FUN-MAZA-MASTI
मैं अब अपने आपे से बाहर होता जा रहा था। एकदम सेक्सी चाची और मैं इस स्थिति में.. मैंने फिर बड़े आराम से अपने हाथ चाची की पैन्टी में सरकाने की कोशिश की.. पर चाची की पैन्टी बहुत ही चुस्त थी.. इसीलिए हो नहीं पाया।
मैंने चाची से पूछा- चाची.. आराम मिल रहा है?
चाची ने आँखें बन्द किए हुए ही कहा- हाँ बेटा.. आराम तो मिल रहा है… लेकिन अब तुम रहने दो.. अब मैं ठीक हूँ..
मैं- नहीं चाची.. मैं और मालिश कर देता हूँ।
चाची- नहीं सन्नी.. मैंने कहा ना.. कि अब हो गया.. मैं ठीक हूँ..
फिर मुझे अपने आप पर गुस्सा आया कि क्यूँ मैंने खुद ही बात छेड़ी। सब कुछ ठीक चल रहा था.. लेकिन मैं यह समझ नहीं पा रहा था कि चाची को भी मज़ा आ रहा था फिर क्यूँ उन्होंने मुझे जाने को कहा?
लेकिन मुझे अभी और मेहनत करनी पड़ेगी.. ऐसा सोच कर मैं अपने कमरे में जा कर बैठ गया।
फिर शाम तक कुछ नहीं हुआ। अब रात के आठ बज रहे थे और हम डिनर पर बैठे.. लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही थी कि मैंने इतना खुल कर कहा था कि चाची मैं आपको फैंटेसी में लेकर मुठ्ठ मारता हूँ.. पर चाची ने अब तक कुछ नहीं कहा.. मैं इस बात पर बहुत हैरान था।
इसीलिए अब मैंने ही बात शुरू करना ठीक समझा।
मैं- चाची…
चाची- हाँ..
मैं- चाची एक बात पूछनी है?
चाची- किस बारे में? मैंने अब तक तुमसे फैंटेसी के बारे में पूछा नहीं.. इस बारे में..!
मैं तो यह सुनकर एकदम से शॉक्ड ही हो गया।
चाची यह देख कर हंस पड़ीं।
चाची- अरे बेटा.. इस उम्र में ऐसा बच्चे करते हैं.. लेकिन मुझे तुम्हारी स्वीकारोक्ति पसंद आई।
मैं- थैंक्स चाची.. लेकिन मैं एक बात कहूँगा.. आप मुझे अच्छी तरह से समझने लगी हैं।
चाची- अच्छा बाबा.. चलो अब खाना खत्म करो..
ऐसा कह कर चाची ने अपना खाना खत्म किया और तभी उनके मुँह से ‘आह..’ निकली।
मैं- क्या चाची.. अब भी दर्द है?
चाची- हाँ बेटा.. अभी डिनर करके एक और बार मालिश कर देना..
मैं- ठीक है चाची..
कहकर मैंने फटाफट खाना ख़त्म किया। इतने में चाची ने भी अपना काम खत्म किया और मेरी ओर देख कर मुस्कराईं.. मैं भी रसोई में बर्फ लेने चला गया और बर्फ लेकर चाची के बेडरूम में दाखिल हुआ और देखा तो चाची अपने आप ही पेट के बल लेटी हुई थीं।
मेरे अन्दर आते ही उन्होंने कहा- सन्नी.. बेटा अब तक दर्द नहीं गया है.. थोड़ी हार्ड मालिश करो और दर्द और जगह भी है.. तो वहाँ भी मालिश कर दो।
मैंने- ठीक है चाची..
मैं चाची के पाँव के पास बैठ गया और बिना पूछे चाची की साड़ी उनकी जाँघों तक उठाई और चाची ने मेरे कहने से पहले ही अपने पाँव फैला लिए।
मेरा लंड तो फनफनाने लगा।
मैंने बिना बर्फ के ही चाची की जाँघों पर हाथ फिराया और फिर बर्फ हाथ में ले ली।
मैं दोनों हाथों मे बर्फ लेकर चाची की जाँघों पर बर्फ रगड़ने लगा।
चाची को मज़ा तो आ रहा था.. लेकिन चाची ने कहा।
चाची- बेटा सन्नी.. एक और बात है कि चोट मुझे कहीं और लगी है.. पता नहीं कैसे कहूँ.. पर जो है.. वो है।
मैं- चाची.. बिना कोई झिझक मुझे बताइए..
चाची- मैं बता नहीं पाऊँगी..
मैं- अच्छा तो मेरे हाथ वहाँ रख दीजिए जहाँ दर्द हो रहा है..
फिर उन्होंने अपने दोनों हाथों में मेरे हाथ लिए और अपनी पैन्टी पर रख दिए.. मेरा तो मन ही नाच उठा।
मैंने अपने हाथों से बर्फ छोड़ कर चाची की गाण्ड को पहले तो देखा फिर चाची की साड़ी को उठा कर चाची की कमर पर रख दिए।
अब उनकी पैन्टी से ढकी हुई पिछाड़ी मेरे सामने थी। मैंने पहली बार किसी औरत की गाण्ड को छुआ था।
मैंने अपने दोनों हाथ उनकी गाण्ड पर रखे और गोल-गोल घुमाए..
मैं- चाची.. अगर यहाँ पर बर्फ लगाऊँगा, तो आपकी पैन्टी भी गीली हो जाएगी और सही से सिकाई भी नहीं हो पाएगी.. तो क्या आप?
चाची- नहीं.. नहीं… सन्नी मैं तेरे सामने, इसे कैसे उतार सकती हूँ?
मैं- अगर आपको शर्म आ रही हो तो मैं इसे उतार देता हूँ..
चाची- ओह.. सन्नी.. तुम तो बड़े बेशर्म हो रहे हो।
मैं- चाची.. मैं आपके भले के बारे में ही कह रहा हूँ।
चाची- नहीं..नहीं..
मैं- क्या नहीं.. नहीं.. चाची.. मैं ज़रूर लगाऊँगा.. आपको सुबह से दर्द है और आप बताती भी नहीं हैं।
फिर चाची कुछ नहीं बोलीं.. मैंने इसे चाची की इजाज़त मान ली और चाची की पैन्टी पर फिर से हाथ रखकर दोनों हाथों में दबा लिया।
चाची अब बस आँखें बंद करके लेटी रहीं.. कुछ बोल नहीं रही थीं। फिर मैंने पैन्टी के अन्दर अपने हाथ डाल लिया और चाची की गाण्ड को सहलाने लगा। चाची भी मज़े ले रही थीं। फिर मैं दोनों हाथों से चाची के चूतड़ों को दबाने लगा.. चाची के मुँह से ‘आह… ऊह..’ की आवाज़ निकलने लगी।
मैं जानता था कि यह उनकी सिसयाहट है पर मैंने जानबूझ कर कहा- देखा चाची.. दर्द ज़्यादा हो रहा है ना.. आप बस अब मुझे अपने तरीके से इलाज करने दीजिए।
चाची- अच्छा बाबा.. तू ही अपने तरीके से कर दे.. वैसे भी तू अच्छा इलाज कर रहा है..
फिर मैंने चाची की पैन्टी को छोड़ा और चाची की कमर के बगल से दोनों हाथ पैन्टी में डाल कर पैन्टी नीचे करने लगा..
चाची ने भी हल्का सा उठ कर मेरा काम आसान कर दिया, फिर मैंने बड़े आराम से चाची की पैन्टी उतारी और उसे सूंघने लगा।
सच में पैन्टी से मुझे पसन्द आने वाली खुश्बू थी.. मैंने थोड़ी देर नाक से लगाई रखी.. तो चाची ने मुझे सूंघते हुए देख लिया और कहा।
चाची- अरे सन्नी.. यह क्या कर रहा है?
मैं- चाची.. इसमें से बड़ी अच्छी खुश्बू आ रही है.. इसलिए इसे सूंघ रहा हूँ.. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है।
चाची- सन्नी.. मेरे दर्द के बारे में भी सोच..
मैं- अच्छा चाची.. क्या मैं यहाँ सूंघ सकता हूँ? मैंने चाची की गाण्ड की ओर ऊँगली दिखाते हुए कहा।
चाची ने कहा- ठीक है.. पर इलाज भी साथ में करता चल।
फिर मैं चाची की गाण्ड के पास बैठ गया और चाची की गाण्ड को देखने लगा और दबाने लगा.. चाची की फिर से ‘ऊँ..आँ.’ चालू हो गई। फिर मैं चाची की गाण्ड को सूंघने के बहाने चाची के ऊपर आ गया और उल्टा लेट गया.. जिससे अब मैं चाची के ऊपर था.. पर चाची पेट के बल लेटी हुई थीं। इसीलिए वो मेरा तना हुआ लंड महसूस कर सकती थीं.. पर कुछ कर नहीं सकती थीं।
चाची की इस हालत पर मुझे मज़ा आ रहा था और मैं चाची की गाण्ड को सूंघने के बहाने.. गाण्ड को खोलकर चुम्बन करने लगा और मेरा नाक चाची की बुर पर था। इसीलिए चाची और भी मदहोश हो रही थीं.. चाची की चूत से रस निकलना चालू हो गया था।
मेरा लंड भी काबू में नहीं था.. इसीलिए मैंने चाची को इशारा देने के लिए वहाँ खुज़ाया और दो-तीन बार किया तो चाची ने भी आख़िर पूछ ही लिया।
चाची- क्या हो रहा है बेटा?
मैं- कुछ नहीं चाची.. बस खुजली हो रही है।
चाची- ला.. मैं देखूँ.. तो?
मैंने बिना वक्त जाया किए.. नादान बनते हुए अपना लंड चाची के सामने खुला कर दिया।
अब चाची पीठ के बल घूम गईं और मेरी आँखों के सामने चाची की खुली चूत थी। चूत पर हल्के से बाल भी थे.. पहली बार चूत देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मेरा प्री-कम निकलने लगा..।
मेरे लवड़े से चुचाते रस को चाची ने देख लिया था.. लेकिन उन्होंने अनजान बनते हुए फिर से कहा- ला.. मैं इसकी खुजली का इलाज करती हूँ।
मैंने लौड़ा आगे किया और उन्होंने मौका पाते ही मेरा लंड पकड़ कर अपने मुँह में रख लिया और मस्त चूसने लगीं..
मैं भी समझने लगा था कि चाची चुदना ज़रूर चाहती हैं.. पर नादान बनकर.. इसलिए मैंने चाची की चूत पर ऊँगली रखते हुए कहा- चाची यहाँ पर लगता है.. चींटी अन्दर घुस गई है.. इसलिए तो पानी निकल रहा है.. क्या मैं इसे निकाल दूँ?
चाची ने कहा- अरे जल्दी निकालो.. यह भी कोई पूछने वाली बात है क्या?
मैंने भी चाची की चूत में अपनी ऊँगली डाल दी और आराम से उसे अन्दर-बाहर करने लगा।
चाची भी मेरा लंड चूस चूसकर बरसों की प्यास बुझा रही थीं।
फिर मैंने चाची की चूत में अपनी जीभ डाल कर चूसने लगा.. मेरी जीभ की नर्माहट से चाची की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी। लेकिन वो खुल कर मुझसे चोदने के लिए नहीं बोल रही थीं।
चाची का इलाज-4
मैं अब अपने आपे से बाहर होता जा रहा था। एकदम सेक्सी चाची और मैं इस स्थिति में.. मैंने फिर बड़े आराम से अपने हाथ चाची की पैन्टी में सरकाने की कोशिश की.. पर चाची की पैन्टी बहुत ही चुस्त थी.. इसीलिए हो नहीं पाया।
मैंने चाची से पूछा- चाची.. आराम मिल रहा है?
चाची ने आँखें बन्द किए हुए ही कहा- हाँ बेटा.. आराम तो मिल रहा है… लेकिन अब तुम रहने दो.. अब मैं ठीक हूँ..
मैं- नहीं चाची.. मैं और मालिश कर देता हूँ।
चाची- नहीं सन्नी.. मैंने कहा ना.. कि अब हो गया.. मैं ठीक हूँ..
फिर मुझे अपने आप पर गुस्सा आया कि क्यूँ मैंने खुद ही बात छेड़ी। सब कुछ ठीक चल रहा था.. लेकिन मैं यह समझ नहीं पा रहा था कि चाची को भी मज़ा आ रहा था फिर क्यूँ उन्होंने मुझे जाने को कहा?
लेकिन मुझे अभी और मेहनत करनी पड़ेगी.. ऐसा सोच कर मैं अपने कमरे में जा कर बैठ गया।
फिर शाम तक कुछ नहीं हुआ। अब रात के आठ बज रहे थे और हम डिनर पर बैठे.. लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही थी कि मैंने इतना खुल कर कहा था कि चाची मैं आपको फैंटेसी में लेकर मुठ्ठ मारता हूँ.. पर चाची ने अब तक कुछ नहीं कहा.. मैं इस बात पर बहुत हैरान था।
इसीलिए अब मैंने ही बात शुरू करना ठीक समझा।
मैं- चाची…
चाची- हाँ..
मैं- चाची एक बात पूछनी है?
चाची- किस बारे में? मैंने अब तक तुमसे फैंटेसी के बारे में पूछा नहीं.. इस बारे में..!
मैं तो यह सुनकर एकदम से शॉक्ड ही हो गया।
चाची यह देख कर हंस पड़ीं।
चाची- अरे बेटा.. इस उम्र में ऐसा बच्चे करते हैं.. लेकिन मुझे तुम्हारी स्वीकारोक्ति पसंद आई।
मैं- थैंक्स चाची.. लेकिन मैं एक बात कहूँगा.. आप मुझे अच्छी तरह से समझने लगी हैं।
चाची- अच्छा बाबा.. चलो अब खाना खत्म करो..
ऐसा कह कर चाची ने अपना खाना खत्म किया और तभी उनके मुँह से ‘आह..’ निकली।
मैं- क्या चाची.. अब भी दर्द है?
चाची- हाँ बेटा.. अभी डिनर करके एक और बार मालिश कर देना..
मैं- ठीक है चाची..
कहकर मैंने फटाफट खाना ख़त्म किया। इतने में चाची ने भी अपना काम खत्म किया और मेरी ओर देख कर मुस्कराईं.. मैं भी रसोई में बर्फ लेने चला गया और बर्फ लेकर चाची के बेडरूम में दाखिल हुआ और देखा तो चाची अपने आप ही पेट के बल लेटी हुई थीं।
मेरे अन्दर आते ही उन्होंने कहा- सन्नी.. बेटा अब तक दर्द नहीं गया है.. थोड़ी हार्ड मालिश करो और दर्द और जगह भी है.. तो वहाँ भी मालिश कर दो।
मैंने- ठीक है चाची..
मैं चाची के पाँव के पास बैठ गया और बिना पूछे चाची की साड़ी उनकी जाँघों तक उठाई और चाची ने मेरे कहने से पहले ही अपने पाँव फैला लिए।
मेरा लंड तो फनफनाने लगा।
मैंने बिना बर्फ के ही चाची की जाँघों पर हाथ फिराया और फिर बर्फ हाथ में ले ली।
मैं दोनों हाथों मे बर्फ लेकर चाची की जाँघों पर बर्फ रगड़ने लगा।
चाची को मज़ा तो आ रहा था.. लेकिन चाची ने कहा।
चाची- बेटा सन्नी.. एक और बात है कि चोट मुझे कहीं और लगी है.. पता नहीं कैसे कहूँ.. पर जो है.. वो है।
मैं- चाची.. बिना कोई झिझक मुझे बताइए..
चाची- मैं बता नहीं पाऊँगी..
मैं- अच्छा तो मेरे हाथ वहाँ रख दीजिए जहाँ दर्द हो रहा है..
फिर उन्होंने अपने दोनों हाथों में मेरे हाथ लिए और अपनी पैन्टी पर रख दिए.. मेरा तो मन ही नाच उठा।
मैंने अपने हाथों से बर्फ छोड़ कर चाची की गाण्ड को पहले तो देखा फिर चाची की साड़ी को उठा कर चाची की कमर पर रख दिए।
अब उनकी पैन्टी से ढकी हुई पिछाड़ी मेरे सामने थी। मैंने पहली बार किसी औरत की गाण्ड को छुआ था।
मैंने अपने दोनों हाथ उनकी गाण्ड पर रखे और गोल-गोल घुमाए..
मैं- चाची.. अगर यहाँ पर बर्फ लगाऊँगा, तो आपकी पैन्टी भी गीली हो जाएगी और सही से सिकाई भी नहीं हो पाएगी.. तो क्या आप?
चाची- नहीं.. नहीं… सन्नी मैं तेरे सामने, इसे कैसे उतार सकती हूँ?
मैं- अगर आपको शर्म आ रही हो तो मैं इसे उतार देता हूँ..
चाची- ओह.. सन्नी.. तुम तो बड़े बेशर्म हो रहे हो।
मैं- चाची.. मैं आपके भले के बारे में ही कह रहा हूँ।
चाची- नहीं..नहीं..
मैं- क्या नहीं.. नहीं.. चाची.. मैं ज़रूर लगाऊँगा.. आपको सुबह से दर्द है और आप बताती भी नहीं हैं।
फिर चाची कुछ नहीं बोलीं.. मैंने इसे चाची की इजाज़त मान ली और चाची की पैन्टी पर फिर से हाथ रखकर दोनों हाथों में दबा लिया।
चाची अब बस आँखें बंद करके लेटी रहीं.. कुछ बोल नहीं रही थीं। फिर मैंने पैन्टी के अन्दर अपने हाथ डाल लिया और चाची की गाण्ड को सहलाने लगा। चाची भी मज़े ले रही थीं। फिर मैं दोनों हाथों से चाची के चूतड़ों को दबाने लगा.. चाची के मुँह से ‘आह… ऊह..’ की आवाज़ निकलने लगी।
मैं जानता था कि यह उनकी सिसयाहट है पर मैंने जानबूझ कर कहा- देखा चाची.. दर्द ज़्यादा हो रहा है ना.. आप बस अब मुझे अपने तरीके से इलाज करने दीजिए।
चाची- अच्छा बाबा.. तू ही अपने तरीके से कर दे.. वैसे भी तू अच्छा इलाज कर रहा है..
फिर मैंने चाची की पैन्टी को छोड़ा और चाची की कमर के बगल से दोनों हाथ पैन्टी में डाल कर पैन्टी नीचे करने लगा..
चाची ने भी हल्का सा उठ कर मेरा काम आसान कर दिया, फिर मैंने बड़े आराम से चाची की पैन्टी उतारी और उसे सूंघने लगा।
सच में पैन्टी से मुझे पसन्द आने वाली खुश्बू थी.. मैंने थोड़ी देर नाक से लगाई रखी.. तो चाची ने मुझे सूंघते हुए देख लिया और कहा।
चाची- अरे सन्नी.. यह क्या कर रहा है?
मैं- चाची.. इसमें से बड़ी अच्छी खुश्बू आ रही है.. इसलिए इसे सूंघ रहा हूँ.. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है।
चाची- सन्नी.. मेरे दर्द के बारे में भी सोच..
मैं- अच्छा चाची.. क्या मैं यहाँ सूंघ सकता हूँ? मैंने चाची की गाण्ड की ओर ऊँगली दिखाते हुए कहा।
चाची ने कहा- ठीक है.. पर इलाज भी साथ में करता चल।
फिर मैं चाची की गाण्ड के पास बैठ गया और चाची की गाण्ड को देखने लगा और दबाने लगा.. चाची की फिर से ‘ऊँ..आँ.’ चालू हो गई। फिर मैं चाची की गाण्ड को सूंघने के बहाने चाची के ऊपर आ गया और उल्टा लेट गया.. जिससे अब मैं चाची के ऊपर था.. पर चाची पेट के बल लेटी हुई थीं। इसीलिए वो मेरा तना हुआ लंड महसूस कर सकती थीं.. पर कुछ कर नहीं सकती थीं।
चाची की इस हालत पर मुझे मज़ा आ रहा था और मैं चाची की गाण्ड को सूंघने के बहाने.. गाण्ड को खोलकर चुम्बन करने लगा और मेरा नाक चाची की बुर पर था। इसीलिए चाची और भी मदहोश हो रही थीं.. चाची की चूत से रस निकलना चालू हो गया था।
मेरा लंड भी काबू में नहीं था.. इसीलिए मैंने चाची को इशारा देने के लिए वहाँ खुज़ाया और दो-तीन बार किया तो चाची ने भी आख़िर पूछ ही लिया।
चाची- क्या हो रहा है बेटा?
मैं- कुछ नहीं चाची.. बस खुजली हो रही है।
चाची- ला.. मैं देखूँ.. तो?
मैंने बिना वक्त जाया किए.. नादान बनते हुए अपना लंड चाची के सामने खुला कर दिया।
अब चाची पीठ के बल घूम गईं और मेरी आँखों के सामने चाची की खुली चूत थी। चूत पर हल्के से बाल भी थे.. पहली बार चूत देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मेरा प्री-कम निकलने लगा..।
मेरे लवड़े से चुचाते रस को चाची ने देख लिया था.. लेकिन उन्होंने अनजान बनते हुए फिर से कहा- ला.. मैं इसकी खुजली का इलाज करती हूँ।
मैंने लौड़ा आगे किया और उन्होंने मौका पाते ही मेरा लंड पकड़ कर अपने मुँह में रख लिया और मस्त चूसने लगीं..
मैं भी समझने लगा था कि चाची चुदना ज़रूर चाहती हैं.. पर नादान बनकर.. इसलिए मैंने चाची की चूत पर ऊँगली रखते हुए कहा- चाची यहाँ पर लगता है.. चींटी अन्दर घुस गई है.. इसलिए तो पानी निकल रहा है.. क्या मैं इसे निकाल दूँ?
चाची ने कहा- अरे जल्दी निकालो.. यह भी कोई पूछने वाली बात है क्या?
मैंने भी चाची की चूत में अपनी ऊँगली डाल दी और आराम से उसे अन्दर-बाहर करने लगा।
चाची भी मेरा लंड चूस चूसकर बरसों की प्यास बुझा रही थीं।
फिर मैंने चाची की चूत में अपनी जीभ डाल कर चूसने लगा.. मेरी जीभ की नर्माहट से चाची की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी। लेकिन वो खुल कर मुझसे चोदने के लिए नहीं बोल रही थीं।
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