Wednesday, September 23, 2015

FUN-MAZA-MASTI चुलबुली पड़ोसन--1

FUN-MAZA-MASTI



  चुलबुली पड़ोसन--1

सभी पाठकों को मेरा यानि राज जोशी का एक बार फिर से नमस्कार.. बहुत दिनों के व्यस्त जीवन के बाद मैं आज और एक सच्ची घटना कहानी के रूप में आपके साथ शेयर करने जा रहा हूँ.. आपको पसंद आई या नहीं मुझे ईमेल पर बताइएगा।
आप मेरी पुरानी कहानियाँ तो पढ़ ही चुके होंगे।
जैसा कि आप पहले से जानते हैं.. मुझे लड़कियां, महिलाएं.. इनके सामने नंगा होने में और उन्हें अपना नंगा बदन दिखाने में बड़ा मज़ा आता है.. जो कि मेरी आदत भी बन चुकी है।
यह भी कहानी उसी आदत के चलते घटी है।
यह बात पिछले महीने की है..एक नया जोड़ा हमारी बाजू वाली बिल्डिंग में किराए से घर लेकर रहने आ गया था। मेरे बेडरूम की बाल्कनी उनकी बाल्कनी के सामने थी।
दोनों छज्जे बिल्डिंग से बाहर की तरफ निकले हुए थे.. इसलिए बीच का फासला काफ़ी कम था।
एक बात अच्छी थी कि दोनों छज्जे बिल्डिंग के पीछे के हिस्से में थे और आज-बाजू पेड़ भी थे.. इसलिए बहुत कम ऐसा होता था कि कोई वहाँ.. जो हो रहा है.. उसे देख सके.. पर दोनों छज्जों में कोई भी खड़ा हो.. तो आराम से एक-दूसरे को अच्छी तरह से देख सकता था।
एक साल पहले वहाँ पर सिर्फ़ कुछ लड़के रहा करते थे.. इसलिए मैं वहाँ ज़्यादा ध्यान नहीं देता था।
लगभग एक साल बाद मैंने किसी को उस घर में देखा था.. इसलिए मेरी भी इच्छा होने लगी कि इस घर में कौन रहने आया है।
एक-दो दिन बीत जाने के बाद मैंने एक स्त्री की आवाज़ उस तरफ से सुनी.. तो मैं समझ गया कि कोई लड़की या महिला तो पक्का रहने आई है.. और मुझे एक नई आइटम देखने-दिखानेको मिल सकती है।
मैं ऑफिस जा रहा था.. इसलिए मैंने बाल्कनी का दरवाजा खोला और सिर्फ़ देखना चाहा कि कौन है.. एक बार देख तो लूँ।
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला.. एक शादी-शुदा लड़की फोन पर बातें करती हुई मुझे दिखी।
वो शायद अपनी मम्मी को नई जगह के बारे में बता रही थी.. साथ में उसने ये भी बताया कि उसका पति जॉब पर निकल गया है और अब दिन भर इस नई जगह वो अकेली रह गई थी। वो आगे बता रही थी कि अभी तक टीवी भी नहीं लग पाया है.. इसलिए मोबाइल फोन के अलावा कुछ मनोरंजन का साधन भी नहीं है।
मैंने निहारा कि वो एक स्लीवलैस सलवार कमीज़ पहने हुई थी.. पर दुपट्टा नहीं डाला था।
अभी तो वो मेरी तरफ पीठ किए खड़ी थी.. पर उसके लोकट गले की वजह से मैं उसकी खुली पीठ देख पा रहा था। सलवार-कमीज़ थोड़ी टाइट होने के कारण मैं पीछे से उसकी फिगर का आराम से अंदाज कर सकता था। मेरे ख़याल से उसकी कमर 32 इंच की होनी चाहिए थी और उसके चूतड़ों का नाप 38-40 इंच के बीच होना चाहिए था।
बात करते-करते वो पीछे की तरफ घूमी और अब मैं उसको सामने से देख सकता थाउसका रंग तो गोरा था ही.. पर चेहरा भी बहुत सुंदर था। डार्क लिपस्टिक की वजह से उसके होंठों को मैं ठीक तरह से देख पा रहा थाबहुत बड़े और मस्त होंठ थे उसके।
अब मेरी नज़र नीचे गई.. उसकी गर्दन और फिर मम्मों पर नजर पड़ी.. गर्दन के नीचे उसके दोनों मुलायम चूचे लगभग 36 डी नाप के तो आराम से होंगे।
उसके मम्मे चुस्त टॉप में फंसे हुए थे.. और गला गहरा होने के कारण उसकी क्लीवेज देख कर मुझे बहुत मज़ा आने लगा.. इसलिए मैं थोड़ा आगे बढ़कर खड़ा हो गया।
उसने अब तक मुझे नहीं देखा था.. पर कुछ नीचे गिरा हुआ उठाने के लिए वो नीचे झुकी और उसके डीप नेक की वजह से मुझे उसके क्लीवेज के अलावा भी दूध दर्शन हो गए।
फिर जैसे ही वो ऊपर की तरफ उठी.. तो उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और उसने मुझे देख लिया.. हमारी नजरें एक-दूसरे से मिल उठीं।
उसे यह समझने में ज़रा भी वक्त नहीं लगा कि मैं उसका क्या देख रहा हूँ।
वो जल्दी से बात करते-करते ही अन्दर चली गई और उसने दरवाजा बंद कर लिया।
मैं भी अपने कमरे में वापस आया और मैंने बाल्कनी का दरवाजा बंद कर लिया।
अब उसका क्लीवेज मेरी आँखों के सामने घूमने लगा।
उसके टाइट टॉप की वजह से उसके उभार जिस तरह से सामने की ओर तने हुए दिख रहे थे.. वो नज़ारा मैं भूल नहीं पा रहा था।
थोड़े ही पलों का वो दृश्य मेरी आँखों के सामने मंडराने लगा.. मैं मन ही मन खुद को कोस रहा था कि अगर मैं बिना कपड़ों का होता.. तो उसे मेरे लिंग मे होने वाली हरकत भी नज़र आ जाती और मुझे नंगा देख भी लेती..
उसकी बातों से मुझे समझ आ गया था कि वो अकेली है.. यह तो मैं जान ही चुका था.. इसलिए अब मैं सोचने लगा कि कैसे ऑफिस की छुट्टी मारी जाए और आज दिन भर में कम से कम एक बार तो उसके सामने अपना नंगा बदन लेकर कैसे जाऊँ।
उसी कामुक सोच में मैंने ऑफिस के दोस्त को फोन करके बता दिया कि कुछ निजी काम की वजह से मैं या तो देरी से ऑफिस आऊँगा.. या फिर हो सकता है कि मैं आ भी ना सकूँ।
उसने कहा- ठीक है..
और मैंने फोन रख दिया।
अब मैंने अपने पूरे कपड़े उतार दिए.. मैंने देखा कि कुछ हल्के से बाल मेरे लिंग पर और चूतड़ पर उभर आए हैं.. क्योंकि शेव करे हुए अब एक हफ्ता बीत चुका था।
मैं झट से बाथरूम के अन्दर गया और हमेशा की तरह एकदम लौड़े को क्लीन शेव करके वापिस आया.. मैं उसे पूरा क्लीन शेव्ड लण्ड दिखाना चाहता था।
अब मैं बाल्कनी के दरवाजे के पीछे खड़ा रह कर फिर से उसकी कोई हरकत या बात या आवाज़ सुनने की कोशिश कर रहा था।
काफ़ी देर बाद उसने फिर से डोर खोला और तेज हवा की वजह से दरवाजा दीवार पर ज़ोर से टकराया.. और उसकी आवाज़ से मुझे पता चल गया कि वो फिर एक बार बाल्कनी में आई है।
मैंने हल्के से दरवाजे को खोला और छोटी सी दरार से झाँक क़र कन्फर्म किया कि वो बाल्कनी में अकेली ही है।
इस बार वो दुपट्टा डाल कर आई थी और बाल्कनी की रेलिंग के ऊपर झुक कर बातें कर रही थी।
अब मेरी धड़कनें तेज़ हो गई थीं.. अब तक मैं ना जाने कितनी सारी लड़कियों और औरतों के सामने नंगा जा चुका था.. पर पता नहीं क्यों.. इस बार में थोड़ा डर भी रहा था.. शायद दोनों बाल्कनी के बीच का कम फासला भी उस डर का कारण हो सकता था।
मैंने पीछे को सरक कर मेरी बाल्कनी का दरवाजा खोलने के लिए बाहर धकेल दिया.. दरवाजा पूरा खुल चुका था और मैं दीवार का सहारा लिए खड़ा था।
जैसे-तैसे मैंने छज्जे में जाने की हिम्मत जुटा ली और एकदम से बाल्कनी में प्रवेश किया।
मेरी धड़कनें बहुत तेज़ हो गई थीं.. उसी के कारण मेरे लिंग में भी ज़्यादा हरकत नहीं थी.. पर जैसे ही मैं बाल्कनी में गया.. उसका ध्यान मेरी तरफ गया।
उसने गर्दन मेरी तरफ मोड़ दी और वो एकदम से बात करना रोक कर मेरी तरफ देख रही थी।
मैं उसके एक्सप्रेशन देख रहा था.. उसकी आँखें चौड़ी हो गई थीं। मुझे पूरी तरह से नंगा देखकर वो चौंक गई थी.. उसने मुझे देख लिया था.. इसलिए मेरी धड़कन अब नॉर्मल हो चुकी थीं और मैं लिंग को सहला रहा था।
उसकी नज़र मेरे हाथ पर पड़ी और वो हल्के सी मुस्कुराई.. शायद छोटा लिंग देखकर मुस्कराई थी।
अब शायद उसे एहसास हुआ कि वो फोन पर भी बात कर रही है और उसने बात फिर से शुरू की.. पर उसकी नज़र बात करते हुए मेरे नंगे शरीर की तरफ देख रही थी।
 
अचानक वो मुड़ गई और मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई.. दुपट्टा लिए होने के बावजूद उसकी खुली पीठ को मैं देख सकता था और टाइट कपड़ों की वजह से उसके चूतड़ों का आकार भी मैं महसूस कर सकता था।
यह देखकर मेरा लिंग खड़ा होने लगा.. मैंने हाथ से हिलाकर उसको अपने रेग्युलर साइज़ में लाकर उसकी स्किन पूरी तरह से पीछे करके वहीं रुका रहा।
अब मेरा गुलाबी रंग का सुपारा बाहर आ चुका था.. वो अभी भी मेरी तरफ पीठ करके बात कर रही थी.. फिर एकदम से उसने गर्दन मोड़कर पीछे देखा.. शायद वो चैक करना चाहती थी कि मैं वहीं पर खड़ा हूँ.. या कमरे में वापस चला गया हूँ।
मुझे वहीं खड़ा देखकर वो हँस पड़ी और अब मेरी तरफ मुड़ गई.. मेरा तना हुआ लिंग और ऊपर निकला हुआ सुपारा.. वो देख रही थी।
मैं जान-बूझकर लिंग को एक हाथ से ऊपर उठा कर मेरी गोटियाँ भी उसे दिखा रहा था।
वो मेरी हरकतें देखकर हँसने लगी और शायद जिससे बात कर रही थी.. उसने पूछा होगा कि इतना हँस क्यों रही है..?
वो मुझे देखे जा रही थी.. इसलिए अब मैं मुड़ा और उसे अपने क्लीन शेव्ड चूतड़ दिखाने लगा.. इतना ही नहीं मैं जान-बूझकर नीचे झुका और अपने पैरों और चूतड़ों को फैला कर उसे मेरे शेव्ड ऐस होलके दर्शन देने की कोशिश करने लगा।
इस बार वो ज़ोर से हँस पड़ी.. हँसते-हँसते ही बाल्कनी की मेरी तरफ की मुंडेर तक आकर उसने फोन पर कहा- रुक.. मैं थोड़ी देर में कॉल-बैक करती हूँ..
अब फोन कट करके उसने, मैं सुन सकूँ, इतनी तेज आवाज़ में कहा।
वो- अब उठ भी जाओ.. जो तुम दिखाना चाह रहे थे.. मैं वो चीज़ देख चुकी हूँ.. कितनी देर ऐसे ही झुके हुए रहोगे?
मैं उसके इस सवाल से और बात करने से पूरा चौंक गया था.. मैं उठ कर खड़ा हो गया और उसकी तरफ मुड़कर उसे देखने लगा।
वो- तुम्हें एक अनजान औरत के सामने ऐसा बिना कपड़ों के आते हुए ज़रा भी शरम नहीं आई?
मैं- जी डर तो बहुत लग रहा था.. पर क्या करूँ.. मुझे खुद को नंगा दिखाने की ऐसी आदत है।
वो- किसे-किसे दिखाते हो.. और क्यों?
मैं- जी लड़कियों और औरतों को.. पता नहीं क्यों.. पर ऐसा करने से मुझे एक अलग सुकून मिलता है।
वो- अच्छा.. पर यह बहुत ग़लत बात है।
मैं- जी हाँ.. पर क्या करूँ.. अब ये एक आदत बन चुकी है.. मैं ये आदत छोड़ नहीं पा रहा हूँ।
वो- कभी किसी मर्द ने देख लिया तो?
मैं- भगवान की दया से आज तक मेरे साथ ऐसी अनहोनी नहीं हुई।
वो- हा हा हा.. फिर तो बहुत लकी हो..
पता नहीं क्यों.. पर उसका बेझिझक यूँ बातें करने से और उसकी नज़रें जो मुझे देख कर मुझे बोल रही थीं कि तुम सचमुच कितने बेशरम हो.. एक अनजान औरत से ऐसी हालत में बात करते हुए भी तुम्हें शरम नहीं आ रही है.. शरीर से तो हो ही.. पर मन से भी कितने नंगे हो तुम..
यह सब सोच कर मेरा लिंग छोटा होने लगा और मैं अपने हाथ से उसे ढकने की कोशिश करने लगा।
ये कोशिश देखकर वो फिर बोली- अब क्यों ढक रहे हो? शर्म आ रही है?
मैं- जी..
वो- तुम्हें लगा होगा.. एक अनजान औरत है.. देख लेगी और चली जाएगी.. और अपना काम ख़त्म.. सही कहा ना?
मैं- जी..
वो- तुम सचमुच बहुत बेशरम हो..
मैं- एक बात पूछूँ?
वो- पूछो..
मैं- क्या आप नई आई हैं यहाँ पर?
वो- हाँ.. हम लोग पहले औरंगाबाद में रहते थे.. हाल ही में मेरे पति का ट्रान्सफर हुआ है.. पर मुझे ये नहीं पता था कि पुणे मुझे ऐसा वेलकम करेगा.. हा हा हा..
मैं- ओके.. आपका कोई रिश्तेदार तो होगा यहाँ पर?
वो- जी नहीं.. सिर्फ़ मेरी एक सहेली है.. उसका पति और मेरे पति दोनों एक ही कंपनी में काम करते हैं।
मैं- ओके.. तो अच्छा है.. कम से कम आप पुणे में किसी को तो जानती हैं।
वो- हाँ.. अब मैं दो लोगों को जानती हूँ पुणे में.. एक मेरी सहेली और एक नंगा अंजान पड़ोसी.. हा हा हा..
मैं- ओह.. सॉरी फॉर दिस टाइप ऑफ इंट्रो.. मेरा नाम राज है..
वो- ओके.. मेरा नाम   डॉली है..
मैं- आपकी उम्र?
  डॉली- क्या तुम्हें नहीं पता.. औरतों की उम्र नहीं पूछी जाती.. तुम तुम्हारी उम्र बताओ.. मैं सिर्फ़ ये बताऊँगी कि मैं उम्र में तुमसे बड़ी हूँ.. या छोटी..
मैं- 1985 मेरा जन्म वर्ष है।
  डॉली- ओके.. मैं तुमसे बड़ी हूँ..
मैं- वॉऊमुझे बहुत अच्छा लगता है.. जब मुझे देखने वाली मुझसे बड़ी हो..
  डॉली- ओह.. तुम तो सचमुच बहुत ज़्यादा बेशरम हो.. इतने बड़े हो गए हो फिर भी छोटे बच्चों की तरह अपने से बड़ी उम्र की औरतों के सामने नंगे जाने की इच्छा रखते हो।
मैं- सॉरी जी.. हमारी पहचान इस तरह से बन गई है।
  डॉली- अच्छा ही हुआ.. आदमी पहली मुलाकात में ही पता चलना चाहिए कि कितना नंगा है.. अगर तुम पहले शरीफ बनकर मिलते और फिर तुम्हारा ये रूप सामने आता.. तो शायद मैं तुमसे बात भी ना करती। एक बात मुझे अच्छी लगी कि तुम शुरू से बेबाक निकले.. थोड़ी देर पहले जिस तरह से तुम मेरे बूब्स को देख रहे थे.. तब भी तुम्हारी नज़र साफ़ बता रही थीं कि तुम अन्दर से क्या हो..? वैसे ये शेव मुझे देखने के बाद की है या पहले से ही थी?
मैं- जी.. वैसे तो मैं हर हफ्ते साफ़ करता हूँ.. पर आज आपको देखने के बाद की है.. ताकि जब आप पहली बार देखें तो पूरा क्लीन शेव्ड ही दिखे।
  डॉली- हा हा हा.. तुम बेशरम तो हो ही पर नॉटीभी हो.. लेकिन तुमने सब क़ुबूल भी किया.. यह बात अच्छी लगी मुझे.. अच्छा बताओ तुम मुझे अपनी ऐसऔर ऐस-होलक्यों दिखा रहे थे?
मैं- जी.. मुझे वो भी दिखाना अच्छा लगता है.. मेरी ऐसकाफ़ी हद तक आप महिलाओं जैसी है न.. इसलिए..
  डॉली- हा हा हा हा.. हाँ.. यह तो सच है.. स्मूद और राउंडेड है तुम्हारी आस.. हम लोगों जैसी.. अगर किसी को सिर्फ़ उसकी फोटो दिखाई जाए.. तो कोई नहीं कहेगा ये किसी आदमी की ऐसहै..
मैं- थैंक यू   डॉली जी.. आज तक किसी ने भी मुझे अचानक से नंगा देखने के बाद मेरे साथ इतनी अच्छी तरह से बात नहीं की..
  डॉली- नो प्राब्लम.. मैं मेडीकल में पढ़ी हूँ और उसमें मुझे इस तरह के विषय भी मैंने पढ़े हैं.. तुम्हें ऐसा देखते ही मुझे समझ में आ गया था कि तुम में एक एग्ज़िबिजनिस्ट छुपा है और तुम शायद ऐसे नंगा होने के लिए कुछ भी करने को तैयार बने रहते हो..
मैं- तो क्या आप डॉक्टर हो?
  डॉली- हाँ.. लेकिन प्रैक्टिस नहीं करती हूँ।
मैं- ओके..




  डॉली- चलो.. अब मुझे खाना भी बनाना है.. नहीं तो भूखी ही मर जाऊँगी.. कुछ मंगवाने के लिए भी किसी होटल का पता नहीं है।
मैं- रुकिए ना.. थोड़ी देर प्लीज़.. मुझे एक बार..
  डॉली- ओह.. क्या मुझे एक बार? कहो तो.. शरमाओ मत.. नंगे खड़े हो मेरे सामने.. और बात करने में शर्मा रहे हो..
मैं- जी.. मुझे आपके सामने एक बार शेक करना है।
  डॉली- बाप रे बाप.. तुम तो सच में बहुत ठरकी हो.. चलो ठीक है.. पर जल्दी से करो.. मुझे खाना बनाना है।
मैं- आहह.. थैंक्स   डॉली जी.. क्या मैं आपके लिए खाना मँगवा दूँ?
  डॉली- ओह.. तुम तो बहुत शातिर भी हो.. खाना भी मँगवा दोगे.. ताकि मैं यहाँ देर तक रुक सकूँ..
मैं- जी.. वैसी बात नहीं है.. लेकिन फिर भी..
  डॉली- ठीक है..
इतनी बातें करते-करते मेरा लिंग फिर से तन चुका था। मैंने उससे पूछा- क्या खाना मंगवाना है और मैं जल्दी से अन्दर जाकर अपना मोबाइल लेकर आया।
उसको फ्लैट नंबर वग़ैरह पूछ कर एक अच्छे से रेस्टोरेंट में ऑर्डर दे दिया।
मेरी इस बेचैनी को देखकर और इस भाग दौड़ में जिस तरह मेरा लिंग हिलता जा रहा था.. वो देखकर   डॉली हँसने लगी थी।
मैंने मोबाइल मुंडेर पर रख दिया।
तभी वो बोली- अरे धीरे-धीरे राज.. मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.. अब तो तुमने खाना भी ऑर्डर करवा दिया है.. खाना की डिलीवरी आने तक मैं तुम्हारे सामने ही हूँ.. अब सब कुछ तुम्हारे हाथ में है.. तुम तब तक टिक सके.. तो ठीक है.. अगर उससे पहले तुम झड़ गए.. तो मैं अन्दर चली जाऊँगी।
उसने एक तरह से मुझे चैलेन्ज ही दे दिया था। खाने की डिलीवरी आने के लिए 45 मिनट थे.. और मुझे इतनी देर टिकने का यह चैलेन्ज था।











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