FUN-MAZA-MASTI
ठरकी चाचू --2
फिर कुछ दिनों बाद मेरा ब्वॉय-फ्रेंड वलीद कराची से आया हुआ था।
वो भी मेरा रिश्तेदार था तो मेरे घर आया हुआ था।
हम एक-दूसरे से मुहब्बत भी करते थे.. लेकिन यह बात किसी को पता नहीं थी।
एक दिन मैं और वलीद हमारे घर के एक कमरे में सीट पर दोनों साथ बैठे बातें कर रहे थे।
सारे घर वाले बाहर थे.. और दरवाज़ा थोड़ा सा बंद था।
वलीद ने मेरा हाथ पकड़ा ही था कि अचानक दरवाज़ा खुला और हसन भाई.. मेरे एक और रिश्तेदार अनवर अन्दर आए।
उन्हें देखते ही वलीद डर कर उठा और एकदम शीशे के सामने खड़ा हो कर बालों पर कंघी करने लगा।
मैं भी एकदम से उठ कर अपनी बुक्स लेने लगी।
हमने ऐसा ज़ाहिर किया कि हम दोनों के दरमियाँ कुछ नहीं है.. लेकिन हसन भाई और अनवर भाई नादान ना थे.. दोनों की उम्र 26 और 24 थी।
जब कि मेरी और वलीद की उम्र उनकी उम्र से काफी कम थी।
उन दोनों ने हम पर शक किया.. यह हमें यक़ीन हो गया था।
वो दोनों चले गए..
बाद में हसन भाई ने मुझसे कहा- अफ़सोस हीरा.. तुमने मुझसे एक बात छुपाई.. अफ़सोस…
मुझे तो यक़ीन हो गया था कि हसन भाई को मेरे और वलीद के अफेयर का पता चल गया है।
मैंने एकदम अपने आपको ठीक से बात करने के लिए और हसन भाई से जान छुड़ाने के लिए कहा- मुझे पता है हसन भाई कि आप क्या सोच रहे हैं.. ऐसा कुछ नहीं है और अब मैं आपसे बात भी नहीं करती और आपकी-हमारी दोस्ती भी ख़त्म..
यह कह कर मैं चली गई..
हसन भाई की तो जान निकल गई।
वो मुझसे माफी माँगने लगे और कहने लगे- साना मैं तो मज़ाक़ कर रहा था… प्लीज़ ऐसा मत करो..
लेकिन मैं नहीं मानी और सच्ची बात तो यह है कि मुझे हसन भाई की हरकतें अच्छी नहीं लगती थीं तो मैंने कहा- नो.. मीन्स.. नो.. अब मुझे तंग किया.. तो मैं अम्मी को बोलूँगी..
उन्होंने बहुत मिन्नतें कीं.. लेकिन मेरे ना मानने पर वो चले गए।
अब हसन भाई मेरे लिए बेचैन होने लगे और वो मुझसे लव करने लगे.. उन्हें यह तो पता था कि मैं भी किसी से लव करती हूँ तो वो समझे कि उनका काम भी बन जाएगा।
लेकिन यह तो उन की गलतफहमी थी।
फिर एक-दो माह वो नहीं आए और इस दौरान वलीद भी वापस कराची चला गया।
फिर एक दिन हसन भाई आए तो मैंने बिल्कुल सामान्य होकर उन्हें सलाम किया और चली गई।
वो उदास-उदास से लग रहे थे.. मैं जहाँ भी बैठी होती वो मुझे मासूम बच्चों की तरह देखते रहते और मुझसे नज़र ना हटाते।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.. अनवर भाई से मेरी अच्छी बनती थी.. क्योंकि वो मेरे पड़ोसी भी थे और गाँव के माहौल तो ऐसा होता है कि हर कोई एक-दूसरे के घर बिना किसी रोक-टोक के आता-जाता है।
उसी रात को मैं अनवर भाई के पास बैठी हुई बातें कर रही थी.. तो हसन भाई हमसे दूर बैठे मुझे देख रहे थे और उदास भी थे।
मुझसे रहा ना गया तो मैंने अनवर भाई से पूछा- क्या बात है हसन भाई को?
तो वो बोले- इनकी गर्लफ्रेंड की शादी है और ये उसी बात से परेशान हैं।
मेरा दिल बहुत खफा हुआ और जिस तरह वो मुझे देख रहे थे.. मुझे शक होने लगा कि शायद वो मुझे पसन्द करते हैं।
फिर जब अनवर भाई ने हसन भाई से पूछा तो उसने कहा- यार अनवर, मुझे साना से लव हो गया है और मैं उससे शादी करना चाहता हूँ।
अनवर भाई ने कहा- पागल है क्या.. वो तुझसे छोटी है.. और रिश्ते में भी तेरी बेटी लगती है।
हसन ने कहा- आई नो.. लेकिन अनवर तू बोल ना उससे यार… तेरी उससे बनती है.. वो मान जाएगी।
अनवर ने कहा- सोच ले हसन.. देख कोई मसला बन गया तो बदनामी हो जाएगी और साना ने अपना अम्मी को बोला तो पूरी कुनबे में हंगामा हो जाएगा।
लेकिन हसन ने कहा- तुम बोलो तो.. बाक़ी देखा जाएगा।
फिर हसन भाई अपने घर वापस चले गए।
दो दिन बाद अनवर भाई ने मुझे बुलाया और पहले इधर-उधर की बातें करने लगे और फिर कहा- हीरा.. तुम्हें पता है कि हसन क्यों उस दिन उदास था?
मैंने कहा- नहीं.. आप बताएँ ना.. वे क्यों खफा थे.. उन्हें देख कर तो मेरे दिल भी खफा हो गया था।
तो उन्होंने कहा- अगर तुम प्रॉमिस करो कि किसी को नहीं बताओगी.. तो मैं बता देता हूँ।
मैंने कहा- ओके आई प्रॉमिस..
अनवर भाई ने कहा- साना.. हसन तुमसे बहुत प्यार करता है और वो तुमसे शादी करना चाहता है। वो पागल है तुम्हारे पीछे..
मुझे शक तो था ही लेकिन अब यक़ीन हो गया कि हसन भाई मुझे मुहब्बत करते हैं।
मेरे दिल को थोड़ी खुशी भी हुई लेकिन फिर मैंने एकदम से कहा- ये आप क्या कह रहे हैं? मैंने कभी उन्हें इस नज़र से नहीं देखा और वो मेरे चाचा की तरह हैं.. वो ऐसा नहीं कह सकते।
अनवर ने कहा- तुम उससे बात करके देख लो.. मैं बात करवाता हूँ।
मैंने कहा- ओके… करवाइए।
अनवर ने फिर हसन भाई को कॉल की और उससे कहा- हसन ये लो.. साना बात करेगी।
मैंने मोबाइल लिया और कहा- हैलो हसन भाई.. मैं यह क्या सुन रही हूँ?
हसन ने कहा- क्या हुआ?
मैंने फिर उन्हें सारी बात बता दी तो वो बोले- यार मैंने अनवर को मना किया था कि तुमसे बात ना करे लेकिन उसने पता नहीं क्यों ऐसा किया।
मैंने कहा- वो छोड़िए.. यह बताएँ कि यह सच है कि नहीं?
तो हसन ने कहा- हाँ हीरा.. ये सच है.. प्लीज़ मुझे गलत मत समझो.. मैं तुम्हारे बिना मर जाऊँगा.. आई लव यू साना..
मैंने कहा- प्लीज़ हसन भाई ऐसा मत कहें और उदास मत हों… हम नहीं मिल सकते..
लेकिन वो तो रोने लग गए तो मिन्नतें करने लगे।
तो मुझे भी शक होने लगा कि शायद ये मुझसे सच्चा प्यार करते हैं।
मैंने कहा- प्लीज़ हसन भाई रोईए मत.. जो होगा अच्छा होगा.. आप परेशन मत हों… चलिए आप यहाँ गाँव आइए.. तो बात करते हैं..
वो खुश हो गए और मैं भी थोड़ी खुश हो कर चली गई।
ज़ाहिर है मैं लड़की थी.. मुझसे कहाँ बात पेट में रहती है।
मैंने अपनी सारी सहेलियों और कज़िन को बता दिया कि हसन मुझसे लव करता है।
फिर जब हसन गाँव आए तो मेरी सहेलियों ने मौका मिलने पर हम दोनों को मिलाया और बातें कीं।
मैं फिर भी ना मानी तो मेरी सहेली ने कहा- हसन भाई ये नखरे कर रही है.. मान जाएगी.. मैं इसे मना लूँगी।
अब आहिस्ता-आहिस्ता मैं भी हसन को पसंद करने लगी और जब मैंने सोचा कि हसन भाई को बता दूँ कि आई लव हिम.. तो तो किस्मत ने ऐसा मोड़ लिया कि मैं ना तो हसन भाई की रही और ना वलीद की।
मुझे पता ही नहीं चला और कराची में मेरे अब्बू ने हमारे एक रिश्तेदार के बेटे हिलाल से मेरा रिश्ता तय कर दिया और मेरी मंगनी हो गई।
वलीद, हसन भाई ओर मैं शॉक में चले गए।
खैर.. मैं तो संभल गई और अपने अब्बू की खुशी में खुश हो गई और वलीद को भी समझा दिया।
लेकिन हसन भाई न संभल सके.. वो मुझसे और प्रेम करने लगे।
मैं उन्हें मना भी करने लगी और मैंने उनसे बात भी करनी छोड़ दी।
वो पागल हो गए.. उन्होंने अपनी अम्मी को बोल दिया तो उनकी अम्मी ने मेरी अम्मी को कहा।
मेरी अम्मी ने कहा- अब तो बहुत देर हो चुकी है.. आप लोग पहले कहाँ थे.. अब कुछ नहीं हो सकता।
हसन भाई तो टूट गए… वो मुझसे मिन्नतें करते.. मैंने मना किया और अब मैं अपने मंगेतर हिलाल से बातें करने लगी और उसको पसंद करने लगी।
ठरकी चाचू --2
फिर कुछ दिनों बाद मेरा ब्वॉय-फ्रेंड वलीद कराची से आया हुआ था।
वो भी मेरा रिश्तेदार था तो मेरे घर आया हुआ था।
हम एक-दूसरे से मुहब्बत भी करते थे.. लेकिन यह बात किसी को पता नहीं थी।
एक दिन मैं और वलीद हमारे घर के एक कमरे में सीट पर दोनों साथ बैठे बातें कर रहे थे।
सारे घर वाले बाहर थे.. और दरवाज़ा थोड़ा सा बंद था।
वलीद ने मेरा हाथ पकड़ा ही था कि अचानक दरवाज़ा खुला और हसन भाई.. मेरे एक और रिश्तेदार अनवर अन्दर आए।
उन्हें देखते ही वलीद डर कर उठा और एकदम शीशे के सामने खड़ा हो कर बालों पर कंघी करने लगा।
मैं भी एकदम से उठ कर अपनी बुक्स लेने लगी।
हमने ऐसा ज़ाहिर किया कि हम दोनों के दरमियाँ कुछ नहीं है.. लेकिन हसन भाई और अनवर भाई नादान ना थे.. दोनों की उम्र 26 और 24 थी।
जब कि मेरी और वलीद की उम्र उनकी उम्र से काफी कम थी।
उन दोनों ने हम पर शक किया.. यह हमें यक़ीन हो गया था।
वो दोनों चले गए..
बाद में हसन भाई ने मुझसे कहा- अफ़सोस हीरा.. तुमने मुझसे एक बात छुपाई.. अफ़सोस…
मुझे तो यक़ीन हो गया था कि हसन भाई को मेरे और वलीद के अफेयर का पता चल गया है।
मैंने एकदम अपने आपको ठीक से बात करने के लिए और हसन भाई से जान छुड़ाने के लिए कहा- मुझे पता है हसन भाई कि आप क्या सोच रहे हैं.. ऐसा कुछ नहीं है और अब मैं आपसे बात भी नहीं करती और आपकी-हमारी दोस्ती भी ख़त्म..
यह कह कर मैं चली गई..
हसन भाई की तो जान निकल गई।
वो मुझसे माफी माँगने लगे और कहने लगे- साना मैं तो मज़ाक़ कर रहा था… प्लीज़ ऐसा मत करो..
लेकिन मैं नहीं मानी और सच्ची बात तो यह है कि मुझे हसन भाई की हरकतें अच्छी नहीं लगती थीं तो मैंने कहा- नो.. मीन्स.. नो.. अब मुझे तंग किया.. तो मैं अम्मी को बोलूँगी..
उन्होंने बहुत मिन्नतें कीं.. लेकिन मेरे ना मानने पर वो चले गए।
अब हसन भाई मेरे लिए बेचैन होने लगे और वो मुझसे लव करने लगे.. उन्हें यह तो पता था कि मैं भी किसी से लव करती हूँ तो वो समझे कि उनका काम भी बन जाएगा।
लेकिन यह तो उन की गलतफहमी थी।
फिर एक-दो माह वो नहीं आए और इस दौरान वलीद भी वापस कराची चला गया।
फिर एक दिन हसन भाई आए तो मैंने बिल्कुल सामान्य होकर उन्हें सलाम किया और चली गई।
वो उदास-उदास से लग रहे थे.. मैं जहाँ भी बैठी होती वो मुझे मासूम बच्चों की तरह देखते रहते और मुझसे नज़र ना हटाते।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.. अनवर भाई से मेरी अच्छी बनती थी.. क्योंकि वो मेरे पड़ोसी भी थे और गाँव के माहौल तो ऐसा होता है कि हर कोई एक-दूसरे के घर बिना किसी रोक-टोक के आता-जाता है।
उसी रात को मैं अनवर भाई के पास बैठी हुई बातें कर रही थी.. तो हसन भाई हमसे दूर बैठे मुझे देख रहे थे और उदास भी थे।
मुझसे रहा ना गया तो मैंने अनवर भाई से पूछा- क्या बात है हसन भाई को?
तो वो बोले- इनकी गर्लफ्रेंड की शादी है और ये उसी बात से परेशान हैं।
मेरा दिल बहुत खफा हुआ और जिस तरह वो मुझे देख रहे थे.. मुझे शक होने लगा कि शायद वो मुझे पसन्द करते हैं।
फिर जब अनवर भाई ने हसन भाई से पूछा तो उसने कहा- यार अनवर, मुझे साना से लव हो गया है और मैं उससे शादी करना चाहता हूँ।
अनवर भाई ने कहा- पागल है क्या.. वो तुझसे छोटी है.. और रिश्ते में भी तेरी बेटी लगती है।
हसन ने कहा- आई नो.. लेकिन अनवर तू बोल ना उससे यार… तेरी उससे बनती है.. वो मान जाएगी।
अनवर ने कहा- सोच ले हसन.. देख कोई मसला बन गया तो बदनामी हो जाएगी और साना ने अपना अम्मी को बोला तो पूरी कुनबे में हंगामा हो जाएगा।
लेकिन हसन ने कहा- तुम बोलो तो.. बाक़ी देखा जाएगा।
फिर हसन भाई अपने घर वापस चले गए।
दो दिन बाद अनवर भाई ने मुझे बुलाया और पहले इधर-उधर की बातें करने लगे और फिर कहा- हीरा.. तुम्हें पता है कि हसन क्यों उस दिन उदास था?
मैंने कहा- नहीं.. आप बताएँ ना.. वे क्यों खफा थे.. उन्हें देख कर तो मेरे दिल भी खफा हो गया था।
तो उन्होंने कहा- अगर तुम प्रॉमिस करो कि किसी को नहीं बताओगी.. तो मैं बता देता हूँ।
मैंने कहा- ओके आई प्रॉमिस..
अनवर भाई ने कहा- साना.. हसन तुमसे बहुत प्यार करता है और वो तुमसे शादी करना चाहता है। वो पागल है तुम्हारे पीछे..
मुझे शक तो था ही लेकिन अब यक़ीन हो गया कि हसन भाई मुझे मुहब्बत करते हैं।
मेरे दिल को थोड़ी खुशी भी हुई लेकिन फिर मैंने एकदम से कहा- ये आप क्या कह रहे हैं? मैंने कभी उन्हें इस नज़र से नहीं देखा और वो मेरे चाचा की तरह हैं.. वो ऐसा नहीं कह सकते।
अनवर ने कहा- तुम उससे बात करके देख लो.. मैं बात करवाता हूँ।
मैंने कहा- ओके… करवाइए।
अनवर ने फिर हसन भाई को कॉल की और उससे कहा- हसन ये लो.. साना बात करेगी।
मैंने मोबाइल लिया और कहा- हैलो हसन भाई.. मैं यह क्या सुन रही हूँ?
हसन ने कहा- क्या हुआ?
मैंने फिर उन्हें सारी बात बता दी तो वो बोले- यार मैंने अनवर को मना किया था कि तुमसे बात ना करे लेकिन उसने पता नहीं क्यों ऐसा किया।
मैंने कहा- वो छोड़िए.. यह बताएँ कि यह सच है कि नहीं?
तो हसन ने कहा- हाँ हीरा.. ये सच है.. प्लीज़ मुझे गलत मत समझो.. मैं तुम्हारे बिना मर जाऊँगा.. आई लव यू साना..
मैंने कहा- प्लीज़ हसन भाई ऐसा मत कहें और उदास मत हों… हम नहीं मिल सकते..
लेकिन वो तो रोने लग गए तो मिन्नतें करने लगे।
तो मुझे भी शक होने लगा कि शायद ये मुझसे सच्चा प्यार करते हैं।
मैंने कहा- प्लीज़ हसन भाई रोईए मत.. जो होगा अच्छा होगा.. आप परेशन मत हों… चलिए आप यहाँ गाँव आइए.. तो बात करते हैं..
वो खुश हो गए और मैं भी थोड़ी खुश हो कर चली गई।
ज़ाहिर है मैं लड़की थी.. मुझसे कहाँ बात पेट में रहती है।
मैंने अपनी सारी सहेलियों और कज़िन को बता दिया कि हसन मुझसे लव करता है।
फिर जब हसन गाँव आए तो मेरी सहेलियों ने मौका मिलने पर हम दोनों को मिलाया और बातें कीं।
मैं फिर भी ना मानी तो मेरी सहेली ने कहा- हसन भाई ये नखरे कर रही है.. मान जाएगी.. मैं इसे मना लूँगी।
अब आहिस्ता-आहिस्ता मैं भी हसन को पसंद करने लगी और जब मैंने सोचा कि हसन भाई को बता दूँ कि आई लव हिम.. तो तो किस्मत ने ऐसा मोड़ लिया कि मैं ना तो हसन भाई की रही और ना वलीद की।
मुझे पता ही नहीं चला और कराची में मेरे अब्बू ने हमारे एक रिश्तेदार के बेटे हिलाल से मेरा रिश्ता तय कर दिया और मेरी मंगनी हो गई।
वलीद, हसन भाई ओर मैं शॉक में चले गए।
खैर.. मैं तो संभल गई और अपने अब्बू की खुशी में खुश हो गई और वलीद को भी समझा दिया।
लेकिन हसन भाई न संभल सके.. वो मुझसे और प्रेम करने लगे।
मैं उन्हें मना भी करने लगी और मैंने उनसे बात भी करनी छोड़ दी।
वो पागल हो गए.. उन्होंने अपनी अम्मी को बोल दिया तो उनकी अम्मी ने मेरी अम्मी को कहा।
मेरी अम्मी ने कहा- अब तो बहुत देर हो चुकी है.. आप लोग पहले कहाँ थे.. अब कुछ नहीं हो सकता।
हसन भाई तो टूट गए… वो मुझसे मिन्नतें करते.. मैंने मना किया और अब मैं अपने मंगेतर हिलाल से बातें करने लगी और उसको पसंद करने लगी।
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