FUN-MAZA-MASTI
सौतेला बाप--64
अब आगे
**********
आज शायद विक्की नही जानता था की उसके साथ क्या होने वाला है..
वो आँखे बंद किए चुदाई के बाद की थकावट उतार ही रहा था की अचानक उसे अपने लंड पर कुछ गीला सा महसूस हुआ और जैसे ही उसने झटके से आँखे खोलकर देखा तो पाया की उसके लंड को रश्मि चाट रही है..और ऐसा करते हुए उसके चेहरे पर जो उत्तेजना और हिंसा के भाव थे वो साफ़ दर्शा रहे थे की अपनी बेटी की चुदाई देखकर उसकी क्या हालत हुई है...और अब वो विक्की की क्या हालत करने वाली है..
अब उसके अंदर हिम्मत तो ज़रा भी नही बची थी पर बेचारा क्या करता ...मर्द था ना...इसलिए उसको झटक कर चूसने से मना भी नही कर सकता था..उसने बेमन से उसके सिर पर हाथ रखा और उसे अपना लंड चूसते हुए देखने लगा.
वो अपनी लंबी सी जीभ निकाल कर बड़े ही आराम से उसके लंड का अगला छेद चाट रही थी...और उसमे से बूँद-2 करके निकल रहा उसका वीर्य पीने मे मस्त थी..
कभी वो अपनी जीभ नीचे तक ले जाती और उसकी बॉल्स को भी चूस डालती...और उन्हे निचोड़ कर ऐसे मसलती की विक्की के मुँह से कराह निकल जाती..
''आआआआआआआहह ऊऊऊऊऊऊऊओह आंटी .................... धीरे ............. इसको फोड़ दोगी तो मज़े कैसे लोगी .....''
रश्मि मुस्कुरा दी...और आराम से उसकी बॉल्स को रगड़ने लगी...पर कुछ देर बाद फिर से अपने उसी हिंसक मूड में आकर बेदर्दी से चूसने और मसलने लगी उसे..
अब ऐसी सेक्स की मारी औरतों को जितना भी समझा लो, रहेंगे ढाक के तीन पात ही...विक्की ने भी बिना कुछ बोले अपने लंड को उसके हवाले कर दिया की कर ले...जो करना है आज उसे...आख़िर वो भी देखना चाहता था की उसे इतना तरसाने के बाद वो किस हद तक मज़े दे सकती है उसे.
दूर बैठी काव्या भी अपनी माँ के इस रूप को देखकर कुछ नया सीखने का प्रयास कर रही थी...आज तक उसने जितनी बार भी लंड चूसा था ये उससे अलग था..ऐसा उसने आज तक नही देखा था..
वो थोड़ा करीब आकर बैठ गयी ताकि आराम से अपनी माँ की लंड-चूसन-प्रक्रिया को देख सके..
रश्मि ने मुस्कुरा कर काव्या को देखा और आँखो का इशारा करके उसे और पास आने को कहा..ताकि वो उसकी मदद कर सके और विक्की का लंड जल्दी खड़ा हो जाए ताकि वो भी उसके पठानी लंड का स्वाद ले सके.
काव्या को और क्या चाहिए था...नयी-2 चुदवाना सीखी लड़कियों में यही ख़ासियत होती है..उन्हे जब भी मौका मिलता है वो सेक्स का मज़ा लेने से नही चूकती...और यहाँ तो काव्या का पसंदीदा खेल चल रहा था...लंड चुसाई का..तो वो भला क्यों पीछे हटती..
वो भी अपनी माँ के साथ विक्की की टाँगो के पास जाकर बैठ गयी...और अपना मुँह उसने विक्की के लंड पर लगाया और उसे चूसने लगी...नीचे से रश्मि उसकी बॉल्स को चूस रही थी...विक्की तो अपने आप को इस दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान समझ रहा था...दोनो सैक्सी माँ -बेटियाँ इस वक़्त उसके लंड की सेवा जो कर रही थी..
और देखते ही देखते विक्की का लंड एक बार फिर से पहले की तरह लहलहाने लगा...विक्की को तो खुद भी विश्वास नही हुआ की वो इतनी जल्दी दोबारा कैसे तैयार हो गया...
पर सामने जब ऐसी सेक्सी चूसने वाली हो तो मुर्दे का लंड भी खड़ा कर दे ...ये तो फिर भी जवान का जीता - जागता लंड था.
और उसको दोबारा खड़ा करके काव्या ने बड़े प्यार से अपनी माँ से कहा : "लो माँ ...आपका हथियार तैयार है....शुरू हो जाओ अब..''
रश्मि के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी...और उसने विक्की को धक्का देकर बेड पर गिरा दिया...और उसके उपर 69 की पोज़िशन में सवार हो गयी...उसे खुद की चूत को भी तो तैयार करवाना था...वो चाहती थी की उसकी चूत से निकल कर फेली हुई चिकनाई विक्की अपने मुँह से चाट कर साफ़ कर दे ताकि लंड को अंदर घुसाने में ज़्यादा तकलीफ़ हो...जी हाँ ...ज़्यादा तकलीफ़...अगर चूत ऐसी ही चिकनी रही तो लंड कब अंदर घुस जाएगा वो भी नही जान पाएगी..इसलिए वो चाहती थी की उसके लंड का एक-2 इंच वो अंदर जाता हुआ महसूस करे..इतने दिनों के इंतजार को वो यादगार तरीके से चुदवाकर मजे लेना चाहती थी.
विक्की तो समझा था की अब वो सीधा आकर उसके लंड पर चढ़ जाएगी..पर जब वो पलटकर उसका लंड चूसने लगी और अपनी चूत को उसके चेहरे पर लहराया तो वो भी बिना कोई सवाल किए अपने काम पर लग गया..क्योंकि वो पहले भी उसकी चूत को चाट चुका था और उसका स्वाद उसे काफ़ी पसंद आया था...अपनी जीभ से उसकी चूत को चाट-चाटकार वो उसमे से निकल रहा पानी पीने लगा...और रश्मि उसके लंड को अपनी थूक में भिगो-भिगोकर फिर से चुदाई के खेल के लिए तैयार करने लगी
और कुछ ही देर में विक्की ने वहां की सारी चिकनाई चाटकर सूखा दी..जैसा की रश्मि चाहती थी..
और फिर उसने अपनी जीभ का रुख़ उसकी गांड के छेद की तरफ किया..
विक्की की जीभ को वहां दस्तक देता देकर रश्मि चिहुंक उठी...और उसके लंड चूसने की तेज़ी और बढ़ गयी...विक्की समझ गया की ये गांड का छेद उसका वीक पॉइंट है...उसने मन ही मन निश्चय कर लिया की वो आज उसकी गांड से ही शुरूवात करेगा..
इसलिए उसने उसकी गांड के छेद की आयिलिंग करनी शुरू कर दी अपनी जीभ से..
कुछ देर बाद उसने एक झटका देकर रश्मि को बेड पर घोड़ी बना दिया..और पीछे से अपना लंड लहराकर उसकी चूत पर रगड़ने लगा..उसे सताने लगा..उसे तरसाने लगा..
''आआआआआअहह भेंन चोद .......साले कुत्ते .....डाल दे अपना लंड .....मेरे अंदर.....क्यों तरसा रहा है साले ......''
अपनी माँ को ऐसे एक लंड के लिए गालियां देते देखकर काव्या भी हैरान रह गयी...पर उसने खुद को अपनी माँ की जगह रखकर देखा तो समझ गयी की वो सही है...ऐसी हालत में अगर चूत के अंदर लंड ना जाए तो गालियां ही निकलती है...पर ऐसी गालियां देने में और सुनने में चुदाई करने वालों को ही मज़ा आता है..ये शायद काव्या नही जानती थी..पर शायद अपनी अगली चुदाई के लिए उसने ये बात सीख ली थी.
विक्की तो था ही हरामी...वो बड़ी देर तक उसकी चूत के आगे अपने लंड को घिसता रहा...उसके अंदर से निकले रस को अपने लंड के अगले सिरे पर चोपड़ता रहा...और जैसे ही वो चिकना हो गया तो उसने बिना किसी वॉर्निंग के अपनी मिसाइल का रुख़ उसकी चूत के बदले गांड के छेद पर कर दिया और एक ही झटके में उसका पहाड़ी लंड रश्मि की गांड के छेद के अंदर घुसता चला गया..
दर्द और मज़े के मिश्रण से रश्मि कराह उठी..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ साले...............भेंन चोद .......................पीछे क्यो डाला हरामी ..............अहह........बता तो देता......''
विक्की (झटके मारते हुए) : "अगर बता देता तो ये मज़ा कैसे मिलता तुझे कुतिया .....''
वो भी गाली गलोच पर आ चुका था...पर रश्मि को इस वक़्त कुछ भी सुनाई नही दे रहा था...उसके कानों में तो बस विक्की के झटकों की थापें गूँज रही थी...जो उसके भरंवा चूतड़ों से टकराकर निकल रही थी..
काव्या भी विक्की के इस कदम को देखकर हैरान रह गयी...और उससे भी ज़्यादा हैरान ये देखकर रह गयी की कैसे मक्खन में छुरी की तरह विक्की का लंड उसकी माँ की गांड के अंदर घुस गया था...एक ही बार में ...पूरा का पूरा...
ये अगर उसके साथ होता तो शायद बाउंड्री पर ही उसका लंड फँस कर रह जाता...ये तो रश्मि थी जो इतनी आसानी से उसके लंड को निगल गयी...
और कुछ देर के झटके महसूस करने के बाद रश्मि को मज़ा मिलना शुरू हो गया...उसे तो अपनी गांड मरवाना शुरू से ही पसंद था...और मज़े में भरकर वो भरभराती हुई नीचे लेट गयी...और विक्की भी उसके पीछे-2 उसकी कमर से चिपक कर लेट गया...पर ना तो उसने अपना लंड उसकी गाण्ड से बाहर निकाला और ना ही झटके मारना छोड़ा..
लंड की प्रतीक्षा कर रही रश्मि की चूत हर झटके से अपना रस बाहर की तरफ उगल रही थी...जो बूंदे बनकर नीचे की चादर को भिगो रहा था...और ये काव्या से सहन नही हुआ...वो इतने कीमती पानी को ऐसे वेस्ट होता नही देख सकती थी...आख़िर चूत से निकले पानी का कोई विकल्प भी तो नही है...इतने कीमती खजाने को ऐसे वेस्ट होता देखना उससे गंवारा नही हुआ और वो झुकककर अपनी माँ की चूत से वो पानी पीने लगी..
पीछे से रश्मि को विक्की के झटके पड़ रहे थे और आगे से काव्या उसकी चूत को चाट रही थी.
और ऐसा दोहरा हमला होता देखकर रश्मि आनंद से भरकर चिल्ला उठी..
''आआआआआआआअहह विक्की ..................... साले .....................क्या कर दिया ये तूने..............आअहहssssssssssssssssss ...........उम्म्म्मम मज़ा आ रहा है............ऊओह काव्या .......सक्क मी बेटी.......चूस मेरी चूत को ......चूस ले अपनी माँ की चूत ....पी जा सारा पानी मेरा.....आआआअहह मेरी बच्ची ..............''
और ऐसा करते हुए रश्मि ने महसूस किया की वो झड़ने वाली है....पर आज वो विक्की के लंड को अपनी चूत में महसूस करते हुए झड़ना चाहती थी...इसलिए उसने विक्की से रीक़ुएस्ट करी....
''विक्की.................प्लीज़......मेरी चूत में लंड डाल विक्की....मेरी चूत में .......प्लीज़ विक्की............डाल ना साले ......पीछे से निकाल कर आगे डाल.....''
आख़िर के शब्द तो उसने जैसे अपने दाँत पीस कर कहे थे...क्योंकि वो शायद जान गयी थी की विक्की तो ऐसे मस्ती में उसकी गाण्ड मारने में ही लगा रहेगा...
विक्की भी समझ गया की आज वो रश्मि को नाराज़ कर देगा तो आगे के लिए उसका इस घर में आना मुश्किल हो जाएगा....इसलिए उसने बात मानते हुए अपना लंड बाहर खींच लिया..और रश्मि को बेड पर पीठ के बल लिटा दिया...और धीरे-2 अपना लंड उसकी चूत के अंदर धकेल कर उसके अंदर दाखिल हो गया.
''आआआआआआआहह हाआआआआआन्णन्न् अब सही है...................अब चोद ले ............ज़ोर -2 से...........जैसा मन करे तेरा .....आआआआआआहह विक्की...............''
पास ही खाली खड़ी हुई काव्या भी ऐसे बैठकर उनका खेल नही देखना चाहती थी अब...वो भी उछल कर अपनी माँ पर सवार हो गयी...और अपनी भरी हुई गांड को विक्की की तरफ करते हुए अपनी चूत वाले हिस्से से अपनी माँ की चूत के उपरी भाग की घिसाई करने लगी...
निचले हिस्से में विक्की का लंड और उपर अपनी बेटी की गर्म चूत ..ऐसा कॉम्बिनेशन पाकर तो रश्मि धन्य हो गयी...और वो उछल -2 कर विक्की के लंड को अंदर लेने लगी...उछल वो इसलिए रही थी ताकि वो काव्या की चूत की रगडाई को ज़्यादा ज़ोर से अपनी चूत पर महसूस कर सके...और काव्या भी अपनी मखमली गांड को पीछे करते हुए उसके एहसास से विक्की को और उकसा रही थी...
विक्की के लिए तो एक पंत दो काज वाली बात थी...मार तो वो रश्मि की चूत रहा था..पर काव्या के झटके से उसे ये महसूस हो रहा था जैसे वो उसकी गाण्ड मार रहा है...
और ऐसा करते-2 वो कब झड़ने के करीब पहुँच गया वो भी नही जान सका....उसे तो तब पता चला जब उसके लंड की नसों में उसे लावा खोलता हुआ महसूस हुआ जो उसके लंड से निकल कर रश्मि की चूत में जा रहा था और उसे अंदर तक सुलगा रहा था.
रश्मि भी उस लावे की गर्मी मे पिघल गयी और झंनझनाती हुई झड़ने लगी...
और झड़ते हुए वो किसी बावली कुतिया की तरह चीखे मार रही थी..जिसे एक साथ 10 कुत्ते मिलकर चोद रहे हो..
''आआआआआअहह विक्की...............उम्म्म्मम मज़ा आ गया...........साले ..........अहह अब निकाल दे.....मेरे मुंह में निकाल अपना रस, मेरे मुंह में , डाल दे अपना सारा रस मेरे मुंह के अंदर.... आआआआआअहह .......उम्म्म्ममममम''
और विक्की ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और रश्मि एक झटके से उठकर बैठ गयी , विक्की ने अपना लम्बा लंड उसके चेहरे के सामने रगड़ते हुए झड़ना शुरू कर दिया और देखते ही देखते अपने गाड़े सफ़ेद रस से उसके चेहरे को ढक दिया
और उसके बाद रश्मि ने अपने चेहरे पर बिखरे हुए गाड़े और मीठे रास को अपनी उँगलियों से समेटा और अपने मुंह के अंदर लेकर निगल गयी , ऐसे प्रोटीन को वो भी वेस्ट होता हुआ नहीं देख सकती थी
रश्मि ने ऐसी चुदाई का आनंद कई सालों से नही लिया था...आख़िर एक जवान लंड की चुदाई में जो मज़ा है उसकी तुलना वो अपनी उम्र के मर्दों से नही कर सकती थी..
और अब ये मज़ा वो रेगुलर लिया करेगी...
आने वाले दिनों में होने वाली चुदाई की कल्पना करते हुए वो कब सो गयी उसे भी पता नही चला.
सौतेला बाप--64
अब आगे
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आज शायद विक्की नही जानता था की उसके साथ क्या होने वाला है..
वो आँखे बंद किए चुदाई के बाद की थकावट उतार ही रहा था की अचानक उसे अपने लंड पर कुछ गीला सा महसूस हुआ और जैसे ही उसने झटके से आँखे खोलकर देखा तो पाया की उसके लंड को रश्मि चाट रही है..और ऐसा करते हुए उसके चेहरे पर जो उत्तेजना और हिंसा के भाव थे वो साफ़ दर्शा रहे थे की अपनी बेटी की चुदाई देखकर उसकी क्या हालत हुई है...और अब वो विक्की की क्या हालत करने वाली है..
अब उसके अंदर हिम्मत तो ज़रा भी नही बची थी पर बेचारा क्या करता ...मर्द था ना...इसलिए उसको झटक कर चूसने से मना भी नही कर सकता था..उसने बेमन से उसके सिर पर हाथ रखा और उसे अपना लंड चूसते हुए देखने लगा.
वो अपनी लंबी सी जीभ निकाल कर बड़े ही आराम से उसके लंड का अगला छेद चाट रही थी...और उसमे से बूँद-2 करके निकल रहा उसका वीर्य पीने मे मस्त थी..
कभी वो अपनी जीभ नीचे तक ले जाती और उसकी बॉल्स को भी चूस डालती...और उन्हे निचोड़ कर ऐसे मसलती की विक्की के मुँह से कराह निकल जाती..
''आआआआआआआहह ऊऊऊऊऊऊऊओह आंटी .................... धीरे ............. इसको फोड़ दोगी तो मज़े कैसे लोगी .....''
रश्मि मुस्कुरा दी...और आराम से उसकी बॉल्स को रगड़ने लगी...पर कुछ देर बाद फिर से अपने उसी हिंसक मूड में आकर बेदर्दी से चूसने और मसलने लगी उसे..
अब ऐसी सेक्स की मारी औरतों को जितना भी समझा लो, रहेंगे ढाक के तीन पात ही...विक्की ने भी बिना कुछ बोले अपने लंड को उसके हवाले कर दिया की कर ले...जो करना है आज उसे...आख़िर वो भी देखना चाहता था की उसे इतना तरसाने के बाद वो किस हद तक मज़े दे सकती है उसे.
दूर बैठी काव्या भी अपनी माँ के इस रूप को देखकर कुछ नया सीखने का प्रयास कर रही थी...आज तक उसने जितनी बार भी लंड चूसा था ये उससे अलग था..ऐसा उसने आज तक नही देखा था..
वो थोड़ा करीब आकर बैठ गयी ताकि आराम से अपनी माँ की लंड-चूसन-प्रक्रिया को देख सके..
रश्मि ने मुस्कुरा कर काव्या को देखा और आँखो का इशारा करके उसे और पास आने को कहा..ताकि वो उसकी मदद कर सके और विक्की का लंड जल्दी खड़ा हो जाए ताकि वो भी उसके पठानी लंड का स्वाद ले सके.
काव्या को और क्या चाहिए था...नयी-2 चुदवाना सीखी लड़कियों में यही ख़ासियत होती है..उन्हे जब भी मौका मिलता है वो सेक्स का मज़ा लेने से नही चूकती...और यहाँ तो काव्या का पसंदीदा खेल चल रहा था...लंड चुसाई का..तो वो भला क्यों पीछे हटती..
वो भी अपनी माँ के साथ विक्की की टाँगो के पास जाकर बैठ गयी...और अपना मुँह उसने विक्की के लंड पर लगाया और उसे चूसने लगी...नीचे से रश्मि उसकी बॉल्स को चूस रही थी...विक्की तो अपने आप को इस दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान समझ रहा था...दोनो सैक्सी माँ -बेटियाँ इस वक़्त उसके लंड की सेवा जो कर रही थी..
और देखते ही देखते विक्की का लंड एक बार फिर से पहले की तरह लहलहाने लगा...विक्की को तो खुद भी विश्वास नही हुआ की वो इतनी जल्दी दोबारा कैसे तैयार हो गया...
पर सामने जब ऐसी सेक्सी चूसने वाली हो तो मुर्दे का लंड भी खड़ा कर दे ...ये तो फिर भी जवान का जीता - जागता लंड था.
और उसको दोबारा खड़ा करके काव्या ने बड़े प्यार से अपनी माँ से कहा : "लो माँ ...आपका हथियार तैयार है....शुरू हो जाओ अब..''
रश्मि के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी...और उसने विक्की को धक्का देकर बेड पर गिरा दिया...और उसके उपर 69 की पोज़िशन में सवार हो गयी...उसे खुद की चूत को भी तो तैयार करवाना था...वो चाहती थी की उसकी चूत से निकल कर फेली हुई चिकनाई विक्की अपने मुँह से चाट कर साफ़ कर दे ताकि लंड को अंदर घुसाने में ज़्यादा तकलीफ़ हो...जी हाँ ...ज़्यादा तकलीफ़...अगर चूत ऐसी ही चिकनी रही तो लंड कब अंदर घुस जाएगा वो भी नही जान पाएगी..इसलिए वो चाहती थी की उसके लंड का एक-2 इंच वो अंदर जाता हुआ महसूस करे..इतने दिनों के इंतजार को वो यादगार तरीके से चुदवाकर मजे लेना चाहती थी.
विक्की तो समझा था की अब वो सीधा आकर उसके लंड पर चढ़ जाएगी..पर जब वो पलटकर उसका लंड चूसने लगी और अपनी चूत को उसके चेहरे पर लहराया तो वो भी बिना कोई सवाल किए अपने काम पर लग गया..क्योंकि वो पहले भी उसकी चूत को चाट चुका था और उसका स्वाद उसे काफ़ी पसंद आया था...अपनी जीभ से उसकी चूत को चाट-चाटकार वो उसमे से निकल रहा पानी पीने लगा...और रश्मि उसके लंड को अपनी थूक में भिगो-भिगोकर फिर से चुदाई के खेल के लिए तैयार करने लगी
और कुछ ही देर में विक्की ने वहां की सारी चिकनाई चाटकर सूखा दी..जैसा की रश्मि चाहती थी..
और फिर उसने अपनी जीभ का रुख़ उसकी गांड के छेद की तरफ किया..
विक्की की जीभ को वहां दस्तक देता देकर रश्मि चिहुंक उठी...और उसके लंड चूसने की तेज़ी और बढ़ गयी...विक्की समझ गया की ये गांड का छेद उसका वीक पॉइंट है...उसने मन ही मन निश्चय कर लिया की वो आज उसकी गांड से ही शुरूवात करेगा..
इसलिए उसने उसकी गांड के छेद की आयिलिंग करनी शुरू कर दी अपनी जीभ से..
कुछ देर बाद उसने एक झटका देकर रश्मि को बेड पर घोड़ी बना दिया..और पीछे से अपना लंड लहराकर उसकी चूत पर रगड़ने लगा..उसे सताने लगा..उसे तरसाने लगा..
''आआआआआअहह भेंन चोद .......साले कुत्ते .....डाल दे अपना लंड .....मेरे अंदर.....क्यों तरसा रहा है साले ......''
अपनी माँ को ऐसे एक लंड के लिए गालियां देते देखकर काव्या भी हैरान रह गयी...पर उसने खुद को अपनी माँ की जगह रखकर देखा तो समझ गयी की वो सही है...ऐसी हालत में अगर चूत के अंदर लंड ना जाए तो गालियां ही निकलती है...पर ऐसी गालियां देने में और सुनने में चुदाई करने वालों को ही मज़ा आता है..ये शायद काव्या नही जानती थी..पर शायद अपनी अगली चुदाई के लिए उसने ये बात सीख ली थी.
विक्की तो था ही हरामी...वो बड़ी देर तक उसकी चूत के आगे अपने लंड को घिसता रहा...उसके अंदर से निकले रस को अपने लंड के अगले सिरे पर चोपड़ता रहा...और जैसे ही वो चिकना हो गया तो उसने बिना किसी वॉर्निंग के अपनी मिसाइल का रुख़ उसकी चूत के बदले गांड के छेद पर कर दिया और एक ही झटके में उसका पहाड़ी लंड रश्मि की गांड के छेद के अंदर घुसता चला गया..
दर्द और मज़े के मिश्रण से रश्मि कराह उठी..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ साले...............भेंन चोद .......................पीछे क्यो डाला हरामी ..............अहह........बता तो देता......''
विक्की (झटके मारते हुए) : "अगर बता देता तो ये मज़ा कैसे मिलता तुझे कुतिया .....''
वो भी गाली गलोच पर आ चुका था...पर रश्मि को इस वक़्त कुछ भी सुनाई नही दे रहा था...उसके कानों में तो बस विक्की के झटकों की थापें गूँज रही थी...जो उसके भरंवा चूतड़ों से टकराकर निकल रही थी..
काव्या भी विक्की के इस कदम को देखकर हैरान रह गयी...और उससे भी ज़्यादा हैरान ये देखकर रह गयी की कैसे मक्खन में छुरी की तरह विक्की का लंड उसकी माँ की गांड के अंदर घुस गया था...एक ही बार में ...पूरा का पूरा...
ये अगर उसके साथ होता तो शायद बाउंड्री पर ही उसका लंड फँस कर रह जाता...ये तो रश्मि थी जो इतनी आसानी से उसके लंड को निगल गयी...
और कुछ देर के झटके महसूस करने के बाद रश्मि को मज़ा मिलना शुरू हो गया...उसे तो अपनी गांड मरवाना शुरू से ही पसंद था...और मज़े में भरकर वो भरभराती हुई नीचे लेट गयी...और विक्की भी उसके पीछे-2 उसकी कमर से चिपक कर लेट गया...पर ना तो उसने अपना लंड उसकी गाण्ड से बाहर निकाला और ना ही झटके मारना छोड़ा..
लंड की प्रतीक्षा कर रही रश्मि की चूत हर झटके से अपना रस बाहर की तरफ उगल रही थी...जो बूंदे बनकर नीचे की चादर को भिगो रहा था...और ये काव्या से सहन नही हुआ...वो इतने कीमती पानी को ऐसे वेस्ट होता नही देख सकती थी...आख़िर चूत से निकले पानी का कोई विकल्प भी तो नही है...इतने कीमती खजाने को ऐसे वेस्ट होता देखना उससे गंवारा नही हुआ और वो झुकककर अपनी माँ की चूत से वो पानी पीने लगी..
पीछे से रश्मि को विक्की के झटके पड़ रहे थे और आगे से काव्या उसकी चूत को चाट रही थी.
और ऐसा दोहरा हमला होता देखकर रश्मि आनंद से भरकर चिल्ला उठी..
''आआआआआआआअहह विक्की ..................... साले .....................क्या कर दिया ये तूने..............आअहहssssssssssssssssss ...........उम्म्म्मम मज़ा आ रहा है............ऊओह काव्या .......सक्क मी बेटी.......चूस मेरी चूत को ......चूस ले अपनी माँ की चूत ....पी जा सारा पानी मेरा.....आआआअहह मेरी बच्ची ..............''
और ऐसा करते हुए रश्मि ने महसूस किया की वो झड़ने वाली है....पर आज वो विक्की के लंड को अपनी चूत में महसूस करते हुए झड़ना चाहती थी...इसलिए उसने विक्की से रीक़ुएस्ट करी....
''विक्की.................प्लीज़......मेरी चूत में लंड डाल विक्की....मेरी चूत में .......प्लीज़ विक्की............डाल ना साले ......पीछे से निकाल कर आगे डाल.....''
आख़िर के शब्द तो उसने जैसे अपने दाँत पीस कर कहे थे...क्योंकि वो शायद जान गयी थी की विक्की तो ऐसे मस्ती में उसकी गाण्ड मारने में ही लगा रहेगा...
विक्की भी समझ गया की आज वो रश्मि को नाराज़ कर देगा तो आगे के लिए उसका इस घर में आना मुश्किल हो जाएगा....इसलिए उसने बात मानते हुए अपना लंड बाहर खींच लिया..और रश्मि को बेड पर पीठ के बल लिटा दिया...और धीरे-2 अपना लंड उसकी चूत के अंदर धकेल कर उसके अंदर दाखिल हो गया.
''आआआआआआआहह हाआआआआआन्णन्न् अब सही है...................अब चोद ले ............ज़ोर -2 से...........जैसा मन करे तेरा .....आआआआआआहह विक्की...............''
पास ही खाली खड़ी हुई काव्या भी ऐसे बैठकर उनका खेल नही देखना चाहती थी अब...वो भी उछल कर अपनी माँ पर सवार हो गयी...और अपनी भरी हुई गांड को विक्की की तरफ करते हुए अपनी चूत वाले हिस्से से अपनी माँ की चूत के उपरी भाग की घिसाई करने लगी...
निचले हिस्से में विक्की का लंड और उपर अपनी बेटी की गर्म चूत ..ऐसा कॉम्बिनेशन पाकर तो रश्मि धन्य हो गयी...और वो उछल -2 कर विक्की के लंड को अंदर लेने लगी...उछल वो इसलिए रही थी ताकि वो काव्या की चूत की रगडाई को ज़्यादा ज़ोर से अपनी चूत पर महसूस कर सके...और काव्या भी अपनी मखमली गांड को पीछे करते हुए उसके एहसास से विक्की को और उकसा रही थी...
विक्की के लिए तो एक पंत दो काज वाली बात थी...मार तो वो रश्मि की चूत रहा था..पर काव्या के झटके से उसे ये महसूस हो रहा था जैसे वो उसकी गाण्ड मार रहा है...
और ऐसा करते-2 वो कब झड़ने के करीब पहुँच गया वो भी नही जान सका....उसे तो तब पता चला जब उसके लंड की नसों में उसे लावा खोलता हुआ महसूस हुआ जो उसके लंड से निकल कर रश्मि की चूत में जा रहा था और उसे अंदर तक सुलगा रहा था.
रश्मि भी उस लावे की गर्मी मे पिघल गयी और झंनझनाती हुई झड़ने लगी...
और झड़ते हुए वो किसी बावली कुतिया की तरह चीखे मार रही थी..जिसे एक साथ 10 कुत्ते मिलकर चोद रहे हो..
''आआआआआअहह विक्की...............उम्म्म्मम मज़ा आ गया...........साले ..........अहह अब निकाल दे.....मेरे मुंह में निकाल अपना रस, मेरे मुंह में , डाल दे अपना सारा रस मेरे मुंह के अंदर.... आआआआआअहह .......उम्म्म्ममममम''
और विक्की ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और रश्मि एक झटके से उठकर बैठ गयी , विक्की ने अपना लम्बा लंड उसके चेहरे के सामने रगड़ते हुए झड़ना शुरू कर दिया और देखते ही देखते अपने गाड़े सफ़ेद रस से उसके चेहरे को ढक दिया
और उसके बाद रश्मि ने अपने चेहरे पर बिखरे हुए गाड़े और मीठे रास को अपनी उँगलियों से समेटा और अपने मुंह के अंदर लेकर निगल गयी , ऐसे प्रोटीन को वो भी वेस्ट होता हुआ नहीं देख सकती थी
रश्मि ने ऐसी चुदाई का आनंद कई सालों से नही लिया था...आख़िर एक जवान लंड की चुदाई में जो मज़ा है उसकी तुलना वो अपनी उम्र के मर्दों से नही कर सकती थी..
और अब ये मज़ा वो रेगुलर लिया करेगी...
आने वाले दिनों में होने वाली चुदाई की कल्पना करते हुए वो कब सो गयी उसे भी पता नही चला.
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