मेरी जिस्म की भूख-2
चाची की कहानी सुन मैं बोल पड़ा,
"चाची तू तो कहानी सुनाते सुनाते बड़ी गर्म हो गयी. तेरी कहानी ने तो मुझे प्रीति को चोदने का दिल कर रहा है."
चाची ने कहा, "बेटा, प्रीति को तो दीपक ने चुदाने की आदत डाल दी थी. वैसे मुझे बाद मे मालूम चला की दोनो भाई एक दूसरे की बीवियों को चोदते थे.
उसका छोटा भाई विजय भी अपने बड़े भाई की बीवी चाँदनी को खूब चोद्ता था. वो बोलते थे कि स्वाद बदलने मैं ज्यादा मज़ा आता है. मैंने तो 3 साल तक, जब तक वो वापिस अपने गाँव नहीं चले गये, उन दोनो से खूब चुदवाया। तुझसे चुदवाने से वही तो दो मर्द मिले थे
मुझे. छोटे भाई विजय का लण्ड भी अपने बड़े भाई दीपक की तरह सादे 9 इंच लंबा और करीब 4 इंच मोटा था. गाँव-वाले होने के बावज़ूद वह चोदने के मामले में बड़े आधुनिक थे. कई बार जब घर पर सिर्फ़ वो, उनकी बीवियाँ और में अकेली होतीं तो
वो दोनो भाई एक साथ मिल कर मुझे, तेरी माँ को और अपनी बीवियों को चोदते. बड़ा मज़ा आता था. तू इन दोनो में से ही किसी एक का बेटा है. सच कहूँ तो मुझे या तेरी माँ को भी नहीं मालूम कि तू असल में किसका बेटा है, क्योंकि तुझ मैं दोनो के ही गुण है." मैं बोला, "चाची..
इस तरह तो दोनो ही मेरे बाप हुए और साथ में मेरी तो तेरे सिवाये और दो सौतेली चाची माँये हैं.. मुझे तो उनसे भी मिलना चाहिये. अब कहाँ है वो लोग.. क्या तुम्हें उनका अड्रेस पता है."चाची बोली, "हाँ , उनकी चिट्ठियाँ आती रहती हैं. वह तुम्हारे बारे में बहुत पूछते हैं."मैने पूछा, "आपका रिश्ता कैसे शुरू हुआ मेरे असली बापों से."चाची ने
आगे बताना शुरू किया,
"बेटा.. अब तू साथ साथ अपना लण्ड भी तो डाल मेरी चूत में और स्तन भी मूँह में ले चुप चाप चोदते हुए सुनता जा"
मैने अपनी चाची का कहना माना और अपना लण्ड डाल धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किये अपनी चाची की चुदक्कड़ चूत में. सच में 35 की उमर में भी मेरी चाची की चूत एकदम टाइट थी. मेरे हलव्वी लण्ड की वजह से मुझे अपनी चाची की चूत और भी टाइट लगती थी. मेरी चाची नीचे से धक्के लगाते हुए बोली,
"हाय जब से मैं तेरे लण्ड से अपनी चूत चुदवाने लगी, तब से मुझे उनकी और याद आनी शुरू हो गयी है. दोनो भाई में वासना की कोई कमी नहीं थी. मुझे उन्होने बताया की वे इस घर में तेरी दोनो बूआओं और तेरी माँ को तो अक्सर चोदते हैं, यहाँ तक कि तेरी दादी को भी चोदते थे। वो 20 साल की उमर से इस घर में काम कर रहे थे. सबसे पहले उनको तेरी दादी ने चुदवाने का चस्का लगा था, क्योंकि इस खानदान सारे मर्द बड़े छोटे लण्ड वाले थे. कभी अपनी दादी को अपना लण्ड दिखाई-ओ. बड़ी मस्तानी थी तेरी दादी भी."मेरी चाची आगे बोल पड़ी, "उस दिन दीपक और प्रीति को चोदते हुए देख मेरा तो मन दीपक के लण्ड से अपनी चूत की भूख मिटाने के लिये बहुत उतावला हो उठा था. अगले ही दिन मौका देख सफाई के बहाने मैने दीपक को अपने बेडरूम में ऊपर बुलाया. मैने जान-बूझ कर काफ़ी हल्की नाइटी सामने से खुलने वाली पहनी थी और अंदर मैंने ब्रा भी नहीं पहनी थी यानि अन्दर मैं बिलकुल नंगी थी। मेरी निपल्स उसके कमरे मैं आने से पहले से ही टाइट हो उभर कर दिख रहे थे. मैने उस-से सीढ़ी भी मँगाई थी, और कहा की दरवाज़े की ऊपर स्टोर में सफाई करनी है. जैसे ही।उसने बेडरूम मे आ मेरी तरफ देखा, तो उसकी नज़र सीधी मेरे स्तन और निपल्स पर टिकी रह गयीं. मैं भी कुछ देर पहले नहा कर ही निकली थी, इसलिये मेरे बॉल गीले थे और मेरा बदन कुछ गीला होने की वजह से कई जगह पर नाइटी से चिपक कर सॉफ झलक रहा था." उसने अपने आपको संभालते हुए पूछा, "कहाँ साफ़ करना है, छोटी मालकिन."
मैने शरारत भरे अंदाज़ में जवाब दिया,
"साफ़ तो बहुत कुछ करना है, पर वक़्त है क्या तुम्हारे पास."
वो एकदम सकपका गया. मैने उसके सामने कुछ झुक कर अपने पैर की अंगूठी ठीक करने की कोशिश की. जब मैं सीधी हो रही थी, तो मैने चोर आँखों से उसे मेरे स्तन को झाँकते हुए पाया. मैने कहा, "दरवाज़ा बन्द कर दो. तुमहें सीढ़ी लगा कर ऊपर चढ़ना पड़ेगा."
फिर दीपक ने दरवाज़ा बन्द कर दिया. उसने सीढ़ी दीवार से लगाई और मुझसे कहा, "छोटी मालकिन, क्या आप सीढ़ी नीचे से पकड़ सकती हैं. कहीं फिसल न जाये."मैने सीढ़ी पकड़ ली. जब दीपक सीढ़ी पर चढ़ने लगा, तो उसका एक हाथ मेरे स्तन को छू गया. उसके हाथ लगते ही मेरे शरीर में एकदम बिजली दौड़ गयी और मेरे मूँह से एक छोटी सी सिसकारी निकल पड़ी. बड़ा मर्दाना शरीर था उसका और उसके बड़े तगड़े मसल्स थे. मैं अपने स्तन को सीढ़ीओन पर दबा लिया. मैं नीचे बोल पड़ी, "क्या मेरा नाज़ूक सा बदन तुम्हारा वजन सह सकेगा. काफ़ी भारी लगते हो तुम तो."
उसने नीचे देखा और मैने चाहा की वो पूरी तरह मेरे स्तन का नज़ारा लय. उसकी नज़रें मेरे स्तनों आकर अटक गई थीं बोला, "मालकिन, लगता तो नहीं आप मेरा भार न सह सकेंगी."
मेरे मन उसके लण्ड का नज़ारा करने को हो रहा था. मेरे मन में एक ख्याल आया. मैने सीढ़ी पकड़ने के बहाने उसकी धोती का नीचे के हि्स्सा अपने हाथ और सीढ़ी के बीच दबा दिया. वो जैसे ही ऊपर की तरफ हुआ, तो मेरे हाथ के नीचे धोती फँसी होने के कारण, उसकी धोती खुल कर मेरे कंधों पर आ गिरी. अब वो सिर्फ़ एक कच्छे और बनियान में सीधा मेरे ऊपर खड़ा था. मैने ऊपर मुँह उठा कर देखा तो कच्छा काफ़ी खुला होने के कारण उसका लंबा लण्ड साफ खड़ा दिखाई दे रहा था. यह नज़ारा देख कर तो जैसे मेरा मन किया, झपट कर उसका लण्ड कच्छे से निकाल लूँ। वो मुस्कुराते हुए नीचे देखता हुआ उतर रहा था.उसने कहा,-
"मैं नीचे उतार रहा हूँ. ज़रा संभाल कर पकड़िएगा."
मैं सीधी हो सीढ़ी को दोनो हाथ से पकड़ कर एकदम सीढ़ी के सामने खड़ी हो गयी. अब वो मेरी तरफ मुँह कर धीरे धीरे उतरने लगा था. जैसे ही उसका लण्ड वाला हिस्सा मेरी माथे को छूते हुए मेरे मुँह के सामने आया, तो वो एकदम रुक सा गया. उसका लंबा लण्ड अब मेरे मुँह को छू रहा था, और मेरी नज़रें एकदम उस पर टिकी हुई थी. मैने धीरे से उसके लण्ड को अपने गाल से रगड़ दिया. वो एकदम से आगे की तरफ
हिला. और वो सीढ़ी से फिसल गया और सीधा मेरे सामने आ टपका, लड़खड़ाया, सम्भलने की कोशिश में उसके हाथ मेरे कन्धों पर पड़े। मैं भी लड़खड़ायी और सम्भलने की कोशिश में मैने अपनी बाहों से उसकी कमर पकड़ने की कोशिश की और वो मुझे लिये दिये ज़मीन पर गिर पड़ा. मेरी सामने से खुलने वाली नाइटी के दोनो पल्ले खुल गये अन्दर मैं बिलकुल नंगी थी ही। अब हम दोनो ज़मीन पर पड़े हुए थे, और वो मेरे ऊपर पड़ा हुआ था. उसके हाथ मेरे स्तनों पर टकराये और उसके लण्ड का सुपाड़ा मेरी चूत के मुँह पर टकरा के एक पल को टिक गया था. मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली। मेरी चुदासी चूत रुक न सकी और अपने आप ही ऊपर नीचे होने लगी.
इशारा समझ उसने अपने फ़ौलादी लण्ड का सुपाड़ा मेरी फ़ुदकती चूत के मुहाने पर लगा कर मेरे बड़े बड़े स्तनों को दबाते हुए धक्का मारा, पक की आवाज के साथ सुपाड़ा अन्दर घुस गया मेरे मुँह से सिसकी निकली अब वो अपने होंठ मेरे होंठों पर रख चूसने लगा. जल्दी ही मेरी फ़ुदकती चूत ने पूरा लण्ड अन्दर कर लिया। फिर वो रह कर मेरे स्तन दबाने लगा और धीरे धीरे मेरे गले को होठों से चूमता हुआ अपने बड़े मुँह में मेरे एक निपल के साथ स्तन का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा, लेकर चूसना शुरू किया. मैने उत्तेजना में ज़ोर से उसके बॉल नोच दिये।मैं बोल पड़ी,-
"मुझे भी प्रीति की तरह दीवार पर लगा अपने घोड़े की सवारी करवा न."
वो एकदम शॉक होकर बोला,
"अरे ! छोटी मालकिन आप को कैसे मालूम."
मैने शरारत भरे अंदाज़ मैं कहा,
"मैने तुम्हें अपनी भाभी प्रीति को चोदते हुए देखा है. तुम्हारा बहुत बड़ा लण्ड है, जबसे देखा रहा नहीं गया. तुम तो अपनी भाभी को भी नहीं छोड़ते। बड़े कमीने हो. वैसे उस बेचारी का भी कोई दोष नहीं. तुम्हारा तो लण्ड ही काफ़ी भारी भरकम. एक बार अंदर जाये तो किसी को भी मज़ा आ जाये."
उसने बे झिझक जवाब दिया,
"बड़ा तो मेरे भाई का भी है, पर हम दोनो ही एक दूसरे की बीवियों को चोदते हैं. स्वाद बदल जाने से ज्यादा मज़ा आता है. वैसे हम आपकी दोनो ननदों और बड़ी मालकिन (तेरी माँ) को तो अक्सर चोदते हैं, पहले आपकी सास (तेरी दादी) को भी खूब चोदते थे अब उमर ज्यादा हो जाने से वो कभी कभी ही चुदासी होती हैं पर जब भी चुदासी होती हैं चुदाती खूब मस्त हो के हैं। क्योंकि आपके इस खानदान में सारे मर्दों का बहुत छोटा है."
मेरे मुँह से निकल पड़ा,
"है.. है.. तुम तो बड़े बे-शर्म लोग हो. तुम्हारे पास कुछ भी चलता है." उसने कहा,
"मालकिन, इस मे शरम की क्या बात, जब दोनो का भला हो रहा हो. इस तरह तो क्या मैं भी आपको बेशर्म नही कह सकता, क्या ? पर मुझे पता है, आपका मर्द आपकी भूख नहीं मिटा सकता."मैने कहा, "यह बात तो तुमने पते की कही.. चलो.. आज मेरी भी प्यास बुझा दो.."
फिर उसने तरह तरह से चोदा।
पहले उसने मुझे दीवार पर लगा कर। फिर अपने ऊपर बिठा कर और फिर पीछे से चौपाया बना के। तीन बार चोदा. बस उस दिन के बाद तो दोनो भाइयों ने मिल कर हम दोनो देवरानी जिठानी को लण्ड की कमी न होने दी। . एक साल बाद मेरी जिठानी के घर तू पैदा हो गया. जिठानी ने पूरा ध्यान रखा कि की तू उन्हीं दोनो में से एक से पैदा हो, ना कि तेरे बाप के चोदने से . चाची ने मुझसे कहा,
"अब समझा तेरे बाप का लण्ड छोटा होने के बावज़ूद तेरा लण्ड क्यों इतना बड़ा है.बहुत हो गयी कहानी अब मुझसे रहा नहीं जा रहा।"
कहकर अचानक चाची ने एक झटके से मुझे पलट दिया और मेरे ऊपर चढ़ गयी। मेरे लण्ड को पकड़कर सुपाड़ा चूत पर धरा और दो ही धक्कों में पूरा लण्ड चूत में धंसा लिया सिसकारियॉं भरते हुए अपने होंठों को दांतों में दबाती हुयी चूतड़ उछाल उछालकर धक्के पे धक्का लगाने लगी। उनके बड़े बड़े उभरे गुलाबी चूतड़ मेरे लण्ड और उसके आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे उनकी गोरी गुलाबी बड़ी बड़ी उभरी चूचियां भी उछल रही थी जिन्हें मैं कभी मुंह से तो कभी दोनों हाथों से पकड़ने की कोशिश करता कभी पकड़ में आ जाते तो कभी उछल कूद में फिर से छूट जाते। मैं उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे उछलने जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचने बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों पर झपटने सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारने के बाद मैंने दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी उभरी चूचियां पकड़कर एक साथ मुंह में दबा ली और उनके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉसकर झड़ने लगा तभी चाची के मुँह से जोर से निकला-
"उहहहहहहहहहहह "
वो जोर जोर से उछलते हुए अपनी पावरोटी सी फूली चूत में जड़ तक मेरा लण्ड धॉंसकर और उसे मेरे लण्ड पर बुरी तरह रगड़ते हुए वो भी झड़ने लगी और फ़िर हम दोनो चाची भतीजे पस्त हो एक दूसरे से लिपट कर सो गये. और उस दिन के मैं अपने असली बापों और अपनी गर्म सौतेली माओं से मिलने के सपने देखने लगा।
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Raj Sharma
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