Tuesday, September 1, 2015

FUN-MAZA-MASTI पराया पिया प्यारा लगे--2

FUN-MAZA-MASTI


पराया पिया प्यारा लगे--2



मेरी एक चूची उस के मुँह में थी और एक चूची को अपने एक हाथ से मसलते जा रही थी।
धीरे धीरे, उसके हाथ मेरे पेट और नाभि के रास्ते से फिसलते हुए मेरी चूत की तरफ बढ़ रहे थे।
थोड़ी ही देर में, उस का हाथ मेरी चूत को मसलने लगा।
मेरी फुददी भी ज़ोर ज़ोर से खुजलाने लगी।
मैं अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से, उसके हाथों पर दबाने लगी।
अब मैंने भी अपना एक हाथ उसके चूची पर रख कर, उसके चूची को मसलना शुरू किया और दूसरे हाथ को पेटीकोट के ऊपर से ही, उसकी चूत पर रख कर दबाने लगी।
तो उसने कहा अरे, कपड़ों के ऊपर से क्या मज़ा आएगा, जालिम..! मसलना है तो कपड़े खोल कर, मसल..!
और मैंने जल्दी जल्दी उसका ब्लाउज, ब्रा और पेटीकोट खोल डाला।
अब हम दोनों बिल्कुल नंगी, एक दूसरे की चूचियों और चूत से खेल रहे थे।
वो अपनी उंगलियो से, मेरी फुददी चोद रही थी और मैं अपनी उंगलियों से, उसकी चूत चोद रही थी।
थोड़ी देर बाद, वो मुझे चित सुलाकर मेरी जाँघों के बीच बैठ गई और झुक कर मेरी चूत को अपने जीभ से चाटने लगी।
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
आज से पहले, किसी ने मेरी फुददी नहीं चाटी थी।
फिर उसने, मुझे अपनी चूत चाटने को कहा।
मुझे अच्छा तो नहीं लगा, लेकिन उसके जीभ ने मेरी चूत को जो आनंद दिया था उसके बदले मैं उसकी चूत चाटने लगी।
दोनों काफ़ी देर तक 69 पोज़िशन में, एक दूसरी की चूत चाटते रहे।
फिर वो दो लंबे बैंगन लाकर, एक मेरे हाथ में देती हुई और एक बैंगन को मेरी चूत में पेलने लगी।
बैंगन इतना मोटा था की चूत में उसके घुसने की कल्पना, मैं नहीं कर सकती थी।
लेकिन, मेरी फुददी उसकी जीभ के चाटने से इतनी उत्तेजित हो गई थी के बड़ी आसानी से वो मेरी चूत में चला गया।
इधर, अपने हाथ के बैंगन को मैं उसकी चूत मे घुसेड़ने लगी।
फिर हम दोनों काफ़ी देर तक एक दूसरे की चूत को बैंगन से चोदते रहे।
करीब एक घंटे की चुदाई के बाद, हम अलग हुए और एक दूसरे की बाँहो में समाकर नंगे सो गये।
सोने से पहले, उसने तुम्हारे लण्ड और चुदाई के तरीके, बड़े चटकारे के साथ सुनाए थे।
उसी दिन से, मैं तुम से चुदवाने के लिए पागल रहने लगी थी।
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वैसे तो उसने मौका निकालकर, तुम से मेरी फुददी चुदवा देने का वादा किया था।
लेकिन, जब भी मैं कहती थी तो बात टाल जाती थी।
आज जाकर, तुमसे चुदवाने का मौका मिला..! कैसा लगा, मेरी चूत मार कर..! ??
मैं बहुत अच्छा..!
मिष्टी क्या, एक बार फिर चोदोगे..! ??
मैं क्यों नहीं..!
ऐसा कह कर, हम लोगों की चुदाई एक बार फिर शुरू हो गई।
काठमांडू पहुँचते ही, मैं मिष्टी भाभी की चूत और गाण्ड में दो बार पानी निकाल चुका था।
हमें होटल के कमरे में आए हुए, दो घंटे से अधिक हो चुके था।
इन दो चुदाई के बाद, मुझे गहरी नींद आने लगी क्योंकि में रात भर बस में भी नहीं सोया था।
एक बार, मैं सोया तो 9 बजे तक सोता ही रहा।
जब 9 बजे उठा तो देखा की मिष्टी भाभी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी, मेक उप कर रही थी।
उसने लाल रंग की बहुत ही आकर्षक साड़ी पहन रखी थी और उससे मिलता जुलता हल्के लाल रंग का ब्लाउज, जिससे उसकी ब्रा के पटे साफ़ दिख रहे थे।
मैं सीधा बाथरूम में घुसा और लगभग आधे घंटे में ही, तैयार हो के बाहर आ गया।
तब तक मिष्टी भाभी, पूरी सज धज चुकी थी।
मैंने उसे पीछे से बाहों में जकड़ते हुए, उसे हल्के से चूमा और कहा जानेमन, आज तुम इस लाल साड़ी में बहुत सुंदर दिख रही हो..!
मिष्टी अच्छा..! ??
मैं हाँ!! तुम्हारे गोरे मुखड़े पर, ये लाल बिंदी, रसीले होंठों पे, गुलाबी लिपस्टिक, माँग में सिंदूर, ऊपर से, ये बड़े गले की लो कट ब्लाउज में से झाँकती हुई चूचियाँ, साड़ी और ब्लाउज के बीच का नंगा पेट और कमर, तथा गोरे पेट के ऊपर गोल नाभी, सब मिलकर तुम्हारी जवानी पर कयामत गिरा रहे हैं..!
मिष्टी इतनी भी तारीफ़ मत करो..! चलो, मेरे पति से मिल कर आते हैं..!
मैं अरे!! ये क्या कर रही हो..! रास्ते में, तुम्हारी ये जवानी देख कर मनचले लड़के उठा ले जाएँगे और चोद चोद कर तुम्हारे चूत का भरता बना देंगे..! तुम अगर, अपने पति के पास चली गई तो फिर मेरा क्या होगा..! मेरे लण्ड की प्यास तो अभी शांत नहीं हुई..!
मिष्टी दो घंटे तक तो मेरी फुददी और गाण्ड चोद चुके..! फिर भी तुम्हारे लण्ड की प्यास नहीं बुझी..!
मैं अरे नहीं, मिष्टी जानेमन..! तुम्हारी चूत ही ऐसी है की इसे जितना चोदो तो और चोदने का मन करता है..! तुम कल, अपने पति से मिल लेना..! आज तो दिन भर, मैं तुम्हारी चूंचियों को मसलते हुए तुम्हारी चूत और गाण्ड चोदता रहूँगा..!
मिष्टी अच्छा..! चलो, अगर अब भी तुम में जान बाकी है तो आ जाओ मैदान में..! देख क्या रहे हो..!
यह चुनौती सुनते ही, मैंने मिष्टी को बाहों में जकड लिया।
उसे बिस्तर पर गिरा दिया और उसकी तनी हुई चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही, मसलने लगा।
मैंने अपने जलते होंठ, उसके रसीले होंठों पर रख दिए।
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उसने हल्का सा मुख खोला और इसी बीच, मैंने अपनी जीभ उसके मुख में घुसा दी।
अब, मैंने उसकी साड़ी ऊपर उठा के उसकी कमर में लपेट दी और उसकी चूत की दरार पर, अपनी उंगली टीका दी।
मैं काफ़ी देर उसकी चूत की दरार को उंगली से रगड़ता रहा और फिर उंगली चूत में तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा।
फिर मैंने दो उंगली उसकी चूत में डाली और बाद में तो तीन उंगली डाल के उसकी चूत की, उंगली चुदाई की।
वह भी मेरी जांघों की तरफ झुक गई और मेरे लण्ड को बाहर निकाल लिया।
कुछ देर मेरे लण्ड से खेलने के बाद, उसने मेरा लण्ड मुख में ले लिया और बड़े प्यार से चूसने लगी।
हम, एक दूसरे को 10 मिनट तक चाटते और चूसते रहे।
इसके बाद, मैंने उसे चित लिटा दिया और मेरा लण्ड उस की चूत के मुहाने पर टीका दिया।
चूत के मुख पर लण्ड का स्पर्श पाते ही, उसने मेरी कमर कस के जकड ली और साथ ही साथ अपनी गाण्ड भी उठा दी और मेरा लण्ड एक ही झटके में उसकी चूत में समा गया।
फिर मैं रफ़्तार तेज़ करता गया और एक बार फिर, मेरे लण्ड और उसकी चूत में भीषण युद्ध छिड़ गया।
मिष्टी ऊओ आ आहह उन..! अरे..! बहन चोद और ज़ोर से चोद..! हाँ..! और कस के, मेरे राजा..! और कस के चोदो..! और..! हान्न्न..!
मैं सम्भालो, मेरी जान..! मैं तुम्हारी चूत में पुरे ज़ोर से पेल रहा हूँ, अपना लण्ड..! मेरे पूरे लण्ड को, अपनी चूत में ले लो..!
मिष्टी चोदो..! और ज़ोर से चोदो..! पूरा भीतर पेल पेल के चोदो..! मेरे राजा..!
मैं उसे पागलों की तरह, चोदे जा रहा था।
मैं ओह, मिष्टी जानेमन..! मैं आ रहा हूँ..! लो सम्भालो..!
मिष्टी मैं भी झड़ने वाली हूँ..! ओह..! मारो मेरी चूत, आज जी भर के..! और इस बार पता नहीं क्या क्या बकते हुए, हम साथ साथ झड़ गये।
मेरे लण्ड से रस के फव्वारे छूट रहे थे और उसकी चूत मेरे रस से भरी जा रही थी।
आज तो मैंने उसकी वह चुदाई की, जो मैंने अपनी बीवी नीरू की भी कभी नहीं की।
फिर, उसने मेरा लण्ड अपने मुख में ले लिया और उसे चाट चाट के साफ़ करने लगी।
उसने अपनी टाँगें फैला कर, अपनी बुरी तरह से चुदी हुई भोसड़ी चौड़ी कर दी और मेरे मुख को अपनी चूत से लगा दिया, जिसे मैंने भी चाट चाट के साफ़ कर दिया..
अब मैंने पूछा मज़ा आया, भाभी..! ??
मिष्टी बहुत..! जितना तुम्हारी बीवी बताती है, उस से भी ज़्यादा..!
मैं भाभी, कुछ ऐसा आइडिया लगाओ की मैं तुम्हें अपनी बीवी के सामने चोद सकूँ..! मैं तुम दोनों को एक साथ चोदना चाहता हूँ..! और अगर तुम ऐसा कुछ आइडिया लगा सको की तुम्हें तुम्हारे पति के सामने चोदने का मेरा सपना पूरा हो जाए..! प्लीज़, कोई उपाय करो ना ताकि वो खुद तुम्हारी चूत अपनी उंगलियों से फैला कर, तुम्हारी चूत में मेरा लण्ड डालवा ले..! या फिर किसी और से ही मेरे सामने चुदवा लो ताकि तुम्हारी चूत में घुसते निकलते लण्ड को मैं देख सकूँ..!
मिष्टी वापस तो चलो..! कोई ना कोई, आइडिया सोचती हूँ..! मैं भी तुम्हें अपने सामने तुम्हारी बीवी को चोदते हुए देखना चाहती हूँ..! चूत में घुसते निकलते लण्ड को देखने में, मुझे भी बड़ा मज़ा आता है..!
मैंने पूछा अरे!! तुमने कब किसी को चुदवाते हुए देखा..! ??
उस ने बताया के एक दिन मैं घर पर अकेली थी, तभी मेरे घर की कॉल बेल बज उठी।
मैंने दरवाजा खोला तो सामने मेरा एक बहुत पुराना आशिक़ खड़ा था।
उसे देखते ही, मुझे अपने उसके साथ बिताए हुए दिन याद आने लगे।
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मैं उसके साथ बिताए, हसीन पलों में खो कर रह गई।
मुझे तो होश तब आया जब उसने कहा अरे मिष्टी, क्या मुझे अंदर आने को नहीं कहोगी..!
मिष्टी अरे, आ जाओ ना..! और वो अंदर आ गया।
मैं उसे सीधे अपने बेड रूम में ले गई।
मिष्टी का आशिक़ तुम तो पहले से भी ज़्यादा खूबसूरत हो गई हो..!
मिष्टी मज़ाक करते हो..!
मिष्टी का आशिक़ अरे नहीं, तुम्हारी जवानी तो और खिल गई है..! लगता है, तुम्हारा पति तुम्हारा बहुत ख़याल रखता है..!
मिष्टी छोड़ो भी..! तुम फ्रेश हो जाओ, मैं कुछ खाने को लाती हूँ..!
मिष्टी का आशिक़ मैं रास्ते में खा कर आया हूँ..! कुछ खिलाना ही है तो एक बार, अपना हुस्न खिला दो ना..! मैं बहुत दिनों से तुम्हारे लिए तड़प रहा हूँ..! और उसने मुझे अपने बाहों में जकड लिया।
मिष्टी अरे सब्र करो..! जब तुम आ ही गये हो तो जी भर के कर लेना..! अभी कोई आ गया तो लेने के देने पड़ जाएँगे..!
मिष्टी का आशिक़ जो भी हो..! अब तो मुझ से बर्दशात नहीं हो रहा है..! प्लीज़, एक बार कर लेने दो..! प्लीज़..!
और फिर उसने मेरे चूचियों को मसलना शुरू कर दिया।
वो मेरे गालों और होंठों को भी, चूमता जा रहा था।
उसने धीरे धीरे, मेरे कपड़े खोलना शुरू कर दिया।
कुछ ही देर में, मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी और वो मेरी चूचियों को और मेरी चूत को निहारे जा रहा था।
फिर वो मुझे अपनी बाहों में भर कर, मेरी चूंचियों को मसलने लगा।
मैं भी उसके कपड़ो को एक एक कर के खोलने लगी।
जब हम दोनों बिल्कुल नंगे हो गये तो वो मुझे बिस्तर पर खींच लाया।
वो मेरी चूत को टटोलने लगा।
मैं उसके खड़े लण्ड को सहलाने लगी।
वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो चुका था.. इसलिए, बिना वक़्त गँवाए ही मुझे लेटा कर, मेरी चूत में अपना खड़ा लण्ड डाल कर चोदने लगा..
बहुत दिनों बाद, उसका मोटा लण्ड मिला था.. इस लिए, मैं भी बड़ी मस्ती में उस से चुदवा रही थी..
हम दोनों इतने मस्ती में थे की अब हमें किसी बात का होश नहीं था।
उसका लण्ड, मेरी चूत में दाना दान अंदर बाहर हो रहा था।
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मैं अपना चुत्तड़ उठा उठा कर, उस से चुदवा ही रही थी के एक दम तुम्हारी बीवी मेरे बेड रूम में आ गई।
बेड रूम का दरवाजा बंद करना, हम भूल गये थे।
वो घबरा कर, मुझ से अलग हुआ और अपने नंगे बदन को छुपाने लगा।
तुम्हारी बीवी, मेरी चूचियों पर घूसा मारती हुई बोली अरे रंडी!! ये क्या कर रही हो..! कौन है ये, जिस से तुम ऐसे दिन दहाड़े चुदवा रही थी..! आने दो तुम्हारे पति को, आज मैं तुम्हारी दूरगत बनवाती हूँ..!
मिष्टी प्लीज़, ऐसा मत करना..! तुम जो कहोगी, मैं मानने को तैयार हूँ..! लेकिन, मेरे पति को ये सब मत बताना..!
नीरू ठीक है..! नहीं बताउंगी..! लेकिन, इस के लिए एक शर्त है..!
मिष्टी मुझे मंजूर है, अपनी शर्त बताओ..!
नीरू शर्त ये है की तुम मेरी आँखों के सामने इस से चुदवाओ..! मैं तुम्हारी चुदाई का खेल देखना चाहती हूँ..!
मिष्टी बस इतनी सी बात..! ये तो मैं कर ही रही थी..!
नीरू अब मेरे सामने करो..!
मिष्टी आओ मेरे राजा..! मेरी फुददी, इसके सामने चोद कर देखा दो..! ये साली, बहुत बड़ी छीनाल है..! अक्सर ब्लू फिल्म देखा करती है और कई बार लाइव ब्लू फिल्म देखने को कहा करती थी..! आज इसे जी भर के दिखा दो..!
मेरी बात ख़त्म होते ही, उसने फिर से मुझे पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे जाँघों को फैला कर मेरी चूत में अपना मोटा लण्ड डाल कर दाना दान चोदने लगा।
तुम्हारी बीवी मेरे बगल में बैठ कर, मेरी चुचियों को मसलने लगी।
वो झुक झुक कर, मेरी चूत में उसके लण्ड को घुसते निकलते देख रही थी।
मेरी चूत में अपने लण्ड से धक्का मारते मारते, मेरे चोदु यार ने तुम्हारी बीवी की एक चूची को पकड़ कर मसल दिया।
मिष्टी का आशिक़ अरे भाभी..! तुम्हारी चूची तो इस से भी ज़्यादा मस्त और नरम है..!
नीरू अभी तो कपड़े के ऊपर से छुआ है..! नंगी कर के देखो और छुओ तो इस साली की चूची कभी याद भी नहीं आएगी..! तुम जो इसके पचासों मर्दों से चुडवाई हुई चूत पे इतने दीवाने हुए जा रहे हो..! जब मेरी चूत देखोगे तो उसे चोदने के लिए, पागल हो जाओगे..!
तुम्हारी बीवी, अपना एक हाथ अपनी चूची पर और एक साड़ी के ऊपर से चूत पर रख कर दबाते हुए बोल पड़ी।
मिष्टी का आशिक़ ज़रा, इन्हें खोल कर दिखाओ ना..!
मुझे चुदवाते हुए देख कर, नीरू भी पुरे मस्ती में आ चुकी थी।
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उसने फटा फट, अपने सारे कपड़े खोल डाले और मेरे चोदु यार का मोटा लण्ड मेरी चूत से खींच कर, अपनी चूत के तरफ करने लगी।
उसने मेरे यार का लण्ड इतना ज़ोर से खींचा था की वो दर्द से छटपटाते हुए मुझ से अलग हो कर, तुम्हारी बीवी को पटक कर उसके ऊपर चढ़ते हुए एक ही धक्का में अपना पूरा लण्ड उस की चूत में घुसा दिया।
ऐसे जबरदस्त धक्के के लिए, नीरू तैयार नहीं थी और वो दर्द के मारे ज़ोर से चिल्ला उठी।
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आहह ह ह ह हह ह ह ह हह..!
घबरा कर, उसने अपना लण्ड वापस खींच लिया।
इस पे नीरू, उसकी खिल्ली उड़ाती हुए बोल पड़ी अरे साले, मादर चोद..! चोद ना..! छोड़ क्यों दिया..!
फिर, वह अपना लण्ड उस की चूत में पेल कर जल्दी जल्दी धक्के मारने लगा।
तुम्हारी बीवी की चूत में, उसका लण्ड बड़ी तेज़ी के साथ अंदर बाहर हो रहा था।
अपनी चूत में पड़ते, उसके हर धक्के के जवाब में नीरू बड़ी तेज़ी से अपनी गाण्ड ऊपर की तरफ उछाल देती।
गाण्ड उठा उठा कर, वो बड़ी मस्ती में चुदवा रही थी।
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उसकी चूत में तबाड तोड़, उसका लण्ड अंदर बाहर आ जा रहा था।
तुम्हारी बीवी के मुँह से बड़ी अजीब किस्म की सिसकारियाँ निकल रही थी। उंह माँ चोद डाल..! आँह यहम..! रंडी हूँ मैं..! आ आ आ आ आ आ आ..! मुझे एक साथ तीन चार लंड चाहिए..! छीनाल बनवा दो मुझे..! उन्ह ह ह ह ह ह..! बहन चोद द द द द द..! चोद ह ह s s s s s s..!
अपनी चूत में, उसके लण्ड से धक्के मरवती हुई उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरी एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और अपना हाथ मेरी चूत पर रख कर, अपनी उंगलियों से मेरी चूत को चोदने लगी।












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