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विधवा भाभी
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
विधवा भाभी
मेरी एक विधवा भाभी पूनम है जो दो बच्चों की माँ होने के बावजूद अपने पति के मरने के तीन साल बाद मुझे सेक्सी निगाहों से देखती थी और हुआ ऐसा कि उसका टैस्ट लेने के ख्याल से एक रात मैं उसके कमरे में गया जब सारे लोग सो गए थे। वो जाग रही थी। बातों ही बातों में मैंने उसे अपना लण्ड चुसवा दिया। वह छिणाल भी मेरा लण्ड चूस कर गरम हो गई।
फ़िर क्या था, अगले दिन से तो वो मुझे ऐसे देखने लगी जैसे मेरे लण्ड से अपना मुंह, गाण्ड और बुर चुदवा कर मेरे लण्ड को भी खा जाएगी। वो मुझ से रात में मिलने की योजना बनाने लगी।
एक रात उस छिणाल ने अपना दरवाजा खुला रखा और पेट में दर्द के बहने मुझे बुलाया। मैं उसके कमरे में गया तो देखा कि नीचे बिछावन तैयार है। मैंने पूछा कि कहाँ है दर्द तो बोली कि लेट कर दिखाती हूँ पर पहले दरवाजा तो बंद कर दूँ कोई आ जायेगा। उसने दरवाजा बंद किया और लेट कर मुझे बुलाया।
जब मैं नजदीक गया तो उसने मुझे पकड़ लिया और कहा कि देवरजी कल रात से से आप मेरे भरतार (पति ) हो गए हैं। जो आपके भइया बाकी छोड़ गए हैं उसे आप पूरा करो। अभी मेरी उमर तो ३२ ही है। भला ये भी कोई बिना चुदवाए रहने की उमर है। आपने कल अपना लंड चुसवा कर मुझे गर्म कर दिया है। अब तो मुझे अपना बुर चोदवाना ही होगा। तुम नहीं तो कोई और सही। पर इससे तुझे गुस्सा होगा सो तुम ही मुझे चोदते रहो अब सारी उमर। जब जी चाहे।
उसकी ये सारी बातें सुन कर मेरे लंड में भी ताव आ गया था। वह तन कर रोड जैसा हो गया था। मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए। उसने कहा- तुम भी खोल दो ना। और मेरे सारे कपड़े खोल दिए। मैंने कहा कि भाभी जान आज मैं तेरे भोंसडे जैसी बुर को चोद कर और भोंसडा बनाऊंगा पर पहले तेरे मुंह में पेलूँगा फ़िर गांड मरूँगा, तब तेरी बुर को।
उसने कहा कि मालिक जो करना है करना पर पहले एक बार इसे चोद दो। देखो ना साली तेरे लंड को देख कर कैसे पानी छोड़ रही है। अब आ जाओ ना। यह कह कर मुझे अपने ऊपर ले लिया। और मेरे लंड को अपनी बुर में घुसाने लगी और से धक्का देने लगी।
साली के बुर में मेरे लंड को घुसने में कोई दिक्कत नहीं हुई क्योंकि ३ की माँ जो थी। पर भोंसड़ी की एक्सपर्ट थी। लंड के भीतर घुसते ही पैर पर पैर चढा लिया। अब उसकी बुर के सिकुड़ने के कारण उसे और मुझे मज़ा आने लगा।
वो पागलों की तरह बकने लगी- आ .... ओह। मेरे राजा। मेरे प्यारे देवर राजा। आज तुम मेरे भरतार बने हो। जोर जोर से चोदो। साली मेरी बुर बहुत दिनों से प्यासी है। आह। ओह। ओह मेरे मालिक घुसा दो अपना सारा लंड इसमें। इसका कचूमर निकल दो। आह जरा टॉर्च से देखो इस बुर को। कैसे टपटप तेरे लंड को निगल रही है।
मैंने भी देखा मेरा लंड तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था। मैंने कहा कि साली आज से तुम मेरी भाभी तो रही नहीं, तुझे कुतिया बनाकर चोदुंगा।
उसने कहा - हाँ, मुझे कुतिया बना दो। जैसे जैसे चाहो तुम इस हरामजादी बुर को चोदो। तेरे भाई ने ऐसे कभी नहीं चोदा। वो तो साला फुच फुच कर चोदता था मुझे। सिर्फ़ बच्चा पैदा करना जानता था। ओह। आह। आह। मज़ा। मज़ा आ रहा है। राजा मैं तो गई ...एई।
मैंने कहा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ। तो उसने मुझसे २-४ तेज़ झटके लगवाए और झट से मेरा लंड निकाल कर मुंह में ले लिया और कहा कि देवर जी आप अब मेरे मुंह की चुदाई करें, और टपटप मेरा लंड खाने लगी क्योकि वह जानती थी कि मैं भी झड़ने वाला हूँ। वह मेरे लंड से निकले धात (वीर्य) को पीकर उसका भी स्वाद लेना चाहती थी।
मैंने कहा ओह। मेरी प्यारी चुदक्कड़ भाभी मैं झड़ने वाला हूँ तो उसने कहा कि राजा अपना धात बर्बाद मत करना। इसे मेरे मुंह में ही रहने दो। मैं अपने यार का रसपान करना चाहती हूँ।
इतने में मेरे लंड ने उजला गाढा द्रव छोड़ दिया। इसे मेरी छिनाल पूनम भाभी ने अन्तिम बूंद तक पी लिया। और कहा कि देवरजी अब तो तुम मेरे भरतार (पति) हो गए हो। जब मैं बुलाऊँ आ जाना। मैं खांस कर तुझे इशारा करुँगी। आज तो तुमने मुझे धन्य कर दिया।
फ़िर क्या था, अगले दिन से तो वो मुझे ऐसे देखने लगी जैसे मेरे लण्ड से अपना मुंह, गाण्ड और बुर चुदवा कर मेरे लण्ड को भी खा जाएगी। वो मुझ से रात में मिलने की योजना बनाने लगी।
एक रात उस छिणाल ने अपना दरवाजा खुला रखा और पेट में दर्द के बहने मुझे बुलाया। मैं उसके कमरे में गया तो देखा कि नीचे बिछावन तैयार है। मैंने पूछा कि कहाँ है दर्द तो बोली कि लेट कर दिखाती हूँ पर पहले दरवाजा तो बंद कर दूँ कोई आ जायेगा। उसने दरवाजा बंद किया और लेट कर मुझे बुलाया।
जब मैं नजदीक गया तो उसने मुझे पकड़ लिया और कहा कि देवरजी कल रात से से आप मेरे भरतार (पति ) हो गए हैं। जो आपके भइया बाकी छोड़ गए हैं उसे आप पूरा करो। अभी मेरी उमर तो ३२ ही है। भला ये भी कोई बिना चुदवाए रहने की उमर है। आपने कल अपना लंड चुसवा कर मुझे गर्म कर दिया है। अब तो मुझे अपना बुर चोदवाना ही होगा। तुम नहीं तो कोई और सही। पर इससे तुझे गुस्सा होगा सो तुम ही मुझे चोदते रहो अब सारी उमर। जब जी चाहे।
उसकी ये सारी बातें सुन कर मेरे लंड में भी ताव आ गया था। वह तन कर रोड जैसा हो गया था। मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए। उसने कहा- तुम भी खोल दो ना। और मेरे सारे कपड़े खोल दिए। मैंने कहा कि भाभी जान आज मैं तेरे भोंसडे जैसी बुर को चोद कर और भोंसडा बनाऊंगा पर पहले तेरे मुंह में पेलूँगा फ़िर गांड मरूँगा, तब तेरी बुर को।
उसने कहा कि मालिक जो करना है करना पर पहले एक बार इसे चोद दो। देखो ना साली तेरे लंड को देख कर कैसे पानी छोड़ रही है। अब आ जाओ ना। यह कह कर मुझे अपने ऊपर ले लिया। और मेरे लंड को अपनी बुर में घुसाने लगी और से धक्का देने लगी।
साली के बुर में मेरे लंड को घुसने में कोई दिक्कत नहीं हुई क्योंकि ३ की माँ जो थी। पर भोंसड़ी की एक्सपर्ट थी। लंड के भीतर घुसते ही पैर पर पैर चढा लिया। अब उसकी बुर के सिकुड़ने के कारण उसे और मुझे मज़ा आने लगा।
वो पागलों की तरह बकने लगी- आ .... ओह। मेरे राजा। मेरे प्यारे देवर राजा। आज तुम मेरे भरतार बने हो। जोर जोर से चोदो। साली मेरी बुर बहुत दिनों से प्यासी है। आह। ओह। ओह मेरे मालिक घुसा दो अपना सारा लंड इसमें। इसका कचूमर निकल दो। आह जरा टॉर्च से देखो इस बुर को। कैसे टपटप तेरे लंड को निगल रही है।
मैंने भी देखा मेरा लंड तेजी से अन्दर बाहर हो रहा था। मैंने कहा कि साली आज से तुम मेरी भाभी तो रही नहीं, तुझे कुतिया बनाकर चोदुंगा।
उसने कहा - हाँ, मुझे कुतिया बना दो। जैसे जैसे चाहो तुम इस हरामजादी बुर को चोदो। तेरे भाई ने ऐसे कभी नहीं चोदा। वो तो साला फुच फुच कर चोदता था मुझे। सिर्फ़ बच्चा पैदा करना जानता था। ओह। आह। आह। मज़ा। मज़ा आ रहा है। राजा मैं तो गई ...एई।
मैंने कहा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ। तो उसने मुझसे २-४ तेज़ झटके लगवाए और झट से मेरा लंड निकाल कर मुंह में ले लिया और कहा कि देवर जी आप अब मेरे मुंह की चुदाई करें, और टपटप मेरा लंड खाने लगी क्योकि वह जानती थी कि मैं भी झड़ने वाला हूँ। वह मेरे लंड से निकले धात (वीर्य) को पीकर उसका भी स्वाद लेना चाहती थी।
मैंने कहा ओह। मेरी प्यारी चुदक्कड़ भाभी मैं झड़ने वाला हूँ तो उसने कहा कि राजा अपना धात बर्बाद मत करना। इसे मेरे मुंह में ही रहने दो। मैं अपने यार का रसपान करना चाहती हूँ।
इतने में मेरे लंड ने उजला गाढा द्रव छोड़ दिया। इसे मेरी छिनाल पूनम भाभी ने अन्तिम बूंद तक पी लिया। और कहा कि देवरजी अब तो तुम मेरे भरतार (पति) हो गए हो। जब मैं बुलाऊँ आ जाना। मैं खांस कर तुझे इशारा करुँगी। आज तो तुमने मुझे धन्य कर दिया।
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