मेरी जिस्म की भूख
मेरे गांव में स्कूल नहीं था सो मैं पास के शहर में अपनी एक चाची के पास रह कर पढ़ता था। मेरी चाची बहुत ही सेक्सी है। मैं जब 15 साल का था तभी से वो मुझसे चुदाने लगी थी। वैसे वे बचपन से मेरे लण्ड की खूब मालिश करते हुए हमेशा बोला करती थी कि मैं नहीं चाहती की तेरा लण्ड तेरे बाप दादों की तरह छोटा रह जाये। पर मेरे दोस्त कहते कि जरूर तेरे बाप का लण्ड बहुत बड़ा होगा तभी तेरा लण्ड इतना लंबा और मोटा है। पर मेरी चाची हमेशा कहती की बाप दादों में किसी का लण्ड 5.5 इंच से ज्यादा नहीं था। मैं कुछ समझ नही पा रहा था।
सो एक दिन जब मैं चाची के पास लेटा उनकी दूध सी सफ़ेद बड़ी चूचियाँ दबा कर उन्हें चुदाई के लिए गरम कर रहा था, मैंने उत्सुक हो अपनी चाची से पूछ ही लिया-
"चाची मेरे दोस्त कहते हैं की तेरा लण्ड ज़रूर तेरे बाप की वजह से इतना लंबा और मोटा होगा। पर आप तो कहती हैं की मेरे पूरे खान्दान में किसी का लण्ड 5.5 इंच से ज्यादा बड़ा नहीं था।"
तब अपनी बायें स्तन का निपल मेरे मुँह में डालते हुए उन्होंने कहा-
"उह...छोड़ फ़ालतू बातों को। ले चूस और मस्ती कर।"
मैने बायां निपल चूसते हुए और दायें स्तन सहलाते हुए आगे पूछा-
"आखिर आपको कैसे पता कि मेरे सारे बाप दादों के लण्ड इतने छोटे थे।"
तब उत्तेजना से सिसियाते हुए हारकर उन्होंने बताया-
" इस्स्स्स आह बेटा! ये इसलिए क्योंकि मैं तेरे उन बाप चाचा ताऊ इत्यादि सबसे चुदवा चुकी हूँ।"
ये सुनते ही मैंने और जोर से निपल चूसना और दायें स्तन की घुन्डी सहलाना शुरू कर दिया। उत्तेजना से पागल चाची ने सिसियाते आगे बताया-
"इस्स्स्स आह उइइईई अम्म्म्म आआ हाँ शैतान ! पर तेरे दोस्तों की ये बात भी भी सही है कि तेरा लण्ड तेरे बाप की तरह लंबा और मोटा है. क्योंकि मैंने तुझसे यह बात नहीं बताई, कि तू मेरे जेठ का बेटा नहीं है. तेरा असली बाप मेरा जेठ नहीं था."
मैने घुन्डी मरोड़ते हुए पूछा-
"यही तो मैं जानना चाहता हुँ कि आखिर आपको कैसे पता और फिर मेरा असली बाप आखिर कौन है?"
चाची ने कुछ हिचकिचाते हुए कहा-" इस्स्स्स आह बेटा, तू बुरा तो नहीं मानेगा अगर मैं तुझे सच बता दूँ , मैने यह बात बहुत सालों से छुपा रखी थी। "
मैंने कहा, -
"नहीं चाची बिल्कुल नहीं, बल्कि मुझे आज यह बात जानकर अच्छा लगा कि मैं एक बड़े लण्ड वाले बाप का बेटा हूँ। उसी बड़े लण्ड की वजह से आज सब मेरी इतनी कदर करते हैं और इतनी सारी औरतों और आपको भी खुश रखता हूँ।"
चाची बहुत खुश हुई और बोल पड़ी,-
"शाबाश बेटा! इस्स्स्स आ~ह इस्स्स्स आ~ह मैं तुझे सब कुछ बताऊँगी। देख! तेरी माँ मेरी बहन थी तो सो मैं झूठ नहीं बोलूँगी। पर तू ये जो इतनी देर से चूँचियों और मेरे बदन से खेल रहा है इससे मै बेहद चुदासी हो गई हूँ सो पहले अपना ये लण्ड मेरे चूत जल्दी से डाल। तेरे हलव्वी लण्ड से चुदाते हुए मैं तेरे असली बाप के हलव्वी लण्ड की याद अपने दिमाग मे ताज़ा करते हुए अच्छी तरह से बता सकूँगी। इससे मेरा मजा भी दुगना हो जायेगा और कहानी सुनते हुए चोदने में तुझे भी ज्यादा मजा आयेगा। मैंने और तेरी माँ ने उससे खूब चुदवाया था।" मैने कहा, -
"चाची, मेरा लण्ड तो आपका ही है. आप के कारण ही तो आज यह इतना बड़ा हुआ है, आप अगर बचपन से इसकी मालिश ना करती तो आज मुझे इतना मज़ा ना आता." चाची ने कहा, -"नहीं बेटा, तेरे लण्ड के बड़े और लम्बे होने का राज़ सिर्फ़ मेरी मालिश नहीं है, बल्कि तेरे असली बाप के लण्ड का बड़ा होना भी है. मैंने तो सिर्फ़ इतना चाहा की तेरा उससे भी बड़ा हो, ताकि मेरी और बड़े लण्ड चुदवाने की इच्छा पूरी हो." मैने बड़ी उत्सुकता से पूछा,
"कितना बड़ा था मेरे बाप का लण्ड ?"
चाची बोली, -
"उनका लण्ड सादे 9 इंच लंबा और सादे 3 इंच मोटा था. पर देख आज 18 साल की उमर में ही तेरा 10 इंच लंबा और 4 इंच मोटा हो गया है. कुछ तो मेरी मालिश का असर है चल मेरे कपड़े उतार।"
मैने चाची का चुट्पुटिया वाला ब्लाउज खींच कर खोल दिया और उनके बड़े बड़े 38"के स्तन थिरक कर पूरी तरह आजाद हो गये। अपने हाथ से निपल मेरे मुँह मे दे कर बोली,-
"अब तू इ्न्हें चूसते हुए सुन, मैं तुम्हें अपनी और तेरे असली बाप की कहानी सुनाती हूँ."
और यह कहते हुए उन्होने मुझसे भी कपड़े उतारने को कहा। अब मैं भी अपने कपड़े उतार चाची के स्तन का निपल अपने होठों मे दबा नंगा चाची से लिपट गया. मैने उनके पेटीकोट का नारा खीच दिया उनकी मोटी मोटी चिकनी गुलाबी जांघों भारी नितंबों से पेटीकोट नीचे सरक गया. मेरा लण्ड उनकी चूत से सट रहा था. उनकी मोटी मोटी नर्म चिकनी जांघों भारी नितंबों को दबोचने टटोलने लगा। मैने झुक कर दोनो हाथों से उनके तरबूज जैसे स्तन थाम लिये और निपल्स को चूसना शुरू कर दिया. वो बोली,
"इस्स्स्स आ~ह इस्स्स्स आ~ह मेरी शादी सिर्फ़ 18 साल की उमर मैं हो गयी थी. तेरे चाचा की उमर ऊस वक़्त 21 की थी. उनकी नौकरी सेल्स में होने की वजह से वह महीने मैं 2 हफ्ते तौर पर रहते. ऊस वक़्त परिवार मैं तेरे दादा, दादी, मेरे जेठ चाचा, 2 छोटी बुआ और घर में 4 नौकर हमारे साथ रहती थे. हनिमून से वापस आते ही तेरे चाचा अपने काम में बिज़ी हो गये. मैने अपनी शादी के बाद चुदाई के सपने देखे थे. पर तेरे चाचा ने जब सुहाग रात के दिन मुझे चोदा, मुझे बिल्कुल मज़ा नहीं आया. वो तो 10 मिनिट में ही अपना लण्ड मेरी चूत में अंदर बाहर कर झड़ कर सो गया, और मैं रात भर तड़पती रही..."
फ़िर वो बीच अचानक मुझसे बोल पड़ी,
"बेटा, ज़रा अपना लण्ड मेरी चूत के ऊपर रगड़, बहुत खुजली
हो रही है."
मैंने बायें हाथ से चाची की पावरोटी सी चूत के मोटे मोटे होठ फ़ैलाये और दायें हाथ से चूत के मुहाने पर अपने लण्ड का सुपाड़ा धीरे धीरे रगड़ने लगा तो उनकी सिसकारियाँ और सासे लंबी होने लगी। उन्होंने सिसकते हुए अपनी कहानी आगे बढ़ाते हुए कहा,
"इस्स्स्स आ~ह उइइईई अम्म्म्म आआ~~हाँ शैतान ! फिर हनिमून से लौटे 2 हफ्ते हो गये. तेरे चाचा अपने काम में बिज़ी मेरा कोई ध्यान ना रखता. हमारे घर पर 2 नौकेर और 2 नौकरानियाँ रहती थीं। वे सब हमारे घर के पिछवाड़े सर्वेंट क्वॉर्टर्स मे रहते थे. वैसे तो दोनो ही नौकर काफ़ी जवान थे और दोनो भाई थे. वो सब बिहार के रहने वाले थे और सब लोग ऊनसे एकदम घरवालों की तरह वार्ताव करते और वो मुझे छोटी बहू कहते. दोनो ही शादी-शुदा थे और उनकी बीवियाँ हमारे यहाँ ही नौकरानी को काम करती तीन. उन-मैं से बड़े का नाम दीपक था, जिसकी बीवी का नाम चाँदनी था, और छोटे का नाम विजय था, जिसकी बीवी का नाम प्रीति था. दिखाने में कुछ गहुआईन रंग की तीन उनकी बीवियाँ पर बड़ी सेक्सी थी और हमेशा साड़ी पहना करती थी. उनकी बीवियाँ जायदातर किचन मैं काम करती और वो दोनो घास काटने और घर की सफाई करते थे और धोती पहना करते थे. दीपक करीब 33 साल का था और विजय करीब 31 साल का था. उनकी बीवियाँ चाँदनी करीब 27 की तीन और प्रीति 26 साल की थी। मेरे कमरे की बाल्कनी से उनके क्वॉर्टर्स और उनके अंदर साफ दीखाई देता था. मैं हर रोज़ सुबह नहाने के बाद अपने लम्बे बॉल सूखाने बाल्कनी पर खड़ी रहती थी. एक सुबह जब मैं अपने बॉल सूखा रही थी, तो मेरी नज़र दीपक और चाँदनी के रूम के रोशनदान पर गयी, मुझे अंदर का नज़ारा एकदम साफ दिखाई दे रहा था. दीपक जो की बड़ा भाई था, अपने छोटे भाई की बीवी प्रीति के बड़े बड़े स्तन ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था. खिड़की और दरवाज़ा एकदम बँद था. प्रीति भी दीपक के बाज़ू जो की काफ़ी स्ट्रॉंग थे, उन्हें ज़ोर ज़ोर से दबा रही तीन. प्रीति के स्तन दीपक की पत्नी से बड़े थे और करीब करीब मेरे साइज़ के थे. कुछ देर बाद दीपक ने अपनी भाई की बीवी प्रीति को एकदम नंगा कर खुद भी नंगा हो गया. अब प्रीति ने दीपक को दीवार की तरफ ढकले दिया और नीचे झुक कर उसका लण्ड अपने हाथों मे दबोच
लिया. जब प्रीति ने दीपक को दीवार की तरफ धकेला तो मुझे सिर्फ़ दीपक का लण्ड दिखा। दीपक के लण्ड का साइज़ देखा तो मेरे बदन में एक सुरसुराती हुई लहर दौड़ पड़ी और मेरा हाथ खुद ब खुद चूत पर चला गया. दीपक का लण्ड प्रीति के दोनो हाथों में भी ठीक से नहीं आ रहा था. मेरा नज़र सिर्फ़ उसके लण्ड पर टिकी रह गयी जो की करीब सादे 9 इंच लंबा और सादे 3 इंच मोटा दिखाई पद रहा था. मैने खड़े खड़े ही अपने लम्बे बॉल जो की मेरी चूत तक आ रहे थे, सामने कर एक हाथ सलवार के ऊपर से ही चूत पर रगड़ने लगी. फिर कुछ देर बाद दीपक ने अपने छोटे भाई की बीवी प्रीति को दीवार से लगा कर उसे अपने दोनो हाथ उसके चूतड़ों के नीचे रख उसे गोदी में उठा लिया और अपना लण्ड नीचे से प्रीति की चूत मे डाल दिया. प्रीति ने भी ज़ोर से अपने जेठ को ज़ोर से पकड़ अपनी चूत को उसके लण्ड पर नचाना शुरू कर दिया. वो ज़ोर ज़ोर से अपनी उंगलियाँ उसकी पीठ मे घुसा रही थी और मज़ें मे अपना सिर इधर-उधर हिला रही थी. उसके लम्बे बॉल इधर-उधर हिल रहे थे तो उसका चेहरा बिल्कुल नहीं नज़र आ रहा था. कुछ देर बाद प्रीति नीचे उतर आई और दीवार की तरफ अपना मूँह कर अपनी चूत दीपक की तरफ कर झूक गयी. मैने देखा दीपक ने अपना पूरा ताना हुआ लण्ड हाथों मे पकड़ प्रीति की चूत में पीछे से लगाकर अंदर धकेलता हुआ उसकी पीठ अपने हाथों से रगड़ने लगा. और कुछ देर बाद उसने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये. और मैने देखा की प्रीति भी मज़े ले ले कर अपने चूतड़ हिला रही थी. कुछ देर बाद दोनो झड़ गये। वो दोनो सीधे हो एक दूसरे को चूमने चाटने लगे. दीपक वहशैयिओं की तरह उसके बालों के एक हाथ से खीच दूसरे हाथ से उसके स्तन दबा रहा था. फिर कुछ देर बाद वे मेरी आँखों से ओज़ल हो गये. मैं बाल्कनी से हाथ कर अपने बेडरूम की खिड़की पर जा पहुँची. वहाँ से मैने ऊन दोनो को देखा तो मुझे वो दोनो फिर नज़र आये. वो दोनो इस वक़्त बिस्तर पर लेटे हुए थे, और प्रीति दीपक के ऊपर सीधी बैठी थी और अपने चूतड़ हिला रही थी और दीपक नीचे से अपने चूतड़ों को ऊपर ढकेल रहा था. उन्हें देख मेरी चूत में खुजली शुरू हुई और मैने अपनी सलवार का नाडा खोल दिया और चड्ढी के अंदर हाथ डाल अपनी चूत में अपनी उंगली डाल अंदर बाहर करने लगी. एक हाथ से अपने स्तन अपने सूट के ऊपर से दबाने लगी थी. कुछ देर बाद दीपक ने प्रीति को पीछे की तरफ ढ्केल उसके ऊपर चढ गया और फिर से धक्के लगाने लगा. और झुक कर प्रीति के स्तन दबाने लगा. मेरी उंगली मेरी चूत में तेजी से अंदर बाहर जाने लगी थी. कुछ देर बाद जब दोनो झड़ गये तो दीपक ने अपना भारी-भरकम लण्ड बाहर निकाल लिया. उसका इतना भारी-भरकम लण्ड देख मेरी चूत झड़ गयी और मेरी उंगलियाँ भीग गयीं. मैंने भाग कर बाथरूम मे जा अपने आप को साफ कर जब खिड़की पर वापस आई तो देखा प्रीति कपड़े पहन अपने रूम के दरवाज़े से अपने रूम मे घूस रही थी. और दीपक भी बगिया में फूलों को पानी दे रहा था. बस उस दिन के बाद, मेरी जिस्म की भूख ने मुझे दीपक के लण्ड को अपनी चूत मैं डलवाने के लिये आतुर कर दिया
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Raj Sharma
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