FUN-MAZA-MASTI
सौतेला बाप--63
अब आगे
**********
काव्या ने अपनी माँ की तरफ देखा जो बड़ी आशा भरी नज़रों से उसकी तरफ देख रही थी , ताकि वो चुदाई के लिए बिना कोई नखरा किए तैयार हो जाए बस...उसके बाद उसका भी नंबर लग ही जाएगा..
अपनी माँ की याचना भरी नज़रों से ज़्यादा तो उसे अपनी चूत से निकल रहे पानी की चिंता थी,जो उसे बह-बहकर चुदवाने के लिए उकसा रहा था..पर फिर भी अपनी माँ पर एहसान जताने के लिए वो बड़े ही सेक्सी तरीके से चलती हुई अपनी माँ तक आई और उसके नंगे जिस्म पर हाथ फेरती हुई बोली : "माँ ..क्या तुम चाहती हो की आज मैं विक्की के साथ सेक्स करू...???''
रश्मि (धीरे से) : "उम्म्म्म ....हाँ ....मेरी बच्ची .....कर ले ना.....प्लीज़ कर ले....''
वो परमिशन से ज़्यादा रीक़ुएस्ट लग रही थी..
वैसे भी काव्या ने पिछले कुछ समय से जो रूप देखा था अपनी माँ का, उसके बाद ऐसा बचकाना सवाल पूछना सही नही था...पर ऐसा बोलते हुए जो उत्तेजना से भरी तपिश रश्मि के बदन से निकल रही थी,वो उसके खुद के जज्बातों को सुलगाकर उन्हे आग के शोले में बदल रही थी...जिसमे आज वो विक्की को भून कर खा लेना चाहती थी..
काव्या (अपनी माँ की आँखो में देखते हुए) : "तो चलो ...उतारो मेरे कपड़े...और कर दो मुझे भी नंगा...अपनी तरह...फिर मैं दिखाती हूँ आपको..कैसे इस विक्की के लंड से असली मज़ा लेती हूँ मैं ...''
अपनी बेटी के भावना से भरे शब्दों को सुनकर रश्मि के हाथ बिजली की तेज़ी से चलने लगे..और पलक झपकते ही उसने अपनी फूल सी बेटी को उसी हालत में खड़ा कर दिया जैसी वो पैदा हुई थी...एकदम नंगी..
और उसके नशीले बदन की जवानी को देखकर एक पल के लिए तो रश्मि के मुँह से भी आह निकल गयी..और उसे अपनी जवानी के दिन याद आ गये जब उसके जिस्म से भी जवानी ऐसे ही फुट-फूटकर निकला करती थी...
और उसने भावावेश में आकर अपनी बेटी को बाहों मे भर लिया और उसके लरज रहे होंठों को ज़ोर-2 से चूसने लगी..
काव्या को वैसे तो ये सब अच्छा लगा पर उसे उम्मीद नही थी की उसकी माँ ये हरकत विक्की के सामने करेगी...और जब काव्या ने विक्की की तरफ देखा तो उसकी हँसी निकल गयी, वो अवाक सा होकर,अपना मुँह खोले हुए उन दोनो माँ -बेटी की इस हरकत को देख रहा था.
कुछ देर तक चूमने के बाद रश्मि ने काव्या को छोड़ दिया और बोली : "चलो...जल्दी जाओ वहाँ....''
काव्या भी उसकी अधीरता समझ रही थी, आख़िर उसके बाद वो खुद भी तो चुदने वाली थी विक्की से.
काव्या पलटी और मटकती हुई विक्की की तरफ चल दी, जो अपने लंड को जोरों से मसल कर अपनी तरफ आ रही हुस्न की मल्लिका के स्वागत के लिए तैयार बैठा था.
काव्या ने उसकी आँखों में देखते-2 उसके लंड पर अपनी उंगलियाँ जमाई और उसे मसलना शुरू कर दिया...और साथ ही साथ उसने झुककर अपने होंठों से उसके लंड को चूम लिया...
और फिर धीरे-२ उसकी आँखों में देखते हुए वो उसे किसी अजगर की तरह निगल गयी
और कुछ देर तक चुभलाने के बाद जोर-२ से सक्क करने लगी
विक्की के हाथ भी हरकत में आ गये और उसने नीचे हाथ करते हुए काव्या के लटक रहे अमरूद अपने सख़्त हाथों से मसलने शुरू कर दिए...उसकी उंगलियों की मसलन से जल्द ही वो हरे अमरूद लाल हो गये...और फिर काव्या ने उसके लंड को छोड़ते हुए उसके गीले होंठों को अपनी ब्रेस्ट पर लगा दिया और उपर मुँह करके किसी सियार की भाँति ज़ोर से चीख पड़ी...
''आआआआआआआअहह सककककककककक मीsssssssssssssssssssssssssssss .........''
विक्की तो उसके निप्पल की किसी चविंगम की तरहा चबा रहा था...उसके भरे हुए स्तन को पूरा मुँह में भरकर वो उसका पूरा रस निचोड़ रहा था..
रश्मि भी बेड पर आकर बैठ गयी और विक्की के हाथों अपनी फूल सी बच्ची का मर्दन देखते हुए अपनी चूत मसलने लगी..
काव्या को अपनी गोद में भरकर विक्की ने अपने उपर खींच लिया...और पीछे की तरफ होकर वो बेड पर लेट गया..काव्या ने अपनी दोनो टांगे उसके लंड के दोनो तरफ फेला दी और धीरे से अपनी गांड नीचे करते हुए उसके लंड को अपनी चूत के दरवाजे पर लगाया...
यही वो लम्हा था जिसका विक्की ने न जाने कितने सालों से इंतजार किया था..
आज उसकी गली की वो अल्हड़ सी लड़की,जिसके पीछे वो आवारा कुत्ते की तरह घूमता था...उसे छेड़ता था...उसे चोदने के सपने देखता था...पूरी नंगी होकर उसके उपर लेटी थी...और उसके लंड को अंदर लेने की तैयारी में थी...
विक्की की नज़रों के सामने एक मिनट के अंदर ही पहले की पूरी लाइफ घूम गयी जिसमें ना जाने कितनी बार उसने काव्या की चूत मारने की सोची थी...और आज उसका वो खवाब सच होने जा रहा था, और अपने ख्वाब को सच होता देखकर वो कुछ ज़्यादा ही आवेश मे आ गया और उसने काव्या के दोनो चूतड़ों पर हाथ रखे और गुर्राया : "आज मिली है तू मुझे...इतने सालों के इंतजार के बाद...अब देख मैं तेरी कैसी चुदाई करता हूँ ..आज तेरी चीखें ना निकलवा दी तो मेरा भी नाम विक्की नही...''
उसके हिंसक रूप को देखकर एक पल के लिए तो काव्या सहम सी गयी...क्योंकि जो दबाव उसने उसकी गांड के उपर लगाया था उसे महसूस करके ही वो समझ गयी की आज उसकी कैसी चुदाई होने वाली है..पर अगले ही पल ऐसे रफ़ तरीके से चुदाई करवाने के ख़याल से ही उसमे रोमांच सा भर गया...क्योंकि उसने एक इंग्लीश मूवी में देखा था जब एक लड़का जबरदस्त तरीके से लड़की की चुदाई करता है, पहले तो वो लड़की बड़ा छटपटाती है पर बाद में वो जिस तरीके से उस वाइल्ड सेक्स को एंजाय करती है उसे देखकर काव्या की चूत तब पानी छोड़ गयी थी...और आज विक्की के हाथों वैसी ही चुदाई की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत एकदम से पनिया गयी...और उसमे से भरभराकर पानी बाहर की तरफ गिरने लगा जो नीचे खड़े हुए लंड के उपर जाकर गिरा..
वो भी उसको उकसाने के लिए बोली : "अबे जा ना...बड़े देखे है तेरे जैसे ...मेरी चीखे निकलवाने के लिए स्टील का लंड चाहिए...समझा...''
बस...इतना बहुत था, विक्की के अंदर के जानवर को पूरी तरह से जगाने के लिए...उसने आव देखा ना ताव और उसकी गांड को नीचे की तरफ ज़ोर से धक्का मारकर उसने अपना खड़ा हुआ लंड एक ही झटके में पूरा का पूरा उसकी गीली चूत में उतार दिया...
ऐसा लगा जैसे कोई मूसल किसी पानी से भरे ग्लास में जाकर फंस गया हो....क्योंकि लंड के अंदर जाने से उसकी चूत से निकल रहे पानी की छींटे छपाक की आवाज़ के साथ बाहर की तरफ उछल आये ...
और साथ ही निकली काव्या के मुँह से वो दर्द भरी और मज़े से भरपूर चीख
''आआआआआआआआआआआअहह मअरर्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईई.........उम्म्म्ममममममममममममममममम ओह विक्की .............. साले जानवर .........धीरे कर कमीने....''
जिसे सुनकर पास बैठी रश्मि भी मस्ती में आकर अपनी चूत को ऐसे मसलने लगी जैसे उसे रगदकर अंदर से जिन्न निकालेगी...
पर विक्की अब कहाँ मानने वाला था....उसने तो अपना मुँह उसके मुम्मे पर लगाया और उसे चूसते हुए नीचे से उसकी चूत के अंदर अपना लंड ठोंकने लगा..काव्या का पूरा शरीर उसके तेज झटकों से बुरी तरह से हिल रहा था...ऐसे झटके तो अभी तक महसूस नही किए थे उसने एक हफ्ते की चुदाई में ....समीर के बाद नितिन ने और उसके बाद उस राह चलते आदमी ने भी उसकी चूत बड़े आराम से मारी थी...पर ये विक्की तो साला एकदम से पागल निकला...जानवरों की तरहा झटके मार रहा है...पर एक बात उसने नोट की,हर झटके से जो घर्षण उसकी चूत की अंदरुनी दीवारें महसूस कर रही थी,उसमे उसे ज्यादा आनंद मिल रहा था, तेज झटकों से उन दीवारो को मिल रही रगड़ाई भी जोर से हो रही थी,जो उसे अंदर से असली मजा दे रही थी
पर ऐसा ही तो वो खुद चाहती थी....ऐसा ही कुछ तो काव्या ने उस इंग्लीश मूवी में देखा था,और अब ठीक वैसा ही अपने साथ होता देखकर वो खुशी से पागल हो उठी...और उसने विक्की के बालों को खींचकर अपने स्तनों से उसके मुँह को छुड़वाया ...और उसके होंठों और पूरे चेहरे को अपनी जीभ से किसी पालतू बिल्ली की तरह से चाटने लगी...और ऐसा करते हुए उसने अपने मुँह की लार से उसके चेहरे को भिगो भी डाला...
और अपने मुँह पर उसकी जीभ की पुताई करवाकर विक्की और जंगली हो उठा और उसने अपनी उंगली पीछे की तरफ लेजाकर उसकी गांड में पेल डाली...और वो चिहुंक उठी ....और साथ ही साथ उसके शरीर में एक अजीब सी तरंग भी दौड़ गयी...वो ये भी समझ गयी की जब उसकी गांड की बारी आएगी तो ऐसा ही एहसास महसूस करेगी वो...पर अभी के लिए तो वो अपनी चूत के अंदर पिलाई करवाकर ही खुश थी...
काव्या ने उसके सिर को नीचे दबाकर एक बार फिर से उसके उपर उछलना कूदना शुरू कर दिया...
पर अचानक विक्की उसको गोद में लिए-2 ही खड़ा हो गया...शायद वो किसी अलग एंगल से उसको चोदना चाहता था अब...उसकी भुजाओं में इतनी ताक़त थी की काव्या को गोद में लेने के बाद भी वो उसे हवा में ही कुछ देर तक चोदता रहा...काव्या भी उसके गले में बाहें डालकर अपनी टांगे फेलाए हुए हवा मे लटकी कुतिया की तरह उसके लंड को अंदर बाहर ले रही थी...
और ऐसे ही चोदते -2 विक्की ने उसे बेड पर पटक दिया और उसे घुमाकर डोगी स्टाइल में कर दिया और फिर उसकी फेली हुई गांड को देखते-2 उसकी चूत के छेद पर एक बार फिर से अपने गीले लंड को लगाया और पहले जैसा तेज धक्का मारकर अंदर दाखिल हो गया...
घोड़ी बनी हुई काव्या का शरीर एक बार फिर से उसके सतरंगी झटके से हिल कर रह गया..
पर पिछली बार की तरह वो इस बार भी सिर्फ़ सिसकारियाँ मारकर रह गयी..
''आआआआआआआहह .... ओह येसस्स्स्स्स्स्सस्स... विकी.......चोदो मुझे ..............ऐसे ही .............ज़ोर से ............... अपने लंबे लंड से .............. अंदर तक उतार जाओ मेरी चूत के ............. अहह ... येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स .....''
और विक्की ने फिर से अपनी रेलगाड़ी उसकी चूत की पटरी पर दौड़ा दी..
काव्या ने बेड पर बिछी चादर को पकड़कर अपना बेलेन्स बनाना चाहा पर झटके ही इतनी तेज थे की बेचारी को ढंग से झुके रहने का भी मौका नही मिल रहा था...हर झटके से वो बेड पर फ्लेट सी होकर लेट जाती और फिर वापिस अपनी गांड हवा में उभारकर घोड़ी बनती..अगले झटके से फिर से धराशायी होकर नीचे गिर जाती...ऐसा करते-2 करीब 5 मिनट हो गये..और इन 5 मिनटों में ना जाने वो कितनी बार झड़ी,वो भी नहीं जानती
सामने उनकी चुदाई की रासलीला देख रही रश्मि से सब्र नही हो रहा था...वो सोच रही थी की ऐसे तो ये पूरा दिन लगा रहेगा गे फिर भी झड़ेगा नही...इसलिए विक्की को उत्तेजना के शिखर तक ले जाने के लिए वो भी मैदान में कूद पड़ी..
और अपनी बेटी की चुदाई कर रहे विक्की की बगल में जाकर उसे स्मूच करते हुए उसके बदन को सहलाने लगी...
एक तरफ काव्या की नरम चूत और दूसरी तरफ रश्मि के गर्म होंठ...वो रश्मि के होंठों को चूसता हुआ उसके मुम्मे भी दबा रहा था...और साथ ही साथ काव्या की चूत भी मार रहा था..
और रश्मि का आइडिया जल्द ही रंग लाया....विक्की के लंड ने जल्द ही जवाब दे दिया और वो ज़ोर से चिल्लाया..
''आआआआआआआअहह काव्या .................आई एम कमिंग ..............''
काव्या तो करीब 3 बार झड़ चुकी थी...इसलिए उसे कोई चिंता नही थी...पर वो विक्की के रस को अपने मुँह में लेना चाहती थी,क्योंकि रिसोर्ट में जबसे उसने विक्की के लंड का रस चखा था तबसे वो उसकी दीवानी हो गयी थी..वो भी चिल्लाई..
''विक्कीईईईईईईईईईईईईईईई.....मेरे मुँह में निकालना.....प्लीज़......मेरे मुँह में .....''
और आख़िर के 5-6 झटके जोरों से मारने के बाद एकदम से विक्की ने अपना लंड बाहर खींचा और उसी पल काव्या भी पलटकर उसके सामने बैठ गयी...और विक्की ने अपने हाथ से मसलते हुए अपना गाड़ा और मीठा रस काव्या के मासूम से चेहरे पर बिखेरना शुरू कर दिया...कुछ उसके खुले हुए मुंह में गया और बाकी उसके गालों और आँखों पर
ऐसा लग रहा था जैसे काजू बरफी का गाड़ा घोल काव्या के चेहरे पर आ गिरा है...जिसे वो धीरे-2 अपनी उंगलियों में समेट कर चाटती चली गयी..
और फिर अच्छी तरह से उसके लंड को चूसने के बाद काव्या और विक्की उसी बेड पर गिरकर अपनी साँसे संभालने की कोशिश करने लगे..
पर अपनी साँसे संभाल रहा विक्की बेचारा ये नही जानता था की रश्मि की गिद्ध जैसी नज़रें अब उसके मुरझाए हुए लंड पर आकर टिक गयी है....जिसे वो जल्द से जल्द अपने लिए तैयार करके वही करवाना चाहती थी जिसके लिए वो कब से तरस रही थी..
अपनी चुदाई....
सौतेला बाप--63
अब आगे
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काव्या ने अपनी माँ की तरफ देखा जो बड़ी आशा भरी नज़रों से उसकी तरफ देख रही थी , ताकि वो चुदाई के लिए बिना कोई नखरा किए तैयार हो जाए बस...उसके बाद उसका भी नंबर लग ही जाएगा..
अपनी माँ की याचना भरी नज़रों से ज़्यादा तो उसे अपनी चूत से निकल रहे पानी की चिंता थी,जो उसे बह-बहकर चुदवाने के लिए उकसा रहा था..पर फिर भी अपनी माँ पर एहसान जताने के लिए वो बड़े ही सेक्सी तरीके से चलती हुई अपनी माँ तक आई और उसके नंगे जिस्म पर हाथ फेरती हुई बोली : "माँ ..क्या तुम चाहती हो की आज मैं विक्की के साथ सेक्स करू...???''
रश्मि (धीरे से) : "उम्म्म्म ....हाँ ....मेरी बच्ची .....कर ले ना.....प्लीज़ कर ले....''
वो परमिशन से ज़्यादा रीक़ुएस्ट लग रही थी..
वैसे भी काव्या ने पिछले कुछ समय से जो रूप देखा था अपनी माँ का, उसके बाद ऐसा बचकाना सवाल पूछना सही नही था...पर ऐसा बोलते हुए जो उत्तेजना से भरी तपिश रश्मि के बदन से निकल रही थी,वो उसके खुद के जज्बातों को सुलगाकर उन्हे आग के शोले में बदल रही थी...जिसमे आज वो विक्की को भून कर खा लेना चाहती थी..
काव्या (अपनी माँ की आँखो में देखते हुए) : "तो चलो ...उतारो मेरे कपड़े...और कर दो मुझे भी नंगा...अपनी तरह...फिर मैं दिखाती हूँ आपको..कैसे इस विक्की के लंड से असली मज़ा लेती हूँ मैं ...''
अपनी बेटी के भावना से भरे शब्दों को सुनकर रश्मि के हाथ बिजली की तेज़ी से चलने लगे..और पलक झपकते ही उसने अपनी फूल सी बेटी को उसी हालत में खड़ा कर दिया जैसी वो पैदा हुई थी...एकदम नंगी..
और उसके नशीले बदन की जवानी को देखकर एक पल के लिए तो रश्मि के मुँह से भी आह निकल गयी..और उसे अपनी जवानी के दिन याद आ गये जब उसके जिस्म से भी जवानी ऐसे ही फुट-फूटकर निकला करती थी...
और उसने भावावेश में आकर अपनी बेटी को बाहों मे भर लिया और उसके लरज रहे होंठों को ज़ोर-2 से चूसने लगी..
काव्या को वैसे तो ये सब अच्छा लगा पर उसे उम्मीद नही थी की उसकी माँ ये हरकत विक्की के सामने करेगी...और जब काव्या ने विक्की की तरफ देखा तो उसकी हँसी निकल गयी, वो अवाक सा होकर,अपना मुँह खोले हुए उन दोनो माँ -बेटी की इस हरकत को देख रहा था.
कुछ देर तक चूमने के बाद रश्मि ने काव्या को छोड़ दिया और बोली : "चलो...जल्दी जाओ वहाँ....''
काव्या भी उसकी अधीरता समझ रही थी, आख़िर उसके बाद वो खुद भी तो चुदने वाली थी विक्की से.
काव्या पलटी और मटकती हुई विक्की की तरफ चल दी, जो अपने लंड को जोरों से मसल कर अपनी तरफ आ रही हुस्न की मल्लिका के स्वागत के लिए तैयार बैठा था.
काव्या ने उसकी आँखों में देखते-2 उसके लंड पर अपनी उंगलियाँ जमाई और उसे मसलना शुरू कर दिया...और साथ ही साथ उसने झुककर अपने होंठों से उसके लंड को चूम लिया...
और फिर धीरे-२ उसकी आँखों में देखते हुए वो उसे किसी अजगर की तरह निगल गयी
और कुछ देर तक चुभलाने के बाद जोर-२ से सक्क करने लगी
विक्की के हाथ भी हरकत में आ गये और उसने नीचे हाथ करते हुए काव्या के लटक रहे अमरूद अपने सख़्त हाथों से मसलने शुरू कर दिए...उसकी उंगलियों की मसलन से जल्द ही वो हरे अमरूद लाल हो गये...और फिर काव्या ने उसके लंड को छोड़ते हुए उसके गीले होंठों को अपनी ब्रेस्ट पर लगा दिया और उपर मुँह करके किसी सियार की भाँति ज़ोर से चीख पड़ी...
''आआआआआआआअहह सककककककककक मीsssssssssssssssssssssssssssss .........''
विक्की तो उसके निप्पल की किसी चविंगम की तरहा चबा रहा था...उसके भरे हुए स्तन को पूरा मुँह में भरकर वो उसका पूरा रस निचोड़ रहा था..
रश्मि भी बेड पर आकर बैठ गयी और विक्की के हाथों अपनी फूल सी बच्ची का मर्दन देखते हुए अपनी चूत मसलने लगी..
काव्या को अपनी गोद में भरकर विक्की ने अपने उपर खींच लिया...और पीछे की तरफ होकर वो बेड पर लेट गया..काव्या ने अपनी दोनो टांगे उसके लंड के दोनो तरफ फेला दी और धीरे से अपनी गांड नीचे करते हुए उसके लंड को अपनी चूत के दरवाजे पर लगाया...
यही वो लम्हा था जिसका विक्की ने न जाने कितने सालों से इंतजार किया था..
आज उसकी गली की वो अल्हड़ सी लड़की,जिसके पीछे वो आवारा कुत्ते की तरह घूमता था...उसे छेड़ता था...उसे चोदने के सपने देखता था...पूरी नंगी होकर उसके उपर लेटी थी...और उसके लंड को अंदर लेने की तैयारी में थी...
विक्की की नज़रों के सामने एक मिनट के अंदर ही पहले की पूरी लाइफ घूम गयी जिसमें ना जाने कितनी बार उसने काव्या की चूत मारने की सोची थी...और आज उसका वो खवाब सच होने जा रहा था, और अपने ख्वाब को सच होता देखकर वो कुछ ज़्यादा ही आवेश मे आ गया और उसने काव्या के दोनो चूतड़ों पर हाथ रखे और गुर्राया : "आज मिली है तू मुझे...इतने सालों के इंतजार के बाद...अब देख मैं तेरी कैसी चुदाई करता हूँ ..आज तेरी चीखें ना निकलवा दी तो मेरा भी नाम विक्की नही...''
उसके हिंसक रूप को देखकर एक पल के लिए तो काव्या सहम सी गयी...क्योंकि जो दबाव उसने उसकी गांड के उपर लगाया था उसे महसूस करके ही वो समझ गयी की आज उसकी कैसी चुदाई होने वाली है..पर अगले ही पल ऐसे रफ़ तरीके से चुदाई करवाने के ख़याल से ही उसमे रोमांच सा भर गया...क्योंकि उसने एक इंग्लीश मूवी में देखा था जब एक लड़का जबरदस्त तरीके से लड़की की चुदाई करता है, पहले तो वो लड़की बड़ा छटपटाती है पर बाद में वो जिस तरीके से उस वाइल्ड सेक्स को एंजाय करती है उसे देखकर काव्या की चूत तब पानी छोड़ गयी थी...और आज विक्की के हाथों वैसी ही चुदाई की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत एकदम से पनिया गयी...और उसमे से भरभराकर पानी बाहर की तरफ गिरने लगा जो नीचे खड़े हुए लंड के उपर जाकर गिरा..
वो भी उसको उकसाने के लिए बोली : "अबे जा ना...बड़े देखे है तेरे जैसे ...मेरी चीखे निकलवाने के लिए स्टील का लंड चाहिए...समझा...''
बस...इतना बहुत था, विक्की के अंदर के जानवर को पूरी तरह से जगाने के लिए...उसने आव देखा ना ताव और उसकी गांड को नीचे की तरफ ज़ोर से धक्का मारकर उसने अपना खड़ा हुआ लंड एक ही झटके में पूरा का पूरा उसकी गीली चूत में उतार दिया...
ऐसा लगा जैसे कोई मूसल किसी पानी से भरे ग्लास में जाकर फंस गया हो....क्योंकि लंड के अंदर जाने से उसकी चूत से निकल रहे पानी की छींटे छपाक की आवाज़ के साथ बाहर की तरफ उछल आये ...
और साथ ही निकली काव्या के मुँह से वो दर्द भरी और मज़े से भरपूर चीख
''आआआआआआआआआआआअहह मअरर्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईई.........उम्म्म्ममममममममममममममममम ओह विक्की .............. साले जानवर .........धीरे कर कमीने....''
जिसे सुनकर पास बैठी रश्मि भी मस्ती में आकर अपनी चूत को ऐसे मसलने लगी जैसे उसे रगदकर अंदर से जिन्न निकालेगी...
पर विक्की अब कहाँ मानने वाला था....उसने तो अपना मुँह उसके मुम्मे पर लगाया और उसे चूसते हुए नीचे से उसकी चूत के अंदर अपना लंड ठोंकने लगा..काव्या का पूरा शरीर उसके तेज झटकों से बुरी तरह से हिल रहा था...ऐसे झटके तो अभी तक महसूस नही किए थे उसने एक हफ्ते की चुदाई में ....समीर के बाद नितिन ने और उसके बाद उस राह चलते आदमी ने भी उसकी चूत बड़े आराम से मारी थी...पर ये विक्की तो साला एकदम से पागल निकला...जानवरों की तरहा झटके मार रहा है...पर एक बात उसने नोट की,हर झटके से जो घर्षण उसकी चूत की अंदरुनी दीवारें महसूस कर रही थी,उसमे उसे ज्यादा आनंद मिल रहा था, तेज झटकों से उन दीवारो को मिल रही रगड़ाई भी जोर से हो रही थी,जो उसे अंदर से असली मजा दे रही थी
पर ऐसा ही तो वो खुद चाहती थी....ऐसा ही कुछ तो काव्या ने उस इंग्लीश मूवी में देखा था,और अब ठीक वैसा ही अपने साथ होता देखकर वो खुशी से पागल हो उठी...और उसने विक्की के बालों को खींचकर अपने स्तनों से उसके मुँह को छुड़वाया ...और उसके होंठों और पूरे चेहरे को अपनी जीभ से किसी पालतू बिल्ली की तरह से चाटने लगी...और ऐसा करते हुए उसने अपने मुँह की लार से उसके चेहरे को भिगो भी डाला...
और अपने मुँह पर उसकी जीभ की पुताई करवाकर विक्की और जंगली हो उठा और उसने अपनी उंगली पीछे की तरफ लेजाकर उसकी गांड में पेल डाली...और वो चिहुंक उठी ....और साथ ही साथ उसके शरीर में एक अजीब सी तरंग भी दौड़ गयी...वो ये भी समझ गयी की जब उसकी गांड की बारी आएगी तो ऐसा ही एहसास महसूस करेगी वो...पर अभी के लिए तो वो अपनी चूत के अंदर पिलाई करवाकर ही खुश थी...
काव्या ने उसके सिर को नीचे दबाकर एक बार फिर से उसके उपर उछलना कूदना शुरू कर दिया...
पर अचानक विक्की उसको गोद में लिए-2 ही खड़ा हो गया...शायद वो किसी अलग एंगल से उसको चोदना चाहता था अब...उसकी भुजाओं में इतनी ताक़त थी की काव्या को गोद में लेने के बाद भी वो उसे हवा में ही कुछ देर तक चोदता रहा...काव्या भी उसके गले में बाहें डालकर अपनी टांगे फेलाए हुए हवा मे लटकी कुतिया की तरह उसके लंड को अंदर बाहर ले रही थी...
और ऐसे ही चोदते -2 विक्की ने उसे बेड पर पटक दिया और उसे घुमाकर डोगी स्टाइल में कर दिया और फिर उसकी फेली हुई गांड को देखते-2 उसकी चूत के छेद पर एक बार फिर से अपने गीले लंड को लगाया और पहले जैसा तेज धक्का मारकर अंदर दाखिल हो गया...
घोड़ी बनी हुई काव्या का शरीर एक बार फिर से उसके सतरंगी झटके से हिल कर रह गया..
पर पिछली बार की तरह वो इस बार भी सिर्फ़ सिसकारियाँ मारकर रह गयी..
''आआआआआआआहह .... ओह येसस्स्स्स्स्स्सस्स... विकी.......चोदो मुझे ..............ऐसे ही .............ज़ोर से ............... अपने लंबे लंड से .............. अंदर तक उतार जाओ मेरी चूत के ............. अहह ... येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स .....''
और विक्की ने फिर से अपनी रेलगाड़ी उसकी चूत की पटरी पर दौड़ा दी..
काव्या ने बेड पर बिछी चादर को पकड़कर अपना बेलेन्स बनाना चाहा पर झटके ही इतनी तेज थे की बेचारी को ढंग से झुके रहने का भी मौका नही मिल रहा था...हर झटके से वो बेड पर फ्लेट सी होकर लेट जाती और फिर वापिस अपनी गांड हवा में उभारकर घोड़ी बनती..अगले झटके से फिर से धराशायी होकर नीचे गिर जाती...ऐसा करते-2 करीब 5 मिनट हो गये..और इन 5 मिनटों में ना जाने वो कितनी बार झड़ी,वो भी नहीं जानती
सामने उनकी चुदाई की रासलीला देख रही रश्मि से सब्र नही हो रहा था...वो सोच रही थी की ऐसे तो ये पूरा दिन लगा रहेगा गे फिर भी झड़ेगा नही...इसलिए विक्की को उत्तेजना के शिखर तक ले जाने के लिए वो भी मैदान में कूद पड़ी..
और अपनी बेटी की चुदाई कर रहे विक्की की बगल में जाकर उसे स्मूच करते हुए उसके बदन को सहलाने लगी...
एक तरफ काव्या की नरम चूत और दूसरी तरफ रश्मि के गर्म होंठ...वो रश्मि के होंठों को चूसता हुआ उसके मुम्मे भी दबा रहा था...और साथ ही साथ काव्या की चूत भी मार रहा था..
और रश्मि का आइडिया जल्द ही रंग लाया....विक्की के लंड ने जल्द ही जवाब दे दिया और वो ज़ोर से चिल्लाया..
''आआआआआआआअहह काव्या .................आई एम कमिंग ..............''
काव्या तो करीब 3 बार झड़ चुकी थी...इसलिए उसे कोई चिंता नही थी...पर वो विक्की के रस को अपने मुँह में लेना चाहती थी,क्योंकि रिसोर्ट में जबसे उसने विक्की के लंड का रस चखा था तबसे वो उसकी दीवानी हो गयी थी..वो भी चिल्लाई..
''विक्कीईईईईईईईईईईईईईईई.....मेरे मुँह में निकालना.....प्लीज़......मेरे मुँह में .....''
और आख़िर के 5-6 झटके जोरों से मारने के बाद एकदम से विक्की ने अपना लंड बाहर खींचा और उसी पल काव्या भी पलटकर उसके सामने बैठ गयी...और विक्की ने अपने हाथ से मसलते हुए अपना गाड़ा और मीठा रस काव्या के मासूम से चेहरे पर बिखेरना शुरू कर दिया...कुछ उसके खुले हुए मुंह में गया और बाकी उसके गालों और आँखों पर
ऐसा लग रहा था जैसे काजू बरफी का गाड़ा घोल काव्या के चेहरे पर आ गिरा है...जिसे वो धीरे-2 अपनी उंगलियों में समेट कर चाटती चली गयी..
और फिर अच्छी तरह से उसके लंड को चूसने के बाद काव्या और विक्की उसी बेड पर गिरकर अपनी साँसे संभालने की कोशिश करने लगे..
पर अपनी साँसे संभाल रहा विक्की बेचारा ये नही जानता था की रश्मि की गिद्ध जैसी नज़रें अब उसके मुरझाए हुए लंड पर आकर टिक गयी है....जिसे वो जल्द से जल्द अपने लिए तैयार करके वही करवाना चाहती थी जिसके लिए वो कब से तरस रही थी..
अपनी चुदाई....
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