Monday, April 6, 2015

FUN-MAZA-MASTI चाची का इलाज-2

FUN-MAZA-MASTI

चाची का इलाज-2





अब मेरी समझ में आ गया था कि चाची को आराम से चोदा जा सकता है। अब तक मैं incest की सत्यता में विश्वास नहीं करता था.. लेकिन इस घटना के बाद मैं मानने लगा था।
चाची के जाने के बाद मैंने अपना लैपटॉप निकाला और इन्सेस्ट में चुदाई करने वाली फन मजा मस्ती पर  कहानियों को पढ़ना शुरू कर दिया।
अब मुझे कुछ-कुछ तरीके समझ में आ रहे थे। मैं जानने लगा था कि उम्र के साथ मर्द को सेक्स में कम रूचि होती है लेकिन औरतों को तब भी चुदाई की प्यास होती है इसीलिए अधिक उम्र वाली औरतें किशोर और युवाओं को कामोत्तेजित भी करती हैं।
अब मैंने सोचा कि चाची को कहानियों के माध्यम से और कुछ अपने आइडिया भी लगा कर उनको पटाना होगा।
 
दूसरे दिन मैंने अपने बाथरूम में टब के पाइप में एक कपड़ा फंसा दिया और फिर चाची के पास गया।
मैंने देखा कि वो रसोई में नाश्ता बना रही थीं। अभी वो नहाई नहीं थीं.. तो मैंने चाची से कहा- मेरे बाथरूम में पानी नहीं आ रहा है.. तो क्या मैं आपका बाथरूम यूज़ कर लूँ?
तो उन्होंने मुझसे कहा- ठीक है.. जाओ लेकिन जल्दी करना.. मुझे भी नहाना है।
मैं उनके बाथरूम में गया और देखा तो चाचा ने नहा लिया था और वो मंदिर के पास भगवान की पूजा कर रहे थे।
मैं बाथरूम में घुस गया और चाची के कपड़े खोजने लगा और मुझे उनकी ब्रा और पैन्टी मिल गए.. मैंने उन्हें हाथ में लिया और चाची को सोचते हुए मुठ्ठ मारना शुरू कर दिया।
थोड़ी ही देर में मैंने अपना वीर्य उनके ब्रा-पैन्टी पर उड़ेल दिया और फिर आराम से नहा कर बाहर आ गया। अब मैं चाची के नहाने की इन्तजार करने लगा।
मैं चाचा के साथ डाइनिंग टेबल पर था और चाची की इन्तजार कर रहा था। वो जब नहा कर बाहर आईं तो उन्होंने सबसे पहले मुझे देखा और बस एक हल्की सी नज़र मिला कर शरम से नज़रें नीचे झुका लीं।
मैंने भी पूरे नाश्ते के दौरान थोड़ी शर्म और थोड़े डर के मारे नज़रें नहीं मिलाईं। फिर मैं चाचा के साथ ही उनकी कार में कॉलेज चला गया ताकि चाची मुझे डांट ना सकें।
शाम को लौटते वक़्त मेरे मन में थोड़ा डर था.. क्योंकि मैंने ऐसा पहली बार किया था।
मैं घर आया तो चाची घर पर नहीं थीं.. वो कोई सामाजिक काम से बाहर गई थीं।
मुझे कुछ राहत मिली और मैं तुरंत चाची के बाथरूम में गया और देखा तो चाची के वो ब्रा और पैन्टी नहीं थे। मुझे बहुत खुशी हुई और मैंने फिर से मुठ्ठ मारी। मुठ्ठ मारने में मुझे थोड़ी देर हो गई और मैं जैसे ही बाहर निकला तो चाची बाथरूम में ही जा रही थीं।
वो मुझे देखकर शॉक तो हो गईं.. पर उन्होंने मुझसे ज़रा सी भी बात नहीं की और बाथरूम में चली गईं।
अब मुझे पता था कि वो मुझसे चुदाना तो चाहती हैं पर थोड़ा नाटक कर रही हैं।
मैंने भी उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया और अपने कमरे में जाकर पढ़ने लगा। पढ़ाई भी ज़रूरी है भाई…
थोड़ी देर में किसी ने मेरे दरवाजे पर दस्तक दी।
मैं- कौन?
चाची- अरे मैं हूँ..
मैं- चाची आप.. तो अन्दर आइए ना…
फिर चाची अन्दर आईं.. तो उन्हें देखकर मैं उन्हें ही घूर कर देखने लगा।
उन्होंने काले रंग साड़ी के साथ काला ही बिना आस्तीन का ब्लाउज पहना हुआ था।
चाची- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैं अब होश में आ गया और गर्दन झटकते हुए मैंने कहा।
मैं- अरे चाची.. आपको दस्तक करने की क्या जरूरत थी?
चाची- अरे बेटा.. दस्तक करना अब ज़रूरी लगता है.. क्या पता तुम क्या ‘काम’ कर रहे हो?
उन्होंने ‘काम’ शब्द पर जरा जोर दिया और अर्थ पूर्ण तरीके से मुझे देखने लगीं। मैं थोड़ा सा सकपका सा गया.. चाची ने मुझे ताना मारा था।
मैं- क्या चाची.. आप भी.. मुझे शर्मिन्दा कर रही हो.. इसी कारण अब तक मैं सामने वाली चाची के सामने नहीं गया हूँ।
चाची- तो फिर ऐसे काम ही क्यों करते हो कि किसी से नज़रें भी मिला ना सको।
अब मैं निरुत्तर था.. मैं बस मुँह लटका कर बैठा रहा।
फिर उन्हें भी समझ में आया.. तो वो मेरे बालों में अपने हाथ फेरने लगीं और कहा- तुम अच्छे बच्चे हो.. पर थोड़े से शैतान हो रहे हो..
फिर मैंने मौका देख कर कह दिया- लेकिन चाची मेरी शैतानी अच्छी लगती है ना..
तो वो मुस्कुराईं और चली गईं।
अब मुझे ग्रीन सिग्नल मिल रहा था.. मैंने चाची को सेक्स के भूखे जानवर की तरह घूरना शुरू कर दिया.. मैं अब उनके मम्मों को.. दूध के बीच की दरार को.. और उनकी उभरी हुई गाण्ड को देखता रहता था।
चाची को भी इस बात का पता था.. लेकिन वो कुछ बोलती नहीं थीं.. क्योंकि मैं कोई हल्की हरकत नहीं करता था और वो भी सेक्स के टॉपिक के बारे में बात नहीं करना चाहती थीं।
तो मैंने ऐसे 10-15 दिन उन्हें देखना शुरू किया और साथ-साथ रात में उनके कमरे के बाहर से यह भी देखना चालू किया कि चाचा और चाची चुदाई करते भी हैं कि नहीं…
करीब 10-15 दिन पता लगाने के बाद मैंने देखा कि दोनों की ‘सेक्स-लाइफ’ शून्य थी।
तो मैंने अब थोड़ा सा हरकत करना चालू किया और अब आते-जाते मेरा हाथ चाची के चूतड़ों से और बगलों से मम्मों पर टकराने लगा।
फिर मैंने एक दिन फेक आईडी से अपनी चाची के ईमेल पर एक ईमेल किया.. जिसमें ‘अपने बेटे को कैसे सिड्यूस किया जाए..’ उसकी सब तरकीबें भेजीं।
तकरीबन दो घंटे बाद उनका जबाव आया था।
उन्होंने पूछा था- हू आर यू?
तो मैंने जबाव में एक अच्छी सी इन्सेस्ट कहानी उन्हें भेज दी।
इस बात को एक हफ़्ता ही बीता होगा.. लेकिन मुझे चाची में कोई ख़ास बदलाव नहीं पाया। फिर थोड़े ही दिनों में दीवाली आने वाली थी और मेरी छुट्टियाँ हो गई थीं।
तो आंटी ने एक दिन कहा- सुन बेटा.. आज घर की सफाई करनी है.. क्या तुम मेरा हाथ बंटा दोगे?
तो मैंने हामी भर दी।
उन्होंने कहा- ठीक है तो फिर अपने पुराने कपड़े या फिर बनियान और छोटे शॉर्ट पहन कर स्टोर-रूम में आ जाओ.. क्योंकि सब कमरे तो ठीक हैं.. सिर्फ़ स्टोर-रूम में से ही कचरा निकालना है।
मैंने इस मौके का फायदा उठाना ठीक समझा और मैं सिर्फ़ शॉर्ट्स पहन कर स्टोर-रूम में आ गया।
चाची मुझे दो सेकेंड के लिए देखती रहीं.. फिर उन्होंने मुझसे कहा- ठीक किया.. वरना बनियान भी खराब हो जाती।
फिर हम सफाई करने लगे। तकरीबन दो घंटे सफाई का काम चला और मैंने गौर किया कि आंटी मेरे अंडरवियर को बार-बार देखतीं और फिर आँखें चुरा लेती थीं। फिर जब सफाई ख़त्म करके हम ड्रॉइंग-रूम में आए.. तो मैं सोफे पर पैर फैला कर बैठ गया.. जिससे मेरे अंडरवियर में से कुछ बाल और शायद मेरा लंड भी दिख रहा था।
चाची भी मेरे पीछे-पीछे आईं और मेरे अंडरवियर को देखने लगीं।
फिर 3-4 सेकेंड्स के बाद उन्होंने कहा- सन्नी जाओ.. तुमने अपना शॉर्ट्स क्यूँ उतार दिया? .. और ऐसे अपनी चाची के सामने बैठने से शर्म नहीं आती?
तो मैंने कहा- अरे हाँ चाची.. मुझे बाद में याद आया कि यह शॉर्ट्स तो मैंने पिछले हफ्ते ही खरीदा है और ज़्यादा खराब हो गया तो पैसा खराब हो जाएगा.. इसीलिए मैंने इसे भी उतार दिया और दूसरी बात.. आपके सामने कैसी शर्म? बचपन में मुझे आपने मुझे बहुत बार नंगा देखा होगा ना..
तो इस पर चाची ने कहा- तब की बात और थी.. तब तुम अच्छे बच्चे थे.. लेकिन अब ऐसी हरकतें करने लगे हो कि पड़ोसी के सामने जाने से भी डर लगता है।
मैं फिर थोड़ा सा सकपका गया और चाची के सामने से नज़रें हटाकर दूसरी तरफ देखने लगा।
चाची मेरी फीलिंग्स को समझ गई थीं.. इसीलिए बाद में हंस पड़ीं और कहा- अरे बाबा.. मैं तो मज़ाक कर रही थी।
फिर उन्होंने कहा- अरे सन्नी.. एक बात बताओगे?
मैं- हाँ.. चाची..
चाची- तुमने उस दिन के बाद से फिर वो किया है क्या?
मैं थोड़ा सा चौंक गया.. पर मैंने कहा- नहीं..
तो वो बोलीं- नहीं.. मुझे नहीं लगता.. तुम सच बताओ..
मैं- हाँ.. चाची दो-तीन बार किया है।
चाची- अच्छा.. इसका मतलब तुमने कम से कम 10-15 बार किया होगा… अच्छा एक और बात बताओ? उस दिन तुम किसे फैंटेसी से याद करके ये कर रहे थे.. कि तुम खिड़की बंद करना भी भूल गए थे। सच बताना.. मैं सच सुनना चाहती हूँ।
मुझे पता चल रहा था कि चाची अब अपने बारे में सुनना चाहती हैं।
तो मैंने कहा- मैं नहीं बताऊँगा..
तो उन्होंने कहा- मैं तुम्हें नहीं डाटूंगी… तुम खुल कर अपनी चाची से बात तो करो..
मैं- नहीं चाची.. आप नाराज़ हो जाओगी।
चाची- नहीं.. मैं बिल्कुल गुस्सा नहीं करूँगी!
मैं- चाची.. मैं इस बात को यहीं तक रखना चाहता हूँ.. मुझे पता है आप इसे सुन नहीं पाएँगीं.. इसलिए मैं आपसे नहीं कह पाऊँगा।
इतने में दरवाजे की घन्टी बजी और मैंने चाची से कहा- मैं शॉर्ट्स पहन कर आता हूँ..
मैं उठकर अपने कमरे में चला गया और चाची दरवाजा खोलने लगीं.. देखा तो चाचाजी आए हुए थे।
उन्होंने आते ही कहा- मुझे ज़रा आज मुंबई जाना पड़ेगा.. अपना खुद का हॉस्पिटल खोलने के लिए मेरे दोस्त ने एक कंपनी से बात करके रखी है.. मैं अब शायद कल ही आ पाऊँगा।
तभी मैं शॉर्ट्स पहन कर आया तो चाचा ने कहा- अरे वाह भाई.. आज तो तुमने काफ़ी अच्छी मदद की अपनी चाची की.. अच्छा आज मैं रात को नहीं आऊँगा.. तो घर पर ही रहना..
मैंने कहा- ठीक है..
मैंने उनसे चाची के बारे में पूछा.. तो उन्होंने कहा- वो रसोई में खाना गरम कर रही हैं।
मैं फिर रसोई में चला गया और देखा तो चाची गैस पर कुछ गरम कर रही थीं।
अरे क्या मस्त.. उनकी अधनंगी पीठ और उभरी हुई गांड लग रही थी.. मैं बस उन्हें देखता रहा।
लेकिन पता नहीं उन्हें कैसे पता चल गया.. वो फिर डबल मीनिंग में बोलीं- वहीं से क्या देख रहे हो.. पास आ कर देखो..
मैं हिम्मत करके ठीक चाची के पीछे चला गया और उनसे साथ कर उनके कंधे पर अपना मुँह रखा और पूछा।
मैं- क्या कर रही हो.. चाची?
चाची ने इठला कर कहा- बस गर्म कर रही हूँ..











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