Thursday, April 16, 2015

FUN-MAZA-MASTI पापा प्लीज........28

FUN-MAZA-MASTI

 पापा प्लीज........28



रात्रि भोजन के बाद कनक,तमाचा और रूपा तीनो फेसबुक पर आ धमकी... तमाचा तो पहले से ही मूड बना रखा था कि रूपा से मजे लेने हैं फेसबुक पर ही... बात बनी तो आमने सामने भी हो जाएगी...

उधर रूपा पहले तो हल्की फुल्की बात की पर जैसे ही तमाचा पहला कदम बढ़ाया कि रूपा दो कदम पीछे...कनक की तरफ से बस हंसी की स्माइली आ रही थी...रूपा ग्रुप में रहने के बाद भी ना के बराबर थी...

तमाचा लाख कोशिश किया कि रूपा सपोर करे,कुछ बात करे पर निराशा ही हाथ लगा... तमाचा गुस्सा भी हुआ पर कर भी क्या सकता था... बस कनक को गालिया सुनाने लगता... वो भी कम नहीं थी, एक के बदले चार सुनाती...

सामने होती तो ना डर रहती कि कहीं वो पेल ना दे... हार कर तमाचा नॉर्मल पर उतर आया तो रूपा भी भुक्क से हाजिर हो गई जवाब के साथ... तमाचा का खून तो मानो नस के बाहर दौड़ने लगी... खड़ा लंड को पाला जो मार दिया था... 

इन सब के दौरान ही इन सब की नजर उस लड़के की आई.डी. पर पड़ी जो अब ऑनलाइन आया था... तमाचा खटाक से उसे इनबॉक्स में अपना छोड़ दिया,"हे ब्रो, तेरी प्रोफाइल तो मस्त है..."

तारीफ किसे नहीं पसंद होती, वो लड़का भी अपनी तारीफ सुन फूला नहीं समाया और सीना चौड़ा करते हुए "थैंक्स " भेजा... इतने में तमाचा दोनों को दोनों को आपस में बात करने बोल उस लड़के से लग गया...

पहले तो हल्की फुल्की बात किया फिर तमाचा लम्बी वाली गली से अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते हुए पूछा,"हे, तुम्हारी फ्रेंड तो काफी मस्त मस्त है, एकाध से हमें भी मिलवाओ ना..."

लड़का स्माइली देते हुए,"हाँ, मुझे लड़कियो से दोस्ती काफी पसंद है..."

तमाचा,"सिर्फ दोस्ती या और कुछ भी..."

लड़का,"क्या यार, अब इतना भी फायदा नहीं मिलेगा तो दोस्ती किस काम की..."

तमाचा,"ग्रेट यार... इतने सारे में से एक दो की हमें भी तो दिलवा दो..."

लड़का,"दिलवा तो देता पर थोड़ा रिस्क है..."

तमाचा के चेहरे पर हंसी आ गई कि मामला पट रहा है...तमाचा,"यार बिना रिस्क का मजा क्या... वो तू मुझ पर छोड़ दे... बाकी अगर खर्चा पानी लगेगा तो भी मैं मैनेज कर लूंगा..."

लड़का,"हम्म्म्म...कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या जो बर्दाश्त नहीं कर पा रहे..."

तमाचा दिमाग का भी इस्तेमाल कर रहा था... वो कोई भी जवाब ऐसे नहीं देना चाहता था कि उसे कुछ गड़बड़ लगे...तमाचा,"यार इतना बदसूरत और चवन्नी छाप तो हूँ नहीं कि ना हो...है एक पर शाली प्रपोज दिन से ही रट लगा कि शादी के बाद... दिखने में मस्त है तो छोड़ नहीं पा रहा.. शायद शादी भी हो जाए क्योंकि वो भी हमें छोड़ती नहीं..."

उस लड़के ने तमाचे की बात के जवाब में ढ़ेर सारी हंसी की स्माइली सेंड कर दिया... तमाचा भी मुस्कुरा दिया कि शाला, बात में तो उलझ गया...और उलझेगा कैसे नहीं बेटा,आखिर नेता का बेटा हूँ...

लड़का,"फिर तो सोचना पड़ेगा कुछ तेरे लिए..."

तमाचा तो इसी बात का इंतजार कर रहा था...तमाचा,"प्लीज यार, किसी से भी टांका भिड़वा दे ना...देख अभी भी शाला पूरा तैयार है..."

लड़का,"हम्म्म...मैं तुझे एक नम्बर देता हूँ...ठीक है...तू उस पर कॉल करना... वो तुम्हें तुम्हारी पसंद की लौंडिया दिला देंगे..."

तमाचा,"थैंक्यू यार...मैं तुम्हारा जिंदगी भर अहसान रहूँगा..."

लड़का,"ना भाई, एहसान की जरूरत नहीं है...बस वो जितना कहेंगे, उतना जेब ढ़ीली करना होगा..."

तमाचा,"उसकी फिक्र मत कर भाई...मेरा बाप पैसा छापता है मेरे लिए टक टका टक... अच्छा भाई अब जल्दी से नम्बर दे दे..."

लड़का,"ओके यार देता हूँ पर अभी नहीं कल करना होगा...आज वे शहर में नहीं हैं... कल आएंगे... तुम्हारे ही शहर के हैं...मैं तो काफी दूर हूँ तुम्हें तो पता ही है..."

तमाचा,"हाँ यार, पता है...माल कड़ाका देने बोलना यार..."

वो लड़का स्माइली से हंसता हुआ बोला,"उसकी फिक्र मत कर यार... बस एक बात का ख्याल रखना होगा कि तुम अपनी पहचान सही बताना..."

तमाचा कुछ आश्चर्य से पूछा,"हाँ यार बता दूँगा पर ऐसा क्यों?"

वो लड़का कुछ चुप रहा फिर बोला,"देख भाई बुरा मत मानेगा तो बताऊंगा..."

तमाचा,"नहीं यार, अब तुम मेरे दोस्त हो तो दोस्त की बात का क्या बुरा मानना..."

वो लड़का,"बात दरअसल ये है कि उनके सम्पर्क में हर तरह की लड़की है...बाजारू से लेकर घरेलू तक... तो जाहिर है घरेलू में कोई ऐसी भी हो जो तुम्हारे क्लोज हो तो ऐसे में अगर सही पहचान बता दोगे तो वो क्लोज से हट के माल दिलाएंगे...समझ रहे हो ना..."

तमाचा ना समझे, नामुमकिन ही था... वो तुरंत बोल दिया,"समझ गया यार...तुम उसकी चिंता मत कर...बस कोई घरेलू माल की जुगाड़ लगाना..."

लड़का,"ठीक है फिर...ये ले नम्बर **********...और इनको मैं बोल दूँगा... फिर तुम्हें उनके बताए जगह पर पहुंच जाना...ठीक है..."

तमाचा नम्बर एक अलग कागज पर जल्दी से नोट किया और फिर पूछा,"इनका नाम क्या है..."

लड़का,"आर.जे....पर वो सब मैं कर दूंगा...तुम्हें ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी... बस जब मैं तुम्हें कहूँ तू इनको फोन करना और इनके बताए जगह पर माल ले के पहुँच जाना मस्ती करने...ठीक है.."

तमाचा,"ठीक है भाई, थैंक्यू दोस्त...तुमने मेरे लिए इतना कुछ किया..."

लड़का हंसता हुआ इट्स ओके कहा और नींद आ रही कहता हुआ ऑफ हो गया...


तमाचा वापस कनक रूपा की ग्रुप में आया तो वहाँ काफी देर से सन्नाटा पसरा था...तमाचा दो तीन बार जब हाय हाय चिल्लाया तो कनक जवाब दी...

तमाचा,"भोसड़ी कहाँ बूर चुदवा रही है..."

कनक,"कुत्ते, रूपा भाग गई तो अकेली अचार डालती क्या यहाँ...कुछ मालूम चला..?"

तमाचा,"और नहीं तो क्या...तुम्हारी तरह थोड़ी ना हूँ जो नहीं मालूम पड़ेगी...रूपा भागी क्यों..?"

कनक,"क्या-२ ..कौन है वो..."कनक बेसब्री से पूछ बैठी...

तमाचा,"पता नहीं पर कल पता लग जाएगा...अभी बस नम्बर मिला है... आर.जे. नाम है इस भड़वे का... "

कनक,"नम्बर है तो अभी कॉल कर के देख ना..."

तमाचा गुस्से का स्माइली देते हुआ टाइप किया,"मादरचोद तू रंडी सब प्लान करती तो ठीक ठाक है पर जल्दबाजी कर मां बहन चुदवा लेती है... स्टेप से चल ना... तब तो सक्सेस होगी..."

कनक,"अच्छा अच्छा ठीक है... क्या प्लान है फिर..."

तमाचा अब नॉर्मल होता हुआ बोला,"हम्म्म्म...प्लान कुछ नहीं है... कल इससे बात होगी तो कोशिश करूँगा पहले मिलूँ किसी तरह..."

कनक कुछ आश्चर्य और कुछ उत्सुकता से पूछी,"शाले तुम्हें लगता है कि वो मिलेगा..."

तमाचा,"भोसड़ी नहीं मिलेगा ऐसे मुझे भी पता है... इसलिए तो चोदने का कार्यक्रम भी फिट किया हुँ...बहनचोद तुम दोनों की वजह से आज पहली बार पैसे दे कर चोदने के लिए राजी हुआ हूँ...और वो पैसे तुम दोनों देगी समझी ना..."

कनक की हंसी निकल आई फिर वो बोली,"शाले झूठ क्यों बोलता है...मैं खुद कई बार तेरे से पैसे ली हूँ..."

तमाचा,"अबे रंडी ठीक से याद कर... तीन दिन फ्री में चोदा था पहले... चौथी बार तुम रोने लगी थी कि मुझे पैसों की जरूरत है...हेल्प कर दो कुछ...तब हेल्प किया था कॉलेजफ्रेंड सोच कर... बूर के पैसे नहीं दिए थे..."

कनक,"अच्छा छोड़ो उन बातों को...अब नींद आ रही है...सोने जा रही हूँ...कल मिलते हैं..."

तमाचा मैसेज पढ़ते ही तेजी से टाइप करता हुआ सेंड बटन दबाया,"रूक भोसड़ी, रूपा क्यों भागी...ये तो बता..."

कनक पहले तो हैप्पी स्माइल दी फिर बोली,"भागी क्यों..? तूने गरम गरम बातें कह दी तो बेचारी गीली हो गई तो चली गई बी.एफ. से बात करने..."

तमाचा,"भोसड़ी रूपा कहीं की... शाली बी.एफ. से पेलवाती है और मुझे सटने तक नहीं देती...अच्छा कल मिल फिर बताता हूँ..."

अब कनक गुस्से से भरती हुई बोली,"कुत्ते, लिमिट में रह...वो तेरी तरह नहीं है जो कहीं भी मुंह मारे.. एक बी.एफ. है और उससे अभी तक सिर्फ बात ही करती है... तू उसे कुछ नहीं करेगा और ना कुछ पूछेगा...समझे..."

तमाचा,"हम्म्म्म...ठीक है...ठीक है..नहीं कहूँगा...पर यार एक बार दिलवा देना उसकी...बड़ी मन करता है उसे हमच्च के करने को..."

कनक,"शाले मैं नहीं दिलवाऊंगी...उसकी मर्जी हुई तो खुद दे देगी...पर इतनी बात याद रखना हमेशा अभी उसे कुछ भी ज्यादती मत करना...नहीं तो वो क्या, मैं भी बात तक नहीं करूंगी तुझसे..."

तमाचा,"शाली भड़कती क्यों है... वो दो चार बच्चे कर भी ले फिर देगी तो भी चलेगा...मैं अभी ही दिलवाने की थोड़ी कह रहा हूँ..."

कनक इस मैसेज की जवाब ढ़ेर सारी हंसी स्माइली से देती है...फिर टाइप करती है,"चल ठीक है...इतनी बेसब्री है तो कभी ना कभी दे ही देगी...चल बाय... सोने जा रही हूँ..."

तमाचा भी हैप्पी स्माइली के साथ गुड नाइट विश किया और ऑफलाइन हो गया... ऑफ होते ही तमाचा बाथरूम जा कस के मूठ मारा फिर सोया...

उधर रूपा तो सच में तमाचे की बात से काफी गरम हो गई थी... आखिर कैसे ना होती...एक तो भरपूर उफान मारती यौवन, जिनसे रूपा के तन पर के कपड़े पल पल दुआई मांगते कि प्लीज, आज भर छोड़ दो...

और साथ में कनक की किस, मसलन, मस्ती...याद आते ही रूपा तड़प सी उठती... काश, कोई मजबूत बांहें आए और कुचल कर रख दे मेरी जवानी को...बेचारी पर क्या कर सकती थी... अभी तक दिमाग जो काम कर रही थी...

फेसबुक बंद करते ही रोहन को फोन लगा दी...रोहन कई बार फोन बजने के बाद रिसीव किया तो सॉरी कहता हुआ बिजी होने की बात बोला...रूपा तो उखड़ सी गई कि इतनी रात गए कहाँ बिजी थे...

रोहन खैर कुछ ही पलों में अपनी मीठी बातों से रूपा को शांत कर ही लिया... और साथ ही एक चुंबन की मांग कर बैठा... रूपा ना नुकुर करने लगी, पर सच तो ये थी कि वो अगर सामने होता तो सब कुछ दे देती...

रूपा कई बार ना ना कहती हुई आखिर मान ही गई और रोहन के अनुमान के ठीक विपरित एक दो तीन चार.... करती हुई ना जाने कितनी किसें बरसा दी... रोहन तो आश्चर्य से भर गया और साथ ही वो रोमांचित भी हो गया... 

और फिर तब से दोनों लग गए...एक बात बोलते और एक किस पास करते... अब तो रोहन की हिम्मत भी बढ़ गई थी... वो किस कहां दे रहा है ये भी कह देता... रूपा भी कहाँ पीछे रहती... 

बात तब तक चलती रही जब तक कि दोनों के शरीर पर कोई बची ना रह गई... दोनों काफी खुल गए थे... और इस तरह बात करने में रूपा कई बार पानी भी छोड़ दी... रोहन बेचारा भी कब तक बचा रहता... वो भी अपने कपड़े भिंगो लिए थे...

दोनों काफी देर तक बातें करते रहे...ना जाने क्या क्या... बात तब बंद हुई जब रूपा को बाहर से कुछ आवाज आई...घड़ी पर नजर दौड़ाई तो तीन बज रहे थे... वो झट से बॉय कहती फोन रख दी...

और कुछ ही पलों में नींद की आगोश में समा गई...सुबह नियत समय पर मम्मी चाय देने आ गई... पर रूपा हिली तक नहीं... चाय रख मम्मी चली गई... नौ बजे करीब रूपा की नींद खुली तो टेबल पर चाय देखी...

वो डांट से बचने की जुगत में ठंडी चाय डकार ली और आँख मलती हुई बाथरूम में घुस गई... फ्रेश हो कर निकली तो किचन में और खुद ही चाय बनाई... और चाय लिए वापस कमरे में...

चाय पीते हुए फोन पर नजर डाली तो कई मिस्ड कॉल थी... नम्बर कनक की थी... रूपा फौरन कनक से बात की... सुबह-२ दो चार आशीर्वाद सुनाती कनक तमाचे की सारी बात कह डाली...

रूपा की आँखें भी चमक गई.... आर.जे. वही नाम तो है जो सीमा भाभी ने बताई थी...
रूपा कनक को बोल दी कि तमाचे को कहना पहले आर.जे. से मिल ले,फिर देखते हैं... कनक भी हामी भर दी...और फिर कुछ इधर उधर की बात कर फोन रख दी...

रूपा कुछ देर तक सोचती रही फिर अचानक ना जाने उसे क्या सूझी डिम्पल भाभी की नम्बर टाइप करने लगी... रिंग होने लगी और कुछ ही पलों में डिम्पल भाभी की हैलो भी रूपा को सुनाई दी...

रूपा को अच्छी तरह याद है कि डिम्पल भाभी ये नम्बर नहीं जानती है तो उसने प्रश्न कर बैठी,"डिम्पल जी से बात हो सकती हैं..?"

डिम्पल भाभी आश्चर्य भरी शब्दों में जवाब दी,"हाँ, मैं ही डिम्पल हूँ...कहिए..." पहली बार डिम्पल भीभी भी रूपा की आवाज नहीं पहचान पाई... डिम्पल की बात पर रूपा की हंसी निकल गई पर किसी तरह दबाती हुई बोली...

रूपा,"ओके, क्या आपके नीचे की बाल साफ हैं...किस करनी है...?"अचानक ऐसी बात सुन डिम्पल भाभी को चक्कर सी आ गई...वो कुछ पल खामोश रही पर अचानक उन्हें कुछ समझ आ गई और हंसती हुई बोली...

डिम्पल,"शैतान रूपा तू....." डिम्पल भाभी द्वारा पहचान लिए जाते ही रूपा खिलखिलाकर हंस पड़ी... डिम्पल भाभी भी रूपा के साथ हंसने लगी... डिम्पल भाभी फिर बोली,"कहाँ रहती है रूपा...आ नऽ मिलने..."

रूपा डिम्पल भाभी की ऑफर सुन बोल पड़ी,"क्यों, सँइया जी नहीं हैं क्या..." रूपा की शरारत शब्द सुन डिम्पल भाभी बोली,"..तभी तो बुला रही हूँ..."

रूपा,"ओके डिअर, मैं अभी आई..." और हंसी के साथ दोनों की फोन कटी और रूपा बाहर निकल गई... रूपा कुछ ही देर में डिम्पल भाभी के गेट पर खड़ी डोरबेल बजा रही थी...

डिम्पल भाभी मुस्काती हुई गेट खोली... गेट खुलते ही रूपा घुसी और बिना कोई पल गंवाए डिम्पल भाभी को दबोचती हुई जकड़ ली और अपने होंठ उनके होंठ से चिपका दी...

डिम्पल भाभी कसमसा सी गई... कुछ पलों की कोशिश के बाद डिम्पल भाभी रूपा के होंठ से आजाद होती हुई बोली,"पहले बैठ तो सही,भाग थोड़ी रही हूँ..."

रूपा अपनी आँख नचाती हुई बोली,"क्या करूँ, ऐसी माल सामने हो तो सब्र ही नहीं होती है ना..." और अपनी बात खत्म होते ही रूपा डिम्पल भाभी की एक चुची भी पकड़ के उमेठ दी जिससे डिम्पल कराह उठी..

डिम्पल भाभी,"बदमाश, जैसे भाई दम निकाल देते हैं वैसी बहन भी है...चल अंदर..." डिम्पल भाभी रूपा को धकेल कर खुद से अलग की और गेट बंद करने लगी... रूपा हंसती हुई भाभी के बेडरूम में जा पसर गई...

बेडरूम में आते ही भाभी के बारे में सोचने लग गई... आखिर भाभी कैसी रहती है खुले दिल से सबके सामने और अंदर ही अंदर कैसे जिंदगी जी रही है... कहीं ऐसा ना हो कि भाभी अपनी मर्जी से सब कर रही है...शायद... पर वो लड़का और आर.जे. तो कुछ अंश ब्लैकमेल की भी बात बोला था...

मतलब ये भी हो सकती है कि पहली बार ब्लैकमेल की गई हो और अब भाभी उनके रंग में रंग गई हो... आखिर ये चीज ही ऐसी ही होती है... मन ही मन रूपा ठान लेती है कि सच्चाई तो जरूर पता करूंगी...

तब तक डिम्पल भाभी अंदर आ गई और आते ही रूपा पर चढ़ सी गई और अपने दोनों हाथ रूपा की चुचियों पर रख मसलती हुई बोली,"अब बोल, कहाँ किस करेगी..."

रूपा सिसकी और हंसी के साथ बोली,"नीचेऽ...आहहहह..." रूपा की आवाज अगले ही पल बंद हो गई... डिम्पल भाभी ने तब तक रूपा के होंठ सिल जो दिए थे... डिम्पल भाभी रूपा को बेरहमी से मसलने लगी...

कुछ ही पलों में रूपा और डिम्पल पसीने से भींगने लग गई थी... रूपा की साँसें जल्द ही उखड़ने लगी... उखड़ती साँस देख डिम्पल भाभी किस तोड़ दी और रूपा के गाल को चूमने लग गई...

चूमती हुई डिम्पल भाभी बोली,"सच में लेगी या बस पूछ रही है.. "

रूपा नीचे से उत्तेजना वश कमर उचकाती बोली,"सच में..."

डिम्पल भाभी रूपा से जवाब सुन चूमना रोक दी और हल्की ऊपर आ उसकी आँखों में आँखें डाल कर देखने लगी और फिर मुस्कुराती हुई बोली,"लगता है अब हमारी रानी के ताले को चाभी की जरूरत है..."

रूपा मुस्कुराती आँखों से बस हूँ... कर दी... फिर डिम्पल भाभी अपनी जीभ निकाल रूपा के होंठ पर फेरती हुई ऊपर सरकी और सरकती हुई रूपा की चुची के ठीक नीचे आ जमी...ऐसे में डिम्पल की साड़ी सिमट कर जांघ तक आ पहुंची थी...

रूपा ऐसी अवस्था में भाभी को देख अपने हाथ बढ़ाई और साड़ी के अंदर सरका दी...अंदर घुसते ही हाथ सीधी डिम्पल भाभी की सच में चिकनी चूत पर जा चिपकी... डिम्पल भाभी की बूर स्पर्श होते ही रूपा चौंक सी गई...

बूर थी या कोई जलती अंगार...इतनी गर्म... रूपा तो महसूस की कि कहीं हाथ ना जल जाए... रूपा हाथ को एकबारगी पीछे खींच ली थी... जिससे डिम्पल भाभी हंस पड़ी...

डिम्पल,"बेबी, कुछ नहीं होगा..." रूपा हल्की झेंपती हुई मुस्कुराई और वापस हाथ बूर पर रख यहलाने लगी... डिम्पल की आहें निकल पड़ी...वो होंठों को चबाती सिसकियाँ रोकने की नाकाम कोशिश करती रही...

अगले ही पल रूपा डिम्पल भाभी को देख हाथ बाहर की और भाभी की कमर पकड़ पीछे की तरफ पुश की...डिम्पल हालत समझ पीछे खिसकी तो रूपा उसी पल उठने लगी...

और कुछ ही पलों में डिम्पल भाभी बेड पर चित्त लेटी थी और रूपा के कमर को उनके पैर लपेटे थी... रूपा तुरंत ही खिसक के उनके घुटने के पास हुई और झुकती हुई अपना चेहरा उनकी बूर के समीप कर ली...

और फिर साड़ी को ऊपर करती भाभी को पूरी नंगी कर दी... रसों से सरोबार चमकती चूत देख रूपा की आँखें फटी रह गई... वो बस देखती रह गई... ऐसी बूर डिम्पल भाभी की कैसे रह सकती है... 

वो देखती हुई अपने हाथ हौले हौले बूर की तरफ बढ़ाने लगी... बूर पर हाथ रखते ही रूपा मदहोश सी हो गई... बूर की हलचल देख जो हाथ पड़ते ही अजीब तरीके से सिकुड़ रही थी...

डिम्पल भाभी रूपा की ओर से इतनी देर होती देख हल्की सर ऊपर कर रूपा को यूँ निहारते देख मुस्कुरा दी और सर को वापस पुनः रखती हुई बोली,"रूपा..."

डिम्पल भाभी की आवाज सुन रूपा सर ऊपर कर भाभी को जवाब में "हूँ..." बोली... रूपा की नजर भाभी की ऊपर नीचे करती चुची पर भी जा अटकी जो लगभग थिरकती सी लग रही थी... रूपा तो बस कायल सी हो गई...

डिम्पल,"मेरी इन्हीं अदाओं से तो सब पागल हो जाते हैं जैसे तुम हुई जा रही हो... "

रूपा भाभी के एक एक शब्द पर गौर की तो वो आश्चर्य से भर गई... वो किसी तरह पूछी,"मतलब भाभी..."

डिम्पल भाभी सर को ऊपर हाथ के सहारे की और रूपा की तरफ मुस्काती हुई बोली,"अब तुम जानती थोड़े ही नहीं हो बताऊँ... चल बहाने कर रही हो तो बता ही देती... तुम्हें मेरे बारे में दो चार दिन में जो भी मालूम हुई, वो सब सच है..."

रूपा की तो ये बात सुनते ही हाथ पांव ठंडी सी गई... वो मूक सी बन गई... अब डिम्पल भाभी को कैसे मालूम कि मैं भी जानती हूँ... इनको तो सिर्फ सीमा भाभी के बारे में मालूम होनी चाहिए थी...



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