FUN-MAZA-MASTI
ठरकी की लाइफ में ..4
अब तो प्राची के एंटिना खड़े हो गये...और सोए हुए अजय की भी गांड फटने को हो गयी...वो सोचने लगा की कहीं ये पागल की बच्ची कल वाली बात ना बता दे प्राची को..
प्राची : "कौनसी ऐसी बातें कर दी अजय ने तेरे साथ...ज़रा मुझे भी तो बता....''
शायद प्राची को लग रहा था की कल शॉपिंग पर लेजाकर अजय ने कुछ बदतमीजी करी है पूजा के साथ
पूजा : "वो बस ऐसे ही दीदी.....कल शॉपिंग पर गये थे ना...तो मैने नोट किया था...वो मेरी सहेली है ना सोनी, वो मिली थी , उसे तो ऐसे देख रहे थे जैसे आँखो ही आँखो से उसे खा जाएँगे...''
प्राची : "तू सोनी का तो नाम ही ना लिया कर मेरे सामने, उसके कपड़े पहनने का ढंग मुझे बिल्कुल पसंद नही है, ये बात मैने भी तुझे बोली थी तुझे एक बार ..उसे तो हर कोई खा जाने वाली नज़रों से देखता है...अजय का इसमे क्या कसूर...''
प्राची ने समझदार बीबी की तरह अपने पति का बचाव किया.
पूजा : ''नही दीदी, इन मर्दों पर इतना भी अंध्विश्वास नही करना चाहिए...सोते आपके साथ है और सपने किसी और के देखते हैं...''
अब तो अजय की झांटे सुलग उठी, पता नही पूजा को एकदम से ये क्या हो गया था , उसकी पोल पट्टी खोलने में क्यो लगी थी वो, बिना वजह क्यों प्राची को भड़का रही थी ...
अब इससे पहले की वो सुबह वाली टॉपलेस होने वाली बात भी बता दे, अजय ने नींद मे सोते हुए ही धीरे से कहा : "उम्म्म्मम....माय डार्लिंग प्राची .....आई लव यू ...''
और अपने तकिये को चूमकर वो फिर से खर्राटे भरने लगा.
प्राची और पूजा दोनो ने उसकी ये हरकत देखी और प्राची ने पूजा से कहा : "देख लिया...मेरा पति सोता भी मेरे साथ है और सपने भी मेरे ही लेता है...''
पूजा : "ओहो दीदी....मैने जीजू के बारे में तो ऐसा कहा ही नही...मैं तो बस जनरल बात कर रही थी...''
प्राची : "ओहो, कह तो ऐसे रही है जैसे सारी दुनिया के मर्दों पर पीएचडी कर ली है तूने...चल अब तू घर जाकर नाश्ता तैयार कर, मैं नहाने जा रही हूँ ..''
और अपनी बिना पेंटी की गांड मटकाती हुई प्राची बाथरूम की तरफ भाग गयी...शायद प्रेशर भी बन चुका था उसके अंदर..
पूजा भी जाने के लिए पलटी और फिर ना जाने क्या सोचकर वापिस बेड तक आई...और बेड के उपर चड़कर अजय के बिल्कुल पास आ गयी...और गोर से उसे सोता हुआ देखकर बुदबुदाई : "अपनी पत्नी के सामने तो बड़ी अच्छी इमेज बना रखी है जीजू आपने...पर आप हो कितने शैतान ये सिर्फ़ मैं जानती हूँ ..''
उसने इतना बोला ही था की अजय ने एक झटके से अपनी आँखे खोल दी...खर्राटे मारकर सो रहे अजय को ऐसे एकदम से उठा हुआ देखकर पूजा भोचक्की रह गयी...और उसे समझते देर नही लगी की वो सो नही रहा था...यानी उसने प्राची और उसके बीच की सारी बातें भी सुन ली है..
और इस बात का एहसास होते ही वो दौड़ती हुई घर से बाहर निकल गयी...
एक घंटे बाद अजय और प्राची तैयार होकर उनके घर आ गये, सबने मिलकर नाश्ता किया..पर पूजा चुपचाप ही थी अब..ऐसे रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद अपने जीजू से आँखे मिलाने की भी हिम्मत नही हो रही थी उसकी..
अजय की कार में सभी पिक्निक के लिए निकल पड़े...इंडिया गेट के आस पास बने पार्क में जाने का प्रोग्राम था उनका..हल्की फुल्की धूप निकली थी आज 2 दिन की बारिश के बाद, इसलिए मौसम काफ़ी सुहाना लग रहा था.
वहाँ जाकर सभी चादर पर अपना समान रखकर बैठ गये...कुछ स्नेक्स खाने के बाद बेडमिन्टन खेलने लगे...अजय ने सबके साथ खेला, पूजा के साथ भी...और सभी को हराया भी..वो काफ़ी फुर्तीला जो था...
पर अपनी सास रजनी के साथ खेलते हुए तो उसका ध्यान काफ़ी भटका, उसकी नज़रें उनके उछल रहे बूब्स से हट ही नही रही थी...और अजय को ऐसे अपनी माँ की तरफ घूरते देखकर दूर बैठी पूजा जलभुन रही थी...शायद सोच रही होगी की इस ठरकी की नज़र उसकी माँ पर भी है क्या अब..
फिर अजय वापिस आकर बैठ गया, पूजा के साथ और प्राची और उसकी माँ खेलने लगे...उनके पापा रेफ़री बने हुए थे.
अब अजय ने बात शुरू करने की सोची
अजय : "बड़ा भड़काया जा रहा था अपनी दीदी को मेरे बारे में ...''
पूजा : "तो आपने सब सुन लिया...''
अजय : "हाँ , मेरी नींद तो तभी से खुली हुई थी जब तुमने बेल बजाई...''
पूजा : "ऐसे लड़कियो की बातें सुनना अच्छी बात नही होती''
अजय : "और ऐसे अपने जीजू की शिकायत करना भी अच्छी बात नही होती..ख़ासकर तब जब मैने तुम्हारी मदद की थी कल''
उसने सोनी के सामने अपने बाय्फ्रेंड होने वाली बात याद दिलाई.
पूजा : "वो तो मैं ऐसे ही कह रही थी...बस देखना चाहती थी की दीदी को आपके उपर कितना विश्वास है..''
अजय : "हर बीबी शक्की होती है, मेरी भी है, और तुम्हारी ऐसी बातों से हमारी पर्सनल लाइफ पर क्या फ़र्क पड़ेगा इसका अंदाज़ा है क्या तुम्हे...तलाक़ करवाना चाहती हो क्या तुम हमारा..''
ये बात अजय ने थोड़े कठोर स्वर मे बोली..
और ये बात सुनकर पूजा सहम सी गयी...और रुंआसी सी होकर बस इतना ही बोली : "सॉरी जीजू...वो बस...मेरे मुँह से निकल गयी वो बातें...अब से ऐसा नही करूँगी...प्रोमिस...''
अजय भी जानबूझकर उसे ये सब बोल रहा था ताकि फिर से वो ऐसी बात करके उसके लिए कोई मुसीबत ना पैदा कर दे..
अंधेरा सा हो चुका था और वो उस जगह से थोड़ा दूर ही बैठे थे, जहाँ वो लोग बेडमींटन खेल रहे थे...अजय को एक शरारत सूझी और वो तोड़ा आगे हुआ और उसने सिर झुका कर बैठी हुई पूजा के होंठों को चूम लिया.
सुबकती हुई पूजा भोचक्की सी रह गयी...उसने शायद अजय से इस बात की उम्मीद भी नहीं की थी...
वो गुस्से मे बोली : "ये क्या कर रहे हो जीजू...''
और फिर अपनी माँ और बहन की तरफ मुँह करके बोली : "अभी दीदी को बताती हू आपकी ये गंदी हरकत...''
अजय : "मैं तो बस चेक कर रहा था की तुमने जो अभी बोला वो सच में बोला या ऐसे ही...''
पूजा बेचारी अपने दाँत पीसकर रह गयी...वो समझ गयी की ये उसका जीजू बड़ी पहुँची हुई चीज़ है...वो उसकी बहन के साथ बने रिश्ते की आड़ मे उसके साथ कुछ भी कर सकता है...पर उसने भी मन में सोच लिया की अपने साथ कुछ ग़लत वो हरगिज़ नही होने देगी...
पर उसके ऐसा सोचने का अजय के उपर कोई असर नही था...वो भी अब अपनी पर आ चुका था..और अब खुलकर हर खेल खेलना चाहता था.
कुछ ही देर मे सभी बेडमिंटन खेलकर वापिस आ गये, इसलिए अजय को कुछ और करने का मौका नही मिल सका..सभी खाने पीने में फिर से बिजी हो गये, पर पूजा का ध्यान कहीं और ही था, जब से अजय ने उसे वो किस्स किया था तब से उसका ध्यान कहीं और ही चला गया था, वैसे तो वो हॉस्टल रहकर आई थी, खुले में माहौल में रहने के बाद भी उसकी हिम्मत नही होती थी किसी लड़के के साथ बाहर जाने की या दोस्ती करने की, बड़ी डरपोक किस्म की लड़की थी वो..किस्स तो दूर की बात उसने किसी का हाथ भी पकड़ कर नही देखा था..पर हर लड़की की तरह वो भी चाहती थी की उसका भी बाय्फ्रेंड हो, इसलिए अपनी फ्रेंड को भी उसने झूट बोल दिया था की उसका भी बाय्फ्रेंड है, और अजय को अपना बाय्फ्रेंड बोलकर मिलवा भी दिया था.
और उसकी सहेलियाँ अक्सर अपने प्यार की बातें और रंगीन किस्से उसे सुनाती रहती थी...और ये सुन-सुनकर उसका भी ऐसे मज़े लेने का मन करने लग गया था.. और अभी जब अजय ने उसे एकदम से किस्स किया तो कुछ देर के लिए तो वो समझ ही नही पाई की ये क्या हुआ..ये उसकी जिंदगी की पहली किस्स थी और करी भी किसने, उसके खुद के जीजाजी ने..उसका मन बड़ी दुविधा मे फँसा हुआ था, पर एक बात तो पक्की थी, उसे अपने जीजू की ये हरकत बिल्कुल भी अच्छी नही लगी थी, पर महसूस करके जो रोमांच महसूस हुआ वो अलग ही था.
अजय भी दूर से पूजा को देखकर ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था की वो क्या सोच रही है, इतना तो वो जानता ही था की उसने जो हरकत अभी उसके साथ की है, वो ज़रूर उसके बारे में ही सोच रही है...चलो जो भी है, उसने तो अपनी तरफ से शुरूवात कर ही दी थी.
अगले कुछ दिनों तक कुछ ख़ास नही हुआ...बस अजय अपनी साली और सास के बारे में सोच-सोचकर अपनी बीबी की जमकर चुदाई करता रहा .
एक दिन प्राची ने बताया की उनके घर उसकी मौसी-मौसा आ रहे हैं, वो मुंबई में रहते हैं और साल में 1-2 चक्कर लग ही जाते हैं उनके..
उनके बारे में सुनते ही अजय के कान खड़े हो गये, मौसा जी यानी उसकी सास के जीजाजी..उसे उस दिन की बात याद आ गयी जब उसने कहा था की वो तो पता नही क्या-2 कर लेती थी अपने जीजा के साथ..
बस, उसने सोच लिया की इस बार उन्हे कुछ ऐसा करते ज़रूर देखेगा जिसकी चर्चा उसकी सासू माँ कर रही थी.
सॅटर्डे मॉर्निंग में वो आ गये, वीकेंड था इसलिए अजय और प्राची दोनो की छुट्टी थी..और इन दो दिनों तक ही रुकना था उन्हे भी.
अजय ने उन्हे अपनी शादी पर ही देखा था बस, पर उस वक़्त के देखे रिश्तेदार ज़्यादा याद नही रहते, अब उन्हे सही से देखा उसने.
दोनो की उम्र उसकी सास के आस पास ही थी, मौसाजी तो थोड़े जवान से लग रहे थे,शायद मुंबई में रहने की वजह से थोड़ा बहुत हीरो स्टाइल आ गया था उनमे..उनकी बेटी रिया भी साथ आई थी जो पूजा से भी छोटी थी...वैसे तो उसके ससुराल में काफ़ी कमरे थे पर प्राची ने ज़बरदस्ती करके उन्हे अपने घर पर रुकवा लिया..उसकी अपनी मौसी से बड़ी अच्छी बनती थी..
मौसी देखने में बिल्कुल विद्या बालन जैसी थी, भरी हुई सी, गोल मटोल नितंब और मुम्मे ...उनके कुल्हों की थिरकन देखकर अजय को बड़ा मज़ा आता था..शनिवार का पूरा दिन तो ऐसे ही निकल गया,अजय ने काफ़ी कोशिश की पर अपनी सास और उसके जीजा के बीच कुछ अलग देख ही नही पाया वो, बड़े ही नॉर्मल तरीके से दिख रहे थे वो दोनो
पर अजय भी जानता था की ऐसे रिश्ते सभी के सामने खुलकर नही दिखाए जाते ...वो भी अपनी जासूसी नज़रें उनपर लगाए हुए था.
रात का खाना खाने के बाद अजय और प्राची उन्हे लेकर अपने घर आ गये..दोनो घर एकदम साथ थे इसलिए रजनी भी साथ ही चली आई, ये कहते हुए की अभी तो उसने काफ़ी गप्पे मारनी है अपनी बहन के साथ..पूजा और उसके पापा नही आए, वो घर पर ही रुके रहे.
अजय का घर भी काफ़ी बड़ा था, 3 बेडरूम थे, मेहमानों के लिए उसने बड़ा वाला रूम खुलवा दिया, और सभी वहीं बैठकर गप्पे मारने लगे..मौसाजी तो टीवी देखते रहे..और अजय की सास और उसकी बहन इधर-उधर की बातें करते रहे..
अजय अपने कमरे में आ गया और कुछ ही देर मे प्राची भी..प्राची को तो आते ही नींद आ गयी,क्योंकि सुबह से सबके लिए खाना बनाने में जो लगी हुई थी वो अपनी माँ के साथ..
अब दूसरे कमरे से सिर्फ़ उसकी सास और मौसी की आवाज़ें आ रही थी..और बीच-2 मे उसके मौसा की भी आती रहती थी...रात के 11 बज चुके थे, पर उसकी सास थी की वहीं जम कर बैठी थी...और अजय जानता था की उसके पीछे उनका क्या मकसद है
और अगले आधे घंटे में मौसी की आवाज़ें आनी भी बंद हो गयी, यानी वो भी सो चुकी थी ...और सिर्फ़ अजय की सास और मौसा जी बातें करते सुनाई दे रहे थे और वो भी बड़ी धीरे-2 ...
कुछ ही देर में अजय को उसकी सास के कदमों की आहट सुनाई दी जो उसके कमरे की तरफ ही आ रही थी...वो समझ गया की वो चैक करने आ रही है की वहाँ सब सो रहे है या नही...उसने झट से आँखे बंद कर ली और अपने ख़र्राटों की नकली आवाज़ें निकालने लगा...
उसकी सास ने कमरे मे झाँका और दोनो को गहरी नींद में सोता हुआ देखकर चुपचाप वापिस चली गयी...और उसके जाते ही अजय भी दबे पाँव अपने बिस्तर से उठा और बाहर की तरफ चल दिया...आज उसको पक्का यकीन था की वो अपनी सास की रंगरेलियां देखकर रहेगा..रजनी ने उस कमरे का दरवाजा बंद नही किया था, वो पर्दे की आड़ में खड़ा होकर अंदर का नज़ारा देखने लगा...
अंदर का नज़ारा उसकी आशा के अनुरूप ही था...उसकी पूजनीय सास अपने जीजाजी के साथ लिपट कर खड़ी थी और दोनो एक गहरी स्मूच में डूबे हुए थे...और मौसाजी के हाथ सासुमाँ की गांड को ऐसे मसल रहे थे जैसे उसमे कोई खजाना ढूँढ रहे हो...और वो उनकी बाहों में कसमसा रही थी.
रहनी : "ओहू....जीजाजी .....रूको तो....पहले वो निकालो , कहीं दीदी पिछली बार की तरह ना उठ जाए...''
इतना सुनकर मौसाजी ने उन्हे छोड़ दिया..अजय की समझ में भी नही आया की वो किस चीज़ की बात कर रहे हैं.
मौसाजी ने अपनी जेब से एक दवाई की शीशी निकाली और उसका ढक्कन खोलकर अपनी सो रही बीबी यानी मौसीजी की नाक के पास घुमा दिया...अजय समझ गया की वो शायद बेहोशी की दवाई है.
कुछ देर तक वो उसके चेहरे को गोर से देखते रहे और फिर जब इत्मीनान हो गया तो वो पलटा और अपनी साली को फिर से दबोच कर पहले से भी ज़्यादा ज़ोर से उसे चूमने लगा..
''ओह रज्जो ............. कितना तडपा हूँ मैं तेरे लिए......सुबह से मौका ही नही मिला तुझसे अकेले में मिलने का.....आआआहह आई मिस्ड यू सो मच ...''
रजनी : "ओह्ह्ह्ह जीजाजी ,..मैं भी कितना तडपि हूँ आपके लिए....''
और इतना कहते-2 वो अपने कपड़े उतारती चली गयी...आज ये पहला मौका था अजय के लिए जब वो अपनी सेक्सी सासू माँ को नंगा होते हुए देख रहा था..
और सच मे कमाल थी वो.
पूरी नंगी होने के बाद वो जब उसके दूधिया बदन को अजय ने देखा तो अपने लंड को सहलाने लग गया...गज़ब का शरीर था उसका...एक भी दाग नही...दूधिया...और इतने बड़े-2 मुम्मे , थोड़ा लटक ज़रूर गये थे पर उनको देखकर जो पानी अजय के मुँह में आ रहा था वो ये साबित करता था की उनमे रस बहुत ज़्यादा होगा...
और अपनी साली को नंगा देखते ही मौसाजी ने उन्हें दबोच लिया और उसके पपीते जैसे मुम्मों को मुँह में भरकर ज़ोर-2 से चूसने लगा...
''आआआआआआआहह उम्म्म्मममममममममममम धीरे जीजाजी ................ काटो मत.....उन्हे शक हो जाएगा....''
उसके मुम्मे चूसते -2 मौसाजी ने उपर देखा और कहा : "तो क्या किशनलाल अभी तक तेरी चुदाई करता है....''
रजनी ने आँखे नचाते हुए कहा : "तो आप क्या समझते हैं, आप ही मर्द हो इस दुनिया में , किसी और का मन नही करता क्या...''
मौसाजी : "अरे नही, वो तो मैने इसलिए पूछा क्योंकि तुमने उस दिन फोन पर कहा था ना की वो आजकल सेक्स में इंटरस्ट नही लेता...''
रजनी : "वो तो बस आपको जल्दी बुलाने का बहाना था ....वैसे इंटरस्ट तो कम कर ही दिया है उन्होने...पर मुझे अपना भी तो देखना होता है ना...मेरी आग बुझाने के लिए आप मुंबई से रोज-2 तो आओगे नही...इसलिए उनसे हर दूसरे-तीसरे दिन ज़बरदस्ती करनी ही पड़ती है...''
मौसाजी : "संभल जा रज्जो, अब तू सास बन चुकी है....तेरी उम्र नही रही अब पहले जितनी चुदवाने की...''
रजनी : "अब ये बात आप क्या जानो जीजाजी...इस उम्र में ही सबसे ज़्यादा चुदासी चड़ती है...और प्राची की जब से शादी हुई है, तब से मुझे तो अपनी शादी के बाद वाले दिन याद आ जाते हैं...जब आपके सांढू साहब मुझे कपड़े पहनने की भी इजाज़त नही देते थे...बस दिन रात लगे रहते थे बेशर्मों की तरह..''
मौसाजी ने उसके मुम्मे दबाते हुए कहा : "और तू चुदती भी तो रहती थी हर टाइम...वो आदत तेरी अब तक नही गयी...''
तब तक मौसाजी ने भी अपने कपड़े उतार दिए थे...उनकी उम्र के हिसाब से उनका लंड ज़्यादा बुरा नही था...लेकिन अजय से छोटा ही था वो..
उसके लंड को देखते ही रजनी उसपर झपट पड़ी और लगी चूसने..
चपर -2 की आवाज़ों के साथ वो ऐसे चूस रही थी जैसे बरसों की प्यासी औरत को पानी का पाइप मिल गया हो जिसके अंदर छुपी बूंदे वो वो अपनी सांसो से खींचकर निकालना चाहती हो..
मौसाजी भी बड़े आराम से उसके सिर पर हाथ रखकर अपना लंड चुसवा रहे थे...और उनकी नज़रें बीच-2 में अपनी बीबी की तरफ भी जा रही थी की कहीं वो उठ ना जाए...
कुछ देर तक चुसवाने के बाद रजनी उठी और बिस्तर पर लेट गयी...अपनी चूत चुसवाने के लिए...लेकिन मौसाजी को शायद कुछ ज़्यादा ही जल्दी थी...
वो बोले : "अभी इसका टाइम नही है रज्जो....जल्दी से घोड़ी बन जा....''
अब उस वक़्त वो भला क्या बहस करती उनसे...पर उसके चेहरे पर आए मायूसी के भाव देखकर अजय समझ गया की उनका कितना मन था अपनी चूत चटवाने का..
अजय ने मन में सोचा...''फ़िक्र ना करो सासू माँ ..जल्द ही आपका दामाद करेगा आपकी सही से सेवा...''
फिर मौसा जी ने अपने लंड के उपर ढेर सारी थूक लगाई और टीका दिया सीधा अपनी साली की गांड पर..
सासू माँ चीख पड़ी : "नही जीजाजी .....पीछू से नही....पीछू से नही ....''
मौसजी : "अरी रुक ना...तुझे पता है ना मुझे कितना मज़ा आता है तेरी गांड मारकर...नाटक ना कर...''
रजनी : "नही जीजाजी...दर्द होगा....उन्होने तो कभी नही मारी पीछे से...आपने मारी थी, और वो भी पिछले साल....अब तक तो छेद फिर से बंद हो चुका होगा....दर्द होगा ना...पीछू से नही ...पीछू से नही ...''
मौसजी : "ये क्या पीछू से नही..पीछू से नही लगा रखा है....साली....ड्रामे ना कर...मुझे अपना काम करने दे...''
और इतना कहते-2 मौसाजी ने बड़ी ही बेरहमी से उनकी गांद में अपना लंड लगाकर जोरदार झटका मारा...और उनका आधे से ज़्यादा लंड अंदर घुस गया...
सासू माँ दर्द और मज़े से हुंकार उठी : "आआआआआआवउुुुुुुुुुुुुुुुुउउ ....... उफफफफफफफफफफ्फ़ ....... म्*म्म्ममममममममममम''
अपने लंड को बाहर निकालकर मौसाजी ने फिर से अंदर झटका मारा....अजय ने देखा की सासुमाँ ने तकिये को मुँह मे डालकर बड़ी मुश्किल से अपनी आवाज़ दबाई...
ठरकी की लाइफ में ..4
अब तो प्राची के एंटिना खड़े हो गये...और सोए हुए अजय की भी गांड फटने को हो गयी...वो सोचने लगा की कहीं ये पागल की बच्ची कल वाली बात ना बता दे प्राची को..
प्राची : "कौनसी ऐसी बातें कर दी अजय ने तेरे साथ...ज़रा मुझे भी तो बता....''
शायद प्राची को लग रहा था की कल शॉपिंग पर लेजाकर अजय ने कुछ बदतमीजी करी है पूजा के साथ
पूजा : "वो बस ऐसे ही दीदी.....कल शॉपिंग पर गये थे ना...तो मैने नोट किया था...वो मेरी सहेली है ना सोनी, वो मिली थी , उसे तो ऐसे देख रहे थे जैसे आँखो ही आँखो से उसे खा जाएँगे...''
प्राची : "तू सोनी का तो नाम ही ना लिया कर मेरे सामने, उसके कपड़े पहनने का ढंग मुझे बिल्कुल पसंद नही है, ये बात मैने भी तुझे बोली थी तुझे एक बार ..उसे तो हर कोई खा जाने वाली नज़रों से देखता है...अजय का इसमे क्या कसूर...''
प्राची ने समझदार बीबी की तरह अपने पति का बचाव किया.
पूजा : ''नही दीदी, इन मर्दों पर इतना भी अंध्विश्वास नही करना चाहिए...सोते आपके साथ है और सपने किसी और के देखते हैं...''
अब तो अजय की झांटे सुलग उठी, पता नही पूजा को एकदम से ये क्या हो गया था , उसकी पोल पट्टी खोलने में क्यो लगी थी वो, बिना वजह क्यों प्राची को भड़का रही थी ...
अब इससे पहले की वो सुबह वाली टॉपलेस होने वाली बात भी बता दे, अजय ने नींद मे सोते हुए ही धीरे से कहा : "उम्म्म्मम....माय डार्लिंग प्राची .....आई लव यू ...''
और अपने तकिये को चूमकर वो फिर से खर्राटे भरने लगा.
प्राची और पूजा दोनो ने उसकी ये हरकत देखी और प्राची ने पूजा से कहा : "देख लिया...मेरा पति सोता भी मेरे साथ है और सपने भी मेरे ही लेता है...''
पूजा : "ओहो दीदी....मैने जीजू के बारे में तो ऐसा कहा ही नही...मैं तो बस जनरल बात कर रही थी...''
प्राची : "ओहो, कह तो ऐसे रही है जैसे सारी दुनिया के मर्दों पर पीएचडी कर ली है तूने...चल अब तू घर जाकर नाश्ता तैयार कर, मैं नहाने जा रही हूँ ..''
और अपनी बिना पेंटी की गांड मटकाती हुई प्राची बाथरूम की तरफ भाग गयी...शायद प्रेशर भी बन चुका था उसके अंदर..
पूजा भी जाने के लिए पलटी और फिर ना जाने क्या सोचकर वापिस बेड तक आई...और बेड के उपर चड़कर अजय के बिल्कुल पास आ गयी...और गोर से उसे सोता हुआ देखकर बुदबुदाई : "अपनी पत्नी के सामने तो बड़ी अच्छी इमेज बना रखी है जीजू आपने...पर आप हो कितने शैतान ये सिर्फ़ मैं जानती हूँ ..''
उसने इतना बोला ही था की अजय ने एक झटके से अपनी आँखे खोल दी...खर्राटे मारकर सो रहे अजय को ऐसे एकदम से उठा हुआ देखकर पूजा भोचक्की रह गयी...और उसे समझते देर नही लगी की वो सो नही रहा था...यानी उसने प्राची और उसके बीच की सारी बातें भी सुन ली है..
और इस बात का एहसास होते ही वो दौड़ती हुई घर से बाहर निकल गयी...
एक घंटे बाद अजय और प्राची तैयार होकर उनके घर आ गये, सबने मिलकर नाश्ता किया..पर पूजा चुपचाप ही थी अब..ऐसे रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद अपने जीजू से आँखे मिलाने की भी हिम्मत नही हो रही थी उसकी..
अजय की कार में सभी पिक्निक के लिए निकल पड़े...इंडिया गेट के आस पास बने पार्क में जाने का प्रोग्राम था उनका..हल्की फुल्की धूप निकली थी आज 2 दिन की बारिश के बाद, इसलिए मौसम काफ़ी सुहाना लग रहा था.
वहाँ जाकर सभी चादर पर अपना समान रखकर बैठ गये...कुछ स्नेक्स खाने के बाद बेडमिन्टन खेलने लगे...अजय ने सबके साथ खेला, पूजा के साथ भी...और सभी को हराया भी..वो काफ़ी फुर्तीला जो था...
पर अपनी सास रजनी के साथ खेलते हुए तो उसका ध्यान काफ़ी भटका, उसकी नज़रें उनके उछल रहे बूब्स से हट ही नही रही थी...और अजय को ऐसे अपनी माँ की तरफ घूरते देखकर दूर बैठी पूजा जलभुन रही थी...शायद सोच रही होगी की इस ठरकी की नज़र उसकी माँ पर भी है क्या अब..
फिर अजय वापिस आकर बैठ गया, पूजा के साथ और प्राची और उसकी माँ खेलने लगे...उनके पापा रेफ़री बने हुए थे.
अब अजय ने बात शुरू करने की सोची
अजय : "बड़ा भड़काया जा रहा था अपनी दीदी को मेरे बारे में ...''
पूजा : "तो आपने सब सुन लिया...''
अजय : "हाँ , मेरी नींद तो तभी से खुली हुई थी जब तुमने बेल बजाई...''
पूजा : "ऐसे लड़कियो की बातें सुनना अच्छी बात नही होती''
अजय : "और ऐसे अपने जीजू की शिकायत करना भी अच्छी बात नही होती..ख़ासकर तब जब मैने तुम्हारी मदद की थी कल''
उसने सोनी के सामने अपने बाय्फ्रेंड होने वाली बात याद दिलाई.
पूजा : "वो तो मैं ऐसे ही कह रही थी...बस देखना चाहती थी की दीदी को आपके उपर कितना विश्वास है..''
अजय : "हर बीबी शक्की होती है, मेरी भी है, और तुम्हारी ऐसी बातों से हमारी पर्सनल लाइफ पर क्या फ़र्क पड़ेगा इसका अंदाज़ा है क्या तुम्हे...तलाक़ करवाना चाहती हो क्या तुम हमारा..''
ये बात अजय ने थोड़े कठोर स्वर मे बोली..
और ये बात सुनकर पूजा सहम सी गयी...और रुंआसी सी होकर बस इतना ही बोली : "सॉरी जीजू...वो बस...मेरे मुँह से निकल गयी वो बातें...अब से ऐसा नही करूँगी...प्रोमिस...''
अजय भी जानबूझकर उसे ये सब बोल रहा था ताकि फिर से वो ऐसी बात करके उसके लिए कोई मुसीबत ना पैदा कर दे..
अंधेरा सा हो चुका था और वो उस जगह से थोड़ा दूर ही बैठे थे, जहाँ वो लोग बेडमींटन खेल रहे थे...अजय को एक शरारत सूझी और वो तोड़ा आगे हुआ और उसने सिर झुका कर बैठी हुई पूजा के होंठों को चूम लिया.
सुबकती हुई पूजा भोचक्की सी रह गयी...उसने शायद अजय से इस बात की उम्मीद भी नहीं की थी...
वो गुस्से मे बोली : "ये क्या कर रहे हो जीजू...''
और फिर अपनी माँ और बहन की तरफ मुँह करके बोली : "अभी दीदी को बताती हू आपकी ये गंदी हरकत...''
अजय : "मैं तो बस चेक कर रहा था की तुमने जो अभी बोला वो सच में बोला या ऐसे ही...''
पूजा बेचारी अपने दाँत पीसकर रह गयी...वो समझ गयी की ये उसका जीजू बड़ी पहुँची हुई चीज़ है...वो उसकी बहन के साथ बने रिश्ते की आड़ मे उसके साथ कुछ भी कर सकता है...पर उसने भी मन में सोच लिया की अपने साथ कुछ ग़लत वो हरगिज़ नही होने देगी...
पर उसके ऐसा सोचने का अजय के उपर कोई असर नही था...वो भी अब अपनी पर आ चुका था..और अब खुलकर हर खेल खेलना चाहता था.
कुछ ही देर मे सभी बेडमिंटन खेलकर वापिस आ गये, इसलिए अजय को कुछ और करने का मौका नही मिल सका..सभी खाने पीने में फिर से बिजी हो गये, पर पूजा का ध्यान कहीं और ही था, जब से अजय ने उसे वो किस्स किया था तब से उसका ध्यान कहीं और ही चला गया था, वैसे तो वो हॉस्टल रहकर आई थी, खुले में माहौल में रहने के बाद भी उसकी हिम्मत नही होती थी किसी लड़के के साथ बाहर जाने की या दोस्ती करने की, बड़ी डरपोक किस्म की लड़की थी वो..किस्स तो दूर की बात उसने किसी का हाथ भी पकड़ कर नही देखा था..पर हर लड़की की तरह वो भी चाहती थी की उसका भी बाय्फ्रेंड हो, इसलिए अपनी फ्रेंड को भी उसने झूट बोल दिया था की उसका भी बाय्फ्रेंड है, और अजय को अपना बाय्फ्रेंड बोलकर मिलवा भी दिया था.
और उसकी सहेलियाँ अक्सर अपने प्यार की बातें और रंगीन किस्से उसे सुनाती रहती थी...और ये सुन-सुनकर उसका भी ऐसे मज़े लेने का मन करने लग गया था.. और अभी जब अजय ने उसे एकदम से किस्स किया तो कुछ देर के लिए तो वो समझ ही नही पाई की ये क्या हुआ..ये उसकी जिंदगी की पहली किस्स थी और करी भी किसने, उसके खुद के जीजाजी ने..उसका मन बड़ी दुविधा मे फँसा हुआ था, पर एक बात तो पक्की थी, उसे अपने जीजू की ये हरकत बिल्कुल भी अच्छी नही लगी थी, पर महसूस करके जो रोमांच महसूस हुआ वो अलग ही था.
अजय भी दूर से पूजा को देखकर ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था की वो क्या सोच रही है, इतना तो वो जानता ही था की उसने जो हरकत अभी उसके साथ की है, वो ज़रूर उसके बारे में ही सोच रही है...चलो जो भी है, उसने तो अपनी तरफ से शुरूवात कर ही दी थी.
अगले कुछ दिनों तक कुछ ख़ास नही हुआ...बस अजय अपनी साली और सास के बारे में सोच-सोचकर अपनी बीबी की जमकर चुदाई करता रहा .
एक दिन प्राची ने बताया की उनके घर उसकी मौसी-मौसा आ रहे हैं, वो मुंबई में रहते हैं और साल में 1-2 चक्कर लग ही जाते हैं उनके..
उनके बारे में सुनते ही अजय के कान खड़े हो गये, मौसा जी यानी उसकी सास के जीजाजी..उसे उस दिन की बात याद आ गयी जब उसने कहा था की वो तो पता नही क्या-2 कर लेती थी अपने जीजा के साथ..
बस, उसने सोच लिया की इस बार उन्हे कुछ ऐसा करते ज़रूर देखेगा जिसकी चर्चा उसकी सासू माँ कर रही थी.
सॅटर्डे मॉर्निंग में वो आ गये, वीकेंड था इसलिए अजय और प्राची दोनो की छुट्टी थी..और इन दो दिनों तक ही रुकना था उन्हे भी.
अजय ने उन्हे अपनी शादी पर ही देखा था बस, पर उस वक़्त के देखे रिश्तेदार ज़्यादा याद नही रहते, अब उन्हे सही से देखा उसने.
दोनो की उम्र उसकी सास के आस पास ही थी, मौसाजी तो थोड़े जवान से लग रहे थे,शायद मुंबई में रहने की वजह से थोड़ा बहुत हीरो स्टाइल आ गया था उनमे..उनकी बेटी रिया भी साथ आई थी जो पूजा से भी छोटी थी...वैसे तो उसके ससुराल में काफ़ी कमरे थे पर प्राची ने ज़बरदस्ती करके उन्हे अपने घर पर रुकवा लिया..उसकी अपनी मौसी से बड़ी अच्छी बनती थी..
मौसी देखने में बिल्कुल विद्या बालन जैसी थी, भरी हुई सी, गोल मटोल नितंब और मुम्मे ...उनके कुल्हों की थिरकन देखकर अजय को बड़ा मज़ा आता था..शनिवार का पूरा दिन तो ऐसे ही निकल गया,अजय ने काफ़ी कोशिश की पर अपनी सास और उसके जीजा के बीच कुछ अलग देख ही नही पाया वो, बड़े ही नॉर्मल तरीके से दिख रहे थे वो दोनो
पर अजय भी जानता था की ऐसे रिश्ते सभी के सामने खुलकर नही दिखाए जाते ...वो भी अपनी जासूसी नज़रें उनपर लगाए हुए था.
रात का खाना खाने के बाद अजय और प्राची उन्हे लेकर अपने घर आ गये..दोनो घर एकदम साथ थे इसलिए रजनी भी साथ ही चली आई, ये कहते हुए की अभी तो उसने काफ़ी गप्पे मारनी है अपनी बहन के साथ..पूजा और उसके पापा नही आए, वो घर पर ही रुके रहे.
अजय का घर भी काफ़ी बड़ा था, 3 बेडरूम थे, मेहमानों के लिए उसने बड़ा वाला रूम खुलवा दिया, और सभी वहीं बैठकर गप्पे मारने लगे..मौसाजी तो टीवी देखते रहे..और अजय की सास और उसकी बहन इधर-उधर की बातें करते रहे..
अजय अपने कमरे में आ गया और कुछ ही देर मे प्राची भी..प्राची को तो आते ही नींद आ गयी,क्योंकि सुबह से सबके लिए खाना बनाने में जो लगी हुई थी वो अपनी माँ के साथ..
अब दूसरे कमरे से सिर्फ़ उसकी सास और मौसी की आवाज़ें आ रही थी..और बीच-2 मे उसके मौसा की भी आती रहती थी...रात के 11 बज चुके थे, पर उसकी सास थी की वहीं जम कर बैठी थी...और अजय जानता था की उसके पीछे उनका क्या मकसद है
और अगले आधे घंटे में मौसी की आवाज़ें आनी भी बंद हो गयी, यानी वो भी सो चुकी थी ...और सिर्फ़ अजय की सास और मौसा जी बातें करते सुनाई दे रहे थे और वो भी बड़ी धीरे-2 ...
कुछ ही देर में अजय को उसकी सास के कदमों की आहट सुनाई दी जो उसके कमरे की तरफ ही आ रही थी...वो समझ गया की वो चैक करने आ रही है की वहाँ सब सो रहे है या नही...उसने झट से आँखे बंद कर ली और अपने ख़र्राटों की नकली आवाज़ें निकालने लगा...
उसकी सास ने कमरे मे झाँका और दोनो को गहरी नींद में सोता हुआ देखकर चुपचाप वापिस चली गयी...और उसके जाते ही अजय भी दबे पाँव अपने बिस्तर से उठा और बाहर की तरफ चल दिया...आज उसको पक्का यकीन था की वो अपनी सास की रंगरेलियां देखकर रहेगा..रजनी ने उस कमरे का दरवाजा बंद नही किया था, वो पर्दे की आड़ में खड़ा होकर अंदर का नज़ारा देखने लगा...
अंदर का नज़ारा उसकी आशा के अनुरूप ही था...उसकी पूजनीय सास अपने जीजाजी के साथ लिपट कर खड़ी थी और दोनो एक गहरी स्मूच में डूबे हुए थे...और मौसाजी के हाथ सासुमाँ की गांड को ऐसे मसल रहे थे जैसे उसमे कोई खजाना ढूँढ रहे हो...और वो उनकी बाहों में कसमसा रही थी.
रहनी : "ओहू....जीजाजी .....रूको तो....पहले वो निकालो , कहीं दीदी पिछली बार की तरह ना उठ जाए...''
इतना सुनकर मौसाजी ने उन्हे छोड़ दिया..अजय की समझ में भी नही आया की वो किस चीज़ की बात कर रहे हैं.
मौसाजी ने अपनी जेब से एक दवाई की शीशी निकाली और उसका ढक्कन खोलकर अपनी सो रही बीबी यानी मौसीजी की नाक के पास घुमा दिया...अजय समझ गया की वो शायद बेहोशी की दवाई है.
कुछ देर तक वो उसके चेहरे को गोर से देखते रहे और फिर जब इत्मीनान हो गया तो वो पलटा और अपनी साली को फिर से दबोच कर पहले से भी ज़्यादा ज़ोर से उसे चूमने लगा..
''ओह रज्जो ............. कितना तडपा हूँ मैं तेरे लिए......सुबह से मौका ही नही मिला तुझसे अकेले में मिलने का.....आआआहह आई मिस्ड यू सो मच ...''
रजनी : "ओह्ह्ह्ह जीजाजी ,..मैं भी कितना तडपि हूँ आपके लिए....''
और इतना कहते-2 वो अपने कपड़े उतारती चली गयी...आज ये पहला मौका था अजय के लिए जब वो अपनी सेक्सी सासू माँ को नंगा होते हुए देख रहा था..
और सच मे कमाल थी वो.
पूरी नंगी होने के बाद वो जब उसके दूधिया बदन को अजय ने देखा तो अपने लंड को सहलाने लग गया...गज़ब का शरीर था उसका...एक भी दाग नही...दूधिया...और इतने बड़े-2 मुम्मे , थोड़ा लटक ज़रूर गये थे पर उनको देखकर जो पानी अजय के मुँह में आ रहा था वो ये साबित करता था की उनमे रस बहुत ज़्यादा होगा...
और अपनी साली को नंगा देखते ही मौसाजी ने उन्हें दबोच लिया और उसके पपीते जैसे मुम्मों को मुँह में भरकर ज़ोर-2 से चूसने लगा...
''आआआआआआआहह उम्म्म्मममममममममममम धीरे जीजाजी ................ काटो मत.....उन्हे शक हो जाएगा....''
उसके मुम्मे चूसते -2 मौसाजी ने उपर देखा और कहा : "तो क्या किशनलाल अभी तक तेरी चुदाई करता है....''
रजनी ने आँखे नचाते हुए कहा : "तो आप क्या समझते हैं, आप ही मर्द हो इस दुनिया में , किसी और का मन नही करता क्या...''
मौसाजी : "अरे नही, वो तो मैने इसलिए पूछा क्योंकि तुमने उस दिन फोन पर कहा था ना की वो आजकल सेक्स में इंटरस्ट नही लेता...''
रजनी : "वो तो बस आपको जल्दी बुलाने का बहाना था ....वैसे इंटरस्ट तो कम कर ही दिया है उन्होने...पर मुझे अपना भी तो देखना होता है ना...मेरी आग बुझाने के लिए आप मुंबई से रोज-2 तो आओगे नही...इसलिए उनसे हर दूसरे-तीसरे दिन ज़बरदस्ती करनी ही पड़ती है...''
मौसाजी : "संभल जा रज्जो, अब तू सास बन चुकी है....तेरी उम्र नही रही अब पहले जितनी चुदवाने की...''
रजनी : "अब ये बात आप क्या जानो जीजाजी...इस उम्र में ही सबसे ज़्यादा चुदासी चड़ती है...और प्राची की जब से शादी हुई है, तब से मुझे तो अपनी शादी के बाद वाले दिन याद आ जाते हैं...जब आपके सांढू साहब मुझे कपड़े पहनने की भी इजाज़त नही देते थे...बस दिन रात लगे रहते थे बेशर्मों की तरह..''
मौसाजी ने उसके मुम्मे दबाते हुए कहा : "और तू चुदती भी तो रहती थी हर टाइम...वो आदत तेरी अब तक नही गयी...''
तब तक मौसाजी ने भी अपने कपड़े उतार दिए थे...उनकी उम्र के हिसाब से उनका लंड ज़्यादा बुरा नही था...लेकिन अजय से छोटा ही था वो..
उसके लंड को देखते ही रजनी उसपर झपट पड़ी और लगी चूसने..
चपर -2 की आवाज़ों के साथ वो ऐसे चूस रही थी जैसे बरसों की प्यासी औरत को पानी का पाइप मिल गया हो जिसके अंदर छुपी बूंदे वो वो अपनी सांसो से खींचकर निकालना चाहती हो..
मौसाजी भी बड़े आराम से उसके सिर पर हाथ रखकर अपना लंड चुसवा रहे थे...और उनकी नज़रें बीच-2 में अपनी बीबी की तरफ भी जा रही थी की कहीं वो उठ ना जाए...
कुछ देर तक चुसवाने के बाद रजनी उठी और बिस्तर पर लेट गयी...अपनी चूत चुसवाने के लिए...लेकिन मौसाजी को शायद कुछ ज़्यादा ही जल्दी थी...
वो बोले : "अभी इसका टाइम नही है रज्जो....जल्दी से घोड़ी बन जा....''
अब उस वक़्त वो भला क्या बहस करती उनसे...पर उसके चेहरे पर आए मायूसी के भाव देखकर अजय समझ गया की उनका कितना मन था अपनी चूत चटवाने का..
अजय ने मन में सोचा...''फ़िक्र ना करो सासू माँ ..जल्द ही आपका दामाद करेगा आपकी सही से सेवा...''
फिर मौसा जी ने अपने लंड के उपर ढेर सारी थूक लगाई और टीका दिया सीधा अपनी साली की गांड पर..
सासू माँ चीख पड़ी : "नही जीजाजी .....पीछू से नही....पीछू से नही ....''
मौसजी : "अरी रुक ना...तुझे पता है ना मुझे कितना मज़ा आता है तेरी गांड मारकर...नाटक ना कर...''
रजनी : "नही जीजाजी...दर्द होगा....उन्होने तो कभी नही मारी पीछे से...आपने मारी थी, और वो भी पिछले साल....अब तक तो छेद फिर से बंद हो चुका होगा....दर्द होगा ना...पीछू से नही ...पीछू से नही ...''
मौसजी : "ये क्या पीछू से नही..पीछू से नही लगा रखा है....साली....ड्रामे ना कर...मुझे अपना काम करने दे...''
और इतना कहते-2 मौसाजी ने बड़ी ही बेरहमी से उनकी गांद में अपना लंड लगाकर जोरदार झटका मारा...और उनका आधे से ज़्यादा लंड अंदर घुस गया...
सासू माँ दर्द और मज़े से हुंकार उठी : "आआआआआआवउुुुुुुुुुुुुुुुुउउ ....... उफफफफफफफफफफ्फ़ ....... म्*म्म्ममममममममममम''
अपने लंड को बाहर निकालकर मौसाजी ने फिर से अंदर झटका मारा....अजय ने देखा की सासुमाँ ने तकिये को मुँह मे डालकर बड़ी मुश्किल से अपनी आवाज़ दबाई...
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