FUN-MAZA-MASTI
पराया पिया प्यारा लगे--8
मिष्टी की फैली हुई चूत में मेरा लण्ड बड़ी तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था।
मिष्टी के धक्कों के साथ ही, मैं भी नीचे से अपनी कमर हिला हिला कर लण्ड चूत में ठेले जा रहा था।
दस पाँच मिनट तक इसी तरह चुदवाने के बाद, मिष्टी चित हो कर लेट गई और मुझे अपने ऊपर चढ़ कर चोदने को बोली।
मैं मिष्टी की जांघों को फैला कर, उसके बीच बैठते हुए उसकी चूत में लण्ड डाल कर तबाद तोड़ धक्के मारने लगा।
अब राज़धनी एक्सप्रेस के पिस्टन के तरह, मेरा लण्ड मिष्टी की चूत में चल रहा था।
पिंकी हमारी चुदाई को ध्यान से देख रही थी।
वो अपने ही हाथों से अपनी चूचियों और चूत को मसल भी रही थी।
अब मैं झड़ने के करीब था.. इस लिए, मिष्टी की चूत में घुसते निकलते मेरे लण्ड की गति और भी बढ़ गई थी..
मैं दाना दान उस की चूत में अपने लण्ड से जोरदार धक्के मारे जा रहा था।
करीब तीन चार मिनट में ही, मेरे लंड ने भड़ भाड़ा कर मिष्टी की चूत में अपना रस छोड़ दिया जो उस की चूत से रिस रिस कर बाहर फैलता जा रहा था।
झड़ने के बाद, दस पाँच धक्के और लगाने के बाद मैं मिष्टी के ऊपर से हट गया।
मिष्टी की चूत पर मेरे लण्ड और उस की चूत के पानी को मेरे लण्ड द्वारा फेंटे जाने के कारण, फेन सा बन कर फैल गया था।
कुछ देर तक शांत रहने के बाद, मिष्टी ने पिंकी को पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया और उसके गालों को चूमते हुए उसकी चूचियों को दबाने लगी।
उसने पिंकी से पूछा – कैसी लगी, हमारी चुदाई..! ??
पिंकी – बहुत अच्छी..! ऐसे करीब से चुदाई का खेल, मैंने नहीं देखा था..! तुम्हारी चुदाई देख कर, मेरी चूत भी चुदवाने के लिए बेचैन हो गई है..! अब इसे भी चुदवा दो ना..!
मिष्टी – ठीक है..! लेकिन, पहले तुम मेरी चूत चाटो और मैं तुम्हारी चूत चाटती हूँ..! ये देख कर, मेरे राजा का लण्ड तुम्हें चोदने के लिए तैयार हो जाएगा..!
पिंकी – नहीं..! मुझे घिन लग रही है..! प्लीज़, मुझे अपनी चूत चाटने के लिए नहीं कहो..!
मिष्टी – बिना चाटे, काम नहीं चलेगा..! ऐसा करो, अपनी सलवार से मेरी चूत पोंछ कर साफ़ कर लो..! फिर चाटो..!
उसने ऐसा ही किया और पिंकी और मिष्टी, एक दूसरे से 69 पोज़िशन में भीड़ गये।
वो एक दूसरे की चूत, फैला फैला कर चाट रहे थे।
पिंकी की चूत बड़ी टाइट लग रही थी।
भाभी की चूत तो चुदवाते चुदवाते फैल कर, भोसड़ा बन गई थी।
इस लिए, मिष्टी की चूत में पिंकी की पूरी जीभ चली जाती थी.. लेकिन, मिष्टी पिंकी की चूत के दरार में ही अपनी जीभ की नोक फिरा फिरा कर, उस की चूत चाट रही थी..
मैंने अपने एक हाथ से मिष्टी की और दूसरे हाथ से पिंकी की एक एक चूची पकड़ कर मसलना शुरू किया।
मिष्टी ने अपनी जीभ पिंकी की चूत से निकाल कर, उस की जगह चूत में अपनी एक उंगली पेल दी।
उंगली तो उस की चूत में चली गई.. लेकिन, वो छिटक कर बोली – मेरी चूत में तूने क्या डाल दिया..! चूत में जलन हो रही है..!
मिष्टी ने कहा – घबराओ नहीं..! मैं तुम्हारी चूत में लण्ड के आने जाने का रास्ता साफ़ कर रही हूँ..! जब इस में लण्ड जाएगा तो देखना कितना मज़ा आता है..! तूने कभी किसी से चुदवाया है या नहीं..!
पिंकी – नहीं, मैंने आज तक किसी से नहीं चुदवाया है..!
मिष्टी – लो तो अब, मैं ज़्यादा देर नहीं करना चाहती हूँ..! अब अपनी चूत में लण्ड डलवा कर, चुदाई का मज़ा ले..! कहती हुई मिष्टी पिंकी के ऊपर से हट गई और उसे चोदने के लिए मुझे इशारा किया।
मैंने पिंकी की जांघों के बीच बैठ कर, उस की चूत को अपनी उंगलियों से फैलाया और उस की चूत के मुँह पर अपना लण्ड रखते हुए कहा – सम्भालो, अब मैं तुम्हारी चूत में लण्ड पेल रहा हूँ..!
पिंकी – ठीक है, पेलो..! लेकिन, पहले धीरे धीरे घुसाना..! मैंने पहले कभी नहीं चुदवाया है..!
मैंने धीरे से अपने लण्ड पे दबाव बढ़ाया, लण्ड का सुपाड़ा पिंकी की कसी चूत में चला गया।
मैं उस की चूत में धीरे धीरे, अपने लण्ड का सुपाड़ा रगड़ने लगा।
उस की चूत काफ़ी देर से पानी छोड़ रही थी.. इस लिए, चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी..
लण्ड पे बढ़ते दबाव से मेरा लण्ड धीरे धीरे, पिंकी की चूत के अंदर दाखिल होते जा रहा था।
अब मेरा लण्ड करीब दो इंच तक, पिंकी की चूत के भीतर समा चुका था।
मैंने अपने लण्ड को थोड़ा बाहर खींचा और पिंकी की चूत में एक जोरदार धक्का लगा दिया।
मेरा लण्ड करीब चार इंच तक उसकी चूत में समा गया।
मैंने थोड़ा भी वक्त गँवाए बगैर, अपने लण्ड को थोड़ा बाहर खींच कर दाना दान 4-5 धक्के और लगा दिए।
अब मेरा पूरा लण्ड पिंकी की चूत में समा चुका था, लेकिन दर्द के मारे वो छटपटा रही थी।
मेरा मोटा लण्ड उसकी चूत के पतले छेद में अंदर गया था।
मैं उसकी चूचियों को धीरे धीरे सहलाने लगा।
मेरी कमर अपने आप हिल कर, उसकी चूत में लण्ड को अंदर बाहर करने को उतावली हो रही थी.. लेकिन, इसे रोके रख कर मैं उसकी चूचियों को सहलाते हुए, उसके होंठों को चूम चूम कर उसे ढांडसा बांधता रहा।
थोड़ी देर में, जब वो कुछ नॉर्मल होती दिखी तो मैंने धीरे धीरे उसकी चूत में जकड़े अपने लण्ड को चूत में हिलाना शुरू किया।
वो अपने होंठों को अपने ही दाँतों से दबा कर, दर्द को बर्दाशत करने की कोशिश करती रही।
इधर, मैं अपने लण्ड को अब आधा बाहर खींच कर, फिर उसे उसकी चूत में पेल देता।
इसी तरह प्यार से उसकी चूचियों को सहलाते और उसके होंठों को चूमते हुए, मैं उसकी चूत में अपने लण्ड की स्पीड अब धीरे धीरे बढ़ाता गया।
अब मेरा लण्ड उसकी चूत में अपने आने जाने का रास्ता बना चुका था और बड़ी तेज़ी से उसकी चूत में गोते मार रहा था।
अब पिंकी को भी मज़ा आने लगा था।
ये बात मैं इस लिए कह सकता हूँ की अब उसके चुत्तड़ मेरे लण्ड के साथ ही हिलने लगे थे।
अब वो अपनी गाण्ड उठा उठा कर, अपनी चूत में मेरा लण्ड ले रही थी।
मैं अपना लण्ड सटा सटा, उस की चूत में पेल रहा था।
मेरा लण्ड गपा गप, उसकी चूत में घुस रहा था।
मेरी कमर की स्पीड हर पल बढ़ती जा रही थी और उसी के साथ, मेरा लण्ड भी पिंकी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था।
पिंकी अब पूरी मस्ती में आकर गंदी से गंदी बातें बड़बड़ाने लगी थी।
उस के मुँह से निकलने वाली बातें बेहद सेक्सी थीं।
पहली बार लण्ड खा कर उसकी चूत ऐसी मस्ती दिखा रही थी की उस की आवाज़ मस्ताते हुए उसके मुँह से निकली ही जा रही थी।
मिष्टी उस के पास ही खड़ी होकर, चुप चाप हम लोगों की चुदाई देखते हुए, अपनी चूत में अपनी ही उंगलियों को पेल कर, अपनी चूत की गरमी को कम करने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
पिंकी, मिष्टी की तरफ देखती हुई बोली – अरे!! भोंसड़ी की रांड़..! हमारी चुदाई देख कर इतना पनिया गई की अपनी चूत अपनी ही उंगलियों से चोदने लगी..! उस रात बस में तुझे चुदवाते देख कर, मेरा क्या हाल हुआ होगा कभी सोची थी..! अरे साली छीनाल, तू तो है ही कोठे की रांड़..! लेकिन, आज अपने यार से चुदवा कर मुझे भी रंडी बना दिया है..!
उसकी आवाज़ को सुन कर, मैंने और भी अपने लण्ड की स्पीड बढ़ा दी.. लेकिन, उसे अब भी अपनी चूत में पड़ते मेरे लण्ड के धक्को का स्पीड कम ही लग रहा था..
मैं और जल्दी जल्दी, उसकी चूत चोदने लगा।
मेरे धक्कों के साथ ही उसी रफ़्तार में, वो अपनी चूत को उचका उचका कर चुदवा रही थी।
उस की चूत में लंबे समय तक धक्के लगाते लगाते मेरे लण्ड ने बौखला कर उस की चूत में ही अपना मूठ उडेल दिया।
हम दोनों हाँफते हुए, एक दूसरे से अलग हुए।
हमारे अलग होते ही, मिष्टी हमारे बीच आ गई और पहले उसने पिंकी की चूत चाट कर साफ़ की और फिर मेरा लण्ड चाट कर उस पे लगे उसकी चूत और मेरे लण्ड से निकले क्रीम को साफ करती चली गई।
उस के बाद मैंने उस दिन फिर से मिष्टी को एक बार और पिंकी को एक बार चोदा।
इसके बाद मिष्टी और मेरी चुदाई के ग्रूप में वो अक्सर शामिल होने लगी.. ..
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पराया पिया प्यारा लगे--8
मिष्टी की फैली हुई चूत में मेरा लण्ड बड़ी तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था।
मिष्टी के धक्कों के साथ ही, मैं भी नीचे से अपनी कमर हिला हिला कर लण्ड चूत में ठेले जा रहा था।
दस पाँच मिनट तक इसी तरह चुदवाने के बाद, मिष्टी चित हो कर लेट गई और मुझे अपने ऊपर चढ़ कर चोदने को बोली।
मैं मिष्टी की जांघों को फैला कर, उसके बीच बैठते हुए उसकी चूत में लण्ड डाल कर तबाद तोड़ धक्के मारने लगा।
अब राज़धनी एक्सप्रेस के पिस्टन के तरह, मेरा लण्ड मिष्टी की चूत में चल रहा था।
पिंकी हमारी चुदाई को ध्यान से देख रही थी।
वो अपने ही हाथों से अपनी चूचियों और चूत को मसल भी रही थी।
अब मैं झड़ने के करीब था.. इस लिए, मिष्टी की चूत में घुसते निकलते मेरे लण्ड की गति और भी बढ़ गई थी..
मैं दाना दान उस की चूत में अपने लण्ड से जोरदार धक्के मारे जा रहा था।
करीब तीन चार मिनट में ही, मेरे लंड ने भड़ भाड़ा कर मिष्टी की चूत में अपना रस छोड़ दिया जो उस की चूत से रिस रिस कर बाहर फैलता जा रहा था।
झड़ने के बाद, दस पाँच धक्के और लगाने के बाद मैं मिष्टी के ऊपर से हट गया।
मिष्टी की चूत पर मेरे लण्ड और उस की चूत के पानी को मेरे लण्ड द्वारा फेंटे जाने के कारण, फेन सा बन कर फैल गया था।
कुछ देर तक शांत रहने के बाद, मिष्टी ने पिंकी को पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया और उसके गालों को चूमते हुए उसकी चूचियों को दबाने लगी।
उसने पिंकी से पूछा – कैसी लगी, हमारी चुदाई..! ??
पिंकी – बहुत अच्छी..! ऐसे करीब से चुदाई का खेल, मैंने नहीं देखा था..! तुम्हारी चुदाई देख कर, मेरी चूत भी चुदवाने के लिए बेचैन हो गई है..! अब इसे भी चुदवा दो ना..!
मिष्टी – ठीक है..! लेकिन, पहले तुम मेरी चूत चाटो और मैं तुम्हारी चूत चाटती हूँ..! ये देख कर, मेरे राजा का लण्ड तुम्हें चोदने के लिए तैयार हो जाएगा..!
पिंकी – नहीं..! मुझे घिन लग रही है..! प्लीज़, मुझे अपनी चूत चाटने के लिए नहीं कहो..!
मिष्टी – बिना चाटे, काम नहीं चलेगा..! ऐसा करो, अपनी सलवार से मेरी चूत पोंछ कर साफ़ कर लो..! फिर चाटो..!
उसने ऐसा ही किया और पिंकी और मिष्टी, एक दूसरे से 69 पोज़िशन में भीड़ गये।
वो एक दूसरे की चूत, फैला फैला कर चाट रहे थे।
पिंकी की चूत बड़ी टाइट लग रही थी।
भाभी की चूत तो चुदवाते चुदवाते फैल कर, भोसड़ा बन गई थी।
इस लिए, मिष्टी की चूत में पिंकी की पूरी जीभ चली जाती थी.. लेकिन, मिष्टी पिंकी की चूत के दरार में ही अपनी जीभ की नोक फिरा फिरा कर, उस की चूत चाट रही थी..
मैंने अपने एक हाथ से मिष्टी की और दूसरे हाथ से पिंकी की एक एक चूची पकड़ कर मसलना शुरू किया।
मिष्टी ने अपनी जीभ पिंकी की चूत से निकाल कर, उस की जगह चूत में अपनी एक उंगली पेल दी।
उंगली तो उस की चूत में चली गई.. लेकिन, वो छिटक कर बोली – मेरी चूत में तूने क्या डाल दिया..! चूत में जलन हो रही है..!
मिष्टी ने कहा – घबराओ नहीं..! मैं तुम्हारी चूत में लण्ड के आने जाने का रास्ता साफ़ कर रही हूँ..! जब इस में लण्ड जाएगा तो देखना कितना मज़ा आता है..! तूने कभी किसी से चुदवाया है या नहीं..!
पिंकी – नहीं, मैंने आज तक किसी से नहीं चुदवाया है..!
मिष्टी – लो तो अब, मैं ज़्यादा देर नहीं करना चाहती हूँ..! अब अपनी चूत में लण्ड डलवा कर, चुदाई का मज़ा ले..! कहती हुई मिष्टी पिंकी के ऊपर से हट गई और उसे चोदने के लिए मुझे इशारा किया।
मैंने पिंकी की जांघों के बीच बैठ कर, उस की चूत को अपनी उंगलियों से फैलाया और उस की चूत के मुँह पर अपना लण्ड रखते हुए कहा – सम्भालो, अब मैं तुम्हारी चूत में लण्ड पेल रहा हूँ..!
पिंकी – ठीक है, पेलो..! लेकिन, पहले धीरे धीरे घुसाना..! मैंने पहले कभी नहीं चुदवाया है..!
मैंने धीरे से अपने लण्ड पे दबाव बढ़ाया, लण्ड का सुपाड़ा पिंकी की कसी चूत में चला गया।
मैं उस की चूत में धीरे धीरे, अपने लण्ड का सुपाड़ा रगड़ने लगा।
उस की चूत काफ़ी देर से पानी छोड़ रही थी.. इस लिए, चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी..
लण्ड पे बढ़ते दबाव से मेरा लण्ड धीरे धीरे, पिंकी की चूत के अंदर दाखिल होते जा रहा था।
अब मेरा लण्ड करीब दो इंच तक, पिंकी की चूत के भीतर समा चुका था।
मैंने अपने लण्ड को थोड़ा बाहर खींचा और पिंकी की चूत में एक जोरदार धक्का लगा दिया।
मेरा लण्ड करीब चार इंच तक उसकी चूत में समा गया।
मैंने थोड़ा भी वक्त गँवाए बगैर, अपने लण्ड को थोड़ा बाहर खींच कर दाना दान 4-5 धक्के और लगा दिए।
अब मेरा पूरा लण्ड पिंकी की चूत में समा चुका था, लेकिन दर्द के मारे वो छटपटा रही थी।
मेरा मोटा लण्ड उसकी चूत के पतले छेद में अंदर गया था।
मैं उसकी चूचियों को धीरे धीरे सहलाने लगा।
मेरी कमर अपने आप हिल कर, उसकी चूत में लण्ड को अंदर बाहर करने को उतावली हो रही थी.. लेकिन, इसे रोके रख कर मैं उसकी चूचियों को सहलाते हुए, उसके होंठों को चूम चूम कर उसे ढांडसा बांधता रहा।
थोड़ी देर में, जब वो कुछ नॉर्मल होती दिखी तो मैंने धीरे धीरे उसकी चूत में जकड़े अपने लण्ड को चूत में हिलाना शुरू किया।
वो अपने होंठों को अपने ही दाँतों से दबा कर, दर्द को बर्दाशत करने की कोशिश करती रही।
इधर, मैं अपने लण्ड को अब आधा बाहर खींच कर, फिर उसे उसकी चूत में पेल देता।
इसी तरह प्यार से उसकी चूचियों को सहलाते और उसके होंठों को चूमते हुए, मैं उसकी चूत में अपने लण्ड की स्पीड अब धीरे धीरे बढ़ाता गया।
अब मेरा लण्ड उसकी चूत में अपने आने जाने का रास्ता बना चुका था और बड़ी तेज़ी से उसकी चूत में गोते मार रहा था।
अब पिंकी को भी मज़ा आने लगा था।
ये बात मैं इस लिए कह सकता हूँ की अब उसके चुत्तड़ मेरे लण्ड के साथ ही हिलने लगे थे।
अब वो अपनी गाण्ड उठा उठा कर, अपनी चूत में मेरा लण्ड ले रही थी।
मैं अपना लण्ड सटा सटा, उस की चूत में पेल रहा था।
मेरा लण्ड गपा गप, उसकी चूत में घुस रहा था।
मेरी कमर की स्पीड हर पल बढ़ती जा रही थी और उसी के साथ, मेरा लण्ड भी पिंकी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था।
पिंकी अब पूरी मस्ती में आकर गंदी से गंदी बातें बड़बड़ाने लगी थी।
उस के मुँह से निकलने वाली बातें बेहद सेक्सी थीं।
पहली बार लण्ड खा कर उसकी चूत ऐसी मस्ती दिखा रही थी की उस की आवाज़ मस्ताते हुए उसके मुँह से निकली ही जा रही थी।
मिष्टी उस के पास ही खड़ी होकर, चुप चाप हम लोगों की चुदाई देखते हुए, अपनी चूत में अपनी ही उंगलियों को पेल कर, अपनी चूत की गरमी को कम करने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
पिंकी, मिष्टी की तरफ देखती हुई बोली – अरे!! भोंसड़ी की रांड़..! हमारी चुदाई देख कर इतना पनिया गई की अपनी चूत अपनी ही उंगलियों से चोदने लगी..! उस रात बस में तुझे चुदवाते देख कर, मेरा क्या हाल हुआ होगा कभी सोची थी..! अरे साली छीनाल, तू तो है ही कोठे की रांड़..! लेकिन, आज अपने यार से चुदवा कर मुझे भी रंडी बना दिया है..!
उसकी आवाज़ को सुन कर, मैंने और भी अपने लण्ड की स्पीड बढ़ा दी.. लेकिन, उसे अब भी अपनी चूत में पड़ते मेरे लण्ड के धक्को का स्पीड कम ही लग रहा था..
मैं और जल्दी जल्दी, उसकी चूत चोदने लगा।
मेरे धक्कों के साथ ही उसी रफ़्तार में, वो अपनी चूत को उचका उचका कर चुदवा रही थी।
उस की चूत में लंबे समय तक धक्के लगाते लगाते मेरे लण्ड ने बौखला कर उस की चूत में ही अपना मूठ उडेल दिया।
हम दोनों हाँफते हुए, एक दूसरे से अलग हुए।
हमारे अलग होते ही, मिष्टी हमारे बीच आ गई और पहले उसने पिंकी की चूत चाट कर साफ़ की और फिर मेरा लण्ड चाट कर उस पे लगे उसकी चूत और मेरे लण्ड से निकले क्रीम को साफ करती चली गई।
उस के बाद मैंने उस दिन फिर से मिष्टी को एक बार और पिंकी को एक बार चोदा।
इसके बाद मिष्टी और मेरी चुदाई के ग्रूप में वो अक्सर शामिल होने लगी.. ..
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