Thursday, April 16, 2015

FUN-MAZA-MASTI ममेरे भाई से सुहागरात

FUN-MAZA-MASTI

ममेरे भाई से सुहागरात


आज मैं आपको अपने परिवार के बारे में बता रही हूँ, मेरे घर में माँ, पापा के अलावा हम लोग 3 भाई बहन हैं, सबसे बड़ा भाई है जिसका नाम राहुल है, वो 28 साल का है, दिल्ली के एक कंपनी में जॉब करता है। उसके बाद एक बहन 26 साल की है जिसका नाम सुरुचि है, मुंबई में जॉब करती है, उसके बाद मैं हूँ तो मेरे बारे में आप लोग जानते ही हैं।
फिर भी अपनी फिगर बता देती हूँ, 36-30-36 है।
तो चलो अब मैं कहानी पर आती हूँ।
एक दिन मैं कॉलेज से घर आई तो देखा कि माँ के पास एक हैण्डसम सा लड़का बैठा हुआ था, मैंने माँ से पूछा पता लगा कि यह मेरा ममेरा भाई है। वैसे हम लोग 14 साल बाद मिले थे क्योंकि वो बाहर रह कर पढ़ता था और मैं जब जाती थी, सब मिलते थे, वो नहीं मिलता था।
और माँ ने बताया कि मेरी ममेरी बहन की शादी है, वो हमको लेने आया था लेकिन किसी को ऑफ़िस से छुट्टी नहीं मिलने के कारण कोई नहीं जा पाएगा।
लेकिन माँ ने मुझे जाने को बोला।
मैं- हाँ ठीक है, मैं चली जाती हूँ।
माँ बोली- जाओ तुम जल्दी से रैयार हो जाओ, एक घंटे बाद बस का टाईम है।
मैं जल्दी-जल्दी तैयार हो गई, मैंने पज़ामी-कुरती पहनी थी, पज़ामी एकदम टाइट थी जो चूतड़ों के पास और ज्यादा टाइट थी जिसमें अगर हल्का सा भी छेद भी हो जाए तो पूरी फट जाएगी, और कुर्ता भी एकदम टाइट था और चूचियों के पास इतना खुला हुआ था कि अगर ओढ़नी नहीं ओढ़ूँ तो मेरी आधी चूचियाँ सबको दिख जाएँ और नीचे कुर्ती तो मेरी कमर से 2 इंच नीचे तक ही होगी, जिससे मेरी चूतड़ सब को आसानी से दिख सकते थे।
जब मैं बाहर निकली तो मेरा ममेरा भाई मुझे घूर-घूर के देख रहा था।
मैं बोली- अब चलो!
हम लोग चल दिए और बस में बैठ गए। शाम का टाइम था और रास्ता लम्बा था। मैं खिड़की के पास बैठी और वो मेरे बगल में बैठ गया। कुछ देर बाद बस चली, खिड़की खुली हुई थी, एक हवा का झोंका अंदर आया और मेरी ओढ़नी उड़ गई। मैंने अपनी चुन्नी ठीक की लेकिन हवा ने फिर उड़ा दी, मैं बार-बार ठीक कर रही थी और हवा उड़ा दे रही थी तो मैंने उसे ऐसे ही छोड़ दिया।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि मेरा भाई तिरछी नज़र से मेरी चूचियों का मुफ़्त नज़ारा देख रहा था लेकिन मैं कुछ नहीं बोली और मन में सोचने लगी कि मैं ऐसे कपड़े तो यही सब दिखाने के लिए ही तो पहनती हूँ।
मैंने उसको कुछ नहीं कहा, शायद उसको भी पता चल गया था कि मैंने देख कर अनदेखा कर दिया है तो वह मेरे कंधे पर हाथ रख कर बैठ गया और बोला- हाथ दुख रहा है।
मैं कुछ नहीं बोली तो उसका मन और बढ़ गया और उसने खिड़की बन्द करने के बहाने अपने हाथ को मेरी चूची से सटा दिया और खिड़की बन्द कर दी। फिर भी मैं कुछ नहीं बोली और आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगी।
उसको लगा कि मैं सच में सो गई तो उसने उसका फ़ायदा उठाते हुए अपना एक हाथ मेरे जाँघ पर रखा और हल्के से सहलाने लगा, फिर उसने धीरे से अपना हाथ थोड़ा और अंदर की ओर सहलाते हुए किया, वैसे भी तब तक अंधेरा हो चुका था तो किसी को ज्यादा दिख नहीं रहा था।
मुझे लगा कि वो अपना हाथ मेरी चूत तक ले जाएगा लेकिन नहीं ले गया, उसने भी मेरे कंधे पर अपने सिर रखा और सिर को हल्का नीचे करते हुए मेरी चूचियों पर रख दिया और अपने होंठ से काटने की कोशिश करने लगा।
जब मैं कुछ नहीं बोली तो उसने अपना सिर हटाया और अपने एक हाथ से मेरी चूची को हल्के से सहलाने लगा और फिर भी मैं कुछ नहीं बोली तो उसने अपने एक हाथ मेरी चूची को थोड़ा ज़ोर से दबाया तो मैंने जागने का नाटक किया तो वो थोड़ा डर गया और मुझसे थोड़ा अलग हो गया और साइड में बैठ गया।
तो मैं अपनी सीट से उठी और ऊपर रखे बैग से एक चादर निकाल ली क्योंक तब तक ठंड भी बढ़ रही थी, मैंने चादर ओढ़ ली और उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दी, बोली- ठंड ज्यादा है, आप भी ओढ़ लो।
इतना सुनते ही वो मुझसे चिपक कर बैठ गया और अपना एक हाथ मेरी जाँघों पर रख कर सहलाते-सहलाते मेरी चूत तक पहुँच गया और अपनी उंगली मेरी चूत के ऊपर फ़िराने लगा।
 
मैंने भी अपनी दोनो टाँगों को फैला दिया जिससे उसको मेरी चूत तक पहुँचने में और आसानी हो रही थी।
कुछ देर बाद चूत को छोर कर वो अपने हाथ को मेरी कमर पर ले गया और उसको सहलाने लगा और धीरे-धीरे वो मेरी नाभि के आस पास अपनी उंगली घुमाने लगा और कुछ देर बाद मेरी नाभि में उंगली डाल कर घुमाने लगा, मैं आँखें बंद करके अपने होंठ को अपने दांत से दबाए हुए इस सबका मज़ा ले रही थे।
धीरे-धीरे मैं भी अपना हाथ उसके लंड पर ले गई और उसको दबाने लगी। वो एकदम सख्त था कि तभी बस में लाइट जल उठी और मैंने अपना हाथ पीछे खींच लिया और उससे थोड़ा हट गई कि बस में कोई देख लेता तो बदनाम हो जाती!
हम लोग वैसे ही बैठे रहे, रात के 10 बजे बाद एक स्टॉपेज आया और बस के लगभग सब लोग उतर गये थे, बाकी जो थे, वो आगे बैठे हुए थे, पीछे सिर्फ़ हम दोनों ही थे तो मैंने पूछा- अभी और कितना दूर है?
तो वो बोला- 3 घण्टे !
और तब बस का ड्राइवर बोला- लाइट ऑफ कर देता हूँ, आप लोग सो जाओ, जब आपका स्टॉप आएगा तो जगा दूँगा।
और उसने लाइट ऑफ कर दी।
लाइट ऑफ होते ही भैया ने मेरी गाल पे एक किस किया और मेरी कान में बोला- अब तो शुरू हो जाऊँ?
तो मैं कुछ नहीं बोली लेकिन गर्दन ऊपर-नीचे कर दी और उसको तो खुली छूट मिल गई तो उसने सीधे अपना दोनों हाथ मेरी चूचियों पर रखे और उनको कपड़े के ऊपर से ही मसलने लगा, फिर उसने मेरी ओढ़नी पूरी ही हटा दी, मेरी बदन के खुले भाग पर चुम्बन करने लगा, अपना एक हाथ मेरी चूत के पास ले गया और कपड़े के ऊपर से ही मसलने लगा।
तो मैं भाई के लंड को कपड़े के ऊपर से ही दबाने लगी, कुछ देर बाद भाई अपने दोनों हाथ मेरी कुरती के पीछे ले गया और पीछे से मेरी चेन खोल दी, मेरी कुरती को थोड़ा आगे खींच कर मेरी एक चूची को बाहर निकाल लिया, उसको चूसने लगा तो मैंने भी उसके लंड को बाहर निकाल कर हिलाने लगी।
कुछ देर ऐसा करने के बाद वो थोड़ा नीचे हुआ और मेरी पज़ामी के ऊपर से ही मेरी चूत को अपने मुँह से दबाने लगा, अपने एक हाथ से मेरी चूची दबा रहा था और एक हाथ से मेरी पेट को सहला रहा था।
फिर उसने मेरी पजामी का नाड़ा खोलने की कोशिश की तो मैंने मना कर दिया, बोली- बाद में!
तो वो मान गया और सीट पर बैठ गया, मैं थोड़ा नीचे झुकी और उसके बाहर निकले लंड पर अपने कोमल लबों से चूमा फिर उसके लंड को चूसने लगी और वो मेरी पीठ पर चुम्बन कर रहा था।
कुछ देर में वो झर गया और सारा माल मेरे मुँह में ही छोड़ दिया और मैं सारा वीर्य पी गई।
मैं उठने ही वाली थी की बस वाला आगे से बोला- पीछे वाले भैया, आप लोगों का स्टॉप कुछ देर में आने वाला है, आप लोग उठ जाओ।
तो हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े ठीक किए और अपने स्टॉप पर उतर गए।

लेकिन वहाँ कोई नहीं था तो उसने मेरे चूतड़ दबाते हुए बोला- यहीं पास में एक होटल ले लेते हैं और सुबह तक मजा करते हैं।
तो मैं बोली- नहीं, घर चलते हैं।
तो उसने एक टैक्सी को बुलाया और हम घर पहुँच गये।
मुझे वहाँ देख कर सब बहुत खुश हुए और बोले- तुम लोग थक गये होंगे, थोड़ी देर आराम कर लो, कल से बहुत काम है।
सुबह सब लोग तैयार होकर एक होटल में चले गये क्योंकि शादी होटल में ही होने वाली थी, जब सब को रूम मिल रहा था तो भैया ने मेरे रूम के बगल में अपना रूम लिया और सब लोग अपने-अपने काम में लग गये।
काम करते-करते कब शाम हो गई, पता ही नहीं चला। मैं अपने रूम में आई और अपने कपड़े बदल रही थी तो मुझे लगा पीछे कोई है, फिर सोचा रूम तो बंद है कोई कैसे होगा और कपड़े बदलने लगी।
जब सिर्फ़ ब्रा-पैंटी में थी तो किसी ने मेरे चूतड़ों पर चुम्बन किया तो मैं पीछे मुड़ी और देख कर बोली- भैया आप?
तो उसने मेरे मुँह पर अपना हाथ रख दिया और बोला- धीरे बोलो, कोई सुन लेगा।
तो मैंने पूछा- आप अंदर कैसे आए?
तो उसने एक दरवाजा दिखाया जो दोनों रूम को जोड़ता था, और बोला- तुम्हारे लिए ही ये दो रूम मैंने ही लिएँ है।
और मेरे चूची पर चूमते हुए अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को दबाते हुए बोला- अभी एक राउंड हो जाए?
तो मैं बोली- मुझे मामी ने नीचे बुलाया है ड्रेस चेंज करके!
तो बोला- एक राउंड होने दो ना, फिर जाना…
तो मैं बोली- रात को !
तो वो मान गया, मैं बोली- मैं कौन सी ड्रेस पहनूँ?
तो उसने मेरे बैग से एक गुलाबी साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज निकाल कर दिया और बोला- इसमें आना तो आज हम सुहागरात मनाएँगे।
तो मैं मुस्कुरा दी…
फिर वो बैठा रहा, मैंने लाल ब्रा और पैंटी पहनी, फिर ब्लाऊज, फिर पेटीकोट पहना और उसका नाड़ा बाँध ही रही थी कि वो बोला- थोड़ा और नीचे कर लो।
तो मैंने पटिकोट नीचे कर लिया जिससे कमर से 4 उंगली नीचे साड़ी पहन कर नीचे गई।
जब मैं नीचे का काम ख़त्म करके आई और अपना रूम लॉक करके रूम के अंदर के रास्ते से उसके रूम में गई तब मैं गुलाबी साड़ी और गुलाबी ब्लाऊज में थी और वो नंगा अपने बेड पर बैठा हुआ था, मुझे देखते ही वो उठा, मेरे पास आया, मेरे गले लग गया और मेरे कमर पर हाथ फेरने लगा, मुझे चुम्बन करने लगा।
फिर वो मेरी कमर को पकड़े हुए और चुम्बन करते हुए अपने बेड के पास लाया और ब्लाऊज के ऊपर से मेरी चूची को चूमने लगा, नीचे से हाथ से मेरी चूची को दबा रहा था।
फिर कुछ देर ऐसे करने के बाद वो मुझे किस करने लगा और उसका हाथ मेरे कमर पर ही था।
तब वो बोला- रूचि कमरे की लाइट जला दूँ?
मैं बोली- जला दो!
उसने लाइट जला दी और आते ही अपनी एक उंगली को मेरी ब्लाऊज के नीचे से डालने की कोशिश करने लगा, फिर अपने लंड को मेरी नाभि में रगड़ने लगा, फिर मेरे चूची को थोड़ा दबाया और फिर मेरे पेट पर किस किया और अपने हाथ को मेरी दोनों टाँगों के बीच से होते हुए मेरी चूत तक पहुँच गया और मेरी चूत को ऊपर से ही हल्का दबाया, एक हाथ से मेरे बालों को हटाया और मेरी गर्दन पर किस किया, दूसरे हाथ से मेरी कमर को पकड़ कर अपनी ओर खींचा, मैं उससे पूरी चिपक गई जिससे उसका लंड ठीक मेरी चूत के सामने था और अगर बीच में साड़ी की दीवार नहीं होती तो अब तक उसका लौड़ा मेरी चूत के अंदर जा चुका होता।
वह दोनों हाथों से मुझे अपनी ओर चिपका कर चुम्बन करने लगा। फिर वो बेड पर बैठ गया जिससे उसका सर मेरी चूचियों के पास था, वो एक हाथ से मेरी कमर को और एक हाथ से मेरी चूची को दबा रहा था और दूसरी चूची को मुँह से दबा रहा था।
कुछ देर ऐसा करने के बाद वो मेरी पेट को ज़ोर ज़ोर से चाटने-काटने लगा, वो मेरे पेट को इतनी जोर से काट रहा था कि मैं आआ… आआआहह की आवाज निकाल रही थी।
फिर कुछ देर ऐसा करने के बाद वो अपनी जीभ को मेरी ब्लाऊज में डालने की कोशिश करने लगा। फिर मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर ले गया तो मैंने भी उसके लंड को पकड़ लिया। उसका लंड एकदम गरम लोहे के तरह कड़ा और गर्म था, मैं उसके लंड को अपने कोमल हाथों से सहलाने लगी।
फिर वो मेरे साड़ी को हटाने के कोशिश करने लगा लेकिन हटा नहीं पा रहा था तब मैंने साड़ी की पिन को खोल दी, उसने मेरे पल्लू को नीचे गिरा दिया, उसने मुझे चूमते हुए घुमाया जिससे मेरी पीठ उसके सामने हो गई और वो मेरी चूचियों को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा, उसका लंड मेरे चूतड़ों से रगड़ खा रहा था, मैं अपना हाथ पीछे कर के उसके लंड को पकड़ कर मसलने लगी।
कुछ देर मेरी चूचियों को दबाने के बाद मेरी गर्दन को चूमते हुए वो अपना हाथ नीचे लाया और मेरे पेट को सहलाते हुए मेरी नाभि में अपनी उंगली डाल कर घुमाने लगा, फिर हाथ को थोड़ा और नीचे लाया और मेरी पेटीकोट के अंदर डालने के कोशिश करने लगा लेकिन नाड़ा इतना टाइट था कि हाथ जा नहीं पाया तो मैंने अपनी साड़ी खोल कर हटा दी और उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल कर मेरे पेटीकोट को नीचे कर दिया।
फिर उसने बेड पर बैठ कर मुझे अपनी जाँघों पर ऐसे बैठाया कि मेरे चूची उसके मुँह के पास थी। मैं अपने ब्लाऊज का हुक खोल रही थी और वो अंगूठे से मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा, तब तक मैं ब्लाऊज खोल चुकी थी।
उसने मेरी कमर को पकड़ कर अपनी ओर खींच कर थोड़ा उठाया जिससे उसका लंड मेरी दोनों टांगों के बीच में आ गया। उसने मेरे चूतड़ों के बीच अपनी उंगली डाल कर मेरी पैंटी को गाण्ड के बीच में घुसा दिया और चूत को हल्का सा दबाया तो मैं थोड़ा पीछे हो गई और उसको बेड पर धकेल कर गिरा दिया और मैं नीचे बैठ कर उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
वो मेरी चूची को ब्रा के ऊपर से बाहर निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन ब्रा इतनी टाइट थी कि निकाल नहीं पा रहा था तो उसने मेरी ब्रा को खोल दिया। ब्रा खुलते ही मेरी चूचियाँ आज़ाद हो गई, वो मेरी चूची को सहलाने लगा, मेरी निप्पल को अपनी दो उंगलियों के बीच दबाने लगा, फिर वो मेरी चूची को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा।
फिर मैं लेट गई और वो मेरी टाँगों के बीच में आकर मेरी पैंटी को हल्का साइड कर के मेरी चूत को चाटने लगा, कुछ देर चाटने के बाद उसने मेरी पैंटी को भी उतार दिया, मैं बिल्कुल नंगी हो गई और वो मेरी चूत को चाटे जा रहा था।
उसने अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाली तो मेरे मुँह से आआहहा आआ की आवाज निकल रही थी, मैं अपनी चूचियाँ पकड़ कर दबाने लगी और वो अपनी मस्ती में मेरी चूत में अपनी जीभ के साथ खिलवाड़ किए जा रहा था।
कुछ देर ऐसा करने के बाद वो नीचे पीठ के बल लेट गया और मैं उसके लंड के ऊपर आ कर बैठ गई और लेकिन उसका लंड फिसल कर मेरे दोनों चूतड़ों के बीच चला गया, एक दो बार ऐसा होने के बाद उसने अपने लंड को पकड़ कर मेरी चूत के छेद पर टिकाया और मैं उस पर बैठ गई जिससे उसका लंड मेरी चूत में चला गया, तो फिर वो मेरी कमर को पकड़ कर आगे-पीछे करने लगा तो मैं भी ऊपर नीचे होने लगी। वो नीचे से अपनी कमर उठा-उठा कर मुझे चोद रहा था।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं पीठ के बल लेट गई और वो मेरी टाँगो के बीच में आ गया और अपने लंड को मेरी चूत में डाल कर चोदने लगा और मैं भी अपनी टाँगों से उसको लपेट कर उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा और धीरे-धीरे उसके झटके तेज होने लगे और मेरे मुंह से आआअहहा आअ आहह की आवाज आने लगी।
जब वो झड़ने वाला था तो उसने अपना लंड बाहर निकाल कर मेरी चूचियों पर अपना माल गिरा दिया। तब तक मैं भी झड़ चुकी थी। वो बगल में लेट गया।





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