FUN-MAZA-MASTI
चुलबुली पड़ोसन--2
मैं- ठीक है.. डॉली जी.. आप मान गई हो.. यही बहुत है मेरे लिए.. बाकी जितनी देर टिक सका.. उतनी देर ही सही.. क्या आप सिर्फ़ दुपट्टा हटाएँगी? अगर आप ठीक समझें तो..
डॉली- हा हा हा.. ओके ओके.. वैसे भी तुम बिना दुपट्टा के तो मेरे बूब्स देख ही चुके हो.. और साथ में मेरा क्लीवेज भी देख चुके हो।
इतना कहकर डॉली ने दुपट्टा हटा दिया। दुपट्टा हटते ही उसके बड़े-बड़े चूचे जो सामने की तरफ़ उभर आए थे.. मैं उन्हें देखने लगा और मैंने मुठ्ठ मारना शुरू किया.. वो मुझे देखकर हल्के-हल्के मुस्कुरा रही थी।
जैसे ही डॉली ने बाल खोलने की लिए हाथ ऊपर उठाए.. मेरी नज़र उसके क्लीन शेव्ड बगलों पर पड़ी..
यह तो मेरी दुखती हुई नस पर हाथ रखने जैसा हुआ था.. जैसा कि आप जानते हैं कि मुझे शेव्ड बगलों को देखने और चाटने में बहुत मज़ा आता है।
उसकी ये सफाचट बगलें देखकर मैं जैसे पागल होने लगा और ज़ोर-ज़ोर से अपना हाथ चलाने लगा।
डॉली को ये बात समझाने में ज़्यादा देर नहीं लगी और वो अब जान-बूझ कर अपने हाथ ऊपर उठाने लगी।
मैं जैसे पागल हुए जा रहा था.. डॉली मेरी हालत देख कर मुझे और छेड़ रही थी.. जानबूझ कर इशारे कर रही थी.. अपने मम्मों को दबा रही थी। अपना हाथ मम्मों से लेकर चूत तक घिसते हुए ले जा रही थी।
मेरा मुठ मारना चालू ही था.. तभी उसने कहा- राज मैं पहली बार किसी को मुझे देखते हुए मुठ मारते देख रही हूँ.. इसे और यादगार बनाओ… मेरा नाम तुम मन ही मन ले रहे होगे.. वो इतनी ज़ोर से बोलो कि मुझे सुनाई दे..
मैं- आअहह डॉली… कम ऑन.. डॉली शेक इट हार्ड.. पुल मी लाइक एनीमल..
मैं उसका नाम उसे सुनाई दे.. इतनी आवाज़ में निकाल कर मुठ्ठ मारने लगा।
लगभग 10-15 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा और शायद उसे लगा कि ये 45 मिनट तक टिक जाएगा और वो ये नहीं चाहती थी.. ऐसा उसकी अगली हरकत से मुझे लगा था।
डॉली उस तरफ मुड़ी.. और मेरी तरफ पीठ करने के बाद उसने अपने हाथ पीछे ले लिए और उसने कमीज़ की ज़िप नीचे खींच दी..
आअहह… क्या नज़ारा था.. टाइट कमीज़ की ज़िप कमर तक खुलते ही उसकी पीठ मेरी आँखों के सामने थी। उसकी दूधिया पीठ देखकर तो मेरी हालत और खराब हो गई।
उसकी ब्रा की स्ट्रिप्स पीछे से जैसे उसकी मांसल पीठ में घुस गई थीं.. मैं हैरान था कि इतनी टाइट ब्रा इसने क्यों पहनी होगी।
मैंने थोड़ी देर हिलना छोड़ दिया और उसने गर्दन मोड़कर ये देख लिया और कहा- ये चीटिंग है.. ऐसा नहीं चलेगा.. रोकना मत.. एक हाथ में दर्द हो रहा होगा.. तो दूसरा इस्तेमाल करो.. पर रूको नहीं…
मैं- ठीक है.. डॉली डार्लिंग..
और मैंने फिर से मुठ्ठ मारना शुरू किया। अब मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी। डॉली जानबूझ कर मुड़ी और उसने अपनी ब्रा की लेवल तक अपनी कमीज़ कंधों से नीचे खींच ली।
‘आआआ… आअहह..’
मैं थोड़ी ज़ोर से चिल्लाया.. उसकी ब्रा में फंसे हुए चूचे मैं बिल्कुल साफ़ देख सकता था.. डॉली के निप्पल भी उभर कर बाहर आने के लिए तड़प रहे थे।
डॉली का इतना बड़ा क्लीवेज शो देखकर मुझसे रहा नहीं गया- डॉलीआआआ… आआआआ..
यह कहकर मैं छूट गया.. बहुत सारा लोड उसके आँखों के सामने एक पिचकारी से पानी निकला.. लगभग 2 मिनट तक मेरा वीर्य बाहर आना चालू था..
उसे देखकर उसने अपनी कमीज़ को फिर से ऊपर कर ली और कहा- अरे राज.. तुम तो लगभग बड़ी जल्दी झड़ गए.. हाँ.. मुझे लगा कि शायद डिलीवरी ब्वॉय के आने तक तुम टिक जाओगे..
मैं- आपने हरकतें ही कुछ ऐसी की.. कि मैं खुद को रोक नहीं सका।
डॉली- अच्छा जी.. अब मुझ पर धकेल रहे हो.. कोई बात नहीं.. पर तुम्हारा ड्यूरेशन अच्छा था.. और ये इतना वीर्य.. मैंने आज तक कभी इतना माल निकलते हुए नहीं देखा.. क्या महीने भर से रोक के रखा था.. हा हा हा हा..
मैं- जी डॉली जी.. पिछले कुछ दिनों में ऐसा किसी ने देखा ही नहीं कि उसके सामने ही शेक कर सकूँ.. और शायद आपके हुस्न को देखकर आज मेरे लिंग मे कुछ ज़्यादा उत्तेजना थी।
डॉली- हाँ.. वो तो देख ही चुकी हूँ में.. चलो अब तो तुम ठंडे हो गए हो.. क्या अब मैं जाऊँ?
मैं- मन तो नहीं कर रहा.. कि आप चली जाओ.. मैं ऐसे ही पूरा दिन भर आपके सामने नंगा रहना चाहता हूँ।
डॉली- बेशरम कहीं के.. अपनी नई पड़ोसन को ऐसी बात कहते हुए थोड़ी भी शरम नहीं आ रही है?
मैं- अब इसमे शरम कैसी डॉली जी.. जो बात दिल में है वही ज़ुबान पर.. सचमुच अगर चान्स मिल जाए तो मैं पूरा एक दिन आपके साथ ऐसे ही नंगा बनकर रहना चाहता हूँ.. और मैं इसके लिए कुछ भी करने के लिए रेडी हो जाऊँगा.. मैं इसके लिए पूरी तरह से आपका गुलाम भी बन सकता हूँ।
डॉली- अच्छा जी.. चलो देखते हैं… जल्द ही मेरे पति की एन्यूयल मीटिंग गोआ में है.. तब मैं और मेरी फ्रेंड दोनों पुणे में अकेली ही रहेंगी.. उसने मुझे अपने घर बुलाया है.. तो एक काम करते हैं.. मैं उसके घर जाने की बजाए उसे यहाँ पर बुला लेती हूँ.. फिर तुम हम दोनों को एंटरटेन करना.. ठीक है?
मैं- मैं बिल्कुल तैयार हूँ..
डॉली- देखो कितने बड़े कमीने हो तुम.. मेरी फ्रेंड के सामने भी बिना कपड़ों के रहने के लिए रेडी हो गए.. तुम सचमुच अन्दर से भी बहुत नंगे हो।
मैं- क्या आप कल भी बाल्कनी में ऐसे ही आएँगी?
डॉली- सब्र रखो राज.. उस दिन के लिए भी कुछ बाकी रखो.. रोज़ अगर ऐसा वीर्य का नाश करोगे.. तो उस दिन कुछ नहीं रहेगा.. तुम्हारी इन गोटियों में.. हा हा हा हा.. मैं तुम्हें शुक्रवार को बताऊँगी..
इतना कहकर वो हँसते हुए चली गई.. मैं उसे जाते हुए वैसा ही देखता रहा।
मैं अपनी बाल्कनी में जाकर बार-बार चैक कर रहा था कि कोई मैसेज देने के लिए डॉली अगर आए तो जानकारी मिल जाए।
फिर शुक्रवार शाम को ऑफिस से आने के बाद मुझे उसकी बाल्कनी में कुछ हलचल नज़र आई.. मैं अपनी बाल्कनी का दरवाजा खोल कर बाहर गया तो देखा कि डॉली वहाँ खड़ी थी और शायद मेरा ही इंतजार कर रही थी।
हम लोगों ने अब तक मोबाइल नंबर्स एक्सचेंज नहीं किए थे इसलिए वो वहाँ आकर मेरा इन्तजार कर रही थी। उसने आज स्लीवलैस टॉप पहन रखा था और उसका गला थोड़ा ज्यादा ही गहरा खुला हुआ था इसलिए मैं उसका क्लीवेज थोड़ा अधिक ढंग से देख पा रहा था। उसने शायद ब्रा नहीं पहनी हुई थी.. क्योंकि मुझे उसके टॉप के ऊपर निप्पलों के उभार दिख रहे थे.. नीचे एकदम स्किन टाइट जीन्स.. जिससे उसके गोलाकार चूतड़ एकदम उठे हुए नज़र आ रहे थे।
जैसे ही मैं बाल्कनी में गया.. वो मुझसे मुखातिब हुई- अरे क्या बात है राज.. आज तुम पूरे कपड़ों में?
मैं- अभी-अभी ऑफिस से आया हूँ डॉली जी.. इसलिए!
डॉली- अच्छा.. तो क्या आज कुछ दिखाने का मन नहीं है?
यह उसने मुझे उकसाने के लिए कहा था।
मैं- जी मन तो उस दिन के बाद रोज़ हो रहा है.. पर क्या करूँ.. जब मैं घर पर होता था.. उस वक्त आप कभी बाल्कनी में आई ही नहीं..
डॉली- हाँ.. मैंने तुमसे कहा तो था कि अब सब्र करो थोड़े दिन के लिए.. अच्छा सुनो मेरे ‘वो’ आज उनके दोस्त के साथ थोड़ी देर बाद टूर पर निकल जाएँगे.. अभी वो उनके दोस्त और मेरी सहेली को लाने गए हैं.. जैसे ही वे दोनों निकल जाएँगे.. मैं तुम्हें बाल्कनी में आकर बता दूँगी, फिर तुम आ जाना.. और हाँ.. वादे के मुताबिक तुम मेरे घर में आने के बाद बाहर जाने तक कुछ भी नहीं पहनोगे।
मैं- ओह्ह…वॉऊ.. मैं तो इसी दिन का इंतजार कर रहा था.. डॉली जी थैंक यू वेरी मच..
डॉली- उसमें थैंक्स की क्या बात है.. हमें भी कुछ एग्ज़ाइटिंग लगा था.. इसलिए तुम्हें बुला रहे हैं.. तुम्हें वो सब कुछ करना पड़ेगा जो जो हम कहेंगे.. याद है न?
मैं- जी बिल्कुल.. मैं आप दोनों की सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ूँगा..
डॉली- हम्म..वाहह.. आज तो तुमने इतनी देर मुझसे पूरे कपड़ों में बात की है.. हा हा हा..
मैं- कपड़े निकालना तो मैं भी चाहता हूँ.. अगर आपको बुरा ना लगे.. तो मैं अभी सब कपड़े उतार दूँ..?
डॉली- ओह्ह.. तुम भी ना… तुम्हारी मर्ज़ी.. अभी तुम मेरे घर आए कहाँ हो कि मैं तुम्हें कुछ करने के लिए कहूँ.. अभी तो तुम अपने घर में हो.. जो चाहे वो कर सकते हो।
इतना सुनते ही मैं जैसे बेकाबू हो गया और अगले एक मिनट में मैंने सारे कपड़े उतार कर बाल्कनी से रूम में फेंक दिए.. यह देखकर डॉली हँसने लगी।
डॉली- अब जाकर असली राज खड़ा हुआ है मेरे सामने.. यह नंगापन ही तुम्हारा सच है.. और हाँ.. आने से पहले एक बार नीचे का मैदान अच्छे से शेव कर लो..
मैं- जी बिल्कुल डॉली जी..
मैं उसकी तरफ देखकर हिलाने लगा.. तो वो बोली।
डॉली- देखो अभी माल गिरा दोगे.. तो वीर्य कम हो जाएगा..
मैं- फिकर ना कीजिए डॉली जी.. अभी गिराऊँगा नहीं.. अभी सिर्फ़ हिला रहा हूँ.. वैसे आज आपने अन्दर शायद ब्रा नहीं पहनी है न..
डॉली- बाप रे.. तुम्हारी नज़रें बहुत घूमती हैं.. क्या कोई भी औरत सामने आने के बाद सबसे पहले तुम मम्मों को ही निहारते हो क्या? तुम सच समझ गए हो.. मैंने आज ब्रा नहीं पहनी है.. मेरा टॉप ही इतना टाइट था कि ब्रा की जरूरत ही नहीं पड़ी..
मैं- जी मैं भी साइन्स पढ़ा हूँ और मेरी इस नज़र की वजह से मुझे प्रैक्टिकल में पूरे के पूरे मार्क्स मिलते थे.. हा हा हा!
मेरी बात सुनकर डॉली मुस्कुराई.. और इतने में उसका मोबाइल बजा और शायद उसके पति ने कहा कि वो लोग 5 मिनट में पहुँच रहे हैं।
डॉली- चलो राज टाइमअप फॉर दि करेंट शो.. सी यू लेटर.. वो लोग आ गए हैं.. मुझे जाना होगा..
इतना कहकर डॉली फट से चली गई और उसने दरवाज़ा बंद कर लिया।
मैं थोड़ी देर वहीं पर ठंडी हवा में हिलाता रहा और फिर अन्दर आकर नहाने चला गया।
नहाते हुए मैंने अच्छे से क्रीम लगाकर झांटों को साफ़ कर लिया और फ्रेश होकर नूडल्स बना कर खा लिए।
मैं इस सब में ज़्यादा टाइम खराब नहीं करना चाहता था।
अब मैं पूरी तरह से रेडी था.. मैं अब उसके बुलावे के इन्तजार में टाइम पास कर रहा था।
तकरीबन रात के 10 बजे मैंने डॉली की बाल्कनी से दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनी.. उत्तेजना में मेरा लौड़ा पूरा तना चुका था.. मैंने भी अपनी बाल्कनी का दरवाज़ा खोला और सामने चला गया।
जैसे ही मैं सामने को गया.. मैं हक्का-बक्का रह गया.. मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं और मैं एकदम से सुन्न हो गया.. डॉली के साथ उसकी दोस्त भी बाल्कनी में आ चुकी थी और वो दोस्त दूसरी तीसरी कोई नहीं.. मेरी ही कंपनी में एचआर डिपार्टमेंट में काम करने वाली एचआर टीम लीडर ललिता थी।
एक ही कंपनी में होने के कारण और एचआर टीम से अक्सर जुड़े होने के कारण मुझे ललिता का डॉमिनेंट नेचर पता था।
जितना मैं शॉक्ड था.. उतनी ही वो भी शॉक्ड थी..।मुझे इस हालत में देखकर वो भी दंग रह गई थी।
मैं खुद को ढकने के लिए कुछ देख रहा था.. पर बाल्कनी में कुछ नहीं था.. तो मैंने मेरे हाथ का इस्तेमाल किया।
इतने में डॉली ने चुप्पी तोड़ी और मुझे कहा- राज अब तुम आ जाओ..
इतने में ललिता बोली- राज तुम?? और यहाँ ऐसी हालत में??
डॉली- क्या तुम एक-दूसरे को जानते हो?
ललिता- अरे हम दोनों एक ही कंपनी में काम करते हैं.. जहाँ मैं एचआर लीडर हूँ वहीं पर यह कन्सल्टेंट टीम में काम करता है।
डॉली- बाप रे.. यह तो बहुत बड़ा इत्तेफाक है.. उस दिन दोपहर में जब तू मुझे पूछ रही थी कि क्यों हँस रही है.. तब मैं इसे ही देखकर हँस रही थी.. चलो अच्छा हुआ.. अब ज़्यादा जान-पहचान बनाने की ज़रूरत नहीं है.. राज तुम आ जाओ.. प्लान तो वैसे भी बना ही था.. यहाँ आओ.. फिर बाकी की बातें करते हैं।
मैं- ठीक है..
वो दोनों अन्दर चली गईं.. और मैं भी मेरे रूम में आ गया.. मैं मन ही मन सोच रहा था कि यह क्या हो गया… मेरी ऑफिस की लड़की के सामने ही अब मैं नंगा हो गया.. अब जाना तो पड़ेगा ही.. इसलिए मैं सिर्फ़ एक ‘थ्री-फोर्थ लोवर’ और टी-शर्ट पहन कर डॉली के घर जाने के लिए निकला।
अब मैं आप सभी को ललिता के बारे में ज़रा बताता हूँ।
ललिता एक अतिमहत्वाकांक्षी लड़की है और उसके बात करने के तरीके से समझ में आता है कि वो कितनी डॉमिनेंट नेचर की है.. उसने बॉडी भी वैसी ही पाई है.. जैसी एक महत्वाकांक्षी लड़की की होनी चाहिए।
जिस्म में जिधर उभार और कटाव होने चाहिए ठीक उसी जगह पर उसके कटाव और उठाव थे.. एकदम ठोस मम्मे.. पतली कमर और एकदम गोल और उठे हुए चूतड़.. थोड़ी ऊँचाई अधिक होने के कारण लंबी और कसी हुई टाँगें थीं।
जब वो टाइट स्कर्ट्स पहन कर ऑफिस में आती है.. तो शायद ही कोई मर्द उसे दोबारा मुड़कर ना देखता हो.. कई बार उसने मुझे उसे घूरते हुए नोटिस किया था और नज़र में ही दम भर दिया था कि ऐसा ऑफिस में नहीं करना चाहिए।
अगर आज उसने उन सब बातों का बदला लेने का सोचा.. तो मेरी क्या हालत होगी.. और मैं तो खुद को बिल्कुल बिना कपड़ों के उन दोनों के हवाले करने वाला हूँ। यह सब सोचते हुए मैं अपने अपार्टमेंट से उतर कर डॉली के अपार्टमेंट में जा चुका था।
पड़ोस वाली बिल्डिंग में ही रहता था इसलिए वॉचमैन ने भी ज़्यादा कुछ पूछने की ज़रूरत नहीं समझी।
मैं लिफ्ट में चढ़ गया.. अब ना जाने क्यों.. मेरी धड़कनें तेज़ हो चुकी थीं।
डॉली का फ्लोर आते ही मैं लिफ्ट से बाहर आया। उस फ्लोर पर 4 ही फ्लैट्स थे और उनमें से तीन में ताला लगा हुआ था.. शायद वीकेंड होने के कारण सब बाहर गए हुए थे।
मैंने डोर बेल बजाई और डॉली ने दरवाज़ा खोला.. मेरी धड़कनें बहुत तेज़ हो गई थीं।
डॉली- वेलकम राज.. यहीं पर तुम अपने कपड़े उतार कर मेरे पास दे दो.. अब ये तुम्हें रविवार की रात में जब यहाँ से जाओगे.. तब इसी जगह मिलेंगे..
मैं- डॉली जी.. यहाँ पर कैसे.. अन्दर तो आने दीजिए..
डॉली- क्यों क्या हुआ.. कोई तो है नहीं यहाँ.. और वैसे भी मेरी और तुम्हारी मुलाकात तुम्हारे नंगेपन से हुई है.. तो मेरे घर तुम कपड़े पहन कर कैसे आ सकते हो? तुम्हें तुम्हारी असली पहचान में ही अन्दर आना होगा.. और हाँ ना करने का तो तुम शायद ही सोचोगे.. क्योंकि तुम्हारी एचआर सब कुछ जान चुकी है।
डॉली ने बिल्कुल निशाने पर तीर मारा था.. अगर अब मैं वहाँ से चला जाता तो पता नहीं ललिता क्या कर लेती.. और वैसे भी हमारे देश मे एक महिला कुछ भी शिकायत करे तो दोषी तो मर्द को ही पाया जाता है।
मैंने इधर-उधर देखा.. सन्नाटा छाया हुआ था.. इसलिए टी-शर्ट और लोवर उतार कर डॉली के हाथ में दे दिए। डर की वजह से मेरा लौड़ा पूरी तरह से सिकुड़ गया था.. और उसे इतना छोटा देखकर वो मुस्कुराई और मुझे अन्दर बुला लिया।
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