया था।
करीब एक घंटे की चुदाई के बाद, सभी लड़कों ने एक के बाद एक चूत में किसी ने गाण्ड में किसी ने मुँह में और बाकी दो ने जिस्म के उपर अपना अपना वीर्य छोड़ दिया।
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अब हमें वहाँ लाने वाले मर्द ने कहा – अरे भाभियों, आज मेरी वजह से तुम लोगों को इतने शानदार चुदाई का मौका मिला और तुम्हारी घंटों की जानदार चुदाई देख देख कर, मेरा लण्ड तुम्हारे चूत और गाण्ड के लिए पागल हो रहा है..! कम से कम, एक एक बार अपना चूत और गाण्ड का रसपान तो करा दो इसे..!
उसके आग्रह और उसके लपलपाते लण्ड पे, हमें तरस आ गया और फिर पहले नीरू ने और उस के बाद मैंने उसके लण्ड को एक एक बार अपनी चूत और गाण्ड का रसपान करा दिया।
हमारे चूत और गाण्ड से, उनका वीर्य टपक टपक कर बाहर चू रहा था।
हमारे बदन पे भी हर जगह उन का वीर्य लगा हुआ होने के कारण, हमारा पूरा बदन चिप चिपा हो गया था।
हमें लाने वाले मर्द ने हमें एक दूसरे के चूत और गाण्ड से टपकते वीर्य को चाटने का और एक दूसरे के बदन पे लगे वीर्य को चाट चाट कर साफ़ करने का निर्देश दिया।
हमने वैसा ही किया।
फिर हम ने उस के बाथरूम में जाकर, पेशाब किया और नहाने लगे।
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हमारी चूत और गाण्ड उन में पड़े उनके घंटों के धक्के के कारण, दोनों फूल कर लाल लाल हो गई थी।
उसी तरह हमारी चूचियाँ भी सूज गई थीं और वी भी लाल लाल हो गई थीं।
हमारे बदन के अलग अलग हिस्सों पे भी उनके नाख़ून और दाँत के निशान दिख रहे थे जो चोदते वक़्त, उन्होने अपने नाखूनों तथा दाँतों से काट काट कर बना दिए थे।
नहाने के बाद, हमने अपने कपड़े पहने, अपने आप को ठीक किया और गिरते पड़ते कदमों से अपने होंठ चबाकर, चूत और गाण्ड में उठते दर्द को पीते हुए अपने घर की तरफ वापिस आ गये।
हमने वहाँ से चलते वक़्त फिर से वहाँ आने का वादा किया था.. लेकिन, वहाँ जाने के नाम से ही हमारी चूत और गाण्ड दुखने लगती थी.. इस लिए, आज तक हम ने फिर कभी उन से संपर्क नहीं किया..
मैं एक नाइट कोच से, मिष्टी के साथ काठमांडू से लौट रहा था।
होटल से निकलने के पहले, मिष्टी ने नहा कर काफ़ी आकर्षक मेकअप किया था।
उस ने गुलाबी रंग की सिल्क की साड़ी और उस से मिलते रंग का ब्लाउज पहन रखा था..
ब्लाउज का गला, आगे और पीछे दोनों तरफ से काफ़ी बड़ा था.. जिस से, उस के पीठ का लगभग पूरा हिस्सा खुला हुआ था..
ब्लाउज के आगे के लो कट शेप के गले से, उस की चूचियों का कुछ हिस्सा झलक रहा था..
ब्लाउज के अंदर पहने उसके ब्रा का पूरा नक्शा, ब्लाउज के ऊपर से साफ़ दिख रहा था..
टाइट ब्लाउज में कसे होने के कारण, उस की चूचियों के बीच एक लाइन बन गई थी..
साड़ी और ब्लाउज में कसमसाती उस की चूंचिया, काफ़ी सुडौल और आकर्षक लग रही थीं..
उन्हें देख कर, किसी भी मर्द का मन उन्हें कपड़ों के बाहर देखने को तडपे बिना नहीं रह सकता।
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गले में उसने सोने की चैन और चैन में एक आकर्षक लॉकेट पहन रखा था, जो उस की चूचियों के ऊपर लटक रहा था..
कानों में सुंदर सोने की बालियां और नाक में सोने की नाथ, उस की सुंदरता को और बढ़ा रहे थे..
उसने अपनी दोनों बाँहों में, साड़ी से मिलते जुलते रंग की सुंदर चूड़ी पहन रखी थी..
उस की दोनों हथेली, आकर्षक डिज़ाइन में लगी मेहंदी से सजी हुई थी और उस के हाथों और पाँवों के नाखूनों पर गुलाबी नेल पोलिश लगी हुई थी..
उस ने अपने पाँव में, चाँदी की पायल पहन रखी थी..
इस तरह, चलते वक्त उस की पायल के घुंघरुओं से छम छम का मधुर संगीत बज उठता था और जब कभी वो अपने हाथों को हिलाती थी तो उस की बाँहों की चूड़ी खनक कर, वातावरण को मधुर तरंगों से भर देती थी..
उसने मेक-उप भी काफ़ी आकर्षक ढंग से किया था..
उस के गोरे गाल, क्रीम लगी होने से और सुंदर लग रहे थे तो वहीं होंठों पे लगा लिपस्टिक, उस के होंठों की सुंदरता को और बढ़ा रहा था..
उस के माथे पे लगी बिंदी और माँग में सज़ा सिंदूर, उस के रूप को ऐसे चमका रहे थे जिसे देखने के बाद, उसके सुंदर मुखड़े को छूने और चूमने को कोई भी व्याकुल हो जाए..
जब वो अपनी बलखाती चाल के साथ, ऑटो से उतर कर अपनी कमर मटकाती बस में सवार हुई, तो लोग उसे देखते रह गये।
मुझे पूरी उम्मीद है की आसपास के सभी मर्द उसे छूने और कम से कम, एक बार उसे चोदने की लालसा ज़रूर किए होंगे।
आस पास की औरतों और लड़कियों को उस के हुस्न से ज़रूर जलन हुई होगी।
लेकिन, इन बातों से बेख़बर वो अपनी कमर मटकाती हुई, बलखाती चाल से चलती हुई बस में सवार हो कर, अपनी सीट पे बैठ गई और उस के पीछे पीछे चलते हुए, मैं भी उस के बगल वाली सीट पे बैठ गया।
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बस के अंदर भी हमारी सीट के आस पास बैठे लोग, एक दूसरे की नज़र बचा कर अपनी आँखों से उस की सुंदरता के जाम को पी रहे थे।
हमारी सीट से आगे के सीट में बैठे लोग, बार बार पीछे मूड कर उसे देख लेते थे.. मानो, ऐसा करने से उन की आँखों और दिलों को ठंडक पहुँच रही हो..
हमारी रो में उलटी साइड की सीट पे, दो सुंदर लड़कियाँ बैठी हुई थीं और वो भी कभी कभी मूड कर, मिष्टी और मेरी तरफ देख लेती थीं।
बस अपने निर्धारित समय से, रात के 9 बजे चल पड़ी।
बस चलने के बाद, करीब एक घंटे तक बस के अंदर की लाइट जलती रही और इस बीच लोग बार बार उस की सुंदरता को अपनी आँखों से पीते रहे।
करीब दस बजे कंडक्टर ने बस की सारी बत्तियाँ बुझा दी, जिस से बस के अंदर अंधेरा छा गया।
अंधेरे में कुछ देर तक लोगों की बात चीत की आवाज़ आती रही और करीब 10:30 बजते बजते बस के अंदर, बिल्कुल खामोसी छा गई।
मैं तो इसी मौके के इंतजार में था।
मैंने मिष्टी को अपने पास खींच लिया और खुद भी थोड़ा खिसक कर, उस से सट गया।
मैंने अपने दाहिने हाथ में उसका बायां हाथ ले लिया और उसके हाथ को अपने हाथों से सहलाने लगा।
मेरे अंदर इस से सनसनी बढ़ती जा रही थी।
फिर मैंने उसे अपनी गोद में खींच कर, उसके मुखड़े पे एक चुंबन जड़ दिया।
अब मैंने अपने दाय हाथ को उस के कंधे पे रख कर उस के कंधे और उसकी लगभग नंगी पीठ को सहलाने लगा।
थोड़ी देर में, मेरा हाथ फिसलता हुआ उस की दाहिने चूची पे पहुँच गया और मैं उसे ब्लाउज के ऊपर से ही सहलाने लगा।
चूची को सहलाते सहलाते, कभी कभी मैं उसे जोश से दबा देता था।
अब मेरा लण्ड पैंट के अंदर, पूरी तरह खड़ा हो कर तेज़ी से फुदकने लगा था।
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मैंने उसके बाएँ हाथ को अपने बाएँ हाथ से पकड़ कर, अपने लण्ड पे खींच लाया।
वो अपने हाथ से पैंट के ऊपर से ही, मेरे लण्ड को दबाने लगी।
मैं अपने उलटे हाथ को उस की जांघों पे रख कर, उन्हें सहलाने लगा।
मेरा दाहिना हाथ, लगातार उस की चूंचियों पे फिसल रहा था।
मैं मिष्टी की चूचियों और जांघों को सहला रहा था और वो मेरे लण्ड को अपने हाथों से मसल रही थी।
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रात अब काफ़ी बीत चुकी था और मार्च का महीना होने के कारण, अब हल्की ठंड महसूस हो रही थी.. जिस का फायदा उठाते हुए, बैग से हमने एक चादर निकल कर उसे अपने जिस्मों पर डाल लिया..
हमारे जिस्म, अब चादर से पूरी तरह ढक गये थे।
जिस्म पे चादर डालने के पीछे, ठंड तो सिर्फ़ एक बहाना था क्योंकि इतना ज़्यादा ठंड भी नहीं पड़ रही थी की बिना चादर के काम ना चल सके।
हमने तो चादर का इस्तेमाल, सिर्फ़ खुल कर एक दूसरे के बदन का लुत्फ़ उठाने के लिए किया था।
चादर डालने के बाद, मैंने मिष्टी की साड़ी और पेटिकोट को उसके कमर तक उठा दिया और उसके ब्लाउज के हुक और ब्रा के हुक को खोल कर उस की चूचियों को इन के बंधन से मुक्त कर दिया।
अब मैं अपने एक हाथ से उसकी नंगी चूचियों को मसलते हुए, दूसरे हाथ से उस की नंगी जांघों और चूत को सहला रहा था।
मिष्टी ने मेरे पैंट का ज़िपर खोल कर, मेरे खड़े लण्ड को बाहर निकाल लिया था और वो उसे अपने हाथों में लेकर बड़े प्यार से सहला रही थी।
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पराया पिया प्यारा लगे--5
मैं अपनी कमर को आगे पीछे हिला हिला कर, उसे चोदने में सहयोग कर रही थी।
इधर, उस का लण्ड बड़ी तेज गति से मेरी चूत में अंदर बाहर होने लगा था।
अब मैं भी नीरू की तरह ही उत्तेजना के मारे, चिल्ला चिल्ला कर उस के लण्ड से अपनी चूत चुदवा रही थी।
वो दाना दान, मेरी फुददी चोदे जा रहा था।
मैं कमर हिला हिला कर, उस से चुदवाये जा रही थी।
लगभग 15-20 मिनट तक मेरी चूत को चोदने के बाद, उसने अपना लण्ड चूत से खींच कर एका एक मेरी गाण्ड में पेल दिया।
अरे, बाप रे बाप!!
मैं चिल्ला पड़ी – अन्ह ह ह ह ह ह..! आआआ आ आ आ आ आ आआ..! बहन के लौड़े..! उन्म मम्म म म म म ह ह ह ह ह..! तेरी माँ का भोसड़ा, गांडू..! फूह स स स स स s s s s s..! साले, तेरी बहन का लण्ड..! निकाल भडुए, बाहर..! इस्शह..! उफ्फ ह ह ह ह ह..! तेरी माँ चुद जाये, बीच बाजार हरामी..! इयाः यामाह..! आ आ आ आ आ..! तेरी गाण्ड पर सूअर मुते, भोसड़ी वाले..! आह s s s s s s s s s s..! माँ के चूत, तेरी बहन चोद द द द द द द..! तेरे खानदान की सारी औरतें चुदेंगी, कोठे पर..! मादर चोद द द द द द द s s s s s s s s s s..!
पर, इसके बाबजूद उसने मेरी गाण्ड में 4-5 धक्के लगाकर, अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में ठूंस दिया।
दर्द के मारे, मेरी गाण्ड की हालत पस्त हो चुकी थी.. लेकिन, वो मान ने वाला कहाँ था..
मेरे दर्द और मेरी गाण्ड की हालत की परवाह किए बिना, लगातार अपने लण्ड को गाण्ड में पेलता गया।
अब मेरी गाण्ड का दर्द, धीरे धीरे कम होने लगा था और मेरी गाण्ड में घुसता निकलता, उसका लण्ड धीरे धीरे मज़ा देने लगा था।
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वो गाण्ड में लण्ड को पेलने की गति तेज करने लगा।
अब उसका लण्ड गाण्ड में सटा सटा, अंदर बाहर होने लगा था।
जब उसका लण्ड गाण्ड में घुसता तो मेरी चूत भी फैल जाती और उसके लण्ड के गाण्ड से बाहर निकलते ही, मेरी चूत भी सिकुड जाती थी।
मुझे अब अपनी गाण्ड में उसका लण्ड लेने में, बहुत मज़ा आ रहा था।
मैं वैसे पहले भी कई बार अपनी गाण्ड मरवा चुकी थी.. लेकिन, गाण्ड मरवाने में मुझे आज तक, ऐसा मज़ा नहीं आया था..
गाण्ड मरवाने में, आज मुझे जो आनंद मिल रहा था उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती।
इधर, नीरू खिसकते हुए मेरे नीचे आ गई और मेरी गाण्ड में पड़ते लण्ड के हर धक्के के असर से हिलती हुई मेरी चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, जिस से मेरा आनंद और भी बढ़ गया।
वो लड़की, अब भी नीरू के चूत को चाटे जा रही थी और नीरू अपने पैर सटका सटका कर उस से अपनी चूत चटवाए जा रही थी।
नीरू, मेरी एक चूची को मुँह में लेकर चूसते हुए मेरी दूसरी चूची की घुंडी को अपनी उंगलियों में लेकर मसलते जा रही थी।
इस तरह, तुम्हारी बीवी से अपना चूची चूसवाते और मसलवाते हुए, उस का लण्ड अपनी गाण्ड में लेने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
मेरा मन कर रहा था की गाण्ड में घुसते लण्ड की तरह ही, एक और मोटा सा लण्ड कोई नीचे से मेरी चूत में पेल देता।
मैं अपना हाथ नीचे लेजा कर, अपनी चूत को मलने लगी थी।
वो लड़की, शायद मेरे मन की बात ताड़ गई थी।
वो उठकर, वहीं पड़े टेबल के ड्रॉयर से दो मोटे नकली लण्ड निकाल लाई।
एक लण्ड, करीब 12 इंच लंबा था और दूसरे का साइज़ 14 इंच के आस पास था।
छोटा वाला लण्ड, नीरू ने ले लिया और उसे मेरी चूत में पेलने लगी।
दो तीन धक्कों में ही, उसने पूरा लण्ड मेरी चूत में पेल दिया।
अब एक तगड़ा लण्ड, मेरी गाण्ड में अंदर बाहर हो रहा था और उस से भी बड़ा एक लण्ड, मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था।
मैंने नीरू से वो छोटा वाला लण्ड निकाल कर, बड़ा लण्ड मेरी चूत में पेलने को कहा।
उसने तुरंत मेरी चूत में उस लण्ड को निकाल कर, उस लड़की को थामते हुए उसके हाथ से लंबा वाला लण्ड लेकर, मेरी चूत में पेल दिया।
वो लड़की, मेरी चूत से निकाल कर दिए लण्ड को नीरू के चूत में पेलने लगी।
अब मेरी चूत में 14 इंच लंबा और गाण्ड में 10 इंच लंबा लण्ड, साथ साथ अंदर बाहर होने लगे थे।
मैं तो अपने दोनों छेदों में घुसते निकलते लंड के मज़े को पकड़, स्वर्ग का सफ़र करने लगी थी।
यूँ ही तेरी बीवी, मेरी चूत में और वो जालिम मर्द मेरी गाण्ड में, अपना लण्ड पेलते रहे।
मैं गाण्ड हिला हिला कर, अपनी गाण्ड और चूत में एक साथ लण्ड लेती रही।
उधर, वो लड़की नीरू के चूत में 12 इंच लंबा आर्टिफिशियल लण्ड पेलकर हिलाते जा रही थी।
मैं चरम बिंदु के करीब पहुँच चुकी थी की तभी उस ने अपने लण्ड का पानी मेरी गाण्ड में उडेल दिया।
मेरी चूत भी ठीक उसी वक़्त, अपना पानी छोड़ने लगी।
वो अपना लण्ड कच कचाकर मेरी गाण्ड में और नीरू आर्टिफिशियल लण्ड को मेरी चूत में ठेले हुए थी।
मैंने अपनी चूत और गाण्ड दोनों बड़ी ज़ोर से सिकोडे हुए, अपने दोनों छेदों में एक एक लण्ड को संभाली हुई थी।
हमारी पहले दौर की चुदाई ख़तम होते ही, बाहर से दरवाजा नॉक हुआ..! ..!
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उस लड़की ने कौन है पूछते हुए, दरवाजा खोल दिया।
रूम में एक साथ, 10 लड़के दाखिल हुए।
हमें पहले से ही नंगा देख कर, वो जल्दी जल्दी अपने कपड़े खोलने लगे और कुछ ही देर में, वो सब भी नंगे हो गये।
उन में से हर एक का लण्ड खड़ा हुआ था।
उन में से किसी का भी लण्ड 7-8 इंच से कम का नहीं था।
वो दो ग्रूप में बँट कर, हम दोनों की तरफ बढ़ने लगे।
मेरे पास आकर, एक ने मेरी एक चूची को तथा दूसरे ने मेरी दूसरी चूची को अपने हाथों में ले लिया और मसलने लगे।
एक ने मेरी चूत में तथा एक ने मेरी गाण्ड में, उंगली पेल दी और अंदर बाहर करने लगे, पाँचवे लड़के ने अपना लण्ड मेरे मुँह में पेल दिया, जिसे मैंने फ़ौरन चूसना शुरू कर दिया।
ठीक इसी तरह, नीरू के गाण्ड तथा चूत में दो लड़के अपनी उंगली पेलने लगे तथा दो लड़के उसकी एक एक चूची अपने मुँह में लेकर चूसने लगे और पाँचवे ने अपना लण्ड उसके मुँह पे सटा दिया, जिसे वो चूसने लगी थी।
नीरू, उन दोनों लड़कों का लण्ड अपने दोनों हाथों में लेकर सहला रही थी जो उसकी चूचियों को चूस रहे थे।
मेरे और नीरू की गाण्ड और चूत में जो लड़के अपनी उंगलियाँ अंदर बाहर पेल रहे थे, उनका लण्ड हमारी कमर के पास हिचकोले मार रहे थे।
हम दोनों के साथ, एक बार में पाँच पाँच लड़के भिड़े हुए थे।
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वो पहले वाला मर्द जो अभी कुछ ही देर पहले तेरी बीवी को और फिर मुझे चोद चुका था वो अब उस लड़की को अपनी गोद में लेकर, सोफे पे बैठा हमारा खेल देखता हुआ, उसकी छोटी छोटी चूचियों से खेल रहा था।
वो लड़की, उसकी गोद में बैठी अपने चुत्तड़ उस के लण्ड पे रगड़ रही थी।
उस का लण्ड, उसके चुत्तड़ को स्प्रिंग की तरह ऊपर उठा रहा था।
दस पंद्रह मिनट तक, हमारे साथ ऐसे ही खेलते खेलते वो लड़के काफ़ी गरम हो गये।
हम दोनों का बदन तो पहले से ही गरम था ही ऊपर से दस दस लड़कों के तनतनाए हुए लण्ड देख कर और अपने बदन पे उनके द्वारा की गई छेड़खानी के कारण, हमारी चूत में खुजली होने लगी थी।
उन में से मेरी चूंचियों से खेलते लड़कों में से एक ने नीचे चित लेटते हुए, मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अपना लण्ड मेरी चूत पे रखते हुए मुझे ऊपर से धक्का मारने को बोला।
जब मैंने ऊपर से धक्का मारा तो उसने नीचे से अपना चुत्तड़ उछाल कर, अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में पेल दिया।
मेरी दूसरी चूची से खेलता लड़का, मेरे पीछे आकर उसने मेरी गाण्ड में अपना लण्ड पेल दिया।
मेरी गाण्ड में उंगली करते लड़के ने, अपना लण्ड मेरे मुँह में रख दिया जिसे मैं चाटने लगी।
बाकी दोनों लड़कों का लण्ड, मैं अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी।
उसी तरह, एक लड़के के ऊपर चढ़ कर नीरू ने उसका लण्ड अपनी चूत में ले लिया और ठीक मेरी ही तरह एक लड़के ने अपना लण्ड उस की गाण्ड में और दूसरे ने अपना लण्ड उस के मुँह में पेल दिया था।
वो भी एक एक लड़के का लण्ड, अपने हाथों में लेकर सहला रही थी।
हम दोनों की चूत, गाण्ड और मुँह में एक एक लण्ड एक साथ अंदर बाहर हो रहे थे और हम अपने हाथों में एक एक लण्ड पकड़े, कभी उन्हें सहलाने लगती थीं तो कभी सिर्फ़ ज़ोर से पकड़ कर अपनी चूत गाण्ड और मुँह में लण्ड पेलने का मज़ा लेने लगती थीं।
हमारी चूत और गाण्ड में उनके लंड के धक्के की स्पीड, हर पल बढ़ती ही जा रही थी।
चूत और गाण्ड में जिस रफ़्तार से लण्ड घुस और निकल रहे थे, उस से भी तेज गति से हमारे मुँह में लण्ड का धक्का पड़ रहा था।
आनंद के मारे, हम पागल हुए जा रही थीं।
ऐसी जानदार चुदाई का खेल, हम दोनों में से किसी ने भी आज से पहले नहीं खेला था।
दस पाँच मिनट की शानदार चुदाई के बाद, उन लड़कों ने अपना पोज़िशन चेंज किया।
मेरी गाण्ड में जो अब तक अपना लण्ड पेल रहा था, वो अब अपना लण्ड मेरे मुँह में पेलने लगा।
जिन दो लड़कों का लण्ड, मैं अपने हाथों से सहला रही थी उन में से एक ने अपना लण्ड मेरी चूत में और दूसरे ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में पेल, धक्का मारने लगा।
नीरू की चूत चोदते लड़के ने, अपना लण्ड अब उस के मुँह में पेल दिया और जिन दो लड़कों का लण्ड वो हाथों से सहला रही थी, उन में से एक ने अपना लण्ड उसकी चूत में और दूसरे ने अपना मोटा लण्ड उसकी गाण्ड में पेल कर, घचा घच चोदना शुरू कर दिया था।
करीब एक घंटे की चुदाई के बाद, सभी लड़कों ने एक के बाद एक चूत में किसी ने गाण्ड में किसी ने मुँह में और बाकी दो ने जिस्म के उपर अपना अपना वीर्य छोड़ दिया।
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अब हमें वहाँ लाने वाले मर्द ने कहा – अरे भाभियों, आज मेरी वजह से तुम लोगों को इतने शानदार चुदाई का मौका मिला और तुम्हारी घंटों की जानदार चुदाई देख देख कर, मेरा लण्ड तुम्हारे चूत और गाण्ड के लिए पागल हो रहा है..! कम से कम, एक एक बार अपना चूत और गाण्ड का रसपान तो करा दो इसे..!
उसके आग्रह और उसके लपलपाते लण्ड पे, हमें तरस आ गया और फिर पहले नीरू ने और उस के बाद मैंने उसके लण्ड को एक एक बार अपनी चूत और गाण्ड का रसपान करा दिया।
हमारे चूत और गाण्ड से, उनका वीर्य टपक टपक कर बाहर चू रहा था।
हमारे बदन पे भी हर जगह उन का वीर्य लगा हुआ होने के कारण, हमारा पूरा बदन चिप चिपा हो गया था।
हमें लाने वाले मर्द ने हमें एक दूसरे के चूत और गाण्ड से टपकते वीर्य को चाटने का और एक दूसरे के बदन पे लगे वीर्य को चाट चाट कर साफ़ करने का निर्देश दिया।
हमने वैसा ही किया।
फिर हम ने उस के बाथरूम में जाकर, पेशाब किया और नहाने लगे।
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हमारी चूत और गाण्ड उन में पड़े उनके घंटों के धक्के के कारण, दोनों फूल कर लाल लाल हो गई थी।
उसी तरह हमारी चूचियाँ भी सूज गई थीं और वी भी लाल लाल हो गई थीं।
हमारे बदन के अलग अलग हिस्सों पे भी उनके नाख़ून और दाँत के निशान दिख रहे थे जो चोदते वक़्त, उन्होने अपने नाखूनों तथा दाँतों से काट काट कर बना दिए थे।
नहाने के बाद, हमने अपने कपड़े पहने, अपने आप को ठीक किया और गिरते पड़ते कदमों से अपने होंठ चबाकर, चूत और गाण्ड में उठते दर्द को पीते हुए अपने घर की तरफ वापिस आ गये।
हमने वहाँ से चलते वक़्त फिर से वहाँ आने का वादा किया था.. लेकिन, वहाँ जाने के नाम से ही हमारी चूत और गाण्ड दुखने लगती थी.. इस लिए, आज तक हम ने फिर कभी उन से संपर्क नहीं किया..
मैं एक नाइट कोच से, मिष्टी के साथ काठमांडू से लौट रहा था।
होटल से निकलने के पहले, मिष्टी ने नहा कर काफ़ी आकर्षक मेकअप किया था।
उस ने गुलाबी रंग की सिल्क की साड़ी और उस से मिलते रंग का ब्लाउज पहन रखा था..
ब्लाउज का गला, आगे और पीछे दोनों तरफ से काफ़ी बड़ा था.. जिस से, उस के पीठ का लगभग पूरा हिस्सा खुला हुआ था..
ब्लाउज के आगे के लो कट शेप के गले से, उस की चूचियों का कुछ हिस्सा झलक रहा था..
ब्लाउज के अंदर पहने उसके ब्रा का पूरा नक्शा, ब्लाउज के ऊपर से साफ़ दिख रहा था..
टाइट ब्लाउज में कसे होने के कारण, उस की चूचियों के बीच एक लाइन बन गई थी..
साड़ी और ब्लाउज में कसमसाती उस की चूंचिया, काफ़ी सुडौल और आकर्षक लग रही थीं..
उन्हें देख कर, किसी भी मर्द का मन उन्हें कपड़ों के बाहर देखने को तडपे बिना नहीं रह सकता।
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गले में उसने सोने की चैन और चैन में एक आकर्षक लॉकेट पहन रखा था, जो उस की चूचियों के ऊपर लटक रहा था..
कानों में सुंदर सोने की बालियां और नाक में सोने की नाथ, उस की सुंदरता को और बढ़ा रहे थे..
उसने अपनी दोनों बाँहों में, साड़ी से मिलते जुलते रंग की सुंदर चूड़ी पहन रखी थी..
उस की दोनों हथेली, आकर्षक डिज़ाइन में लगी मेहंदी से सजी हुई थी और उस के हाथों और पाँवों के नाखूनों पर गुलाबी नेल पोलिश लगी हुई थी..
उस ने अपने पाँव में, चाँदी की पायल पहन रखी थी..
इस तरह, चलते वक्त उस की पायल के घुंघरुओं से छम छम का मधुर संगीत बज उठता था और जब कभी वो अपने हाथों को हिलाती थी तो उस की बाँहों की चूड़ी खनक कर, वातावरण को मधुर तरंगों से भर देती थी..
उसने मेक-उप भी काफ़ी आकर्षक ढंग से किया था..
उस के गोरे गाल, क्रीम लगी होने से और सुंदर लग रहे थे तो वहीं होंठों पे लगा लिपस्टिक, उस के होंठों की सुंदरता को और बढ़ा रहा था..
उस के माथे पे लगी बिंदी और माँग में सज़ा सिंदूर, उस के रूप को ऐसे चमका रहे थे जिसे देखने के बाद, उसके सुंदर मुखड़े को छूने और चूमने को कोई भी व्याकुल हो जाए..
जब वो अपनी बलखाती चाल के साथ, ऑटो से उतर कर अपनी कमर मटकाती बस में सवार हुई, तो लोग उसे देखते रह गये।
मुझे पूरी उम्मीद है की आसपास के सभी मर्द उसे छूने और कम से कम, एक बार उसे चोदने की लालसा ज़रूर किए होंगे।
आस पास की औरतों और लड़कियों को उस के हुस्न से ज़रूर जलन हुई होगी।
लेकिन, इन बातों से बेख़बर वो अपनी कमर मटकाती हुई, बलखाती चाल से चलती हुई बस में सवार हो कर, अपनी सीट पे बैठ गई और उस के पीछे पीछे चलते हुए, मैं भी उस के बगल वाली सीट पे बैठ गया।
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बस के अंदर भी हमारी सीट के आस पास बैठे लोग, एक दूसरे की नज़र बचा कर अपनी आँखों से उस की सुंदरता के जाम को पी रहे थे।
हमारी सीट से आगे के सीट में बैठे लोग, बार बार पीछे मूड कर उसे देख लेते थे.. मानो, ऐसा करने से उन की आँखों और दिलों को ठंडक पहुँच रही हो..
हमारी रो में उलटी साइड की सीट पे, दो सुंदर लड़कियाँ बैठी हुई थीं और वो भी कभी कभी मूड कर, मिष्टी और मेरी तरफ देख लेती थीं।
बस अपने निर्धारित समय से, रात के 9 बजे चल पड़ी।
बस चलने के बाद, करीब एक घंटे तक बस के अंदर की लाइट जलती रही और इस बीच लोग बार बार उस की सुंदरता को अपनी आँखों से पीते रहे।
करीब दस बजे कंडक्टर ने बस की सारी बत्तियाँ बुझा दी, जिस से बस के अंदर अंधेरा छा गया।
अंधेरे में कुछ देर तक लोगों की बात चीत की आवाज़ आती रही और करीब 10:30 बजते बजते बस के अंदर, बिल्कुल खामोसी छा गई।
मैं तो इसी मौके के इंतजार में था।
मैंने मिष्टी को अपने पास खींच लिया और खुद भी थोड़ा खिसक कर, उस से सट गया।
मैंने अपने दाहिने हाथ में उसका बायां हाथ ले लिया और उसके हाथ को अपने हाथों से सहलाने लगा।
मेरे अंदर इस से सनसनी बढ़ती जा रही थी।
फिर मैंने उसे अपनी गोद में खींच कर, उसके मुखड़े पे एक चुंबन जड़ दिया।
अब मैंने अपने दाय हाथ को उस के कंधे पे रख कर उस के कंधे और उसकी लगभग नंगी पीठ को सहलाने लगा।
थोड़ी देर में, मेरा हाथ फिसलता हुआ उस की दाहिने चूची पे पहुँच गया और मैं उसे ब्लाउज के ऊपर से ही सहलाने लगा।
चूची को सहलाते सहलाते, कभी कभी मैं उसे जोश से दबा देता था।
अब मेरा लण्ड पैंट के अंदर, पूरी तरह खड़ा हो कर तेज़ी से फुदकने लगा था।
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मैंने उसके बाएँ हाथ को अपने बाएँ हाथ से पकड़ कर, अपने लण्ड पे खींच लाया।
वो अपने हाथ से पैंट के ऊपर से ही, मेरे लण्ड को दबाने लगी।
मैं अपने उलटे हाथ को उस की जांघों पे रख कर, उन्हें सहलाने लगा।
मेरा दाहिना हाथ, लगातार उस की चूंचियों पे फिसल रहा था।
मैं मिष्टी की चूचियों और जांघों को सहला रहा था और वो मेरे लण्ड को अपने हाथों से मसल रही थी।
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रात अब काफ़ी बीत चुकी था और मार्च का महीना होने के कारण, अब हल्की ठंड महसूस हो रही थी.. जिस का फायदा उठाते हुए, बैग से हमने एक चादर निकल कर उसे अपने जिस्मों पर डाल लिया..
हमारे जिस्म, अब चादर से पूरी तरह ढक गये थे।
जिस्म पे चादर डालने के पीछे, ठंड तो सिर्फ़ एक बहाना था क्योंकि इतना ज़्यादा ठंड भी नहीं पड़ रही थी की बिना चादर के काम ना चल सके।
हमने तो चादर का इस्तेमाल, सिर्फ़ खुल कर एक दूसरे के बदन का लुत्फ़ उठाने के लिए किया था।
चादर डालने के बाद, मैंने मिष्टी की साड़ी और पेटिकोट को उसके कमर तक उठा दिया और उसके ब्लाउज के हुक और ब्रा के हुक को खोल कर उस की चूचियों को इन के बंधन से मुक्त कर दिया।
अब मैं अपने एक हाथ से उसकी नंगी चूचियों को मसलते हुए, दूसरे हाथ से उस की नंगी जांघों और चूत को सहला रहा था।
मिष्टी ने मेरे पैंट का ज़िपर खोल कर, मेरे खड़े लण्ड को बाहर निकाल लिया था और वो उसे अपने हाथों में लेकर बड़े प्यार से सहला रही थी।
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