Wednesday, September 2, 2015

FUN-MAZA-MASTI एक था राजा, एक थी नौकरानी --1

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एक था राजा, एक थी नौकरानी --1





यह कहानी है, हिमालय की वादियों में बसे एक राज्य की.. जिसका नाम था, कामपुर.. ..
यह नाम, इस राज्य को इसलिए मिला था क्यूंकी यहाँ कामदेव और रति की विशेष कृपा थी.. जिसके कारण, कोई भी लड़का या लड़की इस राज्य में कुँवारा नहीं रहता था..
इस राज्य के राजा लिंगवर्माथे… !!
उसकी शरण में, राज्य बड़ा सुखी और शांत था और राजा ने अपने राज्य को और अधिक समृद्धशाली बनाने के लिए, अपने पड़ोसी राज्य योनपुर के राजा की बेटीवक्षकुमारीसे शादी करने का प्रस्ताव लेकर राजा से मिलने गये।
राजकुमारी बहुत ही सुंदर लड़की थी… !!
उसे जब राजा लिंगवर्मा ने देखा तो वो उसके योवन में खो गये..
राजकुमारी का गोरा रंग, दूध जैसा था..
उसके बड़े बड़े खरबूजे जैसे चूचे, जो उसकी चोली को फाड़ कर बाहर निकलने के लिए तड़प रहे थे और उसके चुत्तड़ तो बिलकुल सुडोल और बेहद आकर्षक थे… !!
जब राजा ने उसे देखा तो राजकुमारी अपनी सखी और दसियों के साथ खेल रही थी और भागने दौड़ने के कारण, उसके गाल लाल पड़ गये थे।
राजा का मन तो यह कर रहा था की अभी ही वो राजकुमारी के गालों को चूम ले.. मगर, वो कोई ग़लत काम नहीं करना चाहते थे.. इसलिए, वो सीधे ही योनपुर के राजा के महल में, उनसे उनकी बेटी का हाथ माँगने चले गये..
योनपुर के राजा, राजा लिंगवर्मा को देख बड़े खुश हुए और जब लिंगवर्मा ने उनसे उनकी बेटी का हाथ माँगा तो उन्होंने एक पल भी ना सोचा और तुरंत राजकुमारी की शादी उनसे ही करने का वचन दे दिया।
मगर, राजकुमारी ने जब राजा लिंगवर्मा को देखा तो उन्हें वो पसंद ना आए और उन्होंने जब यह बात अपने पिता और माँ को बताई की वो शादी नहीं करना चाहती तो उनके पिता गुस्सा हो गये और बोले की अब वचन दे दिया है और वो अब कुछ नहीं कर सकते… !!
अब राजकुमारी के पास कोई रास्ता ना था और फिर, उन्होंने सोचा की अगर वो राजा लिंगवर्मा को यह बोले की वो शादी नहीं करना चाहती क्यूंकी वो किसी और से प्यार करती है तो शायद राजा लिंगवर्मा अपने आप शादी से इनकार कर दे… !!
यह सोच, उन्होंने अपनी एक दासी बुलाई..
वो अपने राज्य के किसी भी संदेश वाहक दूत को, यह काम के लिए नहीं कह सकती थी क्यूंकी फिर यह बात उनके पिताजी को पता चल सकती थी.. इसलिए, उन्होंने अपनी सबसे करीबी दासी को बुलाया था और उसे एक संदेश लिख कर दे दिया, जिसमें उन्होंने लिंगवर्मा से शादी से मना करने का लिख रखा था..
 
उधर राजा लिंगवर्मा, राजकुमारी के रूप में खोए हुए थे और वो अपने दरबार से भी जल्दी चले गये और अपने कक्ष में जाकर, बस वक्षकुमारी के बारे में सोचने लग गये।
वो अपने दिमाग़ से, राजकुमारी के बड़े बड़े चूचे निकाल ही नहीं पा रहे थे..
इस मनोरोग को दबाने के लिए, उन्होंने मदिरा का सहारा लिया.. मगर, उसका उल्टा प्रभाव उनके दिमाग़ पर पड़ा और वो जहाँ देखते वहाँ उन्हें राजकुमारी ही दिखने लगी और फिर उन्होंने अपने सारे कपड़े निकाल फेंकें और नंगे ही बिस्तर पर लेट गये और अपने लंड को अपने हाथ से पकड़, हिलाने लग गये..
इतनी देर में, उनके दरवाज़े पर दस्तक हुई तथा एक अंगरक्षक ने उनसे बाहर से पूछा महाराज, आपसे कोई मिलने आया है… !!
राजा लिंगवर्मा ने कहा अंगरक्षक, कौन गुस्ताख है… !! अभी हम, किसी से नहीं मिल सकते… !! उनसे कहो, कल आए… !!
अंगरक्षक की आवाज़ आई महाराज, आपसे वक्षकुमारी की दासी मिलने आई है… !! राजकुमारी का कोई संदेश लाई है… !!
राजा बुरी तरह नशे में था उसे सिर्फ़ राजकुमारी ही समझ में आया और उसके मुंह में पानी आ गया और उसने तुरंत बिना कुछ विचारे, अंगरखशक से कहा उन्हें सम्मान के साथ अंदर भेज दो… !!
राजा यह भी भूल गये की वो कुछ नहीं पहने हैं..
फिर, दरवाज़ा खुला और दासी अंदर आई।
दासी ने मुंह नीचे कर रखा था और उसने यह नहीं देखा की राजा नंगाउसकी प्रतीक्षा कर रहा है..
दासी ने आते ही, राजा को नमस्कार किया और बोली महाराज, मैं आपके लिए वक्षकुमारी का… !! … !! और आगे वो कुछ बोल पाती राजा ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और तब दासी को एहसास हुआ की राजा तो नंगा था..
वो राजा को दूर हटाने की कोशिश करने लगी और बोली महाराज, आप यह क्या कर रहे हैं… !! मैं तो एक दासी हूँ… !! और राजकुमारी जी का संदेश लेकर आई हूँ… !!
मगर राजा नशे में चूर था और कुछ समझ नहीं पा रहा था।
 
वो बोला हाँ, तू दासी है… !! मगर, सिर्फ़ मेरी, बाकी लोगों के लिए तो तू इस राज्य की रानी है… !!
दासी को समझ में आ गया की राजा नशे में चूर है..
उसने राजा को बहुत समझाने की कोशिश की वो वक्षकुमारी नहीं, एक दासी है.. मगर, राजा तो बुरी तरह नशे में था और कुछ समझ नहीं पा रहा था..
और फिर उसने ज़बरदस्ती दासी को अपने बिस्तर पर पटक दिया और उसकी चोली को खोलने लगा।
दासी अपने आप को बहुत छुड़ाने की कोशिश कर रही थी.. मगर, राजा बहुत ताकतवर था इसलिए, उसकी एक ना चल पाती..
राजा, जब उसकी चोली को खोल ना पाया तो उसने उसे फाड़ कर बाहर फेंक दिया और दासी के चूचे आज़ाद हो गये..
वैसे तो, वो दासी थी.. मगर, वो भी बहुत खूबसूरत थी..
हाँ, वो राजकुमारी जितनी गोरी नहीं थी.. मगर, उसका रंग भी साफ़ था और उसके चूचे भी कसे हुए और बड़े बड़े थे..
अब राजा उसके चुचों को मसलने लगा और उसके होठों को चूमने की कोशिश करने लगा.. मगर, दासी कभी अपना मुंह इधर उधर करने लगी.. जिससे, राजा उसके होठों का चूँबन ना ले सके.. मगर, राजा ने उसके चूचे मसलने छोड़, उसके मुंह को अपने हाथ से पकड़ सीधा कर दिया और उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और फिर से अपने एक हाथ से उसके चूचे वा दूसरे हाथ से उसके घाघरे के ऊपर से ही, चूत मसलने लगे..
दासी, बुरी तरह तड़पने लगी। क्यूंकी, वो अभी तक कुँवारी थी और उसने कभी आदमी के स्पर्श तक तो महसूस किया नहीं था और अब उसका हर अंग राजा महसूस कर रहा था।
दासी, बुरी तरह चिल्लाने लगी.. जिसे सुन, राजा के अंगरक्षक भी दहल गये.. मगर, राजा का आदेश के बिना वो कक्ष के अंदर भी नहीं जा सकते थे.. इसलिए, वो भी चुप चाप बाहर उसके चिल्लाने की आवाज़ सुनते रहे..
अब राजा ने चूची चूसना शुरू कर दिया और दासी बुरी तरह तड़पने लगी।
उसने यह एहसास पहले कभी महसूस नहीं किया था और राजा अब धीरे धीरे, उसके घाघरे को भी ऊपर करने लगा और दासी की जांघें बिलकुल नंगी हो गई.. मगर, दासी ने अपने दोनों हाथों से घाघरे को दबा दिया.. जिससे राजा उसकी चूत को नंगा ना कर सके..
फिर राजा ने उसके दोनों हाथ अपने दोनों हाथों से पकड़ लिए और दासी के ऊपर बैठ गये।
दासी रोए जा रही थी और लगातार अपने को छोड़ने की भीख माँग रही थी.. मगर, राजा कहाँ मानने वाला था..
 
वो नशे में तो था ही और उससे बड़ा नशा था, “वासनाका और उसने दासी के घाघरे में अपना खड़ा लंड फँसाया और उसे कमर तक ऊपर कर दिया.. जिससे, दासी की चूत बिलकुल नंगी हो गई और राजा ने अपने लंड का सुपाड़ा दासी की चूत पर रख दिया और उसे उस पर रगड़ने लगा..
अब दासी से सहन नहीं हो पा रहा था।
वो अपनी कुँवारी चूत पर एक भारी भरकम लंड का एहसास कर रही थी और दूसरी और राजा उसकी चूची अपनी मुंह में दबा कर चूसे जा रहा था.. कभी कभी, हल्का सा काट भी लेता..
वो अब चिल्ला चिल्ला कर भी थक चुकी थी तो वो चुप चाप बिस्तर पर सिसकारी भरने लगी और अपने बदन को भूखे राजा के सामने हल्का छोड़ दिया।
अब राजा जो चाहता, वो उससे करा सकता था.. मगर, अचानक दासी का हाथ पानी के गिलास पर पड़ा और उसने उसे उठ कर राजा के मुंह पर मार दिया..
राजा की आँखो में पानी जाने से, वो तिलमिला गया और दासी के ऊपर से हट गया और उसे हल्का हल्का होश भी आ गया।
तब मौका देख, दासी ने सोचा यह अच्छा मौका है, भाग जाने का… !! और वो सीधे ही नंगे बदन”, दरवाज़े की और भागी.. मगर, फिर उसे ख़याल आया की अगर वो उस तरह बाहर गई तो शायद कई लोग उसके साथ बलात्कार कर देंगे… !! यहाँ तो, यह राजा ही उसे चोदेगा… !! यह सोच वो रुक गई..
राजा भी हल्के से होश में आ गये थे।
राजा ने उसकी और देखा और बोले तुम तो राजकुमारी नहीं हो… !! तुम कौन हो… !! ??
यह सुन, दासी ने सोचा शायद, राजा को होश आ गया है और वो बच गई… !! वो बोली क्षमा करें, महाराज… !! मैं वक्षकुमारी नहीं हूँ… !! और आप मुझे राजकुमारी समझ कर मुझसे यौन क्रिया करना चाह रहे थे… !! इसलिए, मुझे आपके मुंह पर जल डालना पड़ा… !!
राजा ने अपने मुंह से पानी साफ़ करते हुए कहा मगर, तुम हो कौन… !! ?? और हमारे कक्ष में क्या कर रही हो और हमारे अंगरक्षक ने तुम्हें अंदर कैसे आने दिया… !! ??
तब दासी ने बताया की वो क्यूँ आई थी और उसने राजा को राजकुमारी का संदेश दे दिया..
राजा ने जब उसे पड़ा तो तिलमिला गये की जिसके ख़यालों में वो खो चुके थे वो किसी और से प्यार करती है.. ..
और उन्होंने संदेश को फाड़ कर कक्ष में जल रही अंगीठी में डाल दिया और फिर वो दासी की और मुड़े और बोले उसकी यह हिम्मत की हमारा रिश्ता ठुकरा दे… !! मैं चाहूं तो उसके राज्य को कुछ ही पल में, धूल में मिला सकता हूँ… !! और यह कहते हुए उन्होंने दासी का हाथ पकड़ लिया..
दासी डर गई और बोली महाराज, मैं क्षमा चाहती हूँ… !! मगर, मैं तो राजकुमारी के आदेश से यहाँ आई हूँ… !! मुझे कृपा कर, छोड़ दे… !!
राजा गुस्सा में बोला नहीं, उस घमंडी राजकुमारी को भी पता चलना चाहिए की हम क्या कर सकते हैं… !!
यह कह राजा ने फिर दासी को बिस्तर पर पटक दिया और फिर उसके सामने जाकर खड़े हो गये और दासी के बाल पकड़ कर उसे बिस्तर पर घुटनों के बल बिठा दिया।












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