चुदाई का दर्द--2
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मेम साहब की बड़ी लड़की का नाम माधवी था और उसकी उमर लगभग 18 साल की थी।
अब मेरी निगाहें उस पर थी। वो अपनी माँ से भी ज़्यादा सेक्सी थी। उसकी कमर इतनी पतली थी कि मुझे लगता था अगर पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया जाए तो वो उसकी गाँड के रास्ते बाहर निकल आएगा। मैं उसे भी चोदने का कोई मौका खोज रहा था।
एक दिन मेम साहब को साहब के पास जाना था। वो माधवी की छोटी बहन पल्लवी को साथ लेकर साहब के पास चली गयी। जाते समय वो मुझसे बोली-
"बहादुर, घर का ख़याल रखना और मेरे वापस आने तक रात को यहीं सोना।"
मैने कहा- "ठीक है, मेम साहब."
रात को खाने के बाद मैं बाहर सोने जाने लगा तो,
माधवी ने कहा- "बहादुर, तुम यहीं सो जाओ. मुझे अकेले में डर लगता है।"
मुझे तो मन माँगी मुराद मिल रही थी भला मैं क्यों इनकार करने लगा।
मैने कहा- "ठीक है, बेबी जी"
रात के 12 बजे माधवी ने आकर मुझे जगाया। मैं उठा तो,
वो बोली- "बहादुर, उस दिन तुम तो मेरी मम्मी के साथ गये थे और होटल में रुके थे। उस दिन आँधी भी आई थी और बिजली भी ज़ोर ज़ोर से कड़क रही थी। मम्मी को आँधी और बिजली कडकने की आवाज़ से बहुत डर लगता है और वो अकेले नहीं सो सकती। मुझे एक दम सच सच बताना कि उस दिन तुम मम्मी के साथ उनके बेड पर सोए थे या नहीं।"
मैं चौंक गया और बोला- "तुम्हारी मम्मी बहुत ज़िद करने लगी तो मैं उनके रूम में सोफे पर सो गया था।"
माधवी बोली- "तुम अभी भी झूठ बोल रहे हो। मम्मी बिजली कडकने पर बिना किसी से चिपके नहीं सो सकती। मम्मी ज़रूर तुम्हारे साथ चिपक कर सोई होगी। तुम सच सच बताओ"
मैने कहा- "हां, सोया था"
"उस रात और क्या हुआ था।"
"कुछ भी तो नहीं।"
"उस रात मेरी मम्मी ने ज़रूर तुमसे चुदवाया होगा।
"तुमसे पहले जितने भी नौकर यहाँ काम कर चुके हैं सब के साथ मम्मी ने किसी न किसी बहने से चुदवाया है। यहाँ तक कि दो के साथ तो उन्होंने चुदवाने के लिए कमरे में अपने मांग में सिन्दूर डलवाकर शादी का नाटक भी किया था। ये बात बाद में मुझे उन लोगों से पता चली जब मैंने उनको तुम्हारी तरह डराकर पूछा। अब सच-सच बताओ तुमने मम्मी को चोदा था या नहीं। और अगर चोदा था तो क्या मम्मी ने तुमसे भी अपनी मांग में सिन्दूर डलवाया था...बताओ मुझे वरना मैं पापा को बता दूंगी।"
ये सुनते ही मेरे पैरों के नीचे से जमीन सरकते सरकते बची।
मैं तो पाने आप को तोप समझ रहा था लेकिन यहाँ तो पूरी नौटंकी चालू थी।
खैर मुझे क्या फर्क पड़ता था। मैं ही कौन सा दूध का धुला था।
अगर ये बात अभी खुल जाती कि मैं अपने गाँव में लड़कों की गाँड़ मारकर काम चलाता था और ऊपर से एक ठाकुर की नाबालिक लड़की का बलात्कार करके भागा हूँ तो क्या ये लोग मुझे अपने घर में घुसने देते।
लेकिन आज के बाद ये बात मेरे पल्ले अच्छे से पड़ चुकी थी कि औरत मादरचोद जन्मजात रंडी होती है।
तभी एक और बम फूटा-
"तुमको आज मुझे भी चोदना पड़ेगा। नहीं तो मैं पापा से बोल दूँगी की तुम मुझसे रात में गंदी गंदी बातें कर रहे थे और मुझे छेड़ रहे थे।"
मैं सकपका गया और चुप हो गया।
"तुमने सुना नहीं, आज तुमको मुझे चोदना पड़ेगा।"
मैने कहा- "तुम्हारी मम्मी शादी शुदा है और वो चुदवाने की आदी है। मेरा लंड बहुत लंबा और मोटा है। तुम अभी बच्ची हो और कुँवारी हो। तुम्हारी चूत एक दम छोटी है। तुम मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर नहीं ले पाओगी। तुम्हारी चूत फट जाएगी।"
माधवी बोली- "तुम अभी मुझे बच्ची समझ रहे हो। मैने तुमसे ऐसे ही थोड़े ना चुदवाने के लिए कहा है। मैंने अपने कई ब्वॉयफ़्रेंड से चुदवाया है। मैं 7" लंबा लंड भी अपने चूत के अंदर ले चुकी हूँ।"
मैने कहा- "ठीक है, तुमने अपने कई ब्वॉयफ़्रेंड से चुदवाया होगा और 7 इंच लंबा लंड भी अंदर ले चुकी हो लेकिन तुमने मेरे लंड को देखा नहीं है। अगर देख लोगी तो अपना इरादा बदल दोगी।"
माधवी और ज़्यादा जोश में आ गयी और बोली-
"तुम अपना पैन्ट खोलो, मैं अभी तुम्हारा लंड देखना चाहती हूँ जिस पर तुमको इतना नाज़ है।"
मैं तो माधवी को चोदना चाहता ही था इसलिए मैने तुरंत अपना पैन्ट और नेकर दोनो उतार दिया।
माधवी मेरे लंड को देख कर बोली- "वाह क्या तगड़ा लंड पाया है तुमने, मैं तो इसको ज़रूर अपनी चूत के अंदर लूँगी। मुझे तुम्हारे लंड से चुदवाने में बहुत मज़ा आएगा। तुम अब मेरे भी कपड़े उतार दो।" मैने माधवी के कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैने पहले उसका ब्लाऊज उतारा और फिर ब्रा को खोल दिया। ब्रा के खुलते ही उसकी चूचियाँ बाहर आई तो मैं देखता ही रह गया।
उसकी चूचियाँ एक दम गोरी और छोटी-छोटी थी। उसके निप्पल भूरे थे और बहुत छोटे थे। मैने उसके निप्पल को अपनी उंगलियों से मसलना शुरू कर दिया तो वो सिसकारियाँ भरने लगी।
माधवी ने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया। मैने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए।
थोड़ी देर बाद मैने माधवी की स्कर्ट भी उतार दी। उसकी चिकनी जांघे देख कर मुझे और जोश आ गया। मैं उसकी जांघों को सहलाने लगा।
कुछ देर बाद मैने उसकी कक्षी भी उतार दी।
जैसे ही मैने उसकी पैंटी उतारी तो मैं आँखें फाड़े हुए उसकी चूत को देखता रह गया। उसकी चिकनी और गोरी चूत देखकर मेरा लंड और तन गया। उसकी चूत को देख कर नहीं लग रहा था कि वो चुदवा चुकी है। उसकी चूत पर अभी ठीक से बाल भी नहीं उगे थे। मैने उसकी चूत को सहलाना शुरू किया तो वो और जोश में आने लगी और कुछ देर बाद बोली-
"ओह बहादुर, तुम कितने अच्छे हो। मुझे अब बरदास्त नहीं होता। जल्दी चोदो मुझे। मैं तुम्हारा पूरा लंड अपनी चूत की गहराई तक लेना चाहती हूँ। डालो इसे मेरी चूत में और फाड़ दो मेरी चूत को।"
वो इतनी जोश में आ गयी थी कि तुरंत ही ज़मीन पर कुतिया वाली स्टाइल में हो गयी और बोली-
"बहादुर, अब जल्दी से मेरी चुदाई करो। एक झटके से ही डाल दो अपना पूरा लंड मेरी चूत में। मेरे चिल्लाने की तुम कोई परवाह मत करना। मुझे तकलीफ़ देने वाली चुदाई बहुत पसंद है। यहाँ मेरे और तुम्हारे अलावा कोई नहीं है।"
मैं उसके पीछे आ गया और बिना देर किए अपने लंड का सूपाड़ा उसकी चूत के बीच फंसा दिया।
"देखते क्या हो, एक ही धक्के में घुसा दो अपना पूरा लंड मेरी चूत के अंदर."
मैने अपने लंड को उसकी चूत में घुसाना शुरू किया। मेरा लंड अभी तक उसकी चूत में केवल 2 इंच ही घुसा था कि वो चिल्लाने लगी। मैने कहा-
"तुमने तो 7 इंच लंबा लंड अंदर दिया है। तुमने कई लड़कों से चुदवाया भी है तो फिर इतना चिल्ला क्यों रही हो। मेरा लंड तो अभी तुम्हारी चूत में केवल 2 इंच ही घुसा है।"
वो बोली- "तुम्हारा लंड मोटा बहुत है इसलिए दर्द हो रहा है। उन सब का लंड इतना मोटा नहीं था।"
मैने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया तो वो बोली-
"मैने तुमसे कहा था ना रुकना मत, तुम रुक क्यों गये, डालो अपना पूरा लंड मेरी चूत में। चोदो तेज़ी के साथ मुझको।"
मैं और जोश में आ गया और अपने लंड को उसकी चूत में घुसाने लगा।
वो चिल्ला रही थी और मैने उसकी कोई परवाह ना करते हुए बड़ी बेरहमी के साथ एक जोरदार धक्का मारा।
वो और ज़ोर से चिल्लाई। अभी तक मेरा लंड उसकी चूत में केवल 5 इंच तक ही घुस पाया था।
मैने उसके चिल्लाने की कोई परवाह नहीं की और बेदर्दी के साथ उसकी चूत मैं अपने लंड को घुसाने की कोशिश करता रहा।
वो और तेज़ चिल्लाने लगी और अपना सिर इधर उधर मारने लगी।
मैने उसकी कोई परवाह नहीं की और उसकी चूत में लंड को घुसाना जारी रखा।
कुछ ही देर में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया और उसकी चूत से थोड़ा खून भी निकल आया।
पूरा लंड उसकी चूत में घुसाने के बाद भी मैं रुका नहीं और तेज़ी से उसकी चुदाई शुरू कर दी।
वो और तेज़ चिल्लाने लगी लेकिन मैने उसकी कोई परवाह नहीं की। थोड़ी देर बाद जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो वो शांत हो गयी। अब उसको भी मज़ा आने लगा था।
वो और तेज़ और तेज़ चिल्लाने लगी तो मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
लगभग 20 मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड ने पानी उगला और उसकी चूत एक दम भर गयी।
इस बीच वो भी 2 बार झाड़ चुकी थी।
मैने अपना लंड बाहर निकाला तो वो उसे चाट चाट कर साफ करने लगी।
उसके बाद हम दोनो लेट कर आराम करने लगे। इस बीच वो मेरे होंठ चूमती रही। थोड़ी देर बाद वो बोली-
"बहादुर, आज मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि मुझे एक अच्छे लंड से चुदवाने का मौका मिला। तुमने भी मेरी चुदाई अच्छी तरह से की है। मैं इसे ज़िंदगी भर नहीं भूलूंगी।"
"मैने जब तुम्हारी मम्मी को पहली बार चोदा था तो उनकी चूत 35 साल की उमर में भी गोरी और चिकनी थी। तब मैं यही सोच रहा था कि जब उनकी चूत ऐसी है तो तुम्हारी और पल्लवी की तो और ही अच्छी होगी। मैं तब से ही तुम दोनो को चोदने की सोच रहा था। तुमको चोदने की तमन्ना तो अब पूरी हो गयी। अब पल्लवी को भी चोदना है। वो तो तुम्हारी बहन है। उसे चोदने में तुमको मेरी मदद करनी पड़ेगी।"
वो नाराज़ हो गयी और बोली-
"क्यों तुम्हारा मन मुझे और मम्मी को चोद कर नहीं भरा जो तुम पल्लवी को चोदना चाहते हो।"
"क्यों पल्लवी को मोटे और लंबे लंड से चुदवाने का हक़ नहीं है।"
"ठीक है, इस पर बाद में सोचूँगी।"
10 मिनट तक आराम करने के बाद वो अपने कपड़े पहनने लगी तो मैने कहा-
"माधवी एक बार और....."
"अच्छा ठीक है। लेकिन जल्दी करना। बहुत दर्द होता है।"
मैं तो अब उसकी गाँड़ मारना चाहता था। उसे अभी पता नहीं था कि मैं गाँड़ का कितना बड़ा रसिया हूँ।
मैने उससे कहा- "माधवी, मुझे हाथ पैर बाँध कर चोदने में बहुत मज़ा आता है। अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारे हाथ पैर बाँध कर एक बार चोद लूँ।" वो बोली,
"बहादुर, तुम्हारे लंड से चुदवाने में मुझे बहुत मज़ा आया है इसलिए मैं इनकार नहीं कर सकती। तुम जैसे चाहो अपनी इच्छा पूरी कर लो।"
मैने उसे ज़मीन पर पीठ के बल लिटा दिया और उसके हाथ पैर बाँध दिए। वो जोश में आने लगी और बोली-
"अब देर मत करो। जल्दी चोदो मुझे।"
मैने अपने लंड का सूपाड़ा जैसे ही उसकी गाँड़ के छेद पर रखा तो वो बोली-
"बहादुर, तुम ये क्या कर रहे हो। मत मारो मेरी गाँड़ बहुत दर्द होगा। छोड़ दो मुझको। मेरी गाँड़ फट जाएगी। मैं 1-2 दिन तक ठीक से चलने के काबिल नहीं रहूंगी। मर जाऊंगी मैं।"
"जब तुम मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले सकती हो तो गाँड़ में क्यों नहीं। तुमको तो तकलीफ़ वाली चुदाई ही पसंद है ना।"
"ऐसा मैने अपनी चूत के बारे में कहा था। तुम मम्मी के आने तक जितनी बार चाहो मेरी चूत की चुदाई कर लो पर मेरी गाँड़ मत मारो।"
"एक बार तुम्हारी गाँड़ मार लूँ उसके बाद तुम्हारी मम्मी के आने तक तुम्हारे चूत की चुदाई तो करनी ही है। मैं तुम्हारी चूत को एक ही बार चोद कर नहीं छोड़ूगा। इसे मैं कम से कम 10 बार और चोदूंगा और चोद-चोद कर एक दम चौड़ा कर दूँगा। फिर तुम चाहे कितने भी लड़कों से चुदवा लो तुम्हें कोई तकलीफ़ नहीं होगी।"
मैने उसकी गाँड़ में अपने लंड को घुसाना शुरू कर दिया। अभी तक केवल मेरे लंड का टोपा ही घुसा था कि वो चिल्लाने लगी। मैने उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया तो वो थोड़ा शांत हो गयी। मैने फिर एक धक्का लगा दिया और मेरा लंड उसकी गाँड़ में 2 इंच तक घुस गया। उसकी गाँड़ से थोड़ा खून निकल आया लेकिन मैने कोई परवाह नहीं की। उसकी गाँड़ बहुत ही टाइट थी। कई बार की कोशिश के बाद मैने आख़िर उसकी गाँड़ में अपना पूरा लंड घुसा ही दिया। इस दौरान बहुत चिल्लाई और अपना सर इधर उधर मार रही थी। पूरा लंड उसकी गाँड़ में डाले हुए मैं रुक गया और उसकी चूचियों को मसलने लगा। कुछ देर बाद जैसे ही वो शांत हुई तो मैने धीरे धीरे धक्का लगाना शुरू कर दिया।
वो फिर चिल्लाने लगी लेकिन मैने धक्का लगाना बंद नहीं किया।
लगभग 5 मिनट तक गाँड़ मराने के बाद उसका दर्द कम हो गया और वो शांत हो गयी। उसे अब मज़ा आने लगा था। मैने लगभग 20 मिनट तक उसकी गाँड़ मारी और उसकी गाँड़ में ही झड़ गया। पूरा पानी उसकी गाँड़ में निकालने के बाद मैने अपना लंड उसकी गाँड़ से बाहर निकाला और हट गया। उसकी गाँड़ किसी चूहे के बिल की तरह हो गयी थी। मैने उसके हाथ पैर खोल दिए. वो दर्द की वजह से उठ नहीं पा रही थी। मैने उसे उठा कर बिठा दिया और कहा-
"मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसो। अभी मैं तुम्हारा दर्द ख़तम कर देता हूँ।"
वो समझ गयी कि मैं उसे फिर से चोदना चाहता हूँ इसलिए उसने इनकार कर दिया। मैने कहा-
"अभी जब तुम्हारी चूत की चुदाई एक बार और कर दूँगा तो तुम्हारा सारा दर्द एक दम ख़तम हो जाएगा।"
उसने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद जब मेरा लंड फिर से तन गया तो मैने उसे लिटा दिया और उसे चोदने लगा।
इस बार उसे बहुत मज़ा आया। वो अपने गाँड़ के दर्द को भूल गयी। इस बार मैने उसे लगभग ३० मिनिट तक चोदा और उसके बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। इस दौरान वो भी 2 बार झाड़ चुकी थी। मेम साहब 3 दिन बाद वापस आई। मेम साहब के आने तक मैने उसे 10 बार चोदा और 2 बार उसकी गाँड़ भी मारी।
अब वो मेरा लंड अपनी चूत में आराम से लेने लगी थी लेकिन गाँड़ के अंदर लेने में उसे अभी भी कुछ तकलीफ़ होती थी। मैने उससे कहा-
"पल्लवी को चोदने वाली बात भूलना मत. मैं उसको भी चोदना चाहता हूँ। इसमें तुमको मेरी मदद करनी पड़ेगी।"
उसने इनकार कर दिया। मैने कहा-
"मैं मेम साहब को तुम्हारी चुदाई के बारे में बता दूँगा।"
"नहीं प्लीज ऐसा मत करना। मैं कोशिश करूँगी।"
कुछ दिन बाद मेम साहब, साहब के साथ 4 दिनो के लिए टूर पर चली गयी। घर पर मैं, माधवी और पल्लवी ही रह गये। मैने माधवी से कहा,
"पल्लवी को कब तैयार करोगी।"
माधवी ने कुछ सोचने के बाद कहा-
"तुम रात को मेरी चुदाई करना और मैं ज़ोर से चिल्ला दूँगी। तब पल्लवी भाग कर मेरे पास आ जाएगी और सब कुछ देख लेगी। बाकी सब मैं संभाल लूँगी।"
रात को मैने जब माधवी को चोदना शुरू किया तो उसने चिल्लाना शुरू कर दिया। पल्लवी दौड़ कर वहाँ आ गयी और बोली-
"क्या बात है दीदी।"
लेकिन उसने जब वो सब नज़ारा देखा तो मुझे धकेल कर हटाने की कोशिश करने लगी और बोली-
"बहादुर तुम यह क्या कर रहे हो। छोड़ दो मेरी दीदी को।"
मैने कहा- "तुम्हारी दीदी ने ही चोदने को कहा है। तुम उस से पूछ लो। अगर वो कहे तो मैं हट जाता हूँ।"
वो माधवी से बोली- "दीदी तुम ये क्या कर रही हो। क्या तुमने ही बहादुर से कहा है।"
माधवी बोली- "हां, मैने ही बहादुर से चोदने को कहा है। जब तुम और मम्मी पापा के पास गयी थी उस समय से ही मैने यह मज़ा बहादुर से लेना शुरू किया है। उसके पहले मैं अपने कई ब्वॉयफ़्रेंड से भी चुदवा चुकी हूँ। मैने बहादुर से उन 3 दिनो में कई बार चुदवाया था। चुदवाने में जो मज़ा आता है वो मैं बयान नहीं कर सकती। बहादुर का लंड भी बहुत बड़ा है और चुदवाने में मोटे और लंबे लंड से ही मज़ा आता है। मम्मी ने भी तो बहादुर से चुदवाया है जब वो बहादुर के साथ बाहर गयी थी। तू भी एक बार चुदवा ले और चुदाई का मज़ा ले कर देख। जब तू भी एक बार चुदवा लेगी तो बार बार चुदवाना चाहेगी।"
पल्लवी बोली- "लेकिन तुम तो चिल्ला रही थी और कहती हो कि इस में मज़ा आता है।"
माधवी ने कहा, "मैं दर्द से थोड़े ही चिल्ला रही हूँ, यह तो जो मज़ा आ रहा है उसके कारण है।"
वो चुप हो गयी और बोली- "दीदी, अगर तुम्हें कोई एतराज़ ना हो तो मैं यहीं बैठ जाऊं। मैं तुम्हारी चुदाई देखना चाहती हूँ।"
माधवी बोली- "तू यहीं बैठ जा और देख मेरी चुदाई. अभी थोड़ी ही देर में तू भी यह मज़ा लेना चाहेगी। पल्लवी बैठ गयी और माधवी की चुदाई देखने लगी। मेरा लंड जब माधवी की चूत से बाहर निकालता था तो पल्लवी उसे बड़े ध्यान से देख रही थी। उसे भी धीरे धीरे जोश आने लगा। थोड़ी देर बाद पल्लवी ने भी एक हाथ से अपनी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से अपनी चूत को सहलाने लगी। मैने लगभग 20 मिनिट तक माधवी को चोदा और झड़ गया। पल्लवी माधवी की चुदाई देखती रही। माधवी को चोदने के बाद जब मैं हटा तो पल्लवी की आँखें भी जोश से एक दम गुलाबी हो गयी थी। वो अभी तक अपना चूत सहला रही थी। वो माधवी से बोली-
"दीदी, मुझे भी कुछ-कुछ होने लगा है। मेरी चूत में भी सुरसुरी सी हो रही है। मैं भी चुदवाने का मज़ा लेना चाहती हूँ।"
माधवी ने कहा- "तो इधर आ और बहादुर का लंड मुँह में ले कर चूस. जब बहादुर का लंड खड़ा हो जाएगा तो यह तुझे भी चोद देगा और तुझे जन्नत का मज़ा मिल जाएगा।"
पल्लवी मेरे पास आ गयी और मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी और मुझसे बोली-
"बहादुर, इतना बड़ा लंड मेरी छोटी सी चूत में कैसे घुसेगा।" मैने कहा,
"माधवी की चूत भी तो बहुत छोटी थी। तुम देख ही चुकी हो मैं इसे उसकी चूत में पूरा घुसा कर कैसे चोद रहा था। इसे पूरा अंदर घुसाना मेरा काम है। तुम केवल इसे चूस कर तैयार करो।" पल्लवी ने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। कुछ ही देर में मेरा लंड एक दम लोहे की तरह हो गया।
मैने पल्लवी के सारे कपड़े उतार दिए। वो माधवी से भी ज़्यादा खूबसूरत थी। उसकी उमर अभी लगभग 16 साल ही थी। उसकी चूत पर केवल कुछ रोयें ही उगे थे।
माधवी ने पल्लवी से लेट जाने को कहा और वो लेट गयी। वो मेरा लंड चूस रही थी।
वो बोली- "दीदी, तुम कितनी प्यारी हो। लंड को चूसने में ही जब इतना मज़ा आ रहा है तो चुदवाने में कितना आएगा। तुमने अकेले-अकेले ही खूब मज़ा लिया। तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया था कि इसमें इतना मज़ा है। मुझे अब बरदास्त नहीं हो रहा है। बहादुर से कहो जल्दी से डाल दे अपने लंड को मेरी चूत में भले ही फट जाए मेरी चूत."
मैं उसकी चूत को थोड़ी देर और चूसता रहा। इस बीच पल्लवी की चूत से एक बार पानी भी आ चुका था और वो एक दम बेकाबू हो रही थी। उसकी चूत अब बिल्कुल गीली हो चुकी थी। माधवी ने पल्लवी से कहा-
"तेरी चूत अभी बहुत छोटी है। जब बहादुर अपना लंड तेरी चूत में डालेगा तो तुझे बहुत दर्द होगा और तू बहुत चिल्लाएगी। मैं तुम्हारे मुँह में एक कपड़ा ठूंस देती हूँ।"
पल्लवी बोली- "नहीं दीदी, मैं ऐसे ही मज़ा लेना चाहती हूँ।"
माधवी पल्लवी के पास आ कर बैठ गयी और मुझसे बोली-
"बहादुर अब तुम अपना काम शुरू करो।"
मैने उसकी टाँगों के बीच आ कर उसकी टाँगों को फैला दिया और अपने हाथ से उसकी टाँगों को पकड़े रहा। अब मैने उसकी चूत के बीच अपने सुपाड़े को रखा और अंदर दबाने लगा। उसकी चूत बहुत ही टाइट थी। मेरा केवल सुपाड़े ही घुस पाया था कि वो चिल्लाने लगी और अपना सर इधर उधर पटकने लगी। माधवी ने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए। अब उसके मुँह से केवल गू-गू की आवाज़ें निकल रही थी। मैने एक झटका और दिया तो पल्लवी अपने सर के बाल नोचने लगी। मेरा लंड अब उसकी चूत में 2 इंच तक घुस चुका था। माधवी ने अपनी जीभ उसके मुँह में घुसा दिया। मुँह में माधवी की जीभ होने की वजह से कुछ बोल नहीं पा रही थी। माधवी ने कहा-
"बहादुर ज़रा आराम से डालो अपना लंड, इसकी चूत अभी बहुत छोटी है। मैने तो कई लड़कों से चुदवाया था लेकिन इसकी चूत अभी तक एक दम कोरी है।"
मैने कहा- "ठीक है। मैने एक धक्का और लगाया तो मेरा लंड पल्लवी की चूत में 4 इंच तक घुस गया। और ज़्यादा लंड घुसाए बिना उसको धीरे धीरे चोदने लगा। उसकी चूत ने मेरे लंड को एक दम जकड़ रखा था और मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में केवल 4 इंच तक ही अंदर बाहर आ जा रहा था।
कुछ देर बाद जब वो थोड़ा शांत हुई तो मैने एक धक्का और लगा दिया और मेरा लंड उसकी चूत में 5 इंच तक घुस गया। वो फिर अपना हाथ पटकने लगी और सर को इधर उधर मारने लगी।
कुछ देर तक धीरे धीरे चोदने के बाद वो फिर कुछ शांत हुई और उसे थोड़ा मज़ा भी आने लगा। मैने फिर दो ज़ोरदार धक्के मार दिए तो मेरा लंड उसकी चूत में 7" तक घुस गया और वो चीखने लगी। उसने माधवी को धकेल दिया था। मैने उसे चिल्लाता हुआ देख कर लगातार 2-3 ज़ोरदार धक्के लगा दिए और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। वो बहुत ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी और मुझे हटाने की कोशिश करने लगी। मैने उसकी कमर को पकड़ कर ज़ोर से सटा लिया जिससे मेरा लंड उसकी चूत से बाहर ना निकल पाए।
मैने अपने होठ उसके होंठों पर रख दिए और उसे चूमने लगा। कुछ देर तक चूमने के बाद वो शांत हो गयी। मैने उसके शांत होते ही अपने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। मेरा पूरा लंड पल्लवी की चूत में धीरे धीरे अंदर बाहर हो रहा था। अब वो बिल्कुल शांत हो चुकी थी और चुदाई का मज़ा ले रही थी। मैने अपनी स्पीड थोड़ा बढ़ा दी तो वो फिर चिल्लाई। थोड़ी देर बाद वो फिर शांत हो गयी और उसे मज़ा आने लगा।
अब वो अपना चूतर उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी। लगभग 20 मिनट तक चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। इस बीच वो भी 4 बार झड़ चुकी थी।
मैने अपना लंड बाहर निकाल कर माधवी के मुँह में दे दिया। माधवी मेरा लंड चूसने लगी और मैं पल्लवी की चूत को चाटने लगा। मैने लगभग 15 मिनट तक ही पल्लवी की चूत चाटी थी कि वो बोली-
"बहादुर, प्लीज एक बार और चोद दो मुझे। मुझे दर्द की वजह से पूरा मज़ा नहीं आया।"
"ठीक है, अभी चोद देता हूँ।"
माधवी मेरा लंड चूस ही रही थी। कुछ ही देर बाद मेरा लंड फिर तैयार हो गया।
पल्लवी अभी तक लेटी थी। मैं उसके पैरों को फैला कर उसके बीच आ गया।
अब उसकी चूत मुँह खोले मेरे सामने थी। मैं पल्लवी के पैरों को पकड़ कर उसके कंधे के पास ले गया।
अब वो एक दम दोहरी हो गयी और उसकी चूत और उपर उठ गयी। मैने उसकी चूत के बीच अपने लंड के सुपाड़े को रखा और कहा-
"पल्लवी, एक बार में अंदर लोगी।"
"दर्द होगा।"
बहुत थोड़ा सा होगा फिर मज़ा भी बहुत आएगा।"
"ठीक है डाल दो अपने लंड को एक ही झटके से मेरी चूत में।" मेरा लंड माधवी के चूसने की वजह से एक दम गीला था। मैने पूरी ताक़त लगा कर एक ज़ोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया।
वो चिल्लाने लगी। मैं रुक गया। कुछ देर में जब वो शांत हुई तब मैने धीरे धीरे धक्का लगाना शुरू कर दिया।
मैं जब धक्का लगा कर उसकी चूत में लंड को डालता तो उसके पैरों को दबा देता था जिस से उसकी चूत और उपर उठ जाती थी और मेरा लंड उसकी चूत में एक दम गहराई तक घुस जाता था।
मैं उसे इसी तरह चोदता रहा। मेरा पसीना उसके मुँह पर टप-टप गिर रहा था। वो भी पसीने से एक दम तर हो गयी थी। लगभग 40 मिनट तक मैने उसको चोदा और फिर मेरे लंड से पानी निकलने लगा। इस बीच वो अब तक 4 बार झड़ चुकी थी। लंड का पूरा पानी निकल जाने के बाद मैं थोड़ी देर तक उसके उपर ही लेटा रहा उसके बाद हट गया। वो बोली-
"बहादुर, इस बार चुदवाने में खूब मज़ा आया। तुम मुझको ऐसा ही मज़ा देते रहना। खूब चोदना मुझे।"
हम बेड पर ही सो गये। मेरे एक तरफ माधवी थी और दूसरी तरफ पल्लवी। सुबह हुई तो जैसे ही मैं उठा तो तुरंत ही पल्लवी भी उठ गयी। उसने फिर मुझसे चोदने को कहा।
मैं उसे ज़मीन पर कुतिया स्टाइल में चोदने लगा। थोड़ी ही देर में माधवी भी उठ गयी और बोली-
"वाह री पल्लवी, तू तो चुदवाने में बहुत तेज निकली। सुबह होते ही फिर से चुदवाने लगी।"
पल्लवी बोली- "दीदी, मुझे बहादुर से चुदवाने में बहुत मज़ा आया था। मैं और मज़ा लेना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ कि बहादुर मम्मी पापा के आने तक मुझे खूब चोदे।"
माधवी ने कहा- "अगर केवल तू ही चुदवाती रहेगी तो मैं कैसे मज़ा लूँगी।"
पल्लवी बोली- "हम दोनो मिल कर बहादुर से खूब चुदवाएँगे।"
मैने उन दोनो को 4 दिन में पल्लवी को 20 बार और माधवी को 8 बार चोदा। 4 दिन बाद में साहब का फोन आया कि कुछ वजह से वो 10 दिन बाद आएँगी। अगले 10 दिन तक माधवी और पल्लवी की चुदाई जारी रही। 10 दिनो में पल्लवी ने मुझसे लगभग 40 बार चुदवाया और माधवी ने 10 बार चुदवाया और 4 बार गाँड़ भी मराई। मैं पल्लवी की भी गाँड़ मारना चाहता था लेकिन पल्लवी ने गाँड़ मराने से इनकार कर दिया। वो बोली कि अगली बार जब मम्मी पापा बाहर जाएँगे तो मैं गाँड़ भी मरा लूँगी। वो केवल माधवी को गाँड़ मारते हुए देखती रहती थी।
गाँव के चुदक्कड़ लंड की कीमत शहर में आकर क्या हो जाती है ये अब मुझे पता चला।
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Raj Sharma
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