Wednesday, September 2, 2015

FUN-MAZA-MASTI पराया पिया प्यारा लगे--7

FUN-MAZA-MASTI


पराया पिया प्यारा लगे--7





करीब आधे घंटे के बाद, वो दूर से ही आती हुई दिख गई।
हम उस की तरफ गये।
पास आते ही, मिष्टी ने उस से हाथ मिलाया और हम सब साथ साथ अपने घर के तरफ चल पड़े।
घर पहुँच कर, मिष्टी उसे सीधे अपने बेडरूम में ले गई और घर का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।
तुम्हारा नाम क्या है और तुम क्या करती हो..! ?? मिष्टी ने पूछा।
वो मेरा नाम पिंकी है और मैं कॉलेज में पढ़ रही हूँ..!
मिष्टी तुम्हारे साथ जो बैठी थी, वो कौन थी..! ??
वो लड़की वो, मेरी भाभी थी..!
मिष्टी क्या हमारे उस दिन के खेल के बारे में, तुमने उसे बता दिया है..! ??
हाँ, वो बोल रही थी की मैंने उसे क्यों नहीं जगाया..! वो भी देखना चाहती थी..! उसे भी ये सब देखने का मौका नहीं मिला है..! वो बोली।
मिष्टी ठीक है..! आज तुम ठीक से देख लो, फिर किसी दिन, उसे भी लेते आना..! हम उसे भी दिखा देंगे..!
उस के बाद, मिष्टी मेरे पास खिसक आई।
मैंने मिष्टी को सोफे पे खींच लिया और उसकी साड़ी के पल्लू को उस की छाती से हटा कर, उसकी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगा।
मिष्टी मेरे कपड़ों को हल्का करने में जुट गई।
कुछ देर बाद, मैं बिल्कुल नंगा पड़ा था।
मेरा अर्ध उत्तेजित लण्ड, जो मेरी जाँघों के बीच लटक रहा था, उसी पे पिंकी की आँख टिकी हुई थी।
मिष्टी को नंगा किए बगैर ही, मैं उसकी चूचियों को अब भी मसलते जा रहा था।
मिष्टी मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर, उसे दिखाती हुई सहला रही थी।
लण्ड, अब धीरे धीरे तन कर खड़ा होने लगा था।
मिष्टी ने मेरे लण्ड पे अपना मुँह रख, उसे अपने होठों से उसे चूमने लगी।
वो अपनी जीभ निकाल कर, मेरे लण्ड पर रगड़ने लगी।
कभी कभी, वो मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगती थी।
अब मेरा लण्ड पुरे फुलाव में आ गया था।

मैंने मिष्टी के ब्लाउज को खोल कर, उस के बदन से निकाल दिया और ब्रा में कसी उस की चूचियों को मसलने लगा।
मैंने ब्रा के ऊपर से ही, उसकी चूचियों को चूम लिया और फिर उस के ब्रा के हुक को खोल दिया।
अब उसकी चूंचिया मेरे मुँह के पास, झूल रही थीं।
मैंने बारी बारी से पहले दोनों चूचियों को चूम लिया, फिर उन्हें अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
एक चूची को चूसते हुए, मैं उस की दूसरे चूची को अपने हाथों से मसलता जा रहा था।
पिंकी, हमारे खेल को हैरियट भरी निगाहों से चुप चाप देखे जा रही थी।
मैं करीब दस मिनट तक, मिष्टी की चूचियों से इसी तरह खेलता रहा।
उस के बाद, मैंने मिष्टी की साड़ी और पेटिकोट खोल दिया।
अब उस के बदन पे कपड़ों के नाम पर, सिर्फ़ पैंटी ही रह गई थी।
मैं मिष्टी की जांघों को अपने हाथों से, फिर होंठों से सहलाने लगा।
मैं मिष्टी की दोनों जांघों और टाँगों को अपने होंठों और हाथों से सहलाता रहा।
वो हमें ही देखे जा रही थी।
उस के सामने ये सब करते हुए, हम दोनों काफ़ी रोमांचित हुए जा रहे थे।
उसे दिखा दिखा कर, ये सब करने में हमें बड़ा मज़ा आ रहा था।
करीब पाँच सात मिनिट तक उसकी जांघों से खेलने के बाद, मैंने मिष्टी की पैंटी उतार दी।
अब पिंकी बड़े गौर से मिष्टी की चूत को निहार रही थी।
मिष्टी ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को दबाना शुरू किया और अंत में उस ने उंगलियों से पिंकी की तरफ अपना चूत कर के, चौड़ी कर उसे अपनी चूत की अंदर की लाली को दिखाया।
वो अपनी उंगलियों से अपनी चूत को बार बार फैला और सिकोड रही थी।
मैं अपने ही हाथों से अपने लण्ड को सहलाए जा रहा था।
मिष्टी की फैलती और सिकोडती चूत और मेरे लण्ड पे फिसलते मेरे हाथ को देख देख कर, पिंकी गरम होने लगी थी।
कमीज़ के ऊपर से ही वो खुद अपने ही हाथों से, अपनी चूचियों को मसलना शुरू कर चुकी थी।

कभी कभी, वो अपने ही हाथों से सलवार के ऊपर से अपनी चूत को भी खुज़लाने लगती थी।
उस को मस्ती में आते देख कर, हम दोनों भी मस्त हो रहे थे।
मिष्टी ने मुझे खींच कर बेड पर चित लेता दिया और मेरे ऊपर झुक कर अपनी चूचियों को मेरे पुरे बदन पे रगड़ने लगी।
उस ने अपनी चूचियों को मेरे पैर से सटा कर रगड़ना शुरू किया था और धीरे धीरे ऊपर की तरफ बढ़ रही थी।
मेरे पैर से होते हुए, उसकी चुचियाँ मेरी जाँघों के ऊपर से होते हुए मेरे लण्ड तक पहुँच गई थी।
मेरे लण्ड पे कुछ देर तक अपनी चूचियों को रगड़ने के बाद, उस ने फिर ऊपर की तरफ बढ़ते हुए अपनी चूचियों को मेरे पेरू, पेट और छाती के ऊपर से घुमाती हुई, अब वो चूचियों को मेरे गालों पे घुमा रही थी।
मैंने अपना मुँह खोल लिया था और वह दोनों चूचियों के निपल्स को बारी बारी से मेरे मुँह में घुसेड रही थी।
मैं उस के चूचियों के निपल्स को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था।
कुछ देर तक इसी तरह चूचियों को चुसवाने के बाद, वो अपनी चूत मेरे मुँह पे रख कर बैठ गई।
मैं उस की चूत पे अपनी जीभ रगड़ने लगा।
मिष्टी ने पिंकी से कहा साली, क्या देख रही है..! अपने हाथों से मेरा चूत फैला, ताकि ये मेरी चूत के भीतर तक अपनी जीभ घुसा के चाट सके..!
मिष्टी की बातों ने उस के ऊपर जादू सा असर किया और उसने अपने हाथों से मिष्टी की चूत को कस के फैला दिया।
चूत फैलते ही, मिष्टी की चूत के गुलाबी छेद में मैंने अपनी जीभ घुसा दी और उस की चूत के भीतर जीभ को घुमाने लगा।
मिष्टी ने उस की चूचियों को पकड़ कर, कमीज़ के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया।
वो काफ़ी उत्तेजित हो चुकी थी।
उस ने कहा मुझे मेरे कपड़े अब खोल लेने दो और मेरी चूत भी अपने यार से मरवा दो..! प्लीज़..! मेरी चूचियों को भी अपनी ही तरह चूसवा दो..! प्लीज़..! अब मुझ से बर्दशात नहीं हो रहा है..!
ठीक है..! अपने कपड़े उतार लो मिष्टी ने कहा।

उस ने अपनी कमीज़ उतार दी और अब ब्रा में कसी, उसकी छोटी छोटी चूंचियाँ बिल्कुल तनी हुई दिख रही थी।
कमीज़ के बाद, उसने अपना सलवार उतारा.. उसकी जांघें बिल्कुल चिकनी थी..
उस की चूचियाँ और चूत, अब भी ब्रा और पैंटी में छुपी हुई थी।
उसने पहले अपने ब्रा का हुक खोल कर अपनी चूचियों को नंगा किया।
ब्रा के बंधन से मुक्त होते ही, उसकी नन्ही चूचियाँ बिल्कुल अकड़ कर हमारी आँखो के सामने चमकने लगी थी।
उस की चूचियों का निपल्स भी उस की चूचियों के समान ही हल्के गुलाबी रंग के थे।
उस के निपल्स बिल्कुल कड़े हो चुके थे।
अब वो अपने हाथ को पैंटी पर रख कर, पैंटी को धीरे धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगी।
उस की पैंटी में चूत के पास का हिस्सा गीला हो चुका था। शायद हमारे खेल को देख देख कर, उस की चूत पानी छोड़ रही थी।
उस ने अंततः अपनी पैंटी को भी उतार फेंका।
उसकी नन्ही सी चूत, बिल्कुल चिकनी लग रही थी।
उस ने शायद आज ही, अपनी चूत पे उगी झांट को साफ़ किया था।
उस की चूत से धीरे धीरे पानी रिस रिस कर बाहर आ रहा था।
अपने जिस्म को कपड़ों की क़ैद से आज़ाद करने के बाद, इठलाती हुई वो फिर हमारे करीब आ गई।
मिष्टी ने उस की चूचियों को पकड़ कर, मसलना शुरू कर दिया।
मैं अब भी मिष्टी की चूत को चाट रहा था।
अब मिष्टी मेरे ऊपर से उतर कर बेड पे घोड़ी बन गई और मुझे पीछे से आकर अपनी चूत में लण्ड डालने को कहा।
मैंने मिष्टी के पीछे आकर उस की चूत में लण्ड डाल कर, धक्के मारना शुरू किया।
मिष्टी अपनी गाण्ड हिला हिला कर, चोदने में मुझे सहयोग करने लगी।
मैं दाना दान मिष्टी की चूत में अपना लण्ड ठेलने लगा।
अब मिष्टी भी पूरी मस्ती में आ चुकी थी।
वो उत्तेजना के मारे बड़बड़ाने लगी थी अबे साले, आज तेरे लण्ड को क्या हो गया है..! ?? ज़ोर ज़ोर से धक्के मार ना..! बहन चोद और कस के चोद..! उनमह..! जल्दी जल्दी, धक्के मार मादर चोद..! पूरी ताक़त से..! अँह उंह इयाः या ह ह ह ह ह आ आ आ आ आ आ आ आ s s s s s s s s s s..!
मिष्टी की उत्तेजित आवाज़ से मेरी उत्तेजना भी और बढ़ती जा रही थी और मैं उसकी चूत में और तेज़ी से अपना लण्ड पेलने लगा था।
मैं बड़ी तेज गति से मिष्टी की चुदाई कर रहा था।

पिंकी मिष्टी की चूत में घुसते निकलते, मेरे लण्ड को बड़े गौर से देख रही थी।
करीब दस मिनट तक पीछे से मिष्टी की चूत में धक्के मारने के बाद, वो मुझ से अलग हो गई और खींच कर मुझे चित लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ कर अपनी चूत मेरे लण्ड पे रख कर बैठ गई।
उस की गीली चूत से सटे ही मेरा लण्ड फिसल कर उस की चूत में समा गया।
अब मिष्टी ने ऊपर से धक्के मारना शुरू कर दिया।
इस पोज़ में हमें चुदाई करते हुए, पिंकी बड़े गौर से देख रही थी।












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