Wednesday, September 23, 2015

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--19

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--19


कामया जाकर नंगी ही बिस्तर मे पसर गई ! घंटे भर मे दो बार की ठुकाई ने उसके अस्थि पंजर हिला के रख दिए थे ! वो खुली आँखों से ही अपनी चुदाई याद करने लगी ! मतलब मधु पिंकी आदि सही कहती थी क़ि जब उनकी सुहाग रात हुई थी तो दूसरे दिन ढंग से चल नही पा रही थी हमारा भी तो बाबूजी ने यही हाल कर दिया था क़ि दूसरे दिन चलते नही बन रहा था तभी तो मम्मी पूछ रही थी ! कामया अभी अभी उठाए चुदाई के लुत्फ़ को याद ही कर रही थी क़ि मोबाइल बज उठा! उसने जैसे ही मोबाइल मे सुनील का चेहरा देखा एकदम से घबडा गई मानो सुनील फोन मे नही सामने ही खड़ा हो ! जो बहू अभी अभी अपने ससुर के साथ अवैध संबंधो का मज़ा लूट रही थी वो पति का फोन आते ही अपने बदन को चादर से ढकने लगी ! कामया के चेहरे पर पसीना छलछला गया ! उसने हिम्मत कर के फोन उठाया
कामया ::: हेलो
सुनील ::: हाँ जानेमन हम बोल रहे है ! तुम कैसी हो ?
कामया ::: ठीक हूँ आप कैसे हैं ?
सुनील ::: मेरा हाल मत पूछो यार !
कामया ::: क्यों क्या हुआ? तबीयत तो ठीक है आपकी ?
सुनील ::: तबीयत तो ठीक है जान पर क्या करूँ ना भूख लग रही है ना नींद आ रही है
कामया :: क्यों ऐसा क्या हो गया जो इतने बैचेन हो ?
सुनील :: हुआ कुछ नही बस तुम्हारी याद ने जीना मुहाल कर रखा है !
अब तक कामया भी थोड़ा सम्भल गई थी सो उसने कहा
कामया :: झूट मत कहिए अगर आपको हमारी इतनी याद आती तो इतने दिन नही रुकते जल्दी छुट्टी लेके आ जाते ! झूट बोलना तो कोई आपसे सीखे ! बात करते -२ कामया ने बैठने की कोशिश की तो चुत मे दर्द उठा और उसके मुँह से सिसकारी निकल गई ! दर्द भरी आवाज़ सुन सुनील ने तड़प कर पूछा -
सुनील ::: क्या हुआ तुम ठीक तो हो ना ?

कामया :::: नही कुछ नही मैं ठीक हूँ
सुनील :: नही कुछ तो है तुम अभी कराह रही थी ! प्लीज़ बताओ ना !
अचानक कामया को एक आइडिया आ गया ! दरअसल वो पहले से ही सोच रही थी क़ि बाबूजी ने तो उसकी चुत का भोसड़ा बना दिया है जिसे देख कर पता नही सुनील क्या सोचेगा लेकिन अब उसे सही मौका मिल गया था तो उसने कहा
कामया :: जान ऐसा कुछ नही है जिससे तुम परेशान हो
सुनील ::: जैसा भी है तुम बताओ तो
कामया ::: आप नाराज़ हो जाओगे इसलिए नही बता रही !
सुनील ::: क्या बोल रही हो यार मैं और तुमसे ? कभी नाराज़ हो सकता हूँ ?? तुम तो मेरी जान हो ! कॉम ऑन बताओ क्या बात है !
कामया :: जी जी वो मैं मूली से खेल रही थी
सुनील ::: वॉट !!!! मूली से खेल रही थी ??? ये कौन सा खेल है ?
कामया ::: आइ मीन मेरा मतलब मूली से वहाँ पर खेल रही थी !
सुनील :: तुम क्या बोल रही हो मुझे कुछ समझ नही आ रहा है? प्लीज़ क्लियर बोलो!
कामया :: जी मैं मूली से वहाँ पर कर रही थी !
सुनील ::: मूली से कहाँ पर कर क्या कर रही थी ? यार कुछ सही सही बताओगि भी या पहेलियाँ ही बुझाती रहोगी ? चलो बताओ मूली से क्या कर रही थी ?
कामया :: जी मैं जी मैं--- -- -- मूली से वहाँ पर कर रही थी जहाँ पर आप अपनी मूली से करते हैं !
कामया की बात सुनकर सुनील को कुछ कुछ समझ आने लगा की कामया क्या कहना चाह रही है
सुनील ::: डार्लिंग कहीं तुम मूली से मास्टरबेट तो नही कर रही ?
कामया ::: जी वो ऐसे ही नही नही कुछ नही कर रही थी !
सुनील :: अरे जान तो इसमे शर्मा क्यों रही हो ये तो नॅचुरल है ! इट हॅपन्स समटाइम ! अच्छा एक बात तो बताओ कब से चालू किया ये सब ? जब सुनील ने ईज़िली लिया तो कामया को कुछ राहत मिली
कामया :: जी वो जब से आपका आने का फोन आया था तब से आपकी बहुत याद आ रही थी इसीलिए कंट्रोल नही हुआ !
सुनील :: कोई बात नही हनी ! टेक इट ईज़ी ! लेकिन तुम कराह रही थी कहीं मूली बहुत बड़ी तो नही है ?
कामया :: जी वो !! ज़्यादा बड़ी नही है थोड़ी बड़ी थी बट आइ मॅनेज्ड इट ! initially it was a bit painful but now i can take it easily ! u dont take it otherwise honey .
सुनील ::: ओके बेबी ! कीप इट ऑन टिल आइ कम ! बस कल मेरे आने के बाद तुम्हे इन सबकी ज़रूरत नही पड़ेगी ! बाइ बेबे !
फोन काटने के बाद कामया दिल मे सोचने लगी क्या बोलूं हनी अब तो इस नये मूला की हमेशा ज़रूरत पड़ेगी ! बिना इसके रह कैसे पाएँगे ?
उसने दिल ही दिल मे शुक्र मनाया क़ि चलो अब सुनील को कोई शक नही होगा क़ि मेरी चुत ढीली कैसी हो गई !
दूसरे दिन सुबह से ही कामया ने ढंग के कपड़े पहने थे क्योंकि दोपहर मे सुनील को आना था ! वैसे पिछली बार भी सुनील आने से पहले बाबूजी और उसका नैन मॅटॅक्का चालू हो गया था पर पिछली बार भी सुनील के सामने वो बहुत ढंग से रहती थी ! सुनील के घर मे आते ही पुर घर मे खुशी का माहौल छा गया सब खुश थे ! मदनलाल भी खुश था चाहे कुछ भी हो सुनील उसका बेटा था और कई माह बाद घर आया था ! हमेशा की तरह इस बार भी सुनील सबके लिए कपड़े लेकर आया था ! वो सबको कपड़े देने लगा ! कामया के लिए सुनील इस बार मॉडर्न कपड़े लाया था जीन्स टीशर्ट शॉर्ट्स ! कपड़े देखकर कामया चौंकते हुए बोली --
कामया :: क्या हो गया है आपको ? ये क्या कपड़े उठा लाए ? अब मैं ये पहनूँगी ?
सुनील :: तो क्या हुआ आजकल सब पहनती हैं !
कामया :: क्या बोल रहे हो आप ? शादी के बाद कोई ये सब पहनता है क्या ? फिर उसने शॉर्ट्स उठाते हुए कहा और ये क्या है ऐसा तो मैने शादी के पहले भी नही पहना ""
सुनील :: डोंट बी सिल्ली ! आज कल सब चलता है क्यों मम्मी आपको कोई ऐतराज है क्या ?
शांति थोड़ा खुले विचारों वाली औरत थी मदनलाल मिलिटरी मे था इसलिए उसने आधा हिन्दुस्तान देख रखा था सो बोली --
शांति ::: कोई बात नही बहू हमे कोई प्रॉब्लम नही है तो फिर तुम क्यों परेशान हो ? कम से कम जब तक सुनील है तब तो पहन सकती हो ! जीन्स आजकल सब पहनते हैं और शॉर्ट्स घर के अंदर पहनने मे कोई बुराई नही हैं ! क्यों जी मैं सही कहा रही हूँ ना ?
मदनलाल :: हाँ क्यों नही ! बच्चों को उनकी मन की करने देना चाहिए ! वो तो खुद कामया को शॉर्ट्स मे देखने के सपने देखने लगा था ! बहू घर के काम करते समय शॉर्ट्स पहन लिया करो कंफर्टबल रहता है !
रात को सब खा पीकर अपने -२ कमरे मे चले गये ! छः महीने बाद सुनील घर आया था इसलिए कमरे मे घुसते ही कामया पर पिल पड़ा ! उसने फटाफट कामया को नंगी किया और उसके उपर चढ़ कर ज़ोर आज़माइश शुरू कर दी ! पहले तो कामया को सुनील के लॅंड का हल्का सा अहसास भी होता था पर आज तो बिल्कुल पता ही नही चला कि कुछ अंदर आया भी या नही ! ऐसा लग रहा था जैसे चौड़े मुँह वाली बोतल को कोई चम्मच से टटोल रहा है ! कामया को ये अहसास क़ि वो चुद रही है सिर्फ़ इस बात से पता चल रहा था क्योंकि सुनील का शरीर उसके नाज़ुक मुलायम नितंबों से टकरा रहा था ! जिस प्रकार सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार हर घटना के भी दो असर होते है ! कामया की चौड़ी हो चुकी चुत का एक पॉज़िटिव एफेक्ट भी हुआ जो सुनील हमेशा दस बारह धक्के मे निपट जाता था आज करीब बीस धक्के के बाद निपटा क्योंकि फ्रिक्सन बिल्कुल भी नही था ! फटाफट चुदाई के बाद सुनील अलग हट गया और बाजू मे लेट कर कामया के संतरों से खेलने लगा ! उपर छत मे मदनलाल घूम रहा था जिसकी चहल कदमी कामया को सुनाई पड़ रही थी ! थोड़ी देर बाद सुनील सो गया और कामया खुली आँखों से बाबूजी के मूसल के सपने देखने लगी ! लगभग ग्यारह बजे मदनलाल भी नीचे आ कर सो गया ! दूसरे दिन सुनील कामया को जीन्स और स्लीव लेस पहना कर सिनिमा दिखाने ले गया ! जब कामया जीन्स मे अपने कमरे से बाहर आई तो उसके हुश्न और सेक्सी बदन को देख कर मदनलाल के प्राण हलक को आ गये ! वाकई कामया की खूबसूरती और फिगर बेमिशाल था लाखों मे एकाद लड़की को ही खुदा ऐसा बनाता है !


दूसरी रात को भी पहली रात वाली कहानी ही दुहराई गई ! सुनील जितनी तेज़ी से हमला करता उतनी ही तेज़ी से मैदान छोड़ देता ! उसका जोश माचिस की तीली के समान था जो तुरंत फुरंत बुझ जाता था ! उधर कामया कोयले मे लगी आग की तरह लंबे समय तक सुलगती रहती ! रात को सुनील खेल कूद कर सो गया और कामया जागती हुई मदनलाल के पदचाप को सुनती रही जो छत से आ रहे थे ! कामग्नी मे जलती कामया को अचानक एक शरारत सूझ गई उसने सोचा जब हम विरह की आग मे जल रहे हैं तो बाबूजी को भी अमन चैन से नही रहने देंगे ! वो खिड़की के पास गई और उसने पर्दे को थोड़ा सा खिसका दिया ताकि अगर कोई अंदर झाँके तो अंदर किनारे तरफ अच्छे से दिख सके ! क्योंकि कल रात उसने महसूस किया था क़ि बाबूजी नीचे आकर कुछ देर उसकी खिड़की पर खड़े थे ! फिर वो खिड़की के सामने के तरफ रखे सोफे मे जाकर पट लेट गई ! इस वक्त कामया ने केवल ब्रा पेंटी पहनी हुई थी ! जैसे ही उसने मदनलाल के कदमो की आवाज़ सीढ़ी मे सुनी उसने पानी पेंटी घुटनो तक नीचे सरका दी !


कामया जानती थी क़ि उसकी गोल मटोल गद्देदार चौड़ी चकली gaand देख कर आज मदनलाल की रात की नींद खराब हो जाएगी ! उसे अच्छे से मालूम था क़ि बाबूजी औरतों की gaand के रसिया हैं इस लिए कामया ने रसिया बालम को उन्ही के दाँव से चित करने का मन बनाया ! कहते हैं जब खुदा साथ हो तो मिट्टी भी सोना बन जाती है ! कामया की ये चाल भी आज मदनलाल को फिर से एक नये अनुभव की ओर ले जाने वाली थी !




मदनलाल नीचे आया और बहू की खिड़की की तरफ बड़ा उसे उम्मीद थी की बहू की कोई आवाज़ या सिसकारी सुनने को मिल जाएगी लेकिन जैसे ही वो खिड़की के पास पहुँचा तो उसका चेहरा खुश से खिल गया खिड़की का परदा करीब छह इंच सरका हुआ था वो जल्दी से वहाँ पहुँचा और काँच मे आँख लगा दी ! अंदर नज़र पढ़ते ही उसके ठंडे पड़े लॅंड मे गर्मी आ गई ! अंदर कामया सोफे पर लेटी हुई थी सिर्फ़ ब्रा और पेंटी मे ! एक बारगी तो उसे लगा क़ि शायद बेटे बहू मे कोई विवाद हुआ है तभी बहू सोफे मे जाकर लेटी है ! उसे चिंता हुई क़ि कहीं सुनील की कमज़ोरी के कारण बहू ने कुछ उटपटांग तो नही बोल दिया ! कुछ देर तक वो बहू की अल्मस्त जवानी को निहाराता रहा और अपने हथियार को मुठियाता रहा ! लेकिन धीरे धीरे उसे समझ आ गया क़ि कोई झगड़ा वगेरहा की बात नही है सुनील तो मज़े से सो रहा है ये सब बहू ने हमे ललचाने के लिए किया है तभी परदा भी सरका कर रखा हुआ है और पट लेटकर पेंटी भी आधी उतार दी है ! इधर कामया के कान बाबूजी के पद्चाप पर ही लगे हुए थे जैसे ही खिड़की के पास आकर कदमो की आवाज़ बंद हुई बहूरानी समझ गई क़ि बाबूजी अब खिड़की से हमारी नशीली अधनंगी जवानी को निहार रहे होंगे ! वो पहले से ही पट लेटी हुई थी ,उसने अपना एक हाथ पेट के नीचे से ही सरका कर चुत पर पहुँचा दिया और अपनी मुनिया को सहलाने लगी !कुछ देर तक बहू ऐसे ही अपनी चुत से खेलती रही कभी क्लिट को मसलती तो कभी पूरी की पूरी मुनिया को ही हाथों मे भींच लेती ! बाहर से मदनलाल देख देख कर पागल हुआ जा रहा था ! जब उससे बर्दास्त नही हुआ तो उसने लूँगी से अपने पप्पू को बाहर निकाल लिया और सटका मारने लगा ! अब कामया ने और साहस का काम कर दिया उसने नीचे से ही अपनी दो उंगली चुत मे अंदर घुसा दी ! बड़ा कामुक दृश्य था जैसे मर्द स्त्री को उपर लिटा कर नीचे से अपना लॅंड पेल देता है वैसे ही उंगली लॅंड के समान दिखाई दे रही थी ! कामया ने अब हथेली को बिस्तर मे रेस्ट कर दिया और खुद अपनी गांद उपर नीचे कर मर्दों के जैसे चुदाई करने लगी ! खिड़की मे खड़े बाबूजी को काटो तो खून नही ! वो दिल ही दिल मे बोलने लगे हमारा काम भी खुद ही कर रही है रुक जा जानेमन जिस दिन मौका मिलेगा तेरी सारी गर्मी ना निकाल दी तो मेरा नाम भी मदनलाल नही ! पतली पतली उंगली से हमारे लॅंड की बराबरी करती है !रुक जा ज़रा अबकी बार सूखा ही पेलुँगा तब समझेगी मर्द किसे कहते हैं .! उधर कामया बुरी तरह उत्तेजित हो गई थी एक तो छूट मे दो दो उंगली घुसी हुई थी दूसरा उसे मालूम था उसकी हर हरकत को बाबूजी देख रहे हैं ! बाबूजी के देखने की कल्पना मात्र से वो आग मे जलने लगी और ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर को पटकने लगी और कुछ ही मिनिट मे झढ़ गई ! बाबूजी को भा अब अपने को रोकना मुश्किल हो गया था उन्होने सोचा अगर और कुछ देर यहाँ खड़ा रहा तो ज़रूर माल निकल जाएगा ! लेकिन वो माल को व्यर्थ नही जाने देना चाहते थे इसलिए चुपके से वहाँ से निकल लिए !
काम का ज्वार निकलते ही कामया सोफे मे ही हाँफते हुए लुडक गई ! मदनलाल लॅंड को मसलते हुए अपने कमरे मे दाखिल हुआ और अंदर का दृश्य देखते ही एक बार फिर उसका दिमाग़ घूम गया ! अंदर शांति गहरी नींद मे सो रही थी लेकिन उसकी साड़ी कमर तक उपर उठ गई थी ! अंदर वो नंगी थी और टांगे फैली होने के कारण उसकी पूरी चुत अपने पूरे शवाब मे दिखाई दे रही थी ! एक तो अभी - २ कामया की चुत का जलवा देखा था मदनलाल ने अब शांति अपनी दुकान खोल के लेटी हुई दिख गई !


कोई और दिन होता तो मदनलाल ध्यान भी नही देता लेकिन अभी तो उसका पप्पू ही उसका दुश्मन बना हुआ था जिस्सको शांत करने का अभी तक उसको कोई उपाय नही सूझ रहा था लेकिन शांति की चुत अब समाधान लेकर आ गई थी ! मदनलाल कारेब आकर गौर से शांति की चुत को देखने लगा ! ये वो चुत थी जिसे उसने पच्चीस साल चोदा था ये और बात है क़ि पिछले चार पाँच साल से लगभग चुदाई बंद पड़ी थी !उसने सोचा आज तो कुछ करना ही पड़ेगा लेकिन करें कैसे ? अगर शांति को जगा दूँगा तो शायद वो करने भा ना दे इस लिए उसने सोते मे ही हमला करने का फ़ैसला किया ! वो धीरे धीरे शांति की चुत मे हाथ फेरने लगा ! शांति अभी भी गहरी नींद मे थी लेकिन शरीर अपनी प्रतिक्रिया देने लगा ! उसकी चुत अब गीली होने लगी मदनलाल ने शांति की टाँगों को और फैला दिया और अपने मूसल को उसकी चुत से सेट कर दिया ! और कोई दिन होता तो और कुछ देर फोर प्ले करता लेकिन अभी तो उसकी नसें फटी जा रही थी ! मदनलाल ने एक गहरी साँस ले और एक करारा शॉट मार दिया ! शांति की चुत ने सालों इस लॅंड को खाया था इसलिए पहले ही शॉट मे लॅंड दनदनाता हुआ आधे से ज़्यादा अंदर घुस गया ! और इसी के साथ शांति के मुख से एक जोरदार चीख निकल गई ! चीख के साथ ही उसकी आँखे खुली तो देखा क़ि उसका पति उस पर चढ़ा हुआ है !
चीख सुनते ही मदनलाल ने फ़ौरन अपनी हथेली उसके मुँह मे रख दी क़ि कहीं बेटा बहू ना आ जाएँ ! शांति गों गों करने लगी लेकिन उस पर ध्यान दिए बिना मदनलाल ने एक और जोरदार धक्का मार दिया और इस धक्के के साथ ही उसका पूरा लॅंड जड़ तक समा गया ! अब मदनलाल ने एक के बाद एक शॉट लगाने चालू कर दिए थोड़ी देर तक तो शांति कसमसाती रही फिर वो भी वासना के आवेग मे बहाने लगी उसकी आँखों मे भी काम उतार आया चेहरे मे काम की लाली छा गई ! उसने इशारों से हाथ हटाने को कहा तो मदनलाल ने उसके मुँह से हाथ हटा लिया !
शांति ::: क्या हो गया आपको ? अगर मन कर रहा था तो बता के नही कर सकते थे ?
मदनलाल :: तुम सो रही थी और अगर उठा देता तो तुम करने भी नही देती !
शांति :: क्यों नही करने देती ?
मदनलाल :: तुम ही तो कहती हो क़ि आजकल ये सब अच्छा नही लगता ?
शांति :: तो क्या हुआ ? जैसे अभी ज़बरदस्ती कर दिए तब भी तो कर सकते थे !
मदनलाल :: हमे क्या मालूम था क़ि तुम मान जाओगी ?
शांति ::: औरतें सीधे नही मानती उन्हे अपने हिसाब से मनाना पढ़ता है ! समझे ? हमे क्या मालूम था क़ि आप मे अभी भी इतना जोश बचा हुआ है वरना हम मना नही करते !
मदनलाल :: तो तुम क्या सोची थी क़ि हम अब कोई काम के नही रह गाएँ हैं ?
शांति :: सोचा तो यही था लेकिन अब लग रहा है क़ि अभी भी पुराना वाला जुनून बचा हुआ है ! देखो तो कैसे हमारी हालत खराब कर दिए हो ! और फिर दोनो चुदाई का मज़ा लेने लगे !
हालाकी शांति एक ही बार चीख पाई थी लेकिन वो चीख इतनी तो तेज़ थी ही क़ि कामया के कानो तक पहुँच ही गई ! कामया उस समय भी सोफे मे लेटी हुई थी और बाबूजी मूसल को अपने अंदर फील करने की फॅंटेसी कर रही थी !अचानक शांति की चीख ने उस का ध्यान भंग कर दिया ! उसे कुछ समझ नही आया क़ि मांजी किस बात पर इतने ज़ोर से चीखी है !उसके अंदर का चोर बाहर आ गया क़ि कहीं मांजी ने बाबूजी को खिड़की से झाँकते तो नही देख लिया ? कहीं इसी बात पर तो नही झगड़ रही ? वो कुछ देर दम साधे पढ़ी रही फिर उठी मॅक्सी पहनी और चुपके से मदनलाल के कमरे की खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गई ! अंदर से आने वाली आवाज़ जैसे ही कामया को सुनाई दी उसके पुर बदन मे चीटियाँ रेंगने लगी !
अंदर से आने वाली सिसकारी से ही कामया समझ गई की बाबूजी मम्मी के साथ प्रोग्राम कर रहे हैं !
शांति ::: आह आह्ह्ह्ह !!!!! ओह माँ प्लीज़ धीरे करो बहुत दर्द दे रहा है! मदनलाल आँख बंद किए थाप पे थाप लगाए जा रहा था !
मदनलाल :: क्या बोल रही हो यार ? तीस साल से इसे अंदर ले रही हो और अब बोल रही हो क़ि दरद दे रहा है ?
शांति :: पहले की बात मत करो ,पिछले कई साल से तो कुछ कर नही रहे थे अब एकदम जान निकाले दे रहे हो !
मदनलाल :: लेकिन दर्द वाली कोई बात तो नही होनी चाहिए ! कोई नई दुल्हन हो क्या ?
शांति ::: तुम को तो कुछ समझ है नही ? इस उमर मे अंदर सब सुख जाता है इस लिए दर्द से रहा है ! कोई नई नवेली लड़की नही हूँ क़ि बस पेलते रहो

मदनलाल :: लेकिन हमने कभी सोचा नही था क़ि सालों बाद तुम ये शिकायत करोगी क़ि तकलीफ़ हो रही है !
शांति ::: सुनील के पापा आप भी ना एकदम बुद्धू हो ! अब इस उमर मे पीरियड बंद हो जाता है तो अंदर सब सूखा सूखा सा रहता है ? कम से कम पहले कोई क्रीम लगा लेते ! आप मे तो इतना जोश है क़ि लगता है आपको अभी भी कोई २२ चोबीस साल की जवान दुल्हन चाहिए जो आपको झेल सके !
मदनलाल :: शांति तुम भी कुछ भी बोल देती हो अब इस उमर मे कहाँ से मिलेगी नई दुल्हनिया !
कामया खिड़की से सब सुन रही थी शांति के मुख से नई दुल्हनिया सुनकर वो दिल दिल मे बोली मिल तो गई है उन्हे नई दुल्हनिया अब करिए ना जितना करना है काहे बुढ़िया के पीछे पढ़े हैं ?
शांति :: अजी मर्द जात का कोई भरोसा नही होता और फिर आप के बारे मे तो हमे सब पता है !
मदनलाल :: ये लो अब ये कौन सी नई कहानी बता रही हो ?
शांति :: कहानी नही है जब हम नये नये ब्याह के आए थे तो गाँव की औरतों ने बताया था क़ि आपकी गाँव मे कई भुज़ाई दोस्त थी
मदनलाल :: तो इसमे क्या हुआ दोस्ती तो किसी से भी हो सकती है इसका कोई ग़लत मतलब थोड़ी है
शांति ::; रहने दीजिए हमे नही मालूम क्या औरत और मरद की दोस्ती का एक ही मतलब होता है ?
उन्होने कोई तुम्हे रखी बांधने के लिए दोस्त नही बनाया होगा ?
मदनलाल :: अब तुम तो इतनी शक्की हो क़ि कोई तुम्हे समझा भी नही सकता !
शांति ::: अच्छा ये बताओ आज आप आँख बंद कर के क्यो कर रहे हो क्या सचमुच कोई नई दुल्हन याद आ रही है ?
मदनलाल :: अरे कुछ नही ज़रा नींद आ रही है
बाहर खड़ी कामया ने जब सुना क़ि बाबूजी आँख बंद कर के चोद रहे हैं तो वो समझ गई क़ि बाबूजी ज़रूर हमको याद करके चोद रहे होंगे भला बुढ़िया के चेहरे मे अब क्या रखा है जो उसे देखेंगे ? वो मन मे बुदबुदाई हमारी ही ग़लती थी जो हमने बाबूजी को तडपा दिया और इसी चक्कर मे ये ख़त्म हो चुकी कहानी फिर शुरू हो गई पता नही बुढ़िया फिर से शोकीन ना बन जाए !
शांति की शांत पढ़ चुकी चुत मे कई साल बंद लॅंड ने दस्तक दी थी जिससे उसके पूरे बदन मे अशांति फैल गई !



मदनलाल का महा भयंकर विषधर उसकी चुत मे हाहाकार मचा रहा था जिसके आगे वो ज़्यादा टिक नही पाई और चीख मार कर बहने लगी ! उसकी चीख से कामया का मन खट्टा हो गया जो आज उसका होना था आज वो मम्मी को मिल गया था ! उधर मदनलाल नोन स्टॉप पेले पढ़ा था !
शांति :: अजी आपका नही हुआ क्या ?
मदनलाल :: नही अभी कहाँ हुआ ?
शांति ::: प्लीज़ जल्दी करिए ना अंदर जलन हो रही है !
कामया ने जलन की बात सुनी तो बुदबुदाई जब जलन हो रही है तो क्यों चुदवा रही है बुढ़ापे मे ?
मन मार कर मदनलाल ने भी तेज़ झटके मारने शुरू कर दिए और अपनी मंज़िल मे पहुँच कर हाँफने लगा

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