Monday, September 21, 2015

FUN-MAZA-MASTI दो हसीनाएं

FUN-MAZA-MASTI

दो हसीनाएं


शाम के करीब 4 बजे थे। बाहर तेज बारिश हो रही थी। अमित अपने बेडरूम में अधलेटी अवस्था में किसी उपन्यास के पन्ने पलट रहा था। मौसम सुबह से ही खराब था जिसकी वजह से वह आफिस भी नहीं गया था। हाथ में थमा उपन्यास वह पहले भी एक दफा पढ़ चुका था, लिहाजा दोबारा पढ़ने में उसे बोरियत महसूस हो रही थी। कुछ क्षण और पन्ने पलटते रहने के बाद उसने सुबह की डाक से आया मां का पत्र उठा लिया और एक बार फिर उसे पूरा पढ़ डाला।

मां ने लिखा था कि उसकी शादी किसी श्वेता नामक युवती से तय कर दी गई है। श्वेता बी.ए. पास थी और एक काल सेंटर में जॉब करती थी। पत्र में मां ने लिखा था कि वह जल्दी ही श्वेता की फोटो उसे भेज देंगी। पूरा पत्र पढ़ चुकने के बाद उसने उसे तकिए के नीचे रख दिया और पुनः उपन्यास हाथ में उठा लिया। तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई।

अमित उठ कर दरवाजे तक पहुंचा और किवाड़ खोलते ही चौंक गया। दरवाजे पर सिर से पांव तक भीगी हुई एक खूबसूरत युवती खड़ी थी। उसने जींस की पैंट और सफेद रंग का शर्ट पहन रखा था। शर्ट का पहनना और ना पहनना बराबर था क्योंकि भीगा हुआ शर्ट उसके शरीर से चिपक गया था और उसकी मांसल छातियां स्पष्ट नुमाया हो रही थी। अमित पहली ही नजर में भांप गया कि युवती शर्ट के नीचे कुछ भी नहीं पहने थी। उसके शरीर में सनसनी की लहर दौड़ गई।

कुछ क्षण युवती को घूरने के बाद उसे युवती की सूरत जानी-पहचानी नहीं लगी। उसने अपने दिमाग पर जोर डाल कर युवती को पहचानने की कोशिश की किंतु कामयाब नहीं हुआ। कुछ ही क्षणों में उसे यकीन हो गया कि आज से पहले उसने युवती को कभी नहीं देखा था अतः उसने व्यर्थ सिर खपाने की बजाय उससे पूछ लेना ही उचित समझा, ‘कहिए किससे मिलना है?’

‘मुझे नहीं मालूम,’ युवती बोली। फिर उसने महसूस किया कि उसकी बात स्पष्ट नहीं है अतः जल्दी से बोल पड़ी, ‘मेरा मतलब है बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है। अगर आपकी इजाजत हो तो बारिश बंद होने तक मैं यहां रुक जाऊं।’

‘हां क्यों नहीं, प्लीज अंदर आ जाइए।’

युवती कमरे में दाखिल हो गई। अमित ने दरवाजा बंद कर दिया।

‘मेरा नाम मोना है। मैं...’

‘परिचय बाद में दीजिएगा, पहले आप भीतर जा कर कपड़े बदल लीजिये वरना बीमार पड़ जायेंगी। वार्डरोब में से जो भी आप पहनना चाहें पहन सकती हैं। आप चेंज करके आइए तब तक मैं आपके लिए चाय बनाता हूं।’

यह कह कर अमित किचन की ओर बढ़ गया। युवती, जिसने अपना नाम मोना बताया था, बेडरूम में पहुंच कर कपड़े बदलने लगी। जींस और शर्ट उतार कर उसने अमित का पाजामा-कुर्ता पहन लिया। मर्दाना लिबास में उसकी खूबसूरती पहले से अधिक निखर आई। वह ड्राइंगरूम में पहुंची तो दो कपों में चाय उड़ेलता अमित उसे ठगा सा देखता रहा गया।

‘ऐसे क्या देख रहे हो?’ मोना ने इठलाते हुए एक बदनतोड़ अंगड़ाई ली।

‘तूम बहुत खूबसूरत हो और...’

‘और क्या?’ मोना ने उसकी आंखों में देखा।

‘बहुत सेक्सी भी।’

‘सच?’

‘एकदम सच। मैंने तुम जैसी हसीन लड़की आज तक नहीं देखी, सच पूछो तो मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा है कि स्वर्ग की एक अप्सरा मेरे सामने खड़ी है। मुझे सब कुछ स्वप्न जैसा प्रतीत हो रहा है।’

‘तुम मुझे बना तो नहीं रहे हो?’

‘बिल्कुल नहीं।’

‘फिर तो तारीफ करने के लिए शुक्रिया,’ मोना एक दिलफरेब मुस्कराट के साथ बोली।

‘तुम हो ही इस लायक। दिल चाहता है कि मैं तुम्हें हमेशा देखता रहूँ।’

‘तुम्हें ऐतराज़ न हो तो पहले हम चाय पी लें। बाद में तुम जी भर के देख लेना।’ मोना ने कहा और हंस पड़ी।

‘अरे चाय को तो मैं भूल ही गया था।’

अमित ने उसे एक कप पकड़ाया और दूसरा स्वयं उठा लिया। दोनों चाय पीने लगे मगर इस दौरान भी अमित ललचाई नजरों से मोना के कपड़ों के भीतर छिपे उसके गुदाज बदन की कल्पना कर आनंदित होता रहा।

‘ओह, मैं पूछना ही भूल गई! तुम्हारा नाम क्या है?’ मोना ने पूछा।

‘अमित,’ वह बोला, ‘अमित अरोड़ा।’

‘तो मिस्टर अमित, ये बताइये कि क्या आप हर लड़की पर ऐसे लाइन मारते हैं?’

‘तुम्हें ऐसा लगता है?’

‘जी हां, तभी तो पूछ रही हूं।’

‘तो सुन लो कि तुम बिलकुल गलत सोच रही हो। मैंने आज तक किसी लड़की से ऐसा नहीं कहा और न कभी कहूँगा। मुझे तो तुम्हारे सांचे में ढले बदन ने दीवाना बना दिया है!’

‘मुझे तुम्हारी दीवानगी और साफगोई दोनों पसंद आई मगर तुम यूं ही दूर से ही अपना प्रेम प्रगट करते रहोगे या करीब आकर भी कुछ...?’

‘यूं आर सो स्वीट!’ अमित चहक कर बोला। उसने आगे बढ़ कर मोना को अपनी बांहों में भर लिया। इस प्रक्रिया में उसे अपना चाय प्याला टेबल पर रखना पड़ा। मोना ने इस स्थिति का पूरा फायदा उठाया। उसने अपनी अंगूठी का कैप उठा कर पाउडर जैसा कोई पदार्थ उसकी चाय में डाल दिया।

अमित बड़ी बेसब्री से उसके कुर्ते के अंदर हाथ डालकर उसकी नग्न चिकनी पीठ को सहला रहा था।

‘इतनी भी क्या जल्दी है, डार्लिंग? पहले हम चाय तो पी लें।’

‘जिसके आगे सोमरस का प्याला हो वह चाय क्यों पीयेगा?’ यह कह कर अमित ने मोना को फिर अपनी बांहों में भर लिया और उसके गुलाबी होंठों को चूसने लगा। मोना के मुख से मादक सिसकारियां निकलने लगी। वह अमित का पूरा साथ दे रही थी। देखते ही देखते अमित ने उसका कुर्ता उतार फेंका और उसकी तनी हुई छातियों को सहलाते हुए उसके अंग-अंग को चूमने लगा। अतिरेक से मोना ने उसका चेहरा अपनी छातियों के बीच भींच लिया।

ठीक इसी वक्त अमित की पकड़ ढीली पड़ने लगी। उसे पूरा कमरा गोल-गोल घूमता प्रतीत होने लगा और कुछ ही पलों में वह बेहोश हो कर फर्श पर पसर गया।

‘साला कुत्ता! मुझे मुफ्त का माल समझा था।’ बड़बड़ाती हुई मोना बेडरूम की ओर बढ़ गई।

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करीब दो घंटे बाद अमित को होश आया। वह हड़बड़ाहट में उठ कर बैठा। उसे मोना कहीं नज़र नहीं आयी। वह तो कब की जा चुकी थी! उसने उठ कर पूरे घर का चक्कर लगाया। घर का सारा कीमती सामान व नकद रुपये गायब थे। अमित को समझते देर न लगी कि वह ठगी का शिकार हुआ हुआ है। मगर अब वह क्या कर सकता था!

अभी अमित इस शॉक जैसी स्थिति से उबर भी नहीं पाया था कि दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने बेमन से उठ कर दरवाजा खोला तो हैरान रह गया। दरवाजे पर मोना से कहीं ज्यादा खूबसूरत एक युवती भीगी हुई खड़ी थी।

‘कहिए?’

‘जी, बाहर तेज बारिश हो रही है। क्या बारिश बंद होने तक मैं यहां रुक सकती हूं?’

उसकी बात सुन कर अमित के होंठों पर एक विषैली मुस्कान तैर गई। उसे समझते देर न लगी कि एक बार फिर उसे ठगने की कोशिश की जा रही है। मन ही मन उसने उस लड़की को मजा चखाने का फैसला कर लिया और मुस्करा कर बोला, ‘जी हां, भीतर आ जाइए।’

युवती तत्काल कमरे में दाखिल हो गई।

‘आप पहले कपड़े बदल लीजिए वरना बीमार पड़ जायेंगी।’ यह कह कर उसने बेडरूम की ओर इशारा किया और फिर बोला, ‘तब तक मैं आपके लिए चाय बनाता हूं।’

‘जी, थैंक्यू!’ कह कर युवती बेडरूम की ओर बढ़ गई और अमित किचन की तरफ।

किचन में पहुंच कर अमित ने चाय बनाई। उसने एक कप में नींद की गोली मिला दी। थोड़ी देर बाद जब वह चाय का कप लेकर ड्राइंगरूम में पहुंचा तब तक युवती कपड़े बदल कर आ चुकी थी। वह अमित की जींस और शर्ट पहने थी। ये कपड़े उस पर खूब फब रहे थे। अमित ने चाय का प्याला उसकी ओर बढ़ा दिया। युवती चाय पीने लगी तो अमित एक बार पुनः मुस्करा उठा। नींद की गोली उस पर असर दिखाने लगी और चाय ख़त्म होते-होते युवती अर्धनिद्रा की स्थिति में पहुंच गई। अमित ने तत्काल उसे बांहों में भर लिया और एक-एक कर उसके कपड़े उतार डाले। युवती उसका विरोध कर रही थी मगर अमित को स्वयं से परे धकेलने की ताकत उसमें नहीं थी।

अमित ने उसके नग्न बदन को अपनी बांहों में उठाया और बेडरूम में ले जा कर वह उसके कोमल अंगों को सहलाने लगा। उसने लड़की के निचले होंठ को अपने होंठों में भींचा और उसे चूसना शुरू कर दिया। लड़की ने उससे छूटने की कोशिश की पर उसका शरीर ढीला पड़ चुका था। अमित बेख़ौफ़ हो कर उसके स्तनों को मसलने और चूसने लगा। कुछ देर में उसका हाथ लड़की की जाँघों के बीच पहुँच गया। वह अपनी उंगलियाँ उसके योनि-प्रदेश पर फिरा कर उसे गर्म करने की कोशिश में लग गया पर उसे जल्द ही एहसास हो गया कि अधनींदी लड़की को उत्तेजित करना असंभव था। लेकिन अब वासना उस पर हावी हो चुकी थी।

उसने निर्वस्त्र हो कर लड़की की जाँघों को फैलाया और अपने लिंग पर थूक लगा कर उसे लड़की की योनि पर रख दिया। उसने लड़की के ऊपर लेट कर उसके कंधे पकडे और पुरी ताकत से एक धक्का लगा दिया। यह उसकी पहली रतिक्रिया थी पर किस्मत ने उसका साथ दिया। एक झटके में लिंग ने योनीमुख को बुरी तरह फैलाया और अगले झटके में तडाक से अन्दर भी घुस गया। दर्द के कारण लडकी का मुंह खुल गया पर आवाज जैसे उसके गले में ही अटक गई। अमित अपने लिंग को पूरी शक्ति से अन्दर धकियाने लगा। ऐसा लग रहा था कि वह मोना का बदला इस लड़की से लेना चाहता था। जब लड़की की योनि में उसके लिंग के शक्तिशाली प्रहार होने लगे तो वह अर्धनिद्रा में अस्फुट आवाज में कराहने लगी, ‘नही … छोड़ दो … मुझे ... छोड़ दो।’ अमित ने उसकी एक न सुनी और उस पर अपना ताबड़तोड़ हमला जारी रखा।

पीड़ा के कारण लड़की निद्रा से बाहर आ रही थी पर अपनी कमजोरी की वजह से वह कुछ भी नहीं कर पा रही थी। उसने फिर धीमी आवाज में कहा, ‘नहीं … प्लीज़ ... छोड़ दो।’ उसके बोलने का अंदाज बिलकुल मजबूरी वाला था। उसकी आँखें खुल चुकी थीं। अमित ने विजयी मुस्कान के साथ उसे देखा। वह चरम सीमा पर पहुँचने वाला था। उसका बदला भी पूरा होने वाला था। उसने अपने धक्कों की रफ़्तार बढा दी। तभी लड़की में अचानक कहीं से ताक़त आयी। उसने पूरी शक्ति लगा कर अपने हाथों से अमित को धकेला। धक्का इतना शक्तिशाली था कि अमित उछल कर पलंग से नीचे गिर पड़ा।

युवती हिम्मत कर के उठी। उसने घृणा से अमित की तरफ देखा। कुछ अस्पष्ट से शब्द उसके मुंह से निकले, ‘कमीने... घर में आई अकेली ... लड़की के साथ ... अच्छा हुआ मैं अंजान बन कर तुमसे ... यहां मिलने ... चली आई ... वरना मेरी शादी तुम जैसे शैतान से हो जाती ... देखना, अब अदालत तुम्हे बलात्कार की क्या सजा देती है!’

उसके अस्पष्ट शब्दों का मतलब अमित की समझ में अच्छी तरह आ गया। उसने सोचा, ‘उफ्फ! ये मैने क्या कर डाला!’ वह समझ गया था कि वह लड़की कोई और नहीं बल्कि उसकी मंगेतर श्वेता थी।

समाप्त










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