FUN-MAZA-MASTI
मरदानगी का सबूत
हाय सेक्सी कहानी पढने वाले दोस्तों मेरा नाम उमेश है, और मैं बिहार का रहने वाला हूं और आज जो कहानी सुनाने जा रहा हूं वह सौ प्रतिशत सच्ची कहानी और सच के अलावा कुछ नहीं है। मेरी शादी तय हुई सुखारीपुर जो कि यहां के सासाराम जिले में है। शादी तय होने के पहले ही किसी ने अफ़वाह फ़ैला दी कि लड़का नामर्द है, उसका लंड बड़ा छोटा है और पता नहीं क्या क्या!! मेरे लिये ये घनघोर टशन की बात थी कि साला मेरा साढे सात इंच का लंड जिस चूत के अंदर जाये उसका करमकांड कर के आये और ये बाहनचोद किस हरामी की चाल है। खैर शादी तय हो चुकी थी और अब कुछ हो नही सकता था। मैने अपने मरदानगी का सबूत वही शादी के दिन ही ससुराल में देने का फ़ैसला कर लिया था। बारात गयी और पूजा वगैरह के बाद दुल्हा दुल्हन को एक कमरा दिया जाता है जिसमें एकाद घर की महिलायें भी होती हैं जिससे की दुल्हा दुल्हन की चूत वही न मार ले, क्योंकि दुल्हन एक साल बाद गवने में पिया के घर आती है। खैर मैने दुल्हन का हुस्न देखकर राहत की सांस ली क्योंकि उसका अंगूर जैसा बदन और मस्त चूंचे काफ़ी सेक्सी थे।
एक और प्रथा है इन पूरब के राज्यों में कि यहां पर दुल्हन को भूखा रहना पड़ता है विवाह के दिन सो मेरी ब्याहता नींद के आगोश में आ रही थी। और देखते ही देखते वो सो गयी। अब देखिए खुराफ़ात छिनाल ससुराल की महिलाओ की। मेरे साले की बीबी मतलब कि सरहज बड़ी सयानी थी और उसको किसी ने कह रखा था कि जरा देखना कि दुल्हा सच में तो नामर्द नहीं है। वो मेरे साथ उस समय मेरे कमरे मे थी। मेरी दुल्हन सो गयी थी, भूकी प्यासी। सो साली रंडी सरहज मेरे से चिपकने लगी। मै समझ गया कि इसका मामला सेट करके मुझे अपनी मरदानगी का सूबूत देना ही पड़ेगा। वो मेरे पास आकर अपने चूंचे मेरे कंधे से सटाने लगी। उसकी शादी को पाच साल हो गये थे और अब तक कोई बच्चा नहीं था। वो मेरे से चिपक गयी तो मैने अपनी टाई ढीली की, उसको पीछे से दबोचा और उसके चूंचे मसलने लगा, पिलपिले चूंचे पर काफ़ी काम पहले ही किया जा चुका था लेकिन सब बेकार। मैने उसके होट चूसने शुरु कर दिये थे और स्तन मर्दन कर रहा था।
पैंतरा बदलते हुए उसने अपना पेटीकोट उपर उठा लिया, मतलब साफ़ था वो अपनी चूत का नजारा देना चाह रही थी, मै खड़ा हो गया और अपना लंड बाहर निकाल दिया। अवाक!! मेरे इतने बड़े और मोटे लंड को देख कर उसकी सांसे थम चुकी थीं साली बोल उठी!! गांव वाले तो कहते थे कि लड़का तो हिजड़ा है। मैने कहा उन सालो की बहनो क्को लाइन में लगा दो मै सबको एक ही साथ् चोद कर सटीस्फ़ाई कर दूंगा, फ़िलहाल तू मेरी मरदानगी का सबूत ले ले माधरचोद!! और उसका पेटीकोट उपर सरका दिया, उसकी काले काले बाल वाली सफ़ेद चूत अंदर चमक रही थी, मैने लौड़े का सुपाड़ा उसकी चिकनी जांघ पर घिसा और सीधा चूत के उपर रख दिया, अभी उसे तंग करने का था इसलिये न तो उसके चूंचे ज्यादा घसे और न चूत मे थूक लगाया। सीधा लंड को धकेल दिया।
मैने उसका कार्यक्रम लगा दिया क्योंकि इज्जत का सवाल था। मेरा लंड जो उसकी चूत के दरवाजे पर दस्तक दे चुका था उसके आगे की कहानी सुनिये। मेरा लौड़ा जो काफ़ी सख्त था, उसकी चूत के बाहरी चमड़ी को लिये अंदर सीधा जाने लगा। वो चिल्लाने लगी क्योंकि उसे दरद तो होना हि था। बाहरी चमड़ी अंदर की तरफ़ लौड़े के साथ जाने लगे तो फ़िर महिलाओ को दरद होता है क्योंकि वो खिचने लगती है तो ऐसा लगता है जैसे कोई चूत का कान उमेठ रहा हो।
वो चिल्लाती इससे पहले मैने उसका मुह बंद कर दिया और नीचे जमीन पर गिरा कर लंड अंदर ठूसने लगा। गच गचाती हुई फ़च फ़च करती चूत में मेरा लंड सीधा अंदर चला गया और उसका मुह खुल गया। हाय राम दामाद जी आपने तो कमाल कर दिया। मेरे लौड़ा उसके बच्चेदानी पर चोट कर रहा था और मैने अपनी स्पीड तेज कर दी थी। एक साल का संचा हुआ लंड आज अपने साले की बीबी की चूत में अपने ससुराल वालो को मरदानगी का सबूत दे रहा था। मैने ठोस प्रमाण देना था इसलिए उसके पैर मोड कर उसके माथे पर चढा दिये और अब उसकी गांड का बंद छेद छत को घूर रहा था। मैने ठीक उपर से आते हुए उसकी गांड में अपना लंड धकेला और वो चिल्ल्लाई हाये राम मारोगे क्या?? मैने बिना रहम किये लौड़ा पेलता रहा और उसकी गांड से खून बहने लगा। पंद्रह मिनट तक उसकी गांड का भरता बनाने के बाद लगभग बीस मिली लीटर वीर्य उसकी चूत में घुसा बच्चे दानी के मुह में छोड़ दिया।
उसकी गांड से खून बह रहा था लेकिन बच्चेदानी में वीर्य् के जाने की गुदगुदी से उसने अपने पेट पर अपनी हथेली रगड़नी शुरु कर दी इस जनम में उसे ये पहला और आखिरी अहसास था क्योंकि ये काम मुझ जैसे वीभत्स लंड के स्वामी के द्वारा ही किया जा सकता है। फ़टी हुई गांड का दर्द भूल चुकी थी वो। कपड़े से खून बहते हुए छेद को मूंद उसने अपनी टांगे उपर कर लीं जिससे कि मेरे मूठ का कतरा भी बाहर ना निकल पाये। वो वहां से चली गयी। मैने मेरी मरदानगी का सबूत उसे दे दिया था और मेरे ससुराल वालों को कोई गिला नही रहा मुझसे। एक साल बाद गवना कराने के लिये जब मैं गया तो मुझे मेरी साले की बीबी को एक सुन्दर बेटा उसकी गोद में खेलता दिखा। ये मेरी मरदानगी का सर्टिफ़िकेट था उसकी गोद में। आपको कहानी कैसी लगी दोस्तों जरुर बताना और मैने ये काम करके सही किया कि नही इसपे भी प्लीज अपना कमेँट देना दोस्तों ससुराल की हर चूत दहेज में होती है। और बाबा बेलन के मुताबिक चूत और भूत जहां देखो तुरत मार दो नहीं तो जी के जंजाल हो जाते हैं। मजे कीजिए और ससुराल जाकर चूत चोदन और चूंच मर्दन जरुर करिये। दोस्तों हमें जरुर कमेन्ट में लिख भेजे की आपको यह कहानी कैसी लगी और आप किस प्रकारकी कहानी पढना पसंद करते है ताकि हम सक्सेक्स पर आपका कहानी अनुभव और भी सुखद कर सके….!!!!
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मरदानगी का सबूत
हाय सेक्सी कहानी पढने वाले दोस्तों मेरा नाम उमेश है, और मैं बिहार का रहने वाला हूं और आज जो कहानी सुनाने जा रहा हूं वह सौ प्रतिशत सच्ची कहानी और सच के अलावा कुछ नहीं है। मेरी शादी तय हुई सुखारीपुर जो कि यहां के सासाराम जिले में है। शादी तय होने के पहले ही किसी ने अफ़वाह फ़ैला दी कि लड़का नामर्द है, उसका लंड बड़ा छोटा है और पता नहीं क्या क्या!! मेरे लिये ये घनघोर टशन की बात थी कि साला मेरा साढे सात इंच का लंड जिस चूत के अंदर जाये उसका करमकांड कर के आये और ये बाहनचोद किस हरामी की चाल है। खैर शादी तय हो चुकी थी और अब कुछ हो नही सकता था। मैने अपने मरदानगी का सबूत वही शादी के दिन ही ससुराल में देने का फ़ैसला कर लिया था। बारात गयी और पूजा वगैरह के बाद दुल्हा दुल्हन को एक कमरा दिया जाता है जिसमें एकाद घर की महिलायें भी होती हैं जिससे की दुल्हा दुल्हन की चूत वही न मार ले, क्योंकि दुल्हन एक साल बाद गवने में पिया के घर आती है। खैर मैने दुल्हन का हुस्न देखकर राहत की सांस ली क्योंकि उसका अंगूर जैसा बदन और मस्त चूंचे काफ़ी सेक्सी थे।
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