FUN-MAZA-MASTI
मस्त अल्हड़ जवानी--2
मैंने धीमी आवाज़ में कहा- डॉली रानी उठ मेरी जान। ज़रा अपना यह हसीन बदन तो दिखा… बहनचोद आँखें तरस गई सारा दिन इस बदन को नंगा देखने के लिए… आज तो कमीनी सारी रात चाटूंगा तुझे!
डॉली रानी फुसफुसाई- चाट चाट बहन के लौड़े.. तेरे लिए ही तो है… अब बत्ती बुझा दे मैं चादर में नंगी हूँ… शर्म आ रही है, अँधेरे में तू जो चाहे करियो!
मैंने बैग में से एक मोमबत्ती निकली और लाइटर से जला के नीचे फर्श पर दूर को रख दी, फिर मैंने टेबल लैंप को ऑफ कर दिया और एक ही झटके में डॉली रानी को ढकी हुई मादरचोद चादर को खींच के दूर फेंक दिया।
‘साले कुत्ते… कहा था न मुझे शर्म आ रही है… चादर क्यों हटाई… वापिस दे मादर…’ डॉली रानी ने कहा और पलट के औंधी होकर लेट गई।
मैंने उसके मदमस्त नितम्ब और जांघों के पिछले भाग पर निगाहें गड़ाकर अपनी आँखें हरी कीं।
क्या शरीर था बहन की लौड़ी का ! एकदम मलाई !!
लौड़ा अकड़ के फुन फुन करने लगा। मैंने उसकी टांगों पर आहिस्ता से हाथ फिराया और चूतड़ों को चौड़ा करके गांड… गुलाबी गुलाबी गांड… हाय मैं मर जाऊं… छोटी सी गांड के छेद पर जीभ फिराई।
डॉली रानी चिहुंक उठी और चुदास में सीत्कार लेने लगी!
मैं बोला- अब बत्ती बुझ गई है.. उठ सीधी हो कुतिया और मुझे नंगा कर दे.. बहुत शर्मीली बनने की ज़रूरत नहीं है… साली लंड की प्यासी चुदक्कड़ रंडी… चल हो जा सीधी… इस कैंडल लाइट में तू एकदम सुनहरी दिख रही है कमीनी कुतिया… माँ कसम आज तेरा कचूमर निकाल के ही छोड़ूंगा… बहनचोद चार दिन चल भी न पायेगी!
डॉली रानी सीधी तो हो गई लेकिन हरामज़ादी ने बांह से अपनी आँखें ढक लीं, बोली- राजे…तू एक रुमाल अपनी आँखों पर बांध ले… बहनचोद मैं तुझे नंगा कर दूंगी लेकिन मुझे बहुत शर्म आती है… पहले कभी मुझे किसी ने ऐसी दशा में नहीं देखा… प्लीज राजे… मान ले कमीने मेरी बात!
मैंने कहा- ठीक है डॉली रानी, जैसा तू कहती है, मैं आँखों पर पट्टी बांध लेता हूँ।
इतना कह कर मैंने उसी के दुपट्टे को अपनी आँखों पर लपेट लिया।
डॉली रानी बिस्तर से उठी और सबसे पहले मेरी टीशर्ट को उठाकर सिर से निकाल के उतार दिया। तुरंत मैंने उसे बाँहों में जकड़ लिया और उसके मुंह से अपना मुंह सटा के उसके गुलाब से होंठ चूसने लगा।
मैंने अपना मुंह नीचे कर लिया था जिससे उसका मुंह ऊपर को हो जाय और उसके मुंह का रस मेरे मुंह में आने लगा। लण्ड हुमक हुमक के अपनी मौजूदगी दिखाने लगा।
मेरे हाथ डॉली रानी के मुलायम चूतड़ों को सहला रहे थे, उसने भी मस्त के अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी जिसे मैं खूब मज़े में चूसे जा रहा था।
काफी देर तक यूँ ही उसके मतवाले होंठ चूसने के बाद मैं थोड़ा पीछे को हुआ और आँखों पर बंधा दुपट्टा खोल के फेंक दिया।
अब डॉली रानी को मोमबत्ती की लौ की मद्धम बलबलाती रौशनी में रानी को मैंने बड़े ध्यानपूर्वक ऊपर से नीचे तक निहारा।
लम्बा क़द, जीरो फिगर शरीर, कंधों पर लहराते हुए काले काले सुन्दर बाल, गुलाबी होठों से सजा हुआ खूबसूरत चेहरा, सुराहीदार गर्दन, ताज़े ताज़े उभरे संगतरे के आकार के चूचुक, बहुत ही दिलकश हाथ और पैर।
रंग एसा गोरा कि छू लो तो मैली हो जाये, फिगर ऐसी कि मॉडल लड़कियाँ शर्म खाएँ, बड़ी बड़ी आँखें, त्वचा बिल्कुल साफ और रेशम जैसी चिकनी… कोई मेकअप नहीं।
खैर उसे मेकअप की ज़रूरत थी भी नहीं… डॉली रानी एक पतली कमसिन युवती थी जो एक आध साल पहले ही व्यस्क हुई थी। हरामज़ादी में गज़ब की कामुकता कूट कूट के भरी हुई थी। मुझे खुद को इतने ध्यान से देखता पाकर डॉली रानी ने फिर शर्म से एक सुन्दर सी बांह अपनी आँखों पर ढक ली।
मैंने कहा- रानी, अब मेरे कपड़े भी तो उतार दे माँ की लोड़ी!
डॉली रानी ने धीमी सी आवाज़ में कहा- राजे मुझे बहुत शर्म लग रही है… तूने आँखों की पट्टी भी खोल डाली… तू खुद ही नंगा हो जा… मेरे से नहीं होगा… सच में राजे बहनचोद… तेरे लौड़े की कसम!
फिर ज़्यादा ज़िद न करते हुए मैंने अपने सभी कपड़े उतार दिये और मादरजात नंगा डॉली रानी के सामने खड़ा हो गया।
उसने शर्म के मारे अपनी नज़रें झुका लीं और दोनों बाहें क्रॉस कर के अपनी चूचियाँ छिपाने की नाकाम कोशिश करने लगी।
मैंने उसकी बाहों को परे किया और कहा- अरे रानी… ऐसे शरमायेगी तो कैसे चलेगा… अभी तो तेरा ये सुनहरा बदन मुझे चूसना है और फिर नथ खोलनी है… ले मादरचोद कमीनी राण्ड, तेरे लिये भगवान ने एक लंड भेजा है, इसे मुंह में लेकर प्यार से चूस कुतिया… हाय मेरी बन्नो… माशाअल्लाह क्या चूचुक हैं !
तेरी जैसी ये मस्त नशीली भूरे रंग की निप्पल तो पहली बार देखी है किसी लड़की में… मोमबत्ती की रोशनी में बहनचोद कैसा तमतमा रहा है ये सोने का बदन! हराम की ज़नी बदचलन कुतिया चल पहले तेरी नथ ही खोल देता हूँ… तेरा बाकी का मज़ा बाद में लूंगा… सारी रात पड़ी है तेरे बदन का स्वाद चखने के लिए!
इस नंगी और बेहद खूबसूरत चुदासी क़यामत को देखकर मेरा हाल बदतर हुए जा रहा था, लगता था बस अब झड़ा और अब झड़ा।
मैंने दस गहरी गहरी सांसें लेकर अपनी उत्तेजना को काबू किया और डॉली रानी को बिस्तर पे लिटा दिया, एक नया बड़ा सफेद तौलिया चार तह कर के उसके नितंबों के नीचे बिछाया और एक तकिया तौलिये के नीचे लगा दिया।
डॉली रानी की चूत अब ऊपर को उठ गई थी। गुलाबी, गीली और कभी कभी लप लप करती हुई उस अति उत्तेजक बुर को देखकर दिमाग खराब हो गया, एक पल भी रुकना भारी हो रहा था।
रानी बहुत नर्वस हो रही थी, डर के मारे उसका सुन्दर चेहरा पीला पड़ गया था, बदन में कंपकंपी छूट रही थी।
मैंने प्यार से चूम चूम के उसका डर निकलने की कोशिश की, उसके कानों में प्यार से पता नहीं क्या क्या कहा।
जब वो कुछ संभल गई तो उसने बहुत धीमे से कहा- राजे आजा… बस ज़रा हौले हौले चोदना.. मैं बहुत छोटी हूँ, डर गई हूँ कि बहुत दर्द होगा.. बस मेरे राजे ज़रा प्यार से!
‘चिंता ना कर रानी…मैं बहुत ही आराम से चुदाई करूंगा!’
मैं बिस्तर पे चढ़ के डॉली रानी की बगल में लेट गया और बड़े प्यार से उसके नाज़ुक बदन पर हाथ फेरने लगा। क्या लाजवाब शरीर था, मक्खन जैसा !
मैंने उसके पैरों से उसे चूमना चालू किया और मस्ती में चूर हुआ धीरे धीरे उसकी टांगों को चाटता हुआ उसकी चूत तक जा पहुंचा। लंड पूरे ज़ोरों पर उछल उछल कर पागल किये जा रहा था।
मैंने डॉली रानी की झांटों पर जीभ फिराई, बहुत ही बारीक रेशमी रोएँ थे, चाट के मज़ा आ गया।
अब उसका डर कम हो गया था और मेरे चाटने से मज़ा पाकर वह धीमी आवाज़ में आहें भी भरने लगी थी।
झांटों को चाट चाट के तर कर दिया तो फिर मैंने बड़े प्यार से उसकी चूत के होंटों पर जीभ फिराई। डॉली रानी सिहर उठी और उसके मुंह से एक सीत्कार निकली।
मैंने जीभ उस रसरसाती कुमारी बुर के अंदर कर दी। थोड़ा सा अंदर घुसते ही डॉली रानी की कमसिनी का पर्दा जीभ से टकराया। डॉली रानी दर्द से कराह उठी।
मैंने तुरंत जीभ पीछे की और दुबारा पर्दे से पहले के हिस्से में ही चूत चूसने लगा।
रस काफी निकल रहा था, चिकना हल्का खट्टापन लिये हुए चूतामृत मेरी मस्ती को कई गुना बढ़ाये जा रहा था।
अब और प्रतीक्षा करना कठिन था, सो मैंने उठ कर अपने को डॉली रानी के ऊपर जमाया ताकि मेरे घुटने उसकी जाँघों के इर्द गिर्द आ गये और लंड सीधा चूत के ऊपर।
मैंने लंड को चूत के मुंह पर सटाया हल्के से धक्का मारा। टोपा जाकर उसकी चूत के पर्दे से टकराया और वो दर्द से चीख पड़ी। सील का पर्दा बहुत सख्त नहीं था और हलके धक्के से भी फटेगा। दर्द भी उसे थोड़ा सा तो ज़रूर होगा, परंतु कोई इलाज था ही नहीं!
मैंने एक गहरी सांस ली और धड़ाम से ज़बरदस्त धक्का पेला।
लंड झिल्ली को फाड़ता हुआ धम्म से उसके बच्चेदानी से जाके भिड़ा।
‘हाय… रे… हाय.. मैं मर गई… राजे बचा ले मुझ को…. मैं… मरी… अब ना बचूंगी… हाय… उई मां… अरे मार डाला!’ खून की धारा बह चली।
उसके गरम गरम, गाढ़े, चिपचिपे लहू ने चूत भर दी।
लंड मानो उबलते हुए तेल में घुसा हो।
काफी खून निकला जबकि झिल्ली कोई ज़्यादा सख्त नहीं थी।
डॉली रानी ने मुझ को बड़े ज़ोर से जकड़ रखा था, आँसुओं की धारा उसके आँखों से बहे जा रही थी और वो हाय हाय करके कराह रही थी।
मैं लंड चूत में घुसाये बिल्कुल बिना हिले डुले पड़ा था, रानी की कुमारी चूत बेहद टाइट थी, लंड उसमें फंसा हुआ था और ऐसा लगता था कि लौड़े को मुठ्ठी में दबा कर मुट्ठी को कस लिया गया हो।
यारो, इतनी संकरी चूत को लेने का मज़ा भी बेइंतिहा आता है। और यह चूत तो एक बीस साल की नवयुवती की थी, तो इसके तो क्या कहने !
जब देखा कि डॉली रानी शांत होने लगी है, तो मैंने उसे बड़े प्यार से चूमना शुरू किया। उसके होंठ चूमे, चेहरा जगह जगह पर चूमा, कान की लौ मुंह में ले के चूसी, गर्दन पर जीभ फिराई और फिर दोबारा होंठ चूसे।
इतनी चूमा चाटी से उसका डर और दर्द दोनों काम होने लगे और उसके बदन ने प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी। डॉली रानी के मुंह पर एक मुस्कान सी दीखने लगी और बुर में फिर से रस बहने लगा जिससे लंड को भी मज़ा आने लगा।
काफी देर ऐसा प्यार करने के बाद मैंने बहुत धीमे धीमे धक्के मारने आरंभ किये।
पहले तो वह फिर कुछ दर्द से कराही लेकिन फिर चूत में आते हुए मज़े ने उसको सब दर्द भुला दिया।
अब वह भी चुदाई का आनन्द उठा रही थी। मैंने अपना मुंह उसकी चूचियों पर जमा दिया और एक एक करके चूसने लगा।
क्या मस्त चूचुक थे ! सम्भोग की प्यास ने उनको सख्त कर दिया था। इसलिये अब मैं चूची चूसते हुए दान्त भी गाड़ने लगा और दूसरी चूची को नींबू की भांति निचोड़ने लगा।
अब उसके मुंह से चीत्कार नहीं बल्कि सीत्कार की आवाज़ें आ रही थीं, उसके नितंब भी अपने आप ऊपर नीचे होने लगे थे।
मैंने फुसफुसा के कहा- करमजली रंडी… अब कम हो गया ना दर्द… अब हल्का हल्का मज़ा भी आ रहा है ना?
डॉली रानी ने धीरे से सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया।
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मस्त अल्हड़ जवानी--2
मैंने धीमी आवाज़ में कहा- डॉली रानी उठ मेरी जान। ज़रा अपना यह हसीन बदन तो दिखा… बहनचोद आँखें तरस गई सारा दिन इस बदन को नंगा देखने के लिए… आज तो कमीनी सारी रात चाटूंगा तुझे!
डॉली रानी फुसफुसाई- चाट चाट बहन के लौड़े.. तेरे लिए ही तो है… अब बत्ती बुझा दे मैं चादर में नंगी हूँ… शर्म आ रही है, अँधेरे में तू जो चाहे करियो!
मैंने बैग में से एक मोमबत्ती निकली और लाइटर से जला के नीचे फर्श पर दूर को रख दी, फिर मैंने टेबल लैंप को ऑफ कर दिया और एक ही झटके में डॉली रानी को ढकी हुई मादरचोद चादर को खींच के दूर फेंक दिया।
‘साले कुत्ते… कहा था न मुझे शर्म आ रही है… चादर क्यों हटाई… वापिस दे मादर…’ डॉली रानी ने कहा और पलट के औंधी होकर लेट गई।
मैंने उसके मदमस्त नितम्ब और जांघों के पिछले भाग पर निगाहें गड़ाकर अपनी आँखें हरी कीं।
क्या शरीर था बहन की लौड़ी का ! एकदम मलाई !!
लौड़ा अकड़ के फुन फुन करने लगा। मैंने उसकी टांगों पर आहिस्ता से हाथ फिराया और चूतड़ों को चौड़ा करके गांड… गुलाबी गुलाबी गांड… हाय मैं मर जाऊं… छोटी सी गांड के छेद पर जीभ फिराई।
डॉली रानी चिहुंक उठी और चुदास में सीत्कार लेने लगी!
मैं बोला- अब बत्ती बुझ गई है.. उठ सीधी हो कुतिया और मुझे नंगा कर दे.. बहुत शर्मीली बनने की ज़रूरत नहीं है… साली लंड की प्यासी चुदक्कड़ रंडी… चल हो जा सीधी… इस कैंडल लाइट में तू एकदम सुनहरी दिख रही है कमीनी कुतिया… माँ कसम आज तेरा कचूमर निकाल के ही छोड़ूंगा… बहनचोद चार दिन चल भी न पायेगी!
डॉली रानी सीधी तो हो गई लेकिन हरामज़ादी ने बांह से अपनी आँखें ढक लीं, बोली- राजे…तू एक रुमाल अपनी आँखों पर बांध ले… बहनचोद मैं तुझे नंगा कर दूंगी लेकिन मुझे बहुत शर्म आती है… पहले कभी मुझे किसी ने ऐसी दशा में नहीं देखा… प्लीज राजे… मान ले कमीने मेरी बात!
मैंने कहा- ठीक है डॉली रानी, जैसा तू कहती है, मैं आँखों पर पट्टी बांध लेता हूँ।
इतना कह कर मैंने उसी के दुपट्टे को अपनी आँखों पर लपेट लिया।
डॉली रानी बिस्तर से उठी और सबसे पहले मेरी टीशर्ट को उठाकर सिर से निकाल के उतार दिया। तुरंत मैंने उसे बाँहों में जकड़ लिया और उसके मुंह से अपना मुंह सटा के उसके गुलाब से होंठ चूसने लगा।
मैंने अपना मुंह नीचे कर लिया था जिससे उसका मुंह ऊपर को हो जाय और उसके मुंह का रस मेरे मुंह में आने लगा। लण्ड हुमक हुमक के अपनी मौजूदगी दिखाने लगा।
मेरे हाथ डॉली रानी के मुलायम चूतड़ों को सहला रहे थे, उसने भी मस्त के अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी जिसे मैं खूब मज़े में चूसे जा रहा था।
काफी देर तक यूँ ही उसके मतवाले होंठ चूसने के बाद मैं थोड़ा पीछे को हुआ और आँखों पर बंधा दुपट्टा खोल के फेंक दिया।
अब डॉली रानी को मोमबत्ती की लौ की मद्धम बलबलाती रौशनी में रानी को मैंने बड़े ध्यानपूर्वक ऊपर से नीचे तक निहारा।
लम्बा क़द, जीरो फिगर शरीर, कंधों पर लहराते हुए काले काले सुन्दर बाल, गुलाबी होठों से सजा हुआ खूबसूरत चेहरा, सुराहीदार गर्दन, ताज़े ताज़े उभरे संगतरे के आकार के चूचुक, बहुत ही दिलकश हाथ और पैर।
रंग एसा गोरा कि छू लो तो मैली हो जाये, फिगर ऐसी कि मॉडल लड़कियाँ शर्म खाएँ, बड़ी बड़ी आँखें, त्वचा बिल्कुल साफ और रेशम जैसी चिकनी… कोई मेकअप नहीं।
खैर उसे मेकअप की ज़रूरत थी भी नहीं… डॉली रानी एक पतली कमसिन युवती थी जो एक आध साल पहले ही व्यस्क हुई थी। हरामज़ादी में गज़ब की कामुकता कूट कूट के भरी हुई थी। मुझे खुद को इतने ध्यान से देखता पाकर डॉली रानी ने फिर शर्म से एक सुन्दर सी बांह अपनी आँखों पर ढक ली।
मैंने कहा- रानी, अब मेरे कपड़े भी तो उतार दे माँ की लोड़ी!
डॉली रानी ने धीमी सी आवाज़ में कहा- राजे मुझे बहुत शर्म लग रही है… तूने आँखों की पट्टी भी खोल डाली… तू खुद ही नंगा हो जा… मेरे से नहीं होगा… सच में राजे बहनचोद… तेरे लौड़े की कसम!
फिर ज़्यादा ज़िद न करते हुए मैंने अपने सभी कपड़े उतार दिये और मादरजात नंगा डॉली रानी के सामने खड़ा हो गया।
उसने शर्म के मारे अपनी नज़रें झुका लीं और दोनों बाहें क्रॉस कर के अपनी चूचियाँ छिपाने की नाकाम कोशिश करने लगी।
मैंने उसकी बाहों को परे किया और कहा- अरे रानी… ऐसे शरमायेगी तो कैसे चलेगा… अभी तो तेरा ये सुनहरा बदन मुझे चूसना है और फिर नथ खोलनी है… ले मादरचोद कमीनी राण्ड, तेरे लिये भगवान ने एक लंड भेजा है, इसे मुंह में लेकर प्यार से चूस कुतिया… हाय मेरी बन्नो… माशाअल्लाह क्या चूचुक हैं !
तेरी जैसी ये मस्त नशीली भूरे रंग की निप्पल तो पहली बार देखी है किसी लड़की में… मोमबत्ती की रोशनी में बहनचोद कैसा तमतमा रहा है ये सोने का बदन! हराम की ज़नी बदचलन कुतिया चल पहले तेरी नथ ही खोल देता हूँ… तेरा बाकी का मज़ा बाद में लूंगा… सारी रात पड़ी है तेरे बदन का स्वाद चखने के लिए!
इस नंगी और बेहद खूबसूरत चुदासी क़यामत को देखकर मेरा हाल बदतर हुए जा रहा था, लगता था बस अब झड़ा और अब झड़ा।
मैंने दस गहरी गहरी सांसें लेकर अपनी उत्तेजना को काबू किया और डॉली रानी को बिस्तर पे लिटा दिया, एक नया बड़ा सफेद तौलिया चार तह कर के उसके नितंबों के नीचे बिछाया और एक तकिया तौलिये के नीचे लगा दिया।
डॉली रानी की चूत अब ऊपर को उठ गई थी। गुलाबी, गीली और कभी कभी लप लप करती हुई उस अति उत्तेजक बुर को देखकर दिमाग खराब हो गया, एक पल भी रुकना भारी हो रहा था।
रानी बहुत नर्वस हो रही थी, डर के मारे उसका सुन्दर चेहरा पीला पड़ गया था, बदन में कंपकंपी छूट रही थी।
मैंने प्यार से चूम चूम के उसका डर निकलने की कोशिश की, उसके कानों में प्यार से पता नहीं क्या क्या कहा।
जब वो कुछ संभल गई तो उसने बहुत धीमे से कहा- राजे आजा… बस ज़रा हौले हौले चोदना.. मैं बहुत छोटी हूँ, डर गई हूँ कि बहुत दर्द होगा.. बस मेरे राजे ज़रा प्यार से!
‘चिंता ना कर रानी…मैं बहुत ही आराम से चुदाई करूंगा!’
मैं बिस्तर पे चढ़ के डॉली रानी की बगल में लेट गया और बड़े प्यार से उसके नाज़ुक बदन पर हाथ फेरने लगा। क्या लाजवाब शरीर था, मक्खन जैसा !
मैंने उसके पैरों से उसे चूमना चालू किया और मस्ती में चूर हुआ धीरे धीरे उसकी टांगों को चाटता हुआ उसकी चूत तक जा पहुंचा। लंड पूरे ज़ोरों पर उछल उछल कर पागल किये जा रहा था।
मैंने डॉली रानी की झांटों पर जीभ फिराई, बहुत ही बारीक रेशमी रोएँ थे, चाट के मज़ा आ गया।
अब उसका डर कम हो गया था और मेरे चाटने से मज़ा पाकर वह धीमी आवाज़ में आहें भी भरने लगी थी।
झांटों को चाट चाट के तर कर दिया तो फिर मैंने बड़े प्यार से उसकी चूत के होंटों पर जीभ फिराई। डॉली रानी सिहर उठी और उसके मुंह से एक सीत्कार निकली।
मैंने जीभ उस रसरसाती कुमारी बुर के अंदर कर दी। थोड़ा सा अंदर घुसते ही डॉली रानी की कमसिनी का पर्दा जीभ से टकराया। डॉली रानी दर्द से कराह उठी।
मैंने तुरंत जीभ पीछे की और दुबारा पर्दे से पहले के हिस्से में ही चूत चूसने लगा।
रस काफी निकल रहा था, चिकना हल्का खट्टापन लिये हुए चूतामृत मेरी मस्ती को कई गुना बढ़ाये जा रहा था।
अब और प्रतीक्षा करना कठिन था, सो मैंने उठ कर अपने को डॉली रानी के ऊपर जमाया ताकि मेरे घुटने उसकी जाँघों के इर्द गिर्द आ गये और लंड सीधा चूत के ऊपर।
मैंने लंड को चूत के मुंह पर सटाया हल्के से धक्का मारा। टोपा जाकर उसकी चूत के पर्दे से टकराया और वो दर्द से चीख पड़ी। सील का पर्दा बहुत सख्त नहीं था और हलके धक्के से भी फटेगा। दर्द भी उसे थोड़ा सा तो ज़रूर होगा, परंतु कोई इलाज था ही नहीं!
मैंने एक गहरी सांस ली और धड़ाम से ज़बरदस्त धक्का पेला।
लंड झिल्ली को फाड़ता हुआ धम्म से उसके बच्चेदानी से जाके भिड़ा।
‘हाय… रे… हाय.. मैं मर गई… राजे बचा ले मुझ को…. मैं… मरी… अब ना बचूंगी… हाय… उई मां… अरे मार डाला!’ खून की धारा बह चली।
उसके गरम गरम, गाढ़े, चिपचिपे लहू ने चूत भर दी।
लंड मानो उबलते हुए तेल में घुसा हो।
काफी खून निकला जबकि झिल्ली कोई ज़्यादा सख्त नहीं थी।
डॉली रानी ने मुझ को बड़े ज़ोर से जकड़ रखा था, आँसुओं की धारा उसके आँखों से बहे जा रही थी और वो हाय हाय करके कराह रही थी।
मैं लंड चूत में घुसाये बिल्कुल बिना हिले डुले पड़ा था, रानी की कुमारी चूत बेहद टाइट थी, लंड उसमें फंसा हुआ था और ऐसा लगता था कि लौड़े को मुठ्ठी में दबा कर मुट्ठी को कस लिया गया हो।
यारो, इतनी संकरी चूत को लेने का मज़ा भी बेइंतिहा आता है। और यह चूत तो एक बीस साल की नवयुवती की थी, तो इसके तो क्या कहने !
जब देखा कि डॉली रानी शांत होने लगी है, तो मैंने उसे बड़े प्यार से चूमना शुरू किया। उसके होंठ चूमे, चेहरा जगह जगह पर चूमा, कान की लौ मुंह में ले के चूसी, गर्दन पर जीभ फिराई और फिर दोबारा होंठ चूसे।
इतनी चूमा चाटी से उसका डर और दर्द दोनों काम होने लगे और उसके बदन ने प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी। डॉली रानी के मुंह पर एक मुस्कान सी दीखने लगी और बुर में फिर से रस बहने लगा जिससे लंड को भी मज़ा आने लगा।
काफी देर ऐसा प्यार करने के बाद मैंने बहुत धीमे धीमे धक्के मारने आरंभ किये।
पहले तो वह फिर कुछ दर्द से कराही लेकिन फिर चूत में आते हुए मज़े ने उसको सब दर्द भुला दिया।
अब वह भी चुदाई का आनन्द उठा रही थी। मैंने अपना मुंह उसकी चूचियों पर जमा दिया और एक एक करके चूसने लगा।
क्या मस्त चूचुक थे ! सम्भोग की प्यास ने उनको सख्त कर दिया था। इसलिये अब मैं चूची चूसते हुए दान्त भी गाड़ने लगा और दूसरी चूची को नींबू की भांति निचोड़ने लगा।
अब उसके मुंह से चीत्कार नहीं बल्कि सीत्कार की आवाज़ें आ रही थीं, उसके नितंब भी अपने आप ऊपर नीचे होने लगे थे।
मैंने फुसफुसा के कहा- करमजली रंडी… अब कम हो गया ना दर्द… अब हल्का हल्का मज़ा भी आ रहा है ना?
डॉली रानी ने धीरे से सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया।
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