FUN-MAZA-MASTI
बहकती बहू--20
अब आगे - - - --
दूसरे दिन सुबह सुबह सुनील अपने दोस्तों के साथ चला गया शाम की आने को कह कर ! ये उसकी हमेशा की आदत थी आने के दो दिन बाद से ही दोस्तो के साथ सारा दिन घूमता रहता ! कामया अभी उठी नही थी ! शांति और मदनलाल दोनो बैठ कर चाय पी रहे थे आज शांति के चेहरे मे कुछ अलग ही रौनक थी !जब कामया उठ कर आई तो देखा की बाबूजी और मांजी दोनो बैठ चाय पी रहे हैं ! कामया ने नोट किया क़ि आज मांजी ने भक्ति चेनल नही लगाया था बल्कि टीवी पर पुराने गाने देख रही थी ! कामया मन ही मन बोली "" एक ही दिन मे बुढ़िया को नशा चढ़ गया है देखो तो रंग ढंग ही बदल गये हैं आज फिल्मी गाने देख रही है लगता है दो चार दिन मे फेशन टीवी देखने लगेगी "" कामया ने जब करीब आकर दोनो को विश किया तो देखा क़ि मांजी ने अपना हाथ बाबूजी के जाँघ मे रखा हुआ है वो अंदर ही अंदर ही जल भुन गई ! कामया जब वहाँ से निकली तो मदनलाल एक टक उसकी मटकती गांद को देखने लगा ! कुछ देर बाद कामया नहाने के कपड़े लेकर बाथरूम मे घुस गई ! अचानक शांति ने मदनलाल से कहा
शांति ::: अरे मैं तो भूल ही गई मुझे मंदिर जाना है वहाँ आज कथा है ? आप तो सब भुला देते हो मैं जा रही हूँ दोपहर तक वापिस लौटूँगी और मदनलाल की तरफ कातिल नज़रों से देख कर बाहर चली गई ! शांति के जाने की बात सुनकर ही मदनलाल के मन मे लड्डू फूटने लगे !
शांति के जाते ही मदनलाल ने फ़ौरन घर को अंदर से लॉक किया और धीरे धीरे बाथरूम की ओर चल दिया ! बाथरूम पहुँचकर मदनलाल ने दरवाज़ा खटखटाया
बाथरूम मे कामया बिल्कुल नंगी शोवर ले रही थी ! उपर से रिमझिम -२ पानी बरस रहा था नीचे भीगा बदन जल रहा था !वो अपने मुम्मो को पकड़ कर मसल रही थी ! पहले कामया के मम्मे औसत आकर के थे केवल हिप्स ही औसत से बड़े थे लेकिन अब उसके मम्मे भी अबोव एवरेज हो गये थे सब मदनलाल की मेहनत का नतीजा था जो जैसे हो मौका मिलता बहू के मम्मो पर पिल पढ़ता था ! शांति के घर मे रहते भी अगर मदनलाल को ज़रा सा भी मौका मिलता चाहे किचन मे चाहे छत मे वो बहू के मम्मो से खेलने लगता ! ये ससुर की दिन रात की मेहनत के कारण ही आज बहूरानी का सीना गर्वे से ऊपर उठ गया था ! अब सामने से भी कामया बहुत ही कम्मोतेजक हो गयी थी या ये कहिए क़ि बहुत ही घातक और मारक हो गयी थी !कामया बड़ी तल्लीनता से अपनी जवानी से खेल रही थी की अचानक दरवाजे पर खट - २ की आवाज़ हुई ! आवाज़ सुनते ही कामया चौंक गई क़ि कहीं बाबूजी तो नही आ गये जैसे पहली बार आए थे ! पर उसके दिल ने कहा "" नही नही मम्मी बाबूजी के साथ थी वो ऐसी हिम्मत नही कर सकते "" तभी उसने देखा क़ि मम्मी के कपड़े टँगे हुए हैं तो उसने सोचा मम्मी लेने आई होगी ! वो टॉवेल लपेट कर दरवाजा खोलने ही वाली थी क़ि उसके दिमाग़ मे कल रात की घटना याद आ गई ! उस घटना के लिए तो वो मम्मी को कुछ कह नही सकती थी लेकिन उसके नारी मन की ईर्ष्या जाग गई !उसने सोचा कल बुढ़िया बहुत मज़े लूट रही थी जवानी के आज इसको बताती हूँ असली जवानी कहते किसे हैं ! बहुत बन रही थी कल ""बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम ""!
वैसे तो कामया ने ही शांति के हक़ मे डाका डाला था लेकिन अब उसकी सोच बिल्कुल ही बदल गई थी उसे ऐसा लग रहा था जैसे कल शांति ने उसका हक़ मार लिया हो ? वो बुदबुदाई "" उमर देखो हाफ़ सेंचुरी से कितना आगे चली गई है , बालों मे खिजाब लगती है ,पूरे बदन मे जहाँ तहाँ चर्बी जमने लगी है शरीर मे कोई ऐसा जोड़ नही है जो दुखता ना हो लेकिन कल कैसे उछल रही थी लॅंड मिल गया था तो ! चीखी तो ऐसे थी जैसे कल ही सील तुड़वा रही हो "" तुलसी दास ने पहले ही लिख दिया है "" नारी ना मोहे नारी के रूपा "" कामया की ईर्ष्या भी पुर उफान पर आ गई और उसने ऐसा निर्णय ले लिया जिसके बारे मे वो खुद कभी सोच भी नही सकती थी ! कामया ने मम्मी के सामने नंगी ही दरवाजा खोलने का फ़ैसला कर लिया ताकि सास अच्छी तरह उसके हुश्न को देख सके और जल भुन जाए !
कामया ने धीरे से चिटकनी हटाई और फ़ौरन शोवर के नीचे आकर आँख बंद कर लिया ! कामया की आँखे ज़रूर बंद थी लेकिन उसके कान शांति के कदमो की आहट पर ही लगे हुए थे ! धीरे धीरे दरवाजा खुलने की आवाज़ आई और फिर आने वाले के कदम उसकी ओर बढ़ने लगे ! जब कदम बिल्कुल उसके पीछे आ पहुँचे तो कदमों की आवाज़ आनी बंद हो गई !
जब कदम कामया के पीछे आकर रुक गये तो बहू सोचने लगी क़ि सास उसके जवान हसीन बदन , उसकी मांसलता ,उसके जिस्म की चिकनाई ,उसके नपे तुले आनुपातिक अंगों को देख कर जल जल के मरी जा रही होगी इसलिए वो और बेफिक्रि से गुनगुनाते हुए नहाने लगी ! इधर बाथरूम का दरवाजा खुलते ही मदनलाल ने जो देखा तो उसे तो मानो सन्निपात सा हो गया ! उसकी उपर की साँस उपर और नीचे की साँस नीचे ही रह गई ! अगर भगवान ने साँस लेना आदमी के हाथों मे दे रखा होता तो आज बाथरूम के दरवाजे पर मदनलाल की हिर्दय गति रुकने से मृत्यु तय थी ! अंदर शोवर के नीचे मालिका ए हुश्न कामया बिल्कुल निर्वस्त्र नहा रही थी ! बहू का एक एक अंग साँचे मे ढला था ! पिछली बार जब मदनलाल ने कामया को यहीं पर नंगी देखा था तब से अब तक मे उसके हुश्न मे और निखार आ गया था ! बाबूजी से मिलने वाली खुशी और संतुष्टि से कामया के अंग और खिल उठे थे ! बहूरानी के बूब्स अब बहुत उन्नत हो गये थे मानो श्वेत हिम पर्वत के दो शिखर हों ! कामया के दोनो हाथ उपर सिर मे थे जिससे दोनो उरोज और उपर की ओर होकर मदनलाल को खुला निमंत्रण दे रहे थे ! मदनलाल चित्र लिखित सा खड़ा कुदरत की उस नायाब कारिगिरी को देखे जा रहा था ! बहूरानी का सौंदर्य किसी अप्सरा के सामान था! पानी की बूँदें धीरे -२ उसके शरीर से नीचे गिर रही थी ऐसा लग रहा था मानों स्वर्ग की कोई अप्सरा जल विहार कर रही हो !
इधर कामया गुनगुनाती हुई नहा रही थी लेकिन उसका ध्यान इसी बात पर लगा था क़ि शांति की दशा इस वक्त कैसी हो रही होगी ? मदनलाल ने अंदर आने से पहले ही अपना कुर्ता उतार दिया था अब वो केवल लूँगी मे था ! वो सम्मोहित सा आगे बड़ा और कामया की पीठ के पास आकर खड़ा हो गया ! बहू को अब उसकी गर्म साँसे भी महसूस हो रही थी पर बेचारी अभी भी ये नही समझ पा रही थी की सांस हैं किसकी ? अचानक मदनलाल के अंदर का मर्द जागा और उसने पीछे से दोनो हाथ सामने ले जाते हुए बहू के दोनो संतरों को अपने मुट्ठी मे भींच लिया ! कामया आँखे बंद करे नहा रही थी जैसे ही उसकी चुचियाँ किसी के हाथों मे क़ैद हुई वो भोंचक रह गई ! उसे शांति से ये उमीद बिल्कुल नही थी ! वो सपने मे भी नही सोच सकती थी की उसकी सास लेस्बियान भी हो सकती है ! उसने फ़ौरन शोवर बंद किया और हड़बड़ाते हुए बोली --
कामया ::: मम्मी ये आप क्या कर रही है ? आपको क्या हो गया है ?
लेकिन वहाँ मम्मी होती तो कुछ बोलती मदनलाल चुपचाप रहा और ज़ोर ज़ोर से कामया की चुचियों को मसलने लगा ! इधर इस जद्दोजहद मे ससुर साहब की लूँगी खुलकर नीचे गिर गई , कामया को अचानक अपने गांद मे कुछ चुभता सा महसूस हुआ तो उसने ताक़त लगा कर अपने को थोड़ा सा घुमाया और जैसे ही पीछे देखा तो उसको साँप सूंघ गया ! पीछे बाबूजी भी उसी की तरह नंग धड़ंग खड़े थे और उसे पकड़े हुए थे ! भयक्रांत कामया के मुख से निकला
कामया ::: बाबूजी ये आप क्या कर रहे हैं ? मम्मी आ गई तो गजब हो जाएगा ! प्लीज़ आप जाइए यहाँ से ! मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ !
लेकिन मदनलाल को बहू के बात से कोई फ़र्क नही पड़ा उसने स्तन मर्दन जारी रखते हुए अब बहू के नाज़ुक लज़ीज़ कंधों को चूमना भी चालू कर दिया ! साथ साथ उसने अपनी कमर को थोड़ा अड्जस्ट करके अपने छोटू को बहू की गांद की दरार मे फिट कर दिया ! अपनी गांद मे बाबूजी के लंबे मोटे मूसल की रगड़ कामया को बेचैन कर रही थी दो दिन से उसे सुनील के चुन्नु मुन्नु से काम चलाना पड़ रहा था जो उसे बिल्कुल भी सॅटिस्फाइ नही कर पा रहा था ! बाबूजी की हरकतों और खुद उसके जवान जिस्म की माँग के कारण उसका बदन काबू से बाहर होने लगा ! उसकी साँसे तेज़ होने लगी और कामया की आँखों मे सरूर उतर आया ! लेकिन वक्त ऐसा नही था क़ि वो भावनाओ मे बह जाए सास घर मे थी वो भी फ्री बैठी हुई थी ऐसे मे ससुर के साथ नहाते हुए रंग रेलियाँ मनाना बहुत बड़ी रिस्क थी ! कामया ने एक बार फिर अपने को छुड़ाते हुए कहा
कामया ::: बाबूजी छोड़िए हमे !!! ये क्या पागलपन है मम्मी घर पर है और आपको दिन दहाड़े मस्ती सूझ रही है
लेकिन मदनलाल अपनी ही मस्ती मे लगा रहा ! एक तो वैसे ही कामया का बदन मख्खन सा चिकना था उपर से गीली होने के कारण वो मछली जैसे फिसल जा रही थी ! मदनलाल ने उसे अच्छी तरह कस कर पकड़ा फिर अपना एक हाथ चुचे से हटाकर नीचे चुत मे रख दिया !क्लिट पर बाबूजी का हाथ लगते ही कामया काँप गई उसके पूरे बदन मे चीटियाँ रेंगने लगी ! बाबूजी भी मज़ा लेते हुए उसकी मुनिया को सहलाने लगे !
कामया का शरीर अब उसके कंट्रोल से बाहर जाता जा रहा था किंतु दिमाग़ अभी भी थोड़ा कंट्रोल मे था एक बार फिर उसने कातर स्वर मे कहा
कामया ::: बाबूजी प्लीज़ मैं आपके पैर पड़ती हूँ मुझे छोड़ दीजिए ? मम्मी घर पर हैं आप समझते क्यों नही ? अगर वो अभी यहाँ आ गई तो अनर्थ हो जाएगा ! कामया के स्वर मे कंपन था और वो रुआंसी हो गई थी जिससे मदनलाल को उस पर दया आ गई उसने धीरे से उसके कान मे कहा
मदनलाल :: जान चिंता मत करो ! शांति घर पर नही है
कामया :: क्या मम्मी घर पर नही है ? लेकिन अभी -२ तो वो आपके साथ बैठी थी
मदनलाल ::: वो मंदिर मे कथा चल रही है इसलिए वहीं चली गई है कह के गई है क़ि दोपहर तक आ पाएगी ! बाबूजी के मुख से ये सुनते ही कामया की जान मे जान आई ! उसका टेंसन दूर हो गया और शरीर बिल्कुल हल्का हो गया उसने मदनलाल से कहा
कामया ::: तभी आप इतनी दिलेरी दिखा रहे है वही मैं समझू क़ि आपको आज हो क्या गया है ? मदनलाल ने अब कामया को घुमा के आमने सामने कर दिया ! सामने से उसके दोनो संतरे कहर ढा रहे थे मदनलाल ने अपने को घुटनो पर कर लिया और बहू के प्यारे फल को अपने मुँह मे भर लिया ! वो ज़ोर -२ से दोनो चुचों को बारी बारी से चूस रहा था साथ ही साथ एक हाथ उसने बहू की जांघों के बीच डाल कर चुत पर भी अटेक कर दिया ! उसकी लंबी उंगली जैसे ही बहू की सुरंग के अंदर घुसी कामया सिसकारी मारने लगी
कामया :::: आह शी शी शी ! उई माँ ! जानू प्लीज़ मत तड़पाओ !
मदनलाल ने अब अपनी दो उंगली बहू के लव टनल मे डाल दी ! उसने जी की गठान पर दोनो उंगली सर्क्युलर मोसन मे घुमणि चालू कर दी ! कामया के पूरे बदन मे इस हरकत से आग लग गई ! उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसकी चुत मे अनारदाना जला दिया हो वो बेसबर होकर बोली --
कामया ::: बाबूजी उंगली से नही उससे करिए
मदनलाल :: किससे ?
कामया ::: धत आप बहुत गंदे हैं ! अपने उससे करिए ना !
मदनलाल ::: हम ही सबकुछ करेंगे आप कुछ नही करेंगी ?
कामया :: ये काम तो मर्दों का ही है हम क्या कर सकते हैं !
मदनलाल :: चाहो तो तुम भी बहुत कुछ कर सकती हो ?
कामया ::: बोलिए हम क्या कर सकते हैं ?
कामया की बात सुनकर मदनलाल खड़ा हो गया और कामया के कंधे पकड़कर दबाने लगा ! बहूरानी समझ गई की बाबूजी उससे क्या चाह रहे हैं ! लेकिन उसने इठलाते हुए कहा --
कामया ::: जानू हमारे बीच समझौता हुआ था क़ि कुछ दिन हम नही पिएँगे !
मदनलाल ::: हमे मालूम है समझौता नही पीने का हुआ था नही चूसने का नही ! चलो थोड़ा मेहनत तुम भी करो ! बस मज़ा लेना बस जानती हो क्या ?
कामया ने बहुत ही कामुक और कातिल नज़रों से मदनलाल की आँखों मे देखा और कहा --
कामया ::: मज़ा लेना भी जानती हूँ और मज़ा देना भी जानती हूँ पर हां ये दोनो हमे आप ही ने सिखाया है !
फिर कामया धीरे से घुटनो के बल बैठ गई ! बाबूजी का कोबरा फन फैलाए उसके सामने डोल रहा था ! उत्तेजना के कारण सुपाड़ा लाल हो गया था मानो बहुत गुस्से मे हो ! कामया ने देर ना करते हुए गप्प से उसे मुँह मे ले लिया और लगी चपर चपर चूसने ! अब सिसकारी लेने की बारी मदनलाल की थी उसने ज़ोर से कामया का सिर पकड़ लिया और अपने को कंट्रोल करने लगा ! बहू ने ब्लो जॉब देना बहुत देर से सीखा था लेकिन बहुत जल्दी ही उसने इस मे महारत हासिल कर ली थी आख़िर ट्रैनिंग देने वाला भी तो एक नंबर का कोच था ! कामया जितना हो सके लॅंड को अंदर तक भर लेती फिर अपने होंठों को कस कर वापिस आती जिससे पेनिस पंप जैसा वक्युम बन जाता और मदनलाल के लॅंड मे उबाल आने लगता ! अभी उसने दो मिनिट ही सकिंग की थी क़ि ससुर ने उसे खड़ा कर दिया और पीछे को घुमा दिया !अब कामया की सुंदर सलोनी गांद मदनलाल के सामने थी ! मदनलाल ने बहू को दीवार की तरफ झुका कर खड़ा कर दिया ! फिर बाबूजी के कहने पर कमर को कर्व देकर नितंबों को बाहर की ओर उछाल दिया ! कामया की दुकान अब मदनलाल के प्रवेश के लिए तत्पर थी ! फिसलने से बचने के लिए कामया ने नाल की टोंटी पकड़ ली ! मदनलाल अब और सबर नही कर सकता था उसने अपने सुपादे को बहू की चुत के मुहाने मे लगाया और एक करारा शॉट मार दिया ! दोनो के बदन पानी के कारण लूब्रिकेटेड थे पहले धक्के मे ही लॅंड तीन चौथाई अंदर समा गया ! बहू के मुख से एक दर्द भरी चीख निकल गई !--
कामया ::::: उई मम्मी मर गई ! आह ससस्स ससस्स शीशीशी
मदनलाल ::: क्या हो गया जान
कामया ::: बहुत दर्द दे रहा है एक झटके मे क्यों डाल देते हो ? आराम -२ से नही कर सकते !
मदनलाल ::: जानेमन तुमको देखने के बाद तो आराम हराम हो जाता है ! बोलो तो निकाल लें !!!
कामया ::: जी नही अब ज़्यादा मत बनिये ! निकालने के लिए डाला था क्या ? बस धीरे धीरे करते रहिए ! धीरे -२ लंबे लंबे शॉट अच्छे लगते हैं !
मदनलाल ::: लंबे लंबे शॉट बस अच्छे लगते हैं या लंबा वाला भी अच्छा लगता है ?
कामया ::: धत बेशरम कही के ? बहू से ऐसी बात करते शरम नही आती आपको ? सचमुच आप बहुत गंदे हो !
मदनलाल ने बहू की नाज़ुक पतली कमर को पकड़ा और एस पर हर डिमांड लंबे और गहरे स्ट्रोक मारने लगा ! हर धक्के के साथ ही कामया की सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी ! हर पल बहू की कामुकता बढ़ती ही जा रही थी वो ज़ोर ज़ोर से आवाज़ें करने लगी ! भीगे बदन मे बाबूजी का लॅंड चुत के अंदर कोहराम मचा रहा था ? जब कामया चरम मे पहुँचने लगी तो आदत के अनुसार बड़बड़ाने लगी --
कामया :::: ओह यस बाबूजी फक मे लाइक मे बिच ! आइ अम युवर स्लट ! यू ऑल्वेज़ वांटेड तो फक मी इन डॉगी स्टाइल ! नाउ शो मी युवर पॉवर एंड स्टेमिना ! कामया की बातों ने मदनलाल को भी गरमा दिया वो भकाभक शॉट मारने लगा ! उसका लॅंड मिसाइल की भाँति अंदर बाहर हो रहा था ! दो मिनिट मे ही कामया काँपने लगी और अपने को रोक नही पाई ! एक ज़ोर की सिसकारी के साथ वो झदने लगी ! उसका ऑर्गॅज़म इतना जबरदस्त था क़ि उसकी टांगे उसका बोझ नही संभाल पा रही थी और वो नीचे गिरने को हुई उसी वक्त मदनलाल ने परिस्थिति को समझा और अपने फ़ौजी भाई ने बहू को अपनी बाहों के सहारे संभाल लिया ! वो थोड़ी देर तक स्थिर रहा और जब बहू सम्भल गई तो उसने अपनी बची खुचि ताक़त लगानी शुरू कर दी और तब तक बहू को दनादन पेलता रहा जब तक की उसकी कोख को अपने बीज से नही भर दिया !
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
बहकती बहू--20
अब आगे - - - --
दूसरे दिन सुबह सुबह सुनील अपने दोस्तों के साथ चला गया शाम की आने को कह कर ! ये उसकी हमेशा की आदत थी आने के दो दिन बाद से ही दोस्तो के साथ सारा दिन घूमता रहता ! कामया अभी उठी नही थी ! शांति और मदनलाल दोनो बैठ कर चाय पी रहे थे आज शांति के चेहरे मे कुछ अलग ही रौनक थी !जब कामया उठ कर आई तो देखा की बाबूजी और मांजी दोनो बैठ चाय पी रहे हैं ! कामया ने नोट किया क़ि आज मांजी ने भक्ति चेनल नही लगाया था बल्कि टीवी पर पुराने गाने देख रही थी ! कामया मन ही मन बोली "" एक ही दिन मे बुढ़िया को नशा चढ़ गया है देखो तो रंग ढंग ही बदल गये हैं आज फिल्मी गाने देख रही है लगता है दो चार दिन मे फेशन टीवी देखने लगेगी "" कामया ने जब करीब आकर दोनो को विश किया तो देखा क़ि मांजी ने अपना हाथ बाबूजी के जाँघ मे रखा हुआ है वो अंदर ही अंदर ही जल भुन गई ! कामया जब वहाँ से निकली तो मदनलाल एक टक उसकी मटकती गांद को देखने लगा ! कुछ देर बाद कामया नहाने के कपड़े लेकर बाथरूम मे घुस गई ! अचानक शांति ने मदनलाल से कहा
शांति ::: अरे मैं तो भूल ही गई मुझे मंदिर जाना है वहाँ आज कथा है ? आप तो सब भुला देते हो मैं जा रही हूँ दोपहर तक वापिस लौटूँगी और मदनलाल की तरफ कातिल नज़रों से देख कर बाहर चली गई ! शांति के जाने की बात सुनकर ही मदनलाल के मन मे लड्डू फूटने लगे !
शांति के जाते ही मदनलाल ने फ़ौरन घर को अंदर से लॉक किया और धीरे धीरे बाथरूम की ओर चल दिया ! बाथरूम पहुँचकर मदनलाल ने दरवाज़ा खटखटाया
बाथरूम मे कामया बिल्कुल नंगी शोवर ले रही थी ! उपर से रिमझिम -२ पानी बरस रहा था नीचे भीगा बदन जल रहा था !वो अपने मुम्मो को पकड़ कर मसल रही थी ! पहले कामया के मम्मे औसत आकर के थे केवल हिप्स ही औसत से बड़े थे लेकिन अब उसके मम्मे भी अबोव एवरेज हो गये थे सब मदनलाल की मेहनत का नतीजा था जो जैसे हो मौका मिलता बहू के मम्मो पर पिल पढ़ता था ! शांति के घर मे रहते भी अगर मदनलाल को ज़रा सा भी मौका मिलता चाहे किचन मे चाहे छत मे वो बहू के मम्मो से खेलने लगता ! ये ससुर की दिन रात की मेहनत के कारण ही आज बहूरानी का सीना गर्वे से ऊपर उठ गया था ! अब सामने से भी कामया बहुत ही कम्मोतेजक हो गयी थी या ये कहिए क़ि बहुत ही घातक और मारक हो गयी थी !कामया बड़ी तल्लीनता से अपनी जवानी से खेल रही थी की अचानक दरवाजे पर खट - २ की आवाज़ हुई ! आवाज़ सुनते ही कामया चौंक गई क़ि कहीं बाबूजी तो नही आ गये जैसे पहली बार आए थे ! पर उसके दिल ने कहा "" नही नही मम्मी बाबूजी के साथ थी वो ऐसी हिम्मत नही कर सकते "" तभी उसने देखा क़ि मम्मी के कपड़े टँगे हुए हैं तो उसने सोचा मम्मी लेने आई होगी ! वो टॉवेल लपेट कर दरवाजा खोलने ही वाली थी क़ि उसके दिमाग़ मे कल रात की घटना याद आ गई ! उस घटना के लिए तो वो मम्मी को कुछ कह नही सकती थी लेकिन उसके नारी मन की ईर्ष्या जाग गई !उसने सोचा कल बुढ़िया बहुत मज़े लूट रही थी जवानी के आज इसको बताती हूँ असली जवानी कहते किसे हैं ! बहुत बन रही थी कल ""बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम ""!
वैसे तो कामया ने ही शांति के हक़ मे डाका डाला था लेकिन अब उसकी सोच बिल्कुल ही बदल गई थी उसे ऐसा लग रहा था जैसे कल शांति ने उसका हक़ मार लिया हो ? वो बुदबुदाई "" उमर देखो हाफ़ सेंचुरी से कितना आगे चली गई है , बालों मे खिजाब लगती है ,पूरे बदन मे जहाँ तहाँ चर्बी जमने लगी है शरीर मे कोई ऐसा जोड़ नही है जो दुखता ना हो लेकिन कल कैसे उछल रही थी लॅंड मिल गया था तो ! चीखी तो ऐसे थी जैसे कल ही सील तुड़वा रही हो "" तुलसी दास ने पहले ही लिख दिया है "" नारी ना मोहे नारी के रूपा "" कामया की ईर्ष्या भी पुर उफान पर आ गई और उसने ऐसा निर्णय ले लिया जिसके बारे मे वो खुद कभी सोच भी नही सकती थी ! कामया ने मम्मी के सामने नंगी ही दरवाजा खोलने का फ़ैसला कर लिया ताकि सास अच्छी तरह उसके हुश्न को देख सके और जल भुन जाए !
कामया ने धीरे से चिटकनी हटाई और फ़ौरन शोवर के नीचे आकर आँख बंद कर लिया ! कामया की आँखे ज़रूर बंद थी लेकिन उसके कान शांति के कदमो की आहट पर ही लगे हुए थे ! धीरे धीरे दरवाजा खुलने की आवाज़ आई और फिर आने वाले के कदम उसकी ओर बढ़ने लगे ! जब कदम बिल्कुल उसके पीछे आ पहुँचे तो कदमों की आवाज़ आनी बंद हो गई !
जब कदम कामया के पीछे आकर रुक गये तो बहू सोचने लगी क़ि सास उसके जवान हसीन बदन , उसकी मांसलता ,उसके जिस्म की चिकनाई ,उसके नपे तुले आनुपातिक अंगों को देख कर जल जल के मरी जा रही होगी इसलिए वो और बेफिक्रि से गुनगुनाते हुए नहाने लगी ! इधर बाथरूम का दरवाजा खुलते ही मदनलाल ने जो देखा तो उसे तो मानो सन्निपात सा हो गया ! उसकी उपर की साँस उपर और नीचे की साँस नीचे ही रह गई ! अगर भगवान ने साँस लेना आदमी के हाथों मे दे रखा होता तो आज बाथरूम के दरवाजे पर मदनलाल की हिर्दय गति रुकने से मृत्यु तय थी ! अंदर शोवर के नीचे मालिका ए हुश्न कामया बिल्कुल निर्वस्त्र नहा रही थी ! बहू का एक एक अंग साँचे मे ढला था ! पिछली बार जब मदनलाल ने कामया को यहीं पर नंगी देखा था तब से अब तक मे उसके हुश्न मे और निखार आ गया था ! बाबूजी से मिलने वाली खुशी और संतुष्टि से कामया के अंग और खिल उठे थे ! बहूरानी के बूब्स अब बहुत उन्नत हो गये थे मानो श्वेत हिम पर्वत के दो शिखर हों ! कामया के दोनो हाथ उपर सिर मे थे जिससे दोनो उरोज और उपर की ओर होकर मदनलाल को खुला निमंत्रण दे रहे थे ! मदनलाल चित्र लिखित सा खड़ा कुदरत की उस नायाब कारिगिरी को देखे जा रहा था ! बहूरानी का सौंदर्य किसी अप्सरा के सामान था! पानी की बूँदें धीरे -२ उसके शरीर से नीचे गिर रही थी ऐसा लग रहा था मानों स्वर्ग की कोई अप्सरा जल विहार कर रही हो !
इधर कामया गुनगुनाती हुई नहा रही थी लेकिन उसका ध्यान इसी बात पर लगा था क़ि शांति की दशा इस वक्त कैसी हो रही होगी ? मदनलाल ने अंदर आने से पहले ही अपना कुर्ता उतार दिया था अब वो केवल लूँगी मे था ! वो सम्मोहित सा आगे बड़ा और कामया की पीठ के पास आकर खड़ा हो गया ! बहू को अब उसकी गर्म साँसे भी महसूस हो रही थी पर बेचारी अभी भी ये नही समझ पा रही थी की सांस हैं किसकी ? अचानक मदनलाल के अंदर का मर्द जागा और उसने पीछे से दोनो हाथ सामने ले जाते हुए बहू के दोनो संतरों को अपने मुट्ठी मे भींच लिया ! कामया आँखे बंद करे नहा रही थी जैसे ही उसकी चुचियाँ किसी के हाथों मे क़ैद हुई वो भोंचक रह गई ! उसे शांति से ये उमीद बिल्कुल नही थी ! वो सपने मे भी नही सोच सकती थी की उसकी सास लेस्बियान भी हो सकती है ! उसने फ़ौरन शोवर बंद किया और हड़बड़ाते हुए बोली --
कामया ::: मम्मी ये आप क्या कर रही है ? आपको क्या हो गया है ?
लेकिन वहाँ मम्मी होती तो कुछ बोलती मदनलाल चुपचाप रहा और ज़ोर ज़ोर से कामया की चुचियों को मसलने लगा ! इधर इस जद्दोजहद मे ससुर साहब की लूँगी खुलकर नीचे गिर गई , कामया को अचानक अपने गांद मे कुछ चुभता सा महसूस हुआ तो उसने ताक़त लगा कर अपने को थोड़ा सा घुमाया और जैसे ही पीछे देखा तो उसको साँप सूंघ गया ! पीछे बाबूजी भी उसी की तरह नंग धड़ंग खड़े थे और उसे पकड़े हुए थे ! भयक्रांत कामया के मुख से निकला
कामया ::: बाबूजी ये आप क्या कर रहे हैं ? मम्मी आ गई तो गजब हो जाएगा ! प्लीज़ आप जाइए यहाँ से ! मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ !
लेकिन मदनलाल को बहू के बात से कोई फ़र्क नही पड़ा उसने स्तन मर्दन जारी रखते हुए अब बहू के नाज़ुक लज़ीज़ कंधों को चूमना भी चालू कर दिया ! साथ साथ उसने अपनी कमर को थोड़ा अड्जस्ट करके अपने छोटू को बहू की गांद की दरार मे फिट कर दिया ! अपनी गांद मे बाबूजी के लंबे मोटे मूसल की रगड़ कामया को बेचैन कर रही थी दो दिन से उसे सुनील के चुन्नु मुन्नु से काम चलाना पड़ रहा था जो उसे बिल्कुल भी सॅटिस्फाइ नही कर पा रहा था ! बाबूजी की हरकतों और खुद उसके जवान जिस्म की माँग के कारण उसका बदन काबू से बाहर होने लगा ! उसकी साँसे तेज़ होने लगी और कामया की आँखों मे सरूर उतर आया ! लेकिन वक्त ऐसा नही था क़ि वो भावनाओ मे बह जाए सास घर मे थी वो भी फ्री बैठी हुई थी ऐसे मे ससुर के साथ नहाते हुए रंग रेलियाँ मनाना बहुत बड़ी रिस्क थी ! कामया ने एक बार फिर अपने को छुड़ाते हुए कहा
कामया ::: बाबूजी छोड़िए हमे !!! ये क्या पागलपन है मम्मी घर पर है और आपको दिन दहाड़े मस्ती सूझ रही है
लेकिन मदनलाल अपनी ही मस्ती मे लगा रहा ! एक तो वैसे ही कामया का बदन मख्खन सा चिकना था उपर से गीली होने के कारण वो मछली जैसे फिसल जा रही थी ! मदनलाल ने उसे अच्छी तरह कस कर पकड़ा फिर अपना एक हाथ चुचे से हटाकर नीचे चुत मे रख दिया !क्लिट पर बाबूजी का हाथ लगते ही कामया काँप गई उसके पूरे बदन मे चीटियाँ रेंगने लगी ! बाबूजी भी मज़ा लेते हुए उसकी मुनिया को सहलाने लगे !
कामया का शरीर अब उसके कंट्रोल से बाहर जाता जा रहा था किंतु दिमाग़ अभी भी थोड़ा कंट्रोल मे था एक बार फिर उसने कातर स्वर मे कहा
कामया ::: बाबूजी प्लीज़ मैं आपके पैर पड़ती हूँ मुझे छोड़ दीजिए ? मम्मी घर पर हैं आप समझते क्यों नही ? अगर वो अभी यहाँ आ गई तो अनर्थ हो जाएगा ! कामया के स्वर मे कंपन था और वो रुआंसी हो गई थी जिससे मदनलाल को उस पर दया आ गई उसने धीरे से उसके कान मे कहा
मदनलाल :: जान चिंता मत करो ! शांति घर पर नही है
कामया :: क्या मम्मी घर पर नही है ? लेकिन अभी -२ तो वो आपके साथ बैठी थी
मदनलाल ::: वो मंदिर मे कथा चल रही है इसलिए वहीं चली गई है कह के गई है क़ि दोपहर तक आ पाएगी ! बाबूजी के मुख से ये सुनते ही कामया की जान मे जान आई ! उसका टेंसन दूर हो गया और शरीर बिल्कुल हल्का हो गया उसने मदनलाल से कहा
कामया ::: तभी आप इतनी दिलेरी दिखा रहे है वही मैं समझू क़ि आपको आज हो क्या गया है ? मदनलाल ने अब कामया को घुमा के आमने सामने कर दिया ! सामने से उसके दोनो संतरे कहर ढा रहे थे मदनलाल ने अपने को घुटनो पर कर लिया और बहू के प्यारे फल को अपने मुँह मे भर लिया ! वो ज़ोर -२ से दोनो चुचों को बारी बारी से चूस रहा था साथ ही साथ एक हाथ उसने बहू की जांघों के बीच डाल कर चुत पर भी अटेक कर दिया ! उसकी लंबी उंगली जैसे ही बहू की सुरंग के अंदर घुसी कामया सिसकारी मारने लगी
कामया :::: आह शी शी शी ! उई माँ ! जानू प्लीज़ मत तड़पाओ !
मदनलाल ने अब अपनी दो उंगली बहू के लव टनल मे डाल दी ! उसने जी की गठान पर दोनो उंगली सर्क्युलर मोसन मे घुमणि चालू कर दी ! कामया के पूरे बदन मे इस हरकत से आग लग गई ! उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसकी चुत मे अनारदाना जला दिया हो वो बेसबर होकर बोली --
कामया ::: बाबूजी उंगली से नही उससे करिए
मदनलाल :: किससे ?
कामया ::: धत आप बहुत गंदे हैं ! अपने उससे करिए ना !
मदनलाल ::: हम ही सबकुछ करेंगे आप कुछ नही करेंगी ?
कामया :: ये काम तो मर्दों का ही है हम क्या कर सकते हैं !
मदनलाल :: चाहो तो तुम भी बहुत कुछ कर सकती हो ?
कामया ::: बोलिए हम क्या कर सकते हैं ?
कामया की बात सुनकर मदनलाल खड़ा हो गया और कामया के कंधे पकड़कर दबाने लगा ! बहूरानी समझ गई की बाबूजी उससे क्या चाह रहे हैं ! लेकिन उसने इठलाते हुए कहा --
कामया ::: जानू हमारे बीच समझौता हुआ था क़ि कुछ दिन हम नही पिएँगे !
मदनलाल ::: हमे मालूम है समझौता नही पीने का हुआ था नही चूसने का नही ! चलो थोड़ा मेहनत तुम भी करो ! बस मज़ा लेना बस जानती हो क्या ?
कामया ने बहुत ही कामुक और कातिल नज़रों से मदनलाल की आँखों मे देखा और कहा --
कामया ::: मज़ा लेना भी जानती हूँ और मज़ा देना भी जानती हूँ पर हां ये दोनो हमे आप ही ने सिखाया है !
फिर कामया धीरे से घुटनो के बल बैठ गई ! बाबूजी का कोबरा फन फैलाए उसके सामने डोल रहा था ! उत्तेजना के कारण सुपाड़ा लाल हो गया था मानो बहुत गुस्से मे हो ! कामया ने देर ना करते हुए गप्प से उसे मुँह मे ले लिया और लगी चपर चपर चूसने ! अब सिसकारी लेने की बारी मदनलाल की थी उसने ज़ोर से कामया का सिर पकड़ लिया और अपने को कंट्रोल करने लगा ! बहू ने ब्लो जॉब देना बहुत देर से सीखा था लेकिन बहुत जल्दी ही उसने इस मे महारत हासिल कर ली थी आख़िर ट्रैनिंग देने वाला भी तो एक नंबर का कोच था ! कामया जितना हो सके लॅंड को अंदर तक भर लेती फिर अपने होंठों को कस कर वापिस आती जिससे पेनिस पंप जैसा वक्युम बन जाता और मदनलाल के लॅंड मे उबाल आने लगता ! अभी उसने दो मिनिट ही सकिंग की थी क़ि ससुर ने उसे खड़ा कर दिया और पीछे को घुमा दिया !अब कामया की सुंदर सलोनी गांद मदनलाल के सामने थी ! मदनलाल ने बहू को दीवार की तरफ झुका कर खड़ा कर दिया ! फिर बाबूजी के कहने पर कमर को कर्व देकर नितंबों को बाहर की ओर उछाल दिया ! कामया की दुकान अब मदनलाल के प्रवेश के लिए तत्पर थी ! फिसलने से बचने के लिए कामया ने नाल की टोंटी पकड़ ली ! मदनलाल अब और सबर नही कर सकता था उसने अपने सुपादे को बहू की चुत के मुहाने मे लगाया और एक करारा शॉट मार दिया ! दोनो के बदन पानी के कारण लूब्रिकेटेड थे पहले धक्के मे ही लॅंड तीन चौथाई अंदर समा गया ! बहू के मुख से एक दर्द भरी चीख निकल गई !--
कामया ::::: उई मम्मी मर गई ! आह ससस्स ससस्स शीशीशी
मदनलाल ::: क्या हो गया जान
कामया ::: बहुत दर्द दे रहा है एक झटके मे क्यों डाल देते हो ? आराम -२ से नही कर सकते !
मदनलाल ::: जानेमन तुमको देखने के बाद तो आराम हराम हो जाता है ! बोलो तो निकाल लें !!!
कामया ::: जी नही अब ज़्यादा मत बनिये ! निकालने के लिए डाला था क्या ? बस धीरे धीरे करते रहिए ! धीरे -२ लंबे लंबे शॉट अच्छे लगते हैं !
मदनलाल ::: लंबे लंबे शॉट बस अच्छे लगते हैं या लंबा वाला भी अच्छा लगता है ?
कामया ::: धत बेशरम कही के ? बहू से ऐसी बात करते शरम नही आती आपको ? सचमुच आप बहुत गंदे हो !
मदनलाल ने बहू की नाज़ुक पतली कमर को पकड़ा और एस पर हर डिमांड लंबे और गहरे स्ट्रोक मारने लगा ! हर धक्के के साथ ही कामया की सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी ! हर पल बहू की कामुकता बढ़ती ही जा रही थी वो ज़ोर ज़ोर से आवाज़ें करने लगी ! भीगे बदन मे बाबूजी का लॅंड चुत के अंदर कोहराम मचा रहा था ? जब कामया चरम मे पहुँचने लगी तो आदत के अनुसार बड़बड़ाने लगी --
कामया :::: ओह यस बाबूजी फक मे लाइक मे बिच ! आइ अम युवर स्लट ! यू ऑल्वेज़ वांटेड तो फक मी इन डॉगी स्टाइल ! नाउ शो मी युवर पॉवर एंड स्टेमिना ! कामया की बातों ने मदनलाल को भी गरमा दिया वो भकाभक शॉट मारने लगा ! उसका लॅंड मिसाइल की भाँति अंदर बाहर हो रहा था ! दो मिनिट मे ही कामया काँपने लगी और अपने को रोक नही पाई ! एक ज़ोर की सिसकारी के साथ वो झदने लगी ! उसका ऑर्गॅज़म इतना जबरदस्त था क़ि उसकी टांगे उसका बोझ नही संभाल पा रही थी और वो नीचे गिरने को हुई उसी वक्त मदनलाल ने परिस्थिति को समझा और अपने फ़ौजी भाई ने बहू को अपनी बाहों के सहारे संभाल लिया ! वो थोड़ी देर तक स्थिर रहा और जब बहू सम्भल गई तो उसने अपनी बची खुचि ताक़त लगानी शुरू कर दी और तब तक बहू को दनादन पेलता रहा जब तक की उसकी कोख को अपने बीज से नही भर दिया !
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
2 comments:
FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--20
कहानी का आगे का भाग जल्द ही कहानी लिखिए PLZ............
Plz New story बहकती बहू--21 लिखें
FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--20
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